Thursday, April 25, 2024
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यूपी- छुट्टा जानवरों की समस्या से मिलेगा छुटकारा, 10 जिला पंचायतें पकड़ेंगी आवारा पशुओं को

उत्तर प्रदेश सरकार विधानसभा चुनाव से पहले छुट्टा जानवरों की समस्या के समाधान के लिए कवायद तेज कर दी है। इस क्रम में सबसे ज्यादा छुट्टा जानवरों से प्रभावित गोंडा-श्रावस्ती सहित 10 जिलों में नगरीय क्षेत्रों की तरह कार्ययोजना लागू करने का फैसला हुआ है। इसकी जिम्मेदारी जिला पंचायतों को सौंपी जाएगी। यह प्रयोग सफल रहा तो अन्य जिलों में भी नई व्यवस्था को लागू किया जाएगा।

प्रदेश में तमाम प्रयास के बावजूद छुट्टा गोवंश चुनौती बने हुए हैं। लगातार फीडबैक मिल रहा है कि छुट्टा गोवंश फसलों को बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं। खेतों की रखवाली करने वाले किसान व राहगीर छुट्टा जानवरों के शिकार भी हो रहे हैं। पड़ताल में सामने आया कि ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं को पकड़ने की कोई व्यवस्था ही नहीं है। ग्राम पंचायतों के पास पशुओं को पकड़ने के लिए न तो मैनपावर है और न ही संसाधन ही उपलब्ध हैं। बड़ी संख्या में गोवंश आश्रय स्थल बनवाए गए, लेकिन वहां भी केयर टेकर व चौकीदार की व्यवस्था का प्रावधान नहीं किया गया।

सूत्रों ने बताया कि कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस समस्या पर चर्चा के बाद कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। पहला, गोंडा, श्रावस्ती, महोबा, चित्रकूट, ललितपुर, झांसी, बांदा, बस्ती, गाजीपुर व उन्नाव में छुट्टा गोवंश पकड़ने की जिम्मेदारी जिला पंचायतों को सौंपने का फैसला हुआ। जिला पंचायतें कैटल कैचर की व्यवस्था कर ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं को पकड़वाने का काम करेंगी। जिला पंचायतें गोवंश पकड़ने के लिए सेवा प्रदाता संस्थाओं को भी लगा सकेंगी। इससे कम समय में अधिक निराश्रित गोवंश को संरक्षित किया जा सकेगा। गो आश्रय स्थल में गोवंश की सुरक्षा के लिए चौकीदार-केयरटेकर की व्यवस्था पंचायतीराज विभाग करेगा। इसके लिए तत्काल शासनादेश जारी करने को कहा गया है।

ये निर्णय भी हुए

  • ग्राम पंचायत स्तर पर पशुओं का चिह्नीकरण किया जाएगा। चिह्नीकरण के समय पशुओं की आयु, लिंग, पशु स्वामी का नाम, पता व दूरभाष क्रमांक आदि दर्ज किया जाए।
  • गोवंश को समय से चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो, इसके लिए बीमारियों के सामान्य लक्षणों के साथ संबंधित पशु चिकित्साधिकारी के मोबाइल नंबर की वालपेंटिंग कराई जाए।
  • गो आश्रय स्थलों के गोबर से वैल्यू एडेड प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे।
  • बीडीओ हर 15 दिन पर बैठक कर निराश्रित गोवंश के भरण-पोषण व संरक्षण संबंधी कार्यों की समीक्षा कर आवश्यक इंतजाम करें।
  • गोवंश आश्रय स्थलों में समुचित चारे, दाने की व्यवस्था, ठंड से बचाव के लिए झूल/अलाव की व्यवस्था, कुत्तों से गोवंश की सुरक्षा, पीने के लिए स्वच्छ पानी की व्यवस्था ग्राम्य विकास, पंचायतीराज व नगर विकास विभाग करेंगे।
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