Tuesday, August 5, 2025
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वृक्षः कबहु फल न भकै नदी न सींचै नीर

 मथुरा। पुरानी कहावत है कि "वृक्ष कबहु फल न भकै नदी न सींचै नीर परमारथ के काज ही साधुल धरौ शरीर" हम मनुष्य अपने फल और जल रूपी धन का उपयोग तो करते ही हैं किंतु दूसरे के धन को भी भसकने में पीछे नहीं रहते। जो इंसान दूसरों के हक को मारते हैं, वे इंसान के रूप में शैतान हैं। ऐसे लोग भले ही आज खुश होलें किंतु आगे इन्हें अपनी करनी का फल किस रूप में भुगतना पड़ेगा क्या उनकी गति होगी और क्या-क्या दुर्गति होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर हम इंसान वृक्ष और नदी के स्वभाव का आंशिक असर भी अपने जीवन में उतार लें यानी अपनी धन संपदा को अपने लिए केवल आवश्यकतानुसार उपयोग में लाऐं और बाकी को परमार्थ में लगा दें तो चौरासी लाख योनियों के बाद मिला यह जीवन सार्थक हो जाय।
 परमार्थ का भी एक नशा होता है। यदि यह नशा चरम पर पहुंच जाए तो स्वयं को बर्बाद कर औरों को आबाद करने जैसी नौबत आ जाती है।जिसको यह चस्का लग गया फिर तो वह न आगा देखता है और न पीछा। बस एक ही धुन सवार हो जाती है कि कैसे दूसरों का दुख दर्द बांटू। वह तो बस उसी पिन्नक में जीता है।
 कोई माने या ना माने लेकिन यह अकाट्य सत्य है कि घर फूंक तमाशा देखने वाली बिरादरी के ऐसे लोगों का आगा और पीछा सब कुछ दैवीय शक्तियां देखती हैं। वे उसके लिए कहीं कोई बड़ी परेशानी नहीं आने देतीं। सब कुछ ऑटोमेटिक रूप से यानी स्वतः ही संचालित होता है। यह सब जो मैं लिख रहा हूं वह कोरी गप शप नहीं बल्कि कसौटी पर परखा हुआ यथार्थ है। अगर अपनी जिंदगी की बगिया महकवानी है तो वृक्ष और नदी बन जाओ और फिर ऐसे सुख के सागर में गोते लगाओ जिसका न कोई ओर है न छोर।

वृंदावन पब्लिक स्कूल के छात्रों ने जिला स्तरीय जूडो प्रतियोगिता में जीते 3 गोल्ड, 3 सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज मेडल, लहराया परचम

वृंदावन। गणेशरा स्पोर्ट्स स्टेडियम में आयोजित जिला स्तरीय जूडो प्रतियोगिता में वृंदावन पब्लिक स्कूल के आठ छात्रों ने भाग लेकर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इस प्रतियोगिता का आयोजन जिला खेल कार्यालय द्वारा किया गया। जिसमें विभिन्न स्कूलों के खिलाड़ियों ने भाग लिया। विद्यालय के छात्रों में रितिक राठौर, कुश शर्मा, अर्पित ने गोल्ड मेडल, वेदांत शर्मा, राघव, रवि अहिरवार ने सिल्वर तथा यथार्थ गोस्वामी तथा देवांश निषाद ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर विद्यालय का नाम रोशन किया। जिसका विद्यालय की खेल उपलब्धियों में एक नया नाम जुड़ गया। विद्यालय के प्रबंधक डॉ ओम जी ने इस उपलब्धि पर छात्रों और उनकी कोच शिवानी वर्मा को हार्दिक बधाई दी व विद्यार्थियों की मेहनत अनुशासन और समर्पण की सराहना करते हुए उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।

प्रचेता गोस्वामी प्रधानमंत्री, विधि राजावत न्यायाधीश और कविता बनी नेता विपक्ष

-हनुमान प्रसाद धानुका नुका सरस्वती बालिका विद्या मंदिर में संपन्न हुए छात्र संसद चुनाव 2025 26

-श्रेया संसद प्रमुख और वंशिका बनी अनुशासन प्रमुख

वृंदावन। हनुमान प्रसाद धानुका सरस्वती बालिका विद्या मंदिर में सत्र 2025-26 के छात्रा संसद के चुनाव लोकतांत्रिक विधि से संपन्न हुए। यह चुनाव प्रक्रिया दो चरणों में संपन्न कराई गई। जिसमें छात्राओं ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग द्वारा संसद प्रमुख प्रधानमंत्री, न्यायाधीश व अनुशासन प्रमुख पद हेतु खड़े उम्मीदवारों को अपना अमूल्य मत देकर मतदान प्रक्रिया संपन्न की। प्रथम चरण के चुनाव में कक्षा 6 से 12वीं तक की छात्राओं ने कक्षा स्तर पर सांसद के रूप में अपना नामांकन भरा, जिसमें से कक्षा 6 से 12वीं तक तीन-तीन प्रतिनिधि छात्रा निर्वाचित हुई व एक छात्रा को कक्षा आचार्य द्वारा मनोनीत किया गया। निर्वाचित सदस्यों ने उपरोक्त पदों की उम्मीदवारों में से योग्य पदाधिकारी का चुनाव विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से उनकी तार्किक क्षमता, बुद्धिमता आदि से संबंधित प्रत्यक्ष प्रश्न पूछ कर वह उनकी समस्याओं को हल करने के तरीके व कार्य नीति के बारे में जानकर ही अपना वोट दिया व विजयी बनाया।
संसद प्रमुख पद पर श्रेया को 66 वोट अनुशासन प्रमुख वंशिका को 121 वोट प्रधानमंत्री प्रचेता गोस्वामी 112 वोट न्यायाधीश के पद पर विधि राजावत 151 वोट के साथ विजयी रही। कविता गौतम को नेता विपक्ष चुना गया। विभिन्न पदाधिकारी ने अपने विद्यालय शिक्षा प्रशासन के सुव्यवस्थित कार्यान्वयन हेतु प्रतिज्ञा ली। छात्रा संसद विभाग प्रमुख नीलम शर्मा, मुरारी लाल शर्मा ने इस प्रक्रिया को संपन्न कराने में अपना योगदान दिया। विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ अंजू सूद ने विजयी पदाधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि सत्य निष्ठा ईमानदारी व कुशल नेतृत्व के साथ अपने पद पर रहकर विद्यालय व छात्राओं के हित में कार्य करें।
इस अवसर पर पद्मनाभ गोस्वामी, रेखा माहेश्वरी, विश्वनाथ गुप्ता ,कमल खंडेलवाल, उमेश शर्मा, भरत शर्मा आदि ने विजयी छात्राओं को हार्दिक शुभकामनाएं दी।

डॉ सचिन गुप्ता

विद्यार्थियों के बेहतर भविष्य और व्यक्तित्व के निर्माण में जुटा संस्कृति विवि

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा दी जा रही संस्कारयुक्त, विश्वस्तरीय शिक्षा विद्यार्थियों के आत्मविश्वास को अंतरराष्ट्रीय मंच पर चुनौतियों का सामना का साहस प्रदान करती है। विश्वविद्यालय के पाठ्यक्र और विभिन्न एमओयू ने छात्रों को सफलता के उच्च पायदानों पर पहुंचने में मदद की है।
विवि के कुलाधिपति डा सचिन गुप्ता बताते हैं, संस्कृति विश्वविद्यालय उन कुछ विश्वविद्यालयों में से एक है, जिन्हें राज्य सरकार से 1 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित करने की मंजूरी मिली है। संस्कृति विश्वविद्यालय ने बौद्धिक पूंजी संरक्षण के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करने के साथ अपनी अलग पहचान बनाई है, जिसे अत्यधिक योग्य, अनुभवी, भावुक, गतिशील वातावरण के प्रति भविष्यवादी दृष्टिकोण के रूप में वर्णित किया जा सकता है।
विवि शिक्षकों द्वारा विद्वान कुलपति के निर्देशन में छात्रों को सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ाने के लिए अपनी योग्यता, विशेषज्ञता और अनुभव का सर्वश्रेष्ठ दिया है और दे रहे हैं। विश्वविद्यालय की सोच है कि विद्यार्थियों को मूल्य-आधारित शिक्षा दी जाए। विवि अपनी इसी सोच के साथ विश्व के गिने-चुने शिक्षण संस्थानों के मध्य अपना नाम दर्ज करना चाहता है। विवि के अत्याधुनिक कैरिकुलम के अंतर्गत छात्र विभिन्न प्रकार के परंपरागत और इंडस्ट्रीज की मांग के अनुसार तैयार नवीनतम पाठ्यक्रमों में से अपनी रुचि के अनुरूप चुनाव कर सकते हैं, चाहे वह प्रबंधन, वाणिज्य, इंजीनियरिंग, शिक्षा, विज्ञान, भारतीय चिकित्सा, पैरा-मेडिकल, कृषि या कला आदि हो।
संस्कृति विश्वविद्यालय को शिक्षा, शोध और संस्कृति के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए प्रशंसा पत्र और कई पुरस्कार मिल चुके हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, बौद्धिक संपदा भारत द्वारा सबसे अधिक पेटेंट आवेदनों के साथ विश्वविद्यालय भारत में सातवें स्थान पर है। इसने नवाचार उपलब्धियों पर संस्थानों की अटल रैंकिंग (एआरआईआईए), 2021 में राष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष 30 ‘बैंड संस्थानों’ की सूची में स्थान प्राप्त किया। विश्वविद्यालय को एसोचैम द्वारा वर्ष के उभरते विश्वविद्यालय का पुरस्कार भी मिला है।
इसकी छात्र विविधता के लिए सराहना की गई है और इसे हिंदुस्तान शिक्षा शिखर सम्मान द्वारा बुनियादी ढांचे और अनुसंधान में सर्वश्रेष्ठ युवा विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता दी गई है। हाल ही में, चांसलर सचिन गुप्ता को उभरते और शोध विश्वविद्यालय के रूप में शैक्षिक उत्कृष्टता और बुनियादी ढाँचा सुविधाओं के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया से पुरस्कार मिला। संस्कृति विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक ज्ञान और कौशल से सामंजस्य बिठाने के लिए दुनिया भर के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, यूएसए, ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय प्रबंधन और प्रौद्योगिकी संस्थान, ऑस्ट्रेलिया, यूनिवर्सिडैड विला मारिया, अर्जेंटीना, काकेशस अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, जॉर्जिया, फ्रेडेरिक्टन विश्वविद्यालय, कनाडा और कई अन्य के साथ हाथ मिलाया (एमओयू) है। विश्वविद्यालय में अन्य सार्क देशों के छात्र भी हैं। छात्र और संकाय विनिमय कार्यक्रमों के लिए विश्विद्यालय ने 25 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय देशों के साथ गठजोड़ किया है।
संस्कृति विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक मानक अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र (नवाचार, इनक्यूबेशन, बौद्धिक संपदा अधिकार, उद्यमिता, जिसे आईआईआईइ प्रणाली के रूप में जाना जाता है, अपनाई है।
संस्कृति विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट सेल की ट्रेनिंग कोर के प्रयासों के परिणामस्वरूप विवि के विद्यार्थी ख्यातिप्रात कंपनियों में प्लेसमेंट हासिल कर रहे हैं। इतना ही नहीं विद्यार्थियों के स्वास्थ्य और मनोरंजन का भी विश्वविद्यालय द्वारा विशेष ध्यान रखा जाता है। विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए मैदान, शारीरिक सौष्ठव के लिए अत्याधुनिक जिम है। विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों के मनोरंजन के लिए अनेक कार्यक्रम जिनमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकार और खिलाड़ी आते हैं और अपनी प्रस्तुति देते हैं।

के.डी. हॉस्पिटल के चिकित्सक बुलबुल के लिए बने भगवानभोजन करने में असमर्थ किशोरी की सर्जरी कर आहार नली बनाई

के.डी. हॉस्पिटल के चिकित्सक बुलबुल के लिए बने भगवान
भोजन करने में असमर्थ किशोरी की सर्जरी कर आहार नली बनाई
डॉ. मुकुंद मूंदड़ा और उनकी टीम को सर्जरी में लगे लगभग छह घंटे
मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के विशेषज्ञ गैस्ट्रो सर्जन डॉ. मुकुंद मूंदड़ा बरसाना, मथुरा निवासी किशोरी बुलबुल के लिए भगवान साबित हुए। चिकित्सकों ने लगभग एक साल से भोजन ग्रहण करने में असमर्थ बुलबुल को सर्जरी के माध्यम से नई आहार नली बनाकर नया जीवन दिया है। अब बुलबुल न केवल पूरी तरह से स्वस्थ है बल्कि वह सामान्य तरीके से भोजन करने लगी है तथा उसका वजन भी बढ़ गया है।
जानकारी के अनुसार लगभग एक साल पहले बरसाना, जिला मथुरा निवासी बुलबुल (17 साल) पुत्री स्वर्गीय जगदीश के पेट में एसिड चले जाने से उसकी आहार नली सिकुड़ गई थी तथा वह मुंह से कुछ भी खाने-पीने में असमर्थ हो गई। वह जो भी खाती उल्टी हो जाती। बुलबुल की परेशानी को देखते हुए परिजन उसे के.डी. हॉस्पिटल लाए और गैस्ट्रो सर्जन डॉ. मुकुंद मूंदड़ा से मिले। डॉ. मूंदड़ा ने उसका रंगीन एक्सरे तथा एंडोस्कोपी कराई, जिससे पता चला कि एसिड की वजह से उसकी आहार नली सिकुड़ गई है। एंडोस्कोपी करने के बाद भी उसकी भोजन नली में आई रुकावट दूर नहीं हो पाई।
अंततः डॉ. मूंदड़ा ने परिजनों को सर्जरी की सलाह दी। परिजनों की स्वीकृति के बाद 17 जून को डॉ. मूंदड़ा और उनकी टीम द्वारा किशोरी की बड़ी आंत के एक हिस्से से नई आहार नली (इसोफेगस) बनाने का निर्णय लिया। डॉ. मूंदड़ा का कहना है कि कोलोनिक पुल-अप नामक इस सर्जरी की प्रक्रिया में आंत का हिस्सा पेट से होते हुए छाती के रास्ते गले तक खींचा गया। जोखिम भरी इस सर्जरी में लगभग छह घंटे का समय लगा। सर्जरी पूरी तरह सफल रही। डॉ. मूंदड़ा ने बताया कि इस सर्जरी की सबसे बड़ी चुनौती आहार नली के पास स्थित वायस बाक्स को सुरक्षित रखना था। थोड़ी सी भी चूक से किशोरी की हमेशा के लिए आवाज जा सकती थी। इस मुश्किल सर्जरी में डॉ. मुकुंद मूंदड़ा का सहयोग डॉ. यतीश, डॉ. अपूर्वा, डॉ. दिव्या, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. मंजू सक्सेना तथा टेक्नीशियन शिवम ने किया।
17 जून को सर्जरी के बाद किशोरी को सीसीयू में रखा गया। जनरल वार्ड में शिफ्ट करने के बाद बुलबुल ने सातवें दिन से मुंह से भोजन करना शुरू कर दिया। पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद उसे 10 जुलाई को छुट्टी दे दी गई। यद्यपि यह सर्जरी जून माह में हुई लेकिन चिकित्सक नियमित तौर पर फोन और फालोअप के लिए बुलाकर उसके स्वास्थ्य की निगरानी करते रहे। डॉ. मूंदड़ा के अनुसार सामान्य तरीके से भोजन करने से अब मरीज का वजन भी बढ़ गया है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन श्री मनोज अग्रवाल, डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, चिकित्सा निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार ने बड़ी और सफल सर्जरी के लिए डॉ. मूंदड़ा और उनकी टीम को बधाई देते हुए किशोरी बुलबुल के स्वस्थ, सुखद जीवन की कामना की है।
चित्र कैप्शनः बुलबुल और उसकी सर्जरी करने वाली के.डी. हॉस्पिटल के चिकित्सकों की टीम।

संस्कृति विवि में चातुर्मास व्रत व्यास पूजा के दौरान जगद्गुरु शंकराचार्य अनन्तश्री स्वामी अमृतानंद देवतीर्थ महास्वामी पौधे का रोपण करते हुए, साथ में हैं संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता।

संस्कृति विवि में शुरू हुई जगद्गुरु शंकराचार्य की चातुर्मास व्रत व्यास पूजा
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में जगद्गुरु शंकराचार्य का चातुर्मास व्रत व्यास पूजा और संकल्प के साथ शुरू हुआ। यह व्रत सात सितंबर तक चलेगा। संस्कृति विश्वविद्यालय के सुसज्जित परिसर में जगद्गुरु शंकराचार्य अनन्तश्री स्वामी अमृतानंद देवतीर्थ महास्वामी सनातन धर्म की गौरवमयी परंपरा के अनुसार पिछले 23 वर्षों से प्रतिवर्ष इस व्रत का पालन करते आ रहे हैं। व्रत के शुभारंभ पर जगदगुरु शंकराचार्य द्वारा विवि के परिसर में पौधारोपण किया गया। यह आयोजन भक्ति, साधना, पर्यावरण संरक्षण, और शिक्षा का एक अनुपम संगम है, जिसमें नित्य नक्षत्र वृक्ष रोपण और प्रति सप्ताह एक हरिशंकरी वृक्ष का रोपण होगा।
बताते चलें कि सनातन धर्म में चातुर्मास (आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक) एक पवित्र अवधि है, जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन रहते हैं और भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं। श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा इस व्रत के लिए विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। यह समय तप, साधना, भक्ति, और आत्मिक शुद्धि के लिए समर्पित है। भक्तों को कीर्तन, भागवत कथा, तुलसी पूजन और नक्षत्र वृक्ष रोपण जैसे अनुष्ठानों में भाग लेकर आध्यात्मिक उन्नति का अवसर प्राप्त होता है।
संस्कृति यूनिवर्सिटी का परिसर, जो इस चातुर्मास व्रत को और अधिक भव्य बनाएगा। इस दौरान होने वाले कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में भक्तजन भाग ले रहे हैं। इस दौरान भगवान शिव की विशेष पूजा और अभिषेक, जो आत्मिक शांति प्रदान करने वाला रुद्राभिषेक, सनातन धर्म की गहराईयों को उजागर करने वाले नियमित धार्मिक अनुष्ठान, भक्ति भजन और कीर्तन, संकल्प, प्रतिदिन एक नक्षत्र वृक्ष का रोपण, जो वैदिक परंपरा के अनुसार पर्यावरण संरक्षण और नक्षत्र दोष निवारण में सहायक है, प्रति सप्ताह एक हरिशंकरी वृक्ष (पीपल, बरगद, और आँवला का संयुक्त रूप) का रोपण, जो भगवान शिव और विष्णु की कृपा का प्रतीक है, किया जाएगा। यह आयोजन भक्तों को आत्मिक शांति, सनातन धर्म के प्रति गहन समर्पण, और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता का अवसर प्रदान कर रहा है।
संस्कृति यूनिवर्सिटी: शिक्षा और संस्कृति का तीर्थ
संस्कृति यूनिवर्सिटी भारत के अग्रणी निजी विश्वविद्यालयों में से एक है, जो शैक्षिक उत्कृष्टता और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतीक है। यह विश्वविद्यालय स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा, एकीकृत, और डॉक्टरेट स्तर के विविध पाठ्यक्रम प्रदान करता है। अपनी उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और उद्योग-आधारित शिक्षण अनुभवों के लिए विख्यात, यह उत्तर प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ निजी विश्वविद्यालयों में शुमार है। संस्कृति यूनिवर्सिटी न केवल शैक्षिक उत्कृष्टता का केंद्र है, बल्कि सनातन सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षक भी है, जो इस चातुर्मास आयोजन के माध्यम से और अधिक उजागर हो रहा है।

आर्यन माथुर और स्तुति द्विवेदी को मिली आरआईएस की कप्तानीचयनित सभी पदाधिकारियों ने ली पद और कर्तव्य-निष्ठा की शपथ


मथुरा। राजीव इंटरनेशनल स्कूल में मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बीच बुधवार को विद्यार्थी परिषद का गठन किया गया। आर्यन माथुर तथा स्तुति द्विवेदी छात्र-छात्रा वर्ग के कप्तान बने। विद्यार्थी परिषद के गठन कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट कर्नल कुलभूषण कक्कड़ और प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने माँ सरस्वती पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर किया।
विद्यार्थी परिषद के गठन से पूर्व छात्र-छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया, उसके बाद शानदार नृत्य प्रस्तुति से सभी का दिल जीत लिया। विद्यार्थी परिषद के चुनावों में कई राउंड पार करने के बाद आर्यन माथुर ने हेड बॉय एवं स्तुति द्विवेदी ने हेड गर्ल का पद अपने नाम किया। इसी तरह अथर्व शर्मा एवं अशिता बंसल को क्रमशः वाइस हेड बॉय एवं वाइस हेड गर्ल की पदवी मिली। इसी तरह अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी छात्र-छात्राओं की नियुक्ति की गई।
रुद्र आरोहण एवं वान्या अग्रवाल को जूनियर वर्ग का हेड बॉय एवं हेड गर्ल चुना गया वहीं राघव शर्मा एवं लावण्या खंडेलवाल को क्रमशः वाइस हेड बॉय एवं वाइस हेड गर्ल चुना गया। सीनियर वर्ग में आशु चौधरी तथा जूनियर वर्ग में जानवी चौधरी को स्पोर्ट कैप्टन की पदवी दी गई। सीनियर वर्ग में माही अग्रवाल एवं जूनियर वर्ग में आस्था जैन को सांस्कृतिक विभाग का हेड बनाया गया। इसके साथ ही आयुष गौतम, अनंत अग्रवाल, यश उपाध्याय एवं जिया को गाँधी, नेहरू, शास्त्री एवं सुभाष हाउस का कैप्टन चुना गया।
विद्यार्थी परिषद के गठन के बाद मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट कर्नल कुलभूषण कक्कड़ और प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने जहां सभी नव निर्वाचित कप्तानों को बैज प्रदान कर एवं पटका पहनाकर पद एवं कर्तव्यनिष्ठा की शपथ दिलाई वहीं शिक्षक मनोज शर्मा ने सभी नवनिर्वाचित सदस्यों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर पर वर्षभर की गतिविधियों से परिपूर्ण स्कूल की पत्रिका का विमोचन किया गया।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने सभी चयनित छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह के पदों से जिम्मेदारी का अहसास होता है जोकि उनके भावी जीवन में निखार एवं स्थिरता लाता है। स्कूल के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने सभी सदनों के पदाधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल का उद्देश्य शिक्षा के साथ ही प्रत्येक विद्यार्थी के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास करना है। हर पद का अपना महत्व है, इस बात को हमेशा ध्यान में रखा जाना जरूरी है। श्री अग्रवाल ने कहा कि विद्यालय की व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए विद्यार्थी परिषद की महती आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कोई भी पद हो वह विद्यार्थी को कर्तव्य-निष्ठा का बोध कराता है तथा उनमें नेतृत्व क्षमता का विकास होता है।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर विद्यालय की प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट कर्नल कुलभूषण कक्कड़ को स्मृति चिह्न प्रदान कर उनका आभार माना। कार्यक्रम का संचालन प्रियांशी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के स्पोर्ट्स टीचरों लोकपाल सिंह राणा, निशांत शर्मा, राहुल चौधरी, वोमेश यादव, लक्ष्मीकांत का विशेष योगदान रहा।
चित्र कैप्शनः विद्यार्थी परिषद के गठन के बाद पदवी हासिल छात्र-छात्राएं मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट कर्नल कुलभूषण कक्कड़ और प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान के साथ।

जॉब सर्च में एआई की उपयोगिता से रूबरू हुए राजीव एकेडमी के एमसीए विद्यार्थीजॉब मार्केट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक मजबूत सहयोगीः दिव्यांक चौहान


मथुरा। एआई-आधारित टूल्स आज की कॉर्पोरेट दुनिया में आवश्यक हो गए हैं। ये टूल्स न केवल जॉब सीकर्स को उनके प्रोफाइल के अनुसार उपयुक्त नौकरियां खोजने में मदद करते हैं बल्कि साक्षात्कार की तैयारी के लिए मॉक इंटरव्यू, बॉडी लैंग्वेज विश्लेषण और परफॉर्मेंस पर फीडबैक भी देते हैं। एआई आज की जॉब मार्केट में एक मजबूत सहयोगी के रूप में कार्य कर रहा है जो कैंडिडेट की सफलता की सम्भावना को कई गुना बढ़ा सकता है। यह बातें राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट मथुरा द्वारा “जॉब सर्च में एआई का उपयोग” विषय पर आयोजित वर्कशॉप में प्रसिद्ध तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान डुकैट (नोएडा) के दिव्यांक चौहान (एआई ट्रेनर एवं विशेषज्ञ, प्रमाणित तकनीकी प्रशिक्षक) ने एमसीए के छात्र-छात्राओं को बताईं।
श्री चौहान ने छात्र-छात्राओं को बताया कि कैसे एआई का उपयोग जॉब प्रोफाइल को बेहतर मैच करने, रेज़्यूम बिल्डिंग, कवर लेटर जनरेशन, इंटरव्यू तैयारी और जॉब ट्रैकिंग जैसे क्षेत्रों में किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एआई जॉब एप्लिकेशन ट्रैकिंग और मैनेजमेंट को आसान बनाता है। यह न केवल एप्लिकेशन प्रक्रिया को ऑटोमेट करता है बल्कि जॉब अलर्ट्स मैनेज करने, इंटरव्यू प्रश्नों को समझने और बेहतर कंटेंट जनरेशन में भी सहायक सिद्ध हो रहा है। संस्थान के ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट प्रमुख डॉ. विकास जैन ने बताया कि यह वर्कशॉप विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में एआई जैसे नवीनतम तकनीकी टूल्स से लैस होना ही एक कुशल प्रोफेशनल के लिए बहुत जरूरी है। डॉ. जैन ने कहा कि यह वर्कशॉप विद्यार्थियों की तकनीकी समझ को बढ़ाने में सहायक रही।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने वर्कशॉप को उपयोगी बताते हुए कहा कि एआई आज की आवश्यकताओं में शामिल है। डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने कहा कि आज के छात्र-छात्राओं का कौशल भविष्य की जरूरतों के अनुरूप विकसित किया जाना जरूरी है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को जिस प्रकार की प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है, उसमें केवल डिग्री पर्याप्त नहीं है। उन्हें तकनीकी दक्षता, त्वरित निर्णय क्षमता और एआई जैसे उन्नत टूल्स की जानकारी होना आवश्यक है।
संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने कहा कि राजीव एकेडमी का सदैव यह प्रयास रहता है कि यहां अध्ययन करने वाले विद्यार्थी सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित न रहें बल्कि उन्हें व्यावसायिक और तकनीकी रूप से भी सशक्त किया जाए। एआई आधारित यह वर्कशॉप उसी दिशा में एक पहल है। उन्होंने कहा कि भविष्य की इंडस्ट्री में टिके रहने के लिए इस प्रकार की स्किल्स अब विकल्प नहीं बल्कि अनिवार्यता है। डॉ. भदौरिया ने कहा कि यह वर्कशॉप विद्यार्थियों के आत्मविकास और डिजिटल दक्षता को बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगी।
चित्र कैप्शनः एमसीए के छात्र-छात्राओं को जॉब सर्च में एआई की उपयोगिता बताते प्रशिक्षक दिव्यांक चौहान।

जीएलए बायोटेक्नोलॉजी का दवा और वैक्सीन विकास में नवाचार की ओर कदम-जीएलए बायोटेक्नोलॉजी विभाग में आयोजित हुआ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन


जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित “दवा एवं वैक्सीन विकास हेतु नवीनतम तकनीकें और आविष्कार“ विषय पर ऑनलाइन दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई। इस सम्मेलन का उद्देश्य दवा और वैक्सीन अनुसंधान में उभरती प्रवृत्तियों और नवाचारों की खोज के लिए वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और उद्योग विशेषज्ञों को एक साझा मंच प्रदान करना है।

सम्मेलन में प्रमुख विषयों में नवोन्मेषी ड्रग डिलीवरी सिस्टम, जैव-प्रौद्योगिकी में प्रगति, नैनोटेक्नोलॉजी और कंप्यूटेशनल टूल्स के माध्यम से दवा व वैक्सीन विकास को गति देने पर चर्चा की गई। कार्यक्रम ने अनुसंधान और उद्योग के बीच की दूरी को पाटने के लिए अंतरविषयक संवाद को प्रोत्साहित किया।

सम्मेलन में अमेरिका, जर्मनी और भारत से 6 ख्यातिप्राप्त कीनोट वक्ताओं ने विचार प्रस्तुत किए, जिनमें डा. भंवर पुनिया (नेब्रास्का विश्वविद्यालय, अमेरिका), डा. राजेंद्र गुप्ता (ड्रेसडेन तकनीकी विश्वविद्यालय, जर्मनी), डा. समीर तिवारी (जॉर्ज मेसन विश्वविद्यालय, अमेरिका), डा. श्वेता मिश्रा (इलिनॉय विश्वविद्यालय, शिकागो, अमेरिका), प्रो. वसीम ए. सिद्दीकी (अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, भारत) और डा. सौरिष राजिंदर कर्माकर (रिलायंस लाइफ साइंसेज़, नवी मुंबई) शामिल रहे।

सम्मेलन में कुल 58 वैज्ञानिक सारांश और 26 ई-पोस्टर प्रस्तुतियां की गईं। आयोजन समिति के डा. स्वरूप के. पांडेय, डा. अनुजा मिश्रा, डा. ज्योति गुप्ता, डा. सुखेन्द्र सिंह, डा. सौरभ गुप्ता एवं पीएचडी शोधार्थी समिक्षा अग्रवाल को आयोजन की सफलतापूर्वक सम्पन्नता हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि दवा और वैक्सीन विकास में नवीनतम तकनीकें और आविष्कार चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं। इन प्रगतियों ने बीमारियों के इलाज और रोकथाम के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। नई दवाओं के विकास में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सहयोग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उदाहरण के लिए भारत में विकसित की गई नई एंटीबायोटिक “नैफिथ्रोमाइसिन“ दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के इलाज में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। यह दवा वोकहार्ट कंपनी ने स्वदेश में विकसित की है, जिसमें बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बीआइआरएटी) का महत्वपूर्ण सहयोग रहा है।

बायोटेक्नोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने कहा कि वर्तमान में वैक्सीन विकास में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। वैक्सीनें देश की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं। उन्होंने बताया कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सहयोग दवा और वैक्सीन विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सहयोग नई दवाओं और वैक्सीनों के विकास को बढ़ावा देता है और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद करता है।

कुलसचिव अशोक कुमार सिंह तथा आयोजन समिति के डा. स्वरूप के. पांडेय ने कहा कि आधुनिक तकनीकों जैसे कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग दवा और वैक्सीन विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ये तकनीकें नई दवाओं और वैक्सीनों के विकास को तेज और अधिक प्रभावी बना रही हैं। निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सहयोग और आधुनिक तकनीकों का उपयोग नई दवाओं और वैक्सीनों के विकास को बढ़ावा दे रहा है और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद कर रहा है।

सम्मेलन को सफल बनाने में डीन आरएंडडी प्रो. कमल शर्मा का विशेष योगदान रहा। उन्होंने कहा कि यह आयोजन भविष्य के दवा और वैक्सीन अनुसंधान में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।

आरआईएस के छात्र-छात्राओं के मॉडलों में दिखी विश्व धरोहर की झलकसामाजिक विज्ञान और कम्प्यूटर प्रदर्शनी में दिखाया बौद्धिक कौशल


मथुरा। छात्र-छात्राओं की बौद्धिक क्षमता और कौशल मूल्यांकन के लिए राजीव इंटरनेशनल स्कूल में सोमवार को सामाजिक विज्ञान और कम्प्यूटर प्रदर्शनी आयोजित की गई। इस प्रदर्शनी में छात्र-छात्राओं ने एक से बढ़कर एक मॉडल प्रदर्शित कर अपनी मेधा का परिचय दिया। इतना ही नहीं छात्र-छात्राओं ने निर्णायकों को अपने-अपने मॉडलों की जानकारी भी दी। इस प्रदर्शनी की थीम विश्व धरोहर की झांकी रही।
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने बताया कि छात्र-छात्राओं के बौद्धिक क्षमता के मूल्यांकन के लिए राजीव इंटरनेशनल स्कूल में सामाजिक विज्ञान और कम्प्यूटर पर प्रदर्शनी लगाई गई। विश्व धरोहर की झांकी थीम पर आयोजित प्रदर्शनी में छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर प्रतिभागिता की। प्रदर्शनी में विद्यार्थियों ने विश्व प्रसिद्ध स्मारक मोआई स्टैचू, स्टोनहैंज, अंगोर वट, एफिल टॉवर, क्रिस्टो रिडेंटर, ग्रैंड कैनियन, ग्रेट बैरियर रीफ, कोलोजियम हार्बर एट रियोडे जानेरो, ग्रेट वाल ऑफ चाइना, ताजमहल, माचू पिचो, पेट्रा, क्राइस्ट द रिडीमर, ग्रेट पिरामिड ऑफ गीजा, टेम्पल ऑफ आरथेमिस, स्टेचू ऑफ ज्यूस, लाइट हाउस, सौरमंडल, तारामंडल आदि पर अपने-अपने मॉडल प्रस्तुत किए।
प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने बताया कि कम्प्यूटर प्रदर्शनी के दौरान छात्र-छात्राओं ने हार्डवेयर का उपयोग करना सिखाया। इतना ही नहीं उन्होंने सॉफ्टवेयर के माध्यम से स्टोरी एवं गेम बनाकर भी दिखाए। इस प्रदर्शनी को सफल बनाने में सामाजिक विज्ञान तथा कम्प्यूटर के शिक्षकों की अहम भूमिका रही। छात्र-छात्राओं की इस प्रदर्शनी का निर्णायकों प्रो. (डॉ.) सुषमा, डॉ. लारा जैन, प्रो. मोहम्मद जाहिद, असिस्टेंट प्रोफेसर दीपक चौधरी ने अवलोकन करने के बाद प्रस्तुत मॉडलों की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। निर्णायकों ने विद्यार्थियों के प्रयासों को सराहते हुए कहा कि आपने अपना शत-प्रतिशत ज्ञान और कौशल दिखाया यही सबसे बड़ी उपलब्धि है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा कि बचपन से ही छात्र-छात्राओं में रचनात्मकता, समस्या-समाधान, सहयोग और लचीलेपन को महत्व देने वाली मानसिकता विकसित किया जाना जरूरी है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि प्रत्येक बच्चे को अपने राष्ट्रीय धरोहरों की जानकारी होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी चुनौतियों और अवसरों से भरी है, ऐसे में छात्र-छात्राओं की स्किल मजबूत करते हुए उनमंि नवाचार के बीज प्रस्फुटित किया जाना बहुत जरूरी है।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने प्रदर्शनी में मॉडल प्रस्तुत करने वाले सभी छात्र-छात्राओं की प्रशंसा की। श्री अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि वे अपने बेहतरीन प्रयास जारी रखें। उन्होंने कहा कि प्रत्येक बच्चे में विकास की मानसिकता होती है, जरूरत उसे समय से पहचान कर प्रोत्साहित किया जाना है। अंत में प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना।
चित्र कैप्शनः छात्र-छात्राओं के प्रदर्शित मॉडलों का मूल्यांकन करते निर्णायक।