क्रिकेट अकैडमी फॉर एक्सीलेंस मथुरा के जगदीश अग्रवाल का चयन अरुणाचल प्रदेश की रणजी ट्रॉफी टीम में हुआ है, मथुरा के लिए बहुत ही गर्व की बात है कि सीएई मथुरा से रणजी ट्रॉफी खेलने वाले पहले खिलाड़ी बन गए hai, उनका पहला रणजी ट्रॉफी मैच 18 अक्तूबर से 21 अक्टूबर तक अहमदाबाद के गुजरात कॉलेज क्रिकेट स्टेडियम पर मिज़ोरम के ख़िलाफ़ चल रहा है, जिसमें मिज़ोरम ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए पहली पारी में 247 रन बनाए, जवाब में अरुणाचल प्रदेश की टीम ने 252 रन बना कर 5 रन की बढ़त बना ली, जिसमें जगदीश अग्रवाल ने पहली गेंद से ही आक्रमक रुख अपनाया और अपने पहले रणजी ट्रॉफी मैच की शुरुवात ही चौका लगाकर की, अपनी दूसरी गेंद पर भी उन्होंने चौका लगाया और तीसरी गेंद पर ही छक्का लगा कर अपने इरादे जाहिर कर दिए, उन्होंने मात्र 98 गेंदों पर 12 चौके और 2 गगनचुम्बी छक्के लगाते हुए महत्पूर्ण 87 रन जोड़े और टीम को बढ़त दिलवाने में महत्पूर्ण भूमिका अदा की, सीएई के डायरेक्टर जोरावर सिंह ने बताया कि जगदीश मथुरा का बहुत ही जबरदस्त बल्लेबाज है, उनके रणजी ट्रॉफी सिलेक्शन से और उनके प्रदर्शन से सभी बहुत खुश है, एनसीए स्पेशलिस्ट कैलाश सोलंकी ने कहा कि वो बहुत धाकड बल्लेबाज है और वैसे ही रणजी ट्रॉफी में शुरुआत भी की है, शतक से चूकने का दुख भी है, पर अभी दूसरी पारी आना बाकी है जिसमें वो पक्का शतक लगाएगा, जगदीश अग्रवाल के बड़े भाई जगत नारायण अग्रवाल ‘ प्रशांत’
पू.सदस्य – क्षेत्र पंचायत राया मथुरा ,प्रदेश वरिष्ठ महामंत्री राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन (उत्तर प्रदेश) और माताजी मिथलेश अग्रवाल ( सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से रिटायर्ड) ने बताया कि वो बहुत ही मेहनती है, बचपन से ही भारतीय टीम में खेलने का सपना देखा है, जिसकी पहली सीढ़ी आज रणजी ट्रॉफी के रूप में उसको मिली है, उसकी मेहनत का फल उसको मिल रहा है, मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती है जिसका ये उदाहरण है, पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ पडी है, उसको अब अपना हुनर दिखाने का प्लेटफॉर्म मिल गया है, जगदीश अग्रवाल ने भी फोन पर बताया कि उम्र सिर्फ एक नंबर है, अगर क्रिकेट का हुनर है तो आप परिश्रम करते रहिए एक ना एक दिन सफलता जरूर मिलेगी, साथ ही उन्होंने अपने स्वर्गीय पिताजी, गुरूजनों, मित्रों, अपने परिवार और समस्त ब्रजवासियो का धन्यवाद किया जिन्होंने मुझ पर हमेशा विश्वास बनाए रखा। रणजी ट्रॉफी बीसीसीआई के द्वारा करवाए जाने वाला सबसे बड़ा डोमेस्टिक टूर्नामेंट होता है।
रणजी ट्रॉफी में मथुरा के जगदीश अग्रवाल ने की धमाकेदार शुरुआत, मग़र शतक से चूके
बाबू लाल महाविधालय मे हुई रंगोली प्रतियोगिता
रिपोर्टर – राजेश लवानिया
कस्बे के श्री बाबू लाल महाविद्यालय के अंतर्गत दीपावली महोत्सव के दौरान रंगोली प्रतियोगिता एवं मेहंदी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के निदेशक एडवोकेट नंदकिशोर शर्मा, प्राचार्य डॉ लक्ष्मी नारायण शर्मा,उपप्राचार्य डॉ उम्मेद सिंह द्वारा संयुक्त रूप से माँ शारदे के समक्ष दीप प्रज्वलन करके किया गया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए निदेशक नंदकिशोर शर्मा एडवोकेट ने कहा कि छात्राएं आगे चलकर आत्मनिर्भर बन सकें,दो घरों को प्रकाशित कर सकें इस योग्य बनाना हमारा उद्देश्य है। मेहंदी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान वैष्णवी बी एस सी तृतीय वर्ष द्वितीय स्थान ज्योति रानी बी ए प्रथम वर्ष और तृतीय स्थान तमन्ना बी सी ए द्वितीय वर्ष ने प्राप्त किया। वहीं रंगोली प्रतियोगिता में प्रथम स्थान टीम खुशबू एवम प्रीति, द्वितीय स्थान टीम नारायणी एवम पोलमी और तृतीय स्थान टीम अनीता और पूनम तथा टीम रीना एवम चंचल ने संयुक्त रूप से प्राप्त किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से शिक्षा समन्वयक डॉ योगेंद्र प्रसाद गोयल,प्रशासनिक अधिकारी डॉ राज कपूर वर्मा,मुख्य अनुशासन अधिकारी डॉ धीरज कौशिक, डॉ ब्रह्मानंद शर्मा,डॉ जयप्रकाश सिंह, डॉ शुभेन्द्र विष्णु गौतम,डॉ प्रतिभा सिंह, डॉ विमलेश सिकरवार, डॉ रेखा शर्मा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
संस्कृति विवि में वक्ताओं ने बताया बेहतर के लिए इंजीनियरिंग का महत्व
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय और आईईईई यूपी(IEEE UP Section) अनुभाग के सहयोग से, “बेहतर के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना” विषय के तहत एक सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञ वक्ताओं ने विद्यार्थियों को बताया कि प्रौद्योगिकी कैसे नवाचार को बढ़ावा दे सकती है। वक्ताओं ने छात्रों और शिक्षकों के लिए इंजीनियरिंग के भविष्य और प्रौद्योगिकी की भूमिका पर चर्चा के साथ एक स्थायी और नवोन्मेषी भविष्य के निर्माण का रास्ता दिखाया ।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) एम.बी.चेट्टी ने ने अपने उद्घाटन भाषण में आज की दुनिया में रचनात्मकता और नवीनता के महत्व पर जोर दिया। इंजीनियरिंग स्कूल की डीन प्रो.(डॉ.)एस.वैराइचिल्लई ने बताया कि कैसे हम अपने विचार साझा कर नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं और रचनात्मक विचारों का समर्थन कर सकते हैं। प्रो.(डॉ.)पंकज कुमार गोस्वामी ने उभरते हुए व्यावहारिक अनुप्रयोग पर चर्चा करते हुए कहा कि रचनात्मक तकनीक नवाचार को प्रेरित करती है। उन्होंने बताया कि कैसे प्रौद्योकिकियां और उनकी क्षमताएं कैसे काम करती हैं। उन्होंने बाक्स थिंकिंग को व्यवहारिक उदाहरणों के माध्यम से समझाया और बताया कि जटिल तकनीकि समस्याओं को कैसे सुलझाया जा सकता है। आईईईई समन्वयक और संस्कृति स्कूल आफ इंजीनिरिंग एंड इन्फार्मेशन टेक्नोलाजी की प्रोफेसर प्रो गरिमा गोस्वामी ने स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रचनात्मकता नवाचार को बढ़ावा देती है।
कार्यक्रम का संचालन अंजलि सिंह ने किया। कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों को उपयोगी बनाने और संचालित करने में विशाल, शिवम अग्रवाल, कार्तिक तिवारी, दिशा सिंह, अंजलि सिंह, शिव राम कृष्ण
मेडेकुंडा, कुणाल मनोहरदास वैष्णव, नंदिता मिश्रा, अर्पित सक्सेना, कल्याणी गुप्ता ने विशेष योगदान दिया। डा. रीना रानी ने अंत में वास्तविक दुनिया की चुनौतियों से निपटने में प्रौद्योगिकी की भूमिका के बारे में बताते हुए कार्यक्रम में भाग लेने वाले अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
राजीव एकेडमी में पारस्परिक कौशल सुधार पर हुआ अतिथि व्याख्यान
- सफलता के लिए पारस्परिक कौशल में महारत हासिल करना जरूरी
मथुरा। पारस्परिक संचार कौशल में महारत हासिल करना व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन दोनों में बहुत जरूरी है। पारस्परिक संचार कौशल वे क्षमताएं हैं जिनका उपयोग विभिन्न सामाजिक संदर्भों में दूसरों के साथ प्रभावी ढंग से बातचीत करने के लिए किया जाता है। इन कौशलों में मौखिक और अशाब्दिक संचार, सक्रिय सुनना, सहानुभूति तथा भावनात्मक बुद्धिमत्ता शामिल हैं। यह बातें राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट के एमबीए और एमसीए के छात्र-छात्राओं को अतिथि वक्ता अजय गौतम (को-फाउण्डर चीफ बिजनेस आफिसर-यूनिफो ईडीयू नोएडा) ने बताईं।
श्री गौतम ने अनहंसिंग इण्ट्रापर्सनल स्किल्स टू विकम फ्यूचर मैनेजर एण्ड टैक्नोक्रेट्स विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पारस्परिक कौशल आपको विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने, दूसरों के दृष्टिकोण को समझने तथा व्यक्तिगत और व्यावसायिक सेटिंग्स में सार्थक सम्बन्ध बनाने में सक्षम बनाते हैं। मौखिक संचार संदेश, विचार और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए बोली जाने वाली भाषा का उपयोग करता है। पारस्परिक कौशल में महारत हासिल करने से नेतृत्व प्रभावशीलता, टीम सहयोग और समग्र व्यावसायिक सफलता में काफी वृद्धि होती है।
रिसोर्स परसन अजय गौतम ने छात्र-छात्राओं को बताया कि किसी भी संस्थान या संगठन में बेहतर प्रबंधक बनने के लिए 21वीं सदी के पारस्परिक संचार कौशलों की जानकारी होना बहुत जरूरी है। ये कौशल दूसरों के साथ रचनात्मक रूप से काम करने, स्पष्ट रूप से संवाद तथा सहयोग करने आदि में सहायक होते हैं। उन्होंने कहा कि आप जिसे साफ्टस्किल कहते हैं, वही पारस्परिक संचार स्किल है। ये हाईस्किल के पूरक भी होते हैं जो कार्यस्थल पर प्रभावी संचार टीमवर्क और समग्र संस्थान के कार्यों में मददगार होते हैं।
रिसोर्स पररन ने कहा कि आप इन पारस्परिक कौशलों का प्रयोग नौकरी तलाशने में भी कर सकते हैं। ये कौशल आपकी नौकरी को सुरक्षित बनाए रखने में सहायक होते हैं। इनोवेशन की आप वक्ता से नई-नई जानकारी इन्हीं कौशलों के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। प्राप्त जानकारी को पूर्णतः प्रसंस्करण करना, बिक्री, विपणन, कानून एवं उपभोक्ता आदि सभी के विषय में आप इस स्किल का प्रयोग कर सकते हैं। इस प्रकार के कौशल में 50 प्रतिशत बात करना और 50 प्रतिशत सुनना शामिल होना चाहिए।
श्री गौतम ने बताया कि व्यक्तियों के समूहों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने, बातचीत करने और काम करने के लिए ये स्किल महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसी की मदद से एक देश दूसरे देशों के साथ भविष्य के युद्धों की तैयारी करने तथा लड़ने की व्यूह रचना को समझते हैं। आज की दुनिया में प्रौद्योगिकी द्वारा लाए गए संरचनात्मक बदलाव इस क्षेत्र में रोजगार प्रदान करने की दिशा में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय में अधिक से अधिक कम्पनियां काम पूरा करने के लिए सहयोगी एजाइल फ्रेमवर्क लागू कर रही हैं। नियोक्ता ऐसे कर्मचारियों की तलाश करते हैं जोकि तकनीकी कार्यों को उत्कृष्टता के साथ कर सकें और सहकर्मियों के साथ अच्छी तरह से संवाद कर सकें। अंत में निदेशक डॉ. अमर कुमार सक्सेना ने अतिथि वक्ता का स्वागत करते हुए उनका आभार माना।
जीएलए में ऑनलाइन शिक्षा पद्धति की विधाओं से रूबरू हुए शिक्षक और छात्र
- जीएलए के सेंटर फॉर ऑनलाइन एंड डिस्टेंस एजुकेशन ने आयोजित कराई दो दिवसीय कार्यशाला
मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर ऑनलाइन एंड डिस्टेंस एजुकेशन द्वारा जीएलए ग्रेटर नोएडा ऑफ कैंपस में “मास्टरिंग द आर्ट ऑफ ऑनलाइन एजुकेशन“ विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का मुख्य ध्येय, उच्च शिक्षा में ऑनलाइन शिक्षा के संयोजन एवं संवर्धन संबंधित जानकारियां देना तथा विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर ऑनलाइन एंड डिस्टेंस एजुकेशन के शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षा की नवीनतम विधाओं में पारंगत करना था।
कार्यशाला की शुरुआत मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के पूर्व निदेशक तथा प्रख्यात शिक्षाविद प्रो. संतोष पांडा एवं प्रो. ज्योत्सना दीक्षित, एडिशनल डायरेक्टर, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा दिए व्याख्यान में दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा में जुडे़ छात्रों को पठन सामग्री, ऑनलाइन टूल्स तथा लर्निंग सिस्टम्स की गहन जानकारी दी गई।
तत्पश्चात कार्यशाला में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, चेन्नई के डा. सत्या सुंदर सेठी, किर्गिस्तान की अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ वर्सेविया गुरा, भारतीय प्रबंध संस्थान काशीपुर के डा. बहरुल इस्लाम तथा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ डा. अभिजीत विश्वास ने ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में नवीनतम तकनीक के प्रयोग के संदर्भ में अपने-अपने व्याख्यान दिए। इसी क्रम में जीएलए विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ऑनलाइन एजुकेशन के एसोसिएट डायरेक्टर डा. पीयूष मित्तल तथा संस्थान की विषय-विशेषज्ञ डा. खुशबू श्रीवास्तव ने भी ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में सेल्फ अनुशासन, मोटिवेशन एंड स्टूडेंट ओरिएंटेड लर्निंग विषय पर अपने व्याख्यान दिए।
विदित रहे कि कार्यशाला को इंडियन काउंसिल फॉर सोशल साइंस रिसर्च, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा स्पॉन्सरशिप भी प्रदान की गई। कार्यशाला में जीएलए विश्वविद्यालय सहित देश के अन्य कई संस्थानों के शिक्षकों ने भी सहभागिता की।
कार्यशाला के दौरान जीएलए विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ऑनलाइन एजुकेशन संस्थान के निदेशक प्रो. दिवाकर भारद्वाज ने बताया कि जीएलए विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन एजुकेशन की शुरूआत जबसे की तभी से ऑनलाइन एजुकेशन में छात्रों का काफी रूझान देखने को मिला है। ऑनलाइन एजुकेशन के छात्रों को ऐसी शिक्षा प्रदान की जा रही है, जैसे उन्हें लग रहा है कि वह विश्वविद्यालय के क्लास रूमों में बैठकर अध्ययन कर रहे हैं।
इस मौके एसोसिएट डायरेक्टर प्रो. पीयूष मित्तल, असिस्टेंट डायरेक्टर डा. रोहित सिंह तोमर तथा सेमिनार की संयोजक डा. खुशबू श्रीवास्तव विशेष रूप से उपस्थित रहीं।
झीलों की नगरी का भ्रमण कर लौटे राजीव इंटरनेशनल स्कूल के विद्यार्थी
- चार दिवसीय शैक्षिक भ्रमण में जाना उदयपुर और चित्तौड़गढ़ का ऐतिहासिक महत्व
मथुरा। विद्यार्थी जीवन में शैक्षिक भ्रमण का बहुत महत्व है। जिन ऐतिहासिक शहरों और स्थलों की बातें छात्र-छात्राएं पुस्तकों में पढ़ते हैं, यदि उन्हें साक्षात देखने का सुअवसर मिले तो इससे अच्छी एवं सुखद बात दूसरी नहीं हो सकती। इसी बात को ध्यान में रखते हुए राजीव इंटरनेशनल स्कूल के कक्षा 11 और 12 के छात्र-छात्राओं को ऐतिहासिक उदयपुर और चित्तौड़गढ़ का चार दिवसीय शैक्षिक भ्रमण कराया गया।
अपनी इस शैक्षिक यात्रा में छात्र-छात्राओं ने पहले दिन सिटी पैलेस, जगदीश टेम्पल, प्रताप स्मारक और फतेहसागर झील का भ्रमण किया। दूसरे दिन छात्र-छात्राओं ने हल्दीघाटी, चेतक समाधि एवं महाराणा प्रताप म्यूजियम का दौरा कर वहां के ऐतिहासिक महत्व को जाना और समझा। तीसरे दिन छात्र-छात्राओं ने चित्तौड़गढ़ फोर्ट, विजय स्तम्भ, राणा कुंभा पैलेस, फतेह प्रकाश पैलेस एवं पद्मिनी पैलेस का भ्रमण किया। अपने इस शैक्षिक भ्रमण में छात्र-छात्राओं ने न केवल ऐतिहासिक स्मारक देखे बल्कि उदयपुर-चित्तौड़ क्षेत्र में स्थित विभिन्न भूवैज्ञानिक सरंचनाओं,चट्टानों और खनिजों का सर्वेक्षण एवं अध्ययन भी किया।
इस शैक्षिक भ्रमण में छात्र-छात्राओं ने चौथे दिन मानव विज्ञान सर्वेक्षण संग्रहालय का अवलोकन कर मानव की उत्पत्ति व सभ्यता-संस्कृति के साथ-साथ जीवन शैली को समझने का प्रयास किया। इस शैक्षिक यात्रा में विद्यार्थियों के लिए पहाड़ों और प्रकृति की गोद में बसे टर्बन रूफ होटल में रहने का इंतजाम किया गया था। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने डीजे नाइट एवं शॉपिंग का जमकर लुत्फ उठाया।
शैक्षिक भ्रमण से वापस लौटे छात्र-छात्राओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने झीलों की नगरी की सुन्दरता तथा ऐतिहासिक स्थलों के विषय में जो कुछ भी पुस्तकों में पढ़ा उसका साक्षात अवलोकन करना सबसे सुखद अनुभूति है। अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए छात्रों ने बताया कि यह टूर उनके लिए अविस्मरणीय रहेगा क्योंकि उनके साथ गए शिक्षकों ने उन्हें ऐतिहासिक स्थलों का न केवल भ्रमण कराया बल्कि उसके महत्व से भी अवगत कराया।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि छात्र-छात्राओं को किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान देना बहुत आवश्यक है। पूरे सत्र पढ़ते-पढ़ते बच्चों को बोरियत होने लगती है, ऐसे में शैक्षिक भ्रमण से उनमें ताजगी का संचार हो जाता है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि जो बातें हम किताबों में पढ़कर नहीं सीख सकते, वे बातें शैक्षिक भ्रमण में आसानी से समझ में आ जाती हैं।
प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि नई पीढ़ी को ऐतिहासिक स्थलों के महत्व से रूबरू कराया जाना बहुत जरूरी है। श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी को किताबी ज्ञान देने के साथ ही उन्हें गौरवमयी संस्कृति की जानकारी देने के लिए ही राजीव इंटरनेशनल स्कूल द्वारा समय समय पर शैक्षिक भ्रमण पर उन्हें ले जाया जाता है। विद्यालय की शैक्षिक संयोजिका प्रिया मदान ने बताया कि राजस्थान का गौरवमयी इतिहास देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है। अतः नई पीढ़ी को उसकी जानकारी देने का यह बहुत अच्छा माध्यम है।
बरसाना – चमत्कारिक है पिसाये की झड़ी – राधारानी ब्रजयात्रा
राधा रानी ब्रजयात्रा आज चौथे दिन बरसाना से चलकर ब्रजेश्वर महादेव ,करहला ,बज्रनाभ समाधी,पिसाया मंदिर होते हुए पिसाया झाड़ी विश्राम स्थल पहुँची ।
मार्ग में पड़ने वाले लीला स्थलों के संदर्भ में जानकारी देते हुए राधा कान्त शास्त्री ने बताया कि राधा रानी के पिता श्री वृषभानु बाबा के इष्ट ब्रजेश्वर महादेव हैं । सभी यात्रियों ने भोले बाबा के दर्शन किए ।यहीं प्राचीन लीला स्थल रबड़ वन और पाडर वन भी दर्शनीय हैं ।इनके भी यात्रा ने दर्शन किए ।इसके पश्चात यात्रा का कारवां करहला पहुँचा।घमंड देवाचार्य ने यहीं से रास का शुभारंभ किया था ।कहते हैं कि अदृष्ट शक्ति ने घमंड देवाचार्य जी को स्वर्ण मुकुट दिया था । वही मुकुट महारास के दिन आज भी धारण कराया जाता है ।यात्रियों ने रासमण्डल पर खूब रास किया । यहाँ से वज्रनाभ जी की समाधी के दर्शन किए ये भगवान के प्रपौत्र थे ;इन्होंने ब्रज की पुरातन लीला स्थलियों की खोज की थी ।
अंत में पहुँचे ग्राम पिसाया जिसे पिपासा वन कहते हैं यहाँ भगवान श्री कृष्ण को प्यास लगी तो आवाज लगाई वहाँ करहला की गोपी ने हाथ हिलाया की मैं आरही हूँ ।कर हिलाने से गाँव का नाम करहला पड़ गया ।पिपासा वन में यात्रिओं ने भगवन्नाम संकीर्तन की मधुर ध्वनियों का श्रवण करते करते हुए शयन किए ।भक्त शरणजी ने समस्त लीला स्थलों की महिमा का उल्लेख किया ।पिसाया की झड़ी में कहते हैं कि श्रापित अश्वत्थामा आज भी निवास करते हैं। यहाँ से कोई लकड़ी भी नहीं काट सकता है ।यदि कोई लकड़ी काटता भी है तो उसके यहाँ कोई दुर्घटना अवश्य हो जाती है ।इस तरह यह बड़ा ही चमत्कारी स्थान है ।
संस्कृति विश्वविद्यालय ने मनाई कलाम की जयंती, किया याद
मथुरा। संकृति यूनिवर्सिटी के टेक्नो विज़न क्लब द्वारा वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे पर भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा.एपीजे कलाम की जयंती पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर उनके जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। वक्ताओं ने विद्यार्थियों से अपेक्षा की कि वे उनकी जीवनी पढ़ेंगे और चुनौतियों से कैसे निबटा जाता है, जानेंगे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्कृति स्कूल आफ एप्लाइड पालिटिकल साइंस के निदेशक डा. रजनीश त्यागी ने पूर्व राष्ट्रपति के सादगी भरे जीवन के विषय में अनेक रोचक किस्से सुनाते हुए कहा कि उनके जन्मदिवस को हम विश्व विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाते हैं। डा. कलाम के जीवन का हर पक्ष प्रेरणादायक है। वे सादगी की मिसाल थे और त्याग क्या होता है उनके जीवन से प्रेरणा लेकर जाना जा सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि हम कमजोर क्यों हैं, हमको ताकतवर बनना है और देश को ताकतवर बनाना है। संस्कृति स्कूल आफ इंजीनिरिंग की डीन डा. एस वेराचेल्ली ने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं तमिलनाडु से हूं, जहाँ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म हुआ। उन्होंने साबित किया कि सफलता पाने के लिए न भाषा रुकावट होती है और न ही आर्थिक स्थिति। असफलता सफलता की पहली सीढ़ी है। असफलता से आपको घबराना नहीं चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान स्टूडेंट वेलफेयर विभाग के डीन डा. डीएस तौमर ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम में एसओईआईटी के विभागाध्यक्ष डा. पंकज ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के आयोजन आयोजन में टेक्नो विज़न क्लब की वर्किंग कमिटी के अध्यक्ष यश श्रीवास्तव और टेक्नो विज़न क्लब की वर्किंग कमिटी के सदस्यों रंजन शर्मा, रिद्धि, रोहित कुशवाहा, वरुण शर्मा, प्रशांत कुमार, शिवम,और निधि, का विशेष सहयोग रहा।
कार्यक्रम के अंत में असिस्टेंट डीएसडब्लू, प्रोफेसर डा. रीना रानी ने धन्यवाद देते हुए कहा कि वे सभी अधिकारी और विद्यार्थी धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने ऐसे प्रेरणादायक व्यक्तित्व को जो हमारे 11वें राष्ट्रपति रहे, को याद करने के लिए ऐसा कार्यक्रम आयोजित किया।
जीएल बजाज के छात्र-छात्राओं ने दिखाया रचनात्मक कौशल
- आईईईई दिवस पर हुआ इनोवेटर्स पिच का आयोजन
- विजेता ग्रुपों को शील्ड और प्रमाण-पत्र देकर किया प्रोत्साहित
मथुरा। संचार और नेटवर्किंग के क्षेत्र में भविष्य की सम्भावनाओं को देखते हुए जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा द्वारा आईईईई के 15 वर्ष पूरे होने पर संचार इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राओं के ज्ञान और कौशल मूल्यांकन के लिए इनोवेटर्स पिच का आयोजन किया गया। आईईईई स्टूडेंट्स ब्रांच द्वारा आयोजित इनोवेटर्स पिच का शुभारम्भ संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने किया। 30 टीमों के बीच हुई प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं ने अपनी बौद्धिक क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया। इनोवेटर्स पिच के समापन अवसर पर विजेता तथा उप विजेता टीमों को शील्ड और प्रमाण पत्र प्रदान कर प्रोत्साहित किया गया।
रिचा मिश्रा और कुणाल माहेश्वरी ने इनोवेटर्स पिच के आयोजन के उद्देश्य तथा आईईईई क्या है, इस पर विस्तार से जानकारी दी। रिचा मिश्रा ने बताया कहा कि बेहतर कल के लिए प्रौद्योगिकी का सही इस्तेमाल किया जाना बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि आईईईई दुनिया का सबसे बड़ा तकनीकी पेशेवर संगठन है। कुणाल माहेश्वरी ने कहा कि छात्र-छात्राओं के ज्ञान का विस्तार करने, नए कौशल का परीक्षण करने तथा नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए ही इनोवेटर्स पिच का आयोजन किया गया।
प्रतिस्पर्धा में 30 टीमों के छात्र-छात्राओं ने लेवरेजिंग टेक्नोलॉजी फॉर ए बेटर टुमॉरो विषय पर अपने-अपने नवाचारी विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम की शुरुआत आईईईई के महत्व के बारे में जानकारी देने से हुई, जिसमें तकनीकी पेशेवरों के योगदान को रेखांकित किया गया। प्रतिस्पर्धा में छात्र-छात्राओं की उत्साही भागीदारी देखी गई। सभी टीमों के छात्र-छात्राओं ने अपने अभिनव विचारों को प्रदर्शित किया तथा यह संदेश दिया कि कैसे प्रौद्योगिकी एक उज्ज्वल भविष्य को आकार दे सकती है।
अंत में निर्णायकों संतोष कुमार चौहान, नंदिनी शर्मा तथा विवेक भारद्वाज द्वारा विजेता तथा उप विजेता टीमों की घोषणा की गई। काव्या गोयल और यथार्थ राय के शानदार प्रयासों से टीम इंस्पायर ने पहला स्थान प्राप्त किया। इसी तरह तान्या गुप्ता और यशी लवानिया की टीम सिनौरा को पहला रनरअप तथा टीम इनो वेंचर्स और टीम जीउस को संयुक्त रूप से दूसरे रनरअप का खिताब प्रदान किया गया। टीम इनो वेंचर्स में आदित्य शर्मा और श्रेया मिश्रा तथा टीम जीउस में याज्ञनिक शर्मा तथा समीक्षा शामिल रहे। इनोवेटर्स पिच में हिस्सा लेने वाले सभी प्रतिभागियों को उनकी रचनात्मकता के लिए प्रशंसा-पत्र दिए गए।
यह आयोजन आईईईई के साथ जुड़े रहने तथा तकनीकी प्रगति में योगदान देने के लिए प्रेरणादायक रहा। पुरस्कार वितरण समारोह में विजेता तथा उप विजेता टीमों को पुरस्कृत करने के बाद संजीव कुमार सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का समापन फोटोग्राफी सेशन के साथ हुआ, जिसमें दिन के आनंदमयी पलों को कैमरे में कैद किया गया।
ब्रज का प्रत्येक राज कण साक्षात राधा कृष्ण – रमेश बाबा
राधा रानी ब्रज यात्रा के तृतीय दिवस में जब यात्रा ने प्रातः प्रस्थान किया तो यात्रा संचालक पद्मश्री रमेश बाबा ने यात्रियों को संबोधित करते हुए ब्रजरज का माहात्म्य कथन किया और वे बोले कि ब्रजवसुंधरा का प्रत्येक राज कण राधा माधव का ही स्वरूप है ।इस की प्राप्ति के लिये ब्रह्मा शंकर भी तरसते रहते हैं । ब्रह्माचल व सखी गिरि पर्वत के मध्य रेतीली भूमि होने से सभी यात्री धूल धूसरित होरहे थे ;इसी अद्भुत दृश्य ने बाबा को प्रेरित कर दिया कि बाबा इस धूल की महिमा का वर्णन करें ।राज में स्नान करते हुए यात्री सखी गिरि की चोटियों पर राधा माधव की लीलाओं के साक्षी विविध लीला चिन्हों के दर्शन से आनंद विभोर हुए । हाथी का पैर ,गाय का खुर ,लकुट,दूध कटोरा ,चित्र विचित्र शिला आदि लीला चिन्ह पुरातन काल की लीलाओं के प्रमाण स्वरूप हैं । यहीं सखी कूप भी है ।
इसके पश्चात यात्री देह कुंड पर पहुँचे ।कुंड में आचमन करके ललिता अटा चढ़े तथा दाऊ जी के दर्शन करते हुए सूर्य कुंड पहुँचे जहां यात्रियों को बालभोग कराया गया । यात्री नांचते गाते प्रिय कुंड के दर्शन कर वृषभानु कुंड और कीर्ति कुंड पहुँच कर आत्मतृप्त हुए। बरसाना की गलियों से निकले तो ब्रजवासियों ने बाबा और यात्रियों का पुष्प वर्षा तथा माला दुपट्टा आदि से भव्य स्वागत किया। इसके बाद चित्रा सखी मंदिर माहेश्वर कुंड दोहिनी कुंड माताजी गोशाला होते हुए अपने पड़ाव पर पहुँचे जहां भक्त शरणजी ने सभी स्थलों का माहात्म्य निरूपण किया ।ब्रज शरण जी नृसिंह दासजी राजकुमार जी राधा कान्त शास्त्री संजय सिंह प्रभु दास भगवत भक्त जी आदि सभी यात्रा के साथ चल रहे थे ।बरसाना में राधा कान्त शास्त्री ने भगवन्नाम प्रभात फेरी नित्य धूम धाम से निकालने का अनुरोध किया ।

