Tuesday, December 23, 2025
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दंत चिकित्सा में 3डी इमेजिंग काफी मददगारः डॉ. कुहू मजूमदारके.डी. डेंटल कॉलेज में मना राष्ट्रीय आईएओएमआर दिवस


मथुरा। 3-डी छवियां समग्र दंत चिकित्सकों, मौखिक रोग विशेषज्ञों तथा उन्नत दंत प्रत्यारोपण विशेषज्ञों को दंत चिकित्सा निदान और दंत सर्जरी की योजना बनाने में काफी मददगार होती हैं। डेंटल सीबीसीटी स्कैन एकमात्र डायग्नोस्टिक विधि है जो जबड़े में डेंटल कैविटेशन संक्रमण की पहचान करने में सक्षम है। सभी दंत चिकित्सकों द्वारा उपयोग किया जाने वाला 3-डी सीबीसीटी स्कैन देखभाल का मानक है और जबड़े की हड्डी में असामान्यताओं का निदान करने के लिए एकमात्र भरोसेमंद डायग्नोस्टिक टूल है। यह बातें के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में द्वारा आयोजित राष्ट्रीय आईएओएमआर दिवस पर अतिथि वक्ता डॉ. कुहू मजूमदार ने संकाय सदस्यों तथा छात्र-छात्राओं को बताईं।
ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी में एमडीएस डॉ. कुहू मजूमदार ने अपने व्याख्यान में “दंत चिकित्सा में 3डी इमेजिंग की शक्ति को अनलॉक करना- सीबीसीटी कैसे रोगी देखभाल को बदल रहा है विषय पर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने दंत चिकित्सा में सीबीसीटी के सिद्धांत और लाभ, सीबीसीटी की नैदानिक शक्ति और आधुनिक दंत चिकित्सा में उनके अनुप्रयोग, बढ़ी हुई उपचार सटीकता और पूर्वानुमान, 3डी विजुअलाइजेशन के माध्यम से बेहतर रोगी संचार और शिक्षा, सर्जिकल जटिलताओं के कम जोखिम तथा दंत चिकित्सा में 3डी इमेजिंग के भविष्य पर अपने अनुभव साझा किए
डॉ. कुहू मजूमदार द्वारा सीबीसीटी पर व्यावहारिक कार्यशाला में कई महत्वपूर्ण विषयों पर भावी दंत चिकित्सकों को विस्तार से जानकारी दी गई। इस अवसर पर ओरल मेडिसिन और रेडियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. विनय मोहन ने रेडिएशन के खतरे और सुरक्षा विषय पर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि दंत चिकित्सा में रेडिएशन के खतरे और सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है। दंत एक्स-रे और अन्य इमेजिंग तकनीकों से निकलने वाला विकिरण, कम मात्रा में होने के बावजूद कुछ जोखिमों से जुड़ा है। ये जोखिम आमतौर पर कम होते हैं, लेकिन अनावश्यक विकिरण से बचना महत्वपूर्ण है।
डॉ. विनय मोहन ने दंत चिकित्सकों को विकिरण सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि कुछ अध्ययनों से पता चला है कि बार-बार या अनावश्यक एक्स-रे के सम्पर्क में आने से जहां कैंसर का खतरा बढ़ सकता है वहीं लार ग्रंथियों और थायरॉयड ग्रंथि को नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने विकिरण को कम करने के लिए लेड एप्रन और थायरॉयड कॉलर का उपयोग करने की सलाह दी। अपने व्याख्यान में उन्होंने विकिरण के अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रभाव, मौखिक ऊतकों पर विकिरण के प्रभाव तथा विकिरण सुरक्षा के तरीके भी बताए। इस अवसर पर ओरल मेडिसिन और रेडियोलॉजी विभाग के पीजी छात्रों द्वारा ई-पोस्टर की प्रस्तुति की गई, जिसमें उनके द्वारा ओरल कैंसर और प्रीकैंसरस स्थितियों तथा उनकी रोकथाम के बारे में जानकारी दी गई।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल और प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन छात्र-छात्राओं ही नहीं संकाय सदस्यों के लिए भी काफी लाभकारी साबित होते हैं। डीन और प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी ने डॉ. कुहू मजूमदार का मुंबई से यहां आने और अपना बहुमूल्य अनुभव साझा करने के लिए आभार व्यक्त किया। डॉ. लाहौरी ने ओरल मेडिसिन और रेडियोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. विनय मोहन द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम के समापन अवसर पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
चित्र कैप्शन। प्रमाण पत्र वितरण के दौरान प्रतिभागियों के साथ मुख्य वक्ता डॉ. कुहू मजूमदार, प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी, विभागाध्यक्ष डॉ. विनय मोहन, प्रो. (डॉ.) अनुज गौर तथा अन्य संकाय सदस्य।

बेहतर भविष्य की नींव है अच्छी शिक्षाः प्रो. अजय उपाध्यायजी.एल. बजाज के प्राध्यापकों ने गांव सिहाना में दिया बालिका शिक्षा पर जोर

मथुरा। शिक्षा ही सफल जीवन जीने का एकमात्र तरीका है। शिक्षा हमें कल के लिए तैयार होने और हर स्थिति से निपटने का तरीका सिखाती है। शिक्षा न केवल व्यक्तिगत रूप से बल्कि समाज के लिए भी आवश्यक है क्योंकि यह हमें एक बेहतर दुनिया बनाने में मदद करती है। सच कहें तो अच्छी शिक्षा बेहतर भविष्य की नींव है। यह बातें उन्नत भारत अभियान के समन्वयक और जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस के प्रो. अजय उपाध्याय ने पंचायत भवन सिहाना में ग्रामीणों को बताईं।
गांव सिहाना में शिक्षा एक बेहतर भविष्य की ओर कार्यक्रम में प्रो. अजय उपाध्याय ने ग्रामीणों को बताया कि शिक्षा केवल किताबों के पन्नों तक सीमित नहीं होती बल्कि यह सोचने-समझने और आगे बढ़ने की कला सिखाती है। यह हमें सही और गलत की पहचान कराती है तथा आत्मनिर्भर बनने का मार्ग दिखाती है। यही कारण है कि शिक्षा को भोजन, पानी और हवा की तरह ही जीवन का आधार माना जाता है। शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं है, यह जीवन को समझने, समस्याओं को हल करने और समाज में सकारात्मक योगदान देने का मूल मंत्र है। शिक्षा एक सतत प्रक्रिया है जो न केवल तकनीकी कौशल और ज्ञान प्रदान करती है बल्कि नैतिक मूल्यों, आत्मविश्वास और बौद्धिक विकास को भी बढ़ावा देती है।
प्रो. उपाध्याय ने ग्रामीणों को बताया कि शिक्षा हमें सिखाती है कि हम क्या जानते हैं और कैसे सोचते हैं, जिससे हम अपने और समाज के भविष्य को आकार दे सकें। इसका उद्देश्य केवल एक अच्छी नौकरी पाना नहीं बल्कि जिम्मेदार और जागरूक नागरिक बनाना भी है। इस अवसर पर प्रो. तनुश्री गुप्ता ने बालिका शिक्षा पर अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि समाज के विकास में महिलाओं का बड़ा हाथ होता है। जब तक देश की प्रत्येक बालिका शिक्षित नहीं हो जाती तब तक देश का विकास सम्भव नहीं है। इसके लिए भारत सरकार ने भी बालिकाओं को शिक्षित करने के लिए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान चलाया है।
प्रो. गुप्ता ने बताया कि देश के भविष्य के लिए भारत में लड़कियों की शिक्षा आवश्यक है क्योंकि महिलाएं ही अपने बच्चों की पहली शिक्षक हैं। उन्होंने कहा कि अशिक्षित महिलाएं परिवार के प्रबंधन में योगदान नहीं दे सकतीं तथा वह बच्चों की उचित देखभाल करने में भी नाकाम रहती हैं। उन्होंने कहा कि एक सुशिक्षित लड़की देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है वह शिक्षक, वकील, डॉक्टर और वैज्ञानिक के रूप में देश की सेवा भी कर सकती है।
प्रो. गुप्ता ने कहा कि शिक्षित लड़कियां बच्चों में अच्छे गुण प्रदान कर परिवार के प्रत्येक सदस्य को उत्तरदायी बना सकती हैं। उन्होंने कहा कि एक आदमी को शिक्षित करके राष्ट्र का कुछ हिस्सा शिक्षित किया जा सकता है जबकि एक महिला को शिक्षित करके पूरे समाज और देश को शिक्षित किया जा सकता है। गौरतलब यह कि जी.एल. बजाज ने उन्नत भारत अभियान के तहत गांव सिहाना को गोद लिया है। इस अवसर पर संस्थान के विद्यार्थियों गोपाल, कनक, मुदित आदि ने भी शिक्षा पर अपने विचार साझा किए। संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने प्राध्यापकों तथा छात्र-छात्राओं को अच्छे सामाजिक कार्यक्रम के लिए बधाई दी तथा कहा कि जी,एल. बजाज ग्रामीणों की शिक्षा, उन्नति व विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
चित्र कैप्शनः पंचायत भवन सिहाना में ग्रामीणों को शिक्षा की खूबियां बताते जी.एल. बजाज के प्राध्यापक और छात्र-छात्राएं।

संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित बिजनेस एंड लीडरशिप कॉन्क्लेव का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ करते आध्यात्मिक गुरु आचार्य सतीश सद्गुगुरु जी महाराज, संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता, प्रति कुलाधिपति राजेश गुप्ता, उद्योगपति पूरन डाबर, अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स लिमिटेड के चेयरमैन रमेश अग्रवाल, डाबर ग्रुप के चीफ मैनेजिंग डाइरेक्टर पूरन डावर, एचआईआईएमएस के फाउंडर मनीषजी, कुलपति प्रो. एमबी चेट्टी।

संस्कृति विवि में बिजनेस एंड लीडरशिप कॉन्क्लेव में हुए मानक हुए स्थापित
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित बिजनेस एंड लीडरशिप कॉन्क्लेव में विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों ने विद्यार्थियों और श्रोताओं को व्यापार जगत में सफलता और नेतृत्व क्षमता अर्जित करने के अनेक टिप्स देकर कॉन्क्लेव की उपयोगिता को ऩई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। कॉन्क्लेव में जहां व्यापार में ग्राहक को भगवान और कर्मचारी को हनुमान की संज्ञा दी गई वहीं लीडर बनने के लिए कर्तव्य, निष्ठा, संस्कृति और ज्ञान को मूलमंत्र बताया गया।
संस्कृति विश्वविद्यालय के संतोष मैमोरियल हाल में हुआ। कॉन्क्लेव उद्घाटन सहित कुल छह सत्रों में समाहित था। कॉन्क्लेव का शुभारंभ आध्यात्मिक गुरु आचार्य सतीश सद्गुगुरु जी महाराज, संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता, प्रति कुलाधिपति राजेश गुप्ता, उद्योगपति पूरन डाबर, अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स लिमिटेड के चेयरमैन रमेश अग्रवाल, डाबर ग्रुप के चीफ मैनेजिंग डाइरेक्टर पूरन डावर, एचआईआईएमएस के फाउंडर मनीषजी, कुलपति प्रो. एमबी चेट्टी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।
उद्घाटन सत्र में संस्कृति विवि के कुलपति प्रो. एमबी चेट्टी ने अपने स्वागत भाषण में सभी वक्ताओं का परिचय देते हुए कहा कि कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता चाहते हैं कि हर विद्यार्थी जो भी संस्कृति विश्वविद्यालय में पढ़ रहा है नौकरी ढूँढने वाला नहीं नौकरी प्रदान करने वाला बने। उनके नेतृत्व में शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में संस्कृति विवि ने बहुत काम किया है। उद्योगपति पूरन डावर ने अपने जीवन से जुड़े अनेक संस्मरणों का हवाला देते हुए कहा कि आज का समय युवा पीढ़ी के लिए अमृत काल है, यह काल स्वतंत्रता का दूसरा चरण है , आर्थिक स्वतंत्रता का काल है। आप लोगों को देश के लिए जान देने का मौका नहीं मिला पर आप लोगों को शान से जीने का मौका मिला है। शिक्षा ज़रूरी नहीं है की नौकरी पाने के लिए की जाये, आप युवा पीढ़ी कोशिश कीजिए की नौकरी प्रदान करने वाले बने न कि नौकरी लेने वाले। पश्चिमी देश इतने विकसित इसलिए हैं क्योंकि वहाँ के बच्चो को काम करने की आदत है वे किसी भी काम को छोटा नहीं समझते। उन्होंने कहा कि उद्यमशीलता ही आपको सशक्त बना सकती है, देश को सशक्त बना सकती है। नौकरी खाने को दे सकती है पर अंबानी और अदानी तो उद्यमशीलता से ही बना जा सकता है।
अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स लिमिटेड के चेयरमैन रमेश अग्रवाल ने कहा कि आप लोग पांच सपने देखिए, उन में से किसी एक को चिह्नित कीजिए, उसपर निरंतर प्रयास कीजिए और आपका लक्ष्य एक दिन आपको ज़रूर हासिल होगा। उन्होंने अपनी जीवन के बारे में बताया कि जब में सेना में कार्यत था तो मन में एक ही विचार आता था की कैसे में और लोगों को भी रोज़गार प्रदान कर सकूं, इसलिए मैंने अपनी सेना की नौकरी छोड़ दी और 1987 में शुरुआत की अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स की। उन्होंने अपने ख़ुद के आज़माये हुए नुस्खों को संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ साँझा किया ताकि वे लोग भी कुछ सीख ले सकें। उद्घाटन सत्र का समापन संस्कृति विवि की स्टूडेंट काउंसिल के अध्यक्ष यश श्रीवास्तव के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

विज्ञान प्रदर्शनीछात्राओं ने किया वैज्ञानिक प्रतिभा का प्रदर्शन ।

मथुरा।अमर नाथ गर्ल्स डिग्री कॉलेज के विज्ञान विभाग द्वारा विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में विज्ञान संकाय स्नातक स्तर की 55 छात्राओं ने भाग लिया। प्रदर्शनी में छात्राओं ने विभिन्न विषयों जिसमें नरौरा परमाणु ऊर्जा संयंत्र, मथुरा रिफाइनरी, नैनो मटेरियल, जैव अपशिष्ट प्रबंधन, लिक्विड ट्री आदि मुख्य विषयों पर आधारित मॉडलों का प्रदर्शन किया। इसी क्रम में छात्राओं के द्वारा पीपीटी प्रेजेंटेशन, क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आए अतिथि प्रोफेसर डॉ अमर कुमार धारीवाल, के. आर. कॉलेज, डॉ पंकज कुशवाह, असिस्टेंट प्रोफेसर बी.एस.ए. कॉलेज एवं डॉ निशु मिश्रा विज्ञान विभाग की कॉर्डिनेट कान्हा माखन स्कूल मथुरा का स्वागत कॉलेज की कॉर्डिनेटर डॉ मीता तिवारी ने किया। छात्राओं को शुभकामनाए देते हुए प्राचार्य डॉ अनिल वाजपेई ने कहा कि युवा पीढ़ी में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना आवश्यक है। इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्रियांशी और निहारिका को मॉडल लिक्विड ट्री में, द्वितीय पुरस्कार मुस्कान प्रगति श्रेया, को नैनो टेक्नोलॉजी और तृतीय पुरस्कार अनुष्का, राधा रानी ज्योति, एकता, सपना, नंदिनी शर्मा को नरौरा परमाणु संयंत्र में पुरस्कृत किया गया। इस मौके पर विस्तृत जानकारी देते हुए महाविद्यालय की कॉर्डिनेटर डॉ. मीता तिवारी ने बताया कि महाविद्यालय में समय समय पर बच्चों के लिए शैक्षिक आयोजन किए जाते है। साथ ही सभी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया और अन्य विद्यार्थियों का उत्साह वर्धन किया गया।कार्यक्रम की संयोजिका विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ सरिता शर्मा थी। कार्यक्रम के संचालन में प्रवक्ता शैलजा चौधरी, वैशाली गोस्वामी और संजय वर्मा ने सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम में डॉ मनोरमा कौशिक, नूतन देहर, रोहित वाजपेयी, एवं डॉ. पंकज आदि शिक्षक भी उपस्थित रहे।

आरआईएस के छात्र-छात्राओं ने लिया पर्यावरण संरक्षण का संकल्पराजीव इंटरनेशनल स्कूल मना रहा पृथ्वी बचाओ सप्ताह

मथुरा। छात्र-छात्राओं को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने तथा पर्यावरण संरक्षण की जानकारी देने के लिए राजीव इंटरनेशनल स्कूल में 16 अप्रैल से पृथ्वी बचाओ सप्ताह मनाया जा रहा है। पृथ्वी बचाओ सप्ताह के शुभारम्भ अवसर पर छात्र-छात्राओं ने जहां पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया वहीं आमजन को भी इसके प्रति जागरूक करने का भरोसा दिया। पृथ्वी बचाओ सप्ताह का समापन 22 अप्रैल को किया जाएगा। इस साल पृथ्वी दिवस की थीम हमारी शक्ति, हमारा ग्रह है।
पृथ्वी बचाओ सप्ताह में छात्र-छात्राओं को विविध कार्यक्रमों के जरिए पर्यावरण संरक्षण की जानकारी दी जा रही है। पृथ्वी बचाओ सप्ताह के शुभारम्भ अवसर पर स्कूल हेड प्रिया मदान ने छात्र-छात्राओं को बताया कि पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए पेड़, पानी और स्वच्छ हवा जैसे संसाधनों को बचाया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हम अपनी दैनिक जीवनशैली में बदलाव लाकर पृथ्वी को बचाने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने छात्र-छात्राओं को पानी, ऊर्जा बचाने के साथ ही प्लास्टिक का उपयोग कम करने की सलाह दी।
छात्र-छात्राओं को प्लास्टिक का उपयोग न करने की सलाह देते हुए उन्हें बताया कि माइक्रो प्लास्टिक न सिर्फ धरती पर मनुष्यों व जीव-जन्तुओं को प्रभावित कर रही है बल्कि समुद्रों में मछलियों एवं समुद्री जीवों को भी बहुत हानि पहुंचा रही है। इससे लाखों की संख्या में जलीय जीव प्रभावित हो रहे हैं। प्रिया मदान ने कहा कि भावी पीढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए हमें पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग रोकना होगा। उन्होंने कहा कि अगर प्राथमिक संसाधनों का दुरुपयोग नहीं रोका गया, तो हमें पृथ्वी के रौद्र रूप को सहना होगा। पृथ्वी बचाओ सप्ताह में छात्र-छात्राएं पोस्टरों के माध्यम से जहां पर्यावरण संरक्षण की जानकारी दे रहे हैं वहीं तख्तियां लेकर पृथ्वी बचाओ का संदेश भी दे रहे हैं।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि इस समय समूची दुनिया पर्यावरण संकट से गुजर रही है। ऐसे में राजीव इंटरनेशनल स्कूल द्वारा पृथ्वी बचाओ सप्ताह का आयोजन किया जाना अच्छी पहल है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि पृथ्वी को हरा-भरा, सुरक्षित व समृद्ध बनाए रखना हम सब की जवाबदेही है। उन्होंने कहा कि बच्चों को बचपन से ही यदि पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण आदि की जानकारियां प्रदान की जाएं तो इससे दुनिया को सम्भावित खतरे से बचाया जा सकता है।
प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने शिक्षकों और छात्र-छात्राओं के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि जिस तेजी से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, वह भविष्य के लिए बेहद खतरनाक है। श्री अग्रवाल ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए अधिक से अधिक पौधे लगाना तथा उनकी सुरक्षा करना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण से ही पर्यावरण को स्वच्छ और संतुलित रखा जा सकता है।
चित्र कैप्शनः पृथ्वी बचाओ सप्ताह के अंतर्गत पोस्टरों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की जानकारी देते राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राएं।

जिला स्तरीय बैडमिंटन टूर्नामेंट प्रतियोगिता में आदित्य के प्रदर्शन ने दिल जीता

मथुरा। गणेशरा स्टेडियम में जिला ओलम्पिक संघ के द्वारा आयोजित जिला स्तरीय बैडमिंटन प्रतियोगिता का आज समापन हुआ, जिसमें मथुरा जिले के 400 से ज़्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया, दो दिनों तक चले इस जिला स्तरीय बैडमिंटन प्रतियोगिता में राधावेली निवासी आदित्य शर्मा ने अपने खेल का शानदार प्रदर्शन करते हुए, प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन किया! प्रतियोगिता उनके शानदार प्रदर्शन करने पर उन्हें ट्राफी तथा सर्टिफिकेट आयोजकों के द्वारा दिया गया, उनके इस प्रदर्शन पर राधावेली निवासियों ने खुशी जाहिर की, आदित्य शर्मा मथुरा के द मिलेनियम स्कूल के छात्र हैं, तथा वो गौरीशंकर बैडमिंटन अकैडमी में अपनी तैयारी कर रहे हैं, पिछली साल भी उन्होंने अपने खेल का शानदार प्रदर्शन करते हुए वो नोएडा, आगरा में भी खेल चुके थे, अब उनका अगला कदम प्रदेश स्तरीय बैडमिंटन प्रतियोगिता पर है, आदित्य के पिता केडी मेडिकल कालेज में नर्सिंग उपअधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं, उनका सपना अपने बच्चे को देश के लिए बैडमिंटन खेलते हुए देखने का

चित्र परिचयः संस्कृति विवि में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. राजेंद्र सिंह यादव कार्यात्मक साक्षरता पर अपना व्याख्यान देते हुए।

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल आफ एजूकेशन ने सेमिनार हॉल में “कार्यात्मक साक्षरता: मुद्दे और चुनौतियाँ” पर एक विचारोत्तेजक अतिथि व्याख्यान आयोजित किया। सत्र में साक्षरता के व्यापक अर्थ पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो वास्तविक जीवन में सशक्तिकरण के लिए एक साधन है, खासकर हाशिए पर पड़े समूहों के लिए।
मुख्य वक्ता, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. राजेंद्र सिंह यादव ने जमीनी हकीकत को अकादमिक दृष्टिकोण से जोड़ते हुए एक उपयोगी व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि कार्यात्मक साक्षरता पढ़ने और लिखने से परे कैसे होती है। उन्होंने बताया कि कार्यात्मक साक्षरता का मतलब है कि कोई व्यक्ति अपनी दैनिक जीवन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए पढ़ना, लिखना और गणना करना जानता है. इसका मतलब है कि वह अपनी जरूरतों के हिसाब से जानकारी निकाल सके, समझ सके, और उपयोग कर सके, जैसे कि बैंक स्टेटमेंट को समझना या फॉर्म भरना. उन्होंने कहा कि इसमें दैनिक जीवन को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक कौशल शामिल हैं, जैसे कि वित्त को संभालना, स्वास्थ्य सेवा की जानकारी को समझना और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म तक पहुँचना। उन्होंने लैंगिक असमानता, डिजिटल बहिष्कार और नीतिगत विसंगतियों जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताया और केस स्टडी, सफल अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता मॉडल के माध्यम से अपने विचारों को स्पष्ट किया।
कार्यक्रम में संस्कृति विवि की सीईओ डॉ. मीनाक्षी शर्मा ने साक्षरता और सामाजिक समावेश पर महत्वपूर्ण चर्चा शुरू करने के लिए स्कूल ऑफ एजुकेशन की सराहना की। डीन डॉ. रैनू गुप्ता, शिक्षकों और छात्रों ने सत्र में सक्रिय रूप से भाग लिया। सुश्री ज्योति तोमर ने कार्यक्रम का समन्वय किया। डॉ. सरस्वती घोष ने वक्ता का परिचय दिया, डॉ. अर्चना शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया और अनामिका ने एंकर की भूमिका निभाई। छात्र समन्वयक अग्रज, संस्कृति, शशि, शिवा और क्रिश राणा ने कार्यक्रम का सुचारू निष्पादन सुनिश्चित किया।

गजब का कमाल कर गये लालों के लाल लाला किशोरी लाल

 मथुरा। एक महापुरुष थे लाला किशोरी लाल भार्गव, वे मथुरा में बड़े ही अजब गजब का कमाल कर गये। कमालों के बारे में आज की पीढ़ी बिल्कुल अनभिज्ञ है।उनके कमालों की श्रृंखला लंबी है। उस पुराने जमाने में जब अंग्रेजों का शासन हुआ करता था तथा पढ़ाई लिखाई के नाम पर मथुरा नगरी लगभग शून्य सी थी तभी से इन्होंने शिक्षा के मंदिरों व अन्य सामाजिक योगदानों की झड़ी लगा दी।
 लाला किशोरी लाल भार्गव का जन्म 1814 में हुआ था। वे दिल्ली के बहुत बड़े जमींदार थे। उनके पास बेशुमार संपत्ति थी दुर्भाग्य की बात यह कि वे निसंतान थे। उनके गुरु वृंदावन के संत राधा रमण जी महाराज ने आज्ञा दी कि अपनी धन संपत्ति को ब्रजभूमि की सेवा में लगा दो। इसके बाद लाला किशोरी लाल भार्गव ने गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए सन 1878 में चौक बाजार स्थित लाल दरवाजे के निकट ठाकुर किशोरी रमण महाराज के मंदिर की स्थापना की। किशोरी रमण मंदिर के नाम में उन्होंने आधा नाम अपने नाम में से और आधा अपने गुरु राधा रमण जी के नाम में से लिया तब हुआ किशोरी रमण। इस मंदिर का उन्होंने एक ट्रस्ट बना दिया। 
 अब उनके कमालों की श्रृंखला शुरू हो गई। मंदिर के बाद उन्होंने किशोरी रमण नाम के विद्यालयों महाविद्यालयों से लेकर मोंटेसरी स्कूलों तक की झड़ी लगा दी। सबसे पहले उन्होंने चौक बाजार स्थित भार्गव गली के सामने आठवीं तक की किशोरी रमण पाठशाला बनाई उसके बाद 1936 में किशोरी रमन इंटर कॉलेज तथा बाद में 1947 में डिग्री कॉलेज व ट्रेनिंग अकादमी की स्थापना की किशोरी रमण डिग्री और इंटर लड़कों का अलग लड़कियों का अलग। 1944 में महिलाओं को स्वावलंबी बनाने हेतु सिलाई कढ़ाई का ट्रेनिंग कॉलेज बनाया इसके अलावा बच्चों के लिए किशोरी रमण मोंटेसरी स्कूल भी बनाया। लाला किशोरी लाल ने जयसिंह पुरा में किशोरी रमण वाटिका की स्थापना भी की। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि सबसे पहले जो किशोरी रमण पाठशाला आठवीं तक की बनाई उसके मैनेजर द्वारकानाथ भार्गव तथा हेड मास्टर रामचंद्र भार्गव और अपने साले लक्ष्मी नारायण भार्गव व सलहज भगवान देवी के साथ "अमरनाथ विद्या आश्रम" की स्थापना गुरुकुल पद्धति के अनुसार की। इसकी जमीन खरीदने में पैसा लाला किशोरी लाल के साले व सलहाज ने लगाया। दरअसल किशोरी लाल जी के साले व सलहज का एक ही बेटा था उसका नाम था अमरनाथ। दुर्भाग्य से वह बालक अल्पायु में चल बसा उसी के नाम पर "अमरनाथ विद्या आश्रम" नाम रखा गया।
 लाला किशोरी लाल भार्गव को अपनी मृत्यु का पूर्वाभास हो गया था और इन सभी मंदिर, वाटिका व शिक्षण संस्थानों की स्थापना के लगभग 6 माह पश्चात वे चल बसे। उन्होंने उस जमाने में जब मथुरा में शिक्षा के नाम पर स्थिति लगभग नगन्य सी थी तब एक से बढ़कर एक अजब गजब के चमत्कारिक कार्य करके अपना नाम अमर कर दिया। यदि यौं कहा जाए कि कृष्ण की नगरी में शिक्षा का अलख उन्होंने ही जगाया तो गलत नहीं होगा। इन सभी शिक्षण संस्थाओं का संचालन किशोरी रमण मंदिर के ट्रस्ट द्वारा किया जाता है जिसके प्रबंधक राजीव भार्गव उर्फ गुड्डू भार्गव है।
 लाला किशोरी लाल भार्गव ब्रजभूमि के लिए जो अद्भुत और अलौकिक कार्य कर गए उसके लिए यहां का कण-कण उनका कृतज्ञ रहेगा। भले ही उनकी कोई संतान नहीं थी किंतु लाखों बच्चों ने उनके द्वारा स्थापित शिक्षा के मंदिरों में जो ज्ञान प्राप्त किया उसका कोई मोल नहीं वह अनमोल है। ये लाखों बच्चे उनकी अपनी खुद की संतान से भी बढ़कर हैं। किशोरी लाल जी को भले ही आज के लोग न जानते हों किंतु ब्रजभूमि की रज के कण-कण में वे समाये हुए हैं।

आरआईएस की छात्राओं एंजलि और प्रांजलि ने जीते कांस्य पदकओलम्पिक मेडलिस्ट पीवी सिंधु तथा साइना नेहवाल को मानती हैं अपना आदर्श

मथुरा। जिला ओलम्पिक एसोसिएशन एवं शटलर एलाइट क्लब मथुरा द्वारा गणेशरा स्पोर्ट्स स्टेडियम मथुरा में आयोजित जिलास्तरीय बैडमिंटन प्रतियोगिता में राजीव इंटरनेशनल स्कूल की होनहार छात्राओं एंजलि एवं प्रांजलि ने कांस्य पदक जीतकर विद्यालय का गौरव बढ़ाया। प्रतियोगिता के समापन अवसर पर आयोजकों ने दोनों छात्राओं को मेडल, ट्रॉफी तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान कर उन्हें प्रोत्साहित किया। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल, स्कूल हेड प्रिया मदान ने पदक विजेता छात्राओं को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
गणेशरा स्पोर्ट्स स्टेडियम मथुरा में 13 एवं 14 अप्रैल को आयोजित जिलास्तरीय बैडमिंटन प्रतियोगिता में राजीव इंटरनेशनल स्कूल की कक्षा 10 की छात्रा एंजलि ने अण्डर-17 आयुवर्ग तथा कक्षा सात की छात्रा प्रांजलि ने अण्डर-15 आयुवर्ग की एकल स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीते। एंजलि की जहां तक बात है वह इससे पहले लखनऊ में खेल एवं युवा कल्याण विभाग तथा नेशनल स्पोर्ट्स प्रमोशन ऑर्गेनाइजेशन द्वारा आयोजित स्टेट बैडमिंटन प्रतियोगिता में रजत पदक जीत चुकी है। होनहार एंजलि और प्रांजलि की पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी रुचि है। यह दोनों बहनें ओलम्पिक मेडलिस्ट पीवी सिंधु तथा साइना नेहवाल को अपना आदर्श मानती हैं। इस प्रतियोगिता में मथुरा जनपद के विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभागिता करते हुए अपना दमखम दिखाया।
एंजलि-प्रांजलि की बैडमिंटन में शानदार सफलता से खुश आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने दोनों बहनों को बधाई देते हुए, उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि आज के समय में खेलों में भी शानदार करियर है। छात्र-छात्राओं को यदि तन-मन से स्वस्थ रहना है तो उन्हें नियमित रूप से किसी न किसी खेल में हिस्सा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेलना शरीर के लिए ही नहीं मन के लिए भी जरूरी है। छात्र-छात्राएं सफल खिलाड़ी बनकर लोकप्रियता के शिखर को छू सकते हैं।
प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने दोनों बहनों की सफलता पर खुशी जताते हुए कहा कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल का उद्देश्य प्रत्येक विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास करना तथा प्रत्येक छात्र-छात्रा की रुचि के अनुसार उसे अवसर उपलब्ध कराना है। श्री अग्रवाल ने कहा कि खेल अब सिर्फ मनोरंजन का साधन ही नहीं बल्कि बेहतरीन करियर भी हैं। खेल के क्षेत्र में रुचि रखने वाले छात्र-छात्राओं के सामने कई विकल्प होते हैं। वह अपनी पसंद अनुसार अपने विकल्प का चुनाव कर लगन और मेहनत से लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।
स्कूल हेड प्रिया मदान ने कहा कि खेलों से तन-मन दोनों स्वस्थ रहता है। जब हम स्वस्थ होंगे तभी अपने लक्ष्य को सहजता से हासिल कर पाएंगे लिहाजा प्रत्येक छात्र और छात्रा को अपने दैनिक जीवन में किसी न किसी खेल मं जरूर शिरकत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेलों से प्रतिस्पर्धा के साथ ही अनुशासन और नेतृत्व क्षमता भी बढ़ती है।
चित्र कैप्शनः ट्रॉफी तथा प्रशस्ति पत्र के साथ होनहार एंजलि और प्रांजलि।

चित्र परिचय-संस्कृति विवि में डा.भीम राव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ करते संस्कृति कैप्स के निदेशक डा. रजनीश त्यागी। साथ में डा. डीएस तोमर।

मथुरा। डॉ. भीम राव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर, संस्कृति विश्वविद्यालय के विधि एवं विधिक अध्ययन विद्यालय ने “हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान” विषयक एक विशेष कार्यशाला आयोजित की। कार्यशाला में वक्ताओं ने डॉ. अंबेडकर के दृष्टिकोण, भारतीय संविधान के निर्माण में उनकी भूमिका और उनके व्यापक बौद्धिक योगदान पर विचार व्यक्त किए।
कार्यशाला में संस्कृति विवि के विशेषज्ञ वक्ता डॉ. रजनीश त्यागी ने डॉ. भीम राव अंबेडकर के जीवन और विरासत के बारे में अपनी गहरी और सूक्ष्म जानकारी देकर विद्यार्थियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने बताया कि डा. अंबेडकर प्रतिकूल परिस्थितियों से निकलकर आधुनिक भारतीय इतिहास में सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों से एक थे। उन्होंने इस प्रभावशाली व्यक्तित्व की असाधारण यात्रा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि डा. अंबेडकर ने जिन सामाजिक चुनौतियों और प्रणालीगत भेदभाव का सामना कर न्याय और समानता के उच्च दृष्टिकोण को स्थापित किया । डॉ. त्यागी ने डॉ. अंबेडकर की शिक्षा के प्रति अथक खोज पर प्रकाश डाला और बताया कि उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स दोनों से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की, उनकी बौद्धिक प्रतिभा और दृढ़ संकल्प के बारे में भी विस्तार से प्रकाश डाला। व्याख्यान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार के रूप में डॉ. अंबेडकर की ऐतिहासिक भूमिका को समर्पित था। डॉ. त्यागी ने संविधान में निहित मूल्यों- स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय- के बारे में विस्तार से बताया और बताया कि कैसे डॉ. अंबेडकर ने उन्हें नए स्वतंत्र भारत के ढांचे में सावधानीपूर्वक पिरोया। उन्होंने मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की और बताया कि कैसे डॉ. अंबेडकर की दूरदर्शिता और कानूनी कौशल की स्पष्टता ने एक मजबूत और समावेशी संवैधानिक लोकतंत्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, डॉ. त्यागी ने एक अर्थशास्त्री के रूप में डॉ. अंबेडकर के योगदान पर प्रकाश डाला, जो अक्सर उनके राजनीतिक और कानूनी कार्यों से प्रभावित होते हैं। उन्होंने सार्वजनिक वित्त, मौद्रिक नीति और भारतीय रुपये की समस्या जैसे विषयों पर डॉ. अंबेडकर के अग्रणी शोध के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि कैसे डॉ. अंबेडकर का आर्थिक विचार आज भी प्रासंगिक हैं, खासकर सामाजिक न्याय, गरीबी उन्मूलन और समावेशी विकास के संदर्भ में।
कार्यशाला के प्रारंभ में स्टूडेंट वेलफेयर विभाग के डीन डॉ. धर्मेंद्र सिंह तोमर ने डॉ. बी.आर. अंबेडकर के जीवन से जुड़े कई किस्से साझा किए। उनकी टिप्पणियाँ जानकारीपूर्ण और प्रेरक दोनों थीं, जिन्होंने छात्रों पर एक गहरी छाप छोड़ी और उन्हें डॉ. अंबेडकर की स्थायी विरासत पर विचार करने के लिए प्रेरित किया। कार्यशाला के दौरान विद्यार्थियों ने अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए डा. रजनीश से अनेक सवाल किए, जिनके उत्तर देकर डा. रजनीश ने उनको संतुष्ट किया। कार्यशाला के समन्वयक संकेत वाजपेयी, सह समन्वयक लव गोस्वामी और छात्र संकाय के सदस्यों ने वक्ताओं को सम्मानित करते हुए उनका आभार व्यक्त किया। अंत में डा. कमल सिंह धाकड़ के द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।