Monday, December 22, 2025
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संस्कृति विवि में ‘गाईडेंस’, ‘काउंसलिंग’ में भी डिप्लोमा करने का मिलेगा मौका

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चित्र परिचयः प्रोफेसर एमबी चेट्टी


मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय नित नए-नए और उपयोगी पाठ्यक्रमों को अपने नए सत्र के लिए कैरीकुलम में शामिल कर रहा है। हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने वर्तमान पीढ़ी में बढ़ते तनाव के स्तर को स्वीकार किया है और शैक्षणिक दबाव, सामाजिक अपेक्षाएँ और करियर की अनिश्चितताओं को इनका प्रमुख कारण बताया है। मार्गदर्शन एवं परामर्श में डिप्लोमा इन ज़रूरी ज़रूरतों के प्रत्यक्ष समाधान के रूप में तैयार किया गया है और यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल्यों और दृष्टिकोण पर आधारित है।
संस्कृति विवि के कुलपति ने बताया कि इसकी अवधि एक वर्ष होगी और इंटरैक्टिव सत्र द्विभाषी मोड में ऑनलाइन होंगे। यह शिक्षकों, इच्छुक परामर्शदाताओं और चिंतित अभिभावकों को आज के युवाओं की ज़रूरतों को समझने और उनका समाधान करने के लिए आवश्यक योग्यता प्रदान करने में मदद करेगा। शिक्षक और शिक्षाविद अपनी कक्षाओं में पढ़ाते समय परामर्श कौशल का उपयोग करने में कुशल बनेंगे, मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करेंगे और परामर्श के क्षेत्र में अपना करियर बना सकेंगे। यह उन्हें भावनात्मक समर्थन के साथ युवाओं के व्यवहार को सही दिशा में बदलने में भी मदद करेगा।
आजकल इसकी बहुत आवश्यकता है क्योंकि युवा कभी-कभी यह तय नहीं कर पाते कि उन्हें क्या करना चाहिए और गलत आदतों में लिप्त हो जाते हैं। आजकल हर शैक्षणिक संस्थान, उद्योग, निगम को न केवल अपने छात्रों के लिए, बल्कि अपने कर्मचारियों के लिए भी परामर्शदाताओं की आवश्यकता होती है, इसलिए यह डिप्लोमा परामर्शदाता की नौकरी पाने में भी आपकी मदद करेगा।
शैक्षणिक प्रौद्योगिकी में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम
प्रौद्योगिकी में तीव्र प्रगति ने विभिन्न क्षेत्रों में क्रांति ला दी है और शिक्षा उनमें से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह एक तथ्य है कि यदि हम समाज में कोई बदलाव लाना चाहते हैं, तो केवल शिक्षा ही एक महत्वपूर्ण साधन की भूमिका निभा सकती है। हालाँकि शिक्षक अक्सर अपने-अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं, फिर भी कई शिक्षकों के पास प्रौद्योगिकी का सहज और प्रभावी उपयोग करने हेतु तकनीकी विशेषज्ञता का अभाव होता है।
यह तीन महीने का ऑनलाइन प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शिक्षण दक्षता को बढ़ाएगा, शिक्षकों को व्यावहारिक कौशल से लैस करेगा, विविध शिक्षण आवश्यकताओं का समर्थन करेगा और ज्ञान के अंतर को पाटेगा। यह पाठ्यक्रम शिक्षकों को न केवल तकनीकी उपकरणों के उपयोग में कुशल बनाएगा, बल्कि वे 21वीं सदी के शिक्षार्थियों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले आकर्षक और प्रभावशाली ऑनलाइन पाठों को डिज़ाइन और प्रस्तुत करना भी सीखेंगे।

संस्कृति विवि में संस्कृत दिवस पर आयोजित हुआ संस्कृतमय कार्यक्रम

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चित्र परियः संस्कृति विवि के संतोष मैमोरियल सभागार में आयोजित संस्कृत दिवस समारोह में भाग लेने वाले छात्र-छात्राएं शिक्षकों के साथ।


मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के संतोष मैमोरियल सभागार में संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल के तत्वाधान में ‘संस्कृत दिवस’ का आयोजन किया गया। इस अवसर पूरी तरह से संस्कृत भाषा में आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने संस्कृत भाषा की प्राचीनता, दिव्यता और समृध्दशाली पृष्ठभूमि से जुड़ी प्रस्तुतियां देकर उपस्थित लोगों को जागरूक किया।
कार्यक्रम के दौरान मुख्य वक्ता के रूप में संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. मोहनन एम ने कहा कि इस दिवस का उद्देश्य संस्कृत भाषा के महत्व को बढ़ावा देना, ऋषि-मुनियों के प्रति सम्मान व्यक्त करना और भारतीय संस्कृति की प्राचीन भाषाई धरोहर को संरक्षित करना है। भारत सरकार ने 1969 में इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी, ताकि संस्कृत भाषा के प्रचार और प्रसार को बढ़ावा मिल सके।
संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के शिक्षक सुधिष्ठ कुमार मिश्रा ने बताया कि संस्कृत को सभी भारतीय भाषाओं की जननी और वेदों, उपनिषदों, धार्मिक ग्रंथों, और मंत्रों की भाषा माना जाता है। संस्कृत दिवस इस भाषा के महत्व को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत ऋषि-मुनि ही हैं, इसलिए इस दिन को ऋषि पर्व और संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। छात्रा दिया, अवंतिका, काजल, नुपूर ने संस्कृत भाषा में मां सरस्वती की अराधना करते हुए वंदना की। छात्रा ने गणेश वंदना और पंचरत्नम का पाठ नीलम भाटी ने किया। छात्रा वंशिका चौधरी ने अपने वक्तव्य में बताया कि संस्कृत को सभी भारतीय भाषाओं की जननी और वेदों, उपनिषदों, धार्मिक ग्रंथों, और मंत्रों की भाषा माना जाता है. संस्कृत दिवस इस भाषा के महत्व को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। छात्रा जाह्नवी, प्रिया पांडे अपूर्वा ने रुद्राष्टकम का पाठ कर माहौल को संस्कृतमय कर दिया। छात्रा रिया, अंशु ने सुरीले कंठ से विष्णु सहस्त्रनाम का सस्वर पाठ किया। इस बीच छात्र अरुन, ध्रुव, सत्यम, छात्रा दिया, मोनिका, सिमरन, ताशु ने एक लघु नाटिका के माध्यम से भारतीय संस्कृति के महत्व का बखान किया। वहीं छात्र अभिनव और घनश्याम ने लक्ष्मण-परशुराम संवाद को मंच पर बड़ी कुशलता से अभिनीत कर खूब तालियां बटोरीं। छात्र दीपक, छात्रा तुलसी ने शिव स्तुति, छात्रा क्रीमा, अंशिका, दीपिका, तनीषा, खुशी, सलोनी, चंचल, परी, अनुप्रिया, शिवानी श्रेया ने संस्कृत भाषा में विभिन्न प्रस्तुतियां दीं।
अंत में सुधिष्ठा सर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस संस्कृतमय कार्यक्रम का कुशल संचालन अभिषेक वार्ष्णेय ने किया।

राजीव इंटरनेशनल स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने सीखी टीचिंग स्किल सीबीएसई के कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम में वक्ताओं ने साझा किए अनुभव

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मथुरा। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा राजीव इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम में शिक्षक-शिक्षिकाओं को स्मार्ट लर्निंग आउटकम्स की फ्रेमिंग, प्रभावी पाठ योजनाएं बनाने, नई शैक्षणिक रणनीतियां तैयार करने तथा सीबीएसई के लर्निंग आउटकम्स के अनुरूप छात्र-छात्राओं के मूल्यांकन की विस्तार से जानकारी दी गई। कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम का शुभारम्भ विद्या की आराध्य देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना के बाद हुआ।
सीबीएसई की इस कार्यशाला में शिक्षक-शिक्षिकाओं का मार्गदर्शन रिसोर्स परसन कुलभूषण जैद, भावना शर्मा तथा निधि गुलाटी ने किया। शिक्षक-शिक्षिकाओं ने चर्चा सत्रों और प्रैक्टिकल गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे उन्हें अवधारणा स्पष्टता, कौशल विकास और योग्यता आधारित शिक्षण को और बेहतर तरीके से समझने में मदद मिली। कार्यशाला में कुलभूषण जैद ने विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के माध्यम से शिक्षक-शिक्षिकाओं को टीचिंग स्किल्स की जानकारी दी।
भावना शर्मा और निधि गुलाटी ने शिक्षक-शिक्षिकाओं को स्किल डेवलपमेंट के बारे में बताया। इन्होंने बताया कि पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य किसी कोर्स की प्रॉपर ट्रेनिंग लेकर खुद में कोई नई स्किल डेवलप करना ही स्किल डेवलपमेंट है। रिसोर्स परसन ने बताया कि छात्र-छात्राओं का कौशल विकास समय की जरूरत है। भावना शर्मा ने शिक्षकों को छात्र-छात्राओं के साथ तारतम्यता बिठाते हुए उनके सर्वांगीण विकास पर बल दिया। उन्होंने विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के माध्यम से इंक्वारी बेस्ट लर्निंग पर फोकस किया।
निधि गुलाटी ने धैर्य और सहनशीलता पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षकों को बताया कि किस तरह से वे विभिन्न अधिगम क्षमता वाले छात्र-छात्राओं को एक साथ पढ़ा और सिखा सकते हैं। उन्होंने रियल लाइफ के नए-नए उदाहरणों तथा विद्यार्थियों से रोल प्ले करवाकर शिक्षण के तौर-तरीके बताए। रिसोर्स परसन ने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पहुंच, समानता, गुणवत्ता, सामर्थ्य तथा जवाबदेही के स्तम्भों पर आधारित है। इसका उद्देश्य स्कूल और कॉलेज दोनों में शिक्षा को अधिक समग्र, बहु-विषयक तथा लचीला बनाना है, जो भावी पीढ़ी के सतत विकास के अनुरूप हो।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने कार्यशाला को सार्थक बताते हुए कहा कि ज्ञान हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती। एक कुशल शिक्षक वही हो सकता है जोकि खुद पढ़ता हो और सीखता हो। राजीव इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने कहा कि समय-समय पर ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन जरूरी है। ऐसी कार्यशालाओं से शिक्षकों को जहां अपडेट होने का मौका मिलता है वहीं शिक्षा में नयापन आने से छात्र-छात्राओं की भी अध्ययन के प्रति रुचि बढ़ती है। श्री अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी सभी टीचर्स को होनी चाहिए। स्कूल की प्रिंसिपल प्रिया मदान ने सभी वक्ताओं को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना।
चित्र कैप्शनः कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम में प्रतिभागिता करने वाले रिसोर्स परसन और आर.आई.एस. के शिक्षक और शिक्षिकाएं।

वीपीएस के छात्रों ने लिया औद्योगिक भ्रमण का अनुभव

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वृंदावन। जीवन में अनुभव का होना बेहद जरूर जरूरी है। यह जीवन की पाठशाला में एक ऐसा शिक्षक है, जो हमारे व्यवहारिक ज्ञान में वृद्धि करता है। इसी उद्देश्य की परिकल्पना को साकार करते हुए मथुरा मार्ग स्थित वृंदावन पब्लिक स्कूल के छात्रों ने वृंदावन एग्रो इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड का भ्रमण किया। इसमें उन्होंने कोका-कोला पेय पदार्थ की विस्तृत जानकारी ली।
भ्रमण में उन्होंने इस उत्पाद की निर्माण प्रक्रिया, बिक्री, खरीद, कच्चा माल, गुणवत्ता नियंत्रण, पैकेजिंग, वितरण नेटवर्क, भंडारण प्रबंधन, बाजार मांग, ब्रांड प्रबंधन आदि के बारे में जानकारी हासिल की। कक्षा 12 से छात्र आशी अग्रवाल व परी अग्रवाल ने अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए इंडस्ट्री के एच आर संदीप शर्मा से प्रश्नों के माध्यम से उत्पाद और उद्योग के बारे में अनुभव लिया। छात्र दिवस अग्रवाल ने संपूर्ण भ्रमण में अनुभव को अति प्रसन्नता के साथ साझा किया। साथ ही छात्रा कामिनी सैनी ने विद्यालय द्वारा इस प्रकार के भ्रमण के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। समस्त छात्र-छात्राओं विद्यालय प्रबंधन के प्रति धन्यवाद देते हुए कहा कि इस तरह के भ्रमण हमारी क्षमता, रुचि, अभिव्यक्ति कौशल में वृद्धि करते हैं व हमारे करियर में मील का पत्थर बन जाते हैं।
प्रधानाचार्य कृति शर्मा ने कहा कि युवा पीढ़ी में ज्ञान की पिपासा व जिज्ञासा हमेशा बनी रहती है। हमारा दायित्व है कि अपने अनुभवों से उन्हें व्यावहारिक ज्ञान भी दिया जाए।
भ्रमण के सफल संयोजन में दिशी गोस्वामी, आदित्य शर्मा, ऋतिक अग्रवाल व शिवानी वर्मा का सहयोग सराहनीय रहा।

प्रांतीय शतरंज प्रतियोगिता में परमेश्वरी देवी धानुका विद्यालय के छात्रों ने जीते पदक

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-विद्या भारती ब्रज प्रदेश के तत्वावधान में आयोजित हुई प्रतियोगिता

-स्वर्ण पदक जीतने वाले छात्र क्षेत्रीय प्रतियोगिता में करेंगे ब्रज प्रान्त का प्रतिनिधित्व

वृंदावन। विद्या भारती ब्रज प्रदेश द्वारा आगरा स्थित गणेशराम नागर सरस्वती बालिका विद्या मंदिर में प्रांतीय खेलकूद प्रतियोगिताओं की श्रृंखला अंतर्गत आयोजित शतरंज प्रतियोगिताओं में परमेश्वरी देवी धानुका सरस्वती विद्या मंदिर वृंदावन के खिलाड़ी छात्रों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सभी वर्गों में पदक जीतकर विद्यालय को गौरवान्वित किया। विद्यालय के खेल प्रभारी सत्येंद्र तोमर ने बताया कि शतरंज के क्षेत्र में विद्याभारती द्वारा आयोजित विभिन्न प्रांतीय, क्षेत्रीय तथा अखिल भारतीय प्रतियोगिताओं और स्थानीय जिला स्तरीय तथा मंडल स्तरीय टूर्नामेंट में विद्यालय के छात्रों ने हमेशा उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। इस प्रतियोगिता में ब्रज प्रान्त के सभी प्रमुख विद्यालयों के छात्रों ने भाग लिया। प्रतियोगिता बाल किशोर और तरुण इन तीन वर्गों में विभाजित थी।
अंडर 14 बाल वर्ग में यश कश्यप, शिवाय गुप्ता, सुधांशु सैनी और कौस्तुभमणि ने कांस्य पदक प्राप्त किया जबकि अंडर 17 किशोर वर्ग में कक्षा द्वादश के दाऊ दयाल शर्मा, कक्षा एकादश के दिव्यांश त्रिपाठी, दशम कक्षा के गोपेश सैनी तथा स्पर्श वर्मा और नवीं कक्षा के मयंक भार्गव ने रजत पदक प्राप्त किया।
अंडर-19 तरुण वर्ग में कक्षा द्वादश के प्रभात चौधरी और देवकीनंदन चौधरी, कक्षा एकादश के नैतिक अग्रवाल तथा कक्षा दशम के ब्योम सिंह और माधव गोयल ने प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए अपने-अपने प्रतिद्वंदियों को सीधे मुकाबलों में हराकर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया।
छात्रों की इस उल्लेखनीय सफलता पर विद्यालय परिवार की ओर से प्रबंधक शिवेंद्र गौतम, प्रधानाचार्य विपिन कुमार शर्मा, उप प्रधानाचार्य ओम प्रकाश शर्मा, देवेंद्र गौतम, राहुल शर्मा, मनोज वार्ष्णेय, रविन्द्र सिंह आदि ने हर्ष व्यक्त करते हुए छात्रों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। प्रांतीय प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले छात्र विद्या भारती की क्षेत्रीय प्रतियोगिता में ब्रज प्रान्त का प्रतिनिधित्व करेंगे।

चित्र परिचयः संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रांगणों में आयोजित रंगोली प्रतियोगिता के दौरान एक रंगोली का प्रदर्शन करतीं छात्राएं और छात्र। साथ में हैं विश्वविद्यालय की सीईओ डा. श्रीमती मीनाक्षी शर्मा, डा. एकता कपूर, डा. डीएस तोमर

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संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित हुई रंगोली प्रतियोगिता
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रांगणों में देशभक्ति से ओतप्रोत अनेक रंगोलियां बनाकर पूरे परिसर को सजा दिया। इस कार्यक्रम में अनेक छात्रों ने भाग लिया और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
प्रतियोगिता का शुभारंभ करते हुए संस्कृति विश्वविद्यालय की सीईओ डा.श्रीमती मीनाक्षी शर्मा ने कहा कि हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत आयोजित की गई यह रंगोली प्रतियोगिता जहां विद्यार्थियों में उत्साह उत्पन्न करने वाली है वहीं उनके अंदर राष्ट्रीय भावना और अपने झंडे के प्रति लगाव बढ़ाने वाली है। विद्यार्थियों ने जिस तरह से आगे बढ़कर इस प्रतियोगिता में भाग लिया है वह देखते ही बनता है। देश के प्रति अपनी भावनाओं को रंगों से उकेरा है और पूरे विश्वविद्यालय में देशभक्ति का रंग बिखेरा है। वे सभी छात्र और छात्राएं बधाई के पात्र हैं जिन्होंने इस प्रतियोगिता में भाग लिया।
रंगोली प्रतियोगिता का संयोजकत्व डा. एकता कपूर ने किया। उन्होंने रंगोली की थीम बताकर विद्यार्थियों को अपने विचारों और सोच के अनुरू रंगोली बनाने के लिए प्रेरित किया। स्टूडेंट वेलफेयर विभाग के डीन डा. डीएस तोमर ने बच्चों के प्रयासों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। इस मौके पर संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के प्राचार्य डा. मोहनन सहित अनेक शिक्षकगण उपस्थित रहे। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य विद्यार्थियों को ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के अन्तर्गत राष्ट्रीय गौरव की भावना से जोड़ने का था।

जीएलए का पॉलिटेक्निक संस्थान सीईजीआर अवार्ड से सम्मानितजीएलए पॉलीटेक्निक संस्थान को मिला ‘उत्तर भारत का सर्वश्रेष्ठ पॉलिटेक्निक’ का खिताब

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मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा का पॉलिटेक्निक संस्थान एक बार फिर उत्कृष्टता का परचम लहरा रहा है। शिक्षा, कौशल विकास और तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान के लिए शिक्षा संवर्द्धन एवं अनुसंधान केन्द्र (सीईजीआर) ने इसे ‘उत्तर भारत का सर्वश्रेष्ठ पॉलिटेक्निक संस्थान 2025’ के सम्मान से अलंकृत किया है। यह प्रतिष्ठित सम्मान नई दिल्ली में आयोजित 25वें राष्ट्रीय शिक्षा गौरव सम्मान समारोह में प्रदान किया गया, जहां शिक्षा जगत के अनेक दिग्गज उपस्थित रहे।

यह पुरस्कार संस्थान के प्राचार्य डॉ. विकास कुमार शर्मा ने ग्रहण किया। उन्होंने कहा, “यह सम्मान संस्थान के प्रबंधन के दूरदर्शी नेतृत्व, शिक्षकों की अथक मेहनत और छात्र-छात्राओं की निरंतर प्रगति एवं अच्छे रोजगार का परिणाम है।”

सीईजीआर देशभर के उच्च शिक्षा संस्थानों का प्रतिवर्ष सूक्ष्म मूल्यांकन करता है। शैक्षणिक सत्र 2024-25 के मूल्यांकन में जीएलए पॉलिटेक्निक ने हर पैमाने पर चाहे वह परिसर नियुक्ति हो, परियोजनाओं की गुणवत्ता, अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं का आधारभूत ढांचा, अनुभवी शिक्षकों की टीम, उद्योग-आधारित प्रशिक्षण, या उद्योग-उन्मुख पाठ्यक्रम में सर्वोच्च अंक प्राप्त किए।

शैक्षणिक सत्र 2024-25 की एक और उल्लेखनीय उपलब्धि यह रही कि आयोजित परिसर नियुक्ति अभियान में पॉलिटेक्निक के 92 प्रतिशत छात्र-छात्राओं का चयन 72 से अधिक प्रतिष्ठित कंपनियों में हुआ। यह उपलब्धि स्पष्ट करती है कि संस्थान अपने विद्यार्थियों को न केवल उच्च स्तरीय शिक्षा प्रदान कर रहा है, बल्कि उन्हें उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार भी कर रहा है। चयनित विद्यार्थियों को जिन कंपनियों से नियुक्ति प्रस्ताव प्राप्त हुए, उनमें एक्मे क्लीनटेक सॉल्यूशंस, बालकृष्ण उद्योग, ब्लू स्टार, शिकागो ब्रिज एंड आयरन (मैकडरमोट), कोका कोला, डी पाइपिंग सिस्टम्स, गेट्स इंडिया, एचजी इंफ्रा इंजीनियरिंग, एचएलएस एशिया, केवीबी स्टाफिंग सॉल्यूशंस, मैट ब्रेक्स इंडिया, एमटीएंडटी, राष्ट्रीय इंजीनियरिंग उद्योग (एनबीसी बियरिंग्स), नेपच्यून इंडिया, टेकुमसेह उत्पाद इंडिया, यूफ्लेक्स, अल्ट्राटेक सीमेंट, यूनिवर्सल एमईपी परियोजनाएं एवं इंजीनियरिंग सेवाएं और विप्रो प्रौद्योगिकियां जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं।

संस्थान का डिप्लोमा पाठ्यक्रम विद्युत चालित वाहन, मैकाट्रॉनिक्स, स्वचालन, मोबाइल अनुप्रयोग विकास, बैटरी निर्माण जैसे उभरते क्षेत्रों पर केंद्रित है, जिससे विद्यार्थी व्यावहारिक और उद्योग-उन्मुख ज्ञान प्राप्त करते हैं। इस उद्देश्य के लिए परिसर में सीएनसी मशीन एवं स्वचालन प्रयोगशाला, उन्नत मशीन कार्यशाला, वाहन प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला, यांत्रिकी प्रयोगशाला, अत्याधुनिक वेल्डिंग प्रयोगशाला, सामग्री परीक्षण प्रयोगशाला, सर्वेक्षण प्रयोगशाला, संगणक प्रोग्रामिंग प्रयोगशाला और पाइथन प्रोग्रामिंग प्रयोगशाला जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।

गौरतलब है कि सीईजीआर द्वारा जीएलए पॉलिटेक्निक संस्थान को इससे पहले भी वर्ष 2019 और 2023 में यह सर्वोच्च सम्मान मिल चुका है, और अब 2025 में यह उपलब्धि हासिल करना संस्थान की निरंतर प्रगति का सशक्त प्रमाण है। यह सम्मान संपूर्ण जीएलए परिवार के सदस्यों को समर्पित है, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता, नवाचार और मेहनत से एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ा है।

नवीनतम दंत चिकित्सा तकनीक से रूबरू हुए के.डी. डेंटल कॉलेज के विद्यार्थी कंटीन्यूइंग डेंटल एज्यूकेशन में डॉ. अविनाश पाटिल ने साझा किए अनुभव

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मथुरा। के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल, मथुरा में इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ कंटीन्यूइंग डेंटल एज्यूकेशन तथा डेंटस्प्लाई इंडिया के सहयोग से आयोजित सीडीई कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ. अविनाश पाटिल ने “एंडो एम्पावर्ड: फ्रॉम कर्व्ड कैनल्स टू थ्रीडी सील्स” विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने भावी दंत चिकित्सकों को एक्सेस कैविटी प्रिपरेशन से लेकर थ्रीडी ऑबट्यूरेशन तक की नवीनतम दंत चिकित्सा तकनीकों की जानकारी दी। सीडीई कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती की पूजा-अर्चना के बाद हुआ।
सीडीई में मुख्य वक्ता डॉ. अविनाश पाटिल ने छात्र-छात्राओं को बताया कि एक्सेस कैविटी प्रिपरेशन एंडोडोंटिक उपचार का प्रारम्भिक चरण है। इसमें दंत चिकित्सक रूट कैनाल प्रणाली तक पहुंचने के लिए दांत के ऊपरी हिस्से को हटाते हैं। यह रूट कैनाल चिकित्सा की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि रूट कैनाल प्रणाली दांतों की पर्याप्त सफाई, आकार देने और भराई करने का सुरक्षित तरीका है। इसका लक्ष्य शेष दांतों की संरचना को भी संरक्षित करना है। उन्होंने भावी दंत चिकित्सकों को बताया कि अपर्याप्त एक्सेस कैविटी तैयारी रूट कैनाल को ठीक से साफ करने में कठिनाई पैदा कर सकती है, जिससे उपचार विफल हो सकता है।
डॉ. पाटिल ने छात्र-छात्राओं से थ्रीडी ऑबट्यूरेशन पर अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि थ्रीडी ऑपरेशन एक सर्जिकल तकनीक है जिसमें थ्रीडी इमेजिंग का उपयोग करके सर्जरी की जाती है। इस तकनीक से डॉक्टर अधिक गहराई और विवरण के साथ दांतों को देख पाते हैं। उन्होंने बताया कि थ्रीडी तकनीक का उपयोग करके डॉक्टर बेहतर सटीकता और दक्षता के साथ जटिल सर्जरी कर सकते हैं।
डॉ. पाटिल ने सिंगल विजिट एंडोडोंटिक्स पर जोर देते हुए कहा कि यह आधुनिक दंत चिकित्सा प्रक्रिया है जो रोगियों को एक ही यात्रा में रूट कैनाल उपचार पूरा करने की सुविधा प्रदान करती है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह सभी मामलों के लिए उपयुक्त नहीं है। उन्होंने कहा कि सिंगल विजिट एंडोडोंटिक्स दंत चिकित्सा यात्रा में रूट कैनाल उपचार को पूरा करने का एक तरीका है। डॉ. पाटिल ने कहा कि रोगी का एक ही बार में उपचार पूरा होने से उसे बार-बार दंत चिकित्सक के पास जाने की आवश्यकता नहीं होती। यह प्रक्रिया उन रोगियों के लिए भी अधिक सुविधाजनक हो सकती है जो एक ही बार में उपचार पूरा करना चाहते हैं। इस सत्र को खूब सराहा गया। इसमें 75 उत्साही प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में लाइव प्रदर्शन के बाद वीडीडब्ल्यू रोटेट नाईटाई फाइल सिस्टम पर एक व्यावहारिक कार्यशाला भी आयोजित की गई, जिसमें 25 प्रतिभागियों ने पूर्वानुमानित और सफल एंडोडोंटिक्स के लिए रोटरी फाइलों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए व्यावहारिक कौशल प्राप्त किया। सीडीई की सफलता में डॉ. सिद्धार्थ सिसोदिया, डॉ. अनुज, डॉ. विवेक, डॉ. मनीष, डॉ. राजीव, डॉ. जुही आदि का अहम योगदान रहा। सीडीई में विभागाध्यक्ष डॉ. विनय मोहन, डॉ. सोनल, डॉ. अजय नागपाल, डॉ. शैलेन्द्र, डॉ. नवप्रीत तथा कॉलेज के प्रशासनिक अधिकारी नीरज छापड़िया आदि उपस्थित रहे। समापन अवसर पर के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने मुख्य वक्ता डॉ. अविनाश पाटिल का स्वागत किया तथा छात्र-छात्राओं से अपना नवीनतम अनुभव साझा करने के लिए आभार माना। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनुज गौर ने किया।
चित्र कैप्शनः मुख्य वक्ता डॉ. अविनाश पाटिल का अभिनंदन करते डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी। दूसरे चित्रों में मुख्य वक्ता के साथ प्रतिभागी भावी दंत चिकित्सक।

राज्यपाल के करकमलों से सम्मानित हुईं आर.के. ग्रुप की स्वर्णपरियांमेहर, प्राची ने मेडिकल शिक्षा तो सलोनी ने बीसीए में फहराया परचम

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मथुरा। डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा का 91वां दीक्षांत समारोह आर.के. ग्रुप के शैक्षिक संस्थानों के लिए खुशियों का पैगाम लेकर आया। करतल ध्वनि के बीच गरिमामय समारोह में मुख्य अतिथि इंडिया हैबिटेट सेंटर के निदेशक प्रो. केजी सुरेश, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तथा कुलपति आशु रानी द्वारा आर.के. ग्रुप की तीन मेधावी बेटियों मेहर पाराशर, प्राची डावर तथा सलोनी सिंह को स्वर्ण पदक और प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर उनका उत्साहवर्धन किया गया।
बुधवार को आगरा के खंदारी स्थित स्वामी विवेकानंद कैम्पस के छत्रपति शिवाजी मंडपम में हुए दीक्षांत समारोह में अतिथियों द्वारा डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के 77 मेधावी छात्र-छात्राओं को 117 पदक प्रदान किए गए। मुख्य अतिथि इंडियन हैबिटेट सेंटर नई दिल्ली के निदेशक शिक्षाविद प्रो. केजी सुरेश, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तथा कुलपति आशु रानी ने के.डी. मेडिकल कॉलेज की छात्राओं मेहर पाराशर को एमबीबीएस 2025 की परीक्षा में शल्य चिकित्सा विषय में सर्वोच्च अंक के लिए डॉ. शारदा प्रसाद श्रीवास्तव स्वर्ण पदक तथा प्राची डावर को एमबीबीएस 2025 की परीक्षा में औषधि विज्ञान की प्रयोगात्मक परीक्षा में सर्वोच्च अंक लाने पर श्री ब्रजनंदन चौबे जी स्मृति स्वर्ण पदक प्रदान किए। अतिथियों ने राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट की मेधावी छात्रा सलोनी सिंह को भी बीसीए परीक्षा 2025 में सर्वोच्च अंक लाने पर स्वर्ण पदक से सम्मानित किया।
मेधावी मेहर पाराशर, प्राची डावर तथा सलोनी सिंह की स्वर्णिम सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने कहा कि यह उपलब्धि बेटियों की कड़ी मेहनत तथा अनुभवी शिक्षकों के कुशल मार्गदर्शन का प्रतिफल है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि इन बेटियों की ऐतिहासिक सफलता अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का काम करेगी। के.डी. मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने मेधावी छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि यह समूचे ग्रुप के लिए गौरव की बात है। श्री अग्रवाल ने कहा कि विश्वविद्यालय स्तर पर एक साथ तीन बेटियों की स्वर्णिम सफलता और उपलब्धियां इस बात का प्रतीक हैं कि आर.के. ग्रुप छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, कार्यकारी निदेशक अरुण अग्रवाल, राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया, बीसीए विभागाध्यक्ष चन्द्रेश दुबे आदि ने तीनों छात्राओं को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने मेधावी मेहर पाराशर और प्राची डावर की ऐतिहासिक उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि यह इनकी कड़ी मेहनत, अनुशासन, नियमित अध्ययन और विषयों में गहरी समझ का सूचक है। डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने कहा कि यह उपलब्धि सभी के लिए गर्व का विषय है। डॉ. भदौरिया ने कहा कि मेधावी छात्राओं की यह सफलता अन्य विद्यार्थियों को भी उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रेरित करेगी।
चित्र कैप्शनः राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तथा कुलपति आशु रानी से प्रशस्ति पत्र लेती हुई मेधावी सलोनी सिंह।

राइजिंग स्टार अवॉर्ड से सम्मानित हुईं के.डी. मेडिकल कॉलेज की डॉ. शुभमगाजियाबाद में फेफड़ों और श्वसन तंत्र पर साझा किए अपने विचार

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मथुरा। रेडिसन ब्लू, कौशाम्बी, गाजियाबाद में पैक्स फाउंडेशन द्वारा पल्मोनोलॉजी विषय पर आयोजित तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर की एसोसिएट प्रो. (डॉ.) शुभम (एमडी पल्मोनोलॉजी और पीडीएफ इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी) को राइजिंग स्टार अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह अवॉर्ड उन्हें देश के जाने-माने पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. एस.के. जिन्दल के करकमलों से प्रदान किया गया। राइजिंग स्टार अवॉर्ड हासिल करने वाली डॉ. शुभम मथुरा की पहली इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट हैं।
तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में देश-दुनिया के विशेषज्ञ पल्मोनोलॉजिस्टों की उपस्थिति में डॉ. शुभम ने फेफड़ों और श्वसन तंत्र से संबंधित विषयों पर नवीनतम अनुसंधान, उपचार और प्रौद्योगिकी पर प्रकाश डाला। डॉ. शुभम ने पल्मोनोलॉजी पर अपने विचार साझा करते हुए बताया कि श्वसन तंत्र इंसान के शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है तथा कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने में मदद करता है। उन्होंने कहा कि फेफड़े श्वसन तंत्र का एक मुख्य अंग हैं। श्वसन तंत्र की समस्याओं के कारण ही फेफड़ों तक पहुंचने वाली ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है और इंसान बीमार पड़ जाता है।
डॉ. शुभम ने अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, फेफड़ों का कैंसर, निमोनिया और स्लीप एपनिया पर भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि फेफड़े इंसान के श्वसन तंत्र का पावरहाउस हैं, जो हर दिन अथक परिश्रम करते हैं। प्रत्येक इंसान औसतन प्रतिदिन लगभग 23 हजार बार सांस लेता है। प्रत्येक सांस के दौरान हमारे फेफड़े अपशिष्ट को फिल्टर करते हैं और ऑक्सीजन को हमारे रक्तप्रवाह में प्रवाहित करते हैं, जो फिर हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका तक जाती है। उन्होंने ब्रोंकोस्कोपी, थोरैकोस्कोपी और इंटरवेंशनल तकनीक को सांस की समस्या से पीड़ित मरीजों के उपचार में काफी मददगार बताया। इस तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में देश-दुनिया के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने पल्मोनोलॉजी यानी फेफड़ों के रोगों से संबंधित चिकित्सा पर अपने-अपने विचार साझा किए। कॉन्फ्रेंस के समापन अवसर पर विशेषज्ञों ने पल्मोनोलॉजी विषय पर डॉ. शुभम द्वारा साझा किए गए विचारों की न केवल प्रशंसा की बल्कि उन्हें राइजिंग स्टार अवॉर्ड से भी सम्मानित किया।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, के.डी. मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन मनोज अग्रवाल तथा डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने डॉ. शुभम की इस उपलब्धि की प्रशंसा करते हुए इसे ब्रज मण्डल के लिए गौरवशाली क्षण बताया। डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने कहा कि समय के साथ चिकित्सा के क्षेत्र में भी काफी बदलाव हो रहे हैं। के.डी. मेडिकल कॉलेज शोध के क्षेत्र में निरंतर प्रयासरत है।
डॉ. अग्रवाल का कहना है कि हम चाहते हैं कि चिकित्सा का यह संस्थान अनुसंधान के क्षेत्र में समूचे देश में नजीर स्थापित करे। उन्होंने डॉ. शुभम को बधाई देते हुए अन्य चिकित्सकों तथा मेडिकल छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि वह किताबी ज्ञान हासिल करने के साथ ही विभिन्न बीमारियों पर अनुसंधान अवश्य करें। चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने कहा कि डॉ. शुभम को राइजिंग स्टार अवॉर्ड मिलना उनकी लगन और मेहनत का प्रतिफल है। श्री अग्रवाल ने कहा कि इस उपलब्धि से के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर परिवार अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
चित्र कैप्शनः राइजिंग स्टार अवॉर्ड के साथ डॉ. शुभम।