Tuesday, December 30, 2025
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स्टेट ताइक्वांडो में राजीव इंटरनेशनल स्कूल के होनहारों ने जमाई धाक, राजधानी लखनऊ में जीते तीन गोल्ड सहित कुल 17 मेडल

40वीं सब-जूनियर स्टेट ताइक्वांडो चैम्पियनशिप में जीती टीम ट्रॉफी

मथुरा। जिला ताइक्वांडो एसोसिएशन लखनऊ तथा उत्तर प्रदेश ताइक्वांडो एसोसिएशन के तत्वावधान में के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम में आयोजित 40वीं सब-जूनियर स्टेट ताइक्वांडो चैम्पियनशिप में राजीव इंटरनेशनल स्कूल मथुरा के छात्र-छात्राओं ने तीन गोल्ड, छह सिल्वर सहित कुल 17 मेडल जीतकर अपनी प्रतिभा की शानदार बानगी पेश की। आर.आई.एस. के होनहार छात्र-छात्राओं ने अपने शानदार कौशल से न केवल खेलप्रेमियों का दिल जीता बल्कि बेस्ट टीम ट्रॉफी जीतकर समूचे मथुरा जनपद को गौरवान्वित किया।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा और कौशल से शानदार सफलता हासिल कर रहे हैं। हाल ही में राजधानी लखनऊ के के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम में हुई 40वीं सब-जूनियर स्टेट ताइक्वांडो चैम्पियनशिप में राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं ने तीन गोल्ड, 6 सिल्वर तथा 7 ब्रांज मेडल सहित कुल 17 मेडल अपने नाम किए। आरआईएस के होनहारों को शानदार प्रदर्शन के लिए आयोजन समिति की तरफ से बेस्ट टीम ट्रॉफी भी प्रदान की गई। अब आर.आई.एस. के स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी राष्ट्रीय ताइक्वांडो चैम्पियनशिप में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगे।
खिलाड़ियों ने अपनी इस सफलता का श्रेय स्पोर्ट्स टीचर रेखा शर्मा को दिया है। स्पोर्ट्स टीचर रेखा शर्मा ने बताया कि के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम लखनऊ में 10 जुलाई से आयोजित 40वीं सब-जूनियर स्टेट ताइक्वांडो चैम्पियनशिप में राजीव इंटरनेशनल स्कूल के श्रेयस, अथर्व और शिवम ने गोल्ड मेडल जीते वहीं अक्षरा, विराट, प्रियांशा, भविष्य, हार्दिक, मनस्वी ने सिल्वर मेडल से अपने गले सजाए। स्कूल की आशी, आध्या, कनिका, गार्गी, तेजल, अन्वी, विहान एवं नवनीत ने ब्रांज मेडल जीतकर विद्यालय को गौरवान्वित किया।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने स्टेट ताइक्वांडो चैम्पियनशिप में मेडल जीतने वाले सभी छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए नेशनल में मेडल जीतने की शुभकामनाएं दी हैं। डॉ. अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि जीत-हार खेल का हिस्सा है। प्रतियोगिता में जो बच्चे मेडल नहीं जीत पाए उन्हें निराश नहीं होना चाहिए। उन्हें भविष्य में अच्छे प्रदर्शन के लिए अभी से तैयारी जारी रखनी चाहिए।
प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि विद्यार्थी जीवन में जितना पढ़ाई का महत्व है उतना ही महत्व खेलों में सहभागिता का भी है। श्री अग्रवाल ने कहा कि खेलों से जहां तन और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं वहीं आज के समय में खेल समय की बर्बादी नहीं बल्कि इनमें शानदार करियर भी है। शैक्षिक संयोजिका प्रिया मदान ने मेडल विजेता छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल सभी होनहारों को उनकी रुचि अनुरूप अवसर देने को प्रतिबद्ध है। प्रत्येक विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास ही विद्यालय का मुख्य उद्देश्य है।

मथुरा जं. स्टेशन पर बिना टिकट/अनाधिकृत यात्रा करने वालों के विरूद्ध चलाया गया विशेष टिकट चेकिंग अभियान

मंडल रेल प्रबंधक आगरा श्री तेज प्रकाश अग्रवाल के निर्देशानुसार व वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक आगरा श्री अमित आनन्द के निर्देशन मे स्टेशन निदेशक मथुरा जंक्शन श्री एस के श्रीवास्तव के नेतृत्व में बिना टिकट यात्रियों की रोकथाम हेतु दिनांक- 11.07.2024 को बिना टिकट यात्रा, अनियमित यात्रा, बिना बुक लगेज, गंदगी फ़ैलाने वालों के विरुद्ध मथुरा जंक्शन स्टेशन पर विशेष जांच अभियान चलाया गया । जांच के दौरान 67 बिना टिकट यात्रियों से रु-27155, 14 अनाधिकृत यात्रा करने वाले यात्रियों से रु0- 5370 तथा 08 गंदगी फैलाने वाले यात्रियों से रु 800 सहित कुल 89 यात्रियों से रु0- 33325/- का जुर्माना वसूल किया गया ।
जांच में श्री अमित कृष्ण भटनागर मंडल वाणिज्य निरीक्षक, श्री रघुवर दयाल मुख्य टिकट निरीक्षक/सामान्य/मथुरा जंक्शन एवं टिकट जांच कर्मचारी तथा आर पी एफ , जीआरपी के जवान मौजूद रहे ।


जनसंपर्क अधिकारी कु. प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्रकार की जांच मंडल में निरंतर कराई जा रही हैं । अतः यात्रियों से अनुरोध है कि वह उचित यात्रा टिकट लेकर एवम निर्धारित सीमा से अधिक सामान को बुक कराकर ही यात्रा करे तथा रेल परिसर में गंदगी न फैलाए ।

कैंसर के खिलाफ लड़ाई में ऑन्कोलॉजी काफी मददगारः डॉ. सुरेंद्र सिंह, के.डी. डेंटल कॉलेज में सर्जिकल और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी पर हुई परिचर्चा

मथुरा। कैंसर के उपचार, निदान और प्रबंधन में ऑन्कोलॉजी का विशेष महत्व है। नए उपचार और तकनीकी प्रगति के कारण ऑन्कोलॉजी लगातार विकसित हो रही है। चिकित्सा क्षेत्र में ऑन्कोलॉजी कैंसर के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह बातें गुरुवार को के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में ऑन्कोलॉजी चिकित्सा प्रगति पर हुई परिचर्चा में पुष्पांजलि हॉस्पिटल,आगरा के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुरेंद्र सिंह तथा सलाहकार रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. नीरज राजपूत ने छात्र-छात्राओं को बताईं। परिचर्चा का शुभारम्भ डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी द्वारा अतिथि वक्ताओं के परिचय से हुआ।
सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुरेंद्र सिंह ने बताया कि कैंसर जैसी बीमारी के उपचार में रेडियोलॉजिस्ट, पैथोलॉजिस्ट तथा सर्जन सहित अन्य स्वास्थ्य सेवाप्रदाता मरीज का सहयोग करते हैं, इसमें सर्जरी, विकिरण चिकित्सा, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी या लक्षित चिकित्सा शामिल हो सकती है। सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट बायोप्सी, ट्यूमर हटाने तथा पुनर्निर्माण सर्जरी सहित कैंसर के सर्जिकल प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हैं। अंत में विकिरण ऑन्कोलॉजिस्ट अकेले या अन्य उपचारों के संयोजन में कैंसर का इलाज करने के लिए विकिरण चिकित्सा का उपयोग करते हैं। डॉ. सुरेंद्र सिंह की जहां तक बात है वह सर्जिकल ऑन्कोलॉजी में व्यापक अनुभव रखते हैं। वह अब तक सैकड़ों कैंसर पीड़ितों का सर्जिकल उपचार कर चुके हैं। इनकी सूक्ष्म विवेचनात्मक तकनीक तथा व्यक्तिगत रोगी देखभाल के लिए हर कोई प्रशंसा करता है।
सलाहकार रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. नीरज राजपूत ने बताया कि कैंसर के उपचार में लगातार प्रगति हो रही है। परिचर्चा में उन्होंने चिकित्सा पेशेवरों तथा छात्र-छात्राओं को सर्जिकल और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में नवीनतम प्रगति की जानकारी दी। उन्होंने उपस्थित छात्र-छात्राओं को नवाचारी उपचार विकल्पों, समय रहते जांच के महत्व तथा रोगी देखभाल पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. नीरज राजपूत रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं। डॉ. राजपूत ने कैंसर उपचार में रेडिएशन थेरेपी की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने छात्र-छात्राओं तथा चिकित्सा पेशेवरों को कैंसर के उपचार में सूक्ष्म चिकित्सा तथा कटिंग-एज तकनीक को उपयोगी बताया।
अंत में के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के प्राचार्य और डीन डॉ. मनेष लाहौरी ने मुख्य वक्ताओं डॉ. सुरेंद्र सिंह तथा डॉ. नीरज राजपूत की प्रशंसा करते हुए छात्र-छात्राओं को बेशकीमती अनुभव प्रदान करने के लिए उनका आभार माना। डॉ. लाहौरी ने कहा कि कैंसर को विनाशकारी बीमारी माना जाता है। कैंसर देखभाल की आवश्यकता वाले रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है लिहाजा कैंसर देखभाल की जरूरत को पूरा करने के लिए वैश्विक ऑन्कोलॉजी नर्सिंग कार्यबल बहुत आवश्यक है।
डॉ. लाहौरी ने बताया कि विकिरण चिकित्सा का उपयोग आमतौर पर कैंसर के उपचार में किया जाता है। यह लगभग 30 फीसदी रोगियों में प्राथमिक उपचारात्मक पद्धति है। सभी कैंसर रोगियों में से आधे से अधिक को अपनी बीमारी के दौरान कभी न कभी विकिरण चिकित्सा जरूर दी जाती है। डॉ. लाहौरी ने कहा कि वक्ताओं ने जो जानकारी दी है उसका छात्र-छात्राओं तथा स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को काफी लाभ मिलेगा। अंत में उन्होंने सभी का आभार मानते हुए कहा कि इस परिचर्चा का लाभ छात्र-छात्राओं ही नहीं सेवाप्रदाताओं को भी मिलेगा।

बलदेव में मनमानी पर उतारू विद्युत विभाग का ठेकेदार, बीच बाजार में लगा दिया खंभा

लोगों के काफी मना करने के बावजूद नहीं माना, विद्युत अधिकारी नहीं कर रहे निरीक्षण
बीच बाजार से होकर निकलतीं हैं भव्य शोभायात्राएं, आयेंगी अड़चन, लोगों में रोष

बलदेव/मथुरा : यूपीपीसीएल दक्षिणांचल विद्युत वितरण विभाग के अन्तर्गत कार्य कर रही कार्यदायी संस्था का ठेकेदार अपनी मनमानी पर उतारू है। ऐसा लगता कि सरकार की करोड़ों रूपए की आरडीएसएस योजना को स्वाहा करने में लग रहा है। मनमानी इस कदर है कि कस्बा के बीच बाजार में खंभा गाढ़ दिया है। इस कारण दाऊजी परिक्रमा मार्ग से होकर निकलने वालीं शोभायात्राओं काफी अड़चन पैदा होगी।

विद्युत विभाग के ठेकेदार की मनमानी के कारण बलदेव क्षेत्र की जनता में भारी रोष है। हालात ये हैं कि बिना सोचे समझे और किसी नगरवासी से सलाह लिए बगैर ही नए खंभे बीच सड़कों पर गाढे़ जा रहे हैं। यही नहीं आरडीएसएस योजना के अन्तर्गत नई केबिलें झूल रही हैं। बावजूद इसके कोई विद्युत विभाग उच्चाधिकारी इस ओर ध्यान देने के लिए अभी तक नगर भ्रमण के लिए नहीं आया है। जनता में भारी रोष है कि बीच बाजार में सड़क वो भी परिक्रमा मार्ग में जहां से शोभायात्राएं गुजरती हैं, अब उनमें अड़चन पैदा होना लाजिमी है।

आखिर ये उच्चाधिकारी देखने तक को तैयार क्यों नहीं हैं? ठेकेदार बिना नगरवासियां से सलाह लिए बिना अपनी मनमानी क्यों कर रहा है। बलदेव विकास समिति के अध्यक्ष ज्ञानेन्द्र पांडेय ने कहा है कि अधिकारियों और ठेकेदारों का क्या है वो काम कराकर चले जायेंगे भुगताना बलदेव की जनता को होगा। इसलिए व्यवस्थाएं ठीक होनी चाहिए। बीच बाजार में लगा हुआ खंभा तत्काल प्रभाव से हटना चाहिए। इससे आगे चलकर काफी समस्याएं पैदा होंगी।

सुझाव
बलदेव निवासी लोगों का कहना है कि अगर खंभा के बगैर विद्युत विभाग की समस्या हल नहीं होती है तो विभागीय अधिकारी नगर पंचायत ईओ से कहकर जो टीन शेड़ लगी हैं, उनको हटवाकर बिल्कुल साइड से नाली के सहारे खंभा को लगाया जा सकता है। अगर यह भी संभव नहीं है तो वर्तमान जो केबिल डली हुई है उसे लगा रहने दिया जाय, लेकिन खंभे से काफी परेशानी हैं। क्योंकि बीच बाजार एक परिक्रमा मार्ग है।

बलदेव के मुख्य बाजार की स्थिति ये है कि यह काफी सकोच है। सड़क इतनी चौड़ी नहीं है कि वह साइड से भी कोई बाइक खड़ी कर दे। अगर कोई बाइक भी साइड से लगा देता है तो पैदल जाने वाले लोगों तथा दो पहिया वाहनों का निकलना भी मुश्किल हो जाता है। यानि काफी जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसे यह नया विद्युत खंभा परेशानी का सबब बनेगा। इसके लिए नगर पंचायत से वार्तालाप कर विद्युत विभाग समाधान निकाल सकता है।

नानीं मर कर हो गईं जिन्दा

मथुरा। घटना लगभग 75-80 वर्ष पुरानी है। हमारी नानीं बरफी देवी जो नाई वाली गली की रहने वाली थीं। दो बार मर कर जिंदा हो गईं।
     नानी जिसे हम अम्मा कहते थे हम क्या पूरा खानदान रिश्तेदार व गली मुहल्ले तक सभी उन्हें अम्मा ही कह कर पुकारते थे सिवाय नाना जी श्री नाथ दास जी को छोड़कर। नानीं पहली बार मर गईं काठी कफन व अन्तिम संस्कार का सभी सामान जुटने लगा कि अचानक नानीं के शरीर में हरकत होने लगी और वह उठ बैठी। घर में रोमन पिट्टन बंद हो गई और खुशी की लहर दौड़ गई। हल्ला मच गया की अम्मा जिन्दा हो गई।
     नानीं ने बताया कि यमदूत आकर उन्हें ले गए। अपने गंतव्य तक पहुंचने पर नानीं ने देखा कि एक बुजुर्ग सा व्यक्ति जो चश्मा लगाए हुए था बही खातों को देख कर जोर से बोला कि अरे यह वो वाली बरफी नहीं है। जाओ जाओ इसे जल्दी वापस छोड़ कर आओ और फिर यमदूत नानीं को वापस छोड़ गए। थोड़ी देर बाद पता चला कि बरफी नाम की एक अन्य महिला का निधन हो गया वह भी इसी गली में रहती थीं।
     कुछ वर्ष बाद फिर अम्मा का निधन हो गया। घर में रोमन पिट्टन मच गई। काठी बनकर तैयार हो गई और अम्मा को उस पर लिटा दिया गया किंतु अचानक अम्मा जोर से चिल्लाई “अरे मौकू मार डारो रे” और फिर तो वह यमदूतों को कोसने लगे कि “नाशपीटेऔ तुम्हारौ सत्यानाश जाय” फिर नानीं ने धीरे-धीरे बताया कि यम दूतों ने मुझे ऊपर से ही नीचे फेंक दिया मेरी तौ कमर टूट गई।
     अम्मा की कमर में सचमुच नील पड़ी हुई थी और वह जोर-जोर से कराहती रहीं और यमदूतों को कोसती रहीं। अम्मा ने बताया कि पहले की तरह मुझे उसी जगह पर ले गए और वह चश्मा पहने हुए जो बुड्ढा बैठा था बही खाते देखकर उसने फिर वही बात कही कि अरे  इसे क्यों ले आए यह वह वाली बरफी नहीं है। इसके बाद यमदूतों ने मुझे ऊपर से ही नीचे फेंक दिया। यह पता नहीं कि फिर और कोई दूसरी बरफी देवी मरी या नहीं किंतु हमारी नानीं यानी अम्मा की कमर में जीवन पर्यंत बुरी तरह कसक बनी रही और वह अक्सर दर्द से कराहती रहती थीं।
     अम्मा ने बताया कि जहां मुझे ले जाया गया था वहां पानीं से भरे काफी घड़े तला ऊपर यानीं एक के ऊपर एक रखे हुए थे। अम्मा के बारे में हमारी माताजी बतातीं थीं कि वह अक्सर मन्दिरों में पानीं का दान बहुत करती थीं। गर्मियों में तो बड़े बड़े घड़ों को मन्दिरों में भिजवाना और फिर उनमें रोजाना पानी भरवाने का उन्हें बहुत चाव था। खैर लगभग साठ वर्ष पूर्व अम्मा फिर तीसरी बार स्वर्ग सिधार गईं लेकिन पिछली दो बार की तरह वापस नहीं लौटीं।
     अम्मा मर गई और फिर जिन्दा हो गई यह घटनाक्रम तो रोमांचकारी है किंतु सिर्फ पानी के घड़ों का मिलना तथा पकवानों का न होना मेरे लिए टेंशन दे रहा है। यह घटनाक्रम लिखते समय अब मुझे चिंता सताने लगी है कि जब मेरा नम्बर आएगा तब कहीं ऐसा न हो कि वहां पर सिर्फ समर्सिबल वाला एक नलकूप लगा मिले कि ले बेटा पी जितना पी सके पीले या डुकास ले पर मिलेगा सिर्फ पानीं ही।
     दूसरी बात यह मन में विचर रही है कि 75-80 वर्ष पूर्व चश्मा वाला बुजुर्ग था लेकिन अब शायद कानों में मोबाइल की लीड लगाऐ यंग लड़का होगा और बही खातों की जगह लैपटॉप या कंप्यूटर होगा और जब मैं उससे पूछूंगा कि खाली पानी ही क्यों पकवान भी तो होने चाहिए मेरे लिए। इस पर वह जवाब देगा कि सर आपने भी तो लोगों को पानीं ही पिलाया था रात दिन यदि पानीं के साथ साथ खाने पीने को लंगर चलाते तो फिर पकवान जरूर मिलते। इस पर मेरे पास सिर्फ माथा पीटने के अलावा और कोई चारा नहीं होगा।

गोवर्धन में मेडिकल संचालकों के साथ बैठक करते नवागत सहायक आयुक्त धीरेन्द्र प्रताप सिंह व मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी ज्ञान पाल सिंह

गोवर्धन. राजकीय मुड़िया पूर्णिमा मेला को लेकर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की सक्रियता बढ़ गई है। श्रद्धालु भक्तों को बेहतर सुविधा और सुगमता से मेला कराने को विभाग दिनरात मेहनत कर रहा है गोवर्धन गिरिराज परिक्रमा मार्ग व अन्य जगहों पर छापामार कार्यवाही करते हुए सेम्पल लिए जा रहे हैं.

  • मुड़िया मेला में मेडिकल संचालक इमरजेंसी दवा पर्याप्त मात्रा में रखें – धीरेन्द्र प्रताप सिंह
  • खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने मेडिकल संचालकों के साथ बैठक दिए आवश्यक दिशा निर्देश
  • मुड़िया मेला में दवा विक्रेता मेडिकल स्टोर को अधिक समय तक खोलें

मंगलवार को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग अधिकारियों ने एक गैस्ट हॉउस में गोवर्धन, राधाकुण्ड के दर्जनों दवा विक्रेताओं के साथ बैठक की गई. मुड़िया पूर्णिमा मेला 15 से 22 जुलाई तक परंपरागत रूप से मनाया जाएगा. जिसमें नवागत सहायक आयुक्त धीरेन्द्र प्रताप सिंह ने मेडिकल संचालकों से कहा की प्रशासन का सहयोग करते हुए दवा विक्रेता मेडिकल स्टोर को अधिक समय तक खुला रखना, इमरजेंसी दवाओं की पर्याप्त मात्रा में स्ट्रोक, अच्छी गुणवत्ता की दवा और एक्सपायरी चैक कर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना, श्रद्धालुओं से शालीनता का व्यवहार करना, उचित रेट पर दवा विक्री कर मेला को पॉलीथिन मुक्त बनाने में सहयोग की अपेक्षा की गई.

नवागत सहायक आयुक्त धीरेन्द्र प्रताप सिंह व मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी ज्ञान पाल सिंह ने बताया की गिरिराज परिक्रमा मार्ग के जगह जगह से करीब 40 सेम्पल लिए जा चुके हैं, जाँच को भेजे गए हैं. कमी मिलने पर कार्यवाही की जाएगी. अभी प्रतिष्ठानों का निरिक्षण करने में टीम जुटी हैं. बैठक में मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी ज्ञान पाल सिंह,खाद्य सुरक्षा अधिकारी धर्मेन्द्र, गजराज सिंह ओम प्रकाश आदि अधिकारियों के अलावा मेडिकल संचालक मदन मोहन, कान्हा पंडित, बबलू शर्मा,गिरधारी लाला राना, विष्णु खंडेलवाल, माधव शर्मा, शरद अग्रवाल, राहुल चौधरी, कमल सिंह यदुवंशी, कुंजविहारी गोस्वामी, के. गोपाल, गोविन्द रावत, गोविन्द गिस्वामी, भोला,भारत, भारत कौशिक,कृष्णकांत खंडेलवाल, आदि उपस्थित रहे.

रिपोर्टर, राजेश लवानिया

संस्कृति विवि के कुलाधिपति ने दिखाया विद्यार्थियों को सही रास्ता

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने उच्च शिक्षा में प्रवेश ले रहे विद्यार्थियों को वर्तमान दौर की जरूरतों और विषय चयन में गंभीरता बरतने का संदेश देते हुए कहा है कि विद्यार्थियों के लिए ये ऐसा टर्निंग पाइंट है जिसपर थोड़ी सी लापरवाही और गैर गंभीरता आपके भविष्य निर्माण के लिए एक बड़ी समस्या पैदा कर सकती है।
देश के चंद युवा कुलाधिपतियों में से एक डा. सचिन गुप्ता निरंतर विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए सदैव चिंतित रहते हैं और समय-समय पर उनको सही दिशा दिखाने की कोशिश करते रहते हैं। यही वजह है कि संस्कृति विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रमों के निर्माण में विश्व की जरूरतों के अनुसार उनका विशेष निर्देशन रहता है। विद्यार्थियों के लिए अपने संदेश में उन्होंने कहा है कि अक्सर यह देखने में आया है कि हमारे बहुत से विद्यार्थियों का कोई लक्ष्य नहीं होता, ये एक गंभीर मामला है। मैं तो सभी विद्यार्थियों से कहना चाहूंगा कि अपना एक बड़ा लक्ष्य बनाइए, भले ही यह लक्ष्य पाना अभी आपको असंभव क्यों न लगे। इस लक्ष्य को केंद्रित रख कर अपनी उच्च शिक्षा के लिए विषय या स्ट्रीम का चयन करिए और फिर उसको हासिल करने के लिए जी जान से जुट जाइए।
डा. सचिन गुप्ता बताते हैं कि उन्होंने अपने विश्वविद्यालय में तेजी से बदलते वैश्विक माहौल की जरूरत के मुताबिक विषयों के पाठ्यक्रमों में बदलाव, अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध, विषय संबंधी विशेषज्ञों के सेमिनार की व्यवस्था की है। हमने कई देशों के विश्वविद्यालयों से स्टूडेंट एक्सचेंज कार्यक्रमों के लिए एमओयू किए हैं ताकि हमारे विद्यार्थी विश्वस्तरीय शिक्षा का अनुभव ले सकें। इसके अलावा विश्वविद्यालय उद्योंगों के साथ मिलकर ऐसे पाठ्यक्रम तैयार कर चुका है जिन्हें पूरा करते ही उन्हें परिचित इंडस्ट्री में रोजगार मिल सके और वे आगे बढ़ सकें। इसके लिए विवि ने देश के बड़े औद्योगिक समूहों से एमओयू किए हैं।
कुलाधिपति डा. गुप्ता ने विद्यार्थियों को सलाह देते हुए कहा कि जहां कहीं भी आप अपनी उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लेने जाएं तो कुछ बातों को जरूर ध्यान रखें। सबसे पहले देखें कि जहां आप प्रवेश लेने जा रहे हैं उसका परिवेश कैसा है, शैक्षणिक माहौल कैसा है, खेल-कूद के लिए सभी सुविधाएं हैं कि नहीं, मनोरंजन के लिए शैक्षणिक संस्थान द्वारा क्या-क्या आयोजन कराए जाते हैं, उनका स्तर कैसा है, सेमिनार होते हैं तो किस स्तर के लोग संबोधित करने आते हैं, विवि के द्वारा किस स्तर के एमओयू किए गए हैं, प्लेसमेंट कहां-कहां होता है, शोध के लिए सुविधा है, प्रशिक्षण के लिए उचित व्यवस्था है आदि कुछ ऐसी बातें हैं जिनके बारे में विद्यार्थियों को जानने की कोशिश करनी चाहिए।
डा. गुप्ता ने कहा कि संस्कृति विश्वविद्यालय की सोच है कि विद्यार्थी रोजगार पाने की कोशिश करने वाले न बनें बल्कि वे अपना रोजगार खड़ा कर रोजगार देने वाले बनें। इसके लिए विवि ने हर वो व्यवस्था की है जिससे विद्यार्थी उद्यमी बनने की सोच पैदा करें और उसके अनुरूप प्रशिक्षण पा सकें, सरकारी सहायता पा सकें।

आखिर मुड़ियापुनो है बिजली का दंश तो झेलना ही पड़ेगा

गोवर्धन में रहना है तो हलाहल तो पीना पड़ेगा

गोवर्धन।गिरिराज तलहटी में रहना भक्ति भाव से चाहे किसी को वैकुंठ की प्राप्ति करा दे लेकिन अन्य विषयों की सोचें तो गोवर्धन में रहना नर्क के समान है। गोवर्धन वासियों के लिए जाम मुक्त रास्ते, बिजली, पानी आदि मूलभूत सुविधाएं भी पूर्ण रूप में उपलब्ध नहीं हैं, गर्मी का मौसम तो आफत का पिटारा गोवर्धन वासियों के लिए खोल देता है। गर्मी में जहां तापमान अपने चरम पर होता है उसी वक्त पानी की समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती है, बारिश आए तो मुख्य मार्गों पर जलभराव, गंदगी इत्यादि यहां के लोगों के जीवन का जहर बन जाती है, और बिजली आपूर्ति की समस्या तो जी यहां सोने पर सुहागा है।
वर्षों से गर्मी का मौसम आते यहां लाइन बदलने के नाम पर सारा दिन बिजली गुल रहती है, न जाने गुरु पूर्णिमा में ऐसा कौनसा बोझ पड़ता है जिसे बिजली विभाग के तार 1 वर्ष भी सहन नहीं कर सकते। बड़े बड़े महानगरों में ऑफिस, कारखाने चलते रहते हैं कोई भी परेशानी आने पर इतने दिन विद्युत आपूर्ति ठप नहीं होती लेकिन गोवर्धन एक अजूबा है, हाल ऐसे होते हैं कि जून के महीने में हिटलर की सेना भी गोवर्धन आने से मना कर देती, जैसे गोवर्धन के लोग अपने रिश्तेदारों को गोवर्धन आने से मना कर देते हैं। ऐसा न हो के बच्चे जून में गोवर्धन में अपनी नानी दादी के घर ही आना न बंद कर दें। सारा दिन स्कूलों में बच्चे गर्मी में पढ़ते हैं, रात्रि को अगर लाइट में फॉल्ट हो जाए तो लाइनमैन को बुलाना लोहे के चने चबाने जैसा लगता है ऊपर से चढ़ावा अलग। बिजली चोरी करने वाले प्रशासन की नाक के नीचे सारा खेल कर रहे हैं और समय से बिल देने वाले उपभोक्ता को एक शिकायत करने के समय बिल न जमा करने का उलहाना देकर लौटा दिया जाता है। अब प्रशासन से उम्मीद न करके गोवर्धन महाराज की शरण में ही गोवर्धन वासी कुछ राहत महसूस कर सकते हैं।

रिपोर्टर,राजेश लवानिया

जीआरपी मथुरा जंक्शन द्वारा घटना घटित करने वाला 01 अभियुक्त गिरफ्तार, जिसके कब्जे से 01 मोबाइल फोन बरामद

पुलिस अधीक्षक रेलवे / उपाधीक्षक रेलवे, सर्किल आगरा के निकट पर्यवेक्षण में थानाध्यक्ष जीआरपी मथुरा जंक्शन के कुशल नेतृत्व में गठित टीम द्वारा ट्रेनों व स्टेशनों पर आपराधिक घटनाओं की रोकथाम एवं अवैध तस्करी की रोकथाम हेतु सघन चैकिंग अभियान के दौरान मुखबिर खास की सूचना पर दिनांक 07.07.2024 समय 12.05 बजे पैडेस्ट्रियन पुल के पास, रेलवे स्टेशन मथुरा जं० वहद थाना जीआरपी मथुरा जंक्शन पर घटना घटित करने वाला 01 नफर अभियुक्त गिरफ्तार किया गया, जिसके कब्जे से 01 अदद मोबाइल फोन बरामद किया गया।

नाम व पता गिरफ्तार अभियुक्त

करन पुत्र नानक नि० महाविद्या कालौनी थाना गोविन्दनगर मथुरा उम्र करीब 21 वर्ष

बरामदगी का विवरण

अभियुक्त के कब्जे से एक अदद मो० फोन वीवो कम्पनी रंग आसमानी बिना सिम व चिप जिसका आईएमईआई नम्बर 868918051447633, 868918051447625 बरामद होना।

अनावरित अभियोग

मु0अ0सं0 136/2024 धारा 379,411 भादवि थाना जीआरपी मथुरा जंक्शन ।

पूँछताछ विवरण

पूछताछ करने पर गिरफ्तार अभियुक्त द्वारा बताया कि रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन पर यात्रियों का मोबाइल फोन व सामान चोरी कर, अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए बेच देता हूँ।

आपराधिक इतिहास

अभियुक्त के आपराधिक इतिहास की जानकारी प्राप्त की जा रही है।

गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम एवं विशेष सहयोग करने वाली टीम

1- उ0नि0 अमित कुमार सिंह थाना जीआरपी मथुरा जंक्शन ।

2- उ0नि0 अंकुज धामा थाना जीआरपी मथुरा जंक्शन 3- है0का0 1296 सोनवीर सिंह थाना जीआरपी मथुरा जंक्शन।
4- है0का0 1302 सुरेश चन्द्र थाना जीआरपी मथुरा जंक्शन ।
5- है0का0 1344 धर्मेन्द्र तोमर थाना जीआरपी मथुरा जंक्शन।

मीडिया सैल
जीआरपी अनुभाग आगरा

जिंदगी भर लड़ते रहे और अंत समय विरह में तड़पते रहे

    मथुरा। हमारे नाना वैसे तो चार भाई थे लेकिन यह मार्मिक प्रसंग दो भाइयों के मध्य का है। नाना जी का नाम था श्री नाथ दास जी और उनके छोटे भाई का नाम कुन्दन लाल जी था। दोनों की शादी दो बहनों के साथ हुई हमारी नानी बरफी देवी बड़ी थीं जिनकी शादी नानाजी के साथ हुई और उनकी छोटी बहन भगवान देवी की शादी छोटे नाना जी यानीं कुन्दन लाल जी से हुई। हम सभी भाई-बहन बल्कि यूं कहिए कि पूरा घर परिवार उन दोनों को बड़ी अम्मा और छोटी अम्मा कहकर पुकारते थे। नाना जी को लोग सीजी मल और छोटे नाना जी को किद्दो मल के उपनाम से जाना जाता था। हमारे नाना जी को कुछ लोग जज साहब भी कहते थे। हम सभी घर परिवार के लोगों में नाना जी चाचाजी और छोटे नाना जी बाबू कहलाते थे। इस परिवार को शोरा कोठी वाले कहकर पुकारा जाता था क्योंकि हमारे ननिहाल वालों की किशोरी रमण कॉलेज के सामने बहुत बड़ी जमीन व शोरा बनाने का कारखाना था।
     दोनों की शादी हुई बच्चे हुए और कारोबार में बंटवारा हुआ। अलग-अलग घर हो गए लेकिन धन दौलत और जमीन जायदाद ऐसी चीज हैं जो जितनी अच्छी होती है उससे कहीं ज्यादा बुरी भी होती हैं। इन्हीं की वजह से आपस में पहले मनमुटाव फिर रोजाना की कलह बाजी और अंत में कोर्ट कचहरी तक की नौबत पहुंच गई। समय के साथ साथ भेदभाव इस कदर बढ़ गया कि मुंह देखा दाखी तक बंद हो गई और यह सिलसिला लंबे समय तक चलता चला गया किंतु समय ने ऐसा पलटा खाया कि अंत समय में दोनों भाई एक दूसरे के विरह में तड़फते तड़फते मर गए लेकिन आपस में एक दूसरे का मुंह भी नहीं देख पाये।
     घटनाक्रम के अनुसार लगभग पांच दशक पूर्व दोनों नानाजी बीमार पड़ गऐ तथा ऐसे बीमार पड़े कि दोनों ने चारपाई पकड़ ली हालत दिनों दिन बिगड़ती गई। अब तो दोनों भाइयों को एक दूसरे की याद सताने लगी और आपस में मिलने के लिए बेताब होने लगे किंतु मिलै तो कैसे मिलै? क्योंकि नानाजी श्री नाथ दास जी तो नाई वाली गली की बहुत लंबी घटिया के सबसे ऊपर बने अपने घर में चारपाई पर पड़े हुए थे और छोटे नाना जी होली गेट के अंदर बल्ला गली के नुक्कड़ पर बने मकान की ऊपरी मंजिल पर मृत्यु शैया पर थे।
     दोनों के लिए एक-एक पल काटना मुश्किल होने लगा बिरह ऐसा कि अश्रु धारा बहती रहती और एक सीजी सीजी और दूसरे के किद्दो किद्दो की रट लगाए रहते तथा कहते हमें अपने भाई से मिलवाओ लेकिन बात वही की मिलै तो कैसे मिलै। मोबाइल उन दिनों थे नहीं तथा टेलीफोन उस समय मथुरा में सिर्फ गिने-चुने परिवारों में ही थे इन दोनों के घरों पर नहीं था वरना बात भी करा दी जाती। शायद छोटे नाना जी के घर हो लेकिन मुझे पक्का याद नहीं किंतु नाना जी के पुराने नाई वाली गली वाले पुश्तैनी घर पर तो नहीं था क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति उस समय कमजोर बहुत थी।
     खैर एक समय ऐसा आया कि छोटे नाना जी भाई के विरह में तड़पते हुए चिर निद्रा में लीन हो गए। यह बात हमारे नाना जी को नहीं बताई गई किंतु उन्हें तुरंत इस बात का आभास होने लगा और अर्द बेहोशी सी में जर्रबक देने लगे की अरे किद्दो की दुकान पर यह भीड़ कैसी लग रही है? दरअसल उनकी कोतवाली रोड पर बृज मशीनरी स्टोर के नाम से दुकान थी क्योंकि घर होली गेट के अंदर ऊपरी मंजिल पर था वहां लोगों के बैठने के लिए जगह नहीं थी अतः मुर्दनी के लिए लोग बृज मशीनरी स्टोर पर ही एकत्र हो रहे थे। नाना जी को अपने भाई की मृत्यु का स्वत: ही पता चल गया और वह बिलखने लगे कि मुझे ले चलो किद्दो का मुंह दिखा दो आदि आदि और तड़फते तड़फते चार-पांच दिन बाद उन्होंने भी अपने प्राण त्याग दिए।
     कहने का मतलब है कि दोनों भाई और उनके परिवार भी आपस में इस धन दौलत और जमीन जायदाद के कारण ताजिंदगी आपस में दुश्मन बने रहे और अंत में जो हश्र हुआ वह सभी के सामने है।
     मैं इन सब बातों की चर्चा अपने ननिहाल वालों की बुराई की भावना से नहीं कर रहा हूं। बल्कि यह कहना चाहता हूं कि इस धन दौलत और जमीन जायदादों में इतनी आसक्ति करके क्या फायदा मिलता है? सिवाय नुकसान ही नुकसान के। अपना जीवन तो नष्ट होता ही है साथ ही देखा देखी परिवार के अन्य सदस्य भी उसी राह पर चलकर संपूर्ण जिन्दगी को काली कर लेते हैं और यह सिलसिला कुसंस्कारों के रूप में बेल की तरह आगे की वंशावली में निरन्तर बढ़ता ही नहीं बल्कि दिन दूनी रात चौगुनी तीव्र गति से दौड़ता रहता है।
     यह जन्म ही नहीं आगे के जन्म भी काले स्याह हो जाते हैं। अतः हम सभी को इस धन दौलत और जमीन जायदाद में आसक्ति वाली अंधी दौड़ से तौबा कर लेनी चाहिए इसी में हमारा वह हमारी अगली पीढ़ी का भला है।

विजय गुप्ता की कलम से