Wednesday, December 17, 2025
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संस्कृति विवि की टीम प्रदेश स्टार्टअप प्रतियोगिता की बनी विजेता

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चित्र परिचयः आईआईटी कानपुर में आयोजित स्टार्टअप प्रतियोगिता की विजेता संस्कृति विवि की टीम के सदस्य और स्टार्टअप आम्रिक्स के सीईओ वरुण कुमार, सीटीओ यश श्रीवास्तव पुरुस्कार हासिल करते हुए।


मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने एक बार फिर से प्रदेश स्तर पर अपनी प्रतिभा का झंडा लहराया है। दरअसल आईआईटी कानपुर में द इंडस एंटरप्रिन्योर(टीआईई) उप्र स्टार्टअप प्रतियोगिता 2025 का आयोजन हुआ था जिसमें संस्कृति विश्वविद्यालय के स्टार्टअप ऑम्रिक्स की टीम वैश्वविक पिच प्रतियोता के अंतर्गत आयोजित टीआई प्रतियोगिता 2025 में विजयश्री हासिल कर नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की।
यह प्रतियोगिता उत्तर प्रदेश भर के युवा नवप्रवर्तकों के अभूतपूर्व विचारों को प्रदर्शित करने के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में कार्य करती है। संस्कृति की टीम ऑम्रिक्स ने अपने अत्याधुनिक साइबर सुरक्षा नवाचार(स्टार्टअप), ऑम्रिक्स के एसडी-वान डीडीओएस(SD-WAN DDoS) डिफेंडर, से निर्णायक मंडल का ध्यान आकर्षित किया। यह एक एआई-संचालित और ब्लॉकचेन-समर्थित नेटवर्क सुरक्षा प्रणाली है जिसे आधुनिक उद्यमों को ऑनलाइन खतरों और वितरित सेवा निषेध (डीडीओएस) हमलों से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
वरुण कुमार (सीईओ), यश श्रीवास्तव (सीटीओ), राजन शर्मा (सीएफओ) और सूरज (उत्पाद प्रबंधक) के नेतृत्व में, टीम ने एक मज़बूत व्यावसायिक और तकनीकी मॉडल प्रस्तुत किया, जिसमें वास्तविक समय में खतरे का पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सुरक्षित घटना लॉगिंग के लिए ब्लॉकचेन का संयोजन किया गया है। यह प्रणाली छोटे और मध्यम उद्यमों, फिनटेक फर्मों और दूरसंचार नेटवर्क के लिए किफायती, प्लग-एंड-प्ले सुरक्षा प्रदान करती है—जिससे एंटरप्राइज़-स्तरीय साइबर सुरक्षा सभी के लिए सुलभ हो जाती है।
ऑम्रीक्स के सीटीओ यश श्रीवास्तव ने कहा, “टीआईई यूनिवर्सिटी प्लेटफ़ॉर्म के तहत आईआईटी कानपुर में जीत हासिल करना हमारे और संस्कृति यूनिवर्सिटी के लिए गर्व की बात है।” “हमारा लक्ष्य साइबर सुरक्षा को स्मार्ट, स्केलेबल और स्व-शिक्षण बनाकर इसे नए सिरे से परिभाषित करना है। टीआईई-यू ने हमें न केवल मान्यता दी है, बल्कि इस नवाचार को देश भर में फैलाने के लिए मार्गदर्शन और आत्मविश्वास भी दिया है।”
ऑम्रीक्स के सीईओ वरुण कुमार ने कहा कि यह जीत टीम वर्क और नवाचार की शक्ति को दर्शाती है। ऑम्रीक्स व्यावहारिक अनुसंधान के प्रति संस्कृति यूनिवर्सिटी की प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है, और हमें यह मान्यता प्राप्त करने पर गर्व है। टीआईई उत्तर प्रदेश के निर्णायकों और सलाहकारों ने तकनीकी उत्कृष्टता, बाज़ार की समझ और मापनीयता क्षमता के लिए टीम की सराहना की और ऑम्रिक्स को शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र में उभर रहे सबसे आशाजनक अगली पीढ़ी के साइबर सुरक्षा स्टार्टअप्स में से एक माना।
यह आयोजन टीआईई उत्तर प्रदेश, टीआईई यूनिवर्सिटी ग्लोबल और आईआईटी कानपुर के बीच एक सहयोग कार्यक्रम था, जिसका उद्देश्य पूरे भारत में छात्र संस्थापकों के बीच उद्यमिता, मार्गदर्शन और नवाचार को बढ़ावा देना था।

के.डी. डेंटल कॉलेज में दो दिवसीय बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण का समापन

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भावी दंत चिकित्सकों को बताईं आवश्यक जीवन रक्षक तकनीक
मथुरा। भावी दंत चिकित्सकों को अपने शैक्षणिक, नैदानिक और सतत शिक्षा के माध्यम से सामान्य आपात स्थितियों की रोकथाम, निदान और प्रबंधन से परिचित होना चाहिए। चिकित्सकों ही नहीं आम कर्मचारियों को भी बेसिक लाइफ सपोर्ट का उचित प्रशिक्षण देना चाहिए ताकि उन्हें पता हो कि आपातस्थिति में क्या करना है। यह बातें मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एज्यूकेशन साकेत, नई दिल्ली के सहयोग से के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल मथुरा में आयोजित दो दिवसीय बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) प्रशिक्षण में विशेषज्ञ दंत चिकित्सकों ने बीडीएस और एमडीएस के छात्र-छात्राओं को बताईं।
के.डी. डेंटल कॉलेज के प्राचार्य और डीन डॉ. मनेश लाहौरी के मार्गदर्शन में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण सत्रों में भावी दंत चिकित्सकों और संकाय सदस्यों को अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) के नवीनतम दिशानिर्देशों के अनुरूप सीपीआर, वायुमार्ग प्रबंधन और स्वचालित बाह्य डिफाइब्रिलेटर (एईडी) जैसी आवश्यक जीवन रक्षक तकनीकों की जानकारी एएचए-प्रमाणित प्रशिक्षकों डॉ. नाजिया हामिद (सलाहकार और प्रमुख, आपातकालीन विभाग, के.डी. सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, मथुरा), डॉ. उमर (आगरा), अभिषेक और पारुल (एमआईएमई, साकेत नई दिल्ली) ने दी।
विशेषज्ञों ने बताया कि किसी भी दंत चिकित्सालय में कोई भी चिकित्सीय आपात स्थिति उत्पन्न हो सकती है, इसे सफलतापूर्वक प्रबंधित करने के लिए तैयारी की आवश्यकता होती है। दंत चिकित्सकों को एक बुनियादी कार्ययोजना बनानी चाहिए जिसे सभी कर्मचारी समझ सकें। इसका उद्देश्य रोगी की देखभाल तब तक करना है जब तक वह पूरी तरह से ठीक न हो जाए। दंत चिकित्सा में लगभग सभी चिकित्सीय आपात स्थितियों का सबसे महत्वपूर्ण पहलू मस्तिष्क या हृदय में अपर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति को रोकना या ठीक करना है।
किसी भी आपात स्थिति में दंत चिकित्सक या कर्मचारी को रोगी को उचित स्थिति में रखते हुए उसके वायुमार्ग, श्वास और रक्त संचार का आकलन और प्रबंधन करना होगा। अगर कोई मरीज़ बेहोश हो गया है, तो यह मस्तिष्क में ऑक्सीजन युक्त रक्त की कमी का परिणाम है। अगर किसी मरीज़ को तीव्र एनजाइना पेक्टोरिस की समस्या है, तो यह हृदय की मांसपेशियों में विशिष्ट स्थानों तक ऑक्सीजन युक्त रक्त की अपेक्षाकृत कमी का परिणाम है। विशेषज्ञों ने कहा कि प्रत्येक दंत चिकित्सालय में सभी चिकित्सा आपात स्थितियों के प्रबंधन में यह सुनिश्चित करना शामिल होना चाहिए कि मस्तिष्क और हृदय तक ऑक्सीजन युक्त रक्त पहुंचाया जा सके। अगर दंत चिकित्सक और उनकी टीम के सदस्य इस सिद्धांत को याद रखें, तो बाकी सब कुछ समझ में आ जाएगा। विशेषज्ञों ने कहा कि यह सिद्धांत बुनियादी जीवन समर्थन (बीएलएस) में प्रशिक्षण का आधार है, जिसे कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) भी कहा जाता है।
प्रशिक्षण सत्र के समापन अवसर पर प्राचार्य और डीन डॉ. मनेश लाहौरी ने बताया कि के.डी. डेंटल कॉलेज ने शैक्षणिक उत्कृष्टता और कौशल-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ. लाहौरी ने कहा कि संकाय सदस्यों और छात्र-छात्राओं में नैदानिक क्षमता तथा आपातकालीन तैयारी को बढ़ाने के लिए इस तरह की सहयोगात्मक पहलों का वह समर्थन करते हैं। प्रशिक्षण के सफल समापन पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। दो दिवसीय बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण में विभागाध्यक्ष डॉ. विनय मोहन, डॉ. उमेश चंद्र प्रसाद, डॉ. अतुल, डॉ. नवप्रीत तथा प्रशासनिक अधिकारी नीरज छापड़िया ने छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन किया। प्रशिक्षण की सफलता में कमेटी सदस्यों डॉ. सिद्धार्थ सिंह सिसौदिया, डॉ. अनुज गौर, डॉ. विवेक शर्मा, डॉ. मनीष भल्ला, डॉ. राजीव तथा डॉ. जुही दुबे का अहम योगदान रहा। अंत में डॉ. लाहौरी ने अतिथि वक्ताओं का बहुमूल्य समय और अनुभव प्रदान करने के लिए आभार माना।
चित्र कैप्शनः बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण के बाद मुख्य वक्ताओं के साथ संकाय सदस्य और छात्र-छात्राएं।

राष्ट्रीय स्तर की वैदिक गणित प्रतियोगिता में हनुमान प्रसाद धानुका की छात्राओं का प्रथम स्थान

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वृंदावन। विद्या भारती द्वारा आयोजित अखिल भारतीय वैदिक गणित प्रतियोगिता सर्वहितकारी केशव विद्या निकेतन, जालंधर, पंजाब में आयोजित हुई। जिसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी प्रांत के विद्यालयों के छात्र छात्राओं ने सहभागिता की।
प्रतियोगिता शिशु, बाल, किशोर एवं तरूण वर्ग में सम्पन्न हुई। जिसमें बाल वर्ग मॉडल में श्रृष्टि शर्मा, पत्रवाचन में दीक्षा ओझा, तरूण वर्ग पत्रवाचन में खुशी गुप्ता ने प्रथम स्थान प्राप्त कर विद्यालय को गौरवान्वित किया। किशोर वर्ग मॉडल में अपूर्वा बंसल ने सहभागिता की। विद्यालय की छात्राओं ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए निर्णायक मण्डल को प्रभावित करते हुए प्रमाण पत्र व स्मृति चिन्ह प्राप्त किया।
छात्राओं की सफलता में विद्यालय के आचार्य रविकान्त गौतम, डिम्पल अग्रवाल, अपर्णा श्रीवास्तव, कृष्ण कुमार तिवारी, श्याम सुन्दर शर्मा, अभिमन्यु सामंत, आशीष शर्मा, स्वीटी कुलश्रेष्ठ आदि का सहयोग रहा।
इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ अंजू सूद ने कहा कि हमारी छात्राओं ने यह सिद्ध कर दिखाया है कि परिश्रम, ज्ञान, अनुशासन व दृढनिश्चय से कठिन से काउन लक्ष्य को भी प्राप्त किया जा सकता है। यह उपलब्धि छात्राओं व विद्यालय के लिए मील का पत्थर साबित होगी और ऐसे ही विद्यालय की छात्राएँ निरन्तर सभी क्षेत्रों में अपना परचम लहराती रहेगी।
विद्यालय प्रबंध समिति के प्रबंधक पद्मनाभ गोस्वामी, रेखा माहेश्वरी, विश्वनाथ गुप्ता, कमल खण्डेलवाल, भरत शर्मा, उमेश शर्मा आदि ने छात्राओं का उत्साहवर्धन करते हुए उनको शुभाशीष प्रदान किया।

संस्कृति विवि की टीम प्रदेश स्टार्टअप प्रतियोगिता की बनी विजेता

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मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने एक बार फिर से प्रदेश स्तर पर अपनी प्रतिभा का झंडा लहराया है। दरअसल आईआईटी कानपुर में द इंडस एंटरप्रिन्योर(टीआईई) उप्र स्टार्टअप प्रतियोगिता 2025 का आयोजन हुआ था जिसमें संस्कृति विश्वविद्यालय के स्टार्टअप ऑम्रिक्स की टीम वैश्वविक पिच प्रतियोता के अंतर्गत आयोजित टीआई प्रतियोगिता 2025 में विजयश्री हासिल कर नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की।
यह प्रतियोगिता उत्तर प्रदेश भर के युवा नवप्रवर्तकों के अभूतपूर्व विचारों को प्रदर्शित करने के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में कार्य करती है। संस्कृति की टीम ऑम्रिक्स ने अपने अत्याधुनिक साइबर सुरक्षा नवाचार(स्टार्टअप), ऑम्रिक्स के एसडी-वान डीडीओएस(SD-WAN DDoS) डिफेंडर, से निर्णायक मंडल का ध्यान आकर्षित किया। यह एक एआई-संचालित और ब्लॉकचेन-समर्थित नेटवर्क सुरक्षा प्रणाली है जिसे आधुनिक उद्यमों को ऑनलाइन खतरों और वितरित सेवा निषेध (डीडीओएस) हमलों से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
वरुण कुमार (सीईओ), यश श्रीवास्तव (सीटीओ), राजन शर्मा (सीएफओ) और सूरज (उत्पाद प्रबंधक) के नेतृत्व में, टीम ने एक मज़बूत व्यावसायिक और तकनीकी मॉडल प्रस्तुत किया, जिसमें वास्तविक समय में खतरे का पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सुरक्षित घटना लॉगिंग के लिए ब्लॉकचेन का संयोजन किया गया है। यह प्रणाली छोटे और मध्यम उद्यमों, फिनटेक फर्मों और दूरसंचार नेटवर्क के लिए किफायती, प्लग-एंड-प्ले सुरक्षा प्रदान करती है—जिससे एंटरप्राइज़-स्तरीय साइबर सुरक्षा सभी के लिए सुलभ हो जाती है।
ऑम्रीक्स के सीटीओ यश श्रीवास्तव ने कहा, “टीआईई यूनिवर्सिटी प्लेटफ़ॉर्म के तहत आईआईटी कानपुर में जीत हासिल करना हमारे और संस्कृति यूनिवर्सिटी के लिए गर्व की बात है।” “हमारा लक्ष्य साइबर सुरक्षा को स्मार्ट, स्केलेबल और स्व-शिक्षण बनाकर इसे नए सिरे से परिभाषित करना है। टीआईई-यू ने हमें न केवल मान्यता दी है, बल्कि इस नवाचार को देश भर में फैलाने के लिए मार्गदर्शन और आत्मविश्वास भी दिया है।”
ऑम्रीक्स के सीईओ वरुण कुमार ने कहा कि यह जीत टीम वर्क और नवाचार की शक्ति को दर्शाती है। ऑम्रीक्स व्यावहारिक अनुसंधान के प्रति संस्कृति यूनिवर्सिटी की प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है, और हमें यह मान्यता प्राप्त करने पर गर्व है। टीआईई उत्तर प्रदेश के निर्णायकों और सलाहकारों ने तकनीकी उत्कृष्टता, बाज़ार की समझ और मापनीयता क्षमता के लिए टीम की सराहना की और ऑम्रिक्स को शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र में उभर रहे सबसे आशाजनक अगली पीढ़ी के साइबर सुरक्षा स्टार्टअप्स में से एक माना।
यह आयोजन टीआईई उत्तर प्रदेश, टीआईई यूनिवर्सिटी ग्लोबल और आईआईटी कानपुर के बीच एक सहयोग कार्यक्रम था, जिसका उद्देश्य पूरे भारत में छात्र संस्थापकों के बीच उद्यमिता, मार्गदर्शन और नवाचार को बढ़ावा देना था।

राजीव एकेडमी की छात्राओं अंजलि और मुस्कान ने भरी उड़ान

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हाइक एज्यूकेशन में साढ़े छह लाख रुपये से अधिक के पैकेज पर चयन
मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट, मथुरा की मेधावी छात्राओं मुस्कान चौधरी (बीबीए) और अंजलि अग्रवाल (बी.ईकॉम) ने अपने करियर में ऊंची उड़ान भरकर संस्थान को गौरवान्वित किया है। प्रतिष्ठित एडटेक कम्पनी हाइक एज्यूकेशन ने दोनों छात्राओं की कुशाग्रबुद्धि और कौशल से प्रभावित होकर उन्हें 6.66 लाख रुपये प्रतिवर्ष के सालाना पैकेज पर सेवा का अवसर प्रदान किया है। शिक्षा पूरी करने से पहले मिली इस शानदार सफलता से दोनों छात्राएं ही नहीं उनके माता-पिता भी खुश हैं।
दोनों छात्राओं ने अपनी सफलता का श्रेय राजीव एकेडमी के उद्योग-केंद्रित प्रशिक्षण, सतत मार्गदर्शन और अधिक से अधिक मिलते प्लेसमेंट अवसरों को दिया है। दोनों छात्राओं का कहना है कि राजीव एकेडमी में हमेशा व्यावहारिक अनुभव, करियर-रेडी कौशल और वास्तविक कॉर्पोरेट दुनिया की तैयारी पर बल दिया जाता है। हाइक एज्यूकेशन की जहां तक बात है यह भारत की अग्रणी एडटेक कम्पनियों में से एक है, जो प्रमुख बी-स्कूलों और विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी कर विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा एवं करियर उन्नति के अवसर प्रदान करती है। हाइक एज्यूकेशन का उद्देश्य महत्वाकांक्षी शिक्षार्थियों को उच्च शिक्षा तक पहुंचाने के लिए एक सशक्त मंच उपलब्ध कराना है।
राजीव एकेडमी के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट प्रमुख डॉ. विकास जैन ने कहा कि मुस्कान चौधरी और अंजलि अग्रवाल की यह उपलब्धि राजीव एकेडमी के उस दृष्टिकोण का परिणाम है जो विद्यार्थियों को केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित नहीं रखता बल्कि उन्हें व्यावहारिक अनुभव, इंटरव्यू तैयारी और कॉर्पोरेट कौशल से भी सुसज्जित करता है। संस्थान लगातार छात्र-छात्राओं को ऐसे अवसर प्रदान करता रहता है, जहां से वे अपनी प्रतिभा को उद्योग जगत के समक्ष प्रस्तुत कर सकें।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल और निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने दोनों छात्राओं को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। राजीव एकेडमी के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने कहा कि हाइक एज्यूकेशन जैसी प्रतिष्ठित कम्पनी में चयन इस बात का प्रमाण है कि संस्थान अपने विद्यार्थियों को आधुनिक उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार कर रहा है। यह सफलता अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगी।
डॉ. भदौरिया ने कहा कि राजीव एकेडमी का उद्देश्य विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा प्रदान करना है जो उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाए और उनके करियर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाए। उन्होंने कहा कि हाइक एज्यूकेशन में हुआ यह चयन न केवल छात्राओं के करियर की नई शुरुआत है बल्कि यह राजीव एकेडमी के निरंतर प्रयासों और उत्कृष्ट प्लेसमेंट रिकॉर्ड का भी प्रमाण है।
चित्र कैप्शनः एडटेक कम्पनी हाइक एज्यूकेशन की आनलाइन चयन प्रक्रिया में हिस्सा लेते छात्र-छात्राएं।

के.डी. कॉलेज आफ नर्सिंग में मिला परम्परा निर्वहन का संदेश

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नर्सिग छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से मन मोहा
मथुरा। छात्र-छात्राओं की अभिव्यक्ति को नया मंच देने के लिए के.डी. कॉलेज आफ नर्सिंग एण्ड पैरामेडिकल साइंसेज में परम्परा-रिलोडिंग-2025 का आयोजन किया गया। इस सुअवसर का लाभ उठाते हुए छात्र-छात्राओं ने नयनाभिराम प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम का शुभारम्भ के.डी. मेडिकल कॉलेज के डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण कुमार अग्रवाल तथा के.डी. कॉलेज आफ नर्सिंग एण्ड पैरामेडिकल साइंसेज की प्राचार्या एन.पी. चानू ने विद्या की आराध्य देवी मां सरस्वती पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया।
सरस्वती वंदना के बाद मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने अपने उद्बोधन में कहा कि मानव सेवा के क्षेत्र में नर्सिंग का कार्य सबसे अलग है। मानव सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। इस पेशे में उज्ज्वल भविष्य भी है लेकिन इसके लिए हमें लगन और मेहनत से पढ़ना होगा क्योंकि शिक्षा प्रणाली ही विकसित समाज की मजबूत रीढ़ है और यहीं से देश के भविष्य का निर्धारण होता है। डॉ. अशोका ने छात्र-छात्राओं से कहा कि परम्परा-रिलोडिंग-2025 का आयोजन आपकी प्रतिभा को निखारने का मंच है, इसमें आपको उत्साह और उमंग के बीच सहभागिता करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भविष्य में आप लोग अपने ज्ञान, चरित्र और कौशल से सशक्त राष्ट्र के निर्माण में योगदान देंगे, ऐसा विश्वास है।
आर.के. ग्रुप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण अग्रवाल ने कहा कि अभिव्यक्ति किसी भी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। यह अधिकार ही उसकी सोच व समझ का सूचक है। श्री अग्रवाल ने कहा कि हमारी परम्पराओं में गूढ़ संदेश समाहित हैं, परम्परा कभी मरती नहीं, ऐसे में हमें अपनी परम्पराओं का निर्वहन करते हुए अनुशासित तरीके से अपनी शिक्षा पूरी करनी चाहिए। नर्सिंग शिक्षा स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ है। असहाय व लाचारों की मदद करने वाले नर्सिंग स्टाफ के योगदान की किसी से तुलना नहीं की जा सकती। आप लोग न केवल लगन और मेहनत से पढ़ें बल्कि अपने दायित्वों का निर्वहन भी करें, तभी समाज स्वस्थ होगा और आप लोगों का भी सम्मान बढ़ेगा।
के.डी. कॉलेज आफ नर्सिंग एण्ड पैरामेडिकल साइंसेज की प्राचार्या एन.पी. चानू ने कहा कि नर्सिंग का क्षेत्र काफी आधुनिक और विस्तृत हो चुका है लिहाजा छात्र-छात्राओं को शिक्षकों द्वारा दी जा रही शिक्षा और मार्गदर्शन को अमल में लाते हुए अपना करियर बनाना चाहिए। प्राचार्या ने कहा कि के.डी. कॉलेज आफ नर्सिंग एण्ड पैरामेडिकल साइंसेज के छात्र-छात्राएं सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें क्लीनिकल ट्रेनिंग के लिए सर्वसुविधायुक्त के.डी. हॉस्पिटल मिला हुआ है। उन्होंने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि लगन और मेहनत से शिक्षा ग्रहण कर अपना और अपने माता-पिता का सपना साकार करें।
प्राचार्या चानू ने कहा कि सांस्कृतिक गतिविधियां छात्र-छात्राओं के समग्र व्यक्तित्व विकास में सहायक होती हैं। सांस्कृतिक गतिविधियों से अलग-अलग अनुभव मिलने के साथ आत्मविश्वास में भी इजाफा होता है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक गतिविधियों के कई व्यावहारिक निहितार्थ हैं। सांस्कृतिक गतिविधियों से जीवन कौशल और सामाजिक कौशल में भी इजाफा होता है। परम्परा-रिलोडिंग-2025 के शुभारम्भ से पूर्व संस्थान के शिक्षकों ने पुष्पगुच्छ भेंटकर अतिथियों का स्वागत किया।
चित्र कैप्शनः परम्परा-रिलोडिंग-2025 के शुभारम्भ अवसर पर उपस्थित डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण कुमार अग्रवाल एवं के.डी. कॉलेज आफ नर्सिंग एण्ड पैरामेडिकल साइंसेज की प्राचार्या एन.पी. चानू।

वीपीएस के नन्हे सितारों ने पेनकेक सिलाट चैम्पियनशिप 2025 में जीते स्वर्ण, रजत और कास्य पदक

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वृंदावन। प्रतिभा व कौशल को मंच मिलता है तो वह और निखरती है तथा सबके दिलों में छाप छोड़ती है। इसी भावना से ओत-प्रोत होकर वृंदावन पब्लिक स्कूल के बच्चों ने पैनकेक सिलाट चैंपियनशिप में श्रेष्ठतम जीत हासिल कर परचम लहराया।
मथुरा स्थित गणेशरा स्टेडियम में पेनकेक सिलाट चैंपियनशिप 2025 का आयोजन किया गया। जिसमें गांडा, तांडिंग, रेगू और सोलो फाइटिंग शामिल थीं। प्रतियोगिता में विभिन्न शहरों से आए स्कूली बच्चों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया । जिसमें मथुरा मार्ग स्थित वृंदावन पब्लिक स्कूल के भाविका, देव शर्मा, उदित, नवीन ने स्वर्ण पदक धीरज, मुकुंद, अजम , रेवांश, गौरव, कार्तिक, अथर्व ने रजत पदक तथा चारु, दिव्यांशु, खगेश, हार्दिक ने कास्य पदक व तृतीय पुरस्कार जीतकर विद्यालय को गौरवान्वित किया। साथ ही इन बच्चों का आगामी राज्य स्तर की प्रतियोगिता के लिए चयन किया गया है। यह विद्यालय के लिए बहुत ही गर्व का विषय है। बच्चों ने विद्यालय की शारीरिक शिक्षा विभाग की शिक्षिका भारती राजपूत के निर्देशन में यह जीत हासिल की। इस मौके पर विद्यालय निदेशक डॉ.ओम जी ने छात्रों व खेल शिक्षिका की भूरि-भूरि प्रशंसा की व शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि वीपीएस सदैव छात्रों के चहुंमुखी विकास की ओर अग्रसर रहता है और यह उपलब्धि इसी भावना का प्रमाण है। इस मौके पर प्रधानाचार्य कृति शर्मा ने बच्चों को बधाई दी और भविष्य की आगामी सफलता हेतु अनुशासन व कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा दी।

चित्र परिचयः संस्कृति विवि के संतोष मैमोरियल आडिटोरियम में आयोजित सेमिनार का दीप जलाकर शुभारंभ करते विशिष्ठ वक्ता डा. राजेश कुमार ग्रोवर, साथ में मुख्य अतिथि डा. विपिन कुमार मिश्रा, डा. अरुन प्रकाश और संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा.सचिन गुप्ता।

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संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज में वक्ताओं ने दिया बहुमूल्य ज्ञान
मथुरा। संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज एवं अस्पताल द्वारा संतोष मैमोरियल आडिटोरियम में ‘चिकित्सा में अंतःविषय प्रशिक्षण: आवश्यकता और व्यवहार्यता’ विषय को लेकर एक महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आए वक्ताओं ने चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा वितरण में अंतःविषय सहयोग और एकीकृत दृष्टिकोण के महत्व पर प्रकाश डाला और चिकित्सा क्षेत्र में व्यापक रोगी देखभाल और नवाचार सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न चिकित्सा विषयों के संयोजन की व्यवहार्यता और आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत कार्यक्रम के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा स्वागत भाषण और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एमबी चेट्टी ने उत्साहवर्धक और उत्साहपूर्ण शब्दों में कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सहायक प्राध्यापक डॉ. आकांक्षा ने कार्यक्रम के सभी गणमान्य अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया।
मुख्य अतिथि, आईपीएस (सेवानिवृत्त), अनुप्रयुक्त विधि के प्रकांड विद्वान डॉ. विपिन कुमार मिश्रा ने अंतःविषय चिकित्सा पद्धति के नैतिक और कानूनी पहलुओं पर प्रकाश डाला और स्वास्थ्य सेवा में अनुप्रयुक्त कानून के महत्व पर बल दिया। विशिष्ट वक्ता, पद्मश्री पुरस्कार विजेता, पूर्व निदेशक और सीईओ, दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान, डॉ. राजेश कुमार ग्रोवर ने चिकित्सा विज्ञान के उभरते परिदृश्य और बेहतर स्वास्थ्य सेवा परिणामों के लिए आयुर्वेदिक और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के एकीकरण की आवश्यकता पर एक गहन व्याख्यान दिया।

सेमिनार के प्रारंभ में वैदिक ज्योतिषी डॉ. के. टी. सुरेश कुमार ने छात्रों को भगवद् गीता का ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जिस प्रकार गीता समग्र कल्याण के लिए शरीर, मन और आत्मा के एकीकरण पर ज़ोर देती है, उसी प्रकार आधुनिक अंतःविषय चिकित्सा विविध क्षेत्रों – आयुर्वेद, आधुनिक विज्ञान, मनोविज्ञान, योग और सामाजिक स्वास्थ्य – को एकीकृत करती है ताकि व्यक्ति का समग्र रूप से उपचार किया जा सके, न कि केवल लक्षणों के समूह के रूप में। सत्र की अध्यक्षता डॉ. अरुण प्रकाश ने की, जिन्होंने दर्शन और चिकित्सा के बीच अंतर्संबंध का उपयोगी वर्णन किया और रोगी की देखभाल में मानवतावादी दृष्टिकोण को रेखांकित किया। उन्होंने आयुर्वेद और मानव कल्याण में इसके महत्व के बारे में भी बताया।
आयुर्वेद के विभिन्न विभागों के संकाय सदस्यों और छात्रों ने इसके बाद हुई संवादात्मक चर्चा में सक्रिय रूप से भाग लिया।

के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में हुई एंटी रैगिंग पर कार्यशाला

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शिक्षा संस्थानों में पारिवारिक माहौल होना जरूरीः डॉ. निदर्श डी. हेगड़े
मथुरा। शिक्षा तंत्र के लिए रैगिंग अभिशाप है। इससे जूनियर छात्र-छात्राओं में भय का वातावरण निर्मित होता है तथा वे पूरी लगन और तन्मयता से पढ़ाई नहीं कर पाते, लिहाजा रैगिंग से छात्र-छात्राओं को बचाने के लिए शैक्षिक संस्थानों में पारिवारिक माहौल बनाया जाना बहुत जरूरी है। यह बातें के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में आयोजित एंटी रैगिंग कार्यशाला में मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ. निदर्श डी. हेगड़े (शासकीय डेंटल कॉलेज जेएनआईएमएस, इम्फाल) ने बीडीएस प्रथम वर्ष, बीडीएस द्वितीय वर्ष तथा एमडीएस प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं को बताईं।
डेंटल काउन्सिल आफ इंडिया के सदस्य डॉ. निदर्श डी. हेगड़े ने बताया कि शारीरिक शोषण का कोई भी कार्य मसलन हिंसा, यौन शोषण, समलैंगिक हमले, शारीरिक क्षति या छात्र-छात्राओं पर किसी तरह की अमर्यादित टिप्पणी रैगिंग की ही श्रेणी में आते हैं। उन्होंने रैगिंग के कृत्य में शामिल छात्र-छात्राओं को दी जाने वाली सजा के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। डॉ. हेगड़े ने बताया कि यदि कोई छात्र और छात्रा रैगिंग में संलिप्त पाया जाता है तो उसे किसी भी संस्थान में प्रवेश पाने से वंचित किया जा सकता है।
डॉ. हेगड़े ने कहा कि रैगिंग अन्य अपराधों से भिन्न है क्योंकि इसका उद्देश्य केवल विकृत सुख प्राप्त करना है। उन्होंने सीनियर छात्र-छात्राओं से अपने जूनियर्स के साथ भाई-बहन सा व्यवहार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यदि किसी भी विद्यार्थी के साथ रैगिंग होती है तो उसे तुरंत कॉलेज की एंटी रैगिंग समिति को बताना चाहिए तथा रैगिंग समिति का भी यह कर्तव्य है कि वह शिकायत करने वाले छात्र या छात्रा की पहचान सुरक्षित और गुप्त रखे।
प्राचार्य और डीन डॉ. मनेष लाहौरी ने कहा कि के.डी. डेंटल कॉलेज पूरी तरह से रैगिंग मुक्त संस्थान है। यहां का एंटी रैगिंग सेल रैगिंग की रोकथाम के साथ ही सभी छात्र-छात्राओं के स्वस्थ मानसिक विकास के लिए एक अच्छा माहौल प्रदान कर रहा है। इसका वही उद्देश्य है जो रैगिंग को खत्म करने के लिए एआईसीटीई का है। उन्होंने कहा कि कॉलेज की एंटी रैगिंग सेल का आदर्श वाक्य है ‘टुगेदर, वी फील एट होम’। डॉ. लाहौरी ने कहा कि के.डी. डेंटल कॉलेज में सभी प्रवेशित छात्र-छात्राओं और उनके माता-पिता के लिए रैगिंग विरोधी हलफनामा भरना अनिवार्य है।
डॉ. लाहौरी ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य रैगिंग मुक्त परिसर बनाना है ताकि छात्र-छात्राएं पाठ्यचर्या और पाठ्येत्तर गतिविधियों में बिना किसी परेशानी के एक साथ आकर अपने शैक्षिक अनुभवों को विकसित कर सकें। अंत में छात्र-छात्राओं को एंटी रैगिंग से बचाव के लिए पुस्तिकाएं प्रदान की गईं। डॉ. लाहौरी ने बताया कि छात्र-छात्राओं को रैगिंग से बचाने के लिए कॉलेज में एंटी रैगिंग कमेटी तथा एंटी रैगिंग स्क्वॉड बनाए गए हैं। एंटी रैगिंग कमेटी में प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी, राजेन्द्र सिंह यादव, राजकुमार गौतम, विनी सिंह, डॉ. विकास अग्रवाल, नीरज छापड़िया, डॉ. पीयूष रावत, डॉ. प्राची बंसल, रोहित यादव, जितिन लाहौरी, महावीर जैन, डॉ. जी. उमेश चंद्र प्रसाद, डॉ. अजय नागपाल, डॉ. सिद्धार्थ सिंह सिसौदिया, डॉ. सुषमा, डॉ. जुही शामिल हैं वहीं एंटी रैगिंग स्क्वॉड में डॉ. जी. उमेश चंद्र प्रसाद, डॉ. नवप्रीत कौर, डॉ. सोनल गुप्ता, डॉ. शैलेन्द्र सिंह चौहान, डॉ. विनय मोहन, डॉ. सुनील कुमार, नीरज छापड़िया शामिल हैं। कार्यशाला में एंटी रैगिंग कमेटी तथा एंटी रैगिंग स्क्वॉड के पदाधिकारी और सदस्य तथा सभी छात्रावासों के वार्डन उपस्थित रहे। कार्यशाला की सफलता में सीडीई कमेटी के सदस्य डॉ. अनुज गौर, डॉ. विवेक शर्मा, डॉ. मनीष भल्ला एवं डॉ. राजीव का विशेष योगदान रहा। अंत में प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ. निदर्श डी. हेगड़े को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना।
चित्र कैप्शनः मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ. निदर्श डी. हेगड़े और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी के साथ प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राए। दूसरे चित्र में मुख्य अतिथि डॉ. निदर्श डी. हेगड़े को पुष्पगुच्छ भेंट करते हुए प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी।

आरआईएस की छात्रा आद्रिका ने फहराया अपनी मेधा का परचम

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विजेता ट्रॉफी के साथ जीता 20 हजार रुपये का नगद पुरस्कार
“यूपीडब्ल्यूकॉन 2025” में पार्किंसन्स के मरीजों के लिए बनाई डिवाइस
मथुरा। प्रसिद्ध पर्यटन नगरी मसूरी में तकनीक और नवाचार के उत्सव में राजीव इंटरनेशनल स्कूल की कक्षा 12 की मेधावी छात्रा आद्रिका अवस्थी ने पार्किंसंस के मरीजों के लिए डिवाइस बनाकर विजेता ट्रॉफी के साथ ही 20 हजार रुपये का पुरस्कार जीतकर समूचे ब्रज क्षेत्र को गौरवान्वित किया है। मुख्य अतिथि डॉ. नीरजा गुप्ता वाइस चांसलर गुजरात यूनिवर्सिटी ने विजेता छात्रा को 20 हजार रुपये का चैक, ट्रॉफी एवं प्रमाण-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।
विज्ञान, तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को मंच देने के उद्देश्य से जेपी रेजीडेंसी मसूरी, (उत्तराखंड) में राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा आयोजित दो दिवसीय “यूपीडब्ल्यूकॉन 2025” में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की छात्राओं ने अपने तरह-तरह के मॉडलों से महिला वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, शिक्षाविदों और उद्योग विशेषज्ञों को काफी प्रभावित किया।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल प्रिया मदान ने बताया कि वर्तमान समय में पार्किंसंस रोग के निदान के लिए कोई विशिष्ट परीक्षण उपलब्ध नहीं है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए छात्रा आद्रिका अवस्थी ने पार्किंसंस के मरीजों के लिए डिवाइस तैयार की। इस डिवाइस से पार्किंसंस रोग से पीड़ित व्यक्ति की जीवन शैली आसान हो जाएगी तथा वे किसी भी वस्तु को आसानी से पकड़ पाएंगे तथा अपने आप अपना कार्य करने में सक्षम हो सकेंगे। प्रिंसिपल प्रिया मदान ने कहा कि छात्रा की इस सफलता में साइंस टीचर गीतांजलि यदुवंशी का विशेष सहयोग रहा।
“यूपीडब्ल्यूकॉन 2025” सम्मेलन में विभिन्न तकनीकी सत्रों, पैनल चर्चाओं और शोध प्रस्तुतियों के माध्यम से महिलाओं की वैज्ञानिक उपलब्धियों, तकनीकी नवाचारों और नेतृत्व के अवसरों पर चर्चा की गई। महिला इंजीनियरों द्वारा तैयार किए गए रोबोटिक्स मॉडल, एआई आधारित सिस्टम, ग्रीन एनर्जी डिवाइस और डिजिटल सॉल्यूशंस की विशेषज्ञों ने जमकर प्रशंसा की। अंत में निर्णायकों डॉ. एस.के. धुरंधर, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी, दीपक वासन, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी, आलोक पांडेय, डायरेक्टर आईआईडीटी, डॉ. नीरजा गुप्ता, वाइस चांसलर गुजरात यूनिवर्सिटी, डॉ. अनुराग गुप्ता, डायरेक्टर एनआईईएलआईटी हरिद्वार, डॉ. अरुण कुमार सिंह आरईसी कन्नौज आदि ने आद्रिका अवस्थी की सोच और डिवाइस की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, राजीव इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने छात्रा आद्रिका अवस्थी की प्रशंसा करते हुए उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि यह डिवाइस पार्किंसन्स के मरीजों के लिए वरदान साबित होगी। चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने कहा कि यह सफलता आद्रिका को विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी तथा अन्य छात्राओं को भी नया दृष्टिकोण देगी। श्री अग्रवाल ने कहा कि तकनीक अब सिर्फ पुरुषों की दुनिया नहीं रही। अब महिलाएं भी एआई, क्लॉउड, डाटा साइंस और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
चित्र कैप्शनः “यूपीडब्ल्यूकॉन 2025” में अतिथियों से प्रशस्ति-पत्र और चैक लेते हुए छात्रा आद्रिका अवस्थी।