Thursday, August 7, 2025
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जीएलएः डेटा साइंस में विद्यार्थियों के लिए रोजगार की संभावनाएं

जीएलए विश्वविद्यालय के बीएससी और एमएससी गणित कोर्स देते हैं रोजगार का एक नया अवसर
डेटा साइंस तेजी से बढ़ रहा है, जो स्टार्टअप से लेकर बड़ी कंपनियों तक के लिए विविध अवसर पैदा कर रहा है। मल्टी नेशनल कम्पनियों में भी इस क्षेत्र के विद्यार्थियों को रोजगार के अपार अवसर मिल रहे हैं। रोजगार के अपार अवसरों को देखते हुए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा में बीएससी और एमएससी गणित के डेटा साइंस में विद्यार्थियों का प्रवेश हेतु अच्छा रूझान देखने को मिल रहा है

जीएलए विश्वविद्यालय ने गणित, सांख्यिकी और कंप्यूटर विज्ञान की मजबूत समझ के साथ छात्रों के भविष्य के निर्माण हेतु इन पाठ्यक्रमों को मल्टी नेशनल कंपनियों की आवश्यकतानुसार विशेषज्ञों द्वारा सावधानी पूर्वक तैयार किया गया है। पायथन और आर जैसी महत्वपूर्ण प्रोग्रामिंग भाषाओं में महारत हासिल करने से लेकर तर्क कौशल और मात्रात्मक योग्यता को निखारने तक, ये कोर्स डेटा साइंस के लगातार विकसित होते क्षेत्र में सफलता के लिए आवश्यक समग्र कौशल सेट का पोषण करते हैं।

पाठ्यक्रम कोऑर्डिनेटर डा. अमित कुमार सारस्वत एवं डा. स्वेता शुक्ला के अनुसार इन कोर्सो का मुख्य उद्देश्य छात्रों को रोजगारपरक शिक्षा देकर उनके जीवन को उन्नत बनाना है। इस पाठ्यक्रम के द्वारा विद्यार्थियों को फेयरलैब्स, इनोडाटा, एनपीसीआइ, एचसीएल टेक्नोलॉजी, डिलॉइट आदि में अच्छे पैकेज के साथ रोजगार की असीम संभावनाएं बनेंगी। इसमें न केवल विद्यार्थियों को एकेडमिक रूप से उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाया जा रहा है, बल्कि सीएसइआईआर, नेट, गेट तथा जैम जैसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में अपनी प्रतिभा दिखाने को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसके अच्छे परिणाम भी लगातार सामने आ रहे हैं।

गणित विभागाध्यक्ष प्रो. मनीष गोयल के अनुसार यह पाठ्यक्रम डेटा साइंस में वैकल्पिक विशेज्ञता प्रदान करता है और यह सुनिश्चित करता है कि छात्र उद्योग के रुझानों और प्रौद्योगिकियों में सबसे आगे रहें। समर्पित संकाय सदस्यों की एक टीम के नेतृत्व में प्रत्येक पाठ्यक्रम एकेडमिक उत्कृष्टता और औद्योगिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है।

प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षा, इंडस्ट्रियल विजिट और एनईपी-2020 के साथ संरेखित बहु-विषयक शिक्षा के माध्यम से यह प्रोग्राम कौशल विकास और प्रदर्शन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है। कॅरियर की तत्परता पर गहन ध्यान देने के साथ, छात्रों को पर्याप्त प्लेसमेंट अवसरों का लाभ मिलता है, जो उन्हें एक सफल और संतुष्टिदायक पेशेवर यात्रा के मार्ग पर ले जाता है। बीते वर्ष 2024-25 में एमएससी गणित के 3 प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को अच्छे पैकेज पर प्लेसमेंट मिला है, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित हुआ है। बीएससी गणित द्वितीय वर्ष के छात्रों को बैंगलुरु में स्थित कंपनी से इंटर्नशिप के ऑफर मिले हैं जो उनको प्लेसमेंट में सहायक होंगे।

एडमिशन कोऑर्डिनेटर डॉ. विपिन चंद्र दुबे के अनुसार पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी ये प्रोग्राम विद्यार्थियों की पहली पसंद है। अधिक जानकारी के लिए छात्र विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट कर प्रवेश ले सकते हैं।

एआई के व्यावहारिक पहलुओं से रूबरू हुए राजीव एकेडमी के एमबीए विद्यार्थी30 दिवसीय एआई वर्कशॉप में सीखे तकनीक और मैनेजमेंट के गुर


मथुरा। आज सूचना प्रौद्योगिकी का दौर है, यदि हम तकनीकी दक्षता हासिल कर आगे नहीं बढ़े तो करियर में सफलता हासिल करना हमारे लिए मुश्किल होगा। जब हम किसी कार्य को असम्भव मान लेते हैं, तब हमारे सोचने की क्षमता क्षीण हो जाती है। असम्भव कुछ भी नहीं, मेहनत करके तो देखो। यह सारगर्भित बातें राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट द्वारा आयोजित 30 दिवसीय एआई वर्कशॉप के समापन अवसर पर रिसोर्स पर्सन दर्शन शर्मा ने एमबीए के छात्र-छात्राओं को बताईं।
एक माह तक चली इस वर्कशॉप में तकनीकी क्षेत्र के विशेषज्ञ दर्शन शर्मा ने छात्र-छात्राओं को उद्योग जगत में एआई तकनीक के उपयोग तथा उसके तकनीकी और व्यावहारिक पहलुओं का गहन प्रशिक्षण दिया। उन्होंने छात्र-छात्राओं को एआई इन मार्केटिंग, एआई इन एचआर, एआई इन फाइनेंस और एआई इन सप्लाई चेन मैनेजमेंट जैसे प्रमुख विषयों का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया। रिसोर्स परसन ने मिनी प्रोजेक्ट्स के माध्यम से यह सिखाया कि वास्तविक समस्याओं में एआई तकनीक का उपयोग किस प्रकार किया जाता है। इस वर्कशॉप में छात्र-छात्राओं ने एआई टूल्स और एआई चैटबोट बनाने जैसे विषयों में भी व्यावहारिक प्रशिक्षण हासिल किया।
वर्कशॉप में छात्र-छात्राओं के लिए क्विज प्रतियोगिताएं आयोजित कर उनकी मेधा का मूल्यांकन किया गया। छात्र-छात्राओं ने वर्कशॉप को उपयोगी तथा प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि इससे एआई तकनीक की गहन समझ विकसित करने तथा करियर के नए द्वार खोलने में मदद मिलेगी। संस्थान के ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट प्रमुख डॉ. विकास जैन ने कहा कि राजीव एकेडमी का उद्देश्य छात्र-छात्राओं को तकनीकी और व्यावसायिक दोनों पहलुओं में सक्षम बनाना है। यह एआई वर्कशॉप उन्हें वर्तमान तकनीकी रुझानों से जोड़ेगी तथा उन्हें जॉब मार्केट में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त दिलाएगी। हमें खुशी है कि इस प्रशिक्षण में छात्र-छात्राओं ने पूरी निष्ठा, उत्साह और जिज्ञासा से भाग लिया। यह पहल छात्र-छात्राओं में समस्या समाधान, नवाचार और तकनीकी सोच विकसित करने में सहायक होगी, जो आगे चलकर उनके पेशेवर जीवन में उपयोगी साबित होगी।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने वर्कशॉप को उपयोगी बताया। डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने कहा कि तकनीक और मैनेजमेंट का मेल वर्तमान समय की मांग है। यह वर्कशॉप उस दिशा में एक सशक्त कदम है। हमें विश्वास है कि यह प्रशिक्षण छात्र-छात्राओं को उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य की राह दिखाएगा।
संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने कहा कि आज के दौर में तकनीकी साक्षरता और व्यावहारिक अनुभव युवा पीढ़ी के लिए बेहद जरूरी है। यह वर्कशॉप छात्र-छात्राओं को बदलते तकनीकी परिवेश में आगे बढ़ने का अवसर देगी। इस प्रशिक्षण से छात्र-छात्राएं न केवल तकनीकी कौशल में पारंगत होंगे बल्कि उद्योग जगत में अपनी प्रतिभा का लोहा भी मनवाएंगे। यह पहल छात्र-छात्राओं में नेतृत्व, संवाद और तकनीकी समस्या समाधान जैसे बहुमूल्य कौशल विकसित करने में भी सहायक होगी, जो उनके करियर को एक मजबूत आधार प्रदान करेगी।
चित्र कैप्शन। एआई वर्कशॉप के समापन अवसर पर रिसोर्स पर्सन दर्शन शर्मा के साथ एमबीए के विद्यार्थी।

देवराहा बाबा के लाड़ले संत शैलजा कांत का 75 वे वर्ष में प्रवेश

 मथुरा। "कबिरा खड़ा बाजार में सबकी मांगे खैर ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर" वाले सिद्धांत पर चलने वाले संत शैलजा कांत का 75 वे वर्ष में प्रवेश हो रहा है। 27 जून को जन्मे शैलजा कांत जी को महान संत देवराहा बाबा के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी होने का गौरव प्राप्त है। हम सब बृजवासियों का यह बड़ा सौभाग्य है कि संत शैलजा कांत जैसे दुर्लभ व्यक्तित्व के धनी हमारे मध्य रहकर इस ब्रजभूमि को संवारने में लगे हुए हैं। यह सब विलक्षण संत पूज्य देवराहा बाबा की कृपा का ही परिणाम है। बाबा ने तो उसी समय जब ये मथुरा में पुलिस कप्तान थे, कह दिया था कि बच्चा शैलेश तुमको रिटायर होने के बाद फिर यहीं आना है और इसी मांटी में लोटपोट होकर भगवान श्री कृष्ण की इस जन्मभूमि की सेवा करनी है।
 यह बड़े सौभाग्य की बात है कि भगवान ने पहले तो ऐसे दुर्लभ संत पूज्य देवराहा बाबा महाराज को इस ब्रजभूमि में भेजा जो त्रिकाल दर्शी थे। बाबा की दिव्य शक्ति का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपनी देह त्याग का दुर्लभ दिन योगिनी एकादशी चुना और पहले ही आश्रम बासियों को बता दिया। इससे भी बड़ी बात यह है कि उन्होंने अपने प्राण ब्रह्म मलंद विधि से त्यागे जिसे आम बोलचाल भाषा में ब्रह्मांड फाड़कर देह त्यागा जाना कहा जाता है। इसमें सिर के बीचों-बीच छोटा सा छिद्र होकर प्राण निकलते हैं। ऐसी दुर्लभ गति शायद ही करोड़ों में किसी को प्राप्त होती होगी। हम सभी के लिए बड़े गौरव की बात यह है कि उस समय बाबा ने अपने परम प्रिय लाड़ले शिष्य शैलजाकांत जी को अपने पास बुलाकर अपने हाथों से अपनी बेशुमार दुर्लभ वस्तुएं जिनमें, उनकी चरण पादुका, मृगछाला, शालिग्राम जी जिनकी बाबा पूजा करते थे आदि सौंप दीं। जिस समय बाबा अपनी देह त्याग रहे थे उस समय उनकी मचान के नींचे संत शैलजा कांत ध्यान मग्न होकर मौजूद थे।
 यह सब बातें सिद्ध करती हैं कि शैलजा कांत जी का स्थान करोड़ों शिष्यों में सबसे ऊपर है। इसीलिए इन्हें बाबा का आध्यात्मिक उत्तराधिकारी माना जाता है। भले ही ये साधारण रूप में रहकर गृहस्थ जीवन जी रहे हैं। किंतु मनुष्य के रूप में कौन हैं? यह समझ पाना मुश्किल है। इनकी खास बात यह है कि "ना सावन सूखे ना भादों हरे" हमेशा नॉर्मल रहते हैं नपा तुला बोलते हैं और एक-एक शब्द बड़ा ही मर्यादित और सधा बंधा होता है। शांत स्वभाव और स्वाभिमानी जिंदगी इनका गहना है। 
 संत शैलजाकांत जी की सबसे बड़ी गुणवत्ता इनके मन की निर्मलता है। ये अपने से दुश्मनीं मानने वालों का भी बुरा नहीं सोचते "ना काहू से दोस्ती और ना काहू बैर" वाली कहावत इनके ऊपर सटीक बैठती है। मैंने इनके बारे में पाया है कि ये भले ही इंसानों से दोस्ती और दुश्मनी नहीं रखते किंतु अच्छाइयों से तो इनका दोस्ती जैसा गहरा नाता है और बुराइयों से दुश्मनीं जैसी नफरत।
 एक बार मैंने इनसे कहा कि भले ही ऊपरी तौर पर ना किसी से दोस्ती ना किसी से दुश्मनीं रखते हैं किंतु आप दोस्ती भी मानते हैं और दुश्मनीं भी। इस पर इन्होंने पूंछा कि किससे? तब मैंने कहा कि दोस्ती अच्छाइयों से और दुश्मनीं बुराइयों से। इस पर इनका जो उत्तर था वह बड़ा ही चौंकाने वाला था। इन्होंने कहा कि मैं दुश्मनीं तो किसी से नहीं मानता भले ही बुराई क्यों न हो, हां बुराइयों से बचकर रहता हूं। इनका कहना था की दुश्मनीं का भाव आते ही मन में तनाव और अशांति पैदा होती है। इसके अलावा इन्होंने और भी कुछ कहा जो बड़े अच्छे शब्दों में था। वह मुझे याद नहीं। इनका मतलब था की दुश्मनीं करने से हमारी सात्विक विचारधारा क्षीण होकर तामसी पन की ओर बढ़ जाती है, जो अनिष्टकारी है। धन्य हैं संत शैलजा कांत और उससे भी ज्यादा धन्य वह जननी हैं, जिन्होंने इनको न सिर्फ जन्म दिया बल्कि इतने अच्छे संस्कार दिए तथा इससे भी कहीं अधिक धन्य पूज्य देवराहा बाबा हैं जिन्होंने इन्हें ऐसे सांचे में ढाला जो जग को जगमगाये। परम पिता परमात्मा से प्रार्थना है कि ये शतायु हों और घर में शैलजा कांत जन्में और ब्रज में सतयुग का बोल वाला हो। साथ ही हर मोहल्ले में एक विजय कुमार गुप्ता भी जरूर जन्मे ताकि कलयुग का अस्तित्व भी बना रहे।

राजीव एकेडमी के बीसीए, बीएससी (सीएस) के विद्यार्थियों ने भरी उड़ानदोनों ही कोर्स के छात्र-छात्राओं ने हासिल किया उच्च पैकेज पर जॉब


मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट के बीसीए और बीएससी (कम्प्यूटर साइंस) के छात्र-छात्राएं लगातार अच्छी कम्पनियों में उच्च पैकेज पर जॉब हासिल कर अपने सपनों को साकार कर रहे हैं। बीते सत्र में यहां के विद्यार्थियों को आईटी, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, क्लाउड कम्प्यूटिंग, डेटा एनालिटिक्स, साइबर सिक्योरिटी जैसे तकनीकी क्षेत्र की नेशनल-मल्टीनेशनल कम्पनियों ने उच्च पैकेज पर जॉब ऑफर किए।
राजीव एकेडमी के छात्र-छात्राओं की इस शानदार सफलता के पीछे यहां की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और उत्कृष्ट प्लेसमेंट तैयारियों को जाता है। इस वर्ष यहां के छात्र-छात्राओं ने रुपये 6.50 लाख के सालाना पैकेज पर नेशनल-मल्टीनेशनल कम्पनियों में जॉब हासिल किए। संस्थान के ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट विभाग प्रमुख डॉ. विकास जैन ने बताया कि राजीव एकेडमी की उच्चस्तरीय शिक्षा प्रणाली युवाओं की पहली पसंद बन चुकी है। यहां विद्यार्थियों को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं दिया जाता बल्कि उन्हें व्यावहारिक प्रशिक्षण, प्रोजेक्ट वर्क, इंटर्नशिप और इंडस्ट्री एक्सपोजर के माध्यम से करियर के लिए पूरी तरह से तैयार किया जाता है। यही कारण है कि यहां के छात्र-छात्राओं को उच्च पैकेज पर जॉब के अवसर मिल रहे हैं।
डॉ. जैन ने बताया कि इस वर्ष उच्च पैकेज पर प्लेसमेंट पाने वाले बी.एससी-कम्प्यूटर साइंस के छात्र-छात्राओं में जतिन सिसोदिया, मानवी शर्मा, खुशी साहू, कीर्ति दास, लकी मिश्रा, प्रियांशी, याचना चौधरी, खुशी रहेजा, ऋतिका जोशी, सागर शर्मा, यश अग्रवाल आदि शामिल हैं। इसी तरह बीसीए में गौरव मेहरानिया, जानकी चौधरी, कपिल व्यास, नेहा शर्मा, राजकमल शर्मा, सोनू पांडेय, जान्हवी गौतम, राशि चौरसिया आदि ने उच्च पैकेज पर जॉब हासिल कर ऊंची उड़ान भरी है। कड़ी मेहनत तथा संस्थान के मार्गदर्शन से यह मुकाम हासिल करने वाले छात्र-छात्राओं ने कहा कि अब करियर को सही दिशा मिल गई है। अब हमारा सपना साकार हुआ है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने विभिन्न राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में उच्च पैकेज पर चयनित सभी छात्र-छात्राओं को हार्दिक बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि राजीव एकेडमी का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को सिर्फ किताबी ज्ञान देना नहीं बल्कि उनकी स्किल्स को निखार कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। उन्होंने कहा कि आज के प्रतिस्पर्धी युग में केवल सैद्धांतिक ज्ञान से करियर बनाना सम्भव नहीं है। स्किल डेवलपमेंट, कम्युनिकेशन और टेक्निकल एक्सपर्टीज ही सफलता की कुंजी हैं।
निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि छात्र-छात्राओं की सफलता में उनके माता-पिता का सहयोग तथा शिक्षकों का मार्गदर्शन सबसे महत्वपूर्ण होता है। यदि हर विद्यार्थी अपने बड़ों और गुरुजनों के मार्गदर्शन पर चले तो सफलता निश्चित है। उन्होंने कहा कि राजीव एकेडमी में प्रवेश के बाद हर छात्र-छात्रा को किताबी ज्ञान देने के साथ-साथ इंडस्ट्री ओरिएंटेड ट्रेनिंग भी दी जाती है। यही कारण है कि यहां के विद्यार्थी लगातार नेशनल-मल्टीनेशनल कम्पनियों में चयनित हो रहे हैं। डॉ. भदौरिया ने कहा कि राजीव एकेडमी का सतत प्रयास है कि हर विद्यार्थी अपने करियर के लक्ष्य को प्राप्त करे तथा अपने परिवार, समाज और राष्ट्र का नाम रोशन करे।
चित्र कैप्शनः नेशनल-मल्टीनेशनल कम्पनियों में चयनित राजीव एकेडमी के बीसीए और बीएससी (कम्प्यूटर साइंस) के छात्र-छात्राएं।

आर.के. ग्रुप के शैक्षिक संस्थानों में मना 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवसनिरोगी काया के लिए नियमित करें योगाभ्यासः डॉ. आर.के. अशोका


मथुरा। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के शैक्षिक संस्थानों के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर, के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल, जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस, राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट, राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी तथा राजीव इंटरनेशनल स्कूल में शनिवार को योग गुरुओं के मार्गदर्शन में यौगिक क्रियाओं का अभ्यास कर 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। संस्थान प्रमुखों ने छात्र-छात्राओं को जीवन में योग की महत्ता बताते हुए कहा कि सिर्फ एक दिन नहीं बल्कि प्रतिदिन योगाभ्यास कर हम तन-मन से स्वस्थ और प्रसन्न रह सकते हैं।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने सभी गुरुजनों तथा छात्र-छात्राओं को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की बधाई दी। डॉ. अग्रवाल ने अपने संदेश में प्राध्यापकों, छात्र-छात्राओं से योग को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमारा देश ही योग का जन्मदाता है। यहीं से योग पूरी दुनिया में प्रसारित हुआ। आज पूरा विश्व स्वास्थ्य लाभ के लिए योग का सहारा ले रहा है।
के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में यौगिक क्रियाएं स्पोर्स्व आफीसर डॉ. सोनू शर्मा ने कराईं। इस अवसर पर प्राचार्य एवं डीन डॉ. आर.के. अशोका ने कहा कि स्वस्थ जीवन के लिए हमें प्रतिदिन यौगिक क्रियाएं करनी चाहिए क्योंकि योग शरीर, मन, चेतना और आत्मा को संतुलित करता है। उन्होंने कहा कि यौगिक क्रियाएं जहां हमें शारीरिक और मानसिक परेशानियों से मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करती हैं वहीं इससे हमारा मस्तिष्क तनावमुक्त और शांतचित्त रहता है। डॉ. वी.पी. पांडेय तथा डॉ. राहुल गोयल ने भी नियमित योगाभ्यास से होने वाले फायदे बताए।
के.डी. डेंटल कॉलेज में यौगिक क्रियाएं योग गुरु सौरभ सिंह के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुईं। इस अवसर पर प्राचार्य और डीन डॉ. मनेष लाहौरी ने बताया कि योग आत्मा से परमात्मा का मिलन है। उन्होंने कहा कि विश्व भर में योग अपनी पहचान बना रहा है, मगर इसके आध्यात्मिक स्वरूप को जानने वाले लोग बहुत कम हैं। उन्होंने कहा कि आज समूची दुनिया योग की महत्ता को मान रही है। डॉ. लाहौरी ने कहा कि योग को हम जब दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएंगे तभी इसके लाभ महसूस कर सकेंगे। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर के.डी. डेंटल कॉलेज में हुए योगाभ्यास में विभागाध्यक्ष डॉ. विनय मोहन, डॉ. सोनल, डॉ. उमेश, डॉ. शैलेन्द्र, डॉ. नवप्रीत, प्रशासनिक अधिकारी नीरज छापड़िया आदि ने भी हिस्सा लिया।
जीएल बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस में यौगिक क्रियाएं योग प्रशिक्षक दर्शना उपाध्याय और स्पोर्ट्स आफीसर लोकेश शर्मा के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुईं। रजिस्ट्रार विपिन धीमान, प्राध्यापकों तथा छात्र-छात्राओं ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर सूर्य नमस्कार कर उससे होने वाले फायदे जाने। इस अवसर पर निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने छात्र-छात्राओं को बताया कि नियमित योगाभ्यास से तनाव कम होता है। योग का प्रभाव तन ही नहीं बल्कि मन पर भी अच्छा पड़ता है। राजीव इंटरनेशनल स्कूल में छात्र-छात्राओं ने उत्साह के साथ योगाभ्यास किया। प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने छात्र-छात्राओं को बताया कि योग-प्राणायाम के नियमित अभ्यास से हमारा शरीर रोग प्रतिरोधी बन जाता है। हम प्रतिदिन योगाभ्यास कर अपने आपको शांतचित्त रख सकते हैं। तन-मन को स्वस्थ रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि योग से शरीर को कोई नुकसान भी नहीं होता।
चित्र कैप्शनः आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के शैक्षिक संस्थानों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर यौगिक क्रियाएं करते प्राध्यापक तथा छात्र-छात्राएं।

संस्कृति विवि के विद्यार्थियों ने योग के लिए किया जागरूक, निकाली रैलियां


मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ नर्सिंग एवं एनएसएस के छात्र छात्राओं ने योग दिवस के उपलक्ष्य में जनजागरूकता रैली निकाल कर लोगों को योग़ करने के लिए प्रेरित किया। बताते चलें कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर सारे विश्व में योग दिवस मनाया जाता है। संस्कृति विश्वविद्यालय के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के विद्यार्थियों ने भी छाता स्वास्थ्य केंद्र से हाइवे तक रैली निकाल कर लोगों को योग करने के लिए प्रेरित किया। रैलियों का नेतृत्व कर रहे नर्सिंग स्कूल के प्राचार्य डॉक्टर केके पाराशर, संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा मोहनन ने बताया कि इस वर्ष अंतराष्ट्रीय थीम, योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ, है। उन्होंने कहा कि योग एक ऐसी विद्या है जो तन,मन और आत्मा को
संतुलन में रखती है। योग केवल आसनों का अभ्यास नहीं है, बल्कि यह एक जीवनशैली है, जो अनुशासन, एकाग्रता और आत्मचिंतन सिखाती है। योग आपके तन को ही नहीं, बल्कि आपके स्वस्थ दिमाग और शांत मन को भी दिशा देता है। यह अंदरूनी ऊर्जा को जाग्रत करता है और आपको भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है।
रैलियों में छात्र, छात्राएं बैनर लेकर नारे लगाते चल रहे थे। साथ ही साथ लोगों को योग करने के फायदे भी बता रहे थे। रैली में प्रोफेसर धीराज पाराशर, असिस्टेंट प्रोफेसर केश चंद्र सिंह,चंद्रप्रकाश सिंह, मृदुल पाठक, रिंकू, अर्जुन सिंह, दिनेश चंद्र आदि शिक्षक भी थे।

जस्टिस वर्मा की बल्ले बल्ले

विजय गुप्ता की कलम से

 मथुरा। पांच पांच सौ रुपये की बेशुमार अधजली गड्डियां बरामद होने वाले जस्टिस वर्मा की तो खूब बल्ले बल्ले हो रही है। पूरे देश के समाचार पत्रों में प्रथम पृष्ठ की सुर्खियां बनकर छाए हुए हैं। देश के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री संसद और सुप्रीम कोर्ट तक में मामला गर्माने के बावजूद उनकी पूंछ तक नहीं उखाड़ी जा सकी और डंके की चोट पर पद पर बने हुए हैं। मेरा यह दावा है कि भविष्य में भी कोई उनकी पूंछ नहीं उखाड़ पाएगा और डंके की चोट पर मुछ मुंडे होते हुए भी मूंछों पर ताव देते हुए समाज में मौज से रहेंगे और कोई भी उनकी पूंछ तो क्या एक बाल तक नहीं उखाड़ पाएगा।
 हे भगवान हमारे देश का यह कैसा कानून? जज कुछ भी कर लें उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही कर पाना इतना जटिल। गिरफ्तार करके जेल भेजना तो दूर प्राथमिकी तक नहीं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ व अन्य कई जिम्मेदार लोगों ने इस मामले में सही सवाल उठाए थे। यह तो एक बानगी है। इससे कल्पना की जा सकती है कि कहां-कहां क्या-क्या हो रहा होगा? सबसे बड़ा वज्रपात तो उन ईमानदार जजों के ऊपर है जो सही मायने में न्यायाधीश कहलाने के हकदार हैं किंतु बेबस होकर सिर्फ खून का घूंट पीने के अलावा और कोई चारा नहीं।
 लोकतंत्र के चारों स्तंभों में सबसे बड़ा स्तंभ न्यायपालिका है। न्यायाधीश का दर्जा भगवान के बाद दूसरा माना जाता है किंतु यह सब क्या हो रहा है? देखकर मन बेहद व्यथित है। हमारे पास भी खून का घूंट पीकर रह जाने के अलावा और कोई दूसरा चारा नहीं।

योग और आध्यात्मिकता स्वस्थ मानव जीवन का आधारः डॉ. गौरव सिंह


चौथे अंतरराष्ट्रीय मनोचिकित्सा और आध्यात्मिक सम्मेलन में दिया योग पर जोर
मथुरा। मनोचिकित्सा और आध्यात्मिकता दोनों ही मानव कल्याण के लिए महत्वपूर्ण पहलू हैं। दोनों के बीच गहरा सम्बन्ध है। मनोचिकित्सा मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में मदद करती है जबकि आध्यात्मिकता जीवन के अर्थ और उद्देश्यों की खोज में मदद करती है। योग की जहां तक बात है, यौगिक क्रियाएं मानव जीवन का आधार हैं। यह सारगर्भित उद्गार इंडोनेशिया के बाली सनसेट रोड कन्वेंशन सेण्टर में आयोजित चौथे अंतरराष्ट्रीय मनोचिकित्सा और आध्यात्मिक सम्मेलन में के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के उप चिकित्सा अधीक्षक और विभागाध्यक्ष मनो चिकित्सा डॉ. गौरव सिंह ने व्यक्त किए।
डॉ. गौरव सिंह ने डिजिटल कनेक्टिविटी के युग में मानसिक स्वास्थ्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक आध्यात्मिक व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से बेहतर ढंग से निपट सकता है, जबकि मनोचिकित्सा व्यक्ति को अपनी आध्यात्मिक मान्यताओं को स्पष्ट करने तथा उन्हें अपने जीवन में एकीकृत करने में मदद कर सकती है। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ. सिंह ने कहा कि मनोचिकित्सा एक प्रकार की टॉक थेरेपी है जो मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर के साथ बातचीत के माध्यम से अस्वस्थ भावनाओं, विचारों और व्यवहारों को पहचानने और बदलने में मदद करती है। इतना ही नहीं तनाव, रिश्ते सम्बन्धी मुद्दों और मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों सहित विभिन्न प्रकार की समस्याओं में मदद कर सकती है।
डॉ. सिंह ने कहा कि स्वयं का अध्ययन ही आध्यात्मिकता है। उन्होंने मनोचिकित्सा और आध्यात्मिकता को एक साथ एकीकृत करने के कई तरीके भी बताए। उन्होंने कहा कि मनोचिकित्सकों को अपने रोगियों की आध्यात्मिक मान्यताओं तथा स्वयं के विश्वासों के बारे में भी पता होना चाहिए ताकि निष्पक्ष दृष्टिकोण सुनिश्चित हो सके। उन्होंने इसके लिए माइंडफुलनेस, ध्यान और योग के उपयोग पर जोर दिया। डॉ. सिंह ने बताया कि योग एक समग्र दृष्टिकोण है जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को संतुलित करने में मदद करता है। यह विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के लिए एक सुरक्षित तथा प्रभावी पूरक उपचार हो सकता है।
डॉ. सिंह ने बताया कि योग चिकित्सा एक मन-शरीर अभ्यास है जो आपके शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करता है। यह अभ्यास आपको आराम करने, तनाव दूर करने तथा स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा उपचार के अलावा अंतर्निहित स्थितियों या लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद करने के लिए आंदोलन, माइंडफुलनेस, ध्यान, विश्राम और श्वास अभ्यास का उपयोग करता है। योग चिकित्सा एक ऐसी प्रक्रिया है जो आपको योगाभ्यास के माध्यम से सशक्त बनाती है।
उन्होंने कहा कि योग आपके विशिष्ट शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक जरूरतों और लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करने के साथ बेहतर स्वास्थ्य के लिए एक सम्पूर्ण शारीरिक दृष्टिकोण है। उन्होंने कहा कि योग से हम अपनी शारीरिक परेशानी को कम करने के साथ ही दर्द प्रबंधन में भी सुधार कर सकते हैं। इतना ही नहीं मल्टीपल स्क्लेरोसिस, फाइब्रोमायल्जिया, मिर्गी और स्ट्रोक जैसी न्यूरोलॉजिकल स्थितियों में भी योग काफी मददगार है। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड सहित विभिन्न देशों के 150 से अधिक वक्ताओं ने अपने-अपने अनुभव साझा किए। सम्मेलन में भारत से डॉ. गौरव सिंह सहित दो विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए।
डॉ. आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन श्री मनोज अग्रवाल ने डॉ. गौरव सिंह के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में व्यक्त विचारों की प्रशंसा की। डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने कहा कि आध्यात्मिकता और योग स्वस्थ जीवन का आधार है। इंसान को यदि शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना है तो उसे प्रतिदिन कुछ समय योग और आध्यात्म को देना चाहिए।
चित्र कैप्शनः चौथे अंतरराष्ट्रीय मनोचिकित्सा और आध्यात्मिक सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए उप चिकित्सा अधीक्षक और विभागाध्यक्ष मनो चिकित्सा डॉ. गौरव सिंह।

क्या अब मुर्दघटा पर भी दावतें होंगी?

विजय गुप्ता की कलम से

 मथुरा। कई दिन पहले में एक उठवानी में गया वहां पर दावत का भी इंतजाम देखकर मैं भौंचक्का सा रह गया। पहले तो उठावनियों में लोग शोक मग्न होकर बैठते और एक घंटा पूरा होते ही उठकर चल देते।
 धीरे-धीरे स्थिति बदलती गई। अब तो कुछ उठावनियों में खूब भाषण बाजी होती है तथा शोक संवेदना के नाम पर कागजों की रद्दी एकत्र होकर उसे पढ़कर सुनाया जाता है। शुरुआत में प्लास्टिक वाली पानीं की छोटी-छोटी बोतल परोसी जाती फिर चाय की चुस्की और कहीं-कहीं जलपान की स्टालें धन कुबेरों के यहां दिखने लगीं और अब तो दावत की भी शुरुआत देखी।
 मुझे लगता है कि आगे चलकर कहीं मुर्दघटा पर ही पहले जलपान की शुरुआत होकर बाद में दावतों की बारी न आ जाए। समझ में नहीं आ रहा है कि कुछ धनाढ्यों द्वारा की जाने वाली ऐसी गलत बातें होड़ा होड़ी के चक्कर में मध्यम व निर्धन लोगों तक में फैल कर परंपरा का रूप धारण न कर लें।
 मथुरा में तो एक वर्ग में तेरहवीं तक रोजाना तरह-तरह के माल टाल बाजार से आते हैं। आज क्या आएगा, कल क्या मंगाएंगे इस सब का मीनो शमशान घाट पर ही तय होने लगता है। इस वर्ग में तो खान-पान का बोलबाला हमेशा से ही चला आ रहा है। गंदगी से इनका ऐसा नाता है कि मुसलमानी बस्तियां भी मात खा जाएं।
 गांव देहात में तो आज भी घरों में एक-दो दिन तक चूल्हे नहीं जलते तथा पड़ौसी रोटी लाकर देते हैं और शोक में डूबे परिजनों को आग्रह कर कर के खिलाते हैं। वहीं दूसरी ओर अनाप-शनाप कमाई वाले कुछ लोग तेरहवीं पर दावत का ऐसा जबरदस्त प्रदर्शन करते हैं कि पूंछो मत। उनकी शान इसी में बढ़ती है। भले ही किसी भूखे को दो रोटी न खिलाते हों और प्यासे को कभी एक लोटा पानी न पिलाया हो।
 मेरी सोच इस सबसे अलग हटकर है। मेरा मानना है कि मृतक के नाम पर सात्विक ब्राह्मणों को भोजन भले ही बारह न हों एक ही हो तो भी कोई बात नहीं और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण गऊ ग्रास होता है। अगर निकट में कोई नदी हो तो उसमें भी कुछ भोजन विसर्जित करना चाहिए। इसके अलावा कुत्ता कौवा आदि पशु पक्षियों का हिस्सा बस इतना ही पर्याप्त है। बाकी और सब डोंग पाखंड व प्रदर्शन सब बेकार।

जीएलए ने बीसीए डिजिटल मार्केटिंग में शुरू किया नया पाठ्यक्रम


-इंजीनियरिंग तथा बीसीए एमसीए कोर्सों की विद्यार्थियों को जानकारी देने के लिए आगरा में 21 को और अलीगढ़ में 22 जून ओपन हाउस कार्यक्रम
भारत में तकनीकी शिक्षा के एक प्रमुख केंद्र जीएलए विश्वविद्यालय ने डिजिटल युग के अनुरूप एक नया और इंडस्ट्री-फोकस्ड बीसीए डिजिटल मार्केटिंग में विशेषज्ञता के साथ स्नातक कार्यक्रम शुरू किया है। यह कार्यक्रम डिजिटल मार्केटिंग की दुनिया में कदम रखने वाले छात्रों को व्यावहारिक दक्षता और कॅरियर में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान करेगा।

डिजिटल मार्केटिंग जैसे क्षेत्र में जहां एसईओ, सोशल मीडिया रणनीति, गूगल ऐड्स, कंटेंट मार्केटिंग और एनालिटिक्स जैसे कौशलों की मांग तेज़ी से बढ़ रही है, वहां यह कार्यक्रम छात्रों को तकनीकी और प्रबंधकीय दोनों प्रकार की क्षमताओं से सुसज्जित करता है। छात्रों को लाइव प्रोजेक्ट्स, केस स्टडीज़ और इंडस्ट्री इंटर्नशिप एवं अन्य व्यावहारिक गतिविधियों के माध्यम से वास्तविक दुनियां की समझ दी जाएगी।
इस कार्यक्रम की विशेष बात यह है कि इसे दो प्रमुख इंडस्ट्री लीडर्स एड्स फ्लोरिस, गुरूग्राम और एप्प स्क्वाडजेड सॉफ्टवेयर, नोएडा के सहयोग से डिज़ाइन किया गया है। इन साझेदारों के सहयोग से छात्रों को न केवल इंटर्नशिप मिलेगी, बल्कि वे वास्तविक इंडस्ट्री अनुभव से सीख भी पाएंगे। इससे उन्हें जॉब मार्केट में प्रवेश करते ही विशिष्ट लाभ मिलेगा।

यह कोर्स राष्ट्रीय शिक्षा नीति एनईपी 2020 के दिशा-निर्देशों के अनुसार तैयार किया गया है। इसमें मल्टी-एग्जिट विकल्प, क्रेडिट ट्रांसफर प्रणाली और डिजिटल टूल्स जैसे चैट जीपीटी, केन्वा एआइ, एसईएमरस और गूगल एनालिटिक्स पर ट्रेनिंग शामिल है, जिससे छात्र तकनीकी और रचनात्मक दोनों पक्षों में दक्ष बन सकेंगे।

इस अवसर पर कुलपति प्रो. अनुप कुमार गुप्ता ने कहा कि “हमारा लक्ष्य छात्रों को सिर्फ डिग्री देना नहीं, बल्कि उन्हें जॉब-रेडी बनाना है। डिजिटल मार्केटिंग में यह विशेषज्ञता उन्हें भविष्य के लिए सशक्त बनाएगी। आईटी के डीन प्रो. अशोक भंसाली ने कहा कि “यह कार्यक्रम रचनात्मकता, टेक्नोलॉजी और रणनीतिक सोच को जोड़ता है, जो आज के डिजिटल युग में सबसे अधिक जरूरी है।

कंप्यूटर एप्लीकेशन विभाग के सह-विभागाध्यक्ष प्रो. रोहित अग्रवाल ने बताया कि पाठ्यक्रम को उद्योग विशेषज्ञों की भागीदारी से तैयार किया गया है, ताकि छात्रों को लाइव अनुभव और समसामयिक दक्षता मिल सके।

प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग तथा बीसीए, एमसीए कोर्स में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को अधिक जानकारी देने के लिए ‘कॅरियर क्वेस्ट ओपन हाउस‘ कार्यक्रम आयोजित कर कर रहा है। कार्यक्रम आगरा के होटल लेमन ट्री में 21 जून शनिवार तथा अलीगढ़ के ऑर्चिड ब्लू में 22 जून रविवार को सुबह 10 से शाम 5 बजे तक चलेगा। यह आयोजन विशेष रूप से उन छात्रों और अभिभावकों के लिए है, जो बीसीए या बीटेक में कॅरियर को लेकर निर्णय की दहलीज़ पर हैं।

इस ओपन हाउस के दौरान छात्रों को पाठ्यक्रम की विस्तृत जानकारी, करियर मार्गदर्शन, इंडस्ट्री एक्सपोजर और एडमिशन प्रक्रिया की स्पष्ट जानकारी दी जाएगी। इच्छुक छात्र जीएलए की वेबसाइट पर पंजीकरण करके या आयोजन स्थल पर सीधे पहुंचकर इस अवसर का लाभ ले सकते हैं।