Tuesday, August 26, 2025
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रक्तदान दूसरों के जीवन के लिए अह्म : विवेक

  • पाराशर फिजियोथेरेपी में आयोजित रक्तदान शिविर का जीएलए के सीएफओ ने किया शुभारंभ

रक्तदान अनमोल है, जिसमें हम ऐसे जरुरतमंद लोगों की मदद करते हैं, जिनको हम जानते तक नहीं। इसी कार्य को साक्षात् परोपकार कहा जाता है।

यह बातें रक्तदाताओं को प्रेरित करते हुए द्वारिकापुरी स्थित पाराशर फिजियोथेरेपी क्लिनिक पर आयोजित रक्तदान शिविर के अवसर पर मुख्य अतिथि जीएलए विश्वविद्यालय के चीफ फाइनेंस ऑफीसर विवेक अग्रवाल ने कहीं। उन्होंने कहा कि सद्भावना ब्लड बैंक के सहयोग से आयोजित यह रक्तदान शिविर वाकई दूसरों के जीवन के लिए अह्म साबित होगा। क्योंकि ऐसे अवसर पर ऐसे जरुरतमंद लोगों की मदद करते हैं जिनको हम जानते तक नहीं। इसी कार्य को साक्षात् परोपकार कहा जाता है। रक्तदाताओं को विवेक अग्रवाल ने प्रशस्ति पत्र प्रदान किए।
इस अवसर पर कार्यक्रम आयोजक निखिल भारद्वाज, हर्षित सिसोदिया एवं डा. राहुल पराशर तथा सद्भावना से डा. प्रदीप पाराशर, निदेशक संजीव सारस्वत, मोहित सारस्वत ने मुख्य अतिथि विवेक अग्रवाल को कार्यक्रम में पहुंचने और मुख्य भूमिका निभाने पर आभार व्यक्त किया। इस दौरान करीब 100 यूनिट रक्तदान हुआ। कार्यक्रम में मुख्य रूप से एस एल फिटनेस हब का भी सहयोग रहा।

इस मौके पर भारत विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष देवेन्द्र अग्रवाल, राज शर्मा, डा. दीपक, डा. राहुल शर्मा, राजेश शर्मा, विशाल, आकाश, रुद्रांश, राजा, कीर्ति, अंशी, जगजीत, रजत सिंह, रोहित, गोपाल सारस्वत, धीरज शर्मा आदि उपस्थित रहे।

बंगलादेश बनने के समय की गई भविष्यवाणीं सच हुई

विजय गुप्ता की कलम से

     मथुरा। जब बंगलादेश बना था तब एक भविष्यवक्ता ने भविष्यवाणी की थी कि जो बंगलादेश आज हिंदुस्तान के गुणगान करते नहीं थक रहा आगे चलकर यही बंगलादेश हिंदुस्तान और हिंदुओं का घोर दुश्मन बन जाएगा। यह भविष्यवाणी उस समय अखबारों की सुर्खी बनी थी। कहने का मतलब है कि इन अहसान फरामोशों की नस्ल ही ऐसी है कि जो कोई इनके लिए मरता पचता है, आगे चलकर ये उसी के दुश्मन बन जाते हैं।
     बंगलादेश जो पहले पूर्वी बंगाल था तथा बंटवारे के बाद पूर्वी पाकिस्तान बन गया, में पाकिस्तानी सेना ने जो जुल्म किये उन्हें तो ये भूल गए और हिंदुस्तान ने इनकी रक्षा की तथा अलग मुल्क का दर्जा दिलाया उसी के अब कट्टर दुश्मन बन गये तथा पाकिस्तान के साथ सुर और ताल मिला रहे हैं। उस दौरान पाकिस्तानी सेना ने लाखों बंगाली मुसलमानों का कत्लेआम कर डाला। हमारी सेना ने पाकिस्तानी सेना को हथियार डालने पर मजबूर कर दिया। उस समय भारतीय सेना ने पाकिस्तान के एक लाख सैनिकों को युद्ध बंदी बना लिया था।
     गुरु गोविंद सिंह जी जिनके पुत्रों को मुस्लिम आक्रांताओं ने सिर्फ इसलिए दीवाल में जिंदा चिनवा दिया कि गुरु गोविंद सिंह जी ने मुसलमान धर्म अपनाना स्वीकार नहीं किया। उस समय गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा था कि पहले अपने पूरे हाथ को तेल के बर्तन में डुबो दो और फिर उसी हाथ को तिलों से भरे बोरे में ठूंस दो, जितने तिल उस हाथ पर चिपक जाएं अगर उतनी बार भी ये कसम खाकर किसी बात का भरोसा दिलाएं तब भी इनके ऊपर विश्वास मत करना।
     पिछले वर्ष दिल्ली में एक हिंदू युवक ने अपने मुसलमान पड़ौसी की हालत गंभीर होने पर उसे अपना खून देकर जान बचाई किंतु कुछ दिनों बाद जब मुस्लिम युवक भला चंगा हो गया और किसी बात पर उसी हिंदू युवक से उसकी कहा सुनी हो गई तो मुस्लिम युवक ने आव देख न ताव तुरंत चाकू से गोदकर उसकी हत्या कर दी। यह समाचार पूरे देश के समाचार पत्रों व टी.वी. चैनलों की सुर्खी बना था।
     याद करो इतिहास की उस घटना को जब पृथ्वीराज चौहान ने हमलावर मुहम्मद गौरी को सत्रह बार युद्ध में पराजित किया और हर बार उसे क्षमादान देकर छोड़ दिया किंतु उसी मुहम्मद गौरी ने अठारहवीं वार के हमले में पृथ्वीराज चौहान को पराजित कर दिया और सजाऐ मौत दे दी। अठारहवीं बार भी मुहम्मद गौरी को पराजय मिलती किंतु जयचंद ने गद्दारी की और मुहम्मद गौरी से मिल अपने ही राजा को हरवा कर मरवा दिया। फिर तो जयचंद नाम इतना घृणित हो गया कि इस घटना के बाद किसी ने भी अपनी संतान का नाम जयचंद नहीं रखा। भले ही नाम नहीं रखा गया हो किंतु जयचंद तो आज भी हमारे देश में मौजूद हैं, जो अपने देश में मौजूद उन आस्तीन के सांपों, जो नमक हिंदुस्तान का खाते हैं और गीत पाकिस्तान के गाते हैं, को अपना माई बाप मानते हुए उन्हीं की वकालत कर अपनी मातृभूमि के साथ गद्दारी कर रहे हैं। यह सब सिर्फ और सिर्फ वोटों की खातिर हो रहा है। इस बात को सभी जानते हैं किंतु तथा कथित लोकतंत्र के नाम पर बेबस होकर चुप रह जाते हैं।
     एक बात और साफ कर देना चाहता हूं कि मुसलमानों में 100% लोग देश के लिए बेवफा नहीं है। कुछ ऐसे भी हैं जो देश के वफादार हैं। अब्दुल हमीद का नाम कौन नहीं जानता जिसने कलेजे से हथगोला बांधकर पाकिस्तानी टैंक को उड़ा दिया। भले ही अपनी जान गंवानी पड़ी किंतु मर कर भी अमर हो गए। हिंदुओं में भी एक से बढ़कर एक गद्दार मौजूद हैं जिनमें कुछ राजनेता गद्दारों वाली पंक्ति में आगे खड़े नजर आते हैं क्योंकि उन्हें तो मछली की आंख की तरह केवल वोट और उनसे मिलने वाली सत्ता ही दिखाई देती है। इन लोगों की फितरत यह है कि मुसलमानों को अगर चींटी भी काटती है तो उस पर हाय तौबा मचा देते हैं। पर अब बंगलादेश में हिंदुओं के कत्लेआम पर उनकी जीभ तालू से चिपक गई है।
     अंत में सिर्फ यही कहना चाहता हूं कि यदि हम लोग अभी भी नहीं चेते तो ऐसा न हो कि तीसरी बार सैकड़ो वर्षों के लिए फिर से गुलामी की जंजीरों में जकड़ जांय। पहले मुगलों की फिर अंग्रेजों और तीसरा नंबर कहीं चीनियों का न आ जाय। आज चीन पूरे विश्व पर हावी क्यों है? जवाब एकदम साफ है कि वहां देशद्रोहियों को तुरंत गोली से उड़ा दिया जाता है और हमारे यहां देशद्रोहियों को अपना माई बाप माना जाता है। हमें चीन से शिक्षा लेनी चाहिए।
     मतलब की सीधी और साफ बात यह है कि चीन में वोटतंत्री नौटंकी नहीं है। लोकतंत्र के नाम पर हमारे देश में क्या-क्या अलोकतंत्र हो रहा है यह सब बताने की जरूरत नहीं है। सब कुछ साफ है। सौ की सीधी बात है कि इस तथा कथित लोकतंत्र यानी वोटतंत्र ने पूरे देश को कोढ़ी जैसी स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। उदाहरण के रूप में तथा कथित लोकतंत्री प्रक्रिया के तहत चुने गए लोग संसद और विधानसभा में कैसे-कैसे नंग नाच कर रहे हैं? चुल्लू भर पानीं में डूब मरना चाहिए हम लोगों को जो आंखों पर पट्टी बांधकर सब कुछ सहन कर रहे हैं।

जीएलए विधि संस्थान के छात्र ने किया विश्वविद्यालय का नाम रोशन

  • जीएलए विश्वविद्यालय के विधि संकाय छात्र ने बेहतर प्रदर्शन कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया

मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च संस्थान (विधि संकाय) के छात्र ने देश के विभिन्न विश्वविद्यालय, आईआईटी, आईआईएम और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में यूएन कमेटी, छात्र संसद और एमयूएन की प्रतियोगिताओं में विश्वविद्यालय द्वारा प्रदत्त शिक्षा का उत्कृष्ट प्रदर्शन कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।

विदित रहे कि जीएलए विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च संस्थान (विधि संकाय) द्वारा उत्कृष्ट शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, मूट कोर्ट प्रतियोगिताओं, वर्कशॉप, गेस्ट सेशंस, कांफ्रेंस, ट्रेनिंग एवं इंटर्नशिप के माध्यम से छात्र छात्राओं को भविष्य के अवसरों के लिए तैयार किया जाता है। विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों के भविष्य को मद्देनजर रखते हुए समय-समय पर क़ानूनी पारंगतता प्रदान करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय एवं जिला सत्र न्यायालयों के वरिष्ठ अधिवक्ताओं तथा प्रतिष्ठित लॉ फर्म्स के वरिष्ठ अधिकारियों को विश्वविद्यालय में आमंत्रित कर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों समसामयिक कानूनी मुद्दों पर उचित ज्ञान प्रदान करता है। इसके साथ ही साथ विश्वविधालय में समय समय पर प्रतियोगताओं का आयोजन करके छात्र छात्राओं को राष्ट्रीय स्तर पर कानून के क्षेत्र में होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने के लिए प्रेरित किया जाता है तथा वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती हैं। इसी का परिणाम है कि जीएलए विधि संस्थान के छात्र छात्राएं पिछले अल्प समय में ही कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में विजयी होकर लौटे हैं।

उल्लेखनीय है की इसी क्रम में विधि छात्र रौनक उपमन्यु ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 205 प्रथम पुरस्कार एवं द्वितीय और तृतीय मिलाकर कुल 232 उपलब्धियां ट्राफियों के रूप में अर्जित कर जीएलए विश्वविद्यालय और ब्रज का नाम रोशन किया है। छात्र रौनक उपमन्यु ने यूएन कमेटी छात्र संसद एवं एमयूएन की सर्वाधिक प्रतियोगिताएं जीतने में सर्वाधिक रिकॉर्ड अर्जित किया है, जिसमें 200 से भी अधिक प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार जीत कर देश के होनहार छात्र बने हैं। रौनक उपमन्यु ने विशेष तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज, श्री राम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स, सेंट स्टीफन कॉलेज, हिंदू कॉलेज, लेडीज श्रीराम कॉलेज, जानकी देवी कॉलेज, आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज, श्यामलाल कॉलेज, बेनेट यूनिवर्सिटी, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, आइआइटी रूड़की, आइआइटी कानपुर एवं गोवा सहित पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, हिमाचल, हरियाणा, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, झारखंड, असम, त्रिपुरा एवं उत्तर प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयो एवं संस्थानों में आयोजित यूएन कमेटी, छात्र संसद एवं एमयूएन प्रतियोगिताओं में विजयी हो कर अपनी प्रतिभा एवं जीएलए विश्वविद्यालय की शिक्षा प्रणाली की प्रमाणिकता सिद्ध की हैं। जीएलए के छात्र रौनक के प्रखर अनुभव एवं उपलब्धियों को दृष्टिगत रखकर विभिन्न संस्थाओं एवं संस्थानों द्वारा उन्हें अपने द्वारा आयोजित युवा संसद एवं एमयूएन प्रतियोगिता में जज के रूप में बुलाकर सम्मानित किया गया है।

विश्वविद्यालय के विधि संस्थान के डीन प्रो. सोमेश धमीजा ने बताया कि जीएलए विश्वविद्यालय अपने प्रत्येक छात्र को योजनाबद्ध रूप में ज्ञान प्रदान करने एवं भविष्य के अवसरों हेतु तैयार करने हेतु प्रतिबद्ध है जिसके फलस्वरूप विधि के छात्र छात्राओं को विभिन्न प्रतियोगिताएं में विजय प्राप्त होने के साथ साथ उच्च वेतनमान पर प्लेसमेंट भी प्राप्त हो रहा है। इसके लिए संस्थान के शिक्षक कॉरपोरेट क्षेत्र के दिग्गज, क़ानूनी क्षेत्र के विशेषज्ञ एवं न्यायालयों के वरिष्ठ अधिवक्ताओं से जुड़कर इंटर्नशिप के माधयम से विद्यार्थियों को आने वाली चुनौतियों को सफलता में बदलने के लिए प्रयासरत रहते हैं।

जीएलए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता, प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता तथा कुलसचिव अशोक कुमार सिंह ने छात्र को इस उपलब्धि पर शुभकामनाएं और बधाई दी है।

छात्र रौनक उपमन्यु के पिता एनयूजेआई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं ब्रज प्रेस क्लब के अध्यक्ष डा. कमलकांत उपमन्यु एडवोकेट ने बताया कि यह समस्त उपलब्धियां जीएलए विश्वविद्यालय के विधि संस्थान में मिली सार्वभौमिक शिक्षा का ही सुखद परिणाम है।

स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छ हवा, हरी-भरी धरती जरूरी

  • जीएल बजाज में प्रदूषण मुक्त पर्यावरण पर हुई पोस्टर प्रतियोगिता

मथुरा। आज के समय में दस में से नौ लोग प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। प्रदूषण किसी एक राष्ट्र नहीं बल्कि समूची दुनिया की समस्या है। प्रदूषण के चलते हर साल अनुमानतः सात मिलियन लोग असमय मृत्यु का शिकार हो रहे हैं। यह बातें जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर छात्र-छात्राओं को बताईं।
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा के एनवायरमेंट क्लब और इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं ने अपनी कलात्मक प्रतिभा तथा पर्यावरण को स्वच्छ और हरित बनाने के अपने अभिनव विचार प्रस्तुत किए। इस साल राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस की थीम स्वच्छ वायु, हरित पृथ्वी रही। प्रतियोगिता शुभारम्भ से पूर्व निदेशक ने कहा कि स्वच्छ वायु, हरित पृथ्वी थीम हमारी हवा, पानी और मिट्टी को प्रभावित करने वाले प्रदूषकों को कम करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को अपनाने पर बल देती है।
प्रो. अवस्थी ने छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वस्थ भविष्य के लिए स्वच्छ हवा और हरी-भरी धरती जरूरी है। उन्होंने कहा कि लोगों के अन्दर जागरूकता पैदा कर ही धरती को प्रदूषण से बचाया जा सकता है। उन्होंने नवीनीकरण ऊर्जा स्रोतों का अधिक से अधिक प्रयोग करने, वृहद वृक्षारोपण और सफाई अभियान जैसे तरीकों पर बल देते हुए कहा कि बिना जागरूकता हम धरती को प्रदूषण मुक्त नहीं बना सकते।
कार्यक्रम के समन्वयक तथा एनवायरमेंट क्लब के संयोजक सतेन्द्र कुमार ने कहा कि कई सामाजिक बुराइयों की तरह वायु प्रदूषण वैश्विक असमानताओं को दर्शाता है। गरीबी लोगों को कारखानों और राजमार्गों जैसे प्रदूषण के स्रोतों के करीब रहने को मजबूर करती है। हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाला प्रदूषण जलवायु संकट को भी बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा कि सभी देश वायु गुणवत्ता में सुधार कर, जीवाश्म ईंधन के बजाय नवीन ऊर्जा स्रोतों पर निवेश कर तथा शून्य उत्सर्जन वाले वाहनों को अपना कर हम दुनिया को प्रदूषण मुक्त कर सकते हैं।
अतिथियों के उद्बोधन के बाद छात्र-छात्राओं के बीच पोस्टर प्रतियोगिता हुई। पोस्टर्स का मूल्यांकन निर्णायक मंडल में शामिल डॉ. उदयवीर सिंह और तान्या श्रीवास्तव ने किया। निर्णायकों ने प्रिया गुप्ता के पोस्टर को प्रथम तथा प्रियांशी सारस्वत के पोस्टर को दूसरा स्थान प्रदान किया। दोनों विजेताओं को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. रामवीर सिंह सेंगर, विवेक भारद्वाज और स्तुति गौतम आदि ने छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन किया।

संस्कृति विवि में हुई प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में विंध्याचल ने बाजी मारी

मथुरा। संस्कृति स्कूल आफ एजूकेशन द्वारा भारतीय ज्ञान प्रणाली पर आधारित एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के सैंकड़ों विद्यार्थियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों की बडी संख्या को देखते हुए उनको चार समूहों, अरावली, शिवालिक, नीलगिरी और विंध्याचल ग्रुपों में बांटकर प्रतियोगिता कराई गई। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन के आधार पर विंध्याचल ग्रुप को विजेता घोषित किया गया।
प्रतियोगिता को तीन चरणों में बांटा गया था, जिसमें छात्रों को अपने सामान्य ज्ञान, तर्क शक्ति और तत्परता का परिचय देना था। प्रतियोगिता के दौरान विद्यार्थियों से भारतीय ज्ञान परंपराओं से जुड़े सामान्य एवं गूढ़ प्रश्न पूछे गए थे। विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों ने हर प्रश्न का बड़ी सूझ-समझ के साथ जवाब दिया। ऐसा देखने में आया कि जो विद्यार्थी अपनी कक्षाओं में नियमित आ रहे हैं उनके लिए अधिकांश प्रश्नों के उत्तर सहज बन गए और कुछ विद्यार्थी सामान्य से सवालों पर चक्कर खा गए। लगभग सभी विद्यार्थियों के अनुभव के अनुसार प्रतियोगिता काफी उत्साहवर्धक व ज्ञानवर्धक रही। प्रतियोगिता की समन्वयक सुश्री शुभ्रा पांडे के अनुसार इस प्रतियोगिता का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को समझाना और छात्रों के बौद्धिक कौशल को निखारना था। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के चार समूहों अरावली , शिवालिक, नीलगिरि और विंध्याचल ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतियोगिता को तीन चरणों में आयोजित किया गया, जिनमें छात्रों ने अपनी सामान्य ज्ञान, तर्क शक्ति और तत्परता का प्रदर्शन किया। सभी तीन चरणों में शानदार प्रदर्शन के आधार पर विंध्याचल को विजेता घोषित किया गया। विजयी टीम की सदस्य संध्या, मीनाक्षी (बी.ए. बी.एड तृतीय सेमेस्टर) और खुशबू, स्वस्तिका (बी.एससी फॉरेंसिक) रहीं। उनकी लगन और उत्कृष्ट प्रदर्शन ने विंध्याचल ग्रुप को इस प्रतियोगिता में सफलता हासिल करायी। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. एस. वेराचेल्लई (डीन, एसओईआईटी) और विशिष्ट अतिथि डॉ. रेनू गुप्ता (डीन, स्कूल ऑफ एजुकेशन) ने प्रतियोगिता से पूर्व विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में होने वाले कार्यक्रम विद्यार्थियों के सामान्य ज्ञान में वृद्धि में सहायक होते हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री शुभ्रा पाण्डेय और देवांशु सिंह द्वारा कुशलतापूर्वक किया गया। आयोजन की संयोजक डॉ. पूनम गुप्ता और सुश्री शुभ्रा पाण्डेय रहीं, जबकि सह-समन्वयक के रूप में देवांशु सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्तिकेय पालीवाल (बी.एससी बी.एड सेमेस्टर 5) और संस्कृति श्रीवास्तव (बी.ए. बी.एड 5वां सेमेस्टर) ने छात्र समन्वयक के रूप में सक्रिय योगदान दिया।

जीएलए में बच्चों ने रैंप पर बिखेरी भारतीय संस्कृति की झलक

  • जीएलए विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए परिषदीय विद्यालयों के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों से दर्शकों का मन मोहा

मथुरा : नन्हे हाथ-पैर, चेहरे पर मुस्कान, अंदर छुपी प्रतिभा, भारतीय संस्कृति परिधान पहने हुए परिषदीय विद्यालयों के बच्चों ने जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा में आयोजित प्रतिभा मंच 2.0 में रैंप पर भारतीय संस्कृति की ऐसी झलक बिखेरी कि समूचा हॉल मंत्रमुग्ध हो गया और तालियों की गडगड़ाहट से गूंज उठा।

जीएलए विश्वविद्यालय ने गोद लिए उच्च प्राथमिक विद्यालय आझई खुर्द प्रथम, प्राथमिक विद्यालय आझई खुर्द द्वितीय, प्राथमिक विद्यालय आझई कलां, उच्च प्राथमिक विद्यालय जैंत प्रथम के बच्चों के लिए प्रतिभा मंच 2.0 का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता, सीएसईडी के सहनिदेशक पुष्कर शर्मा, तपेश भारद्वाज विद्यालयों से आये प्रधानाध्यापक अनामिका सक्सेना, अनीता राठौर, अनुपमा कौशिक ने दीप प्रज्जवलित कर किया।

तत्पश्चात छोटे-छोटे बच्चों द्वारा सरस्वती वंदना की बेहतर प्रस्तुति दी गई। इसके बाद रैंप पर भारतीय संस्कृति की ऐसी झलक देखने को मिली कि दर्शकों की टकटकी निगाह सीधे मंच पर ही जमी रही। बच्चों ने देश के विभिन्न प्रदेशों के नृत्य के माध्यम से न केवल अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, बल्कि देश की विविध सांस्कृतिक विरासत की झांकी के माध्यम से देश की अखण्डता एवं एकता का सुंदर परिचय दिया।
कार्यक्रम में स्वागत डांस, पंजाबी नृत्य की प्रस्तुति, राजस्थानी नृत्य, कोलकाता नृत्य, कश्मीरी नृत्य, हरियाणवी नृत्य, ब्रज कला नृत्य, गुजराती नृत्य जैसे कई नृत्यों की प्रस्तुति में बच्चों ने अपनी प्रतिभा का जमकर प्रदर्शन किया। प्रत्येक नृत्य में जितने भी बच्चे शामिल थे, सभी की कला एक साथ देखने को मिली। परिषदीय विद्यालयों के बच्चों की प्रस्तुति को देखकर ऐसा बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा था कि यह बच्चे परिषदीय विद्यालयों में अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं था।

प्रतिभा मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने वाले बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि जिन बच्चों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है, वह वाकई सराहना के पात्र है। सबसे बड़ी बात यह है कि जीएलए ने सिर्फ एक मंच प्रदान किया। प्रो. गुप्ता ने परिषदीय विद्यालयों के प्राचार्यों से आग्रह किया जितने भी बच्चे अध्ययनरत हैं उन सभी में कोई न कोई प्रतिभा होनी चाहिए। चाहे वह प्रतिभा खेल, डिबेट, भाषण और कला की ही क्यों न हो। यही प्रतिभाएं बच्चों का चरित्र का निर्माण करती हैं। उन्होंने कहा कि यही प्रथम 5 वर्ष तक की उम्र ऐसी होती जिसमें 85 प्रतिशत तक बच्चे सीख जाते हैं। ऐसा ही आदर्श सभी बच्चों को मिलना चाहिए, जिससे वह आगे बढ़ने में कामयाब हों। इसके लिए जीएलए विश्वविद्यालय प्रयासरत है।

स्कूल प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर राहुल अरोडा ने बताया कि जीएलए द्वारा गोद लिए परिषदीय विद्यालयों के 300 के करीब बच्चे प्रतिभा मंच 2.0 कार्यक्रम के सहभागी बने। उन्हांने बताया कि जीएलए विश्वविद्यालय का प्रयास है कि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले और उनकी प्रतिभा को निखारने का मंच समय-समय पर मिले यह हमेशां प्रयास रहता है।

कार्यक्रम का संचालन एकता और अक्षरा ने किया। इस अवसर पर आईटी विभाग के एसोसिएट निदेशक डा. अंशी सिंह, सीएसईडी मैनेजर दीपांश गोयल, स्कूल स्वयंसेवक पूनम, सरिता, चंदन, उमा, पूजा, विपिन, नेहा, बवीता, आरती आदि उपस्थित रहे।

एस.पी.एस. इंटरनेशनल एकेडमी में हुआ बाल संसद का गठन

एस.पी.एस. इंटरनेशनल एकेडमी कोसीकला में शैक्षिक सत्र 2024- 25 के लिए नवनियुक्त छात्र परिषद का गठन बड़े उत्साह, गरिमा और जिम्मेदारी के साथ अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया।
ऊंचाइयों को छूने और सफलता के शिखर तक पहुंचने के लिए हमारे युवा प्रतिभाओं के नेतृत्व- गुण को प्रोत्साहित करने और जिम्मेदारी की भावना पैदा करने के उद्देश्य से अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया । जैसे ही अंग्रेजी के अध्यापक संजय शर्मा ने कठिन परीक्षा और साक्षात्कार के बाद चुने पदाधिकारियों की घोषणा की ,तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा पंडाल गूंज उठा एक दूसरे को बधाई देने का सिलसिला शुरू हो गया। बैजिंग समारोह के बाद, पूरी परिषद गर्व से मंच पर पहुंची और अपने पद की गरिमा बनाए रखने की शपथ ली। जिसका नेतृत्व स्कूल के अध्यापक संजय शर्मा ,राजेश कौशिक तथा प्रतिमा शर्मा ने किया। समारोह की शुरुआत प्रधानाचार्य राव राजेंद्र कुमार ने मां सरस्वती की प्रतिमा के सामने दीप जलाकर किया , जो अंधकार को दूर करने का प्रतीक है और लौ का निरंतर ऊपर की ओर बढ़ना ज्ञान और दिव्यता के मार्ग को दर्शाता है।
नवगठित काउंसिल के हेड बॉय और हेड गर्ल के साथ-साथ स्पोर्ट्स क्लब ,कल्चरल क्लब और लिटरेरी क्लब के सचिव, उप -सचिव, हाउस कैप्टन, वॉइस हाउस कैप्टन और प्रीफेक्ट्स को एस.पी.एस. इंटरनेशनल एकेडमी की डायरेक्टर डॉक्टर रेखा गोयल और प्रधानाचार्य द्वारा बैज लगाकर सम्मानित किया गया ।
पूरे विद्यालय के विद्यार्थियों को चार भागों में विभाजित किया गया जैसे चंद्रशेखर आजाद हाउस ,रानी लक्ष्मीबाई हाउस, सरदार वल्लभभाई पटेल हाउस और सुभाष चंद्र बोस हाउस । नवनिर्वाचित छात्र कैबिनेट के सदस्य वरुण चौधरी को हेड बॉय तथा स्नेहा सांगवान को हेड गर्ल का पद दिया गया। उनके सहायक के रूप में तनिष्क अग्रवाल डिप्टी हेड बॉय तथा आरती सिंह डिप्टी हेड गर्ल नियुक्त की गई । इसी क्रम में रेणु चौधरी और प्रिया शर्मा चंद्रशेखर आजाद हाउस के कैप्टन और उप- कप्तान के रूप में, नितेश और ऋतु को रानी लक्ष्मीबाई हाउस की कप्तान और उप कप्तान का पद दिया गया, सरदार वल्लभभाई पटेल हाउस के कप्तान और उप कप्तान के रूप में विशाखा और पुष्पेंद्र तथा कनिष्क सोनी और अंशिका ठाकुर को सुभाष चंद्र बोस हाउस की कप्तान और उप कप्तान की कमान दी गई ।
भारती और सिंधिया राव को साहित्य क्लब का सचिव और संयुक्त सचिव नियुक्त किया गया। कार्तिक और नीरज को स्पोर्ट्स क्लब के कप्तान और उप कप्तान की जिम्मेदारी दी गई। राधिका चौधरी और भूमि सिसोदिया को संस्कृत क्लब की सचिव और संयुक्त सचिव नियुक्त किया गया। परिषद को सुचारू रूप से चलाने के लिए 54 प्रीफेक्ट्स नियुक्त किए गए। विद्यार्थी परिषद के सभी सदस्यों ने अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की शपथ ली। विद्यालय के नियमों को निष्ठापूर्वक पालन करना और विद्यालय को एक नई ऊंचाई पर ले जाने की भावना प्रकट की।
विद्यालय की निर्देशक डॉक्टर रेखा गोयल और प्रधानाचार्य राजेंद्र कुमार राव ने सभी छात्रों को शुभकामनाएं दी।

इंटरनेशनल ट्रेड फेयर का अवलोकन कर लौटे राजीव एकेडमी के विद्यार्थी

  • वैश्विक और राष्ट्रीय उद्योगों की गतिशीलता की जुटाई व्यापक जानकारी

मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट के एमबीए और एमसीए के छात्र-छात्राओं ने नई दिल्ली स्थित प्रगति मैदान में लगे इंटरनेशनल ट्रेड फेयर (आईआईटीएफ 2024) का अवलोकन करते हुए वहां वैश्विक तथा राष्ट्रीय उद्योगों की गतिशीलता की विस्तार से जानकारी हासिल की। मेले का अवलोकन कर लौटे छात्र-छात्राओं ने बताया कि वहां हमें उद्योग जगत के कई नए-नए अपडेट्स प्राप्त हुए। अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले से लौटे छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह ने कहा कि वहां जो भी देखा और अनुभव किया उसे अपनी-अपनी नोटबुक में जरूर लिखें।
विद्यार्थियों ने अपने संस्मरण सुनाते हुए इस शैक्षिक भ्रमण को नॉलेज शेयरिंग ट्रिप के लिए बेहतरीन बताया। छात्र-छात्राओं ने कहा कि ऐसे अंतरराष्ट्रीय मेले में शामिल होकर जो ज्ञानार्जन मिला वह अविस्मरणीय है। ट्रेड फेयर में व्यावसायिक तौर से बहुत कुछ जानने का मौका मिला। यह अनुभव प्रबन्धन की मास्टर डिग्री के साथ अत्यन्त उपयोगी है। एमसीए के विद्यार्थियों ने अपने अनुभव शेयर करते हुए कहा कि उक्त ट्रेड फेयर से हमें एक नहीं अनेक अपडेट्स प्राप्त हुए। विदेशों से आई अनेकों डिजिटल मॉडल कम्पनियों के उत्पाद और उनकी डिजिटल कार्यशैली एमसीए की डिग्री लेने के बाद करिअर को नया प्लेटफार्म देने में मददगार होगी।
प्रो. (डॉ.) विकास जैन ने बताया कि विद्यार्थियों के ज्ञानार्जन हेतु यह बेहतरीन शैक्षिक भ्रमण रहा। इस शैक्षिक भ्रमण में छात्र-छात्राएं विदेशी उद्योगपतियों से मुलाकात कर न केवल उनके विचारों से रूबरू हुए बल्कि इंडस्ट्रियल ढांचे की परख करते हुए करियर विकास की नई जानकारी भी हासिल की। डॉ. जैन ने बताया कि इस बार के अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले का स्लोगन वोकल फार लोकल, लोकल टू ग्लोबल रहा। इस शैक्षिक भ्रमण में छात्र-छात्राओं ने राष्ट्रीय तथा बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के उत्पाद देखने के साथ ही कटिंग एज प्रोडक्ट्स एण्ड सर्विसेज पर आयोजित विशाल प्रदर्शनी भी देखी। डॉ. जैन ने कहा कि छात्र-छात्राओं के लिए यह मेला बाजार की गतिशीलता और वास्तविक व्यापार प्रथाओं को समझने का अमूल्य अनुभव साबित हुआ।
मेले में बड़ी संख्या में आए अनेकों विजिटरों तथा उद्योगपतियों ने भारतीय युवा पीढ़ी की प्रतिभा की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से स्थानीय युवाओं की औद्योगिक क्षेत्र में करियर निर्माण की सम्भावनाएं प्रबल होती हैं। शैक्षिक भ्रमण में विद्यार्थियों ने जहां विदेशी व्यापार टेक्निक का ज्ञान प्राप्त किया वहीं एक-दूसरे की कल्चरल एक्चेंज और ग्लोबल आउटरीच का एक ही स्थान पर अनुभव हासिल किया।
आर.के. एजूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि ऐसे शैक्षिक भ्रमण व्यावसायिक कोर्सेस के स्टूडेंट्स के लिए बहुत उपयोगी हैं क्योंकि उन्हें एक ही स्थान पर कई प्रकार का ज्ञानार्जन मिल जाता है। उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल तथा प्रबन्ध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कहा कि ऐसे शैक्षिक भ्रमणों से छात्र-छात्राओं को किताबी ज्ञान से हटकर बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

दंत चिकित्सा में 2डी और 3डी इमेजिंग से आया क्रांतिकारी बदलावः डॉ. अमर शोलापुरकर

  • के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के भावी दंत चिकित्सकों को मिली बहुमूल्य जानकारी

मथुरा। पिछले दो-तीन दशक में दंत चिकित्सा ने अपनी सभी शाखाओं में जबरदस्त प्रगति की है। आज के समय में 2डी और 3डी इमेजिंग विधियों से दंत चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आया है। सरल इंट्रा-ओरल पेरियापिकल एक्स-रे से कम्प्यूटेड टोमोग्राफी, कोन बीम कम्प्यूटेड टोमोग्राफी, मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग और अल्ट्रासाउंड जैसी उन्नत इमेजिंग तकनीक ने आधुनिक दंत चिकित्सा को काफी सरल और लाभकारी बना दिया है। यह बातें बुधवार को के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में आयोजित सीडीई कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय अतिथि वक्ता डॉ. अमर शोलापुरकर, क्लीनिकल डेंटिस्ट्री एण्ड ओरल रेडियोलॉजी संकाय, कॉलेज ऑफ डेंटिस्ट्री, जेम्स कुक यूनिवर्सिटी, स्मिथफील्ड, केर्न्स, ऑस्ट्रेलिया ने यूजी, इंटर्न और पीजी छात्र-छात्राओं तथा संकाय सदस्यों को बताईं।
के.डी. डेंटल कॉलेज के ओरल मेडिसिन और रेडियोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित सीडीई कार्यक्रम में अतिथि वक्ता डॉ. अमर शोलापुरकर ने कहा कि एनालॉग से डिजिटल रेडियोग्राफी में बदलाव ने दंत चिकित्सा प्रक्रिया को सरल बनाया है। त्रि-आयामी इमेजिंग ने जटिल कपाल-चेहरे की संरचनाओं को जांच और गहरे बैठे घावों के शुरुआती तथा सटीक निदान के लिए अधिक सुलभ बना दिया है। डॉ. शोलापुरकर ने छात्र-छात्राओं तथा संकाय सदस्यों को जटिल मौखिक और मैक्सिलोफेशियल रोगों के निदान में 2डी और 3डी इमेजिंग की वर्तमान प्रगति तथा अनुप्रयोगों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
डॉ. शोलापुरकर ने कहा कि रेडियोग्राफ एक मूल्यवान निदान उपकरण है, जो दंत रोगों के निदान में नैदानिक परीक्षण के सहायक के रूप में काम करता है। दंत चिकित्सा पद्धति में दो आयामी पेरियापिकल और पैनोरमिक रेडियोग्राफ का नियमित रूप से उपयोग किया जाता है। हालाँकि, दो आयामी रेडियोग्राफ की कुछ सीमाएं हैं, जिन्हें कोन बीम कम्प्यूटेड टोमोग्राफी, चुम्बकीय अनुनाद इमेजिंग और अल्ट्रासाउंड जैसी त्रि-आयामी इमेजिंग तकनीकों द्वारा दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 2-डी पारम्परिक रेडियोग्राफ अधिकांश दंत रेडियोग्राफिक आवश्यकताओं के लिए उत्कृष्ट चित्र प्रदान करते हैं। उनका प्राथमिक उपयोग दांतों और सहायक हड्डी की आंतरिक संरचना में अंतर्दृष्टि प्रदान करके नैदानिक परीक्षण को पूरक बनाना है ताकि क्षय, पीरियोडोंटल और पेरियापिकल रोग तथा अन्य अस्थि संबंधी स्थितियों का पता लगाया जा सके।
उन्होंने बताया कि पारम्परिक रेडियोग्राफी की एक महत्वपूर्ण बाधा ऊपरी संरचनाओं का सुपरइम्पोजिशन है, जो रुचि की वस्तु को अस्पष्ट करता है। अंततः इसका परिणाम 3-डी संरचनात्मक जानकारी को 2-डी छवि पर ढहने में होता है, जिससे तीसरे आयाम में स्थानिक जानकारी का नुकसान होता है। फिल्म-आधारित रेडियोग्राफी के लिए डार्करूम की उपस्थिति और रखरखाव, रासायनिक हैंडलिंग की आवश्यकता होती है और यह प्रसंस्करण त्रुटियों से परे नहीं है। डिजिटल रेडियोग्राफी के आगमन के साथ ये सभी नुकसान दूर हो जाते हैं। यह क्रांति छवि अधिग्रहण प्रक्रियाओं में तकनीकी नवाचार और छवि पुनर्प्राप्ति तथा संचरण के लिए नेटवर्क कम्प्यूटिंग सिस्टम के विकास दोनों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि 3डी प्रिंटिंग और वर्चुअल सर्जिकल प्लानिंग (वीएसपी) का एकीकरण ऑर्थोगैथिक और ओरल मैक्सिलोफेशियल सर्जरी में उन्नत रोगी देखभाल का मार्ग प्रशस्त करता है।
सीडीई कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों के लिए क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया तथा अंत में उन्हें प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा इससे छात्र-छात्राओं तथा संकाय सदस्यों को दंत चिकित्सा के क्षेत्र काफी मदद मिलेगी। प्राचार्य और डीन डॉ. मनेश लाहौरी ने डॉ. अमर शोलापुरकर का आभार मानते हुए कहा कि उन्होंने जो बहुमूल्य जानकारी दी उसका लाभ भावी दंत चिकित्सकों को जरूर मिलेगा। इस अवसर पर ओरल मेडिसिन और रेडियोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. विनय मोहन ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम छात्र-छात्राओं को दंत चिकित्सा के क्षेत्र में वर्तमान प्रगति के बारे में जागरूक और अद्यतन रहने में काफी मददगार साबित होंगे। कार्यक्रम का संचालन ओरल मेडिसिन एवं रेडियोलॉजी विभाग के पीजी छात्र डॉ. पीयूष रावत एवं डॉ. अंकिता ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अनुज गौड़ ने किया।

जीएलए के सीसीआइएस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में जुटेंगे कई क्षेत्रों के विषय-विशेषज्ञ

मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग विभाग में 6 और 7 दिसंबर को संचार नियंत्रण और इंटेलिजेंट सिस्टम (सीसीआईएस 24) पर तीसरा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य वैश्विक शोधकर्ताओं, चिकित्सकों, डेवलपर्स और शिक्षकों को एकजुट करके भविष्य की चुनौतियों के लिए नवीन समाधानों को बढ़ावा देना है।

सम्मेलन विभिन्न विषयों में ज्ञान के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करते हुए संचार नियंत्रण और इंटेलिजेंट सिस्टम के उभरते क्षेत्र में जटिल चुनौतियों के समाधान के लिए सहयोग, विचारों के आदान-प्रदान और नवीन समाधानों, वैज्ञानिक निष्कर्षों और कार्यप्रणाली पर चर्चा करने के लिए एक उत्कृष्ट मंच के रूप में काम करेगा। इसके अलावा “वास्तविक दुनियां के अनुप्रयोगों के लिए नवाचार और प्रेरक अनुसंधान“ विषय के साथ सीसीआईएस-2024 शोधकर्ताओं के अत्याधुनिक निष्कर्षों को समाधानों में बदलने में भूमिका निभाएगा।

दो दिवसीय सम्मेलन, सीसीआईएस-2024 का शुभारंभ मुख्य अतिथि आईआईटी जम्मू के निदेशक प्रो. मनोज सिंह गौर और विशिष्ट अतिथि राजेश गुप्ता की सम्मानित उपस्थिति में किया जाएगा। एम्स एजी में कंट्री हेड और स्टर्लिंग जीटेक ई-मोबिलिटी के एचआर प्रमुख विक्रम बिश्नोई इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में प्रतिभाग करेंगे। सम्मेलन में मुख्य भाषण, व्यावहारिक ट्यूटोरियल, आकर्षक पैनल चर्चाएं और व्यावहारिक कार्यशालाएं शामिल होंगी, जो अत्यधिक समृद्ध और शैक्षिक अनुभव सुनिश्चित करेंगी।

विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार देवलिया एवं एसोसिएट विभागाध्यक्ष प्रो. मनीष गुप्ता ने बताया कि सम्मेलन में चीन, रूस, मलेशिया, साउथ कोरिया दुनियां भर से आये 900 से अधिक शोध पत्रों में से 200 से अधिक उच्च-गुणवत्ता वाले शोध पत्र स्वीकार किए गए हैं।

एसोसिएट डीन एकेडमिक प्रो. आशीष शुक्ला एवं एसोसिएट प्रोफेसर डा. मनीष कुमार ने बताया कि सम्मेलन के दौरान आये हुए अतिथियों को ब्रज की सांस्कृतिक झलक दिखाने के लिए सायं सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक स्थलों को दिखाने के उद्देश्य से भव्य कार्यक्रम आयोजित होगा।