Sunday, December 28, 2025
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छात्र ने लगाया साधु पर गुप्तांग गायब करने का आरोप

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  • ठर्की साधु को पुलिस ने गिरफ्तार कर भेजा जेल

रिपोर्ट राघव शर्मा

बरसाना छाता से टैंपो में बैठकर बरसाना आ रहे छात्र के साथ साधु ने की गलत हरकत। वहीं छात्र ने साधु पर गुप्तांग गायब करने का आरोप लगाया। पुलिस ने ठर्की साधु को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। छात्र द्वारा लगाए आरोपों का पुलिस ने खंडन किया है।

गुरुवार की शाम जीएलए से पढ़कर राधेश्याम निवासी लौधोली छाता से टैंपो में बैठकर बरसाना आ रहा था। छात्र राधेश्याम के साथ एक साधु भी टैंपो में बैठा हुआ था। इस दौरान ठर्की साधु ने कई बार छात्र के साथ गलत हरकत करने का प्रयास किया। जिसका छात्र ने विरोध किया। छात्र ने आरोप लगाया कि उक्त साधु ने मंत्र से उसके गुप्तांग गायब कर दिए। जिसके बाद छात्र अपने स्वजनों के साथ साधु की शिकायत करने थाना पहुंचा। छात्र द्वारा लगाए आरोपों को सुनकर पुलिस भी दंग रह गई। वहीं पुलिस ने साधु को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। थाना प्रभारी निरीक्षक अरविंद कुमार निर्वाल ने बताया कि साधु जयराम निवासी भीलवाड़ा राजस्थान का रहने वाला है। जो कई वर्षो से प्रियाकुंड पर रह रहा है। छात्र द्वारा गुप्तांग गायब करने के आरोप निराधार है। कथित साधु को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

सैकड़ो पेड़ और हजारों परिंदों के हत्यारे बड़े राक्षस

विजय गुप्ता की कलम से

     मथुरा। वृंदावन में सैकड़ो हरे पेड़ों और उन पर बसेरा करने वाले हजारों परिंदों के हत्यारे बड़े राक्षस हैं। दो लोग आपस में बातचीत कर रहे थे। एक ने कहा कि देखो बड़े लोगों की करतूत कितनी निम्न स्तर की है। दूसरे ने जवाब दिया के इन्हें बड़े कहकर अपने मुंह को क्यों गंदा कर रहे हो? ये बड़े कहां है? अगर बड़े हैं तो बड़े राक्षस हैं।
     कहने सुनने में तो बात बड़ी साधारण सी लगती है, किंतु अगर हम इस दिशा में गंभीरता से मनन करें तो लगेगा की बात बड़ी है। बड़ी नहीं बहुत बड़ी है। बहुत बड़ी के अलावा बड़े ही मार्के की है। हम पैसे की तृष्णा में किस हद तक नींचे जा चुके हैं। ऐसा लगता है कि अब तो कलयुग का प्रभाव अपने चरम पर है। धन लिप्सा की अंधी दौड़ यह नहीं देख रही कि जो कुछ हम कर रहे हैं, वह हमारे लिए ही घातक है। हमारा जन्म जन्मांतर बिगड़ रहा है। हमारी अगली पीढ़ी के संस्कार बिगड़ रहे हैं। पता नहीं इस प्रकार के जघन्य पापों को करने के बाद आगे चलकर हमारा जन्म किस योनि में होगा और क्या-क्या भोग हमें भोगने पड़ेंगे।
     भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि नींच कर्म करने वालों को मैं बारंबार शूकर कूकर आदि नींच योनियों में गिराता हूं। अब इसी बात पर एक छोटी सी घटना आपको बताता हूं। यह घटना भले ही छोटी सी है किंतु इसके पीछे का मर्म बड़ा गहरा, गंभीर और चिंतनीय है।
     कुछ दिन पहले की बात है एक कुत्ता जिसकी नार के ऊपर कटोरे जितना बड़ा घाव था। उसमें कीड़े कुलबुला रहे थे। कुछ और कुत्ते उस पर भौंके जा रहे थे तथा उसे एक क्षण के लिए भी कहीं टिकने नहीं दे रहे थे। वह कुत्ता अपनी जान बचाता फिर रहा था। जब वह इधर-उधर छिपता तो आसपास के इंसान उसे दुत्कार कर भगा देते। उसके घाव में इतनी भयंकर दुर्गंध कि दूर से ही लोग अपनी नाक को ढके जा रहे थे।
     यह सब घटनाक्रम देखकर मेरे मन में आया कि सेवा का असली पात्र यह घायल कुत्ता है। इसे किसी प्रकार पकड़ कर बेहोश कर दिया जाए और फिर उसके बाद उसके जख्म की सफाई और दवाई का काम हो तो कितना अच्छा हो। इससे बड़ी सेवा और कोई नहीं होगी। यह सब सोचते सोचते मेरे मन में कुछ और चलने लगा।
     मेरे मन में विचार आया कि भले ही हम सोचें विचारें और कुछ करें न करें यह बात अलग है, किंतु इसके कर्म भोगों को कहां ले जाएंगे? यह कुत्ता जरूर कोई जघन्न अपराधी रहा होगा, तभी ईश्वर ने इसकी यह दशा की है। अब आगे कुछ कहने की जरूरत नहीं सब कुछ साफ है।
     हमें यह विचार करना चाहिए कि हमारा भविष्य कहीं ऐसा न हो जो हम किसी न किसी प्रकार की घृणित दुर्गतियों से गुजरें। कोई माने या ना माने यह ध्रुव सत्य है कि अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है। चाहे इस जन्म में भोगें या अगले जन्मों में। यह क्रम सदा से चला आया है और सदा चलता रहेगा। इस दिशा में इंसान को जरूर सोचना चाहिए और किसी भी प्रकार के बुरे कर्मों से हमेशा दूर रहकर अपना जीवन गुजारते हुए सद्गति प्राप्त करनी चाहिए। वर्ना उस कुत्ते जैसी दुर्गति का इंतजार करना चाहिए। कभी कभी लोग बुरे कर्म करने वालों के लिए कह देते हैं कि कुत्ते की मौत मरेगा। अब तय कर लो कि कुत्ते की मौत मरना है या सुख शांति से मरकर सद्गति प्राप्त करनी है?

नहर की पटरी पर बोरे में बंद मिली लाश बनी कंकाल

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थाना राया क्षेत्र अंतर्गत माट ब्रांच गंगनगर गाँव इटौली के समीप पटरी पर बोरे में बंद सब मिलने से सनसनी फैल गई ।घटना की जानकारी होते ही पुलिस मौके पर पहुंची और सब को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया।और शव की शिनाख्त के लिये आसपास के लोगों से जानकारी की गई।वहीँ अन्य थानों को भी सूचना दी गई।नहर किनारे शव मिलने की जानकारी आसपास के ग्रमीणों को हुई तो मौके पर हजूम लग गया।बोरे में बंद मिली लाश कंकाल बन चुकी थी इस लिये लोग पहचान नहीं कर सके।लोगों का कहना यह था कि हत्या कर शव ठिकाने लगाने का प्रयास किया गया है।फ़िलहाल पुलिस शव की शिनाख्त में जुटी हुई है।शव देखने से कई दिन पुराना लग रहा है।मृतक का शव पूरा कंकाल बन चुका है।उसकी उम्र करीब 40 वर्ष प्रतीत हो रही है।
बताया गया है कि बोरे में बंद मिले शव से गन्द आ रही थी।खेतों पर काम कर रहे किसानों ने जब देखा तो पटरी पर एक बन्द बोरी पड़ी थी।जिसकी सूचना पुलिस को दी गई ।जब बारे को खोलकर देखा तो दंग रह गये।फ़िलहाल पुलिस घटना की जाँच में जुटी हुई है।

जीएलए में आठ प्रतिष्ठित विभूतियों ने साझा किए आध्यात्म और सफल कॅरियर के गुर

  • जीएलए में आयोजित टेडएक्स कार्यक्रम में प्रतिष्ठित वक्ताओं से रूबरू हुए विद्यार्थी

मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा एवं स्पार्कल टीबीई द्वारा “क्रिएटिविटी अनलेश दा माइंड” थीम पर “टेडएक्स जीएलएयू 24” का भव्य आयोजन किया गया। इस बार के कार्यक्रम में 8 वक्ताओं का संबोधन हुआ। सभी प्रतिष्ठित वक्ताओं ने विद्यार्थियों के साथ सफल कॅरियर आध्यात्म के गुर साझा किए।

कार्यक्रम में जीएलए के प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने उद्घाटन भाषण के साथ 8 वक्ताओं में आध्यात्मिक वक्ता इंद्रेश उपाध्याय, पत्रकार रंजना सिंह राठौर, लाइफ कोच मोटिवेशनल स्पीकर विमल डागा, आध्यात्मिक गायक गोविंद कृष्णा दास, शिक्षाविद् राहुल भार्गव, उद्यमी प्रतीक सिंघल, मेडीकल इनोवेटर डॉ. सार्थक बक्शी, सस्टेनेबिलिटी पल्लवी महाजन का स्वागत किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता द्वारा अतिथि वक्ताओं के साथ दीप प्रज्वलित करके किया गया।
आध्यात्मिक वक्ता इंद्रेश उपाध्याय ने अपने भाषण की शुरुआत एक श्लोक से की, उन्होंने बताया कि कैसे युवा आध्यात्म को अपना रहे हैं। उन्होंने धैर्य, क्षमा और यह विचार कि कोई भी आपका शत्रु नहीं है, पर चर्चा की और यह भी सलाह दी कि कम खाना और कम बोलना आपके जीवन में शांति ला सकता है। जबकि कार्यक्रम की शुरुआत आध्यात्मिक गायक गोविंद कृष्णा दास से हुई, जिन्होंने रचनात्मकता पर अपने विचार व्यक्त किए।

उन्होंने बच्चों का उदाहरण देते हुए समझाया कि बच्चे सबसे रचनात्मक होते हैं। इसके बाद, पत्रकार रंजना सिंह राठौर ने महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता पर अपने विचार रखे। फिर शिक्षाविद् राहुल भार्गव ने अपने जीवन के अनुभवों को रचनात्मकता से जोड़ते हुए अपनी यात्रा साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे वे शून्य से ग्लोबल स्तर तक पहुंचे और उन्होंने दुनियाभर में 1,357 सत्र किए।

उद्यमी प्रतीक सिंघल ने अपने करियर की यात्रा साझा की, जिसमें उन्होंने स्टार्टअप्स में अपने अनुभव और असफलता से सफलता तक का सफर मेडिकल इनोवेटर डॉ. सार्थक बक्शी ने रचनात्मकता को खोलने के कुछ पैरामीटर्स जैसे “बॉक्स के अंदर सोचने“, विचारों को उकसाने और चुनौतियों को स्वीकारने के बारे में बताया।

सस्टेनेबिलिटी पायनियर पल्लवी महाजन ने अपने विचार साझा किए और उदाहरणों के साथ सस्टेनेबिलिटी को थीम “क्रिएटिविटी अनलेश दा माइंड” से जोड़ा। फिनटेक इनोवेटर अनंत देशपांडे ने छात्रों को फिनटेक की दुनियां के बारे में जानकारी दी और उन क्षेत्रों पर प्रकाश डाला जहां इसमें सुधार की जरूरत है। उन्होंने नवाचार को रचनात्मकता से जोड़ा और युवाओं को एक स्पष्ट दिशा दिखाई।

अंत में लाइफ कोच विमल डागा ने अपने जीवन के अनुभव साझा किए और भोजन और पोषण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने युवाओं को मूल्यवान संपत्ति बताते हुए प्रेरित किया और उनकी ऊर्जा को जगाया। अभिषेक गौतम द्वारा बताया गया इस वर्ष का विषय, “रचनात्मकता मन को उजागर करती है में 8 प्रतिष्ठित विभूतियों द्वारा अपने विचार साझा किए, जिससे विद्यार्थियों को प्रेरणा और मोटिवेशन मिला।

कार्यक्रम आयोजक उदय गुप्ता ने जीएलए विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में उपस्थित सभी वक्ताओं एवं पूरी टीम को धन्यवाद दिया। कोऑर्डिनेटर जितेन्द्र कुमार ने जीएलए विश्वविद्यालय मैनजमेंट विशेषकर सीईओ नीरज अग्रवाल एवं सीएफओ विवेक अग्रवाल के प्रति आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में पुष्कर शर्मा, अजितेश कुमार, दीपक शर्मा का योगदान सराहनीय रहा।

जीएलए में फार्मासिस्ट दिवस पर आयोजित हुए कार्यक्रम
मथुरा : विश्व फार्मासिस्ट दिवस विश्व में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अहम भूमिका को निभाने वाली फार्मासिस्ट न केवल दवाओं का वितरण करते हैं, अपितु उनका निर्माण भी करते हैं। प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी जीएलए के फार्मेसी विभाग ने छात्र एवं छात्राओं के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया। विभाग के निदेशक प्रो. अरोकिया बाबू एवं विभाग की एचओडी प्रो. मीनाक्षी बाजपेई ने दीप प्रज्वलित कर आयोजन का शुभारंभ किया। प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी विभाग में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। डा. जितेंद्र कुमार गुप्ता के नेतृत्व में फार्मा रैली एवं स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन किया तथा डा. शिल्पी पाठक के नेतृत्व में ऑनलाइन ई पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। स्लोगन प्रतियोगिता में प्रथम वर्ष से मानसी कुमारी बीफार्म, द्वितीय वर्ष से शगुन कुमारी बीफार्म एवं तृतीय वर्ष से अनमोल गोस्वामी बीफार्म और अंतिम वर्षीय रामकृष्ण भारद्वाज बीफार्म ने प्रथम स्थान हासिल किया। ई पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान अनुराग सिंह बी फार्म तथा द्वितीय वर्ष से मनु कुमार बीफार्म ने द्वितीय स्थान ग्रहण किया। जीएलए के सर्वसम्माननीय अध्यापक एवं अध्यापिकाओं ने सभी का आभार व्यक्त किया।

भाजपा शिक्षण प्रकोष्ठ ने पं.दीनदयाल के जीवन से प्रेरणा लेने का किया आह्वान

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मथुरा। भारतीय जनता पार्टी शिक्षण संस्थान प्रकोष्ठ द्वारा विगत बुधवार को संस्कृति विश्वविद्यालय के सभागार में एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती मनाई गई। इस मौके पर वक्ताओं ने उपस्थित श्रोताओं को पं.दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की उपयोगिता और महत्व पर प्रकाश डालते हुए उनके जीवन से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम की संयोजिका भारतीय जनता पार्टी शिक्षण संस्थान प्रकोष्ठ की क्षेत्रीय संयोजक डा. मीनाक्षी शर्मा ने श्रोताओं को बताया कि पण्डित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी। वे एक समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे। राजनीति के अतिरिक्त साहित्य में भी उनकी गहरी अभिरुचि थी। उन्होंने विद्यार्थियों को उनके जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया l
राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के राष्ट्रीय मंत्री डा. रजनीश त्यागी ने दीनदयालजी के कठिन जीवन संघर्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1916 को धनकिया नामक स्थान, जयपुर अजमेर रेलवे लाइन के पास [राजस्थान] हुआ था। उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय था, नागला चंद्रभान दीनदयाल जी का पैतृक गांव था, और नगला चंद्रभान (फरह, मथुरा) के निवासी थे। दो वर्ष बाद दीनदयाल के भाई ने जन्म लिया। पिता भगवती प्रसाद ने बच्चों को ननिहाल भेज दिया। दीनदयाल अभी 3 वर्ष के भी नहीं हुये थे, कि उनके पिता का देहान्त हो गया। पति की मृत्यु से माँ रामप्यारी को अपना जीवन अंधकारमय लगने लगा। 8 अगस्त 1924 को उनका भी देहावसान हो गया। उस समय दीनदयाल 7 वर्ष के थे। 1926 में नाना चुन्नीलाल भी नहीं रहे। 1931 में पालन करने वाली मामी का निधन हो गया। 18 नवम्बर 1934 को भाई शिवदयाल ने भी उपाध्यायजी का साथ सदा के लिए छोड़कर दुनिया से विदा ले ली। 1935 में स्नेहमयी नानी भी स्वर्ग सिधार गयीं। 19 वर्ष की अवस्था तक उपाध्याय जी ने मृत्यु-दर्शन से गहन साक्षात्कार कर लिया था। 8वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उपाध्याय जी ने कल्याण हाईस्कूल, सीकर, राजस्थान से दसवीं की परीक्षा में बोर्ड में प्रथम स्थान प्राप्त किया। 1937 में पिलानी से इंटरमीडिएट की परीक्षा में पुनः बोर्ड में प्रथम स्थान प्राप्त किया। 1939 में कानपुर के सनातन धर्म कालेज से बी०ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।ी से एम०ए० करने के लिए सेंट जॉन्स कालेज, आगरा में प्रवेश लिया और पूर्वार्द्ध में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुये। बीमार बहन रामादेवी की शुश्रूषा में लगे रहने के कारण उत्तरार्द्ध न कर सके। बहन की मृत्यु ने उन्हें झकझोर कर रख दिया। मामाजी के बहुत आग्रह पर उन्होंने प्रशासनिक परीक्षा दी, उत्तीर्ण भी हुये किन्तु अंगरेज सरकार की नौकरी नहीं की। 1941 में प्रयाग से बी०टी० की परीक्षा उत्तीर्ण की। बी०ए० और बी०टी० करने के बाद भी उन्होंने नौकरी नहीं की। 1937 में जब वह कानपुर से बी०ए० कर थे, अपने सहपाठी बालूजी महाशब्दे की प्रेरणा से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आये। संघ के संस्थापक डॉ० हेडगेवार का सान्निध्य कानपुर में ही मिला। उपाध्याय जी ने पढ़ाई पूरी होने के बाद संघ का दो वर्षों का प्रशिक्षण पूर्ण किया और संघ के जीवनव्रती प्रचारक हो गये। आजीवन संघ के प्रचारक रहे।
डा. केके पाराशर ने भी इस मौके पर अपने विचार व्यक्त किए। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ब्रज प्रांत के सह संयोजक डीएस तोमर ने कार्यक्रम का संचालन किया।

विश्व पर्यटन दिवस पर गीता शोध संस्थान में हुआ यमुना के तीर पद गायन

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  • समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वीडियो संदेश सुनाया गया
  • ब्रज की रासलीला व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों से ब्रज के पर्यटन को मिल रहा बढ़ावा

वृंदावन। विश्व पर्यटन दिवस-2024 पर उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने जनपद मथुरा के विभिन्न दर्शनीय स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए। पर्यटन को बढ़ावा देने संबंधी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वीडियो संदेश भी सुनाया गया।
विश्व पर्यटन दिवस पर शुक्रवार 27 सित॔बर को गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी वृंदावन में रासलीला मंचन सीख रहे बालक-बालिकाओं ने भी यमुना के तीर लीला की प्रस्तुति दी। मुख्य अतिथि इनरव्हील क्लब की जोनल अध्यक्ष अनुपमा और स्वामी हरिदास फाउंडेशन के अध्यक्ष व सेवायत प्रहलाद बल्लभ गोस्वामी थे। मुख्य अतिथि अनुपमा का स्वागत कलाकार प्रियंका ने किया। अतिथियों के सम्मुख बच्चों ने शानदार प्रस्तुति दी।
गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी के निदेशक प्रो दिनेश खन्ना ने बताया कि वृंदावन में बहुत तेजी के साथ पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। संस्थान का प्रयास है कि रासलीला का संरक्षण हो। इसे बचाया जाए। यहां रासलीला सिखाने और मंचन के लिए कलाकार तैयार किये जा रहे हैं। ब्रज की सांस्कृतिक विधाओं की मंचन आज से भी ब्रज में बहुत तेजी से पर्यटन बढा है।
मुख्य अतिथि रोटरी क्लब की महिला विंग इनरव्हील क्लब की जोनल अध्यक्ष अनुपमा ने कहा कि बच्चों ने जो प्रस्तुति दी है वह अपने आप में अनूठी है। उप्र पर्यटन और ब्रज तीर्थ विकास परिषद बहुत ही निष्ठा के साथ न केवल ब्रज का विकास कर रहा है बल्कि यहां की सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
विशिष्ट अतिथि सेवायत प्रहलाद बल्लभ गोस्वामी ने स्वामी हरिदास के पदों पर रासलीला तैयार कर मंचन का सुझाव दिया।
पर्यटन विभाग के अजीत सिंह और खजान सिंह ने कलाकारों और उपस्थित गणमान्य को पर्यटन विभाग के ब्रोसर प्रदान किये। साथ ही विभाग की ओर से गीता शोध संस्थान के निदेशक, ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा उमेश चंद्र शर्मा और समन्वयक चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार का पटुका पहना कर स्वागत किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री का पर्यटन को बढ़ावा देने संबंधी संदेश का वीडियो भी सुनाया गया।

परमेश्वरी देवी धानुका विद्यालय के खिलाड़ियों ने कुराश में प्राप्त की ऑल ओवर चैम्पियनशिप

  • जीते 11 स्वर्ण, 4 रजत एवं 5 कांस्य पदक

वृंदावन। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा स्थानीय परमेश्वरी देवी धानुका सरस्वती विद्या मंदिर में आयोजित 35 वीं अखिल भारतीय जूडो और कुराश प्रतियोगिता में विद्यालय के खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न भार वर्गों में अखिल भारतीय स्तर पर स्वर्ण पदक प्राप्त कर एसजीएफआई की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने की पात्रता हासिल की।बालकों की जूडो प्रतियोगिता में अपने-अपने वर्गों में अण्डर-14 में आयुष, प्रशांत पाण्डेय, देवराज अण्डर-17 में मोहित चौधरी ने स्वर्ण अण्डर-19 में तरूण एवं प्राशू सिंह ने कांस्य पदक प्राप्त कर किया।
बालकों की कुराश प्रतियोगिता में अण्डर-14 में राज सोलंकी, त्रिलोकी नाथ गौतम, कुश पाण्डेय, ईशांत ने स्वर्ण, भैया लक्ष्मण एवं अनुज ने रजत, अण्डर-17 में संदीप ने स्वर्ण यशराज ने रजत, भैया आदर्श, अवधेश, शिवम चौधरी ने कांस्य, अण्डर-19 में विनीत कुंतल, सचिन सिंह ने स्वर्ण, अर्पित कुंतल ने रजत पदक प्राप्त कर किया।
विद्यालय के खेल प्रभारी रविन्द्र सिंह ने बताया कि विद्यालय के 25 छात्रों ने सहभागिता की। जिसमें 11 ने स्वर्ण, 4 रजत एवं 5 कांस्य पदक प्राप्त कर कुल 20 मेडल प्राप्त किये। इसी प्रकार जूडो अण्डर-14 में प्रथम चैम्पियनशिप, कुराश अण्डर-14 में प्रथम चैम्पियनशिप एवं अण्डर-19 में प्रथम चैम्पियनशिप तथा अण्डर-17 में तृतीय चैम्पियनशिप प्राप्त कर कुराश में ऑल ओवर चैम्पिनशिप पर भी कब्जा किया।
सभी छात्रों को इस उपलब्धि के लिए प्रबंधक शिवेन्द्र गौतम, प्रधानाचार्य श्याम प्रकाश पाण्डेय एवं खेल प्रमुख रविन्द्र सिंह, लाखन कुंतल, राजेश कुमार, कौशल किशोर, ब्रजमोहन, कुलदीप, अनिल, मुकेश चन्द्र आदि ने सभी छात्रों को शुभकामनाऐं दी एवं इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

सामाजिक उत्तरदायित्व बिना चिकित्सा शिक्षा अधूरीः डॉ. आर.के. अशोका

  • के.डी. मेडिकल कॉलेज में चिकित्सक प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन

मथुरा। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अपने गठन के बाद से ही देश में वैश्विक स्तर के अनुरूप मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रशिक्षण पर अधिक ध्यान दे रहा है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एन.एम.सी.) का मानना है कि यदि भावी चिकित्सकों को किताबी ज्ञान के साथ ही प्रयोगात्मक जानकारी अधिक दी जाए तो उसके और बेहतर परिणाम आ सकते हैं। शुक्रवार को के.डी. मेडिकल कॉलेज की मेडिकल एज्यूकेशन यूनिट द्वारा आयोजित तीन दिवसीय चिकित्सक प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन एनएमसी की पर्यवेक्षक डॉ. पूनम अग्रवाल द्वारा प्रतिभागी चिकित्सकों को प्रमाण-पत्र प्रदान कर किया गया।
चिकित्सक प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन अवसर पर पर्यवेक्षक डॉ. पूनम अग्रवाल ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता प्रत्यक्ष रूप से संसाधनों, पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा हमारे देश में कुशल चिकित्सकों की कमी है, इसी कमी को दूर करने के लिए ही राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। के.डी. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और डीन डॉ. आर.के. अशोका ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा में भावी चिकित्सकों में सामाजिक उत्तरदायित्व का भाव लाकर ही परिवर्तन लाया जा सकता है। डॉ. अशोका ने चिकित्सा शिक्षा में वैश्विक स्तर की एकरूपता लाने के लिए ऐसी चिकित्सक प्रशिक्षण कार्यशालाओं को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण को हासिल करने के बाद प्रतिभागी चिकित्सक आने वाले समय में एमबीबीएस के छात्र-छात्राओं को प्रभावी ढंग से पढ़ाकर प्रशिक्षित कर सकेंगे। डॉ. अशोका ने सफल आयोजन हेतु सभी प्रशिक्षकों और प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए पर्यवेक्षक डॉ. पूनम अग्रवाल का आभार माना।
तीन दिवसीय कार्यशाला के संयोजक डॉ. अमित कुमार जैन ने बताया कि चिकित्सा पाठ्यक्रम में बदलाव आज की सामाजिक आवश्यकता एवं वैश्विक मानकों के अनुरूप है। डॉ. जैन ने कार्यशाला की सफलता के लिए एनएमसी की पर्यवेक्षक डॉ. पूनम अग्रवाल तथा के.डी.एम.सी. के विशेषज्ञ चिकित्सा शिक्षकों डॉ. विक्रम शर्मा, डॉ. अम्बरीश कुमार, डॉ. तेजेन्दर सिंह, डॉ. आशुतोष कुमार, डॉ. गगन दीप, डॉ. मंजू पांडेय, डॉ. राजेश चौरसिया, डॉ. संगीता सिंह, डॉ. अमित अग्रवाल, डॉ. लीना गोयल, डॉ. शालिनी गांधी, डॉ. प्रणीता सिंह, डॉ. वंदना बाथम, डॉ. मोहर सिंह आदि के सहयोग की सराहना की।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने सभी प्रतिभागी चिकित्सा शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने प्रशिक्षण में जो कुछ भी अच्छा सीखा है, उसकी जानकारी मेडिकल छात्र-छात्राओं को देंगे तभी इसकी सार्थकता है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि चिकित्सा हो या कोई अन्य क्षेत्र युवा पीढ़ी का दृष्टिकोण बदल रहा है। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम तथा पढ़ाई के तौर-तरीकों में बदलाव लाकर मेडिकल शिक्षा को और उदार बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

शैक्षणिक भ्रमण पर गए बच्चों ने देखा रामताल पार्क

वृंदावन। वृंदावन पब्लिक स्कूल के कक्षा नर्सरी से द्वितीय तक के बच्चों ने शुक्रवार को सुनरख मार्ग स्थित रामताल का भ्रमण किया। जो कि सतयुग से सौभरि ऋषि की तपोस्थली माना जाता है। विद्यालय के लगभग 250 बच्चे भ्रमण पर गए। बच्चों ने वहां के हरे-भरे वातावरण में खूब जमकर मौज- मस्ती की तथा भिन्न-भिन्न प्रकार खेल खेलकर आनंद का लुफ्त उठाया और वहाँ के इतिहास से रूबरू हुए।


विद्यालय की प्रधानाचार्य कृति शर्मा ने कहा कि इस शैक्षिक भ्रमण का उद्देश्य बच्चों में मानसिक और बौद्धिक क्षमता का सर्वांगीण विकास करना था। समय-समय पर ऐसे आयोजन बच्चों को किताबी ज्ञान के अलावा बाहरी ज्ञान अर्जित करने में सहायक सिद्ध होते हैं ।
इस भ्रमण यात्रा में ज्योति शर्मा, प्रिया अग्रवाल, जागृति शर्मा , बृजनंदनी, पूजा तिवारी, भूमिका अरोड़ा, राधा प्रजापति शामिल रहीं।

संस्कृति विश्वविद्यालय में विद्वानों ने बताए उद्यमी बनने के गुर

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के संतोष मैमोरियल हाल में “उद्यमिता कौशल, दृष्टिकोण और व्यवहार विकास” पर एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञ वक्ताओं ने उद्यमियों को प्रतिस्पर्धी व्यावसायिक परिदृश्य में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक कौशल और अंतर्दृष्टि से कैसे हों, इस बारे में विस्तार से अपने अनुभव और टिप्स दिए। सभागार में उपस्थित सैंकड़ों विद्यार्थियों को वक्ताओं ने रोजगार पाने वाले नहीं वरन रोजगार देने वाले उद्यमी बनने के लिए भी प्रेरित किया।
मुख्य वक्ता ब्लास्टलर्निंग और कैप्टिव एक्सआर के सह-संस्थापक अंकित साहू ने उद्यमशीलता की सफलता में दृष्टिकोण और व्यवहार की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने गतिशीलता सीखने के माहौल को बढ़ावा देते हुए प्रतिभागियों को केस स्टडीज और इंटरैक्टिव चर्चाओं में शामिल किया।
आंध्र प्रदेश सरकार के पूर्व विशेष मुख्य सचिव डॉ. अरजा श्रीकांत ने “उद्यमिता का भविष्य: रुझान और अवसर” विषय पर उद्घाटन भाषण दिया। उभरते रुझानों पर उनकी अंतर्दृष्टि ने एक प्रभावकारी छाप छोड़ी और माहौल को रुचिकर बनाया। एनएसडीसी के सलाहकार मनीष उपाध्याय का रहा, जिन्होंने कौशल विकास और उद्यमिता के बीच महत्वपूर्ण संबंध पर चर्चा की। वनबैंक में संस्थागत विकास के राष्ट्रीय प्रमुख तरूण शर्मा ने तकनीकी नवाचारों और उद्यमशीलता रणनीतियों पर उनके प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संस्कृति विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ. सचिन गुप्ता ने छात्रों के बीच उद्यमशीलता की भावना और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। डॉ. गुप्ता ने विकास की मानसिकता विकसित करने के महत्व पर चर्चा की और प्रतिभागियों को अपनी उद्यमशीलता यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए कार्यशाला में प्राप्त अंतर्दृष्टि का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके संबोधन ने कार्रवाई के लिए एक प्रेरणादायक आह्वान के रूप में काम किया, जिसने उपस्थित लोगों को उद्यमिता के लगातार विकसित हो रहे परिदृश्य में चुनौतियों को स्वीकार करने और अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया। संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एम. बी. चेट्टी ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया और विश्वविद्यालय और कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में जानकारी साझा की। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के सम्मानित वक्ता शामिल थे। नेटवर्किंग लंच ब्रेक के बाद, प्रतिभागियों ने ओरिगी टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और सीईओ हिमांशु सिंह ने सत्र में भाग लिया, जिसमें व्यवसाय योजना विकास के व्यावहारिक दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित किया गया। समापन सत्र में मुख्य निष्कर्षों का सारांश दिया गया और अनुवर्ती संसाधनों पर प्रकाश डाला गया। संस्कृति विश्वविद्यालय इंक्युबेशन सेंटर के सीईओ डॉ. गजेंद्र सिंह ने सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों को उनके अमूल्य योगदान के लिए आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद प्रस्ताव दिया। कार्यशाला उद्घाटन सरस्वती वंदना और दीप प्रज्वलन से हुआ।