Sunday, August 3, 2025
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मेडिकल छात्र-छात्राओं ने पोस्टरों में उकेरी पैथोलॉजी की महत्ताके.डी. मेडिकल कॉलेज में हुई इंटर कॉलेज पैथ-आर्टः 2.0 प्रतियोगिता


मथुरा। मेडिकल छात्र-छात्राओं की रचनात्मकता, ज्ञान और शोध क्षमताओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से के.डी. मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के पैथोलॉजी विभाग द्वारा इंटर कॉलेज पैथ-आर्टः 2.0 प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। ‘टूल बॉक्स ऑफ पैथोलॉजी’ विषय पर आयोजित पोस्टर प्रजेंटेशन प्रतियोगिता में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों की कुल 27 टीमों के छात्र-छात्राओं ने अपने बौद्धिक कौशल का शानदार प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती तथा दादी मां कांती देवी के छायाचित्रों पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया।
पैथ-आर्टः 2.0 प्रतियोगिता मुख्य अतिथि डॉ. अंजली खरे विभागाध्यक्ष सुभारती मेडिकल कॉलेज मेरठ एवं प्रेसीडेंट यूपी चैप्टर इंडियन एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजी एण्ड माइक्रोबायलॉजी) एवं डॉ. हरेन्द्र कुमार प्रोफेसर एस.एन. मेडिकल कॉलेज आगरा एवं राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष इंडियन एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजी एण्ड माइक्रोबायलॉजी की गरिमामयी उपस्थिति तथा देखरेख में हुई। इस अवसर पर प्राचार्य और डीन डॉ. आर.के. अशोका ने पैथोलॉजी विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए अन्य विभागाध्यक्षों से भी इस तरह के आयोजन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पैथोलॉजी में टूल बॉक्स एक व्यापक शब्द है जो विभिन्न प्रकार के नैदानिक, चिकित्सा और शोध उपकरणों, विधियों तथा तकनीकों को संदर्भित करता है, जिनका उपयोग रोगों का निदान करने, उपचार योजना बनाने तथा रोगी की देखभाल में सुधार करने के लिए किया जाता है। डॉ. अशोका ने कहा कि मरीज के शरीर के किस अंग में समस्या है या सही कार्य नहीं कर रहा, इसके लिए प्रत्येक मेडिकल विद्यार्थी को पैथोलॉजी का ज्ञान होना जरूरी है।
मुख्य अतिथि डॉ. अंजली खरे ने अपने सम्बोधन में कहा कि पैथोलॉजी चिकित्सा उपचार की रीढ़ है। उन्होंने कहा कि शरीर की संरचना और उसकी कार्यविधि की जानकारी होना प्रत्येक मेडिकल विद्यार्थी के लिए अति आवश्यक है क्योंकि डॉक्टर का काम ही उचित निदान पर निर्भर होता है। पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रणीता जसवंत सिंह ने अपने स्वागत भाषण में सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए पैथ-आर्टः 2.0 प्रतिस्पर्धा की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पैथ-आर्टः 2.0 पोस्टर प्रतियोगिता का उद्देश्य भावी चिकित्सकों को पैथोलॉजी की गूढ़ बातों से रूबरू कराना है ताकि वह चिकित्सा उपचार में महारत हासिल कर समाज को निरोगी रखने में अपना योगदान दे सकें।
इंटर कॉलेज पैथ-आर्टः 2.0 प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं ने शरीर के आंतरिक हिस्सों में फैलने वाले विभिन्न रोगों की जांच में प्रयोग होने वाली तकनीकों व यंत्रों को अपनी बौद्धिक कल्पना के रंगों के माध्यम से प्रदर्शित किया। छात्र-छात्राओं द्वारा तैयार पोस्टर जटिल रोग सम्बन्धी अवधारणाओं की उनकी समझ को दर्शाते दिखे। बरेली, सैफई हापुड़, मथुरा, ग्रेटर नोएडा आदि से आए प्रतिभागी मेडिकल छात्र-छात्राओं का के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के सभी विभागाध्यक्षों ने करतल ध्वनि से उत्साहवर्धन किया।
अंत में निर्णायकों चिकित्सा निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार, डॉ. अंजली खरे, डॉ. हरेन्द्र कुमार, डॉ. शुभांगी गुप्ता, डॉ. मंजू पाण्डेय, डॉ. वी.पी. पाण्डेय तथा डॉ. प्रणीता सिंह आदि ने सभी ग्रुप प्रतिस्पर्धियों के पोस्टरों को देखने के बाद उनसे कुछ प्रश्न भी पूछे, उसके बाद विजेता-उपविजेता टीमों की घोषणा की गई। निर्णायकों ने सरस्वती इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस हापुड़ की टीम को विजेता, के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर मथुरा तथा राजश्री मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट एण्ड हॉस्पिटल बरेली को संयुक्त रूप से उप-विजेता घोषित किया। इसी तरह के.डी. मेडिकल कॉलेज की दो टीमों को संयुक्त रूप से तीसरा स्थान मिला। निर्णायकों ने एस.के.एस. मथुरा तथा के.डी.एम.सी. मथुरा को सांत्वना पुरस्कार से नवाजने का फैसला लिया। अतिथियों ने विजेता तथा उपविजेता छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र तथा ट्रॉफी प्रदान कर पुरस्कृत किया।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, के.डी. मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन श्री मनोज अग्रवाल ने पैथोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित प्रतियोगिता की सराहना करते हुए विजेता छात्र-छात्राओं के साथ ही सभी प्रतिभागियों को बधाई दी। डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं को अपने रचनात्मक कौशल का उपयोग कर जटिल अवधारणाओं को समझने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने ऐसे शैक्षिक कार्यक्रमों को एमबीबीएस छात्र-छात्राओं के लिए उपयोगी बताया। के.डी. मेडिकल कॉलेज में हुई पैथ-आर्टः 2.0 प्रतिस्पर्धा की सफलता में आयोजन सचिव डॉ. संगीता सिंह, संयुक्त सचिव डॉ. अम्बरीश कुमार, डॉ. योगिता सिंह, डॉ. सोनम बिलावारिया, डॉ. निखिल मेहरोत्रा, डॉ. शुभम सोलंकी आदि का अहम योगदान रहा। अंत में आयोजन समिति की सचिव डॉ. संगीता सिंह ने सभी का आभार माना।
चित्र कैप्शनः इंटर कॉलेज पैथ-आर्टः 2.0 प्रतियोगिताः दीप प्रज्वलित करते हुए अतिथि, दूसरे चित्र में मंचासीन अतिथि तथा तीसरे चित्र में अतिथियों के साथ विजेता मेडिकल छात्र-छात्राएं।

मेडिकल छात्र-छात्राओं ने पोस्टरों में उकेरी पैथोलॉजी की महत्ताके.डी. मेडिकल कॉलेज में हुई इंटर कॉलेज पैथ-आर्टः 2.0 प्रतियोगिता


मथुरा। मेडिकल छात्र-छात्राओं की रचनात्मकता, ज्ञान और शोध क्षमताओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से के.डी. मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के पैथोलॉजी विभाग द्वारा इंटर कॉलेज पैथ-आर्टः 2.0 प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। ‘टूल बॉक्स ऑफ पैथोलॉजी’ विषय पर आयोजित पोस्टर प्रजेंटेशन प्रतियोगिता में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों की कुल 27 टीमों के छात्र-छात्राओं ने अपने बौद्धिक कौशल का शानदार प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती तथा दादी मां कांती देवी के छायाचित्रों पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया।
पैथ-आर्टः 2.0 प्रतियोगिता मुख्य अतिथि डॉ. अंजली खरे विभागाध्यक्ष सुभारती मेडिकल कॉलेज मेरठ एवं प्रेसीडेंट यूपी चैप्टर इंडियन एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजी एण्ड माइक्रोबायलॉजी) एवं डॉ. हरेन्द्र कुमार प्रोफेसर एस.एन. मेडिकल कॉलेज आगरा एवं राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष इंडियन एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजी एण्ड माइक्रोबायलॉजी की गरिमामयी उपस्थिति तथा देखरेख में हुई। इस अवसर पर प्राचार्य और डीन डॉ. आर.के. अशोका ने पैथोलॉजी विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए अन्य विभागाध्यक्षों से भी इस तरह के आयोजन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पैथोलॉजी में टूल बॉक्स एक व्यापक शब्द है जो विभिन्न प्रकार के नैदानिक, चिकित्सा और शोध उपकरणों, विधियों तथा तकनीकों को संदर्भित करता है, जिनका उपयोग रोगों का निदान करने, उपचार योजना बनाने तथा रोगी की देखभाल में सुधार करने के लिए किया जाता है। डॉ. अशोका ने कहा कि मरीज के शरीर के किस अंग में समस्या है या सही कार्य नहीं कर रहा, इसके लिए प्रत्येक मेडिकल विद्यार्थी को पैथोलॉजी का ज्ञान होना जरूरी है।
मुख्य अतिथि डॉ. अंजली खरे ने अपने सम्बोधन में कहा कि पैथोलॉजी चिकित्सा उपचार की रीढ़ है। उन्होंने कहा कि शरीर की संरचना और उसकी कार्यविधि की जानकारी होना प्रत्येक मेडिकल विद्यार्थी के लिए अति आवश्यक है क्योंकि डॉक्टर का काम ही उचित निदान पर निर्भर होता है। पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रणीता जसवंत सिंह ने अपने स्वागत भाषण में सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए पैथ-आर्टः 2.0 प्रतिस्पर्धा की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पैथ-आर्टः 2.0 पोस्टर प्रतियोगिता का उद्देश्य भावी चिकित्सकों को पैथोलॉजी की गूढ़ बातों से रूबरू कराना है ताकि वह चिकित्सा उपचार में महारत हासिल कर समाज को निरोगी रखने में अपना योगदान दे सकें।
इंटर कॉलेज पैथ-आर्टः 2.0 प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं ने शरीर के आंतरिक हिस्सों में फैलने वाले विभिन्न रोगों की जांच में प्रयोग होने वाली तकनीकों व यंत्रों को अपनी बौद्धिक कल्पना के रंगों के माध्यम से प्रदर्शित किया। छात्र-छात्राओं द्वारा तैयार पोस्टर जटिल रोग सम्बन्धी अवधारणाओं की उनकी समझ को दर्शाते दिखे। बरेली, सैफई हापुड़, मथुरा, ग्रेटर नोएडा आदि से आए प्रतिभागी मेडिकल छात्र-छात्राओं का के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के सभी विभागाध्यक्षों ने करतल ध्वनि से उत्साहवर्धन किया।
अंत में निर्णायकों चिकित्सा निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार, डॉ. अंजली खरे, डॉ. हरेन्द्र कुमार, डॉ. शुभांगी गुप्ता, डॉ. मंजू पाण्डेय, डॉ. वी.पी. पाण्डेय तथा डॉ. प्रणीता सिंह आदि ने सभी ग्रुप प्रतिस्पर्धियों के पोस्टरों को देखने के बाद उनसे कुछ प्रश्न भी पूछे, उसके बाद विजेता-उपविजेता टीमों की घोषणा की गई। निर्णायकों ने सरस्वती इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस हापुड़ की टीम को विजेता, के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर मथुरा तथा राजश्री मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट एण्ड हॉस्पिटल बरेली को संयुक्त रूप से उप-विजेता घोषित किया। इसी तरह के.डी. मेडिकल कॉलेज की दो टीमों को संयुक्त रूप से तीसरा स्थान मिला। निर्णायकों ने एस.के.एस. मथुरा तथा के.डी.एम.सी. मथुरा को सांत्वना पुरस्कार से नवाजने का फैसला लिया। अतिथियों ने विजेता तथा उपविजेता छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र तथा ट्रॉफी प्रदान कर पुरस्कृत किया।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, के.डी. मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन श्री मनोज अग्रवाल ने पैथोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित प्रतियोगिता की सराहना करते हुए विजेता छात्र-छात्राओं के साथ ही सभी प्रतिभागियों को बधाई दी। डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं को अपने रचनात्मक कौशल का उपयोग कर जटिल अवधारणाओं को समझने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने ऐसे शैक्षिक कार्यक्रमों को एमबीबीएस छात्र-छात्राओं के लिए उपयोगी बताया। के.डी. मेडिकल कॉलेज में हुई पैथ-आर्टः 2.0 प्रतिस्पर्धा की सफलता में आयोजन सचिव डॉ. संगीता सिंह, संयुक्त सचिव डॉ. अम्बरीश कुमार, डॉ. योगिता सिंह, डॉ. सोनम बिलावारिया, डॉ. निखिल मेहरोत्रा, डॉ. शुभम सोलंकी आदि का अहम योगदान रहा। अंत में आयोजन समिति की सचिव डॉ. संगीता सिंह ने सभी का आभार माना।
चित्र कैप्शनः इंटर कॉलेज पैथ-आर्टः 2.0 प्रतियोगिताः दीप प्रज्वलित करते हुए अतिथि, दूसरे चित्र में मंचासीन अतिथि तथा तीसरे चित्र में अतिथियों के साथ विजेता मेडिकल छात्र-छात्राएं।

डॉल्फिन जलीय पारितंत्र का एक महत्वपूर्ण घटक

-डॉल्फिन कंजर्वेशन पर आयोजित हुईं विभिन्न प्रतियोगिता

-परमेश्वरी देवी धानुका सरस्वती विद्या मंदिर में छात्रों ने दिखाई प्रतिभा

वृंदावन। गौशाला नगर स्थित परमेश्वरी देवी धानुका सरस्वती विद्या मंदिर में भारत सरकार द्वारा संचालित और सीबीएसई बोर्ड द्वारा निर्देशित डॉल्फिन संरक्षण परियोजना अंतर्गत विविध प्रकार की प्रतियोगिताएं और कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिनमें छात्रों के द्वारा डॉल्फिन कंजर्वेशन को लेकर पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई। साथ ही एक रैली भी निकली गई।
कक्षा 12 बी के छात्र त्रिशांत ने डॉल्फिन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां छात्रों को दी गई। प्रियांशु ने डॉल्फिन के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि डॉल्फिन जलीय पारितंत्र का एक महत्वपूर्ण घटक है। उन्होंने डॉल्फिन कंजर्वेशन के विभिन्न तरीकों को विस्तृत रूप से छात्रों को समझाया। विज्ञान विभाग के विभाग अध्यक्ष देवेंद्र कुमार गौतम ने बताया कि डॉल्फिन हो या अन्य कोई जीव प्रत्येक जीव प्रकृति के लिए आवश्यक होता है। उन्होंने एक उदाहरण द्वारा छात्रों को समझाने का प्रयास किया कि हमारी पूरी पृथ्वी एक वायुयान की तरह है जिसमें मनुष्य रूपी यात्री यात्रा कर रहा है। वायुयान के विभिन्न पुर्जे वायुयान की संरचना को बनाए रखते हैं उसी प्रकार पृथ्वी पर पाए जाने वाले प्रत्येक जीव पृथ्वी रूपी वायुयान के पुर्जे हैं जो पृथ्वी की संरचना और क्रियात्मकता बनाए रखने के लिए आवश्यक है
इस परियोजना में छात्रों को एक ज्ञानवर्धक वीडियो के माध्यम से भी डॉल्फिन संरक्षण के बारे में समझाया गया।
परियोजना में विज्ञान के सभी आचार्य हेमंत गुप्ता, अनिल यादव, ज्ञानेंद्र पांडे, कपीश्वर कृष्ण, निशांत, शैलेंद्र गोयल, भरत कृष्ण आदि मौजूद रहे।

संस्कृति विवि आयोजित करेगा अब तक का मेगा जॉब फेयर100 कंपनियां, दो हजार नौकरियां

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय देशभर के नौकरी से वंचित रह गए नौजवानों को रोजगार का एक बड़ा मौका दे रहा है। विवि में एक और दो अगस्त को एक मेगा जॉब फेयर आयोजित किया जा रहा है जिसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय लगभग 100 कंपनियां दो हजार से अधिक विद्यार्थियों को नौकरियों का अवसर प्रदान करने आ रही हैं। संस्कृति विवि ने एक समग्र और सर्व कल्याण की भावना के तहत देशभर के सभी विवि और कालेजों के पासआउट विद्यार्थियों, जो अभी तक नौकरी पाने से वंचित रह गए हैं इस जॉब फेयर में आमंत्रित किया है। उद्योग विभाग के स्थानीय अधिकारियों द्वारा भी इस अवसर का लाभ उठाने में रुचि दिखाई है।
संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता का कहना है कि उनकी शुरू से ही सोच रही है कि हमारे किसी भी नौजवान का सपना पूरा करने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं, तो जरूर करूंगा। यही वजह है कि संस्कृति विवि विद्यार्थियों को स्वयं का उद्योग खड़ा करने के लिए भी बड़े कदम उठा रहा है ताकि वे खुद नौकरी देने वाले बनें। इसी उद्देश्य से डीएसटी ग्रांट से विवि 10 स्टार्टअप को एक करोड़ रुपये दे रहा है। इस मेगा जॉब फेयर आयोजित करने के पीछे भी यही भाव है। यह पूरी पारदर्शिता के साथ और सबके लिए होगा। इसके लिए सभी विवि, कालेजों और उद्योग विभाग से संपर्क किया जा रहा है। विद्यार्थी सीधे भी इसमें बिल्कुल फ्री रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि हम जो भी इस तरह का आयोजन करते हैं वह विद्यार्थियों के द्वारा विद्यार्थियों के लिए आयोजित करते हैं। इस मेगा जॉब का सारा मैनेजमेंट संस्कृति विवि के विद्यार्थी ही कर रहे हैं। इससे सबसे बड़ा लाभ तो यह होगा कि विद्यार्थियों का अनुभव बढ़ेगा। वे कंपनियों के एचआर से सीधे संपर्क कर सकेंगे, उनकी आवश्यकताओं को समझ सकेंगे।
जॉब फेयर का प्रबंधन देख रहे विद्यार्थियों ने बताया कि अभी तक 100 कंपनियों ने खुद से जॉब फेयर में आने में रुचि दिखाई है। इस जॉब फेयर में 100 से अधिक कंपनियां भी आ सकती हैं। इनमें से कुछ जैनपेक्ट, आरके ग्रुप, जेबीएम ग्रुप, जस्ट डायल, दैनिक जागरण, जेटीईकेटी, टेक महिन्द्रा, कोकाकोला, रायस पैक, स्विगी, योकोहामा टायर्स, ब्लिंकिट, मिल्को मोर, नौकरी डाटकाम, फ्लिपकार्ट, बिगएफएम, बाधो, न्यूएलनबरी वर्क्स, गोल्डी मसाले आदि हैं। ताजा जानकारी के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में दो हजार से अधिक नौकरियों की उपलब्धता सामने आ चुकी है, यह और भी अधिक हो सकती है। जाब फेयर में ऐंटरटेनमेंट, एफएम रेडियो के लिए जॉकी, एनीमेशन, एग्रो इंडस्ट्रीज, फैशन इंडस्ट्री से जुड़ी कंपनियां भी आ रही हैं। विद्यार्थियों ने बताया कि जापान की अकेली ही एक कंपनी याकुमा का कहना है कि छात्राओं के लिए उनके यहां असीमित संख्या में जरूरत है। रेलवे से जुड़े आरके ग्रुप को विभिन्न पदों के लिए एक हजार से अधिक युवाओं की आवश्यकता है वो भी बहुत अच्छे वेतनमान पर। इसी तरह से बहुत सारी कंपनियों ने अपनी जरूरत और युवाओं को नौकरियां देने की बात कही है।
डा. सचिन गुप्ता का कहना है कि हमारी इच्छा यही है कि हर युवा को अपने सपने पूरे करने का अवसर मिले। जो भी बच्चा नौकरी ढूंढ रहा है और मेहनती है उसको बेहतर अवसर उपलब्ध कराया जाय। उन्होंने कहा कि हमारे संस्कृति विवि के अधिकांश विद्यार्थियों का प्लेसमेंट हो चुका है, यह अवसर तो देश के उन सभी विद्यार्थियों के लिए है जो किसी कारण से नौकरी पाने से वंचित रह गए हैं।

अब के.डी. हॉस्पिटल में बिना चीर-फाड़ हर तरह की सर्जरी सम्भवथूलियम लेजर मशीन और फ्लेक्सिबल यूरेटेरोस्कोपी मशीनों से होगा सटीक उपचार


मथुरा। चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश के उत्कृष्ट शैक्षिक संस्थानों में शुमार के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर लगातार अपनी चिकित्सा सुविधाओं में इजाफा कर रहा है। ब्रज क्षेत्र के गुर्दे में पथरी तथा प्रोस्टेट पीड़ित मरीजों को महानगरों की तरफ न भागना पड़े इसके लिए के.डी. हॉस्पिटल में थूलियम लेजर मशीन और फ्लेक्सिबल यूरेटेरोस्कोपी मशीनों की व्यवस्था की गई है। इन आधुनिकतम मशीनों के आ जाने से अब के.डी. हॉस्पिटल में मरीजों की बिना चीर-फाड़ सर्जरी सम्भव होगी।
विशेषज्ञ यूरोलॉजिस्ट डॉ. अकील लतीफ ने बताया कि थुलियम लेजर एक आधुनिक और सुरक्षित तकनीक है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार की सर्जिकल प्रक्रियाओं में किया जाता है। यह पारम्परिक तकनीकों की तुलना में अधिक प्रभावी और सुरक्षित है तथा इसके कई फायदे भी हैं। उन्होंने बताया कि थुलियम लेजर मशीन से हर तरह की पथरी का इलाज सम्भव है। पथरी गुर्दे की हो, पेशाब नली की या फिर पेशाब की थैली की थुलियम लेजर मशीन से बहुत कम समय और बिना चीरा सर्जरी सम्भव होगी।
यूरोलॉजिस्ट डॉ. अकील लतीफ ने बताया कि के.डी. हॉस्पिटल में थूलियम लेजर मशीन और फ्लेक्सिबल यूरेटेरोस्कोपी मशीन आ जाने से नसों की ब्लॉकेज से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत की बात है। अब ऐसे मरीजों का इलाज के.डी. हॉस्पिटल में सहजता से हो सकेगा तथा उन्हें भारी-भरकम राशि भी नहीं चुकानी होगी। उन्होंने बताया कि लेजर सर्जरी पारम्परिक सर्जरी की तुलना में कम रक्तस्राव, कम दर्द और कम निशान छोड़ती है।
यूरोलॉजिस्ट डॉ. यूनिस मुश्ताक ने बताया कि लेजर कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशेषताएं होती हैं जो सर्जरी के दौरान विशिष्ट कार्य करती हैं। लेजर प्रकाश लगातार या रुक-रुककर दिया जा सकता है और फाइबर ऑप्टिक्स के साथ शरीर के उन हिस्सों का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है जहां पहुंचना अक्सर मुश्किल होता है। डॉ. मुश्ताक ने बताया कि फ्लेक्सिबल यूरेटेरोस्कोपी के माध्यम से आर.आई.आर.एस. सर्जरी बिना चीरा सम्भव है।
यूरोलॉजिस्ट डॉ. यूनिस मुश्ताक ने बताया कि थूलियम लेजर मशीन और फ्लेक्सिबल यूरेटेरोस्कोपी मशीन मूत्रवाहिनी और गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दो अलग-अलग चिकित्सा प्रौद्योगिकियां हैं। थूलियम लेजर मशीन जहां एक लेजर बीम का उपयोग करके पथरी को तोड़ने के लिए उपयोग की जाती है वहीं फ्लेक्सिबल यूरेटेरोस्कोपी एक पतली, लचीली ट्यूब का उपयोग करके शरीर के अंदर पथरी तक पहुंचने और उसे हटाने के लिए उपयोग की जाती है। उन्होंने बताया कि थुलियम लेजर उन्नत तकनीक है, जिससे उपचार के दौरान दर्द कम होता है, जल्दी रिकवरी होती है, जटिलताओं का जोखिम बेहद कम हो जाता है तथा मरीज को अस्पताल में कम समय तक रहना पड़ता है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन मनोज अग्रवाल का कहना है कि ब्रज क्षेत्र के लोगों को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना हमारा नैतिक दायित्व है। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि ब्रज क्षेत्र के लोगों को किसी भी तरह की सर्जरी के लिए मथुरा से बाहर न जाना पड़े इसके लिए के.डी. हॉस्पिटल को थुलियम लेजर और आर.आई.आर.एस. (रेट्रोग्रेड इंट्रारिनल सर्जरी) की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। चेयरमैन श्री मनोज अग्रवाल ने बताया कि के.डी. हॉस्पिटल में अनुभवी यूरोलॉजिस्ट, ट्रेंड स्टाफ तथा विश्वस्तरीय ऑपरेशन थिएटर और उपकरण होने से हर तरह की सर्जरी सम्भव है।
चित्र कैप्शनः थूलियम लेजर मशीन और फ्लेक्सिबल यूरेटेरोस्कोपी मशीन का पूजा-अर्चना के बाद शुभारम्भ।

मुर्दों की मुंह दिखाई का चलन जोरों पर

 मथुरा। बचपन से हम बहुओं की मुंह दिखाई तो सुनते आ रहे हैं किन्तु मुर्दों की मुंह दिखाई  भले ही न सुनी हो किंतु इसका चलन बढ़ता जा रहा है। बल्कि यौं कहा जाए कि यह तो अब फैशन बन गया है। बेचारे मुर्दों को बहुओं की तरह मुंह दिखाई में मिलता तो कुछ है नहीं ऊपर से उनकी मिट्टी पलीत और होती है।
 शायद मेरी बात अभी किसी की समझ में नहीं आ रही होगी कि माजरा क्या है? बात यह है कि मान लो घर में किसी की मौत हो गई, तो होता क्या है कि कभी-कभी लाश को एक दो या और अधिक दिनों तक सिर्फ इसलिए पटके रखा जाता है कि बेटी आ जाय या बहन आ जाय उसका मुंह देख ले अथवा और कोई घर का आ जाय वह भी उसका मुंह देख ले। भले ही लाश से दुर्गंध उठने लगे, उसकी इन्हें कोई चिंता नहीं। ज्यादा करेंगे तो धनाड्य लोग लाश रखने वाला फ्रीजर मंगवा लेंगे किंतु मिट्टी की मिट्टी पलीत करने से बाज नहीं आते।
 मुझे यह सब देखकर बड़ी कोफ्त होती है। ऐसा लगता है कि शायद बहन बेटी या और कोई खास परिजन के आते ही मुर्दा आंखें खोलकर उठ बैठेगा और गले लगाकर रहेगा कि अब मैं चैन से मरूंगा। भले ही जीते जी बीमारी की हालत में उसकी कोई खैर खबर तक नहीं ली हो किंतु मरने के बाद तो ढकोसले बाजी दिखाना जरूरी है। कहते हैं कि जब तक मुर्दे का अंतिम संस्कार नहीं हो जाता तब तक उसकी आत्मा अपने शरीर के इर्द-गिर्द भटकती रहती है। जिस दिन अंत्येष्टि होती है उसी दिन वाली तिथि को ही मरने वाला दिन मानकर श्राद्ध वगैरा किए जाते हैं।
 मैंने ऐसे ऐसे लोग देखे हैं जिनके बुजुर्गों की मौत एकादशी, अमावस्या, पूर्णमासी, रामनवमी, जन्माष्टमी या शिवरात्रि जैसे बड़े पर्वों पर हुई किंतु उन नालायक औलादों ने सिर्फ इसलिए अंतिम संस्कार कई दिनों तक टाले रखा कि पूरा घर इकट्ठा होकर अंतिम दर्शन कर ले। अगर दाग देने वाला कोई न हो तब तो बात समझ में भी आती है किंतु दाग देने वाला भी मौजूद और सब घर परिवार रिश्तेदार मौजूद किंतु इक्का दुक्का लोगों की वजह से मृतक के साथ इतना बड़ा अन्याय बहुत शर्मनाक है। मृतक ही क्यों परिवारीजन, रिश्तेदार तथा अन्य शुभ चिंतक भी इसी चक्कर में लटके रहते हैं।
 इस मामले में चतुर्वेदी समाज में बड़ी अच्छी रिवाज है। वे जल्दी से जल्दी अंतिम संस्कार करते हैं। कभी-कभी तो कुछ घंटे में ही समाज के लोग एकत्र होकर शमशान की ओर तेज रफ्तार से दौड़ पड़ते हैं। विपरीत परिस्थितियों में एक्का दुक्का प्रतिवाद हो जाए वह अलग बात है। मेरा विचार यह है कि इस मामले में गंभीरता से सोचना चाहिये तथा मृतक के शरीर की दुर्गति करने की बजाय जल्दी से जल्दी उसकी अंत्येष्टि करके अपना कर्तव्य पूरा करना चाहिए। जो लोग अपने पूर्वजों की सदगति की अनदेखी कर दुर्गति का कार्य करते हैं, वे पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के बजाय श्राप के भागी बनते हैं। मृत शरीर की शीघ्र अंत्येष्टि ही क्या हर प्रकार से हम लोगों को अपने पितरों  की आत्म शांति के लिए वास्तविक कर्म करने चाहिए न कि ढकोसले बाजी की नौटंकी यानीं दिखावे बाजी।
 हां एक बात और कहनी है वह यह कि कुछ लोगों में एक और रोग लग गया है। वह यह कि 12 ब्राह्मण जिस दिन होते हैं, उसी दिन मासी, तिमासी, छमाही, वर्षी और चौबर्षी तक करके मृतक से ऐसे पिंड छुड़ा लेते हैं जैसे वह उनका कुछ था ही नहीं। यह बहुत गलत बात है। एक तरह से बला टालने जैसी हरकत। एक और तो मरने के समय ऐसी रोमन पिट्टन और दिखावटीपन कि पूंछो मत और फिर बाद में उसका माल मत्ता तो हजम कर जाते हैं तथा मासी से लेकर चौवर्षी तक सब समाप्त। होना यह चाहिए कि हर मौके पर उन्हें मान और सम्मान के साथ याद करके यथाशक्ति उनके निमित्त जो बन पड़े करके उनका कर्ज उतारना चाहिए बल्कि अपना फर्ज भी निभाना चाहिए। इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि कल को हमें भी पितृ श्रेणीं में आना है। जैसा हम बोयेंगे वैसा ही काटेंगे।

तकनीकी शिक्षा की नई ऊंचाइयों पर राजीव एकेडमीछात्र-छात्राओं ने प्लेसमेंट के क्षेत्र में रचा कीर्तिमान


मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, मथुरा विद्यार्थियों को तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ जीवन मूल्यों, नेतृत्व क्षमता और व्यावसायिक दक्षता से सुसज्जित कर उन्हें वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर रहा है। पिछले 27 वर्षों से अपनी उत्कृष्ट शैक्षणिक परम्परा और अनुशासन के साथ यह संस्थान देश के अग्रणी तकनीकी संस्थानों की सूची में अपना विशेष स्थान बना चुका है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल के नेतृत्व में संचालित यह संस्थान निरंतर प्रगति की राह पर है। यह संस्थान विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण हेतु बहुआयामी प्रयास कर रहा है। डॉ. अग्रवाल का कहना है कि राजीव एकेडमी का उद्देश्य सिर्फ डिग्री प्रदान करना नहीं बल्कि विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों, नवीन तकनीकी ज्ञान और नवाचार से जोड़कर उन्हें पूर्णत: सशक्त बनाना है।
संस्थान के प्लेसमेंट रिकॉर्ड की बात करें तो राजीव एकेडमी का हालिया हाईएस्ट पैकेज 25 लाख रुपये रहा, जोकि किसी भी तकनीकी संस्थान के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। यह शानदार सफलता इस बात की पुष्टि करती है कि संस्थान न केवल उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान कर रहा है बल्कि अपने विद्यार्थियों को इंडस्ट्री के लिए भी पूरी तरह तैयार कर रहा है। इस वर्ष विभिन्न प्रतिष्ठित कम्पनियों द्वारा अनेक विद्यार्थियों का चयन उच्च पैकेज पर किया गया है। इनमें इम्फोसिस, टीसीएस, विप्रो, इंडिया मार्ट, बायजूस, कैपजेमिनी जैसी कम्पनियां प्रमुख हैं।
राजीव एकेडमी न केवल प्लेसमेंट के क्षेत्र में अग्रणी है बल्कि तकनीकी नवाचार, स्टार्टअप इनक्यूबेशन और रिसर्च के क्षेत्र में भी नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। संस्थान में नियमित रूप से टेक्निकल वर्कशॉप, सेमिनार, हैकाथॉन और इंडस्ट्री इंटरेक्शन सत्र आयोजित किए जाते हैं, जो विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान और कॉर्पोरेट जगत की अपेक्षाओं के अनुरूप तैयार करते हैं। राजीव एकेडमी का करिकुलम इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स के अनुरूप डिजाइन किया गया है, जिसमें तकनीकी विषयों के साथ-साथ कम्युनिकेशन स्किल्स, पर्सनालिटी डेवलपमेंट और इंटरव्यू प्रिपरेशन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। हाल ही में संस्थान ने स्किलयार्ड्स, नास्कॉम और आईबीएम जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ एमओयू किए हैं, जिससे विद्यार्थियों को वैश्विक स्तर की ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन प्राप्त हो सके।
संस्थान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान समय में केवल शैक्षणिक ज्ञान पर्याप्त नहीं है, विद्यार्थियों को तकनीकी दक्षता के साथ-साथ सॉफ्ट स्किल्स, टीमवर्क और इनोवेशन की समझ भी होनी चाहिए। इसी दृष्टिकोण से संस्थान में निरंतर एआई, डाटा साइंस, एंटरप्रेन्योर बनने की कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं। संस्थान का विजन “शिक्षा से सशक्तीकरण” है, जिसके अंतर्गत ग्रामीण और शहरी पृष्ठभूमि से आने वाले विद्यार्थियों को समान अवसर प्रदान किए जाते हैं। राजीव एकेडमी के छात्र-छात्राएं न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी उच्च पदों पर कार्यरत हैं। विद्यार्थी देश और विदेश की मल्टीनेशनल कम्पनियों में सेवाएं दे रहे हैं। राजीव एकेडमी की यह प्रतिबद्धता कि वह विद्यार्थियों को वैश्विक नागरिक बनाए, न केवल इस क्षेत्र में बल्कि पूरे प्रदेश में एक मिसाल बन रही है।

जीएलए बायोटेक्नोलॉजी का दवा और वैक्सीन विकास में नवाचार की ओर कदम.

-जीएलए बायोटेक्नोलॉजी विभाग में आयोजित हुआ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित “दवा एवं वैक्सीन विकास हेतु नवीनतम तकनीकें और आविष्कार“ विषय पर ऑनलाइन दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई। इस सम्मेलन का उद्देश्य दवा और वैक्सीन अनुसंधान में उभरती प्रवृत्तियों और नवाचारों की खोज के लिए वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और उद्योग विशेषज्ञों को एक साझा मंच प्रदान करना है।

सम्मेलन में प्रमुख विषयों में नवोन्मेषी ड्रग डिलीवरी सिस्टम, जैव-प्रौद्योगिकी में प्रगति, नैनोटेक्नोलॉजी और कंप्यूटेशनल टूल्स के माध्यम से दवा व वैक्सीन विकास को गति देने पर चर्चा की गई। कार्यक्रम ने अनुसंधान और उद्योग के बीच की दूरी को पाटने के लिए अंतरविषयक संवाद को प्रोत्साहित किया।

सम्मेलन में अमेरिका, जर्मनी और भारत से 6 ख्यातिप्राप्त कीनोट वक्ताओं ने विचार प्रस्तुत किए, जिनमें डा. भंवर पुनिया (नेब्रास्का विश्वविद्यालय, अमेरिका), डा. राजेंद्र गुप्ता (ड्रेसडेन तकनीकी विश्वविद्यालय, जर्मनी), डा. समीर तिवारी (जॉर्ज मेसन विश्वविद्यालय, अमेरिका), डा. श्वेता मिश्रा (इलिनॉय विश्वविद्यालय, शिकागो, अमेरिका), प्रो. वसीम ए. सिद्दीकी (अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, भारत) और डा. सौरिष राजिंदर कर्माकर (रिलायंस लाइफ साइंसेज़, नवी मुंबई) शामिल रहे।

सम्मेलन में कुल 58 वैज्ञानिक सारांश और 26 ई-पोस्टर प्रस्तुतियां की गईं। आयोजन समिति के डा. स्वरूप के. पांडेय, डा. अनुजा मिश्रा, डा. ज्योति गुप्ता, डा. सुखेन्द्र सिंह, डा. सौरभ गुप्ता एवं पीएचडी शोधार्थी समिक्षा अग्रवाल को आयोजन की सफलतापूर्वक सम्पन्नता हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि दवा और वैक्सीन विकास में नवीनतम तकनीकें और आविष्कार चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं। इन प्रगतियों ने बीमारियों के इलाज और रोकथाम के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। नई दवाओं के विकास में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सहयोग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उदाहरण के लिए भारत में विकसित की गई नई एंटीबायोटिक “नैफिथ्रोमाइसिन“ दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के इलाज में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। यह दवा वोकहार्ट कंपनी ने स्वदेश में विकसित की है, जिसमें बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बीआइआरएटी) का महत्वपूर्ण सहयोग रहा है।

बायोटेक्नोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने कहा कि वर्तमान में वैक्सीन विकास में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। वैक्सीनें देश की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं। उन्होंने बताया कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सहयोग दवा और वैक्सीन विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सहयोग नई दवाओं और वैक्सीनों के विकास को बढ़ावा देता है और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद करता है।

कुलसचिव अशोक कुमार सिंह तथा आयोजन समिति के डा. स्वरूप के. पांडेय ने कहा कि आधुनिक तकनीकों जैसे कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग दवा और वैक्सीन विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ये तकनीकें नई दवाओं और वैक्सीनों के विकास को तेज और अधिक प्रभावी बना रही हैं। निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सहयोग और आधुनिक तकनीकों का उपयोग नई दवाओं और वैक्सीनों के विकास को बढ़ावा दे रहा है और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद कर रहा है।

सम्मेलन को सफल बनाने में डीन आरएंडडी प्रो. कमल शर्मा का विशेष योगदान रहा। उन्होंने कहा कि यह आयोजन भविष्य के दवा और वैक्सीन अनुसंधान में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।

जीएलए के मैकेनिकल विभाग में तैयार हुआ आधुनिक क्लच बॉक्स, अब नहीं फंसेगा गियर

-जीएलए के प्रोफेसर, टेक्निकल मैनेजर और छात्र द्वारा तैयार सिंक्रोमेश कोन क्लच बॉक्स का पेटेंट ग्रांट
अभी तक गाड़ियों में क्लच बॉक्स और गियर कई कलपुर्जों से भरा हुआ है। जिसका मेंटेनेंस भी अधिक होता है और अक्सर गियर फंसने का भी डर वाहन चालक को बना रहता है। इसी समस्या के समाधान के लिए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर, टेक्निकल मैनेजर तथा छात्र ने आधुनिक कोन क्लच बॉक्स तैयार किया है। जिसका पेटेंट ग्रांट हो चुका है।

चार पहिया वाहन में उपयोग होने वाले ट्रांसमिशन सिस्टम जो कि गियर, हव स्लीव, सिंक्रोनाइजर रिंग, स्लेक्टर आदि कलपुर्जों से तैयार होकर काफी महंगा पड़ता था। इस प्रक्रिया को आसान बनाते हुए ‘सिंक्रोमेश क्लच बॉक्स‘ के अन्तर्गत प्रोफेसर एवं डीन रिसर्च डा. कमल शर्मा, टेक्निकल मैनेजर रितेश दीक्षित तथा छात्र उत्कर्ष गोयल ने कोन क्लच का आइडिया तैयार किया। इस आइडिया पर अविष्कार करते हुए जो पहले डिस्क क्लच का उपयोग होता था, उसकी जगह पर सिंक्रोमेश क्लच बॉक्स को बनाया गया और इस बॉक्स में अब कोन क्लच और गियर बॉक्स को एक साथ जोड़ दिया गया है।

टेक्निकल मैनेजर रितेश दीक्षित ने जानकारी देते हुए बताया कि अभी तक गाड़ियों में क्लच और गियर बॉक्स अलग होते हैं। क्लच इंजन को ट्रांसमिशन (गियर बॉक्स) से जोड़ता है और अलग करता है, जबकि गियर बॉक्स अलग-अलग गियर अनुपात प्रदान करके वाहन की गति और टॉर्क को नियंत्रित करता है। इसी पर अनुसंधान करते हुए देखा गया कि गियर बॉक्स और क्लच बॉक्स में काफी कलपुर्जे हैं, जिसे बनने में भी लागत अधिक आती है तथा वाहन स्वामी को मेंटेनेंस भी अधिक देना पड़ता है।

गियर बॉक्स और क्लच बॉक्स में से हव स्लिव, सिंक्रोनाइजर रिंग, डॉक क्लच, रोलर बैरिंग आदि पुर्जों को निकालकर एक कोन क्लच तैयार किया गया, जो कि सीधे हब स्लीव के बिना सीधे गियर के साथ मैच करके गियर लगाने का कार्य करेगा।

डीन रिसर्च प्रो. कमल शर्मा ने बताया कि सिंक्रोमेश क्लच बॉक्स बनाकर गाड़ी के ट्रांसमिशन सिस्टम से बहुत चीजें हटाने से गियर के काफी महंगे पार्टस कम हो गए और मेंटेनेंस ना के बराबर हो जायेगा। साथ ही गियर फंसने का भी झंझट खत्म हो जायेगा। प्रो. शर्मा ने बताया कि ऐसी आधुनिक शिक्षा से जोड़ने के लिए मैकेनिकल विभाग अपने छात्रों को आगे रखता है और इसका प्रतिफल भी सामने है कि एक बेहतर अविष्कार कर पेटेंट ग्रांट हुआ है।

विभागाध्यक्ष प्रो. पीयूष सिंघल ने बताया कि इस पेटेंट ग्रांट में प्रोफेसर, टेक्निकल मैनेजर और छात्र की भूमिका रही है। छात्र लगातार अनुसंधान से जुड़ रहे और नए अविष्कार की खोज में प्रोफेसरों के साथ जुटे हुए हैं। आगामी समय में जीएलए के छात्र भारत के विकास में अपना अह्म योगदान देंगे। क्योंकि छात्रों ने प्रोफेसरों के साथ कार्य कर कई रिसर्च पब्लिश तथा पेटेंट पब्लिश और ग्रांट कराये हैं।

शहीद चंद्रशेखर आज़ाद के जन्म दिवस पर पुष्पांजलि की गई अर्पित।

हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लकिन एसोसियेशन के कमांडर इन चीफ चंद्रशेखर आजाद का११९ वां जन्म दिवस अखिल भारतीय सांप्रदायिकता विरोधी समिति की मथुरा इकाई ने स्थानीय भगत सिंह पार्क में पुष्पांजलि और दीप दान कर मनाया।अमर शहीदों की जय जय कार इंकलाब ज़िंदाबाद कौमी एकता जिंदाबाद के नारो के साथ की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता कामरेड शिवदत्त चतुर्वेदी ने की एवं संचालन कार्यक्रम संयोजक वैद्य मनोज गौड़ ने किया।इस अवसर पर वक्ताओं ने आजाद की जीवनी और कृतित्व की विशद चर्चा करते हुए कहा कि समाजवादी जनवाद का शहीदों का सपना कौमी एकता के राज मार्ग पर चल कर ही पूरा होना सम्भव है ।
वक्ताओं ने अंग्रेजो की तर्ज पर हिन्दु पानी मुस्लिम पानी जैसी प्रथा के पुनर्जीवन के प्रयास की आलोचना की ।जिसका नमूूना कांवरियो संबंधी आदेश हैं। वक्ताओं ने अमर शहीद क्रांतिकारी शिरोमणि आजाद के जीवन संदेश से शिक्षा लेने पर जोर दिया। उपस्थित जनों में सीपीआई के गफ्फार अब्बास एडवोकेट, कीर्ति कुमार कौशिक, पूर्व महानगर अध्यक्ष विक्रम वाल्मीकि,वरिष्ठ कांग्रेसी आशीष चतुर्वेदी, भारत सेठ,आम आदमी पार्टी के रवि प्रकाश भारद्वाज, प्रवीण भास्कर एडवोकेट,पूरन सिंह, अनवार फाऱुकी, मुस्लिम कुरेशी, इंद्रजीत गौतम, सुरेश शर्मा, शेर मोहम्मद, गौस मोहम्मद,आदि ने पुष्पांजलि अर्पित कर विचार व्यक्त किये।