Monday, December 22, 2025
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संस्कृति विश्विद्यालय और एच सी एल जीयूवीआई के मध्य हुए समझौते को प्रदर्शित करते दोनों पक्ष के अधिकारी।

चित्र परिचय: संस्कृति विश्विद्यालय और एच सी एल जीयूवीआई के मध्य हुए समझौते को प्रदर्शित करते दोनों पक्ष के अधिकारी।

संस्कृति यूनिवर्सिटी ने तकनीकी शिक्षा में क्रांति लाने के लिए एचसीएल जीयूवीआई के साथ हाथ मिलाया

मथुरा। भारत में तकनीकी शिक्षा को बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, संस्कृति यूनिवर्सिटी ने एच सी एल जी यू वी आई के साथ रणनीतिक साझेदारी की है। यह एक प्रमुख स्थानीय एडटेक प्लेटफॉर्म है जो अब एचसीएल समूह का हिस्सा है।
समझौता ज्ञापन (एमओयू) के माध्यम से औपचारिक रूप से तैयार किए गए इस सहयोग को ऐसे अभिनव शैक्षणिक कार्यक्रम प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए अत्याधुनिक तकनीकी कौशल, व्यावहारिक शिक्षा और उद्योग-तैयार शिक्षा को सहजता से एक प्लेटफार्म पर लाता है।
इस समझौता ज्ञापन पर संस्कृति विश्वविद्यालय के सीईओ-आईआईई डॉ. गजेंद्र सिंह, संस्कृति विश्वविद्यालय के उप रजिस्ट्रार मनीष मिश्रा और एचसीएल जीयूवीआई की तरफ से संस्थान बिक्री प्रमुख विनोद श्रीनिवासन ने हस्ताक्षर किए। डॉ गजेंद्र सिंह ने बताया कि यह साझेदारी अकादमिक शिक्षा और उद्योग की मांगों के बीच की खाई को को पाटेगी, जिससे पूरे भारत में छात्रों की करियर की उपलब्धता बढ़ेगी।
उन्होंने बताया कि यह सहयोग, एचसीएल जीयूवीआई प्रोग्रामिंग भाषाओं (पायथन, जावा, एआई), डेटा साइंस, मशीन लर्निंग और अन्य में उद्योग-सम्बंधित पाठ्यक्रमों को एकीकृत करके संस्कृति विश्वविद्यालय में अकादमिक पेशकशों को बढ़ाएगा। छात्रों को कोडकाटा और वेबकाटा जैसे विशेष उपकरणों तक भी पहुंच मिलेगी, जो उन्हें व्यावहारिक शिक्षण अनुभव प्रदान करेगा जो उनकी तकनीकी विशेषज्ञता को मजबूत करेगा।
डॉ सिंह ने बताया कि एचसीएल जीयूवी के लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के कोर्स डिलीवरी के लिए किया जाएगा, जिससे छात्र अपनी गति से सीख सकेंगे और साथ ही उद्योग विशेषज्ञों द्वारा आयोजित लाइव प्रशिक्षण सत्रों में भी भाग ले सकेंगे। इस कैंपस आधारित शिक्षण मॉडल का उद्देश्य लचीलापन प्रदान करना और वास्तविक दुनिया की तकनीकों के बारे में गहराई से जानकारी देना है। साझेदारी प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षण, मेंटरशिप और जॉब प्लेसमेंट सहायता को शामिल करके रोजगार क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगी। एचसीएल जीयूवी अपनी फ्लिप मोड लर्निंग पद्धति शुरू करेगा, जो सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक अनुप्रयोग के साथ जोड़ती है। यह सुनिश्चित करता है कि छात्रों को प्रासंगिक वास्तविक दुनिया का अनुभव मिले जो उनके अकादमिक लर्निंग को पूरक बनाता है, जिससे वे वैश्विक नौकरी बाजार की उभरती मांगों के लिए अच्छी तरह से तैयार हो जाते हैं।
पाठ्यक्रमों के सफल समापन पर, छात्रों को एचसीएल जीयूवी से सह-ब्रांडेड प्रमाणपत्र प्राप्त होंगे, जो यह सुनिश्चित करेंगे कि वे वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त क्रेडेंशियल्स से लैस हैं जो उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ाते हैं।
संस्कृति विश्विद्यालय के इंक्यूबेशन सेंटर के सीईओ ने बताया कि यह साझेदारी शैक्षिक और व्यावसायिक परिदृश्यों की उभरती जरूरतों के लिए एक दूरदर्शी समाधान का प्रतिनिधित्व करती है। दोनों संस्थान कई प्रमुख परिणामों के लिए प्रतिबद्ध हैं जैसे कई क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी कार्यक्रम पेश करके, यह साझेदारी उच्च-गुणवत्ता वाली शिक्षा को व्यापक श्रेणी के छात्रों के लिए सुलभ बनाएगी, खासकर वंचित क्षेत्रों में। एचसीएल जीयूवी के स्थानीय भाषा सीखने पर ध्यान केंद्रित करने और संस्कृति विश्वविद्यालय की शैक्षणिक क्षमता के साथ, यह सहयोग विभिन्न पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए तकनीकी शिक्षा का लोकतंत्रीकरण करेगा। कुशल शिक्षाविदों के उद्योग-संबंधित अनुभव के साथ मिलाकर, यह साझेदारी छात्रों की रोज़गार क्षमता में उल्लेखनीय सुधार करेगी। छात्रों के पास इंटर्नशिप, प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षा और प्लेसमेंट सहायता तक पहुँच होगी, जो उन्हें प्रतिस्पर्धी नौकरी बाजार में सफल होने के लिए आवश्यक उपकरण और नेटवर्क प्रदान करेगी।
इसके अलावा एचसीएल जीयूवी और संस्कृति विश्वविद्यालय दोनों ही सीखने के अनुभव को बढ़ाने के लिए नवीनतम तकनीकों का लाभ उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। फ्लिप मोड दृष्टिकोण के साथ कोडकाटा और वेबकाटा जैसे प्लेटफ़ॉर्म का एकीकरण छात्रों को उद्योग की ज़रूरतों के अनुरूप ठोस तकनीकी कौशल बनाने में मदद करेगा। सहयोग तीन साल तक चलेगा, जिसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। समय के साथ, ये कार्यक्रम तकनीकी उद्योग की गतिशील प्रकृति को प्रतिबिंबित करने के लिए विकसित होंगे, नए कौशल, प्रमाणन और सीखने के ढांचे पेश करेंगे जो यह सुनिश्चित करेंगे कि छात्र भविष्य के लिए सुसज्जित हों।

पानीं पीजै छान कै गुरु कीजै जान कै

विजय गुप्ता की कलम से

 मथुरा। "पानी पीजै छान कै गुरु कीजै जान कै" वाली इस कहावत को पता नहीं क्यों लोग अनदेखा करते हैं? बगैर जाने बगैर पहचाने ही गुरु घंटालों को गुरु बनाकर अपना धर्म भ्रष्ट करते हैं। इन संड मुसंड लम्पटों को गुरु का दर्जा देने की मूर्खता का चलन अब तो फैशन सा बन चुका है। गुरु पूर्णिमा पर मोटी तोंद वाले ये मुसंडे सोफे पर पसरकर अपने पैरों को पुजवाएंगे। मुझे तो इससे भी ज्यादा गुस्सा उन धूर्तों पर आता है जो आंखें होते हुए भी अंधे बने रहकर इन्हें भगवान की तरह पूजते हैं। 
 चेहरा मोहरा और आंखों की शरारत बता देती है कि यह साधु है या शैतान किंतु ये बेवकूफ लोग जरा भी परख नहीं रखते। अब मैं अपनी ही बात बताता हूं। लगभग 40 वर्ष पुरानीं बात है। मैं आगरा के हरी पर्वत चौराहे से गुजर रहा था। वहां एक खंभे पर साइन बोर्ड लगा हुआ था। उस पर आसाराम बापू का फोटो तथा उनके प्रवचनों को सुनने के लिए किसी स्थान का नाम व समय लिखा हुआ देखा। मेरी पहली नजर में आसाराम का पूरा चरित्र यानी जन्म पत्री जहन में उतर गई। उस समय आसाराम के ऊपर कोई शक शुबह या उंगली उठाने वाली बात तक नहीं थी। किंतु पता नहीं क्यों मुझे अंदाजा लग गया कि यह तो वासना का भेड़िया है। बात आई गई हो गई किंतु काफी वर्षों के बाद जो कुछ मेरी शंका थी वह सब प्रमाणित हो गई।
 अब मतलब की बात सौ की सीधी यह है कि हम लोगों को इन शैतानों से दूर रहकर जो सच्चे सन्यासी हैं उन्हें ही अपना गुरु बनाना चाहिए। गुरु दीक्षा लेने से पहले खूब अच्छी प्रकार से परख कर आगे कदम बढ़ाना ठीक है। हमारे पिताजी कहते थे कि सबसे प्रथम गुरु व पूज्य माता होती है जो जन्म के बाद से ही भले बुरे का ज्ञान कराती है। इसके बाद पिता व अन्य बड़े परिजन। फिर जिस जिस से जो शिक्षा मिलती है वह गुरु, चाहे पढ़ाई लिखाई की हो या अन्य सदमार्ग की। जब इंसान में परिपक्वता आती है तब अपना आध्यात्मिक गुरु निर्धारित करने के बारे में सोच समझ कर कदम उठाना चाहिए। देखने में आता है कि मां-बाप को तो कुछ समझते नहीं और गुरु घंटालों के लिए ऐसे मरे जाते हैं जैसे उन्हीं ने पैदा करके पाल पोसकर बड़ा किया हो। इन गुरु घंटालों का चरित्र क्या है? पहले साधु महात्मा मां, बहन, बेटियों का स्पर्श भी नहीं करते थे। बहुत हुआ तो केवल सिर पर हाथ भर रख कर आशीर्वाद देते तथा महिलाओं से माई या बेटी कहते पर अब तो माय डियर कहकर गले लगाया जाता है।
 हमारे पिताजी का स्वभाव ऐसा था कि वे हर किसी साधु रूपधारी से प्रभावित नहीं होते किन्तु सभी को नमस्कार जरूर करते। रमणरेती वाले बाबा हरनाम दास जी के बारे में वे कहते थे कि इनको देखते ही मन श्रद्धानत हो उठता है और पैर छूने की इच्छा बलवती हो जाती है। बाबा हरनाम दास जी अक्सर करके हमारे घर के आगे से रिक्शे में बैठकर महावन स्थित अपने आश्रम जाते थे, तो पिताजी उन्हें देखते ही रिक्शे को रोक कर पैर छूते और आशीर्वाद लेते, उस समय में बहुत छोटा था। मैं भी उनके साथ बाबा के पैर छुआ करता था। पिताजी की एक और खास बात थी। वे रामलीला रासलीला आदि में भगवान का स्वरूप धारण करने वालों के भी पैर नहीं छूते। यह स्वभाव बचपन से मेरा भी है। मुझे भी स्वरूपों की आरती उतारना और उनके पैर छूने वाली बात बहुत अखरती है। खैर इस बात से क्या लेना देना जिसकी जो मर्जी हो सो करे।
 अब मुझे बाबा हरनाम दास जी के साथ जुड़ा अपना एक प्रसंग याद आ रहा है। दरअसल मैं बचपन में बहुत उत्पाती था। बचपन क्या उत्पाती तो आज भी हूं, भले ही बूढ़ा हो गया। मेरे उत्पात से दुःखी होकर एक बार हमारी माताजी और बुआ जी मुझे रंगेश्वर मंदिर स्थित बाबा हरनाम दास जी के आश्रम ले गईं और बाबा को सारी बात बताई। बाबा ने एक पुड़िया में थोड़ी सी भभूति देकर कहा कि एक चुटकी रोजाना इस बालक को पानीं में डालकर पिला देना। यह क्रम एक-दो दिन चला किंतु मेरे उत्पात में कोई खास सुधार नहीं हुआ क्योंकि मुझे भी जल्दी सुधारने की लालसा जागृत होने लगी, तो मैंने पूरी भभूति को एक गिलास पानीं में घोलकर पी डाला। इस पर माता जी ने डांट लगाई और बुआ जी के साथ फिर से बाबा के पास ले गईं और सारा किस्सा बताया। बाबा खूब हंसे और दोबारा भभूति देकर कहा कि केवल चुटकी भर लेना एक साथ पूरी मत गटक जाना।
 बात कहां से चली कहां तक आ पहुंची जहां से चला था और फिर वही पहुंच कर अपनी बात दोहराता हूं कि इन गुरु घंटालों से सावधान रहो होशियार रहो खबरदार रहो। इससे तो अच्छा यह है कि भले ही निगुरे बने रहो पर अपनी जिंदगी की रेलगाड़ी को ईमानदारी, सादगी,  सच्चाई, दयालुता और परमार्थ वाली पटरी पर चलाओ। जहां तक हो सके अपने खुद के संतत्व को निखारो। सच्चा संत, सच्चा वैष्णव, सच्चा सनातनी धर्मी, सच्चा हिंदू और सच्चा भगवान का भक्त वही है जिसमें यह सब गुण हों।

जीएलए मैकेनिकल और आइआइटी दिल्ली एआइए फाउंडेशन के मध्य करार


-एआईए फाउंडेशन फॉर स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग एवं मेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग में उत्कृष्टता की दिशा में जीएलए के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग ने उठाया मजबूत कदम

स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग और इंडस्ट्री 4.0 के क्षेत्रों में अनुसंधान, प्रशिक्षण और अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। जीएलए के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग ने आइआइटी दिल्ली स्थित एआइए फाउंडेशन फॉर स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह कार्यक्रम एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन कार्यालय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली में आयोजित किया गया।

इस अवसर पर जीएलए विश्वविद्यालय की ओर से इंटरनेशनल रिलेशन एंड एकेडमिक कोलॉबोरेशन विभाग के डीन प्रो. दिलीप कुमार शर्मा, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रो. पीयूष सिंघल और एमओयू स्पोक पर्सन एवं एसोसिएट प्रोफेसर डा. भरत सिंह ने भाग लिया। एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन कार्यालय की ओर से प्रो. सुनील झा, प्रबंधक नमन कपूर और परियोजना प्रबंधक वैभव आनंद उपस्थित रहे।

इस सहयोग का प्रमुख उद्देश्य मेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और इंडस्ट्री 4.0 जैसे उन्नत क्षेत्रों में ज्ञान साझा करना, प्रायोगिक प्रशिक्षण प्रदान करना और संयुक्त अनुसंधान को प्रोत्साहित करना है। समझौते के तहत जीएलए विश्वविद्यालय के दस फैकल्टी सदस्य एआइए फाउंडेशन फॉर स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग (एफएसएम) द्वारा संचालित छह विशेष पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इसके अतिरिक्त, एफएसएम स्किल्स पोर्टल का एक वर्ष का एक्सेस जीएलए के पंजीकृत फैकल्टी और छात्रों को दिया जाएगा, जिससे वह औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुरूप निरंतर जानकारी हासिल कर सीख सकें।

अवसर पर प्रो. दिलीप कुमार शर्मा ने कहा, “आइआइटी दिल्ली-एआइए जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के साथ यह साझेदारी हमारे छात्रों और शिक्षकों को अगली पीढ़ी की तकनीकों से जोड़ने में सहायक सिद्ध होगी।” उन्होंने कहा कि यह समझौता न केवल स्मार्ट और सतत विनिर्माण के क्षेत्र में जीएलए विश्वविद्यालय की स्थिति को और अधिक मजबूत करेगा, बल्कि नवाचार, उत्कृष्टता और वैश्विक अकादमिक सहयोग के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। रिसर्च एंड डेवलपमेंट विभाग के डीन प्रो. कमल शर्मा ने इस सहयोग को विश्वविद्यालय की शोध क्षमताओं को सशक्त करने वाला कदम बताया।

विभागाध्यक्ष प्रो. पीयूष सिंघल ने कहा कि यह समझौता विभागीय शिक्षा को उद्योग आधारित अनुप्रयोगों से जोड़ने का सशक्त माध्यम बनेगा और छात्रों को ‘इंडस्ट्री-रेडी’ बनाएगा। उन्होंने बताया कि यह करार मैकेनिकल विभाग के एमओयू स्पोक पर्सन डा. भरत सिंह के अथक प्रयासों से संभव हो पाया है, जो विभाग के छात्रों के लिए अत्यंत लाभकारी होगा। इस करार का क्रियान्वयन डा. भरत और नमन कपूर करेंगे। डा. भरत सिंह ने कहा कि यह साझेदारी छात्रों की प्रायोगिक दक्षता और उभरती तकनीकों में रोजगार की संभावनाओं को बढ़ाएगी।

जीएलए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने भी इस पहल का जोरदार स्वागत किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. अनुप कुमार गुप्ता, सीईओ नीरज अग्रवाल, सीएफओ विवेक अग्रवाल, कुलसचिव अशोक कुमार सिंह, जीएलए ग्रेटर नोएडा के प्रतिकुलपति प्रो. दिवाकर भारद्वाज, डीओएए प्रो. आशीष शर्मा और डीन आइईटी प्रो. अशोक भंसाली ने इस सहयोग के लिए प्रसन्नता व्यक्त की और इसे छात्रों के हित में एक दूरदर्शी कदम बताया।

जीएलए के 350 विद्यार्थियों को कई-कई कंपनियों से जॉब ऑफर


-लगातार बढ़ते जीएलए विश्वविद्यालय के प्लेसमेंट ग्राफ में 350 विद्यार्थियों को मिली बड़ी उपलब्धि
जिस प्रकार विद्यार्थी एक शैक्षणिक संस्थान की रीढ़ होती है, ठीक उसी प्रकार संस्थान भी हर विद्यार्थी की प्रत्येक नब्ज को टटोलते हुए आगे बढ़ता है। यही कारण है कि जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा प्रत्येक वर्ष अपने प्लेसमेंट ग्राफ में लगातार बढ़त बनाये हुए है। शैक्षणिक सत्र 2024-25 के 350 से अधिक विद्यार्थियों को एक से अधिक कंपनियों में जॉब ऑफर हुए हैं।

जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के 350 से अधिक विद्यार्थियों एक नहीं, बल्कि दो से चार कंपनियों में चयन हुआ है। इनमें से करीब 180 से अधिक विद्यार्थियों को दो-दो, 100 से अधिक छात्र ऐसे भी हैं, जिन्होंने तीन-तीन तथा 70 से अधिक विद्यार्थियों ने चार-चार कंपनियों में चयन पाकर विश्वविद्यालय की उत्कृष्ट शिक्षा को कंपनी अधिकारियों के सामने दर्शाया है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि इसी रोजगारपरक शिक्षा के माध्यम से अपनी निगाहों में जो भी मंजिल हासिल करना चाहते हैं वह हासिल करके ही रहते हैं। यह सब जीएलए के शिक्षकों द्वारा दी जा रही बेहतर शिक्षा का कमाल है।

विवो, एकमीक्लीन टेक सॉल्यूशंस, आइओटेक वर्ल्ड एवीगेशन तथा केआरबीएल कंपनी में चयनित हुए पॉलीटेक्निक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र आनंद कुमार ने बताया कि प्रत्येक कंपनी के कार्यक्षेत्र में भारी बदलाव होता है। प्रत्येक छात्र भी यही चाहता है कि वह जिस राह पर शुरू से चला है उसे उसी राह पर मंजिल मिल जाये। उन्होंने बताया कि सर्वप्रथम विवो, एकमीक्लीन टेक सॉल्यूशंस, आइओटेक वर्ल्ड एवीगेशन कंपनी में उनका चयन हुआ, लेकिन आगे की राह पकड़ने के लिए यही काफी नहीं था। इसी के सहारे एक और कंपनी केआरबीएल कंपनी में चयन मिल गया। आज इसी कंपनी में अपनी सेवाएं दे रहा हूं। जहां जीएलए विष्वविद्यालय के सैकड़ों छात्र अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।

क्नेक टेक्नोलॉजी, एनीटाइम इनवेस्ट तथा एएमएल राइट सोर्स कंपनी में चयनित हुए एमबीए के छात्र गजेन्द्र कुमार ने बताया कि जीएलए विश्वविद्यालय में बहुराष्ट्रीय कंपनियां कैंपस प्लेसमेंट के लिए आती हैं। छात्र ने बताया कि सर्वप्रथम उन्हांने क्नेक टेक्नोलॉजी कंपनी में अपना भाग्य आजमाया और कामयाबी हासिल कर ली, लेकिन अपने हुनर को आजमाने के लिए छात्र ने एनीटाइम इनवेस्ट तथा एएमएल राइट सोर्स कंपनी में साक्षात्कार दिया इसमें भी जीएलए से मिले हुनर ने साथ दिया। मैनेजमेंट क्षेत्र की चाहत ने एएमएल राइट सोर्स कंपनी को चुन लिया, जो कि भारत की कंपनी है।

विश्वविद्यालय के कुलाधिपति नारायण दास अग्रवाल ने छात्रां की इस बड़ी उपलब्धि पर कहा कि छात्रों का एक से अधिक कंपनियों में चयन होना विश्वविद्यालय की उत्कृष्ट शिक्षा का तो परिणाम है ही, बल्कि छात्रों का जुनून भी आगे बढ़कर बोल रहा है। इससे यह साबित होता है कि जीएलए का प्रत्येक छात्र अपनी उस राह पर चलना चाहता जहां उसे हर मंजिल आसान लगे।

कुलाधिपति ने प्लेसमेंट की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्रत्येक छात्र की दृढ इच्छा होती है कि उसे पढ़ाई के बाद नौकरी मिल जाये। जीएलए विश्वविद्यालय का भी यह लक्ष्य है कि यहां पढ़ रहे हर छात्र को बेहतर नौकरी मिले। इससे ज्यादा इस बात पर जोर दिया जाता है कि छात्र नौकरी लेने की बजाय नौकरी देने वाला बने। इसके लिए विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियां विश्वविद्यालय स्तर से आयोजित की जाती हैं।

इन कंपनियों में छात्रों को मिले एक से अधिक ऑफर
विद्यार्थियों को माइक्रोसॉफ्ट, इंफोसिस, विप्रो, टीसीएस, एचसीएल, जिंदल स्टील, वीवो, बॉश, होंडा मोटर्स एंड स्कूटर्स, टेक महिन्द्रा, रिलायंस, हिन्दुस्तान ग्लास, पद्मिनी, आईडीबीआई, एचडीएफसी, वोल्वो, एमरॉन बैटरीज, सीज़ फायर, टैक्प्रो, सेमसंग, आरएस इंफ्राप्रोजेक्ट, डब्लूएनएस ग्लोबल जैसी बड़ी कम्पनियां में ऑफर मिल रहे हैं।

और ये मारा_सत्ता

 मथुरा। उम्र को गच्चा देने की बाजीगरी में महारत रखने वाले महेश पाठक उर्फ नानू का जन्मोत्सव 6 जुलाई इतवार को प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी द्वारकाधीश मंदिर में सांयकाल विशाल फूल बंगले के साथ मनाया जा रहा है।
 महेश पाठक कौन हैं? क्या हैं? यह सब बताना जताना मूर्खता होगी क्योंकि सारी दुनियां जानती है कि महेश पाठक क्या चीज है? "नानू खड़ा बाजार में काऊ सै मानें दोस्ती काऊ सै मानैं बैर, जासै माने दोस्ती बाकी मांगै खैर, जासै से बाकी दुश्मनीं बाकी नाऐं खैर"।
 राजाधिराज और जमुना मैया से प्रार्थना है कि सत्तरवें वर्ष में प्रवेश इनके लिए मंगलकारी हो और ये सेंचुरी बनाकर ही दम लें। बधाई हो.. बधाई हो.. बधाई हो..

संपर्क नंबर महेश पाठक
9711210465
09821210465

के.डी. मेडिकल कॉलेज में पौधरोपण कर लिया संरक्षण का संकल्पपर्यावरण रहेगा स्वच्छ तभी होगा जीवन स्वस्थः डॉ. आर.के. अशोका


मथुरा। पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए पेड़-पौधे बहुत जरूरी हैं। पेड़ हमें आक्सीजन, खाने के लिए फल तथा गर्मी में छांव देते हैं। धरा को हरा-भरा करने एवं जीवन को बचाने के लिए सबको पौधरोपण का संकल्प लेने की जरूरत है। पौधरोपण सबकी जिम्मेदारी है लिहाजा हम सबको अधिक से अधिक पौधे लगाकर उनका संरक्षण करना चाहिए। यदि पर्यावरण स्वच्छ रहेगा तभी जीवन स्वस्थ रहेगा। यह बातें मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अभियान एक पेड़ मां के नाम के तहत के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में हुए पौधरोपण के बाद डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने बताईं।
डॉ. अशोका ने कहा कि पर्यावरण और जीवन का अटूट सम्बन्ध है। पर्यावरण संरक्षण प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है। हमारे आस-पास हरियाली होगी, अच्छा वातावरण होगा तभी हम खुशहाल जीवन जी सकेंगे। जीवनदायी आक्सीजन का एकमात्र स्रोत पेड़-पौधे ही हैं। अगर पौधे नहीं रहेंगे तो हमें आक्सीजन की दिक्कत हो जाएगी। चिकित्सा निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि वृक्ष हमारे जीवन के अनमोल रत्न हैं। शुद्ध पर्यावरण के लिए हमें अपने जीवन से ज्यादा इनकी देखभाल की जरूरत है।
पेड़-पौधों के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। आज पेड़ों की कटाई होने से हमें कई तरह की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रकृति के संरक्षण बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। इस बात की जानकारी होने के बावजूद लोग प्रकृति और पर्यावरण को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव के कारण ही आज दुनिया विनाश की ओर जा रही है। यदि जनजीवन को बचाना है तो हर व्यक्ति को अधिक से अधिक पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण को अपना कर्तव्य मानना होगा।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन मनोज अग्रवाल तथा ने अपने संदेश में पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण को जरूरी बताया। डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने कहा कि लगातार बढ़ता प्रदूषण सिर्फ मनुष्यों के लिए ही नहीं बल्कि हमारी प्रकृति के लिए भी खतरनाक है। चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने कहा कि यदि प्रत्येक व्यक्ति जीवन में एक पेड़ लगाकर उसका संरक्षण कर ले तो बिगड़ते पर्यावरण को सुधारा जा सकता है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और जंगलों की कटाई ही बढ़ते प्रदूषण की मुख्य वजह है। यदि हम सभी पर्यावरण संरक्षण को अपना कर्तव्य समझ लें तो इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। उन्होंने सभी चिकित्सकों तथा मेडिकल छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि यदि बिगड़ते पर्यावरण को बचाना है तो हम सभी को अपने जन्मदिन या शुभ अवसरों पर पौधरोपण कर उनके संरक्षण का संकल्प लेना चाहिए।
के.डी. मेडिकल कॉलेज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण अग्रवाल के मार्गदर्शन में मंगलवार को संस्थान के क्रीड़ांगन में प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, चिकित्सा निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार, डॉ. वी.पी. पाण्डेय, डॉ. मंजू पाण्डेय, डॉ. अमित कुमार जैन, डॉ. विक्रम शर्मा, डॉ. अभिभूषण मिश्रा, डॉ. राहुल गोयल, निदेशक नर्सिंग शीला, लेखाधिकारी लव अग्रवाल, एओ अमित शर्मा, पवन कुमार, आदि ने पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।
चित्र कैप्शनः पौधरोपण के बाद पानी डालते प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, डॉ. मंजू पाण्डेय तथा डॉ. अमित जैन।

वियतनाम के ह्यूटेक विश्वविद्यालय में संस्कृति विश्विद्यालय के प्रतिनिधि डॉ रतीश शर्मा का स्वागत करतीं ह्यूटेक विवि की प्रतिनिधि।

मथुरा। वियतनाम के ह्यूटेक सायगॉन कैंपस में भारत के संस्कृति विश्वविद्यालय और वियतनाम के ह्यूटेक विश्वविद्यालय के बीच एक महत्वपूर्ण अकादमिक बैठक आयोजित की गई। यह बैठक वैश्विक शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
ह्यूटेक विश्वविद्यालय की ओर से डॉ. ली थिएन ट्रांग (उपाध्यक्ष), सुश्री गुयेन लान हुअंग (डिप्टी हेड, इंटरनेशनल रिलेशन व प्रोजेक्ट मैनेजमेंट विभाग), और सुश्री डाओ गुयेन डोंग थाओ (अंतरराष्ट्रीय संबंध अधिकारी) ने भाग लिया।
वहीं संस्कृति विश्वविद्यालय की ओर से प्रोफेसर रतीश कुमार, हेड ऑफ ग्लोबल पार्टनरशिप्स, बैठक में शामिल हुए।
बैठक में मुख्य रूप से दोनों के मध्य संयुक्त अकादमिक कार्यक्रम की शुरुआत करने पर सहमति, विशेष रूप से हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक संयुक्त कार्यक्रम शुरू करने के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। दोनों विश्वविद्यालयों ने पाठ्यक्रम समन्वयन और ड्यूल डिग्री विकल्पों की संभावनाएं तलाशने पर सहमति जताई।साथ ही इंटर्नशिप के दौरान संस्कृति विश्विद्यालय में छात्रों को आवास, भोजन और वजीफा प्रदान करने पर सहमति जताई गई। वहीं वियतनाम में इंटर्नशिप के दौरान छात्रों को भोजन और वजीफा देने की बात ही।
डॉ रतीश ने बताया कि
दोनों विश्वविद्यालयों के पास पहले से ही इनक्यूबेशन सेंटर हैं। ऐसे में छात्रों को संयुक्त स्टार्टअप परियोजनाओं और नवाचार आधारित कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। ये कार्यक्रम भारत या वियतनाम, दोनों में आयोजित किए जा सकते हैं। दोनों पक्षों ने एक दो सप्ताह का ऑनलाइन एक्सचेंज प्रोग्राम मिलकर आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की, जिससे छात्रों के बीच सांस्कृतिक संवाद और शैक्षणिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा।
डॉ रतीश के अनुसार यह बैठक भारत-वियतनाम शैक्षणिक संबंधों को मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक अहम पहल है। आने वाले शैक्षणिक सत्र में इन प्रस्तावों को

राजीव एकेडमी के पांच एमबीए विद्यार्थी ट्रैवियो कम्पनी में करेंगे पेड इंटर्नशिपचयनित छात्र-छात्राओं का कहना- ट्रैवल टेक्नोलॉजी क्षेत्र में सीखेंगे और आगे बढ़ेंगे


मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के पांच एमबीए विद्यार्थियों का चयन भारत की अग्रणी ट्रैवल टेक्नोलॉजी कम्पनी ट्रैवियो में तीन महीने की पेड समर इंटर्नशिप के लिए हुआ है। इंटर्नशिप के दौरान छात्र-छात्राओं को 10 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह का स्टाइपेंड मिलेगा। यह इंटर्नशिप न केवल उन्हें वास्तविक उद्योग अनुभव प्रदान करेगी बल्कि उनके उज्ज्वल करियर की आधारशिला भी रखेगी। चयनित छात्र-छात्राओं ने कहा कि हम लोग इस अवसर का लाभ सीखने और आगे बढ़ने के लिए करेंगे।
ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट विभाग प्रमुख डॉ. विकास जैन ने बताया कि चयनित विद्यार्थियों में हिमांशु जाहिर, रोहित शर्मा, संध्या चौधरी, सिमरन और वीनू कुन्तल शामिल हैं। अब ये सभी विद्यार्थी ट्रैवियो कम्पनी में ट्रैवल इंडस्ट्री से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म संचालन, वेबसाइट एवं पोर्टल विकास, क्लाइंट सर्विस मैनेजमेंट और कस्टमर रिलेशनशिप सॉफ्टवेयर जैसे तकनीकी क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। डॉ. जैन ने इसे संस्थान के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि बताते हुए कहा कि “आज का युग प्रतिस्पर्धा का है और इसमें केवल किताबी ज्ञान पर्याप्त नहीं होता। राजीव एकेडमी का प्रयास है कि विद्यार्थियों को व्यावहारिक, तकनीकी और औद्योगिक ज्ञान से भी सशक्त बनाया जाए।” उन्होंने कहा, “ट्रैवियो जैसी कम्पनी में चयन विद्यार्थियों की काबिलियत का प्रमाण है और यह इंटर्नशिप उनके लिए सशक्त करियर निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।”
डॉ. जैन ने बताया कि ट्रैवल और टूरिज्म उद्योग भारत में बहुत तेजी से विस्तार कर रहा है। डिजिटल युग में इस क्षेत्र में आईटी और मैनेजमेंट स्किल्स की भारी मांग है। ऐसे में ट्रैवियो जैसी तकनीक-प्रधान कम्पनी के साथ काम करना विद्यार्थियों को रियल टाइम बिजनेस एनवायरनमेंट का अनुभव देगा, जो आगे चलकर उन्हें कॉर्पोरेट वर्ल्ड में उत्कृष्ट बनाने में मदद करेगा। डॉ. जैन ने बताया कि चयनित विद्यार्थी परीक्षा समाप्ति के बाद इंटर्नशिप शुरू करेंगे। तीन महीने की इस अवधि में उन्हें नियमित मार्गदर्शन, परफॉर्मेंस असेसमेंट और फाइनल इवेल्यूएशन के आधार पर प्रमाण-पत्र भी प्रदान किया जाएगा।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा, “राजीव एकेडमी की नींव ही इस सोच पर रखी गई थी कि शिक्षा को केवल किताबी दायरे में सीमित न रखकर विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और रोजगारोन्मुख बनाया जाए।” उन्होंने कहा कि ट्रैवियो जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर काम करना विद्यार्थियों को ट्रैवल एजेंसी संचालन, डिजिटल मार्केटिंग और क्लाइंट हैंडलिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मूल्यवान अनुभव प्रदान करेगा। इसी क्रम में संस्थान के वाइस चेयरमैन पंकज अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने विद्यार्थियों की इस सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्हें उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने कहा कि यह चयन विद्यार्थियों के लिए क्लासरूम से कॉर्पोरेट की दिशा में बढ़ता एक मजबूत कदम है। उन्होंने कहा, “आज के दौर में केवल डिग्री से कुछ नहीं होता, जब तक उसमें इंडस्ट्री एक्सपोजर और स्किल-बेस्ड लर्निंग न जोड़ी जाए। हम राजीव एकेडमी में विद्यार्थियों को इसी सोच के साथ तैयार करते हैं, जिससे वे किसी भी प्लेटफ़ॉर्म पर पूरे आत्मविश्वास के साथ प्रदर्शन कर सकें।”
डॉ. भदौरिया ने कहा कि ट्रैवल इंडस्ट्री साल भर सक्रिय रहने वाला क्षेत्र है और ट्रैवियो जैसी कम्पनियां इस क्षेत्र में डिजिटल नवाचार और तकनीकी सेवाएं प्रदान कर रही हैं। इंटर्नशिप के दौरान विद्यार्थियों को जटिल परियोजनाओं पर काम करने का मौका मिलेगा, जिससे उन्हें क्लाइंट मैनेजमेंट, डेटा एनालिटिक्स, ट्रैवल सॉफ्टवेयर हैंडलिंग और प्रोजेक्ट डिलिवरी जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं का प्रशिक्षण मिलेगा। कम्पनी अधिकारियों के अनुसार, ट्रैवियो वर्तमान में ट्रैवल वेबसाइट डेवलपमेंट, ट्रैवल सीआरएम सॉफ्टवेयर, पोर्टल इंटीग्रेशन, यूआई/यूएक्स डिज़ाइन और मोबाइल एप्लिकेशन डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में कार्यरत है। कम्पनी का मुख्यालय नोएडा में है और यह भारत की अग्रणी ट्रैवल टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स में से एक है।
चित्र कैप्शनः ट्रैवियो कम्पनी में तीन महीने की पेड इंटर्नशिप के लिए चयनित राजीव एकेडमी के एमबीए विद्यार्थी।

विद्यार्थी तकनीकी कौशल विकसित करने टैबलेट का करें सदुपयोगविधायक श्रीकांत शर्मा ने जीएल बजाज के 240 छात्र-छात्राओं को बांटे टैबलेट


मथुरा। आज की शिक्षा पूरी तरह से सूचना प्रौद्योगिकी पर निर्भर है, ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जो टैबलेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं, उनका इस्तेमाल ज्ञानार्जन के लिए करना आप लोगों के लिए हितकर होगा। आप लोग इन टैबलेटों के माध्यम से अपनी पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। शिक्षकों के साथ संवाद करने के साथ नई तकनीकों से परिचित हो सकते हैं। उक्त उद्गार पूर्व मंत्री और विधायक मथुरा श्रीकांत शर्मा ने जीएल बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस में शनिवार को छात्र-छात्राओं को भारत सरकार की डीजी शक्ति स्कीम के तहत टैबलेट प्रदान करने के अवसर पर व्यक्त किए।
इस समय भारत सरकार की डीजी शक्ति स्कीम के तहत छात्र-छात्राओं को टैबलेट प्रदान कर उन्हें डिजिटल शिक्षा की तरफ प्रेरित किया जा रहा है। छात्र-छात्राओं को टैबलेट वितरण से पहले संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने विधायक श्रीकांत शर्मा का स्वागत किया। 240 छात्र-छात्राओं को टैबलेट प्रदान करने के बाद विधायक श्रीकांत शर्मा ने कहा कि जरूरतमंद छात्र-छात्राओं के लिए यह टैबलेट बहुत उपयोगी साबित होंगे। इनकी सहायता से छात्र-छात्राओं को डिजिटल इंडिया अभियान से जुड़ने में मदद मिलेगी। विधायक श्री शर्मा ने छात्र-छात्राओं को टैबलेट का उपयोग शैक्षिक लक्ष्यों को प्राप्त करने, तकनीकी कौशल विकसित करने तथा विभिन्न विषयों को सीखने में करने की सलाह दी।
संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने कहा कि भारत सरकार की डीजी शक्ति योजना का उद्देश्य युवाओं को ऑफलाइन से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराना है, क्योंकि आज के समय में अधिकांश उद्योग-व्यापार ऑनलाइन स्तर पर ही चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह सरकार युवाओं को उच्च शिक्षित करने ऐसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम चला रही है, निश्चित रूप से इससे देश की युवा शक्ति अपने स्किल और ज्ञान की शक्ति में इजाफा कर एक दिन विश्व में भारत को शक्तिशाली अर्थव्यवस्था वाला देश बना देगी। उन्होंने सभी छात्र-छात्राओं से प्राप्त डिजिटल उपकरण का सही उपयोग करते हुए अपना ऑनलाइन ज्ञान-स्तर बढ़ाने का आह्वान किया।
प्रो. अवस्थी ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द यूथ इम्पावरमेंट स्कीम उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई एक अभिनव योजना है, इसका उद्देश्य युवाओं को सशक्त बनाना है। यह योजना युवाओं को कौशल विकास, शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करके उन्हें सक्षम बनाने के लिए केन्द्रित है। उन्होंने कहा कि इन टैबलेटों के माध्यम से छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई सुचारु रूप से सम्पन्न कर सकेंगे। प्रो. अवस्थी ने कहा कि सरकार द्वारा इस प्रकार की योजनाओं के क्रियान्वयन का मूल उद्देश्य युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार मुहैया कराना है। टैबलेट वितरण कार्यक्रम में डॉ. वीके सिंह, डॉ. भोले सिंह, इंजीनियर संजीव सिंह, इंजीनियर रिचा मिश्रा, रजिस्ट्रार विपिन धीमान, आशीष सिंह आदि ने सहयोग किया।
चित्र कैप्शनः छात्र-छात्रा को टैबलेट प्रदान करते विधायक श्रीकांत शर्मा, साथ में निदेशक प्रो. नीता अवस्थी एवं रजिस्ट्रार विपिन धीमान।

जागरूक बन, सावधान रह उठाएं डिजिटल दुनिया का लाभः प्रो. नीता अवस्थीआईईटी लखनऊ के वेबिनार में जीएल बजाज की निदेशक ने साझा किए अनुभव


मथुरा। आज हम डिजिटल दुनिया के आगोश में हैं। डिजिटल दुनिया ने हमारे जीवन को कई तरह से बदल दिया है। यह शक्तिशाली उपकरण हमारे लिए कई अवसर प्रदान करता है लेकिन इसके साथ ही इसके नुकसान भी हैं। हमें डिजिटल तकनीक का उपयोग करते समय जागरूक और जिम्मेदार होना चाहिए ताकि हम इसके लाभों का आनंद ले सकें और इसके नुकसानों को कम कर सकें। यह बातें जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी (आईईटी), लखनऊ द्वारा आयोजित वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप में बताईं।
‘आई-ट्रिपल-ई’ के महिला इंजीनियरिंग दिवस पर आयोजित वेबिनार में कम्प्यूटर साइंस एण्ड इंजीनियरिंग में विशेषज्ञ प्रो. नीता अवस्थी ने “सुरक्षित साइबर स्पेस का नेतृत्व: तकनीक और सुरक्षा के लिए प्रकाश का सेतु बनती महिलाएं” विषय पर प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया। उन्होंने डिजिटल जागरूकता की आवश्यकता और व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि डिजिटल दुनिया जहां एक ओर अपार अवसर प्रदान करती है वहीं यह जिम्मेदार और सतर्क उपयोग की भी मांग करती है, खासकर युवाओं और महिला पेशेवरों के लिए।
प्रो. अवस्थी ने श्रोताओं को उनके डिजिटल अधिकारों तथा जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक और सतर्क रहने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि डिजिटल तकनीक की बदौलत दुनिया छोटी हो गई है और अब किसी अन्य स्थान पर स्थित व्यक्ति से संवाद करना सरल है। डेटा के केंद्रीकरण और पहुंच के कारण, डिजिटल युग ने आपके मोबाइल फोन पर एक बटन के स्पर्श पर कई तरह की जानकारियां उपलब्ध करा दी हैं। प्रो. अवस्थी ने बताया कि डिजिटल दुनिया के कई लाभ और नुकसान हैं। लाभों में त्वरित, आसान संचार, सूचना तक पहुंच, शिक्षा एवं मनोरंजन के नए अवसर तथा व्यावसायिक दक्षता में वृद्धि शामिल हैं तो नुकसानों में गोपनीयता संबंधी चिंताएं, साइबरबुलिंग, व्यसन तथा सामाजिक अलगाव शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि मिलेनियल पीढ़ी के पास अब हर दिन, हर पल कुछ नया सीखने का विकल्प है। पहले, सीखने के लिए प्रासंगिक जानकारी की खोज करना, यदि वांछित हो तो पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन करना, निर्दिष्ट स्थान पर यात्रा करना तथा एक निश्चित समय पर उसे समर्पित करना आवश्यक था। प्रो. अवस्थी ने अपने सत्र का समापन एक भावनात्मक कविता के साथ किया, जिसमें महिला सशक्तीकरण, तकनीक और आत्म-जागरूकता की भावनाओं को खूबसूरती से जोड़ा गया।
यह कार्यक्रम आईईटी लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय उत्सव का हिस्सा था, जिसमें पहले दिन रंगोली और मेहंदी जैसी पारम्परिक सांस्कृतिक गतिविधियां हुईं, दूसरे दिन कविता पाठ तथा तीसरे दिन अतिथि व्याख्यान के साथ समापन हुआ। ‘आई-ट्रिपल-ई’ की ब्रांच काउंसलर प्रो. नीलम श्रीवास्तव ने सत्र का समापन करते हुए मुख्य वक्ता के प्रति आभार व्यक्त किया और तीनों दिनों की गतिविधियों का सारांश प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में लगभग 60 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें छात्र, संकाय सदस्य और ‘आई-ट्रिपल-ई’ के सदस्य शामिल थे। यह आयोजन ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों ही माध्यमों से सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ तथा सभी के लिए एक यादगार अनुभव साबित हुआ।
चित्र कैप्शनः इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी (आईईटी), लखनऊ द्वारा आयोजित वेबिनार में अनुभव साझा करते हुए जीएल बजाज की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी।