Sunday, December 28, 2025
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क्षेत्रीय सहकारी समितियो का निर्विरोध हुआ चुनाव, केबिनेट मंत्री प्रतिनिधि ने दी शुभकामनाएं

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क्षेत्रीय सहकारी समिति बुखरारी एवं शाहपुर की संचालन समिति का चुनाव शुक्रवार को कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण के निर्देशन में प्रतिनिधि नरदेव चौधरी की उपस्थिति में निर्विरोध संपन्न हुआ। इस मौके पर निर्विरोध प्रत्याशियों को मंत्री प्रतिनिधि नरदेव चौधरी ने जीत की शुभकामनाएं दी। चुनाव की प्रक्रिया चुनाव अधिकारी अतुल चौधरी एवं सचिव ओमप्रकाश ने शुरू की। इस दौरान निर्विरोध हुए चुनाव सम्पन्न में बुखरारी क्षेत्रीय सहकारी समिति का अध्यक्ष भरतपाल सिंह एवं संचालक राजेन्द्र,प्रकाश रेखा रामपाल निवासी शेरनगर,तेज प्रधान निवासी रूपनगर, राजो निवासी फूलगढ़ी, कल्लू निवासी शेरनगर को चुना गया वही शाहपुर सहकारी समिति के अध्यक्ष के रूप में मुकेश देवी पत्नी महावीर संचालक हरिश्चंद्र, इसराइल, निहाल देई, खातून, रामजीत, सौदान को चुना गया। इस मौके पर निर्विरोध निर्वाचित लोगो के चेहरे पर खुशी का माहौल देखने को मिला।

विद्यालयों में अवकाश घोषित

जिलाधिकारी महोदय के निर्देशानुसार अत्यधिक बारिश वा खराब मौसम के दृष्टिगत जनपद के सभी बोर्ड के प्राइमरी से लेकर कक्षा 12 तक के विद्यालयों में दिनांक 19.09.2024 को अवकाश घोषित किया जाता है।

जीएलए ग्रेटर नोएडा कैंपस में ऑरिएंटेशन के साथ शैक्षणिक सत्र शुरू, ऑरिएंटेशन कार्यक्रम में इंजीनियरिंग नवागंतुक विद्यार्थियां से बोले जीएलए के सीईओ हर एक कठिनाई से लड़ने की ताकत व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा से मिलेगी

ग्रेटर नोएडा : अपने 27 वर्ष की शैक्षणिक यात्रा में जीएलए विश्वविद्यालय ने आमूलचूल परिवर्तन किए हैं। चाहे वह तकनीकी शिक्षा का क्षेत्र हो या फिर रोजगारपरक शिक्षा तथा शोध की बात हो। यही कारण है कि आज उत्कृष्ट शिक्षा क्षेत्र में जीएलए ने राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी ख्याति बनाई है। हर एक दिन नवागंतुक विद्यार्थी के जीवन में परिवर्तन लाना विश्वविद्यालय का ध्येय है।

यह बात ग्रेटर नोएडा कैंपस में इंजीनियरिंग के नवागंतुक विद्यार्थियों के लिए आयोजित ऑरिएंटेशन कार्यक्रम में जीएलए विश्वविद्यालय के सीईओ एवं मोटीवेशनल स्पीकर नीरज अग्रवाल ने कहीं। विद्यार्थियों को प्रेरणादायक अनुभव साझा करते हुए कहा कि इंटर स्कूली यानि परम्परागत पाठ्यक्रम के बाद तकनीकी एवं व्यवसायिक पाठयक्रम से जुड़े हैं, जहां से विद्यार्थी जीवन को नई दिशा देखने को मिलेगी। यानि अब विद्यार्थी जीवन में उस रास्ते की शुरूआत होगी जहां से काबिलियत हासिल कर निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करना है। जीएलए विश्वविद्यालय के ग्रेटर नोएडा में ऑफ कैंपस खुलने का भी ध्येय यही है। यह जो जिंदगी है वो ‘लड़ने के लिए है भागने के लिए नहीं। इसलिए हमेशां अपने आप से ही प्यार करना सीखो।

उन्होंने कहा कि पहले स्टेप में हर किसी को कठिनाई होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हार मान ली जाए। क्योंकि डर के आगे ही जीत है। हमेशां खुश रहने, हर एक कठिनाई से लड़ने की ताकत आपको व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा के माध्यम से मिलेगी।

जीएलए के कुलाधिपति नारायण दास अग्रवाल एवं सीएफओ विवेक अग्रवाल ने नवागंतुक विद्यार्थियों को शमकानाएं देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के साथ कांधे से कांधा मिलाकर चलेगा। आप सिर्फ पढ़ते रहिए और बढ़ते रहिए।

डीन रिसोर्स जनरेशन एंड प्लानिंग प्रो. दिवाकर भारद्वाज ने कार्यक्रम में सभी आंगतुकों का परिचय देते हुए कहा कि आज इस कैंपस में यह पहला अवसर है जहां नवागंतुक विद्यार्थियों के साथ-साथ उनके अभिभावक भी जीएलए परिवार एक हिस्सा बनकर यहां उपस्थित हुए हैं। विद्यार्थियों को आज से ही विजन और मिशन पर फोकस करना होगा। क्योंकि कॉरपोरेट सेक्टर में अवसर बहुत हैं, लेकिन उन्हें हासिल करने के लिए उत्कृष्ट शिक्षा की आवश्यकता है।

बिड 4 बेस्ट के सीईओ जयंत सिंह ने भी ऑरिएंटेशन कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि परम्परागत शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा के दौरान विद्यार्थी जीवन में बहुत कठिनाईयां सामने आती हैं। वह इसलिए क्योंकि जीवन में एक लक्ष्य प्राप्ति का रास्ता यहीं से शुरू होता है। इस लक्ष्य को पाने के लिए एक जगह फोकस बनाकर आगे बढ़ने की जरूरत होती है। नौकरी ही सब कुछ नहीं होती। अगर यह सोचा जाय कि नौकरी पाने की जगह अगर देने वाली व्यवस्था हो जाये तो एक बेहतर सफलता विद्यार्थी जीवन की होती है।

इस दौरान कोफोर्ज आईडीटी के टेक्निकल एनालिस्ट निशांत खुराना, जीएलए के कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता, प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता, कुलसचिव अशोक कुमार सिंह और जीएलए के अल्यूमिनाई अमन गुप्ता ने भी अपने अनुभव साझा किए। जीएलए नोएडा कैंपस के प्रोफेसर डा. सुनील कुमार, डा. हिमांशु शर्मा ने विविध अवसरों के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी दी।

के.डी. मेडिकल कॉलेज में जीई हेल्थकेयर की हेल्थ यात्रा का शुभारम्भ, अमेरिकी कम्पनी ने नवोन्मेषी चिकित्सा प्रौद्योगिकी को बढ़ाए हाथ

मथुरा। चिकित्सा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने की दृष्टि से मंगलवार का दिन ब्रज मण्डल के लिए बेहद खास रहा। खास इसलिए क्योंकि अमेरिकी कम्पनी जीई हेल्थकेयर ने हेल्थ यात्रा का शुभारम्भ मथुरा के ही के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर से किया। इस अवसर पर कम्पनी पदाधिकारियों ने चिकित्सकों तथा मेडिकल छात्र-छात्राओं को पेशंट केयर सोल्यूशंस तथा आधुनिकतम अल्ट्रासाउंड मशीनों के अच्छे परिणामों तथा उनकी उपयोगिता से अवगत कराया। चिकित्सा उपकरणों की प्रदर्शनी का शुभारम्भ आर.के. ग्रुप के महाप्रबंधक अरुण अग्रवाल ने किया।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने जीई हेल्थकेयर कम्पनी की हेल्थ केयर यात्रा को भारतीय चिकित्सा के क्षेत्र में नई पहल निरूपित किया। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि आज की चिकित्सा पूरी तरह से तकनीक पर आश्रित है लिहाजा नई पीढ़ी को तकनीकी रूप से निपुण किया जाना जरूरी है। संस्थान के प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने चिकित्सा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा दिया जाना जरूरी बताया। श्री अग्रवाल ने कहा कि आधुनिकतम चिकित्सा उपकरणों की जानकारी और उनका संचालन समय और मरीज दोनों के लिए जरूरी है।
डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने जीई हेल्थकेयर की हेल्थ यात्रा को चिकित्सा क्षेत्र के लिए उपयोगी बताते हुए कहा कि इससे जहां चिकित्सकों को आधुनिक चिकित्सा उपकरणों की जानकारी घर-बैठे मिलेगी वहीं मरीजों की स्वास्थ्य सुरक्षा में भी काफी मदद मिलेगी। जीई हेल्थकेयर के पदाधिकारियों ने के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर प्रबंधन का सहयोग के लिए धन्यवाद देते हुए चिकित्सकों को बताया कि भारत में स्वास्थ्य सेवा बाजार तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए कम्पनी अपने चिकित्सा उपकरणों की जानकारी नई पीढ़ी के युवाओं को अधिक से अधिक देना चाहती है।
कम्पनी के विशेषज्ञों ने के.डी. हॉस्पिटल के चिकित्सकों को वैन में रखे आधुनिकतम चिकित्सा उपकरणों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कम्पनी इस हेल्थ यात्रा के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के करीब प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करने के लिए शहर दर शहर पहुंच बनाना चाहती है। जीई हेल्थकेयर ने चिकित्सा सेवा के चुनिंदा क्षेत्रों में नयी पीढ़ी को समाधान प्रस्तुत करने के लिए ही भारत को चुना है। कम्पनी यहां कैंसर, हृदय रोग, जिनोम विज्ञान और रोगी की दूरस्थ निगरानी प्रणाली के क्षेत्र में अगली पीढ़ी की तकनीकों तथा डायग्नोस्टिक समाधानों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करेगी। जीई हेल्थकेयर की नवोन्मेषी इकाइयां स्वास्थ्य सेवा उद्योग के विशेषज्ञों से मिलकर इन इकाइयों को नये बाजारों के लिए उनके समाधान विकसित करने तथा उनके कामकाज का पैमाना बढ़ाने में उनकी मदद करेंगी। इस अवसर पर उप प्राचार्य डॉ. राजेन्द्र कुमार ने भी हेल्थ यात्रा को उपयोगी निरूपित किया। कार्यक्रम में संस्थान के सभी विभागाध्यक्ष, बड़ी संख्या में चिकित्सक उपस्थित रहे।

मथुरा। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 16 बटालियन के द्वारा वृंदावन स्थित कैंप कार्यालय पर वृहद वृक्षारोपण अभियान चलाया गया।

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सीआरपीएफ की 16 बटालियन के कमांडेंट नितिन कुमार की उपस्थिति में आयोजित हुए इस वृक्षारोपण अभियान में बड़ी संख्या में एक पेड़ मां के नाम कार्यक्रम की अंतर्गत वृक्षारोपण किया गया।
इस अवसर पर लगभग 200 वृक्ष लगाए गए जिसमें 16 वाहिनी के अधिकारियों एवं जवानों ने हिस्सा लिया।
16 बटालियन सीआरपीएफ कमांडेंट के द्वारा इस अवसर पर वृक्षारोपण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आज वृक्षारोपण प्रत्येक व्यक्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण हो चुका है। सभी की जीवन शैली पर्यावरण के अनुकूल बनाए रखने के चलते अधिक से अधिक वृक्ष लगाए जानी चाहिए ताकि ग्लोबल वार्मिंग एवं बढ़ते प्रदूषण के दुष्प्रभावों को कम किया जा सके तो वही आने वाली पीढ़ी स्वच्छ वातावरण में सांस ले सके, इसके लिए वृक्षारोपण महत्वपूर्ण आवश्यकता बन चुकी है।
इस अभियान के अवसर पर वाहिनी कमांडेंट नितिन कुमार, द्वितीय कमान अधिकारी दीपक कुमार,उप. कमा. राजेश कुमार राय के साथ अन्य अधिकारी और सीआरपीएफ के अन्य कर्मी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

राजस्थान के कांमा तहसील के गांव पाछौल में स्थित राधाकृष्ण की प्राचीन लीला स्थली कदम्बखंडी में चीरहरण लीला का आयोजन किया गया

रिपोर्ट राघव शर्मा

बरसाना मान्यता है कि आज से हजारों बर्ष पहले यहां यमुना नदी बहा करती थी। एक दिन जब ब्रज की गोपिकाएं यमुना में निवस्त्र स्नान कर रही थी, तो माखन चोर श्रीकृष्ण ने उनके वस्त्रों का हरण कर कदम के वृक्ष पर जा बैठै थे। जब गोपियां स्नान करके के यमुना से बाहर आती है और अपने वस्त्रों को न पा कर दुखी हो जाती है। जब वो मुरली मनोहर को कदम के वृक्ष पर बैठा देख, उनसे प्रर्थाना करती है कि हे कृष्ण हमारे वस्त्र वापस कर दो। जब श्रीकृष्ण उनसे वचन लेते है कि आज के बाद वो कभी निर्वस्त्र स्नान नही करेगी। इस चीरहरण लीला का मंचन उसी जगह किया गया। जहां कभी यमुना बहा करती थी। श्रीकृष्ण की इस अनोखी लीला के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। इस अद्भुत लीला की एक झलक पाने के लिए श्रद्वालु आतुर नजर आ रहे थे।

अब जीएलए विश्वविद्यालय से करें फार्म डी पाठ्यक्रम

फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया से जीएलए फार्मेसी विभाग को डाॅक्टर ऑफ फार्मेसी (फार्म डी) पाठ्यक्रम के लिए मिला अनुमोदन


मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च विभाग में डीफार्म, बीफार्म और एमफार्म (फार्माकोलाॅजी एवं फार्मास्युटिक्स) कोर्स संचालित हैं। अब जीएलए के फार्मेसी विभाग को फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई), नई दिल्ली से फार्म डी पाठ्यक्रम के लिए अनुमोदन मिल गया है, जिसमें प्रवेश प्रक्रिया चल रही है।

विभागाध्यक्ष प्रो. मीनाक्षी वाजपेयी ने बताया कि पिछले माह जीएलए के फार्मेसी विभाग को एनआईआरएफ रैंक में 53वां स्थान हासिल हुआ है। हाल ही में पीसीआई, नई दिल्ली ने जीएलए विश्वविद्यालय के महत्वाकांक्षी फार्म डी पाठ्यक्रम में 30 सीटों के संचालन की अनुमति प्रदान कर दी है। इस पाठ्यक्रम में 12वीं पीसीएम/पीसीबी पास छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 6 वर्ष के इस पाठ्यक्रम में छात्रों के लिए 5 वर्ष का एकेडमिक अध्ययन और एक वर्ष की इंटर्नशिप शामिल है।

विभाग के निदेशक प्रो. अरोकिया बाबू ने बताया कि फार्म डी कार्यक्रम में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी क्लीनिकल फार्मेसी के क्षेत्र में अच्छे पैकेज के साथ आसानी से रोजगार पा सकेंगे। क्योंकि इस कार्यक्रम में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी को हाॅस्पीटल में ट्रेनिंग का प्रावधान रखा गया है।
विद्यार्थियों के लिए शैक्षणिक अध्ययन में बीफार्म जैसे ही विषय शामिल हैं। इसके अलावा फार्मेसी प्रेक्टिस विषयों पर जोर दिया जाता है। जिनमें अस्पताल, सामुदायिक फार्मेसी, फार्माकोथेरेप्यूटिक्स, क्लिनिकल फार्मेसी, बायोस्टैटिस्टिक्स और रिसर्च मेथोडोलॉजी, क्लिनिकल टॉक्सिकोलॉजी, क्लिनिकल रिसर्च, फार्माकोएपिडेमियोलॉजी, फार्माकोइकोनॉमिक्स, क्लिनिकल फार्माकोकाइनेटिक्स और फार्माकोथेरेप्यूटिक ड्रग मॉनिटरिंग आदि शामिल हैं। पाठ्यक्रम के पांचवें वर्ष में उम्मीदवार को छह महीने के लिए एक प्रोजेक्ट कार्य करना होता है।

प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने विश्वविद्यालय से विद्यार्थी को मिलने वाले रोजगार पर जोर देते हुए कहा कि फार्म डी डिग्री लेने के बाद उच्च फार्मा कंपनियों में विद्यार्थियों को अच्छे अवसर मिलेंगे। फार्मेसी के विभिन्न क्षेत्रों फार्माको विजिलेंस, हाॅस्पीटल, रिसर्च सेंटर, क्लीनिकल रिसर्च, डाटा मैनेजमेंट, एनालिटिकल कैमिस्ट आदि में फार्म डी विद्यार्थियों की आवश्यकता रहती है। फार्म डी भविष्य में भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में एक प्रमुख भूमिका निभाएंगे। यह पाठ्यक्रम फार्मासिस्टों को भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में अधिक प्रमुखता से काम करने का अवसर देगा। इस पाठ्यक्रम को करने के बाद पासआउट होने वाले विद्यार्थियों को विदेशों में भी शानदार रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। इसके अलावा जिस प्रकार पीएचडी करने पर नाम के आगे डा. जोड़ा जाता है, ठीक उसी प्रकार फार्म डी की डिग्री लेने के बाद छात्र नाम के आगे डा. लगा सकेगा।

जीएलए में मनायी भगवान विष्वकर्मा की जयंती

मथुरा: प्रतिवर्ष की भांति जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और कई अन्य विभागों सहित पाॅलीटेक्निक संस्थान में भगवान विष्वकर्मा की जयंती मनायी गयी। रीतिरिवाज और मंत्रोच्चारण के मध्य प्रतिकुलाधिपति प्रो. दुर्ग सिंह चैहान एवं प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता सहित विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों ने हवन-पूजन के साथ विभागों में स्थापित यंत्रों की पूजा की।
प्रतिकुलाधिपति प्रो. दुर्ग सिंह चैहान ने वैदिक पद्धति से पूजन के साथ को उनके कार्यो व यंत्रों के प्रति रख-रखाव व श्रद्धा भाव रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हमारी सभी प्रकार की मशीनें व कम्प्यूटर्स इत्यादि का सही इस्तेमाल ही उनकी पूजा है। आप सभी यंत्रों का सदुपयोग करें और इनके रख-रखाव का ध्यान रखें, क्योंकि इन्हीं यंत्रों से किसी को ज्ञान की प्राप्ति होती है, तो किसी को रोजगार मिलता है।

जी.एल. बजाज में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हुई सृष्टि शिल्पी की पूजा

भगवान विश्वकर्मा जी से प्रेरणा ले छात्र-छात्राएं करें राष्ट्र का विकास


मथुरा। तकनीकी शिक्षा के उतकृष्ट शैक्षिक संस्थानों में शुमार जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में मंगलवार को सृष्टि शिल्पी भगवान विश्वकर्मा जी की जयंती वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन-पूजन कर मनाई गई। इस अवसर पर संस्थान की निदेशक प्रो. (डॉ.) नीता अवस्थी ने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि जिस प्रकार भगवान विश्वकर्मा जी ने सृष्टि को नया रूप और नया आकार दिया है, उसी तरह आप भी समाज तथा राष्ट्र के विकास में अपना महती योगदान दें।
जी.एल. बजाज में मंगलवार को मनुष्यों और देवताओं में निर्विवाद रूप से सर्वश्रेष्ठ शिल्पी के रूप में प्रतिष्ठित भगवान विश्वकर्मा की जयंती वैदिक एवं पौराणिक मंत्रों की ध्वनि तथा हवनकुण्ड की पवित्र अग्नि में आहुतियों के साथ मनाई गई। इस अवसर पर संस्थान के समस्त इंजीनियरिंग छात्र-छात्राओं, प्राध्यापकों तथा अन्य कर्मचारियों ने भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना कर उन जैसा अभिनव एवं मौलिक शिल्पकार बनने का संकल्प लिया। प्राध्यापकों और छात्र-छात्राओं ने संस्थान में स्थापित सभी मशीनों के साथ-साथ इंजीनियरिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले सभी यंत्रों की भी पूजा की।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में इंजीनियरिंग छात्र-छात्राओं को भगवान विश्वकर्मा से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि सृष्टि शिल्पी भगवान विश्वकर्मा जी अपने आपमें बिल्कुल अनूठे हैं, उन्होंने अपने कौशल से पौराणिक काल में देवताओं और मानव को ऐसी नायाब आकृतियां सौंपीं, जिनकी शानदार संरचनाओं को देखकर हम आज भी चकित रह जाते हैं। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा जी ने ही सोने की लंका बनाई, देवताओं के लिए स्वर्ग तथा इंद्र के लिए हड्डियों के औजार बज्र का निर्माण किया।
जी.एल. बजाज की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस तरह सृष्टि शिल्पी भगवान विश्वकर्मा जी ने इस संसार को इतना सुन्दर रूप प्रदान किया, ठीक उसी तरह आप सभी भावी इंजीनियरों को इस देश व समाज को अपने कौशल व कुशलता से एक उत्कृष्ट रूप में ढालने का संकल्प लेना चाहिए। प्रो. अवस्थी ने कहा कि हमारे हर इंजीनियरिंह छात्र में भगवान विश्वकर्मा की उत्कृष्टता का अक्स झलकता है, जिसे उन्हें हमेशा कायम रखना है।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ. उदयवीर सिंह, डॉ. एन.के. पाण्डेय आदि ने भी भगवान विश्वकर्मा जी के कृतित्व पर प्रकाश डाला। प्राध्यापकों ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि समस्त देवी-देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा जी ने ही किया था, यही कारण है कि उन्हें सृष्टि शिल्पी कहा जाता है। भगवान विश्वकर्मा जी ही इस खूबसूरत दुनिया के अद्वितीय रचनाकार और इंजीनियर हैं। इस अवसर पर सभी ने भगवान विश्वकर्मा जी से बौद्धिक सामर्थ्य प्रदान करने की प्रार्थना की ताकि वे सब अपने-अपने कार्यक्षेत्र में अपने निर्धारित कार्यों का सही ढंग से निर्वहन करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें।

डेटा इंजीनियर बोले बदलते परिवेश में डेटा साइंस की अह्म भूमिका, तेजी से विकसित हो रहा क्षेत्र


-अमेरिका की फोर्ड मोटर्स कंपनी में डेटा इंजीनियर के पद तैनात भुवनेश साझा किए अपने अनुभव, बोले बदलते परिवेश में डेटा साइंस की होगी अह्म भूमिका

भुवनेश सिंह एक डेटा साइंस उत्साही हैं, जिन्होंने अमेरिका से डेटा साइंस में एमएस और मशीन लर्निंग में पीएचडी की है। वर्तमान में वे फोर्ड मोटर कंपनी में काम कर रहे हैं, जहाँ वे डेटा का उपयोग करके वाहन प्रदर्शन को अनुकूलित करने और फ्लीट मैनेजमेंट डैशबोर्ड को बेहतर बनाने का कार्य करते हैं। उनका अनुभव ऑटोमोटिव, कृषि और एफएमसीजी क्षेत्रों में फैला हुआ है, और उन्होंने ब्लॉकचेन, खाद्य प्रौद्योगिकी और गलत जानकारी की पहचान में भी योगदान दिया है, जिससे विभिन्न उद्योगों में नवाचार और स्थिरता को बढ़ावा मिल रहा है।

डेटा साइंस के भविष्य की दिशा में कदम
आज हमारे साथ जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद, भुवनेश। चलिए आपके वर्तमान कार्यों से शुरुआत करते हैं। क्या आप हमें अपनी वर्तमान भूमिका और जिम्मेदारियों के बारे में बता सकते हैं?
’’भुवनेश सिंह’’ आपका धन्यवाद मुझे अपने आप से मुखातिब कराने के लिए। वर्तमान में, मैं फोर्ड मोटर्स में एक डेटा इंजीनियर के रूप में प्रो-इंटेलीजेंस समूह में काम कर रहा हूं। मेरा मुख्य ध्यान वाहन टेलीमेट्रिक डेटा का उपयोग करके फ्लीट प्रबंधन और ड्राइवर की सुरक्षा में सुधार करने पर है। हम उन्नत एनालिटिक्स टूल और डैशबोर्ड विकसित करते हैं जो फ्लीट मैनेजर्स को डेटा-आधारित निर्णय लेने में मदद करते हैं। ये टूल न केवल वाहन के प्रदर्शन को अनुकूलित करते हैं, बल्कि हमारे फ्लीट संचालन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में भी योगदान देते हैं। यह एक चुनौतीपूर्ण है, लेकिन पुरस्कृत भूमिका है, खासकर जब आप देखते हैं कि डेटा वास्तविक दुनियां के परिणामों को कैसे प्रभावित कर सकता है।

यह बहुत दिलचस्प है। आपका डेटा साइंस में सफर कैसे शुरू हुआ? इस क्षेत्र में आपकी रुचि कैसे जागी?

’’भुवनेश सिंह’’ डेटा साइंस में मेरा सफर थोड़ा देर से शुरू हुआ। मैं हमेशा डेटा की क्षमता से मोहित था, जो पैटर्न को उजागर कर सकता है और ऐसी अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है जो तुरंत स्पष्ट नहीं होती। फेक न्यूज डिटेक्शन पर एक रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम करने से मेरी डेटा साइंस में दिलचस्पी बढ़ी। इस रुचि ने मुझे डेटा साइंस में मास्टर ऑफ साइंस करने के लिए प्रेरित किया, जहां मैंने मशीन लर्निंग, प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स और अन्य तकनीकों पर हाथ से काम किया। बाद में, मैंने मशीन लर्निंग और कंप्यूटर विजन में पीएचडी पूरी की, जिसने मुझे इन तकनीकों को जटिल समस्याओं को हल करने में लागू करने की गहरी समझ दी। यह एक निरंतर सीखने की प्रक्रिया रही है, लेकिन मेरी जिज्ञासा और वास्तविक दुनियां की समस्याओं को हल करने की इच्छा मेरे करियर के दौरान प्रेरक शक्ति रही है।

आपने फेक न्यूज डिटेक्शन पर राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित एक प्रोजेक्ट पर काम किया है। क्या आप उस अनुभव के बारे में और उस काम के महत्व के बारे में बता सकते हैं?

’’भुवनेश सिंह’’ बिल्कुल! यह प्रोजेक्ट भारत में राज्य सरकार की एक पहल का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर फेक न्यूज के प्रसार से निपटना था। मेरी भूमिका में प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (छस्च्) और कंप्यूटर विजन तकनीकों को मिलाकर एक मल्टी-मोडल फ्रेमवर्क विकसित करना शामिल था, जो हेरफेर की गई छवियों और भ्रामक जानकारी का पता लगाता है। यह प्रोजेक्ट काफी नवाचारी था, और हमने अपनी पद्धति के लिए एक पेटेंट भी दायर किया, जिसमें एक कस्टम कन्वोल्यूशनल न्यूरल नेटवर्क का उपयोग किया गया था, जिसमें एक सेल्फ-अटेंशन मॉड्यूल था, जिससे अत्याधुनिक सटीकता हासिल हुई। यह काम महत्वपूर्ण है क्योंकि फेक न्यूज लाखों लोगों को गुमराह कर सकती है, जिससे सामाजिक अशांति और गलत जानकारी का तेजी से प्रसार हो सकता है।

आज के समय में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर फेक न्यूज का क्या प्रभाव है?

’’भुवनेश सिंह’’ सोशल मीडिया पर फेक न्यूज का प्रभाव गहरा और व्यापक है। यह जनमत को प्रभावित कर सकता है, चुनावों को प्रभावित कर सकता है, हिंसा भड़का सकता है, और समाज में असंतोष फैला सकता है। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों द्वारा उपयोग किए जाने वाले एल्गोरिदम को सगाई को प्राथमिकता देने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसका अर्थ अक्सर यह होता है कि सनसनीखेज सामग्री – चाहे वह सच हो या नहीं – बढ़ जाती है। इससे फेक न्यूज के प्रसार को नियंत्रित करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है। परिणाम न केवल गलत सूचना हैं, बल्कि उस जानकारी पर विश्वास का मूलभूत क्षरण है जो हम उपभोग करते हैं।

आपको क्यों लगता है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इस समस्या को कुशलता से हल नहीं कर पा रहे हैं?

’’भुवनेश सिंह’’ इसके कुछ कारण हैं। सबसे पहले, हर सेकंड पोस्ट की जाने वाली सामग्री की विशाल मात्रा को रियल-टाइम में मॉनिटर करना मुश्किल होता है। दूसरा, सही और गलत जानकारी के बीच अंतर करना हमेशां सीधा नहीं होता, खासकर जब फेक न्यूज को विश्वसनीय दिखने के लिए डिजाइन किया गया हो। इसके अलावा, फ्री स्पीच और सामग्री मॉडरेशन के बीच संतुलन बनाने का मुद्दा भी है, जो एक विवादास्पद और जटिल विषय है। अंत में, इन प्लेटफॉर्म के आर्थिक मॉडल पर भी ध्यान देना चाहिए, जो सगाई पर आधारित होता है। गलत सूचना को ठीक करना हमेशा उतनी उपयोगकर्ता सगाई नहीं उत्पन्न करता जितना कि सनसनीखेज सामग्री का प्रसार करता है, जिससे हितों का टकराव हो सकता है।

आपका फेक न्यूज डिटेक्शन पर किया गया काम इस समस्या को हल करने में कैसे योगदान दे सकता है?

’’भुवनेश सिंह’’ मेरा मानना है कि मेरा काम इस समस्या को हल करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है, क्योंकि यह फेक न्यूज की पहचान और उसके प्रसार को कम करने के लिए अधिक प्रभावी उपकरण प्रदान करता है। हमने जो मल्टी-मोडल फ्रेमवर्क विकसित किया है, वह विशेष रूप से शक्तिशाली है क्योंकि यह पाठ और दृश्य विश्लेषण दोनों को जोड़ता है, जिससे नकली सामग्री को पहचानना कठिन हो जाता है। इसके अलावा, हम एक मोबाइल ऐप और एक ब्राउजर एक्सटेंशन विकसित कर रहे हैं, जिसमें इस पेटेंट किए गए एल्गोरिदम को शामिल किया जाएगा। ये उपकरण उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन मिलने वाली छवियों की प्रामाणिकता को तुरंत सत्यापित करने की अनुमति देंगे, जिससे वे जो सामग्री उपभोग करते हैं, उसके बारे में सूचित निर्णय ले सकें।

आप और किस तरह के शोध कार्य में शामिल हैं?

’’भुवनेश सिंह’’ अपने मुख्य काम के अलावा, मैं अमेरिका की एक छोटी स्टार्टअप के रिसर्च विंग के साथ भी सहयोग कर रहा हूँ, जो रिटेल बिजनेस में काम करती है। मैं उनकी खाद्य प्रौद्योगिकी पहलों में समर्थन कर रहा हूँ, जिसमें मैंने सेब के रासायनिक गुणों के आधार पर उनके इष्टतम उपयोग को वर्गीकृत करने के लिए एक मशीन लर्निंग मॉडल डिजाइन और लागू किया है। इस पहल का उद्देश्य कृषि चुनौतियों का समाधान करना और सेब की बर्बादी को काफी हद तक कम करना है, जिससे अधिक स्थायी खेती के अभ्यासों में योगदान हो।

आपने ‘स्प्रिंगर और एल्विअर‘ जैसे प्रतिष्ठित जर्नल्स में शोध लेख प्रकाशित किए हैं और उनके लिए समीक्षा भी की है। क्या आप अपने शैक्षिक शोध में योगदान के बारे में और बता सकते हैं?

’’भुवनेश सिंह’’ शोध हमेशां मेरे काम का एक मुख्य हिस्सा रहा है। जैसे शीर्ष स्तरीय जर्नल्स में कई लेख प्रकाशित किए हैं, जिनमें फेक न्यूज डिटेक्शन से लेकर विभिन्न उद्योगों में मशीन लर्निंग एप्लिकेशन तक के विषय शामिल हैं। मेरे शोध का उद्देश्य डेटा साइंस के क्षेत्र को आगे बढ़ाना और वास्तविक दुनिया की समस्याओं के व्यावहारिक समाधान प्रदान करना है। प्रकाशन के अलावा, मैं इन जर्नल्स के लिए शोध पत्रों की समीक्षा भी करता हूं। इससे मुझे अन्य शोधकर्ताओं को उनके काम में मार्गदर्शन और समर्थन देने का मौका मिलता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि इस क्षेत्र में शोध की गुणवत्ता में सुधार होता रहे। यह मेरे लिए समुदाय को वापस देने का एक तरीका है और डेटा साइंस के नवीनतम विकासों से जुड़े रहने का अवसर है।

भविष्य में वैश्विक स्तर पर डेटा साइंस का क्या भविष्य देखते हैं?

’’भुवनेश सिंह’’ डेटा साइंस का भविष्य वैश्विक स्तर पर बेहद आशाजनक है। हम देख रहे हैं कि डेटा साइंस हर उद्योग में प्रवेश कर रही है, चाहे वह स्वास्थ्य देखभाल हो, वित्त हो, या ऑटोमोटिव हो, और संभावनाएँ असीम हैं। जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी आगे बढ़ रही है, विशेष रूप से ।प् और मशीन लर्निंग के साथ, डेटा साइंस निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हम अधिक स्वचालन देखेंगे, जहां डेटा-आधारित मॉडल व्यवसायों को अधिक कुशलतापूर्वक संचालित करने और परिणामों की सटीक भविष्यवाणी करने में मदद करेंगे। सामाजिक स्तर पर, डेटा साइंस जलवायु परिवर्तन, सार्वजनिक स्वास्थ्य, और आर्थिक असमानता जैसी वैश्विक चुनौतियों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी।

भारत में डेटा साइंस का भविष्य कैसा देखते हैं? यह कैसे विकसित होगा?

’’भुवनेश सिंह’’ भारत के पास डेटा साइंस परिदृश्य में एक अनूठी स्थिति है। यहां प्रतिभा का विशाल भंडार, बढ़ता हुआ तकनीकी उद्योग, और डिजिटल ट्रांसफाॅर्मेशन

ट्रांसफाॅर्मेशन पर बढ़ती फोकस है, जिससे संभावनाएं अपार हैं। मुझे लगता है कि हम देखेंगे कि भारत हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर और फाइनेंस जैसे क्षेत्रों में डेटा साइंस इनोवेशन का एक वैश्विक हब बनता जा रहा है। इसके साथ ही, डेटा एथिक्स और प्राइवेसी के महत्व को लेकर भी जागरूकता बढ़ रही है, जो देश में डेटा साइंस के अभ्यास को आकार देगी। सरकार की डिजिटल पहलों के प्रति प्रतिबद्धता विभिन्न उद्योगों में डेटा-संचालित प्रथाओं के तेजी से अपनाने में भी तेजी लाएगी।

आप अपनी क्षमताओं का उपयोग करके आने वाली पीढ़ी को कैसे योगदान दे सकते हैं?

’’भुवनेश सिंह’’ मैं नई पीढ़ी के डेटा वैज्ञानिकों के साथ मेंटरिंग और ज्ञान साझा करने के बारे में बेहद जुनूनी हूँ। मेरा मानना है कि जो कुछ मैंने सीखा है, उसे साझा करके, मैं दूसरों को कुछ चुनौतियों से बचने और उनके सीखने की गति को तेज करने में मदद कर सकता हूँ। मैं शैक्षिक पहलों में योगदान करने में भी रुचि रखता हूँ जो डेटा साइंस को अधिक सुलभ बनाती हैं, विशेष रूप से भारत में। वहाँ इतनी अव्यक्त क्षमता है, और अगर हम अधिक लोगों को इस क्षेत्र में आवश्यक कौशल से लैस कर सकते हैं, तो हम नवाचार को प्रेरित कर सकते हैं और दुनिया की कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। इसके अलावा, मैं अपने शोध और विकास के माध्यम से भी योगदान देने की योजना बना रहा हूँ, विशेष रूप से गलत सूचना से निपटने और उद्योगों की स्थिरता में सुधार के क्षेत्रों में। एक व्यावहारिक स्तर पर, मैं एक मोबाइल ऐप और एक ब्राउजर एक्सटेंशन विकसित कर रहा हूँ जिसमें मेरी पेटेंट की गई एल्गोरिदम शामिल होगी, जो नकली छवियों का पता लगाने के लिए होगी। ये उपकरण लोगों को जटिल डिजिटल परिदृश्य में अधिक आत्मविश्वास के साथ नेविगेट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

अंत में, उन लोगों को आप क्या सलाह देंगे जो अपने करियर की शुरुआत डेटा साइंस में कर रहे हैं?

’’भुवनेश सिंह’’ मेरी सलाह होगी कि आप जिज्ञासु बने रहें और सीखना कभी बंद न करें। डेटा साइंस एक तेजी से विकसित हो रहा क्षेत्र है, और जो आज सबसे उन्नत है, वह कल पुराना हो सकता है। बुनियादी बातों में मजबूत नींव बनाने पर ध्यान केंद्रित करें। आंकड़े, प्रोग्रामिंग, और डोमेन नॉलेज, क्योंकि ये वे कौशल हैं जो आपको नए उपकरणों और प्रौद्योगिकियों को अपनाने में मदद करेंगे जैसे-जैसे वे उभरेंगे। इसके अलावा, वास्तविक दुनिया की समस्याओं से निपटने से मत डरें, भले ही वे पहली बार में कठिन लगें। सीखने का सबसे अच्छा तरीका है करके सीखना, और जितना अधिक अनुभव आप हासिल करेंगे, उतने अधिक मूल्यवान बनेंगे। अंत में, अपने काम के प्रभाव को हमेशा ध्यान में रखें। डेटा साइंस एक शक्तिशाली उपकरण है, लेकिन यह सबसे प्रभावी तब होता है जब इसे सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
धन्यवाद, भुवनेश, हमारे साथ अपने विचार और अनुभव साझा करने के लिए। आपसे बात करके बहुत खुशी हुई।

’’भुवनेश सिंह’’ धन्यवाद, यह मेरा भी सौभाग्य था। मुझे अपनी यात्रा साझा करके खुशी हुई, और मुझे उम्मीद है कि यह दूसरों को डेटा साइंस की रोमांचक दुनिया का अन्वेषण करने के लिए प्रेरित करेगा।

68वीं माध्यमिक विद्यालयीय जनपदीय जूडो प्रतियोगिता का आयोजन स्वर्गीय मोहन पहलवान स्पोर्ट्स स्टेडियम, गणेशरा में किया गया

16 सितम्बर 2024 को 68वीं माध्यमिक विद्यालयीय जनपदीय जूडो प्रतियोगिता का आयोजन स्वर्गीय मोहन पहलवान स्पोर्ट्स स्टेडियम ,गणेशरा में किया गया जिसमें जनपद के विभिन्न विद्यालय के छात्र/छात्रा शामिल हुए, यह प्रतियोगिता तीन आयु वर्ग 14 ,17 व 19 वर्षीय बालक/बालिका के लिए आयोजित की गई, प्रतियोगिताओं के विभिन्न वर्गों के विजेता निम्नवत रहेl
इस प्रतियोगिता में
बालिका वर्ग ओवरऑल

विजेता – श्री राधा कृष्ण इंटर कॉलेज उसफार
उप विजेता जैन इंटर कॉलेज, चौरासी

बालक वर्ग ओवरऑल

विजेता जैन इंटर कॉलेज, चौरासी
उप विजेता जवाहर विद्यालय इण्टर कॉलेज रहे

कार्यक्रम का संचालन जनपदीय क्रीड़ा समिति के सचिव ,डॉक्टर पदम सिंह कौन्तेय द्वारा किया गया l
निर्णायक की भूमिका राष्ट्रीय प्रशिक्षक एवं निर्णायक श्री लखन कुंतल श्रीमती ममता राजपूत, सर्वेश सोलंकी , विनोद पाल, डीoकेo सिंह , अमित गौतम, राहुल शर्मा,महेंद्र सिंह, बलभद्र सिंह, जय प्रकाश,चंद्रशेखर ने निभाईl