Sunday, September 7, 2025
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ऐसी आजादी से तो गुलामी अच्छी

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विजय गुप्ता की कलम से

 मथुरा। एक कहावत है कि "ऐसा सोना किस काम का जिससे कान फटें" ठीक यही स्थिति हमारे देश को मिली आजादी की है, यानी ऐसी आजादी किस काम की जो गुलामी से भी ज्यादा बुरी हो।अगर तुलना की जाए तो अंग्रेजों के जमाने से कहीं ज्यादा अन्याय और अत्याचार अब हो रहे हैं। इससे तो अच्छा यह रहता कि हम गुलाम बने रहते। हो सकता है मेरी बात कुछ लोगों को बुरी लगे किंतु यह अकाट्य सत्य है। हमारे देश की जनता उस समय इतनी दुःखी नहीं थी जितनी अब है।
 अब देख लो कि आजाद भारत में सभी आजाद हैं। नेता घोटाला करने के लिए आजाद, प्रशासन योजना बनाकर गवन करने के लिए आजाद, हर तबके के छोटे बड़े सभी अपराधी अपराध करने के लिए आजाद, सरकारी कार्यालय का बाबू पीड़ित को धमकाकर वसूली करने के लिए आजाद, व्यापारी मिलावटी सामान बेचने और मनमाने पैसे वसूलने के लिए आजाद, पुलिस की तो पूंछो ही मत वह तो इनकी अम्मा है।
 अब मैं अपनी बिरादरी की तरफ रुख करता हूं यानी पत्रकारों को तो ब्लैकमेलिंग करने की पूरी आजादी मिली हुई है। ये तो चाकू और तमंचे की जगह कलम का इस्तेमाल करते हैं। डॉक्टर सेवक के बजाय कसाई बनने के लिए आजाद। न्याय व्यवस्था को छोड़ना तो इस लेख के साथ ना इंसाफी होगी। न्याय व्यवस्था का जीता जागता नमूना महामहिम जस्टिस वर्मा हैं। जो मूंछ न होते हुए भी मूंछों पर ताव देते हुए ठाट वाट से रह रहे हैं और बाल बांका तक नहीं हो पाया। बल्कि शौहरत की ऊंचाइयां इतनी ऊंची उड़ गए कि अंतरिक्ष की ऊंचाई भी शर्माने लगी।
 यह सब लिखने का मेरा मतलब यह नहीं कि हर वर्ग में सभी लोग गलत हैं। ऐसे भी हैं जो अपनी ईमानदारी और नैतिकता की कसौटी पर खरे हैं। देखा जाए तो आज पृथ्वी ऐसे लोगों पर ही टिकी हुई है। मतलब की बात यह है कि आज हमारा देश भ्रष्टाचार की भेंट इस कदर चढ़ चुका है कि हाल फिलहाल में कुछ सुधार होता दिखाई नहीं देता।
 अब मैं घूम फिर कर फिर अपनी पुरानी बात पर आता हूं कि "हाकिमी गर्मी की और दुकानदारी नरमी की" यदि हाकिमी करनी है तो बगैर गर्मी के काम नहीं चलेगा। यानी "लातों के भूत बातों से नहीं मानते। जब तक हमारे देश से कोढ़तंत्र और रिजर्व तंत्र जैसी महामारी का सफाया नहीं होगा तब तक यह सब कुछ चलता ही रहेगा। यह दोनों महामारी कोरोना से भी अधिक खतरनाक व कष्टदाई हैं। जब तक इनकी वैक्सीन नहीं बनेगी तब तक देश का उद्धार संभव नहीं।
 वैक्सीन कौन बनाएगा? और कब तक बनेगी? यह कहना तो संभव नहीं पर इतना जरूर है जब तक हमारे देश में कोई हिटलर पैदा नहीं होगा तब तक तो यह सब चलता ही रहेगा और देश दिन दूनीं और रात चौगुनीं गति से रसातल की ओर जाता रहेगा। भले ही हम तुम्मन खां बनकर अपनी पीठ खूब ठोकलें और चिल्ला चिल्ला कर कहते रहें कि भारत विश्व की बहुत बड़ी ताकत बन गया है। सच बात तो यह है कि यह कोढ़तंत्र और आरक्षण तंत्र देश को गर्त में लिए जा रहे हैं। यदि यही स्थिति रही तो शायद मुगलों और अंग्रेजों के बाद अब चीन की बारी न आ जाए।

परमेश्वरी देवी धानुका के छात्रों ने देखी विधानसभा की सीधी कार्यवाही

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-विधानसभा का भ्रमण करने लखनऊ गए परमेश्वरी देवी धानुका के छात्र

वृंदावन। परमेश्वरी देवी धानुका सरस्वती विद्या मंदिर के छात्र लखनऊ में विधानसभा भवन के शैक्षिक भ्रमण हेतु पहुंचे। यहां उन्होंने विधानसभा की कार्यवाही का अवलोकन किया। सदन की कार्यवाही देखने के बाद छात्रों के मन में उपजे अनेक सवालों का प्रभारी मंत्री संदीप सिंह ने समाधान किया।
इस शैक्षिक भ्रमण से छात्र पक्ष और विपक्ष के द्वारा सदन में की जाने वाली चर्चा और विभिन्न मुद्दों पर विधायकों और मंत्रियों द्वारा रखी गई बात को समझ सके।
कार्यवाही खत्म होने के बाद छात्र अपने मन में कई सवाल लेकर आये जिनका मथुरा के प्रभारी मंत्री संदीप सिंह ने समाधान किया। मंत्री संदीप सिंह ने बच्चों की जिज्ञासाओं को शांत करते हुए उन्हें बताया कि सरकार प्रत्येक नागरिक की सोच, सवाल और सपनों को गंभीरता से न केवल सुनती है बल्कि उस पर काम काम भी किया जाता है।
छात्रों द्वारा परिषदीय विद्यालयों के पाठ्यक्रम एवं स्कूलों को समाहित करने को लेकर प्रश्न किये जाने पर मंत्री ने स्पष्ट किया कि पाठ्यक्रम तैयार करने का कार्य भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय का है, जहां विशेषज्ञ इस पर काम करते हैं। जर्जर स्कूल भवन और उनको समेकित करने के संदर्भ में बताया गया कि किसी भी स्कूल को बंद नहीं किया गया है। जर्जर भवनों को तोड़कर नए स्कूल बनाने की प्रक्रिया चल रही है।
इसी प्रकार एक छात्र द्वारा मुगल इतिहासकारों द्वारा लिखित इतिहास पढ़ने के साथ ही जिले के इतिहास को संयोजित करते हुए स्थानीय महान व्यक्तित्वों की जानकारी पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग रखी गई। इस पर मंत्री महोदय ने स्पष्ट किया कि सरकार जिलेवार इतिहास और व्यक्तित्व पर आधारित एक किताब तैयार कर रही है। इसे जल्द ही कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को पढ़ाया जाएगा। भविष्य में इसे पाठ्यक्रम में भी जोड़े जाने की योजना है।
यह संक्षिप्त शैक्षिक भ्रमण विद्यालय के मानविकी विभाग द्वारा प्रधानाचार्य विपिन कुमार शर्मा के निर्देश पर संयोजित किया गया। जिसमें मानविकी विभाग के आचार्य अभिषेक पांडे, कैलाश शर्मा, अमित चौधरी, अवधेश कुमार, राजेश चौधरी आदि मौजूद रहे।

जीएलए में लिंक्डइन की अकाउंट डायरेक्टर ने छात्रों को बताया करियर ग्रोथ का शॉर्टकट

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जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा में विद्यार्थियों के लिए लिंक्डइन की अकाउंट डायरेक्टर ख्याति खत्तर का विशेष सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र के दौरान ख्याति खत्तर ने डिजिटल उपस्थिति के महत्व और प्रोफेशनल नेटवर्क जल्दी शुरू करने की जरूरत पर जोर दिया।

उन्होंने बताया कि लिंक्डइन सिर्फ नौकरी खोजने का मंच नहीं है, बल्कि इसका इस्तेमाल मेंटरशिप, स्किल अपग्रेडेशन और लॉन्ग टर्म करियर ग्रोथ के लिए भी किया जा सकता है। सत्र में विद्यार्थियों को बताया गया कि वह कैसे जान सकते हैं कि वर्तमान वर्ष में भारत या किसी भी स्थान पर कौन-कौन से स्किल्स सबसे अधिक डिमांड में हैं।

ख्याति खत्तर ने लिंक्डइन प्रोफाइल पर सिफारिश और समर्थन प्राप्त करने की महत्वता समझाई, ताकि एचआर यह सुनिश्चित कर सकें कि प्रोफाइल फेक नहीं है। ख्याति ने सलाह दी कि विद्यार्थी प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट लिंक्डइन पर बिताएं और प्रोफाइल फोटो, लोकेशन, एजुकेशन और ‘अबाउट’ जैसे प्राइम एरिया को अपडेट रखें, जिससे उनकी प्रोफेशनल पहचान मजबूत हो सके।

उन्होंने विद्यार्थियों से पूछा कि कितनों के पास लिंक्डइन प्रोफाइल है। लगभग सभी छात्रों ने हाथ उठाए, लेकिन जब रोजाना उपयोग करने वालों की संख्या पूछी गई तो यह मात्र 5 प्रतिशत निकली, जबकि इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर रोजाना 80 प्रतिशत से अधिक छात्र सक्रिय रहते हैं। इस अंतर को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि जहां सोशल मीडिया पर समय बिताना केवल मनोरंजन तक सीमित है, वहीं प्रोफेशनल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहना करियर के अवसरों के द्वार खोलता है।

लिंक्डइन के वैश्विक आंकड़े साझा करते हुए बताया कि इस पर 1 अरब से अधिक पेशेवर पंजीकृत हैं, जिनमें से 15 करोड़ से अधिक भारतीय हैं और यह संख्या हर वर्ष 15-20 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। भारत इस प्लेटफॉर्म का सबसे तेज़ी से बढ़ता बाज़ार है। लिंक्डइन पर 6.7 करोड़ से अधिक कंपनियां पंजीकृत हैं और यहां 41,000 से अधिक स्किलसेट उपलब्ध हैं, लेकिन आम तौर पर लोग अपनी प्रोफाइल में 4-5 स्किल्स ही डालते हैं। छात्रों को सलाह दी गई कि वे अपनी प्रोफाइल में अधिकतम 50 स्किल्स अपडेट करें, जिससे उनकी खोज में आने की संभावना कई गुना बढ़ जाए, क्योंकि लिंक्डइन पूरी तरह कीवर्ड आधारित प्लेटफॉर्म है और सही कीवर्ड आपकी प्रोफाइल की विज़िबिलिटी बढ़ाते हैं।

मेंटॉरशिप के महत्व को समझाते हुए छात्रों से एक परिदृश्य साझा किया। जानकारी देते बताया कि यदि कोई इंजीनियरिंग छात्र कला या डिज़ाइन के क्षेत्र में जाना चाहता है, तो वह लिंक्डइन के माध्यम से आसानी से उस क्षेत्र के विशेषज्ञों और मेंटॉर्स तक पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि प्लेटफॉर्म पर मेंटॉरशिप, इंडस्ट्री ज्ञान, नौकरी और इंटर्नशिप के अवसर एक ही जगह मिल सकते हैं, लेकिन इसके लिए सक्रिय रहना अनिवार्य है।

ख्याति ने प्रोफेशनल ब्रांडिंग की तुलना नाइकी और एडिडास जैसे ब्रांड्स से की, यह समझाते हुए कि भले ही दोनों के उत्पादों की गुणवत्ता और कीमत समान हो, लेकिन उनकी ब्रांड वैल्यू उन्हें अलग पहचान देती है। उसी तरह छात्रों को भी अपनी पेशेवर पहचान और ब्रांड बनाना होगा, ताकि वे प्रतिस्पर्धा में सबसे अलग नज़र आएं। उन्होंने यह भी कहा कि आज के समय में इंटरव्यू के लिए आपके रिज्यूमे के साथ लिंक्डइन प्रोफाइल लिंक देना आवश्यक हो गया है, क्योंकि रिक्रूटर्स आपके बारे में अधिक जानने के लिए डिजिटल प्रोफाइल देखते हैं और इंटरव्यू में आपके पास खुद को साबित करने के लिए बहुत कम समय होता है।

सत्र में छात्रा नंदिनी मित्तल की पूरी तरह अपडेटेड प्रोफाइल की सराहना की गई और उन्हें उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया। उन्होंने ने छात्रों को गृहकार्य दिया कि वे अपनी प्रोफाइल को 50 स्किल्स, प्रोजेक्ट्स, उपलब्धियों और इंडस्ट्री से जुड़े कीवर्ड्स के साथ पूर्ण रूप से अपडेट करें, ताकि वह किसी भी रिक्रूटर को प्रभावित कर सके।

ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट विभाग की जनरल मैनेजर कॉरपोरेट रिलेशन नीतू शर्मा ने कहा कि छात्रों का सेशन बहुत ही बेहद सकारात्मक रहा है। कॅरियर को संवारने और आगे बढ़ने का सही मार्ग इस सेशन के माध्यम से विद्यार्थियों को मिला है। उन्होंने सभी छात्रों से रोजाना कुछ समय लिंक्डइन पर बिताने और अपनी प्रोफाइल को लगातार अपडेट करने का संकल्प लेने का आह्वान किया, ताकि वे भविष्य की प्रतियोगिता में आगे रह सकें और अपने प्रोफेशनल ब्रांड को मजबूत बना सकें।

आगरा छावनी-कोसीकलां के मध्य बिना टिकट यात्रियों के विरुद्ध चलाया गया विशेष टिकट जांच अभियान।

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मंडल रेल प्रबंधक आगरा गगन गोयल के निर्देशानुसार व वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक हृषिकेश मौर्य के निर्देशन में आगरा छावनी- कोसीकलां के मध्य बिना टिकट/अनियमित यात्रा/बिना बुक सामान ले जाने वाले यात्रियों के विरुद्ध चलाया गया विशेष टिकट जांच अभियान, जांच अभियान में 3 ट्रेनों में 32 बिना टिकट यात्रियों से 23020 रु, अनियमित यात्रा करने वाले 82 यात्रियों से 35165 रु, बिना बुक सामान ले जा रहे 01 यात्री से 800 रु एवम गंदगी और धूम्रपान के 05 यात्रियों से 700 रु सहित कुल 120 यात्रियों से 59685 रु का जुर्माना वसूला गया ।
इस अभियान में मंडल वाणिज्य प्रबंधक आगरा बीरेंद्र सिंह चौहान के साथ मंडल वाणिज्य निरीक्षक आरoकेo सिंह एवं अक्षय कुखरनिया के अलावा गुलज़ार मोहम्मद सीटीआई सहित अन्य टिकट जांच कर्मचारी मौजूद रहे

मथुरा में मेडिकल लापरवाही का गंभीर मामला, मौर्या ट्रामा सेंटर के डॉक्टर ने अपेंडिक्स बर्स्ट पर नहीं दिया ध्यान, बताई 5MM की पथरी

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परिजन बोले गलत इलाज से 20 वर्षीय युवक की जान पर खतरा

मथुरा : मथुरा-दिल्ली रोड नवादा स्थित मौर्या ट्रॉमा सेंटर में एक गंभीर मेडिकल लापरवाही का मामला सामने आया है। आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टर ने गलत जांच और उपचार में देरी कर 20 वर्षीय युवक की जान को खतरे में डाल दिया।

बलदेव क्षेत्र के गांव अमीरपुर निवासी योगेश ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) मथुरा को भेजी शिकायत में बताया कि उनका 20 वर्षीय भतीजा कुलदीप 9 अगस्त 2025 की सुबह करीब 6:30 बजे तेज पेट दर्द की शिकायत पर मौर्या ट्रॉमा सेंटर लाया गया। अस्पताल स्टाफ ने आकस्मिक शुल्क के नाम पर ₹1000 तत्काल जमा करवाए, लेकिन एक घंटे से अधिक इंतजार कराने के बाद इलाज शुरू हुआ।

करीब दो घंटे तक कोई राहत न मिलने पर डॉ. मौर्या ने अल्ट्रासाउंड किया, जिसमें 5 एमएम का किडनी स्टोन बताया गया। शाम 4 बजे तक मरीज की हालत में सुधार न होने पर परिजनों ने छुट्टी करानी चाही, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने पूरे दिन का बेड चार्ज और डॉक्टर विजिट शुल्क मिलाकर लगभग ₹7,000 लिए, वह भी बिना किसी बिल के।

11 अगस्त को दूसरे अस्पताल में कराए गए अल्ट्रासाउंड में अपेंडिक्स फटने (Appendix Burst) की पुष्टि हुई, जबकि किसी भी किडनी में स्टोन नहीं पाया गया। परिजनों का आरोप है कि गलत रिपोर्ट और पेनकिलर देकर असली बीमारी को नजरअंदाज किया गया, जिससे मरीज की जान पर गंभीर संकट उत्पन्न हो गया।

इस मामले पर दैनिक उजाला लाइव ने मौर्या ट्रॉमा सेंटर के रिसेप्शन नंबर पर तीन बार कॉल किया, लेकिन कॉल अटेंड नहीं की गई। बाद में PNT नंबर पर संपर्क करने पर संबंधित व्यक्ति ने डॉक्टर का मोबाइल नंबर देने से इनकार कर दिया और डॉक्टर से बात भी नहीं कराई।

पीड़ित परिवार ने इस लापरवाही के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है और मामले से जुड़े दोनों रिपोर्ट CMO को प्रमाण स्वरूप सौंपे हैं।

परिजन योगेश का कहना है कि CMO की तरफ से अगर कोई कार्यवाही हॉस्पिटल तथा डॉक्टर के खिलाफ नहीं होती है तो, हम शासन स्तर तक चुप नहीं बैठेंगे। आज हमारे साथ यह घोर लापरवाही बरती गई है। ऐसा अन्य मरीजों के साथ भी होता होगा।

समर इंटर्नशिप के लिए चयनित हुए राजीव एकेडमी के 17 एमबीए विद्यार्थीइंटर्नशिप अवसरों और करियर के क्षेत्र में राजीव एकेडमी का शानदार रिकॉर्ड

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मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट, मथुरा के 17 एमबीए विद्यार्थियों का प्रतिष्ठित बिजनेस कंसल्टिंग एण्ड सर्विसेज कम्पनी इंस्प्लोर कंसल्टेंट में तीन महीने की इंटर्नशिप के लिए चयन हुआ है। इस अवधि में चयनित छात्र-छात्राएं जहां व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करेंगे वहीं उन्हें कम्पनी द्वारा प्रतिमाह रुपये 15 हजार प्रदर्शन आधारित स्टाइपेंड भी प्रदान किया जाएगा।
संस्थान के ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट प्रमुख डॉ. विकास जैन ने बताया कि इंस्प्लोर कंसल्टेंट नई दिल्ली स्थित एक अग्रणी टैलेंट एक्विज़िशन पार्टनर कम्पनी है, जो बहुराष्ट्रीय कम्पनियों और प्रमुख भारतीय व्यवसायों के लिए भर्ती और टैलेंट एक्विज़िशन सेवाएं प्रदान करती है। यह कम्पनी प्रतिभाशाली युवाओं को उद्योग जगत में अवसर उपलब्ध कराने के लिए जानी जाती है। उन्होंने बताया कि चयनित विद्यार्थियों में अंकित शर्मा, आरती, भावना मिश्रा, दीपेन्द्र, हेमंत सैनी, कैलाश शर्मा, मुरली चौधरी, पंकज कुमार, रजनी गोस्वामी, ऋद्धि शर्मा, रितिक अधोरिजा बघारी, सृष्टि अवस्थी, सुभाष चौधरी, सुनीता, सुनील कुमार, सुष्मिता वार्ष्णेय और वीनू कुन्तल शामिल हैं।
डॉ. विकास जैन ने कहा कि राजीव एकेडमी का लक्ष्य हमेशा से अपने विद्यार्थियों को न केवल अकादमिक ज्ञान बल्कि वास्तविक उद्योग अनुभव से भी जोड़ना रहा है। इंस्प्लोर कंसल्टेंट कम्पनी में 17 छात्र-छात्राओं का इंटर्नशिप के लिए चयन हमारी इसी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। डॉ. जैन ने बताया कि इस तरह की समर इंटर्नशिप विद्यार्थियों को कॉर्पोरेट वर्ल्ड में व्यावहारिक अनुभव प्रदान करती है, जिससे वे भविष्य की चुनौतियों के लिए अच्छे से तैयार हो पाते हैं। चयनित विद्यार्थियों ने इस उपलब्धि का श्रेय संस्थान द्वारा प्रदान की गई पेशेवर ट्रेनिंग, इंटरव्यू की तैयारी तथा प्रभावी मार्गदर्शन को दिया। छात्र-छात्राओं ने कहा कि राजीव एकेडमी ने उन्हें उद्योग की अपेक्षाओं को समझने और अपने कौशल को विकसित करने का अवसर दिया, जिससे वे आत्मविश्वास के साथ चयन प्रक्रिया में सफल हो सके।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने सभी चयनित विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने कहा कि इंस्प्लोर कंसल्टेंट में इतने बड़े स्तर पर हुआ यह चयन राजीव एकेडमी की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रभावी प्लेसमेंट प्रयासों का परिणाम है। हमें विश्वास है कि ये विद्यार्थी इस इंटर्नशिप से बहुमूल्य अनुभव प्राप्त करेंगे और भविष्य में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगे। डॉ. भदौरिया ने कहा कि राजीव एकेडमी का निरंतर इंटर्नशिप और प्लेसमेंट रिकॉर्ड दर्शाता है कि संस्थान न केवल शिक्षा में बल्कि करियर निर्माण और उद्योग से जुड़ाव में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
चित्र कैप्शनः बिजनेस कंसल्टिंग एण्ड सर्विसेज कम्पनी इंस्प्लोर कंसल्टेंट में इंटर्नशिप के लिए चयनित राजीव एकेडमी के छात्र-छात्राएं

चित्र परिचयः संस्कृति विवि के छठे दीक्षांत समारोह में आयोजित सनातन संवाद में मंच पर मौजूद देश के विख्यात संत और विद्वजन।

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संस्कृति विवि के दीक्षांत समारोह में सनातन पर खुलकर बोले संत

सनातन संवाद
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में हुए विराट सनातन संवाद में देश के ख्यातिप्राप्त संतों और विद्वानों ने भारतीय प्राचीन दार्शनिक और धार्मिक परंपरा के मूल सिद्धांतों, प्रासंगिकता और समकालीन अनुप्रयोगों पर विस्तार से चर्चा की। इस आयोजन का उद्देश्य सनातन धर्म की शिक्षाओं और आज की दुनिया में उनके महत्व की गहरी समक्ष को बढ़ावा देना था। विद्यार्थियों और आगंतुक श्रोताओं के लिए एक ही मंच पर इतने सारे आध्यत्मिक गुरुओं का साक्षात्कार और उनकी ज्ञान धारा को सुनने का यह एक यादगार अवसर बन गया।
सनातन संवाद में मौजूद फिल्म अभिनेता, कवि और लेखक डा. आशुतोष राणा ने अपने अभिनेता से आध्यात्मिकता के सफर का उल्लेख करते हुए बताया कि यह गुरु कृपा से ही संभव हुआ है। 16 साल की उम्र में जब पहली बार अपने गुरु से मिले और पढ़ाई पूरी होने के बाद अपने जुनून को ही अपना पेशा बनाने की ठान ली। आध्यात्म हर व्यक्ति के मूल में होता है। सर्वसमर्थ गुरु की कृपा दृष्टि का ही सब महत्त्व है। भारत में सनातन धर्म ने हर क्षेत्र में दिशा दिखाई, क्या आप मानते हैं इसमें समय के साथ बदलाव आया है के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीति धर्म सम्मत होनी चाहिए, अगर आप धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म आपकी रक्षा करेगा। रावण की नकारात्मकता पे उनसे पूछा गया तो राणा ने बोला की उनकी बुराई पे ध्यान ना देकर हमें उनके ज्ञान पर ध्यान देना चाहिए। राष्ट्रवाद पर युवा विवाद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि किसी भी विवाद को संवाद से ही हल किया जा सकता है।
बापू चिन्मयानंद महाराज ने अपना संवाद भजन के माध्यम से शुरू किया और सनातन को मिटाने के प्रयास के सवाल पर बोले ऐसा करने वाले ख़ुद को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं। परमात्मा एक ही है और वही सर्वविराजमान है। ब्रज से यह सीखना चाहिए कि प्रकृति की रक्षा कैसे करना चाहिए। सुधांशु जी महाराज ने कहा कि एआई सनातन को नष्ट करने की बहुत कोशिश की है। सनातन की जड़ों को नष्ट करके हम संस्कृति को नहीं जान सकते। हमें अपने गुरुओं और अभिभावकों की मदद से सनातन को जानने की कोशिश करनी चाहिए। मिटने वाले मिट जायेंगे पर सनातन ज़िंदा रहेगा। सनातन था, है और हमेशा रहेगा।
कौशिक जी महाराज ने बताया कि गौ माता ही सनातन की जड़ है। हमें गौ सेवा करनी चाहिए। जन्माष्टमी में मटकी में माखन तब होगा जब गाय होंगी। जितना बड़ा मंदिर है उतनी ही बड़ी उनकी गौशाला भी होनी चाहिए। आशुतोष राणा से पूछे गए प्रश्न की उन्होंने प्रशंसा की। ऐसे रास्ते पे चलें जिससे पीछे आने वाले लोग भी हमसे प्रभावित होके हमारे रास्ते पर चलें। सनातन अनादि, और अनंत हैं।
जगद्गुरु सतीश आचार्यजी महाराज ने वैष्णव परंपरा और शंकराचार्य के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि जगद्गुरु तथा शंकराचार्य दोनों परस्पर परंपरा है। शंकराचार्य को शंकर के नाम से जाना जाता है। जगद्गुरु श्रीकृष्ण को मानते हैं। युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि चुनौती जीवन के प्रत्येक पद पर है। जन्माष्टमी पर जन्मभूमि का मसला बनेगा, इस विषय पर उन्होंने कहा की विवाद जैसा कोई मसला नहीं है, उस पर इस देश की दुर्भाग्यता है कि हमें अच्छी सरकारें तथा क़ानून नहीं मिले। उन्होंने गुरु मंत्र देते हुए युवाओं को प्रेरित करते हुए बोला कि हारिये ना हिम्मत, दिशा देंगे राम। जगद्गुरु हिमांगी सखी जो कि पहली किन्नर जगद्गुरु है और पांच भाषाओं में सनातन धर्म का प्रचार करती हैं। उन्होंने कहा कि जब हमारी संस्कृति को बचाने की बात आती है तो किसी ना किसी को तो आगे आना ही पड़ता है। आजकल किन्नर समाज के प्रति बहुत जागरूकता देखी गई है। युवा पीढ़ी को सनातन का ज्ञान भी अवश्य होना चाहिए।
अनन्तश्री स्वामी अमृतानंद देव तीर्थ जी ने ग्रह नक्षत्रों के बारे में बताते हुए कहा कि 27 नक्षत्र होते हैं और हर मनुष्य के अलग-अलग नक्षत्र होते हैं । प्रकृति का संरक्षण करना है तो वो नक्षत्र वृक्षों तक हो सकता है। इन्होंने कहा कि अग्नि का धर्म है जलाना, वायु का धर्म है स्पर्शन, उसी प्रकार मनुष्य का भी धर्म है तथा मनुष्य का धर्म के साथ वही संबंध है जो एक वृक्ष का धरा के साथ होता है। वृक्ष धरती से उखड़ते ही नष्ट हो जाता है वैसे ही मनुष्य धर्म से विमुख होकर विनाश के रास्ते पे चल पड़ता है।
आचार्य मनीष ने आयुर्वेद का महत्व बताते हुए कहा कि, जब एलोपैथी में साइड इफेक्ट्स आते हैं तो ही लोग आयुर्वेद में उपचार कराते हैं। स्वास्थात्स्य स्वास्थ रक्षणम् , स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ की रक्षा करना ही आयुर्वेद वैद्य का धर्म है। उन्होंने ऋतुचर्या और दिनचर्या का हमारे शरीर के लिए क्या लाभ हैं, उन्होंने ये सभी बातों पे प्रकाश डाला। विज़न ग्रुप के चेयरमैन मुकेश गुप्ता जी ने मनीष आचार्य का सम्मान किया। विज़न फाउंडेशन के चेयरमैन मुकेश गुप्ता ने कहा कि बचपन से हम सब लोग बस लेते आए हैं, मुझे लगा कि हमें समाज को कुछ ना कुछ देना चाहिए। इसीलिए मैंने एक दिव्यांग जनों की सेवा का जिम्मा उठाने का फैसला किया। सरकार को दिव्यांगों की उचित जानकारी नहीं है। इस वजह से सेवाओं में कमी रह रही है। संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता जी से विश्वविद्यालय के नाम के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि हमारी पहचान हमारे देश और हमारे संस्कारों से होती है इसीलिए हमारे विश्वविद्यालय का नाम संस्कृति विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय की विशेषताओं का व्याख्यान करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय विभिन्न संस्कृतियों की एक मिसाल है जिसका उदहारण यह है कि हमारे विश्वविद्यालय में 10000 से ज़्यादा विद्यार्थी अध्यन्न करते हैं जो की 18 देशों और 22 राज्यों से आए हैं । विश्वविद्यालय का व्याख्यान करते हुए उन्होंने बताया कि संस्कृति में 25 स्टार्टअप्स इस समय पर हैं और 1 इनक्यूबेशन सेंटर है जिसकी सहायता से विश्वविद्यालय को एक रिसर्च बेस्ड विश्वविद्यालय बनाने का अथक प्रयास कर रहे हैं।
संतों और विद्वजनों को प्रसिद्ध बरासिया एडवरटाइसिंग कंपनी के स्वामी आदित्य बरासिया, विजन ग्रुप के चेयरमैन मुकेश गुप्ता, संस्कृति विवि के प्रति कुलपति राजेश गुप्ता, भारत बरासिया, वनिशा गुप्ता, रेनू गुप्ता ने स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। भजन संध्या के साथ संपन्न हुआ सनातन संवाद। अंत में संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता के द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

चित्र परिचयः संस्कृति विवि के छठे दीक्षांत समारोह का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ करते संत और अन्य अतिथिगण।

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चित्र परिचयः आकाश इंस्टीट्यूट के संस्थापक डा. जेसी चौधरी को मानद् उपाधि प्रदान करते कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता।
चित्र परिचयः बालीवुड के प्रख्यात अभिनेता आशुतोष राणा को मानद् उपाधि प्रदान करते कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता।

संस्कृति विवि दीक्षांत समारोह में 2045 विद्यार्थियों को मिली डिग्री
शिक्षाविद् डा. जेसी चौधरी और फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा मानद् उपाधि से सम्मानित
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय का छठवां दीक्षांत समारोह संतों की उपस्थिति में भव्य और दिव्य वातावरण में संपन्न हुआ। विद्यार्थियों के अथक परिश्रम के परिणामस्वरूप प्राप्त फल के रूप में उनको पदक और उपाधियां प्रदान की गईं। मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और राष्ट्रीयगान की परंपरा को पूर्ण करते हुए दीक्षांत समारोह का शुभारंभ हुआ। समारोह के दौरान संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता द्वारा आकाश इंस्टीट्यूट के संस्थापक, ख्यातिप्राप्त शिक्षक, न्यूमरोलॉजिस्ट डा. जेसी चौधरी और बालीवुड के प्रसिद्ध कलाकार, कवि, लेखक और वक्ता आशुतोष राणा को मानद उपाधि से विभूषित किया। समारोह में लगभग 2045 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गईं। इसके साथ ही 20 विद्यार्थियों को पीएचडी की डिग्री से विभूषित किया गया।
दीक्षांत समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा ने अपने गुरुजनों को धन्यवाद देते हुए कहा कि तीन चीज़ों से एक इंसान को सदैव बच कर रहना चाहिए, आदि, व्याधि और उपाधि क्योंकि बाक़ी दोनों का इलाज हो सकता है पर उपाधि का घमंड अगर हो जाये तो उसका इलाज नहीं है। नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के पूर्व छात्र और हिंदी, तेलुगू और तमिल फ़िल्म में अपने अभिनय का डंका बजा चुके आशुतोष राणा ने कहा कि वे विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता के आभारी हैं जिन्होंने उन्हें इस उपाधि से नवाज़ा और वे ख़ुद को ख़ुशक़िस्मत मानते हैं की उन्हें यह उपाधि संस्कृति विश्वविद्यालय से मिली है।
मानद् उपाधि से सम्मानित प्रख्यात शिक्षाविद्, अनेक पुस्तकों के लेखक डा.जेसी चौधरी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज आपको मिली यह डिग्री आपकी शिक्षा का अंत नहीं है, यह सच है कि अभी तक आपने जो समय व्यतीत किया वो आपके जीवन का सबसे गोल्डन पीरियड था, असली जिंदगी तो अब शुरुआत है, यह दीक्षा का अंत नहीं है। अभी तो ज़िंदगी शुरू हुई है। ज़िंदगी में जो मिल जाये उससे कभी भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए और अपने लिए हमेशा बेहतर की तलाश करते रहना चाहिए। यदि परमात्मा आपको किसी मुसीबत में डाल रहे हैं तो वे चाहते हैं कि आप उससे जूझ कर कुछ सीखें और अपने भविष्य को उज्जवल बनायें। उन्होंने कहा कि मैं आज भी लगातार कुछ नया सीखने का प्रयास करता हूं, आपको यह प्रयास हमेशा करते रहना है।
संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि आपको जीवन में कभी हार नहीं माननी है। हमारे सामने कैसी भी चुनौती आए डटे रहना है, एक दिन सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी कर डिग्री हासिल करने वाले विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। विवि के कुलपति प्रो. एमबी चेट्टी ने विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट पढ़ते हुए कहा कि हमारे कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता भारत के सबसे कम उमर के कुलाधिपति हैं और उनका लक्ष्य विश्वविद्यालय को सबसे तेज गति से प्रगति करने वाली शिक्षा संस्था के रूप में आगे लेके जाने का है। विश्वविद्यालय में विश्व स्तर की शिक्षा, 25 स्टार्टअप्स और अमेरिका एवं यूके के शिक्षण संस्थानों के साथ महत्वपूर्ण एमओयू साइन हुए हैं। इसरो के यमुना नदी प्रोजेक्ट में भी संस्कृति विश्वविद्यालय मदद कर रहा है।
नैलनाक्ष एस व्यास (आईआईटी कानपुर) ने कहा कि यह दीक्षा का अंत नहीं है, यह तो शिक्षा की शुरुआत है। बस अब आपको ज़िंदगी सिखाएगी। शिक्षा प्रणाली और एआई के उपयोग के बारे में भी छात्रों को बताया। एआईयू के चेयरमैन विनय कुमार पाठक ने बताया कि अध्यापक, अभिभावक और छात्र तीनो छात्र की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। शिक्षा का कोई अंत नहीं होता और दीक्षा जीवन जीने का तरीका है। दीक्षा का प्रयोजन पुरातन है। सुदीप गोयंका(गोल्डी ग्रुप) ने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति(डॉ सचिन गुप्ता), प्रति कुलाधिपति राजेश गुप्ता एवं चेयरमैन विज़न ग्रुप के मुकेश गुप्ता को विश्वविद्यालय के ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश की उपाधि से सम्बोधित किया। विद्यार्थियों से उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का यह सफ़र आपकी ज़िंदगी का सबसे यादगार सफ़र होने वाला है। विश्वविद्यालय के 10000 विद्यार्थियों में से कोई भी कल का कुलपति हो सकता है।
भव्य और दिव्य वातावरण में संपन्न हुए संस्कृति विवि के छठे दीक्षांत समारोह की शुरुआत शैक्षणिक प्रोसेशन से हुई। आगे-आगे चल रहे एनसीसी कैडेट और गुरुकुल के विद्यार्थी इस प्रोसेशन को एक अलौकिक स्वरूप प्रदान कर रहे थे। सुबह से ही कार्यक्रम के लिए छात्रों में डिग्रियां पाने के लिए आतुरता नजर आ रही थी। छात्र कल्याण डीन डॉ धर्मेंद्र एस तोमर ने कार्यक्रम में सभी अध्यापकों, छात्रों एवं अभिभावकों का स्वागत किया।
कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने मंच पर आसीन आशुतोष राणा, अनन्तश्री विभूषित जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी सतीशाचार्यजी महाराज, महामंडलेश्वर हेमांगी सखी माँ, पूज्य चिन्मयानंद बापू जी, डॉ नलिनाक्ष एस व्यास आईआईटी कानपुर, शारदा सर्वज्ञ पीठाधीश्वर अनंतश्री स्वामी अमृतानंद देवतीर्थजी, आचार्य मनीष जी(हिम्स चंडीगढ़), डॉ जे सी चौधरी जी (आकाश इंस्टिट्यूट), सुदीप गोयंका (गोल्डी ग्रुप), प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ( चेयरमैन ए आई यू ), डॉ सचिन गुप्ता ( कुलाधिपति संस्कृति विश्वविद्यालय), राजेश गुप्ता प्रति कुलाधिपति संस्कृति विश्वविद्यालय), मुकेश गुप्ता( चेयरमैन विज़न ग्रुप), डॉ एम बी चेट्टी ( कुलपति संस्कृति विश्वविद्यालय), डॉ मीनाक्षी शर्मा ( सीईओ संस्कृति विश्वविद्यालय) का पटुका ओढ़ाकर एवं स्मृतिचिह्न देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन संस्कृति प्लेसमेंट सेल की अधिकारी ज्योति यादव एवं विकास कौशिक ने किया।
21 को मिली पीएचडी की डिग्री
कुलपति प्रो. एमबी चेट्टी ने 21 पीएचडी की उपाधि वाले छात्रों को मंच पर आमंत्रित किया और सभी अतिथियों ने मिलकर उनको उपाधि से नवाज़ा। उसके बाद मास्टर्स वाले 232 छात्रों, उनके बाद 1277 बैचलर्स और 515 डिप्लोमा वाले छात्रों को उनकी उपाधि प्रदान की गई और उन्हें शपथ दिलवायी गई। साथ ही अपने विषय में विशेष दक्षता हासिर करने वाले 45 विद्यार्थियों को गोल्ड, 44 को सिल्वर और 39 विद्यार्थियों को ब्रोंज मेडल देकर सम्मानित किया गया।

संसद भवन बेकार और ऊधमी सांसद तो और भी कंडम

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 मथुरा। नये संसद भवन के फोटो जब-जब में अखबार मैं देखता हूं तब तब मुझे बड़ी झुंझलाहट होती है। इसके अलावा जब मैं संसद के अंदर सांसदों की उद्दंडता वाली खबरें पढ़ता हूं तब तो मुझे इतनी जोर की गुस्सा आती है कि इनकी खोपड़ी से अपनी खोपड़ी बजा डालूं। अब बताता हूं कि संसद भवन बेकार क्यों है? नये संसद भवन को देखते ही ऐसा लगता है जैसे यह कोई ताबूत है।पुराना संसद भवन कितना सुंदर और कितना मजबूत था किंतु मात्र इसलिए उसे रिजेक्ट कर दिया कि यह तो अंग्रेजों का बनाया गया यानी गुलामी का प्रतीक है। चलो ठीक है गुलामी की निशानी मिटादी और देशभक्ति का सेहरा अपने सर बांध लिया।
 अब मैं एक छोटी सी मिसाल बताता हूं। हमारे घर के पास एक रेल का पुल है। जब अंग्रेजों ने उसे बनाया था तब उसकी मियाद 100 वर्ष रखी थी। अब उसे बने हुए 200 वर्ष होने जा रहे हैं किंतु अभी तक उसका बाल बांका तक नहीं हुआ है। उसे भी तोड़कर नया पुल बनाना चाहिए। इसके अलावा एक बात और बताऊं कि हमारे बचपन में इस रेल वाले पुल पर होकर यातायात यानी मोटर, कार, तांगा, रिक्शा आदि सभी निकलते थे, उन्हें बंद कर दिया गया तथा उनके लिए दूसरा नया पुल बनवा दिया गया। अब वह नया पुल बूढ़ा हो चुका है। कई वर्ष पूर्व उसे बंद करके तीसरा एक और नया पुल बनवा दिया। अब उसमें भी फुंसी फोड़े होने लगे हैं तथा कुछ वर्षों के बाद एक और चौथा नया पुल बनेगा। कहने का मतलब है कि हमारे देश में अंग्रेजों की बनाई हुई लाखों चीजें हैं उनकी गुणवत्ता को न देख सिर्फ यह देखना चाहिए कि यह तो गुलामी की निशानियां है और सभी को तोड़ डालना चाहिए।
 अब आता हूं सांसदों की ऊधम बाजी पर। संसद भवन की लोकसभा हो या राज्यसभा अथवा विधानसभायें ही क्यों न हों। इनमें जो कुछ अराजकता होती है वह कितनी शर्मनाक है? ऐसा लगता है कि यह जनप्रतिनिधियों का नहीं अपराधियों का अड्डा है। इनका सबसे अच्छा इलाज तो मेरी नजर में यह है कि पुराने समय की भांति संसदीय कार्यवाही का प्रसारण दूरदर्शन पर बंद कर देना चाहिए। पुराने समय में संसदीय कार्यवाही को सार्वजनिक नहीं किया जाता था। जिसको संसद की कार्यवाही देखनी हो पास बनवाकर दर्शक दीर्घा से देख सकता था।
 मेरा मतलब यह है कि यह हुल्लड़ बाजी सिर्फ अपना चौखटा चमकाने और अखबारों में नाम छपवाने के लिए ज्यादा होती है। यदि इनका प्रसारण बंद हो जाय तो हुल्लड़ बाजी पर बहुत कुछ विराम लग जाएगा। मैं बार-बार सोचता हूं कि संसद या विधानसभायें देश की जनता का भला करने के लिए होती हैं या अपना भला करने और अराजकता फैलाने के लिए? ऐसे उपद्रवी सदस्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के बजाय हो-हो हू-हू करते हैं। मैं यह नहीं कहता कि सभी सदस्य ऐसे होते हैं किंतु कुछ उद्दडी किस्म के लोग पूरे माहौल को बिगाड़ देते हैं।
 मुझे यह कहने में कोई हिझक या झिझक नहीं कि अनेक ऐसे लोग चुनकर संसद या विधानसभाओं में पहुंच जाते हैं, जिन्हें जेल में होना चाहिए। बल्कि कुछ तो फांसी के पात्र भी हैं। हमारे देश में चुनाव की प्रक्रिया और कानून को धता बताकर ये अपराधी नेता बनकर हम लोगों के ऊपर राज करते हैं। एक कहावत है कि दुकानदारी नरमी की और हाकिमी में गरमी की। यदि देश को देशद्रोहियों से बचाना है तो "लातों के भूत बातों से नहीं मानते" वाला फार्मूला ही अपनाना होगा। अब देखना है कि भगवान हमारे देश को उत्तर कोरिया या चीन जैसी हुकूमत कब देंगे? भले ही हम चीन को कोसते रहें किंतु पूरे विश्व में चीन का डंका इसीलिए बजता है क्योंकि वहां देशद्रोहियों को तुरंत गोली से उड़ा दिया जाता है और कोढ़तंत्र जैसी कोई चीज नहीं है।
 यह सब लिखते लिखते मुझे फिर याद आ गई आपातकाल की। चलो माना आपातकाल जुल्म ज्यादतियों का काल था। इसीलिए जनता ने इंदिरा गांधी को नकार कर चारों खाने चित्त कर दिया किंतु फिर दोबारा दो तिहाई से भी ज्यादा प्रचंड बहुमत से जिताकर क्यों सर आंखों पर बैठाया। है किसी के पास कोई जवाब?.......

राजीव एकेडमी में जेडब्ल्यूटी-बेस्ड ऑथेन्टिकेशन पर हुई तकनीकी वर्कशॉपटेक्निकल ट्रेनर ने एमसीए के छात्र-छात्राओं को दी तकनीकी जानकारी

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मथुरा। प्रमाणीकरण किसी भी वेब एप्लिकेशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है क्योंकि यह उपयोगकर्ता की पहचान सत्यापित करता है तथा संरक्षित संसाधनों तक पहुंच को नियंत्रित करता है। प्रमाणीकरण की दुनिया में “स्टेटलेस” का अर्थ एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें सर्वर अनुरोधों के बीच कोई सत्र स्थिति बनाए नहीं रखता। स्टेटलेस प्रमाणीकरण प्रणाली में प्रत्येक अनुरोध स्व-निहित होता है और इसमें उपयोगकर्ता या संस्था को प्रमाणित और अधिकृत करने के लिए सभी आवश्यक जानकारी शामिल होती हैं। यह बातें राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, मथुरा के एमसीए विभाग द्वारा जेडब्ल्यूटी-बेस्ड ऑथेन्टिकेशन (फुल स्टैक डेवलपर) विषय पर आयोजित विशेष तकनीकी कार्यशाला में स्किलयार्ड्स (एक अग्रणी प्रशिक्षण संस्था) के प्रमाणित टेक्निकल ट्रेनर ने छात्र-छात्राओं को बताईं।
वर्कशॉप में छात्र-छात्राओं को जेडब्ल्यूटी (जेसन वेब टोकन) की संरचना, निर्माण, सत्यापन और सुरक्षित उपयोग की जानकारी भी दी गई। ट्रेनर ने बताया कि जेडब्ल्यूटी तीन भागों—हेडर, पेलोड और सिग्नेचर से मिलकर बनता है और इसका उपयोग वेब एप्लिकेशन में दावे सुरक्षित रूप से व्यक्त करने के लिए किया जाता है। उन्होंने जेडब्ल्यूटी के स्टेटलेस ऑथेन्टिकेशन, स्केलेबिलिटी और सुरक्षा जैसे लाभों पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही ट्रेनर ने डेमो के माध्यम से जेडब्ल्यूटी जनरेशन, सिग्नेचर वैलिडेशन और एपीआई में इसके उपयोग की विधियां भी प्रदर्शित कीं। ट्रेनर ने छात्र-छात्राओं को जेडब्ल्यूटी के क्लाइंट-साइड स्टोरेज (लोकल स्टोरेज, कुकीज़ आदि), एपीआई रिक्वेस्ट्स में इसके इंटीग्रेशन और फ्रंटएंड-बैकएंड संचार के सुरक्षा मानकों के बारे में भी जागरूक किया।
संस्थान के ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट प्रमुख डॉ. विकास जैन ने बताया कि छात्र-छात्राओं के लिए यह कार्यशाला काफी उपयोगी रही। उन्होंने कहा कि आज के प्रतिस्पर्धात्मक तकनीकी युग में सिर्फ कोडिंग आना पर्याप्त नहीं है बल्कि सुरक्षा मानकों की समझ भी उतनी ही आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला ने छात्र-छात्राओं की न केवल तकनीकी जानकारी को समृद्ध किया बल्कि उन्हें एक इंडस्ट्री-रेडी प्रोफेशनल बनने की दिशा में भी प्रेरित किया।
आर.के. एजूकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल एवं संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने कार्यशाला की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार की तकनीकी गतिविधियां छात्र-छात्राओं को वर्तमान इंडस्ट्री की मांगों के अनुरूप विकसित करने में अहम भूमिका निभाती हैं। डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने अपने संदेश में कहा कि राजीव एकेडमी का उद्देश्य सिर्फ शिक्षा देना नहीं बल्कि छात्र-छात्राओं को समग्र रूप से तकनीकी और व्यावसायिक रूप से सशक्त बनाना है।
डॉ. भदौरिया ने कहा कि जेडब्ल्यूटी जैसी आधुनिक तकनीकों पर आधारित वर्कशॉप से छात्र-छात्राओं को वह ज्ञान और कौशल प्राप्त होता है जो उन्हें कॉर्पोरेट वर्ल्ड में प्रतिस्पर्धी बनाए रखता है। इस कार्यशाला में छात्र-छात्राओं को वेब सिक्योरिटी और यूज़र ऑथेन्टिकेशन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण ज्ञान से अवगत कराया गया। डॉ. भदौरिया ने कहा कि संस्था भविष्य में भी इस प्रकार के प्रैक्टिकल-ओरिएंटेड तकनीकी विषयों पर वर्कशॉप्स आयोजित करती रहेगी ताकि विद्यार्थी फ्यूचर-रेडी प्रोफेशनल्स के रूप में उभर सकें।