Sunday, August 10, 2025
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आर.के. ग्रुप के शैक्षिक संस्थानों में मना 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवसनिरोगी काया के लिए नियमित करें योगाभ्यासः डॉ. आर.के. अशोका


मथुरा। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के शैक्षिक संस्थानों के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर, के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल, जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस, राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट, राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी तथा राजीव इंटरनेशनल स्कूल में शनिवार को योग गुरुओं के मार्गदर्शन में यौगिक क्रियाओं का अभ्यास कर 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। संस्थान प्रमुखों ने छात्र-छात्राओं को जीवन में योग की महत्ता बताते हुए कहा कि सिर्फ एक दिन नहीं बल्कि प्रतिदिन योगाभ्यास कर हम तन-मन से स्वस्थ और प्रसन्न रह सकते हैं।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने सभी गुरुजनों तथा छात्र-छात्राओं को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की बधाई दी। डॉ. अग्रवाल ने अपने संदेश में प्राध्यापकों, छात्र-छात्राओं से योग को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमारा देश ही योग का जन्मदाता है। यहीं से योग पूरी दुनिया में प्रसारित हुआ। आज पूरा विश्व स्वास्थ्य लाभ के लिए योग का सहारा ले रहा है।
के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में यौगिक क्रियाएं स्पोर्स्व आफीसर डॉ. सोनू शर्मा ने कराईं। इस अवसर पर प्राचार्य एवं डीन डॉ. आर.के. अशोका ने कहा कि स्वस्थ जीवन के लिए हमें प्रतिदिन यौगिक क्रियाएं करनी चाहिए क्योंकि योग शरीर, मन, चेतना और आत्मा को संतुलित करता है। उन्होंने कहा कि यौगिक क्रियाएं जहां हमें शारीरिक और मानसिक परेशानियों से मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करती हैं वहीं इससे हमारा मस्तिष्क तनावमुक्त और शांतचित्त रहता है। डॉ. वी.पी. पांडेय तथा डॉ. राहुल गोयल ने भी नियमित योगाभ्यास से होने वाले फायदे बताए।
के.डी. डेंटल कॉलेज में यौगिक क्रियाएं योग गुरु सौरभ सिंह के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुईं। इस अवसर पर प्राचार्य और डीन डॉ. मनेष लाहौरी ने बताया कि योग आत्मा से परमात्मा का मिलन है। उन्होंने कहा कि विश्व भर में योग अपनी पहचान बना रहा है, मगर इसके आध्यात्मिक स्वरूप को जानने वाले लोग बहुत कम हैं। उन्होंने कहा कि आज समूची दुनिया योग की महत्ता को मान रही है। डॉ. लाहौरी ने कहा कि योग को हम जब दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएंगे तभी इसके लाभ महसूस कर सकेंगे। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर के.डी. डेंटल कॉलेज में हुए योगाभ्यास में विभागाध्यक्ष डॉ. विनय मोहन, डॉ. सोनल, डॉ. उमेश, डॉ. शैलेन्द्र, डॉ. नवप्रीत, प्रशासनिक अधिकारी नीरज छापड़िया आदि ने भी हिस्सा लिया।
जीएल बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस में यौगिक क्रियाएं योग प्रशिक्षक दर्शना उपाध्याय और स्पोर्ट्स आफीसर लोकेश शर्मा के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुईं। रजिस्ट्रार विपिन धीमान, प्राध्यापकों तथा छात्र-छात्राओं ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर सूर्य नमस्कार कर उससे होने वाले फायदे जाने। इस अवसर पर निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने छात्र-छात्राओं को बताया कि नियमित योगाभ्यास से तनाव कम होता है। योग का प्रभाव तन ही नहीं बल्कि मन पर भी अच्छा पड़ता है। राजीव इंटरनेशनल स्कूल में छात्र-छात्राओं ने उत्साह के साथ योगाभ्यास किया। प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने छात्र-छात्राओं को बताया कि योग-प्राणायाम के नियमित अभ्यास से हमारा शरीर रोग प्रतिरोधी बन जाता है। हम प्रतिदिन योगाभ्यास कर अपने आपको शांतचित्त रख सकते हैं। तन-मन को स्वस्थ रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि योग से शरीर को कोई नुकसान भी नहीं होता।
चित्र कैप्शनः आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के शैक्षिक संस्थानों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर यौगिक क्रियाएं करते प्राध्यापक तथा छात्र-छात्राएं।

संस्कृति विवि के विद्यार्थियों ने योग के लिए किया जागरूक, निकाली रैलियां


मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ नर्सिंग एवं एनएसएस के छात्र छात्राओं ने योग दिवस के उपलक्ष्य में जनजागरूकता रैली निकाल कर लोगों को योग़ करने के लिए प्रेरित किया। बताते चलें कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर सारे विश्व में योग दिवस मनाया जाता है। संस्कृति विश्वविद्यालय के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के विद्यार्थियों ने भी छाता स्वास्थ्य केंद्र से हाइवे तक रैली निकाल कर लोगों को योग करने के लिए प्रेरित किया। रैलियों का नेतृत्व कर रहे नर्सिंग स्कूल के प्राचार्य डॉक्टर केके पाराशर, संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा मोहनन ने बताया कि इस वर्ष अंतराष्ट्रीय थीम, योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ, है। उन्होंने कहा कि योग एक ऐसी विद्या है जो तन,मन और आत्मा को
संतुलन में रखती है। योग केवल आसनों का अभ्यास नहीं है, बल्कि यह एक जीवनशैली है, जो अनुशासन, एकाग्रता और आत्मचिंतन सिखाती है। योग आपके तन को ही नहीं, बल्कि आपके स्वस्थ दिमाग और शांत मन को भी दिशा देता है। यह अंदरूनी ऊर्जा को जाग्रत करता है और आपको भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है।
रैलियों में छात्र, छात्राएं बैनर लेकर नारे लगाते चल रहे थे। साथ ही साथ लोगों को योग करने के फायदे भी बता रहे थे। रैली में प्रोफेसर धीराज पाराशर, असिस्टेंट प्रोफेसर केश चंद्र सिंह,चंद्रप्रकाश सिंह, मृदुल पाठक, रिंकू, अर्जुन सिंह, दिनेश चंद्र आदि शिक्षक भी थे।

जस्टिस वर्मा की बल्ले बल्ले

विजय गुप्ता की कलम से

 मथुरा। पांच पांच सौ रुपये की बेशुमार अधजली गड्डियां बरामद होने वाले जस्टिस वर्मा की तो खूब बल्ले बल्ले हो रही है। पूरे देश के समाचार पत्रों में प्रथम पृष्ठ की सुर्खियां बनकर छाए हुए हैं। देश के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री संसद और सुप्रीम कोर्ट तक में मामला गर्माने के बावजूद उनकी पूंछ तक नहीं उखाड़ी जा सकी और डंके की चोट पर पद पर बने हुए हैं। मेरा यह दावा है कि भविष्य में भी कोई उनकी पूंछ नहीं उखाड़ पाएगा और डंके की चोट पर मुछ मुंडे होते हुए भी मूंछों पर ताव देते हुए समाज में मौज से रहेंगे और कोई भी उनकी पूंछ तो क्या एक बाल तक नहीं उखाड़ पाएगा।
 हे भगवान हमारे देश का यह कैसा कानून? जज कुछ भी कर लें उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही कर पाना इतना जटिल। गिरफ्तार करके जेल भेजना तो दूर प्राथमिकी तक नहीं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ व अन्य कई जिम्मेदार लोगों ने इस मामले में सही सवाल उठाए थे। यह तो एक बानगी है। इससे कल्पना की जा सकती है कि कहां-कहां क्या-क्या हो रहा होगा? सबसे बड़ा वज्रपात तो उन ईमानदार जजों के ऊपर है जो सही मायने में न्यायाधीश कहलाने के हकदार हैं किंतु बेबस होकर सिर्फ खून का घूंट पीने के अलावा और कोई चारा नहीं।
 लोकतंत्र के चारों स्तंभों में सबसे बड़ा स्तंभ न्यायपालिका है। न्यायाधीश का दर्जा भगवान के बाद दूसरा माना जाता है किंतु यह सब क्या हो रहा है? देखकर मन बेहद व्यथित है। हमारे पास भी खून का घूंट पीकर रह जाने के अलावा और कोई दूसरा चारा नहीं।

योग और आध्यात्मिकता स्वस्थ मानव जीवन का आधारः डॉ. गौरव सिंह


चौथे अंतरराष्ट्रीय मनोचिकित्सा और आध्यात्मिक सम्मेलन में दिया योग पर जोर
मथुरा। मनोचिकित्सा और आध्यात्मिकता दोनों ही मानव कल्याण के लिए महत्वपूर्ण पहलू हैं। दोनों के बीच गहरा सम्बन्ध है। मनोचिकित्सा मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में मदद करती है जबकि आध्यात्मिकता जीवन के अर्थ और उद्देश्यों की खोज में मदद करती है। योग की जहां तक बात है, यौगिक क्रियाएं मानव जीवन का आधार हैं। यह सारगर्भित उद्गार इंडोनेशिया के बाली सनसेट रोड कन्वेंशन सेण्टर में आयोजित चौथे अंतरराष्ट्रीय मनोचिकित्सा और आध्यात्मिक सम्मेलन में के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के उप चिकित्सा अधीक्षक और विभागाध्यक्ष मनो चिकित्सा डॉ. गौरव सिंह ने व्यक्त किए।
डॉ. गौरव सिंह ने डिजिटल कनेक्टिविटी के युग में मानसिक स्वास्थ्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक आध्यात्मिक व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से बेहतर ढंग से निपट सकता है, जबकि मनोचिकित्सा व्यक्ति को अपनी आध्यात्मिक मान्यताओं को स्पष्ट करने तथा उन्हें अपने जीवन में एकीकृत करने में मदद कर सकती है। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ. सिंह ने कहा कि मनोचिकित्सा एक प्रकार की टॉक थेरेपी है जो मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर के साथ बातचीत के माध्यम से अस्वस्थ भावनाओं, विचारों और व्यवहारों को पहचानने और बदलने में मदद करती है। इतना ही नहीं तनाव, रिश्ते सम्बन्धी मुद्दों और मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों सहित विभिन्न प्रकार की समस्याओं में मदद कर सकती है।
डॉ. सिंह ने कहा कि स्वयं का अध्ययन ही आध्यात्मिकता है। उन्होंने मनोचिकित्सा और आध्यात्मिकता को एक साथ एकीकृत करने के कई तरीके भी बताए। उन्होंने कहा कि मनोचिकित्सकों को अपने रोगियों की आध्यात्मिक मान्यताओं तथा स्वयं के विश्वासों के बारे में भी पता होना चाहिए ताकि निष्पक्ष दृष्टिकोण सुनिश्चित हो सके। उन्होंने इसके लिए माइंडफुलनेस, ध्यान और योग के उपयोग पर जोर दिया। डॉ. सिंह ने बताया कि योग एक समग्र दृष्टिकोण है जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को संतुलित करने में मदद करता है। यह विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के लिए एक सुरक्षित तथा प्रभावी पूरक उपचार हो सकता है।
डॉ. सिंह ने बताया कि योग चिकित्सा एक मन-शरीर अभ्यास है जो आपके शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करता है। यह अभ्यास आपको आराम करने, तनाव दूर करने तथा स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा उपचार के अलावा अंतर्निहित स्थितियों या लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद करने के लिए आंदोलन, माइंडफुलनेस, ध्यान, विश्राम और श्वास अभ्यास का उपयोग करता है। योग चिकित्सा एक ऐसी प्रक्रिया है जो आपको योगाभ्यास के माध्यम से सशक्त बनाती है।
उन्होंने कहा कि योग आपके विशिष्ट शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक जरूरतों और लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करने के साथ बेहतर स्वास्थ्य के लिए एक सम्पूर्ण शारीरिक दृष्टिकोण है। उन्होंने कहा कि योग से हम अपनी शारीरिक परेशानी को कम करने के साथ ही दर्द प्रबंधन में भी सुधार कर सकते हैं। इतना ही नहीं मल्टीपल स्क्लेरोसिस, फाइब्रोमायल्जिया, मिर्गी और स्ट्रोक जैसी न्यूरोलॉजिकल स्थितियों में भी योग काफी मददगार है। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड सहित विभिन्न देशों के 150 से अधिक वक्ताओं ने अपने-अपने अनुभव साझा किए। सम्मेलन में भारत से डॉ. गौरव सिंह सहित दो विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए।
डॉ. आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन श्री मनोज अग्रवाल ने डॉ. गौरव सिंह के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में व्यक्त विचारों की प्रशंसा की। डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने कहा कि आध्यात्मिकता और योग स्वस्थ जीवन का आधार है। इंसान को यदि शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना है तो उसे प्रतिदिन कुछ समय योग और आध्यात्म को देना चाहिए।
चित्र कैप्शनः चौथे अंतरराष्ट्रीय मनोचिकित्सा और आध्यात्मिक सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए उप चिकित्सा अधीक्षक और विभागाध्यक्ष मनो चिकित्सा डॉ. गौरव सिंह।

क्या अब मुर्दघटा पर भी दावतें होंगी?

विजय गुप्ता की कलम से

 मथुरा। कई दिन पहले में एक उठवानी में गया वहां पर दावत का भी इंतजाम देखकर मैं भौंचक्का सा रह गया। पहले तो उठावनियों में लोग शोक मग्न होकर बैठते और एक घंटा पूरा होते ही उठकर चल देते।
 धीरे-धीरे स्थिति बदलती गई। अब तो कुछ उठावनियों में खूब भाषण बाजी होती है तथा शोक संवेदना के नाम पर कागजों की रद्दी एकत्र होकर उसे पढ़कर सुनाया जाता है। शुरुआत में प्लास्टिक वाली पानीं की छोटी-छोटी बोतल परोसी जाती फिर चाय की चुस्की और कहीं-कहीं जलपान की स्टालें धन कुबेरों के यहां दिखने लगीं और अब तो दावत की भी शुरुआत देखी।
 मुझे लगता है कि आगे चलकर कहीं मुर्दघटा पर ही पहले जलपान की शुरुआत होकर बाद में दावतों की बारी न आ जाए। समझ में नहीं आ रहा है कि कुछ धनाढ्यों द्वारा की जाने वाली ऐसी गलत बातें होड़ा होड़ी के चक्कर में मध्यम व निर्धन लोगों तक में फैल कर परंपरा का रूप धारण न कर लें।
 मथुरा में तो एक वर्ग में तेरहवीं तक रोजाना तरह-तरह के माल टाल बाजार से आते हैं। आज क्या आएगा, कल क्या मंगाएंगे इस सब का मीनो शमशान घाट पर ही तय होने लगता है। इस वर्ग में तो खान-पान का बोलबाला हमेशा से ही चला आ रहा है। गंदगी से इनका ऐसा नाता है कि मुसलमानी बस्तियां भी मात खा जाएं।
 गांव देहात में तो आज भी घरों में एक-दो दिन तक चूल्हे नहीं जलते तथा पड़ौसी रोटी लाकर देते हैं और शोक में डूबे परिजनों को आग्रह कर कर के खिलाते हैं। वहीं दूसरी ओर अनाप-शनाप कमाई वाले कुछ लोग तेरहवीं पर दावत का ऐसा जबरदस्त प्रदर्शन करते हैं कि पूंछो मत। उनकी शान इसी में बढ़ती है। भले ही किसी भूखे को दो रोटी न खिलाते हों और प्यासे को कभी एक लोटा पानी न पिलाया हो।
 मेरी सोच इस सबसे अलग हटकर है। मेरा मानना है कि मृतक के नाम पर सात्विक ब्राह्मणों को भोजन भले ही बारह न हों एक ही हो तो भी कोई बात नहीं और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण गऊ ग्रास होता है। अगर निकट में कोई नदी हो तो उसमें भी कुछ भोजन विसर्जित करना चाहिए। इसके अलावा कुत्ता कौवा आदि पशु पक्षियों का हिस्सा बस इतना ही पर्याप्त है। बाकी और सब डोंग पाखंड व प्रदर्शन सब बेकार।

जीएलए ने बीसीए डिजिटल मार्केटिंग में शुरू किया नया पाठ्यक्रम


-इंजीनियरिंग तथा बीसीए एमसीए कोर्सों की विद्यार्थियों को जानकारी देने के लिए आगरा में 21 को और अलीगढ़ में 22 जून ओपन हाउस कार्यक्रम
भारत में तकनीकी शिक्षा के एक प्रमुख केंद्र जीएलए विश्वविद्यालय ने डिजिटल युग के अनुरूप एक नया और इंडस्ट्री-फोकस्ड बीसीए डिजिटल मार्केटिंग में विशेषज्ञता के साथ स्नातक कार्यक्रम शुरू किया है। यह कार्यक्रम डिजिटल मार्केटिंग की दुनिया में कदम रखने वाले छात्रों को व्यावहारिक दक्षता और कॅरियर में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान करेगा।

डिजिटल मार्केटिंग जैसे क्षेत्र में जहां एसईओ, सोशल मीडिया रणनीति, गूगल ऐड्स, कंटेंट मार्केटिंग और एनालिटिक्स जैसे कौशलों की मांग तेज़ी से बढ़ रही है, वहां यह कार्यक्रम छात्रों को तकनीकी और प्रबंधकीय दोनों प्रकार की क्षमताओं से सुसज्जित करता है। छात्रों को लाइव प्रोजेक्ट्स, केस स्टडीज़ और इंडस्ट्री इंटर्नशिप एवं अन्य व्यावहारिक गतिविधियों के माध्यम से वास्तविक दुनियां की समझ दी जाएगी।
इस कार्यक्रम की विशेष बात यह है कि इसे दो प्रमुख इंडस्ट्री लीडर्स एड्स फ्लोरिस, गुरूग्राम और एप्प स्क्वाडजेड सॉफ्टवेयर, नोएडा के सहयोग से डिज़ाइन किया गया है। इन साझेदारों के सहयोग से छात्रों को न केवल इंटर्नशिप मिलेगी, बल्कि वे वास्तविक इंडस्ट्री अनुभव से सीख भी पाएंगे। इससे उन्हें जॉब मार्केट में प्रवेश करते ही विशिष्ट लाभ मिलेगा।

यह कोर्स राष्ट्रीय शिक्षा नीति एनईपी 2020 के दिशा-निर्देशों के अनुसार तैयार किया गया है। इसमें मल्टी-एग्जिट विकल्प, क्रेडिट ट्रांसफर प्रणाली और डिजिटल टूल्स जैसे चैट जीपीटी, केन्वा एआइ, एसईएमरस और गूगल एनालिटिक्स पर ट्रेनिंग शामिल है, जिससे छात्र तकनीकी और रचनात्मक दोनों पक्षों में दक्ष बन सकेंगे।

इस अवसर पर कुलपति प्रो. अनुप कुमार गुप्ता ने कहा कि “हमारा लक्ष्य छात्रों को सिर्फ डिग्री देना नहीं, बल्कि उन्हें जॉब-रेडी बनाना है। डिजिटल मार्केटिंग में यह विशेषज्ञता उन्हें भविष्य के लिए सशक्त बनाएगी। आईटी के डीन प्रो. अशोक भंसाली ने कहा कि “यह कार्यक्रम रचनात्मकता, टेक्नोलॉजी और रणनीतिक सोच को जोड़ता है, जो आज के डिजिटल युग में सबसे अधिक जरूरी है।

कंप्यूटर एप्लीकेशन विभाग के सह-विभागाध्यक्ष प्रो. रोहित अग्रवाल ने बताया कि पाठ्यक्रम को उद्योग विशेषज्ञों की भागीदारी से तैयार किया गया है, ताकि छात्रों को लाइव अनुभव और समसामयिक दक्षता मिल सके।

प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग तथा बीसीए, एमसीए कोर्स में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को अधिक जानकारी देने के लिए ‘कॅरियर क्वेस्ट ओपन हाउस‘ कार्यक्रम आयोजित कर कर रहा है। कार्यक्रम आगरा के होटल लेमन ट्री में 21 जून शनिवार तथा अलीगढ़ के ऑर्चिड ब्लू में 22 जून रविवार को सुबह 10 से शाम 5 बजे तक चलेगा। यह आयोजन विशेष रूप से उन छात्रों और अभिभावकों के लिए है, जो बीसीए या बीटेक में कॅरियर को लेकर निर्णय की दहलीज़ पर हैं।

इस ओपन हाउस के दौरान छात्रों को पाठ्यक्रम की विस्तृत जानकारी, करियर मार्गदर्शन, इंडस्ट्री एक्सपोजर और एडमिशन प्रक्रिया की स्पष्ट जानकारी दी जाएगी। इच्छुक छात्र जीएलए की वेबसाइट पर पंजीकरण करके या आयोजन स्थल पर सीधे पहुंचकर इस अवसर का लाभ ले सकते हैं।

“एनपीटीइएल” राष्ट्रीय रैंकिंग में जीएलए विश्वविद्यालय शिखर पर

-जीएलए एनपीटीइएल की राष्ट्रीय रैंकिंग में उतर प्रदेश में प्रथम स्थान और भारत में सातवें स्थान पर
-जीएलए विश्वविद्यालय के छात्रों को शिक्षा और रोजगार के साथ मिल रहे “आईआईटीः स्वयंम-एनपीटीइएल” से कोर्स प्रमाणपत्र के अवसर
मथुरा : विद्यार्थियों के बेहतर प्रदर्शन के आधार पर जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा पांचवी बार एनपीटीइएल (नेशनल प्रोग्राम ऑन टेक्नोलॉजी एन्हांस्ड लर्निंग) राष्ट्रीय रैंकिंग में शिखर की ओर अग्रसर है। इस बार परीक्षा परिणाम के अनुसार जीएलए विश्विद्यालय उतर प्रदेश में प्रथम स्थान और भारत में सातवें स्थान पर पहुंच गया है।

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित “स्वयंम प्लेटफार्म” पिछले छह वर्षो में जीएलए विश्वविद्यालय के 50 हज़ार से अधिक विद्यार्थियों ने एनपीटीइएल लोकल चैप्टर कोर्स करने के लिए पंजीकरण कराया। इनमें से 40 हज़ार से अधिक विद्यार्थी प्रमाणपत्र हासिल कर चुके हैं। इस वर्ष जनवरी से अप्रैल सेशन के लिए 8 हजार 700 से अधिक छात्रों ने पंजीकरण कराया, जिसमें से 8 हजार विद्याथिर्यों ने सफलता पाई। इनमें 450 टॉपर, 67 गोल्ड, 1791 सिल्वर, 4 हजार 315 को एलीट प्रमाणपत्र हासिल हुआ। 1000 से अधिक छात्र एनपीटीइएल स्टार रहे, जिसमें विषयानुसार रेटिंग में प्रबंधन और बहु-विषयक शामिल हैं।

इस वर्ष मई 2025 में “स्वयंम प्लेटफार्म” ने एनपीटीइएल लोकल चैप्टर रैंकिंग जारी की। इसमें देश में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले 200 संस्थानों शामिल हैं। इस सूची में जीएलए विश्वविद्यालय मथुरा को उत्तर प्रदेश में प्रथम स्थान और भारत में सातवां स्थान हासिल हुआ और जीएलए को शीर्ष 10 एनपीटीइएल लोकल चैप्टर में सबसे उच्चतम रैंकिंग “एएए” के साथ देश के अग्रणी संस्थानो में शामिल किया गया है। यह रैकिंग इस बात का प्रमाण है कि जीएलए विश्वविद्यालय प्रदेश में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर समकक्ष विश्वविद्यालय के समान ही अभियांत्रकी, प्रबंधन, विज्ञान आदि विषयों में उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान कर रहा है।

जीएलए एनपीटीइएल लोकल चैप्टर के समन्वयक एवं पुस्तकालयाध्यक्ष डा. राजेश कुमार ने बताया कि पिछले छह वर्षों में स्वयंम प्लेटफार्म के माध्यम से विभिन्न प्रमाणपत्र कोर्स करने में रूचि दिखाने वाले छात्रों की अगर बात की जाये तो वर्ष 2024 में 16 हज़ार से अधिक छात्रों ने पंजीकरण कराया था। उन्होंने बताया कि विद्याथियों के लिए उक्त प्लेटफार्म पर उपलव्ध पाठ्यक्रम उनके कौशल और उद्यमिता विकास के लिए बहुत ही उपयोगी है। इसलिए विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए उनको प्रोत्साहित किया जाता है, जिसके फलस्वरूप जीएलए विश्वविद्यालय ने एनपीटीइएल में “एएए” उच्चतम रैंकिंग प्राप्त किया।

कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने बताया कि आइआइटी के प्रोफेसरो के द्वारा एनपीटीइएल पर संचालित किये जा रहे कोर्सों में विद्यार्थियों का अच्छा रूझान देखने को मिल रहा है। इसके अलावा “स्वयंम प्लेटफार्म” पर भी जीएलए विश्वविद्यालय के प्रोफेसरो के रिकार्डेड लेक्चर उपलब्ध हैं। इन रिकार्डेड लेक्चर के माध्यम से विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह सभी कोर्स यूजीसी, एआईसीटीई और भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय से मान्यता प्राप्त हैं।

इस उपलब्धि पर जीएलए विश्वविद्यालय के सीईओ नीरज अग्रवाल, सीएफओ विवेक अग्रवाल एवं कुलसचिव अशोक कुमार सिंह ने हर्ष जताते हुए सभी विद्यार्थियों, शिक्षकों और विश्वविद्यालय के एनपीटीइएल लोकल चैप्टर के समन्वयक टीम को शुभकामनायें प्रेषित कीं।

शिक्षा के क्षेत्र में अह्म योगदान पर जीएलए के सीएफओ राजस्थान में सम्मानित

-राजस्थान में धाम की धरती पर अंतरराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन ने आयोजित किया भव्य अलंकरण समारोह
मथुरा : राजस्थान की पावन भूमि खाटू धाम में अंतरराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन द्वारा भव्य अलंकरण समारोह का आयोजन हुआ। समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में अह्म योगदान देने वाली देश-विदेश की 35 हस्तियों सहित शिक्षा के क्षेत्र विशेष योगदान देने पर जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के सीएफओ विवेक अग्रवाल को सम्मानित किया गया।

अंतरराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन द्वारा आयोजित अलंकरण समारोह का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रायपुर सांसद ब्रजमोहन अग्रवाल ने कहा कि अब अग्रवाल समाज निश्चय ही चहुंमुखी विकास की ओर अग्रसर है। इसलिए हमें अपनी संस्कृति और संस्कारों का भी विशेष ध्यान देना चाहिए, जो संस्कार हमारे महाराजा अग्रवाल जी एवं कुलदेवी लक्ष्मी जी ने दिए हैं। उसे हमें अनी आने वाली पीढ़ियां में भी डालने का प्रयास करना चाहिए।

तत्पश्चात् देश-विदेश की 35 हस्तियों सहित जीएलए विश्वविद्यालय के सीएफओ विवेक अग्रवाल को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी योगदान हेतु मुख्य अतिथि सांसद ब्रजमोहन अग्रवाल एवं अंतरराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार मित्तल ने सम्मानित किया।

इस दौरान विवेक अग्रवाल ने कहा कि हमारी संस्कृति ही हमारी तरक्की का परिचायक है। हमें अपने बच्चों में पूर्वजों द्वारा दिए गए सिद्धांतों को डालने का प्रयास करने की आवश्यकता है। अंत में उन्होंने सम्मेलन के पदाधिकारियों को कार्यक्रम के भव्य आयोजन पर धन्यवाद दिया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार मित्तल ने समस्त टीम को शानदार आयोजन के लिए बधाई दी एवं सहयोग देने वाले सभी महानुभावों का आभार प्रकट किया। उन्होंने हस्तियों का स्वागत स्मृति चिन्ह् और पुष्प गुच्छ भेंट कर किया।

इस मौके पर राष्ट्रीय संयोजक अजय कांत गर्ग, नेपाल गोविंद मुरारी अग्रवाल प्रबंध न्यासी ट्रस्टी श्री श्याम मंदिर, सुनील रामदास अग्रवाल चेयरमैन रामदास द्रोपदी देवी फाउंडेशन रायपुर छत्तीसगढ़, विपिन गुप्ता संपादक नेशनल एक्सप्रेस, अग्रोहा विकास ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीए उत्तम प्रकाश अग्रवाल, सत्यमेव जयते फाउंडेशन के संस्थापक कन्हैया अग्रवाल, कन्हैया अग्रवाल, उद्योगपति हिसार हरियाणा श्याम प्रेमी दीपक आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

संस्कृति विवि के विद्यार्थियों ने कानपुर में किया धमाकेदार फैशन शो

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फैशन डिजाइनिंग के विद्यार्थियों ने कानपुर की श्री गंगा वैली में हुए लेक्सो शो में अपने शानदार डिजाइनिंग वाले परिधानों का फैशन शो कर धूम मचा दी।
रंग बिरंगी लाइटों के मध्य मधुर संगीत के सुरों पर संस्कृति स्कूल ऑफ फैशन डिजाइनिंग के विद्यार्थी नवीन डिजाइनिंग वाले परिधान पहन कर रैंप वॉक कर रहे थे तो सारा वातावरण उनके आत्मविश्वास की झलक पाकर तालियों से गूंज उठा। दर्शकों के लिए यह शो थिरकन भरा था तो व्यवसायियों के लिए व्यापार की नई संभावनाएं देने वाला बना। कुशल और अनुभवी मॉडल्स की भांति संस्कृति विश्विद्यालय के छात्र और छात्राएं एक से बढ़कर एक डिजाइनिंग वाले वस्त्रों का प्रदर्शन कर रहे थे और हर प्रदर्शन पर दर्शक तालियां बजाकर उनका उत्साह बढ़ा रहे थे।
दर्शकों की निगाह में यह फैशन शो लाजवाब था इसलिए देर तक चर्चाओं का केंद्र भी बना। संस्कृति स्कूल ऑफ फैशन डिजाइनिंग की शिक्षिका शिल्पा ने बताया कि इस फैशन शो को मूर्त रूप देने वाले हमारे सभी विद्यार्थी प्रथम वर्ष के छात्र, छात्राएं हैं जिनमें वंशिका, नेहा, ज्योति, भावना और प्रिंस शामिल थे। विद्यार्थियों ने इस फैशन शो को अंजाम देने के लिए कड़ी तैयारी की थी और अब जबरदस्त सफलता पर सभी बहुत खुश हैं।
फैशन शो की सफलता पर विवि के कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता, सीईओ डॉ श्रीमती मीनाक्षी शर्मा, कुलपति प्रोफेसर एमबी चेट्टी ने विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई दी हैं।

प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर बचाए मानव जीवन


के.डी. हॉस्पिटल में रक्तदान कर लिया मानव रक्षा का संकल्प
मथुरा। रक्तदान दुनिया का सबसे बड़ा दान है। हमें स्वेच्छा से रक्तदान कर मानव जीवन की रक्षा में अपना योगदान देना चाहिए। रक्तदान से कभी कोई गम्भीर बीमारी नहीं होती इसलिए प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति को न केवल रक्तदान करना चाहिए बल्कि दूसरे लोगों को भी प्रेरित करना चाहिए। यह बातें के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में पैथालॉजी विभाग द्वारा शनिवार को आयोजित विश्व रक्तदान दिवस पर विभागाध्यक्ष पैथालॉजी एण्ड ब्लड बैंक डॉ. प्रणीता सिंह ने रक्तदाताओं को बताईं।
डॉ. प्रणीता सिंह ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का जीवन अनमोल है, लिहाजा हमें दूसरों का जीवन बचाने के लिए समय समय पर रक्तदान करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि हमें अपने समाज और राष्ट्र को स्वस्थ रखना है तो आबादी की दृष्टि से कम से कम एक फीसदी यूनिट रक्त ब्लड बैंकों में हमेशा उपलब्ध होना चाहिए। यदि ब्लड बैंकों में रक्त होगा तो किसी गम्भीर बीमारी या आपातकालीन स्वास्थ्य स्थिति में समय से रक्त की कमी को पूरा कर लोगों का जीवन बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस साल का थीम रक्त दें, आशा दें: साथ मिलकर हम जीवन बचाते हैं, रखा गया है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि रक्त की कमी वालों के लिए इसकी पूर्ति जीवन दान जैसी है। डॉ. अग्रवाल ने रक्तदान के प्रति लोगों की भ्रांतियों को दूर करते हुए कहा कि शरीर में प्रत्येक तीन महीने में नए ब्लड का निर्माण होता है लिहाजा हर तीन महीने बाद कोई भी स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है। रक्तदान से शरीर में कोई कमी नहीं आती। उन्होंने कहा कि रक्त की एक-एक बूंद की कीमत होती है। इसका अहसास हमें तब होता है जब आपात स्थिति में इसकी आवश्यकता होती है।
के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने अपने संदेश में रक्तदान को जीवन दान बताते हुए कहा कि हर व्यक्ति को एक-दूसरे के सहयोग के लिए तत्पर रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि रक्तदान करने वाले दूसरे को जिन्दगी देने का पुण्य काम करते हैं। श्री अग्रवाल ने कहा कि रक्त किसी कम्पनी में नहीं बनता, इसलिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को रक्तदान जैसे जीवन रक्षक कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। श्री अग्रवाल ने रक्तदान के प्रति आस-पास के लोगों को भी जागरूक करने का आह्वान किया।
शिविर में 2024 बैच के मेडिकल छात्रों ने रक्तदान कर मानव जीवन रक्षा का संकल्प लिया। रक्तदान करने वालों में आदित्य कुमार शर्मा, आदित्य रतन श्रीवास्तव, मोहित कुहुक, रोहन चौधरी, रंजीत सैनी, योगेश राजपूत, महेश शर्मा आदि शामिल हैं। इस अवसर पर डॉ. प्रणीता सिंह, डॉ. संगीता सिंह, डॉ. अम्बरीश कुमार, डॉ. निखिल, डॉ. सोनम, डॉ. योगिता, डॉ. शुभम ने रक्तदान कर लोगों की जीवन रक्षा का अनुकरणीय उदाहरण पेश करने वाले रक्तदाताओं का उत्साहवर्धन किया। सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक चले शिविर में सहयोग टेक्निकल सुपरवाइजर एच.एस. शेखावत, वीरेश कुमार, एओ अमित शर्मा, दीपक शर्मा, अखिलेश शुक्ला, टेक्नीशियन विजय सिंह, अजय शर्मा, भगत सिंह, पंकज जोशी, नर्सिंग स्टॉफ सुषमा देवी, ललित, कांती देवी आदि ने किया।
चित्र कैप्शनः विश्व रक्तदान दिवस पर के.डी. हॉस्पिटल में रक्तदान करते लोग।