Tuesday, December 16, 2025
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संस्कृति विवि में सहयोगियों के सम्मान के साथ संपन्न हुई अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी

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चित्र परिचय संस्कृति विश्विद्यालय के संतोष मेमोरियल ऑडिटोरियम में आयोजकों को आभार व्यक्त करते संस्कृति विश्विद्यालय के कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता।

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में श्री अरविंद के आलोक में वेदों के अनुप्रयोगों को लेकर आयोजित हुई दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सहयोगियों के आभार और सम्मान के साथ संपन्न हुई।
समापन समारोह में एसवीवाईएएसए यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर प्रो. रामचंद्र जी. भट, जो वेद विज्ञान शोध संस्थान के चेयरमैन भी हैं, मुख्य अतिथि थे। संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. सचिन गुप्ता ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम में श्री अरबिंदो सोसाइटी, कर्नाटक के चेयरमैन डॉ. अजीत सबनीस, साक्षी ट्रस्ट, बेंगलुरु के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. आर. वी. जहांगीरदार, साक्षी ट्रस्ट के श्री बिंदु माधव, संस्कृति यूनिवर्सिटी, मथुरा के वाइस चांसलर डॉ. एम. बी. चेट्टी भी शामिल हुए।
डॉ. रामचंद्र भट ने “वेद को कैसे समझें और वेद के सिद्धांतों को समझने और उन्हें आज की ज़िंदगी में लागू करने का नतीजा” पर रोशनी डाली। उन्होंने वेद ज्ञान पर श्री अरबिंदो के नज़रिए के बारे में भी बताया। डॉ. एम. बी. चेट्टी ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया और बताया कि यह कॉन्फ्रेंस वेद के हमेशा रहने वाले ज्ञान से फिर से जुड़ने और एक प्रोग्रेसिव और जागरूक समाज बनाने में इसकी ज़रूरत को समझने के हमारे साझा कमिटमेंट को दिखाती है। श्री अरविंद के नज़रिए में, वेद सिर्फ़ पुराने भजनों का कलेक्शन नहीं है—यह इंसानी विकास, अंदर की जागृति और पूरी ज़िंदगी जीने का एक गहरा रोडमैप है।
डॉ. आर. वी. जहाँगीरदार ने वेद के अलग-अलग पहलुओं पर सभी 17 स्पीकर्स की कार्यवाही का सारांश दिया। डॉ. सचिन गुप्ता ने युवाओं से वेद के सिद्धांतों को अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अपनाने की अपील की और पेपर पेश करने वाले सभी जानकारों को धन्यवाद दिया और बताया कि इस कॉन्फ्रेंस से स्टूडेंट्स को बहुत फ़ायदा हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि लिविंग वेद सिर्फ़ विद्वानों का जमावड़ा नहीं है,यह श्री अरविंद के एक जैसे और विकासवादी नज़रिए से प्रेरित होकर वैदिक ज्ञान को आज के समय में ज़रूरी बनाने का एक आंदोलन है। उन्होंने बताया कि संस्कृति यूनिवर्सिटी, बृज क्षेत्र में भारतीय ज्ञान प्रणालियों और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के केंद्र के तौर पर उभर रही है, और लिविंग वेद-3 की मेज़बानी पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ने के अपने वादे को और मज़बूत करती है। यूनिवर्सिटी विद्वानों, अभ्यास करने वालों, छात्रों और आध्यात्मिक साधकों को मिलकर काम करने के लिए एक मंच देती है। श्री अरबिंदो सोसाइटी के साथ साझेदारी करने से गहराई, विशेषज्ञता और सच्चाई मिलती है।
डॉ. अजीत सबनीस ने बताया कि वह श्री अरबिंदो के विचारों और दर्शन से कैसे प्रभावित हुए और उन्होंने कहा कि युवा दिमागों को यह सीखने से फ़ायदा होगा कि वैदिक ज्ञान कैसे फ़ैसले लेने, साफ़गोई, सेहत, क्रिएटिविटी और चरित्र को बेहतर बना सकता है। उन्होंने इस कॉन्फ्रेंस को आयोजित करने के लिए सभी आयोजकों यानी संस्कृति यूनिवर्सिटी, साक्षी ट्रस्ट, सेंट्रल संस्कृत यूनिवर्सिटी, दिल्ली और श्री अरबिंदो सोसाइटी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कॉन्फ्रेंस के लिए शानदार इंतज़ाम करने के लिए संस्कृति यूनिवर्सिटी के चांसलर और वाइस चांसलर को भी धन्यवाद दिया।
इस मौके पर कार्यक्रम उच्च स्तरीय पैमानों खरा उतारने के लिए विशेष प्रयास करने वाले सहयोगी, विवेक श्रीवास्तव, विजय सक्सेना, दिलीप सिंह, डॉ रेणु गुप्ता, ज्योति यादव, जय शंकर पांडे, राहुल, सुधांशु शाह आदि को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।

रेवेन्यू बोर्ड के चेयरमैन से लखनऊ में मिले वकील

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-दो दर्जन अधिवक्ताओं की शिकायत पर डीएम को दिए निर्देश
-चेयरमैन अनिल कुमार आईएएस ने तीन घण्टे की चर्चा
मथुरा ‌। प्रशासनिक न्यायाधिकारियों की अनियमितता के विरोध में 20 अधिवक्ताओं का दल शुक्रवार को रेवेन्यू बोर्ड के अध्यक्ष अनिल कुमार आईएसस से लखनऊ में मिला। उन्होंने 3 घंटे करीब अधिवक्ताओं से विस्तृत वार्ता की। साथ ही शिकायत पर गंभीरता पूर्वक कार्यवाही का आश्वासन दिया।
राजस्व अधिवक्ता एसोसिएशन के अध्यक्ष धीरेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि वर्ड ऑफ़ रेवेनुए के अध्यक्ष ने तकरीबन 3 घंटे तक शिकायत और उससे जुड़े बिंदुओं का विस्तृत परीक्षण किया। अधिवक्ताओं का आरोप था कि प्रशासनिक न्यायाधिकारी 3 से 5 साल पुराने वादों का बगैर शख्स के निस्तारित करने लगे हैं। धारा 24 धारा 32 धारा 38 आदि के वादों को सालों से अटकाए रहने व फर्जी निस्तारण करने के आदी बन चुके हैं। उन्होंने प्रशासनिक न्यायालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार का मुद्दा भी रखा। जिलाधिकारी से कई दौर की वार्ताओं के बाद भी कोई हल निकालने पर भी उन्होंने चिंता जाहिर की। पिछले 6 महीने से बादकारियों को सिर्फ नो वर्क और तारीख ही मिल रही हैं। कई हजार मुकदमे इसके चलते अटके पड़े हैं।
सरकारी मातहत नियम कानून को ताक पर रखकर भूमाफियाओं के हक में काम करने के आदी हो चुके हैं।
अधिकारियों द्वारा बरती जा रही है अनियमितताओं का चिट्ठा देखते ही चेयरमैन ने अधिवक्ताओं को आश्वस्त किया कि जब तक आप मथुरा पहुंचेंगे तब तक आपको एक्शन नजर आएगा।
वादकारी परेशान हैं। सरकारी मातहत भूमाफियाओं के हक में काम कर रहे हैं। आम आदमी परेशान हो रहा है। मुकदमों में संक्रमित निर्णय किए जा रहे हैं। जिलाधिकारी ने कई दौर की वार्ताओं के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की। इसके चलते अधिवक्ताओं को लखनऊ जाना पड़ा। ऐसा कई सालों बाद हुआ है। हालात विशेष खराब होने की स्थिति में ही अधिवक्ता लखनऊ तक गए हैं। अब देखना यह है एक्शन क्या होता है।

के.डी. हॉस्पिटल में पांच माह के बच्चे को मिली नई जिन्दगी विशेषज्ञ चिकित्सकों ने ऑपरेशन से दूर की आंतों की रुकावट

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मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में आंत्र अवरोध की समस्या से पीड़ित पांच माह के बच्चे को नई जिन्दगी मिली है। शिशु शल्य विशेषज्ञ डॉ. श्याम बिहारी शर्मा और डॉ. तारिक ने बच्चे दिव्यांश की आपस में जुड़ चुकी बड़ी एवं छोटी आंतों की मुश्किल सर्जरी की। सर्जरी के बाद बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है तथा उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
चिकित्सकों से मिली जानकारी अनुसार 21 नवम्बर को मांट, जिला मथुरा निवासी दीपक कुमार अपने पांच माह के बच्चे दिव्यांश को लेकर के.डी. हॉस्पिटल आया। उस समय बच्चा उल्टियां कर रहा था तथा उसके मलद्वार से मल के साथ खून आ रहा था। बच्चे का इलाज मथुरा के किसी निजी अस्पताल में हो रहा था। बच्चे की स्थिति बिगड़ती देख, उसे के.डी. हॉस्पिटल ले जाने की सलाह दी गई। दरअसल, बच्चों के सभी तरह के ऑपरेशन की सुविधा के.डी. हॉस्पिटल के अलावा मथुरा में दूसरी जगह नहीं है।
शिशु शल्य विशेषज्ञ डॉ. श्याम बिहारी शर्मा ने बच्चे के लक्षणों को देखा और समझ गए कि इसे इंटूससेप्शन की समस्या है। एक्सरे एब्डोमेन व पेट की सोनोग्राफी कराने से भी इसकी पुष्टि हो गई। परिजनों की सहमति के बाद डॉ. श्याम बिहारी शर्मा और उनकी टीम द्वारा बच्चे में उत्पन्न निर्जलीकरण को सही करके उसी दिन, रात को ऑपरेशन किया गया। लगभग चार घंटे चले ऑपरेशन में डॉ. श्याम बिहारी शर्मा का सहयोग डॉ. तारिक (शिशु शल्य चिकित्सक) और डॉ. हैंकी यादव (रेजीडेंट डॉक्टर) ने किया।
डॉ. श्याम बिहारी शर्मा का कहना है कि बच्चे की छोटी आंत बड़ी आंत में प्रवेश कर चुकी थी, जिसे वापस निकालना असम्भव था। अतः छोटी आंत का 30 सेंटीमीटर एवं बड़ी आंत का 20 सेंटीमीटर हिस्सा काटा गया क्योंकि आंत गल चुकी थी। डॉ. शर्मा बताते हैं कि ऑपरेशन मुश्किल था लेकिन खराब आंत (गैन्गरीनस) को काटकर वापस जोड़ने में सफलता मिल गई। सर्जरी के बाद बच्चे को पांच दिन भूखा रखा गया। अब बच्चा दूध पी रहा है तथा सामान्य रूप से मल त्याग रहा है। बच्चे दिव्यांश के पूरी तरह से स्वस्थ होने से दीपक कुमार और उनके परिजन खुश हैं। दीपक कुमार कहते हैं कि वह निराश हो गए थे लेकिन के.डी. हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने फिर से खुशियां लौटा दी हैं।
के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन मनोज अग्रवाल, डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. गगन दीप सिंह ने बच्चे की सफल सर्जरी के लिए चिकित्सकों की टीम को बधाई देते हुए दिव्यांश के स्वस्थ और सुखद जीवन की ईश्वर से कामना की है।
चित्र कैप्शनः मां की गोदी में दिव्यांश और उसकी सर्जरी करने वाले चिकित्सक।

संस्कृति विवि में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठीः वेद सिर्फ धर्म नहीं खुद को समझने का तरीका

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चित्र परिचयः संस्कृति यूनिवर्सिटी के संतोष मैमोरियल आडिटोरियम में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में दूसरे दिन पुस्तकों का विमोचन करते डा. आरवी जहागीरदार, संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता, डा. रघुराम भट्ट, कुलपति प्रो.एमबी चेट्टी, डा. अजित सबनिस, डा. रेनू गुप्ता।

मथुरा। संस्कृति यूनिवर्सिटी के संतोष मैमोरियल आडिटोरियम में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में दूसरे दिन की शुरुआत जाने-माने विद्वानों के प्रेरणादायक सत्रों से हुई। विद्वान वक्ताओं ने वैदिक ज्ञान, फिलॉसफी, चेतना और आज की ज़िंदगी में वैदिक साहित्य के उपयोग पर ज्ञानवर्धक वक्तव्य दिए।
वैदिक ज्ञाता एवं कवि आदित्य रंगन ने पारंपरिक मंत्रों का जाप करके और हर सीखने की प्रक्रिया को एक पवित्र सोच के साथ शुरू करने के महत्व को बताकर सत्र की शुरुआत की। भारत दर्शन के संपादक प्रो. टी.एन. प्रभाकर ने कन्नड़ प्राणायाम और इसकी पुरानी जड़ों पर प्रकाश डाला । राष्ट्रीय चिकित्सक आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डॉ. साई रघुराम भट्ट को ने वैदिक साहित्य के महत्व पर ज़ोर दिया और पब्लिकेशन और नई सीख के ज़रिए “जीवित वेद” पर ज़ोर दिया। महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जेन के वाइस चेयरमैन प्रो. प्रफुल्ल कुमार मिश्रा ने भारतीय ज्ञान परंपराओं पर सोचने पर मजबूर करने वाले विचार साझा किए। उन्होंने वर्ल्ड फेयर के लिए श्री अरविंद के काम का ज़िक्र किया, वेदों की पढ़ाई के लिए सही समय पर चर्चा की, और सीखने के सफ़र में माता-पिता और गुरुओं के आशीर्वाद के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा, वेद सिर्फ़ धर्मग्रंथ नहीं हैं बल्कि खुद को समझने का एक तरीका हैं।
नासा, अमेरिका के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. आर. नारायण स्वामी ने ऋग्वेद के भजन , ‘तत् एकम्’ पर एक विद्वत संबोधन किया और इसकी दार्शनिक गहराई और “एक जिसके कई नाम हैं” के विचार को समझाया । उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वैदिक पढ़ाई का मकसद सिर्फ़ पुराने टेक्स्ट बताना नहीं है, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी स्पिरिचुअल विरासत से परिचित कराना है।
अगले सत्र में ऋग्वेद के 10552 मंत्रों, उसके 10 मंडलों और 1050 सूक्तों के बारे में बताया गया। इस सत्र का मुख्य संदेश था कि वेद सर्वोच्च आत्मा की बात करते हैं और सच्चाई और नेकी के मूल्य सिखाते हैं। उन्होंने स्टूडेंट्स को प्रेरित करते हुए कहा, जब रोशनी आती है, अंधेरा मिटता है। बाल रोग विशेषज्ञ विद्वान वक्ता डॉ. योगेश वाइकर ने पुरुष, विशेष पुरुष और खुद की बनावट, मन, प्रमाण और आत्मा के कॉन्सेप्ट पर बात की। उन्होंने सेल्फ-अवेयरनेस और अपनी पहचान, पैशन और उद्देश्य को समझने पर ज़ोर दिया। उन्होंने नासदीय सूक्त और हिरण्यगर्भ सूक्त के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा वेद किताबों में नहीं आप के अंदर हैं। वैदिक स्कालर और कवि आदित्य रंगन ने अपने संस्कृत में दिए वक्तव्य में कहा कि “ज़िंदगी को सफल क्या बनाता है?” उन्होंने शांति, खुशी और खुशहाली के महत्व पर ज़ोर दिया, और इस पर चर्चा की कि वैदिक मंत्र शारीरिक, मानसिक और आर्थिक सेहत में कैसे मदद करते हैं। स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान एवं संस्थान के कुलपति राम चंद्र भट्ट ने “ॐ” के साइंटिफिक अभ्यास पर एक सेशन किया और जाप के ज़रिए वेदों को समझने के पाँच खास बिंदु अंरवाणी, अंतरयात्रा, अंतरयज्ञ, अंतर्दृष्टि और अंतरात्म के बारे में बताया। अगले सत्र में ओरियंटल स्टडी के विद्वान डॉ. आर.वी. जहागीरदार ने स्टूडेंट्स से बातचीत की और पूछा कि कितने वैदिक ज्ञान से परिचित हैं या वैदिक पढ़ाई में दिलचस्पी रखते हैं। उन्होंने चारों वेदों की बेसिक बातें, लगभग 20,00,000 कुल वैदिक लाइनें और अलग-अलग तरह के मंत्रों के बारे में बताया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वेद जीवन का जश्न मनाते हैं और हमें खुशी से जीना सिखाते हैं।

मॉडर्न लीडरशिप में वैदिक सिद्धांतों का प्रयोग
मथुरा। संस्कृति यूनिवर्सिटी के संतोष मैमोरियल आडिटोरियम में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में विभिन्न ज्ञानवर्धक सेशनों में वेदों के उपयोग पर विद्वानों ने अपने विचारों के साथ विद्यार्थियों और श्रोताओं को बताया कि किस तरह से हमारे वेद वैज्ञानिक पैमाने पर खरे उतरते हैं। उन्होंने बताया कि ज्यादातर विदेशी लेखकों ने वेदों को सही अर्थों में समझे बिना अपनी टिप्पणियां कीं तब श्री अरविंद ने वेदों की सही और अर्थपूर्ण व्याख्या कर लोगों को बताया कि दरअसल वेद वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निबटने का कैसे रास्ता बताते हैं।
“मॉडर्न लीडरशिप में वैदिक सिद्धांतों का इस्तेमाल” पर आयोजित सेशन में संस्कृति विवि के कैप्स के निदेशक डॉ. रजनीश कुमार त्यागी ने ने पुराने वैदिक ज्ञान को आज की लीडरशिप को जोड़ते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि वेद आज भी बहुत ज़रूरी हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भले ही महर्षि अरविंद अब नहीं हैं, लेकिन उनकी फिलॉसफी की शिक्षाएं अरविंद सोसाइटी के ज़रिए आने वाली पीढ़ियों को गाइड करती रहेंगी। उन्होंने वेदों में पूजनीय माँ जगदंबा के दिव्य महत्व पर भी ज़ोर दिया। प्रो. रेणुका राठौर ने महिला ऋषियों की कम पहचान के बारे में एक ज़रूरी सवाल पर बात की। उन्होंने साफ़ किया कि पुराने ज़माने में, औरतें वैदिक मंत्रोच्चार और मंत्र बनाने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वेदों में औरतों को ऊँचा दर्जा दिया गया है और सतयुग की वापसी उसी पल शुरू होती है जब समाज हर औरत को देवी मानना शुरू कर देता है। डा. पंकज गोस्वामी ने वैदिक विरासत और वैश्विक एकता के संबंध को विस्तार से समझाया।
चर्चा के दौरान डॉ. आर. नारायण स्वामी ने कहा कि वेद दुनिया की सबसे पहली और सबसे पूरी ज्ञान की किताबें हैं। उन्होंने वैदिक मंत्रों की बदलने वाली ताकत पर ज़ोर दिया, और बताया कि वैदिक मंत्रों का जाप करने और उन्हें सुनने से माहौल साफ़ होता है और दिमागी शांति बढ़ती है। किशोर कुमार त्रिपाठी ने भगवान राम और भगवान कृष्ण के बीच कनेक्शन पर सवालों के जवाब दिए, वाल्मीकि रामायण का ज़िक्र किया। उन्होंने चार वेदों के होने की बात को फिर से सुनिश्चित किया। रवि देव आर्य ने वेदों में धर्म के विचार पर अपना ओजपूर्ण वक्तव्य दिया। प्रो. प्रभाकर टीएन भारत पंचमो वेदः पर अपनी विस्तृत व्याख्या की। प्रो.प्रफुल्ल कुमार मिश्रा ने यजुर्वेद पर श्री अरविंद के प्रकाश में किए गए अध्ययन पर प्रकाश डाला। डा. सुधिष्ठा मिश्रा ने पुरुष सूक्त पर गूढ़ व्याख्या की। डा. अरुन प्रकाश ने श्री अरविंद के भारत एकात्मा के नजरिए को स्पष्ट किया। प्रो.रामचंद्र भट्ट ने श्री अरविंद के वेदों के नजरिए की व्याख्या की। इस दौरान श्रोताओं द्वारा सवाल किए गए जिनपर विद्वानों ने बड़े संतुष्टिपूर्ण जवाब दिए। श्रोताओं की राय में इस सेशन से उन्हें कम समय में बहुत ज़्यादा ज्ञान मिला, जिससे वैदिक साइंस और मॉडर्न लाइफ में इसकी अहमियत के बारे में उनकी समझ गहरी हुई।
दूसरे दिन लिविंग वेदा विषय पर जानकारी वाली दो महत्वूर्ण पुस्तकों का विमोचन किया गया। संगोष्ठी के दौरान आए विद्वानों को संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता और कुलपति प्रो. एमबी चेट्टी ने शाल ओढ़ाकर और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

संस्कृति विवि के संतोष मैमोरियल आडिटोरियम में लिविंग वेदा पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते विशिष्ठ अतिथि उप्र तीर्थ विकास परिषद के वाइस चेयरमैन शैलजा कांत मिश्रा। मंच पर आसीन अतिथिगण।

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चित्र परिचय-2–संस्कृति विवि के संतोष मैमोरियल आडिटोरियम में लिविंग वेदा पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल(नैक) के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धि को स्मृति चिह्न देते संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता।

संस्कृति विवि में विद्वानों ने बताया वेदों का महात्म और उपयोगिता

श्री अरविंद की टीकाओं पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी
मथुरा। प्रदेश में पहली बार संस्कृति विश्वविद्यालय में शुरू हुई दो दिवसीय अंर्राष्ट्रीय गोष्ठी में जब प्रख्यात विद्वानों ने वेदों पर श्री अरविंद के द्वारा डाले गए प्रकाश के बारे में उपस्थित श्रोताओं और विद्यार्थियों को बताया तो संतोष मैमोरियल आडिटोरियम में तालियों और प्रशंसा के स्वर गूंज उठे। वक्ताओं ने बताया कि कैसे श्री अरविंद ने वेदों की टीका कर दुनिया को बताया कि हमारे वेद कितने वैज्ञानिक और संपूर्णता लिए हुए हैं। वक्ताओं ने युवा पीढ़ी को श्री अरविंद के द्वारा दिए गए ज्ञान के अध्ययन के लिए प्रेरित किया।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल(नैक) के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धि ने कहा कि 21वीं सदी भारत की है। यह सच है कि भारतीय परंपरा के बारे में दुनियां को अभी नहीं पता। हमें दुनियां को वेदों को विस्तार से बताने की जरूरत है। हमारे वेद ही हैं जो सबके कल्याण और उत्थान की बात करते हैं। भारत की सही परंपरा के बारे में बताने की जरूरत है। पांच साल पहले एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश में लागू हुई थी जिसमें कौशलयुक्त शिक्षा, मानवीय मूल्य को स्थान दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकारी व्यवस्था जिम्मेदरीपूर्ण और ईमानदारी होनी चाहिए। गुरु और विद्यार्थियों के बीच संबंध बहुत अच्छे होने चाहिए। हमारे वेदों में सारी बातों का समावेश है। उन्होंने विमान शास्त्र के बारे में बताया कि हमारे यहां तो पुष्पक विमान बना लिया गया था। उन्होंने कहा कि हमारे युवा विद्यार्थियों के लिए वेदों की बड़ी उपयोगिता है। वर्तमान में वेद बहुत उपयोगी हैं और वैज्ञानिक हैं।
विशिष्ठ अतिथि उप्र तीर्थ विकास परिषद के वाइस चेयरमैन शैलजा कांत मिश्रा ने उपस्थित लोगों को बड़े सहज तरीके से बताया कि जिसकी आत्मा परमात्मा से मिल जाए वो योगी है और श्री अरविंद एक योगी थे। उन्होंने श्री अरविंद के पारिवारिक जीवन के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी देते हुए बताया कि आईसीएस परीक्षा 11वें नंबर पर उत्तीर्ण करने वाले श्री अरविंद ने कैसे आजादी की आधारशिला रखी। श्री अरविंद ने ही बताया कि सनातन धर्म ही राष्ट्रीयता है। उन्होंने कहा कि अभी तक हम वेदों की चर्चा ही कर रहे हैं जबकि श्री अरविंद ने बहुत पहले ही वेदों पर टीका कर सब स्पष्ट कर दिया था। धर्म को जानने के लिए वेदों के पास जाना होगा। व्यास भाष्य में पातंजलि कहा है कि हर वस्तु की एक योग्यता है और जो शक्ति उसकी योग्यता से मिला दे वो धर्म है। श्री अरविंद के अनुसार वेदों में बताए ज्ञान को आज की वैज्ञानिकता आवश्यकता से जोड़ा जाएगा तभी भविष्य की चुनौतियों से निबटा जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि श्री अरविंद ने वेदों की बात करते-करते उस योगी ने स्वाधीनता संग्राम में देश के नौजवानों को ऐसा प्रेरित किया कि उन्होंने देश के लिए अपनी जान दे दी। अनेक स्वतंत्रता सैनानियों के नामों का उल्लेख करते हुए कई उद्धरण दिए। श्री मिश्रा ने कहा कि आज का आयोजन श्री अरविंद की प्रेरणा से भगवान करा रहे हैं। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि सिर्फ मौज-मस्ती से काम नहीं चलेगा। अगर ऐसा ही किया तो देश डूब जाएगा। आपके अंदर जो आत्मा है वही सबके अंदर है। सबका स्वरूप एक है। सबके लिए उठें और सबके लिए बांटें यही आध्यात्मिकता है।
,केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर श्रीनिवास वारखेड़ी ने एक कार्यशाला का जिक्र करते हुए बताया कि इस कार्यशाला में कुछ विदेशियों ने कहा कि ये भारतीय हैं जिनका कोई दर्शन नहीं है। यह सही नहीं है, हमारे यहां के लोग सोचते हैं फिर उसका अनुसारण करते हैं, सिर्फ लिखे हुए का अनुसरण नहीं करते। जेनजी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी सबूत मांगती है। एशियन काल में जो बुद्धिमान होते थे उन्हें वेदमूर्ति के नाम से बुलाया जाता था। हमारे देश की परंपरा ही हमारा धर्म और हमारी परंपरा पुरातन और सनातन है। परंपरा को समझने के लिए तीन शब्द समझने होंगे, सत्यं, शिवम और सुंदरम। एक कहानी के माध्यम से बताया कि हमको विश्व गुरु बनना है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय मथुरा के कुलपति डा.अभिजीत मित्रा ने एक कहानी के माध्यम बताने की कोशिश कि हमको वेदों को जानने के लिए उनमें डूबना होगा। साक्क्षी ट्रस्ट कर्नाटक के मैनेजिंग ट्रस्टी, ओरियंटल स्टडी के प्रो. आरवी जहागीरदार ने हमारे शिक्षा के संस्थान बच्चों पर केंद्रित होने चाहिए न कि शिक्षकों पर। उन्होंने बताया कि श्री अरविंद ने वेदों के चार हजार मंत्रों का अनुवाद किया था। उन्होंने गुरु और शिष्य के संबंधों पर विस्तार से बात की। मेडिकल अससमेंट एंड रेटिंग बोर्ड पूर्व अध्यक्ष डा. रघुराम भट्ट ने विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा में अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि सबसे पहले वेदों के बारे में जानें उनके प्रति श्रद्धा रखें। विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा सीखनी चाहिए। अगर हम किसी विषय को जानना चाहते हैं तो हमें उसकी तह तक पहुंचना होगा। भक्ति हमें धर्म और कर्म से जोड़ती है, यह भारतीय परंपरा है जो किसी अन्य देश में नहीं मिलती।
संगोष्ठी श्री अरविंद सोसायटी, कर्नाटक के चेयरमैन डॉ. अजीत सबनीस ने कहा कि भारत एक जमीन का टुकड़ा नहीं बल्कि एक शक्ति है। हमारे वेद अमर नदी के समान हैं। उन्होंने कहा कि श्री अरविंद आधुनिक सभ्यता वाले ऋषि हैं। श्री अरविंद वेदों को ध्वनि और मंत्रों को अनुभूति और प्रेरणा का स्रोत हैं।
अंत में सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए श्री अरविंद सोसायटी (उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड) के चेयरमैन विष्णु गोयल ने कहा कि आज का यह सत्र हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि संस्कृत विश्व की सबसे वैज्ञानिक भाषा मानी गई है, इसका सबको अध्ययन करना चाहिए।
संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता द्वारा दिए गए स्वागत भाषण में उन्होंने विद्यार्थियों को वेदों को जानने पर जोर दिया कहा कि हमें अपने वेदों से ज्ञान की वो वृद्धि होती है जो और कहीं से नहीं हो सकती। संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन, वंदेमातरम के पाठ और श्री अरविंद और मां के चित्रों के समक्ष पुष्प अर्पित कर हुआ। संगोष्ठी के दौरान अतिथियों का शाल ओढ़ाकर, स्मृति चिह्न देकर सम्मान किया गया। संगोष्ठी के दौरान संस्कृति विवि की सीईओ डा. श्रीमती मीनाक्षी शर्मा और कुलपति प्रो. एमबी चेट्टी की उपस्थिति भी महत्वपूर्ण रही।

राजीव एकेडमी के एमबीए विद्यार्थियों ने सीखीं व्यापारिक अवधारणाएं

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अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में देश-विदेश की कम्पनियों के उत्पादों को देखा
मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, मथुरा के एमबीए प्रथम और तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में “एक भारत: श्रेष्ठ भारत” की थीम पर आयोजित भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले का शैक्षिक भ्रमण किया। इस शैक्षिक भ्रमण में छात्र-छात्राओं ने व्यापारिक अवधारणाओं को समझने के साथ-साथ देश-विदेश से आई कम्पनियों के उत्पादों को न केवल देखा बल्कि उनके निर्माण की जानकारी भी हासिल की।
एमबीए विभाग के प्राध्यापकों डॉ. अखिलेश गौर, दीपक चौधरी, पवन अग्रवाल, योगेश तिवारी के मार्गदर्शन में छात्र-छात्राओं ने भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में होम इलेक्ट्रॉनिक्स, जूट और कॉयर, कम्युनिकेशन, लाइट इंजीनियरिंग गुड्स, किचनवेयर, होम अप्लायंसेस, किचन इक्विपमेंट्स, कॉस्मेटिक्स, हेल्थकेयर, फ़ार्मास्यूटिकल्स, एग्रो प्रोडक्ट्स, प्रोसेस्ड फूड, टेक्सटाइल, गारमेंट्स, फुटवियर आदि क्षेत्रों से जुड़े स्टॉलों का अवलोकन किया। इसके साथ ही छात्र-छात्राओं ने एफएमसीजी सेक्टर, लघु एवं मध्यम उद्योगों के उत्पाद, हस्तशिल्प, ग्रामीण कला क्राफ्ट, ज्वैलरी, घड़ियां तथा कई अन्य अभिनव उत्पाद भी देखे।
भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार संगठन द्वारा आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय मेले का मुख्य उद्देश्य देश की निर्यात क्षमता को बढ़ाने के साथ ही भारतीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचने का अवसर प्रदान करना है। इस भ्रमण में छात्र-छात्राओं ने जाना कि कैसे खरीददार-विक्रेता मुलाकातें, व्यापारिक साझेदारियां और उत्पाद प्रदर्शन भारतीय उद्योगों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाते हैं। इस शैक्षिक यात्रा में छात्र-छात्राओं को महत्वपूर्ण सीखें प्राप्त हुईं। मेले में छात्र-छात्राओं ने उद्योग विशेषज्ञों से बातचीत कर उनसे मार्केटिंग और उद्यमशीलता की महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाईं।
एमबीए विभागाध्यक्ष डॉ. विकास जैन ने इस शैक्षिक भ्रमण को विद्यार्थियों के लिए लाभकारी बताते हुए कहा कि ऐसे अनुभव उन्हें उद्योग की वास्तविक आवश्यकताओं से परिचित कराते हैं। उन्होंने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला न केवल व्यापार और उद्योग का बड़ा मंच है बल्कि यह विद्यार्थियों को व्यापक व्यावसायिक दृष्टिकोण प्रदान करता है, जो उनके प्रबंधन अध्ययन को और सशक्त बनाता है। डॉ. जैन ने यह भी बताया कि विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक हर सेक्शन को एक्सप्लोर किया और नवीनतम तकनीकी व व्यावसायिक अवधारणाओं को समझने में गहरी रुचि दिखाई, जो उनके करियर विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने इस शैक्षिक भ्रमण को छात्र-छात्राओं के लिए उपयोगी बताया। डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने कहा कि इस प्रकार की शैक्षिक यात्राएं विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास के साथ ही उनकी प्रबंधकीय सोच को मजबूत करती हैं। डॉ. भदौरिया ने कहा कि यह शैक्षिक भ्रमण विद्यार्थियों के अकादमिक ज्ञान को वास्तविक व्यापार जगत से जोड़ने का शानदार अवसर साबित हुआ। शैक्षिक भ्रमण से लौटे छात्र-छात्राओं ने टूर को बहुत ही उपयोगी तथा ज्ञानवर्धक बताया।
चित्र कैप्शनः प्राध्यापकों के साथ नई दिल्ली के भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में राजीव एकेडमी के विद्यार्थी।

के.डी. हॉस्पिटल में छह सौ से अधिक नेत्र रोगी लाभान्वित

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दो सौ से अधिक लोगों के हुए सभी तरह के ऑपरेशन
शिविर में नेत्र पीड़ितों की जांच, दवाएं और रहना-खाना फ्री
मथुरा। हर ब्रजवासी का जीवन रोशन हो, वह अपनी आंखों से देखे इसी उद्देश्य से के.डी. हॉस्पिटल में पिछले एक माह से नेत्र पीड़ितों को हर तरह की सुविधाएं पूरी तरह से निःशुल्क दी जा रही हैं। धर्मपरायण दादी मां कांती देवी की याद में चल रहे निःशुल्क चिकित्सा शिविर का अब तक छह सौ से अधिक नेत्र रोगी लाभ उठा चुके हैं। शिविर में विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा अब तक दो सौ से अधिक लोगों के ऑपरेशन किए गए हैं।
नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अमित कुमार जैन ने बताया कि के.डी. हॉस्पिटल में 24 अक्टूबर से चल रहे निःशुल्क चिकित्सा शिविर का अब तक 6 सौ से अधिक गरीब और जरूरतमंद लोग लाभ उठा चुके हैं। दो सौ से अधिक लोगों के मोतियाबिंद, कालापानी, कॉर्निया आदि के ऑपरेशन किए गए हैं। डॉ. जैन ने बताया कि ग्रामीण लोगों की मांग पर शिविर को और आगे बढ़ा दिया गया है।
डॉ. जैन का कहना है कि शिविर में सभी तरह की जांच और उपचार निःशुल्क है। नेत्र रोगियों के सभी तरह के ऑपरेशन निःशुल्क किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं नेत्र रोगियों के रहने-खाने की सुविधा भी पूरी तरह से निःशुल्क की गई है। उन्होंने बताया कि के.डी. हॉस्पिटल में फंडस कैमरा, ओसीटी तथा ग्रीन लेजर जैसी अत्याधुनिक मशीनों से सफेद मोतियाबिंद, काला मोतियाबिंद तथा आंखों के पर्दे (रेटिना) से पीड़ित मरीजों के ऑपरेशन किए गए।
डॉ. जैन का कहना है कि के.डी. हॉस्पिटल के नेत्र रोग विभाग में ग्रीन लेजर, रेटिना एंजियोग्राफी, ओसीटी, रेटिना में सूजन, टोनोमेट्री, गोनियोस्कोपी, ग्लूकोमा, एक्स्ट्रा ऑक्यूलर सर्जरी, रेटिनोस्कोपी, आंखों की सोनोग्राफी जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां डायबिटिक तथा हाइपरटेंसिव मरीजों के रेटिना सम्बन्धी विकारों की जांच एवं इलाज की भी पूर्ण सुविधा उपलब्ध है। डॉ. जैन ने लोगों का आह्वान किया कि जिस किसी को भी आंख सम्बन्धी किसी भी तरह की परेशानी है, वह सुबह नौ से शाम चार बजे तक के.डी. हॉस्पिटल में आकर निःशुल्क चिकित्सा शिविर का लाभ उठा सकता है। शिविर को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि घर के पास ही विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा निःशुल्क जांच और उपचार मिलना बड़े राहत की बात है। चिकित्सा शिविर में विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. अंजली चौधरी, डॉ. शिल्पा गुप्ता, डॉ. अनुपमा, टेक्नीशियन नरेश कुमार, मुकुट चौधरी, मुकेश भारद्वाज, इरफान, सुनील आदि के सहयोग से नेत्र रोगियों की जांचें और उपचार किया जा रहा है।
के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने का कहना है कि आंखें इंसान के जीवन का सबसे अहम अंग हैं। आंखों के जरिए ही वह दुनिया देख सकता है इसीलिए हमने निःशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर के आयोजन का फैसला लिया है। श्री अग्रवाल का कहना है कि के.डी. हॉस्पिटल का उद्देश्य हर पीड़ित को अच्छी व बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है। श्री अग्रवाल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अक्सर आंखों की समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे बीमारियां बढ़ जाती हैं। ऐसे शिविर ग्रामीणों के लिए अत्यंत लाभदायक होते हैं।
चित्र कैप्शनः ऑपरेशन के बाद विभागाध्यक्ष डॉ. अमित कुमार जैन व अन्य चिकित्सकों के साथ नेत्र रोगी।

परमेश्वरी देवी धानुका विद्यालय में मनाया गयासंविधान दिवस समारोह

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भारत का संविधान हमारे अधिकारों एवं कर्तव्यों का आधा

वृंदावन। परमेश्वरी देवी धानुका सरस्वती विद्या मंदिर में सामाजिक विज्ञान विभाग के निर्देशन में संविधान दिवस का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि महेश चंद्र ने संविधान की प्रति का पुष्पार्चन कर समारोह का शुभारंभ किया।
प्रधानाचार्य विपिन शर्मा ने कहा कि भारत का संविधान हमारे अधिकारों एवं कर्तव्यों का आधार है। उन्होंने संविधान निर्माताओं के त्याग, बलिदान और चिंतनशीलता का स्मरण करते हुए कहा कि नई पीढ़ी को यह समझना आवश्यक है कि आजादी केवल प्राप्त नहीं हुई, बल्कि संविधान ने उसे सही दिशा और स्वरूप प्रदान किया।
मुख्य अतिथि महेशचंद्र ने कहा कि नागरिकों, विशेष कर बच्चों में संवैधानिक चेतना विकसित करने तथा संविधान निर्माताओं के योगदान को सम्मान देने हेतु यह दिवस अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे, इन्हें वर्ष 1976 में तत्कालीन सरकार द्वारा सम्मिलित किया गया।
उन्होंने “भा–रत” शब्द का अर्थ बताते हुए कहा कि यह वह राष्ट्र है जो अज्ञान के अंधकार को मिटाने की प्रवृत्ति रखता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि श्रीमद्भगवद्गीता के दर्शन संविधान में भी परिलक्षित होते हैं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा प्रदर्शित संविधान की मूल प्रतिलिपि को देखकर विद्यार्थी अत्यंत आश्चर्यचकित और उत्साहित हुए। महेशचंद्र ने रोचक शैली में अनेक संस्मरण साझा करते हुए छात्रों को विविध संवैधानिक तथ्यों से अवगत कराया।
विद्यालय परिवार की ओर से रविन्द्र सिंह एवं यतेंद्र प्रताप सिसोदिया ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिह्न एवं उत्तरीय भेंट कर सम्मानित किया।
कार्यक्रम का संयोजन सामाजिक विज्ञान विभाग द्वारा तथा संचालन आचार्य कैलाश शर्मा ने किया।
इस अवसर पर यतेंद्र प्रताप सिसोदिया, अभिषेक कुमार, अमित चौधरी, अवधेश कुमार, मुकेश चंद्र, तरुण शर्मा, राजेश चौधरी आदि मौजूद रहे।

संस्कृति विवि में वेदों के उपयोग पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी 28-29 को

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चित्र परिचय 1- श्री अरविंद सोसायटी (उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड) के चेयरमैन विष्णु गोयल
चित्र परिचय2-संस्कृति विवि के कुलपति प्रो.एमबी चेट्टी

मथुरा। प्रदेश में पहली बार संस्कृति विश्वविद्यालय में 28-29 नवंबर को श्री अरविंद द्वारा की गई वेदों की टीका के अनुसार वेदों के व्यवहारिक अनुप्रयोग पर एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजित होने जा रही है। संगोष्ठी का आयोजन संस्कृति विश्वविद्यालय, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय और श्री अरविंद सोसायटी, साक्षी ट्रस्ट सम्मिलित रूप से कर रही है। इस कॉन्फ्रेंस का मंतव्य वेदों के हमेशा रहने वाले ज्ञान और आज की दुनिया में उनकी ज़रूरत को समझना है, जिसमें भारत के इतिहास, पूरी ज़िंदगी, सस्टेनेबल तरीकों और आध्यात्मिक भलाई पर फोकस किया जाएगा। देश और विदेश से बड़ी संख्या में स्कॉलर, रिसर्चर, प्रैक्टिशनर और आध्यात्मिक लीडर इस बारे में अपनी राय और नज़रिया शेयर करने के लिए हिस्सा ले रहे हैं कि आज के समाज में संतुलित और सार्थक जीवन के लिए वैदिक ज्ञान को कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
इन दो दिनों के दौरान देश भर की विभिन्न हस्तियां, एक्सीक्यूटिव कमेटी नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल(नैक) के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धि प्रोफेसर श्रीनिवास, उप्र तीर्थ विकास परिषद के वाइस चेयरमैन श्री शैलजा कांत मिश्रा, संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर श्रीनिवास वारखेड़ी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय मथुरा के कुलपति डा.अभिजीत मित्रा, श्री अरविंद सोसायटी, कर्नाटक के चेयरमैन डॉ. अजीत सबनीस और कई जाने-माने लोग श्री अरविंद द्वारा बताए गए वैदिक ज्ञान के महत्व पर रोशनी डालेंगे।
श्री अरविंद सोसायटी (उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड) के चेयरमैन विष्णु गोयल, संस्कृति विवि के कुलपति प्रो. एमबी चेट्टी ने जानकारी देते हुए बताया कि संस्कृति विवि के संतोष मैमोरियल आडिटोरियम में आयोजित इस दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की तैयारियां युद्धस्तर पर जारी हैं। उन्होंने बताया कि जो लोग भारत के बारे में जानते हैं, वे आमतौर पर जानते हैं कि वेद बहुत पुराने, पवित्र और भारतीय संस्कृति और सभ्यता का स्रोत और नींव हैं। लेकिन उनमें से ज़्यादातर को वेद की कीमत या अहमियत के बारे में साफ़-साफ़ पता नहीं है। वेद आज इंसानियत के लिए मौजूद सबसे पुराना साहित्य का खज़ाना हैं। कई भारतीय और पश्चिमी विद्वानों ने वेदों पर एक्सप्लेनेशन और कमेंट्री लिखी हैं। लेकिन, उन सभी कमेंट्री के बावजूद, कोई भी निराश हो सकता है, क्योंकि यह सवाल कि वेदों के सभी अलग-अलग हिस्सों को शामिल करने और एक करने वाला एक जैसा फ़ॉर्मूला क्या हो सकता है, इसका कोई सही जवाब नहीं है। वेदों में पाए जाने वाले देवताओं, जानवरों की बलि वगैरह के बारे में कन्फ्यूज़न और गलतफ़हमियाँ आम हैं। यह दुख की बात है कि आज भी यह सोच बनी हुई है कि सायणाचार्य और मैक्स मूलर की कमेंट्री ही सबसे अच्छी हैं, जबकि वेदों में छिपी आध्यात्मिक दुनिया को उनमें पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया गया है। आचार्य आनंद तीर्थ, श्री राघवेंद्र स्वामी, स्वामी दयानंद सरस्वती वगैरह ने बेशक वेदों को आध्यात्मिक रूप देने की कोशिश की है। फिर भी, यह कहना सही होगा कि ये कोशिशें पारंपरिक कमेंट्री के असर को कम करने में बहुत कम पड़ गईं, जो असली मतलब को खोजने के बजाय छिपाने का ज़्यादा काम करती थीं।
कॉन्फ्रेंस का मुख्य मकसद वेद की आज के समय में क्या ज़रूरत है, इस पर बात करना है। इससे भी बड़ा मकसद यह पूछना है कि सस्टेनेबिलिटी, गुड गवर्नेंस, हर तरह से बेहतरी, ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट और आध्यात्मिक बदलाव जैसे अलग-अलग डोमेन में इस जुड़ाव से हम क्या सबक सीख सकते हैं। हमें मिले ज़्यादातर पेपर श्री अरबिंदो के विज़न को दिखाते हैं। वैदिक व्याख्या के लिए श्री अरबिंदो का नज़रिया टेक्स्ट के आध्यात्मिक और सिंबॉलिक मतलब पर ज़ोर देता है, उन्हें टेक्स्ट के तौर पर देखता है, उन्हें पुराने ज्ञान और आध्यात्मिक गाइडेंस के सोर्स के तौर पर देखता है। यह लिविंग वेद कॉन्फ्रेंस का तीसरा एडिशन है। पहला कॉन्फ्रेंस 15-17 दिसंबर 2023 को बेंगलुरु, कर्नाटक में और दूसरा 29, 30 दिसंबर 2024 को जयपुर में हुआ था। इस कॉन्फ्रेंस में दुनिया भर से लगभग 20 से अधिक स्कॉलर पेपर प्रस्तुत कर रहे हैं।

गीता शोध संस्थान में मनाया गया संविधान दिवस, शपथ दिलायी

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वृंदावन। गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी वृंदावन के सभागार में 26 नवम्बर को संविधान दिवस मनाया गया।
गीता मर्मज्ञ महेश चंद्र शर्मा ने संविधान की विशाल पुस्तक को दिखाया। संविधान की उक्त पुस्तक के पेज 17 पर श्रीमद भागवत गीता के बारे में उल्लिखित वर्णन की उन्होंने जानकारी दी। कोऑर्डिनेटर चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने सभी को संविधान की शपथ दिलायी। शपथ कार्यक्रम में प्रशिक्षण पाने वाले छात्र व छात्राओं के अलावा दिनेश खन्ना, डा उमेश चन्द्र शर्मा व दीपक शर्मा, आरसीए कालेज की प्रो रुचिरा, रितु सिंह, रोचना शर्मा, आकाश, मनमोहन, सुनील पाठक, आदि उपस्थित रहे।
गौरतलब है कि वर्ष 1949 में आज के दिन भारत की संविधान सभा ने भारतीय संविधान को औपचारिक रूप से अपनाया था, जो 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ था।
इसके अलावा उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद सभागार में भी अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी मदन चंद्र दुबे ने स्टाफ को शपथ दिलाई।