Wednesday, December 31, 2025
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के.डी. हॉस्पिटल में शिशु की फटी आंतों का सफल ऑपरेशन, डॉ. श्याम बिहारी शर्मा के प्रयासों से बची सात माह के आरम की जान

मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के विशेषज्ञ शिशु शल्य चिकित्सक श्याम बिहारी शर्मा ने सात माह के एक ऐसे शिशु का जीवन बचाया है जिसकी पेट की आंतें फट चुकी थीं तथा उसके बचने की कोई सम्भावना नहीं थी। डॉ. शर्मा और उनकी टीम ने शिशु आरम की नाजुक स्थिति को देखते हुए कुछ ही घंटों में फटी आंतों का सफल ऑपरेशन कर उसे नई जिन्दगी दी है।
जानकारी के अनुसार गांव बाबूगढ़ गुलालपुर, तहसील छाता, जिला मथुरा निवासी पहलू 15 जून, शनिवार को लगभग तीन बजे अपने सात माह के भतीजे आरम को बहुत नाजुक स्थिति में लेकर के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर आया। उस समय बच्चे को उल्टियां हो रही थीं, पेट फूला हुआ था तथा वह मल त्याग भी नहीं कर रहा था। बच्चे की नाजुक स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञ शिशु शल्य डॉ. श्याम बिहारी शर्मा ने उसके पेट का एक्सरा तथा खून की जांच कराई। डॉ. शर्मा ने एक्सरा और खून की जांच का अवलोकन करने के बाद बच्चे के तत्काल ऑपरेशन का निर्णय लिया।
डॉ. शर्मा द्वारा सबसे पहले बच्चे में पानी की कमी को दूर किया गया। उसके बाद उन्होंने निश्चेतना विशेषज्ञ तथा ओटी टेक्नीशियनों की मदद से शिशु का ऑपरेशन किया। ऑपरेशन में डॉ. श्याम बिहारी शर्मा द्वारा बच्चे की फटी हुई आंत को काटकर बाहर निकाला गया तथा बची हुई आंत को जोड़ दिया गया। इस मुश्किल सर्जरी में डॉ. शर्मा का सहयोग डॉ. अनुराग, डॉ. समर्थ तथा निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. सुप्रिया अग्रवाल एवं डॉ. शालिनी ने किया। ऑपरेशन सफल रहा। अब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है तथा वह दूध और दलिया का सेवन भी करने लगा है। आरम के पूर्ण स्वस्थ होने पर 21 जून को उसे छुट्टी दे दी गई।
डॉ. श्याम बिहारी शर्मा का कहना है कि के.डी. हॉस्पिटल में उच्चस्तरीय सुविधाएं तथा विशेषज्ञ चिकित्सकों और टेक्नीशियनों के होने से ही समय पर हर तरह की सर्जरी सम्भव हो पाती हैं। डॉ. शर्मा का कहना है कि बच्चे आरम के ऑपरेशन में यदि विलम्ब हो जाता तो उसकी जान भी जा सकती थी। बच्चे के कम खर्च में सफल ऑपरेशन से परिजन खुश हैं। आरम के ताऊ पहलू तथा पिता तैयब ने बच्चे की जान बचाने के लिए के.डी. हॉस्पिटल प्रबंधन तथा चिकित्सकों का आभार माना है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने बच्चे आरम की सफल सर्जरी के लिए चिकित्सकों की टीम को बधाई देते हुए उसके स्वस्थ जीवन की कामना की है।

ऑपरेशन जागृति” अभियान के अन्तर्गत थाना मांट पुलिस द्वारा ऑपरेशन जागृति” कार्यक्रम आयोजित कर किया गया जागरूक

श्रीमान अपर पुलिस महानिदेशक आगरा जोन, आगरा महोदय द्वारा चलाये जा रहे ऑपरेशन जागृति अभियान के क्रम में आज दिनांक 22.06.2024 “ऑपरेशन जागृति” अभियान के तहत थाना मांट पुलिस टीम द्वारा ऑपरेशन जागृति कार्यशाला का आयोजन कर महिलाओं जागरूक किया गया । ऑपरेशन जागृति अभियान के क्रियान्वयन उद्देश्य एवं अभियान को सफल बनाने के संबंध में साइबर अपराध, बालिकाओं को साइबर हिंसा/यौन शोषण से बचाव हेतु जागरूक व सचेत करना, पॉक्सो अधिनियम के महत्वपूर्ण प्रावधानों के प्रति जागरूक व सचेत करना, किशोर/किशोरियों के साथ हेल्दी रिलेशनशिप व जीवनशैली पर अभिभावकों को जागरूक करना, महिलाओं/बालिकाओं को अपने अधिकारों व सुरक्षा के बारे में समझ व जागरूकता पैदा करना । समुदाय को झूठे मुकदमों से होंने वाली क्षति के बारे में जागरूक करना व ऐसे मामलों में कमी लाना । विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा हेतु बनाए गए कानूनों का दुरुपयोग के प्रति लोगों को सचेत करना ।

ऑपरेशन जागृति, नारी सुरक्षा

        

नयति की गति टाइटैनिक जैसी और के० डी० लहरों पर भी झूम रहा है

विजय गुप्ता की कलम से

     मथुरा। नयति हॉस्पिटल की गति तो टाइटैनिक जैसी हुई और के०डी० मेडिकल समुद्र की ऊंची ऊंची लहरों पर भी झूमे जा रहा है। ऐसा क्यों? इसकी खोज करने की मुझे जरूरत ही नहीं पड़ी। कुछ हालात ऐसे बने की खुद ब खुद रिजल्ट यानी दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ गया। कहते हैं कि बिना मरे स्वर्ग दिखाई नहीं देता, किंतु इस कहावत को उलटते हुए मैंने बिना मरे ही स्वर्ग न सही पर उसकी झलक तो देख ही ली। इस झलक को देखने के लिए मुझे भले ही मरना न पड़ा हो किंतु अधमरा जरूर होना पड़ गया।
     अब पहेलियां बुझाने के बजाय सीधी बात पर आता हूं। दरअसल उम्र के तकाजे ने प्रोस्टेट का ऐसा गिफ्ट दे दिया कि अधमरा होकर मुझे के०डी० मेडिकल के शरणागत होकर ऑपरेशन कराना पड़ गया। ऑपरेशन भी छोटा-मोटा नहीं बड़ा था। उस दौरान मुझे के०डी० मेडिकल में मरीजों की भीड़ का सैलाब देखने को मिला जिससे मैं बड़ा आश्चर्य चकित हुआ क्योंकि जब के०डी० मेडिकल कॉलेज और के०डी० मेडिकल अस्पताल का निर्माण हुआ था तब तो सन्नाटे से रहते थे, क्योंकि या तो मैं शुरुआती दौर में गया और या फिर अब।
     ऐसा मेला सा लगा हुआ था जैसे अस्पताल न होकर कोई नामचीन मंदिर हो। सचमुच में देखा जाए तो के०डी० मेडिकल मरीजों और गरीबों के लिए मंदिर ही है। यह बात में रामकिशोर जी जो के०डी० के जनक हैं, की चापलूसी में नहीं बल्कि वास्तविकता से रूबरू होकर लिख रहा हूं। अंदर की बात बताऊं कि मैं चापलूसी के बजाय खोचड़ी वाले स्वभाव का इंसान हूं, इसीलिए मुझे पानी में देखने वालों की संख्या अधिक है।
     अब दूसरी और रुख करता हूं काफी वर्ष पूर्व मथुरा में एक बहुत बड़ा अस्पताल खुला जिसका नाम था “नयति”। इस अस्पताल का संचालन नामचीन हस्तियों के हाथों में था। अब बीच में रुककर यानी ब्रेक लेकर प्रसंग से हटकर एक बात बताता हूं। एक बार मैंने अपने पिताजी के सामने अपनी नई डायरी रखी और कहा कि इस पर कुछ लिख दो उन्होंने लिखा कि “न सूरत बुरी है न सीहत बुरी है, बुरा है वही जिसकी नीयत बुरी है”।
     मतलब की बात यह है कि नयति की नीयत सही नहीं थी इसीलिए उसका भट्टा बैठ गया। यानी टाइटैनिक जहाज जैसा हश्र हुआ अब तो नयति को बंद हुए भी अरसा गुजर गया। कुछ स्थानींय लगुओं भगुओं ने अपनी दूषित नीयत के कारण भसड़ फैला दी तथा जहाज जैसे ही हिचकोले लेने लगा तुरंत कूद कर पार हो गए और जहाज को डूबने के लिए छोड़ दिया। यह कहानी लंबी है इसे यहीं समाप्त कर दिया जाए वही बेहतर होगा। सारी दुनियां जानती है कि क्या हुआ और क्या-क्या नहीं हुआ।
     अब वापस लौटता हूं के०डी० मेडिकल की ओर जहां बड़े मनोयोग से मरीजों की सेवा हो रही है और ऐसा अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसकी वजह से शायद सदियों तक डॉ० रामकिशोर अग्रवाल को याद रखा जाएगा। भले ही सदियों तक न याद किया जाए पर कई दशकों तक तो रामकिशोर जी को लोग भूलेंगे नहीं।
     इस अस्पताल के जनरल वार्ड में मरीजों का बैड फ्री, खाना फ्री यहां तक कि अधिकांश जांचें फ्री। शायद किसी को आसानी से इस बात पर विश्वास नहीं होगा किंतु यह एकदम सच है। हां कुछ जांचें 50% शुल्क पर होती हैं। साधु महात्माओं का पूरा इलाज व दवाई फ्री तथा कोई ऐसा व्यक्ति जो लाचार होकर रामकिशोर जी तक पहुंच जाए और गिड़गिड़ाये कि हुजूर मेरे पास तो दवाई के पैसे तक नहीं है, उसका भी रामकिशोर जी सब कुछ फ्री कर देते हैं। है न अजब गजब की बात। अगर किसी को विश्वास न हो तो चला जाए वहां और भर्ती होकर देख ले अपनी आंखों से सब कुछ।
     के०डी० मेडिकल की सेवा और बहुत कुछ फ्री ही फ्री के बारे में मुझे जिज्ञासा हुई और मैंने रामकिशोर जी से पूंछा कि इस धन की आपूर्ति कैसे करते हो? तो उन्होंने बताया कि इस मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंटों की जो भारी भरकम फीस आती है उसे इसी में लगा देता हूं। रामकिशोर जी कहते हैं कि “गुप्ता जी खाली हाथ आया हूं और खाली हाथ ही एक दिन चला जाऊंगा साथ में तो सिर्फ परमार्थ ही जाएगा”।
     वाह रामकिशोर जी वाह आप धन्य हैं। दूधों नहाओ और पूतों फलो। पूत तो अब क्या फलेंगे? किंतु जो पूत फल गए हैं वे भी बड़े सपूत हैं और रामकिशोर जी की भावना के अनुसार चलकर उनकी लकीर को बड़ी करने में जुटे रहते हैं। यही कारण है कि मथुरा के मेडिकल कॉलेज के बाद एक और मेडिकल कॉलेज नोएडा तथा उसके बाद अब तीसरे मेडिकल कॉलेज की प्रक्रिया जेबर में भी शुरू हो चुकी है।
     जब रामकिशोर जी ने यह सब बताया तो सुनकर बजाय खुश होने के मुझे बड़ी कोफ्त हुई और मुंह से निकाल बैठा कि इतनीं हवस क्यों हो रही है? क्या एक मेडिकल से सेवा की तृप्ति नहीं हो पा रही? मेरे इस बुरबोले पन से रामकिशोर जी दुःखी हो गए और बोले कि गुप्ता जी आपने तो झट से कह दिया कि इतनी हवस क्यों हो रही है? आप मेरी भावना को समझो। बात यह है कि गांव देहात के इन गरीब और लाचार लोगों की सेवा जितनी अधिक से अधिक हो जाए वही मेरी कमाई है और यही दौलत मेरे साथ जाएगी।
     रामकिशोर जी की बात से मैं निरुत्तर होकर अपने मुंह से निकली जहरीली बात से खुद व खुद शर्मिंदगी सी महसूस कर खुद पर लानत डालने लगा। अब अंत में यह जरूर कहूंगा कि रामकिशोर जी ने न सिर्फ मेडिकल कॉलेज का तोहफा दिया बल्कि मथुरा में उच्च शिक्षा के जनक कहलाने का गौरव भी प्राप्त किया। शुरूआत इन्होंने बी०एस०ए० इंजीनियरिंग कॉलेज से की और फिर तो मथुरा से लेकर नोएडा तक उच्च शिक्षा के कॉलेजों की झड़ी लगाकर जो कीर्तिमान स्थापित किया उसे आज तक कोई तोड़ने की बात तो दूर छू तक नहीं पाया। कभी-कभी तो मैं भी अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता हूं कि ऐसे महापुरुष की मित्रता का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ। अब मैंने इनका नाम राम के बजाय कृष्ण और अपना सुदामा रख लिया है। ईश्वर इन्हें शतायु करें।
   

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर वीपीएस के छात्रों ने घर में रहकर किया योग

वृंदावन। विद्यार्थी जीवन में योग का विशेष महत्व है। योग जहाँ ध्यान को केंद्रित करता है वहीं मन को एकाग्रता भी प्रदान करता है। छात्रों में योग को दैनिक दिनचर्या का अंग बनाने हेतु योग दिवस पर मथुरा मार्ग स्थित वृंदावन पब्लिक स्कूल में योग के महत्व को दर्शाया गया।


विद्यालय के शारीरिक शिक्षक के द्वारा योग व आसन के बारे में छात्र छात्राओं को बताया। कहा कि छात्र जीवन में योग और अनुशासन का विशेष महत्व है। अनुशासन जहां जीवन- शैली को व्यवस्थित करता है, वही योग शरीर को स्वस्थ व निरोगी रखता है। इस अवसर पर योग की विभिन्न मुद्राओं और आसनों के बारे में जानकारी दी गई।
इसी के साथ छात्रों ने भी नियमित दिनचर्या में योग को शामिल करने का संकल्प लिया। छात्रों ने ग्रीष्मकालीन अवकाश के चलते घर पर ही विभिन्न योग मुद्राओं व आसन, प्राणायाम अनुलोम व विलोम आदि योग की क्रियाओं को किया।

आर.के. ग्रुप के शैक्षिक संस्थानों में मना अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, आत्मा से परमात्मा का मिलन है योगः योगाचार्य देशराज आर्य

मथुरा। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के शैक्षिक संस्थानों के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर, के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल, जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस, कान्ती देवी नर्सिंग कॉलेज एण्ड पैरा मेडिकल साइंस, राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट, राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी तथा राजीव इंटरनेशनल स्कूल में शुक्रवार को यौगिक क्रियाएं कर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने सभी गुरुजनों तथा छात्र-छात्राओं को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की बधाई दी। डॉ. अग्रवाल ने अपने संदेश में छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि योग को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं ताकि तन-मन स्वस्थ रहे। उन्होंने कहा कि भारत ही योग का जन्मदाता है। यहीं से योग पूरे विश्व में प्रसारित हुआ और आज पूरा विश्व योग के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ ले रहा है।
प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि यौगिक क्रियाओं का एक पवित्र प्रभाव होता है जो शरीर, मन, चेतना और आत्मा को संतुलित करता है। श्री अग्रवाल ने कहा कि यौगिक क्रियाएं हमें दैनन्दिन की समस्याओं तथा परेशानियों का मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करती हैं। इतना ही नहीं योग हमारे मस्तिष्क को तनावमुक्त और शांतचित्त रखने में भी मदद करता है।


के.डी. मेडिकल कॉलेज में योग दिवस पर योगाचार्य देशराज आर्य योग प्रमुख मथुरा प्रांत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने मेडिकल छात्र-छात्राओं को यौगिक क्रियाएं कराने से पहले बताया कि योग आत्मा से परमात्मा का मिलन है। उन्होंने कहा कि विश्व भर में योग अपनी पहचान बना रहा है, मगर इसके आध्यात्मिक स्वरूप को जानने वाले लोग कम हैं। उन्होंने कहा कि योग की महत्ता को आज सारी दुनिया मान रही है। यौगिक क्रियाएं योग गुरु सुनीता शर्मा ने कराईं। इस अवसर पर प्राचार्य एवं डीन डॉ. आर.के. अशोका, डॉ. वी.पी. पांडेय, डॉ. गौरव सिंह, डॉ. राजेश चौरसिया, डॉ. राहुल गोयल, स्पोर्ट्स आफीसर डॉ. सोनू शर्मा आदि ने छात्र-छात्राओं को योग से होने वाले फायदे बताए।
के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में यौगिक क्रियाएं जाने-माने योगाचार्य व इंटरनेशनल योग गुरु पवन ने कराईं। इस अवसर पर डीन और प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी ने कहा कि नियमित योग से तनाव कम होता है। योग का प्रभाव तन ही नहीं बल्कि मन पर भी पड़ता है। जी.एल. बजाज में स्पोर्ट्स आफीसर लोकेश शर्मा के मार्गदर्शन में प्राध्यापकों और छात्र-छात्राओं ने योगाभ्यास किया। संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने छात्र-छात्राओं को बताया कि योग-प्राणायाम के नियमित अभ्यास से शरीर रोगों के प्रति काफी अधिक प्रतिरोधी बन जाता है। हम प्रतिदिन योगाभ्यास कर अपने आपको शांतचित्त रख सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर राजीव इंटरनेशनल स्कूल में योग गुरु लक्ष्मीकांत एवं रेखा ने विभिन्न प्रकार की यौगिक क्रियाएं करवाने के साथ-साथ उनके फायदे भी बताए। सभी शिक्षकों और छात्र-छात्राओं ने सूर्य नमस्कार किया तथा उससे होने वाले फायदों के बारे में भी जाना। शैक्षिक संयोजिका प्रिया मदान ने छात्र-छात्राओं को प्रतिदिन कुछ समय योगाभ्यास करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि इस साल योग दिवस की थीम स्वयं और समाज के लिए योग है।

ऑपरेशन जागृति” अभियान के अन्तर्गत थाना जैंत पुलिस द्वारा ऑपरेशन जागृति” कार्यक्रम आयोजित कर किया गया जागरूक

 श्रीमान अपर पुलिस महानिदेशक आगरा जोन, आगरा महोदय द्वारा चलाये जा रहे ऑपरेशन जागृति अभियान के क्रम में आज दिनांक 21.06.2024  "ऑपरेशन जागृति" अभियान के तहत थाना जैंत पुलिस टीम द्वारा ऑपरेशन जागृति कार्यशाला का आयोजन कर महिलाओं  जागरूक किया गया । ऑपरेशन जागृति अभियान के क्रियान्वयन उद्देश्य एवं अभियान को सफल बनाने के संबंध में साइबर अपराध, बालिकाओं को साइबर हिंसा/यौन शोषण से बचाव हेतु जागरूक व सचेत करना, पॉक्सो अधिनियम के महत्वपूर्ण प्रावधानों के प्रति जागरूक व सचेत करना, किशोर/किशोरियों के साथ हेल्दी रिलेशनशिप व जीवनशैली पर अभिभावकों को जागरूक करना, महिलाओं/बालिकाओं को अपने अधिकारों व सुरक्षा के बारे में समझ व जागरूकता पैदा करना । समुदाय को झूठे मुकदमों से होंने वाली क्षति के बारे में जागरूक करना व ऐसे मामलों में कमी लाना । विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा हेतु बनाए गए कानूनों का दुरुपयोग के प्रति लोगों को सचेत करना ।

मथुरा- अलवर खंड में चली संरक्षा जागरूकता मोबाइल वीडियो वैन, सड़क उपयोगकर्ताओं को समपार सम्बन्धी सुरक्षा सावधानियों के प्रति कर रही जागरुक

अंतर्राष्ट्रीय रेल समपार जागरूकता दिवस (ILCAD) के अवसर पर, महाप्रबंधक उत्तर मध्य रेलवे श्री रविन्द्र गोयल ने प्रमुख मुख्य संरक्षा अधिकारी तथा अन्य विभागाध्यक्षों के साथ समपारों के बारे में संरक्षा जागरूकता प्रसारित करने के लिए एक मोबाइल वीडियो वैन को हरी झंडी दिखाकर उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय से रवाना किया था | वैन की पूरी यात्रा के दौरान उत्तर मध्य रेलवे के सेफ्टी काउंसलर साथ रहेंगे और विषय की बेहतर समझ प्रसारित करने के लिए सड़क उपयोगकर्ताओं के बीच पैम्फलेट पोस्टर और स्टीकर वितरित करेंगे। आज दिनांक 20.06.2024 को मंडल रेल प्रबंधक श्री तेज प्रकाश अग्रवाल के मार्गदर्शन में संरक्षा जागरूकता मोबाइल वीडियो वैन ने मथुरा- अलवर के मध्य अलवर स्टेशन ,ऊटवाड स्टेशन ,रामगढ स्टेशन , डीग स्टेशन, डीग बस स्टैंड, वेहज गाँव ,गोवर्धन मार्केट, नीम गाँव, मथुरा जं. व एलसी -22, एलसी -60,एलसी -69, एलसी -40, एलसी -25, एलसी -07, एलसी -05,एलसी -108 पर जनजागरुकता फैलाई है।


यह संरक्षा जागरूकता वैन अपने 45 दिनों के अभियान के दौरान, सड़क उपयोगकर्ताओं को समपार सम्बन्धी सुरक्षा सावधानियों के बारे में शिक्षित करने के लिए उत्तर मध्य रेलवे के 3 मंडलों में विभिन्न महत्वपूर्ण स्थानों को कवर करेगी। टीवी और ऑडियो विजुअल सिस्टम वाली यह मोबाइल वैन स्कूलों, लेवल क्रॉसिंगों , गांवों, पंचायतों, तहसीलों, आसपास के बाजारों आदि को कवर करेगी। वैन में जागरूकता प्रसारण के लिए कई लघु फिल्में बनाई गई हैं जिनमें ‘लेवल क्रॉसिंगों को सावधानी से कैसे पास करें’ ‘ट्रैक पर मवेशियों को ना ले जाने’, ‘ट्रेन की छत और फुट बोर्ड पर यात्रा ना करें’, ‘यात्रा के दौरान कभी भी अजनबी से खाने-पीने की चीजें स्वीकार नहीं करना’, ‘ट्रेन में ज्वलनशील सामग्री नहीं ले जाना’ आदि जैसे विषयों को शामिल किया गया है।

के.डी. डेंटल कॉलेज में मौखिक स्वास्थ्य पर हुई कार्यशाला, 10वां राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य दंत चिकित्सा दिवस, स्वस्थ जीवन के लिए मौखिक स्वास्थ्य देखभाल जरूरीः डॉ. मनेश लाहौरी

मथुरा। के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में 18 और 19 जून को 10वें राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य दंत चिकित्सा दिवस के उपलक्ष्य में मौखिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में व्यवहार विज्ञान का उपयोग विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। डीन और प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी ने कहा कि मौखिक स्वास्थ्य देखभाल की उपेक्षा इंसान को कई परेशानियों में डाल देती है। यदि हमें स्वस्थ और निरोगी रहना है तो प्रतिदिन अपने मौखिक स्वास्थ्य की देखभाल करनी चाहिए।
के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के सार्वजनिक स्वास्थ्य दंत चिकित्सा विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में वक्ताओं ने बताया कि स्वस्थ दांतों के लिए हमें जीवन भर उनके देखभाल की जरूरत होती है। वक्ताओं ने कहा कि आपके दांत बेशक अच्छे हैं लेकिन हर दिन आपको उनकी देखभाल करने और समस्याओं को रोकने के लिए सही कदम उठाना चाहिए, इसमें सही ओरल केयर उत्पाद लेना, साथ ही अपनी रोजमर्रा की आदतों के प्रति सजग रहना शामिल है। दंत चिकित्सकों ने बताया कि अपने दांतों को ब्रश किए बिना बिस्तर पर न जाएं। सोने से पहले ब्रश करने से दिन भर जमा होने वाले कीटाणु और प्लाक से छुटकारा मिलता है।
कार्यशाला के पहले दिन असफलता, भय और तनाव से मत लड़ो, इसे जीतो विषय पर एक सीडीई कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम वास्तव में सभी के लिए प्रेरक और ज्ञानवर्धक था, जिसमें बताया गया कि हम अपने दैनिक जीवन में आने वाले किसी भी प्रकार के तनाव पर कैसे जीत हासिल कर सकते हैं। डॉ. मनेश लाहौरी ने तनाव दूर करने के महत्व पर जोर दिया तथा तनाव के ज्ञात तथा अज्ञात पहलुओं पर प्रकाश डाला।
कार्यशाला के दूसरे दिन बुधवार को संस्थान के संकाय सदस्यों की उपस्थिति में केक काटा गया। कार्यक्रम का संचालन पब्लिक हेल्थ डेंटिस्ट्री विभाग की प्रमुख डॉ. नवप्रीत कौर, रीडर्स डॉ. विवेक शर्मा, डॉ. मनीष भल्ला और डॉ. रूपाली गुप्ता ने सभी स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं के साथ सफलतापूर्वक किया। डीन डॉ. मनेश लाहौरी, विभिन्न विभागों के एचओडी डॉ. अजय नागपाल, डॉ. हस्ती, डॉ. अतुल, डॉ. सोनल गुप्ता और डॉ. विनय मोहन ने सार्वजनिक स्वास्थ्य दंत चिकित्सा विभाग के प्रयासों की सराहना की।
डॉ. नवप्रीत कौर ने बताया कि के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल का पब्लिक हेल्थ डेंटिस्ट्री विभाग मथुरा जनपद के दूरदराज के इलाकों में समय-समय पर शिविर आयोजित कर लोगों को जहां मौखिक स्वास्थ्य के प्रति सजग करता है वहीं मथुरा क्षेत्र के विभिन्न दूरदराज इलाकों में संचालित केन्द्रों श्री श्यामलक्ष्मी दंत चिकित्सालय (श्री माताजी गौशाला) बरसाना, जिला जेल, मथुरा, मैत्री वृद्ध आश्रम, राधा कुंड, गोवर्धन, मैत्री वृद्ध आश्रम, वृन्दावन, प्रज्ञा प्रकाशन, मथुरा, सर्वोदय इंटर कॉलेज, चौमुंहा आदि में निःशुल्क दंत जांच और मौखिक स्वास्थ्य उपचार प्रदान किया जाता है।

फेयरवेल पार्टी में जीएल बजाज के एमबीए छात्र-छात्राओं ने जमाया रंगमनमोहक कार्यक्रमों के बीच जूनियर्स ने दी सीनियर्स को विदाई

मथुरा। जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में मंगलवार की शाम को हर तरफ मस्ती और उल्लासपूर्ण माहौल रहा। एमबीए प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं ने एक से बढ़कर एक मनमोहक कार्यक्रम प्रस्तुत कर अपने सीनियर्स को फेयरवेल पार्टी दी और उनके स्वर्णिम भविष्य की कामना की। फेयरवेल पार्टी का शुभारम्भ संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर किया।
मंगलवार शाम को जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस का सभागार एमबीए के छात्र-छात्राओं के मनमोहक कार्यक्रमों के नाम रहा। लगभग चार घंटे चली फेयरवेल पार्टी में एमबीए प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं ने अपने सीनियर्स के सम्मान में एक से बढ़कर एक कार्यक्रम पेश किए। इस अवसर पर जूनियर छात्र-छात्राओं ने जहां अपने भावुक भाषणों, गीत, नृत्य और मनोरंजक स्क्रिप्ट के माध्यम से अपनी कृतज्ञता तथा प्रशंसा व्यक्त की वहीं सीनियर छात्र-छात्राओं ने अपने जूनियर साथियों से मिले प्यार और स्नेह को दिल से सराहा। विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान बजती तालियां दर्शा रही थीं कि इस फेयरवेल पार्टी की यादें इनके दिलोदिमाग में लम्बे समय तक बनी रहेंगी।
छात्र-छात्राओं के ग्रुप डांस ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों को एक खास ऊंचाई प्रदान की। तत्पश्चात कार्यक्रम के अगले चरण में एमबीए अन्तिम वर्ष के छात्र-छात्राओं ने संस्थान में अपने अध्ययनकाल के दौरान हासिल अनुभव जूनियर साथियों के साथ साझा किया। इतना ही नहीं सीनियर्स ने संस्थान में मिले परिवार जैसे माहौल तथा गुरुजनों के मार्गदर्शन की जमकर सराहना की। इस अवसर पर एमबीए प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं ने अपने सीनियर्स को उनके साथ बिताये दो वर्षों के अनुभव के आधार पर कुछ उपनाम दिए गए जोकि फेयरवेल पार्टी के सबसे अधिक मनोरंजक पल कहे जा सकते हैं।
फेयरवल पार्टी के सुनहरे पलों में सबसे भावविभोर कर देने वाला वो क्षण रहा जब एमबीए अन्तिम वर्ष के छात्र-छात्राओं द्वारा जी.एल. बजाज में दो वर्ष के बिताए हुए खूबसूरत पलों को चलचित्र द्वारा प्रस्तुत किया गया। छात्र-छात्राओं की इस प्रस्तुति ने सभागार में उपस्थित सभी लोगों की वाहवाही लूटी। कार्यक्रम के अन्तिम चरण में सभी सीनियर्स को जूनियर्स द्वारा स्मृति चिह्न भेंट कर उनके सुनहरे भविष्य की मंगलकामना की गई। संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने विदा ले रहे एमबीए के सभी छात्र-छात्राओं को कॉलेज का एम्बेसडर मानते हुए हमेशा लगन और मेहनत से अपने लक्ष्य को हासिल करने का आह्वान किया। प्रो. अवस्थी ने कहा कि विद्यार्थी जीवन में समय का बहुत महत्व है लिहाजा सभी छात्र-छात्राओं को समय का सदुपयोग करते हुए अपने लक्ष्य हासिल करने चाहिए। फेयरवेल पार्टी में छात्र-छात्राओं के नयनाभिराम कार्यक्रमों की विभागाध्यक्ष डॉ. शशी शेखर, डॉ. तनुश्री गुप्ता, सोनिया चौधरी, रामदर्शन सारस्वत आदि ने मुक्तकंठ से सराहना की।

सच और झूठ का अंतर यानी अमृत और विष

मथुरा। विगत दिनों मैं अमर उजाला को उलट पलट रहा था कि अचानक मेरी नजर “मुखड़ा क्या देखे दर्पण में” स्तंभ पर पड़ी जिसका शीर्षक था “दुनियां बड़ी झूठी है इससे संतोष नहीं होता” यह लेख मुझे बहुत अच्छा लगा। बल्कि यौं कहूं कि बहुत लंबे समय बाद मुझे मेरे मनपसंद लेखन पढ़ने को मिला तो भी ठीक है। इसकी कटिंग मैंने अपने लेख के साथ भी डाल दी है। मेरा सभी से आग्रह है कि आप लोग भी जरूर पढ़ें। मेरा मानना है कि सच और झूठ का फर्क ठीक उसी प्रकार का है जैसे अमृत और विष। इंसान की गति तभी होती है जब वह जीवन पर्यंत सच्चाई पर डटा रहे तभी तो अंतिम यात्रा के समय जब लोग कंधे पर अर्थी को ढोते हैं तब उनके मुंह से यही निकलता है “राम नाम सत्य है सत्य बोलो गत्य है” सत्य बोलो गत्य है, क्या यह सिर्फ मुर्दे को ढोने वाले क्षणों का ही जाप है? नहीं कतई नहीं। यह तो अपने जीवन में आत्मसात करने वाला वह मंत्र है जिससे लोक और परलोक दोनों ही सुधरते हैं। पता नहीं क्यों बात बात पर झूठ, बात बात पर झूठ और तो और बिना बात पर भी झूठ ही झूठ का ऐसा वाहियात फैशन सा चल निकला है कि इस झूठी दुनियां से ही मुझे बेहद नफरत होने लगी है।
     मैंने अपने पिताजी के सद्गुण तो नहीं सीखे किंतु इतना तो दावे के साथ कह सकता हूं कि उनकी कभी झूठ न बोलने वाली पूरी आदत तो नहीं है पर हां, यथासंभव झूठ से ठीक उसी प्रकार बचकर चलने का प्रयास जरूर करता हूं जैसे पुराने जमाने में सवर्ण लोग शूद्रों से छिबने से बचते थे। मैंने तो यहां तक देखा था कि यदि सफाई कर्मी की परछाई भी किसी वैष्णव पर पड़ गई तो सबसे पहले घर आकर नहाना व कंठी जनेऊ बदलना जरूरी होता था।
     हम लोग बड़े चाव से सत्यनारायण की कथा कराते हैं। तमाम तामझाम के साथ सत्यनारायण भगवान की पूजा होती है। पंजीरी और चरणामृत का भोग लगता है और पत्ते से बनी दोनीं को माथे से लगाकर प्रसाद ग्रहण कर अपने को धन्य करते हैं किंतु पूरा का पूरा जीवन भगवान सत्यनारायण के सत्य वाले सिद्धांत से दूर रहकर बिताते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि मैं सत्यनारायण की कथा का विरोधी हूं बल्कि मुझे तो घर में कथा होना बड़ा ही सुखद लगता है। झूठे लोगों का यह ढोंग तो मुझे ऐसा लगता है जैसे एक ओर तो सत्यनारायण भगवान को खुश करने के लिए कथा कीर्तन और भोग रास लग रहा है व शंख तथा घंटे की ध्वनि वातावरण में गूंजती है। दूसरी ओर झूठ का सहारा लेकर अपना जीवन व्यतीत किया जाता है। झूठ का आसरा लेकर भले ही हम खुश होते रहे किंतु यह एकदम खरी बात है कि झूठ का सहारा इंसान को ऐसा बेसहारा बना कर छोड़ देता है कि उसकी गति धोबी के गधे जैसी हो जाती है न घर का न घाट का।
     सबसे बड़ा दंड तो यह मिलता है कि झूठ बोलने से आत्मा दुर्लभ होती है यानी आत्मबल कमजोर पड़ता है। यह मेरा निजी अनुभव भी है। कई बार मैंने महसूस किया है कि बातचीत में यदि शब्दों के उच्चारण में थोड़ा भी दाएं बाएं होते ही ऐसा लगता है कि हमारा कुछ नुकसान हो गया है अर्थात मानसिक परेशानी सी होती है। दूसरी बात यह भी है कि एक झूठ को छुपाने के लिए बार-बार झूठ और बोलना पड़ता है किंतु फिर भी वह छिपता नहीं और झूठ की गठरी का बोझ बढ़ता ही चला जाता है।
     तकरीबन 20-25 वर्ष पहले एक झूठ मैंने ऐसा बोला जो आज भी बजाय मन को कष्ट देने के सुकून देता है। दरअसल बात यह थी कि एक बंदर जो करंट से बुरी तरह झुलस गया था उसे मैंने अपने घर में रख कर 10-15 दिनों तक सेवा की। जब वह ठीक हो गया तो उसे छोड़ दिया। बंदर घर से बाहर निकलते ही बिजली के खंबे पर चढ़ गया। जिस समय वह खंबे के शिखर पर चढ़ा उस समय बिजली नहीं थी थोड़ी देर बाद बिजली आ गई। बिजली आने के बाद जैसे ही वह नींचे उतरने लगा तो उसे करंट का झटका लगा और फिर वह ऊपर की ओर चढ़ गया।
     यह सब देख मेरा कलेजा धक्क सा रह गया। मुझे लगा कि थोड़ी बहुत देर में जब बंदर फिर नींचे उतरने लगेगा तब फिर उसे बिजली के तार पकड़ लेंगे और मेरे सारे किए कराए पर पानीं फिर जाएगा। या तो वह मर जाएगा अथवा झुलस कर नींचे आ गिरेगा और फिर मुझे पुन: उसकी चाकरी में लग जाना पड़ेगा। तभी मुझे एक युक्ति सूझी और मैंने बिजलीघर फोन मिलाकर कहा कि जल्दी से लाइन बंद करो एक आदमी बिजली के खंबे से चिपक गया है।
     मेरे मुंह से यह बात निकलते ही ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारी ने आव देखा और न ताव, झट से बिजली बंद कर दी उसके बाद हम लोगों ने लंबे डंडे से उस बंदर को बड़ी मुश्किल से नींचे उतारा तथा बिजलीघर पुनः फोन करके कहा कि अब बिजली चालू कर दो आदमी बच गया। यदि मैं उस कर्मचारी से कहता कि बंदर को बचाने के लिए बिजली बंद कर दो तो शायद वह एक झटके से बिजली बंद करने के बजाय यह कहता कि अरे बंदर तो मरते ही रहते हैं। इन्होंने तो बड़ा आतंक मचा रखा है आदि आदि। कहने का मतलब है कि यदि किसी परमार्थ के निमित्त हमें झूठ बोलना पड़े तो शायद वह झूठ बजाय पाप के पुण्य में बदल जाता है।
     बचपन में तो मैं झूठ बोलकर अपना उल्लू सीधा करने में माहिर था। घर से जाता स्कूल के लिए और पहुंच जाता नानी या बुआ के घर तथा छुट्टी के टाइम पर वापस घर आ जाता। कभी-कभी बस्ते को इधर-उधर रखकर अंटा गोली खेलने या पतंग लूटने में मगन हो जाता। एकाध बार तो ऐसा भी हुआ कि पिताजी के पैसों में से चोरी करके खाने पीने की चीज खा लेता। घरवाले पूंछते कि पैसे कहां से आए तो कह देता कि सड़क पर पड़े मिले। हमारी माता जी मेरी इन खुराफातों से बहुत गुस्सा होती। मार भी पड़ जाती और हाथ पैर बांध कर बैठा दिया जाता। मैं अपने दांतो से हाथ की रस्सी को खोल कर उसके बाद फिर पैरों को खोल कर भाग जाता। इसके बाद हाथ पीछे की ओर बंधने लगे। कहने का मतलब है कि आज भले ही मैं अपने आप को सच्चा धारी सिद्ध करने की कोशिश कर रहा हूं किंतु मेरा भी अतीत झूठ के पलोथन से सना पड़ा है।
     अब अंत में यही कहूंगा यदि हम अपने जीवन की रिश्तेदारी सत्य और परमार्थ से कर लें तो खुशियों की ऐसी बगिया महकेगी जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। साथ ही साथ धन लिप्सा यानी पैसे की हाय से दूरी बनाए रखना भी बहुत जरूरी है। जो व्यक्ति सच्चाई, परमार्थ और संतोषी वाली प्रवृत्ति का होगा उसे जो सुख शांति मिलेगी उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता।

विजय गुप्ता की कलम से