Tuesday, August 5, 2025
Home Blog Page 1195

गोदाम में भीषण अग्निकांड, सब जलकर खाक, शहर के बीच हुआ हादसा

0

मथुरा। कच्ची सड़क स्थित द्वारकेश कॉलोनी में श्रंगार के सामान के गोदाम में मंगलवार की रात 11 बजे आग लगने के बाद छह घंटे तक अफरातफरी मची रही और लोग दहशत में थे। फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंचने से पहले लोग सबमर्सिबल आदि पानी के इंतजाम से आग पर काबू पाने का प्रयास करते रहे। रात करीब 12 बजे पहली गाड़ी पहुंची।
द्वारकेश कॉलोनी में मनीष अग्रवाल जिस मकान में रहते हैं उसके सामने 20 कदम की दूरी पर तीन मंजिला भवन में शृंगार के सामान का गोदाम है। गोदाम के आसपास गगन अग्रवाल और प्रभु दयाल के मकान हैं। गोदाम के पीछे वाले मकान में विनोद मशीन वाले रहते हैं। गोदाम के ठीक सामने सुभाष अग्रवाल का मकान है। रात करीब 11 बजे सुभाष अग्रवाल और गगन अग्रवाल ने गोदाम से धुआं निकलता देखा तो मनीष को जानकारी दी।
गोदाम खोलने के बाद जब भीषण आग देखी तो सभी के होश उड़ गए। आनन-फानन में आग को काबू करने के प्रयास शुरू कर दिए। कॉलोनी के लोग भी घरों से बाहर निकल आए। जिन घरों में सबमर्सिबल लगा है उन्होंने भी पाइप से पानी डालना शुरू कर दिया। फायर ब्रिगेड को भी सूचना दे दी गई। कई घंटे तक आग धधकने के कारण गोदाम क्षतिग्रस्त हो गया और लोगों को बिल्डिंग गिरने का डर लगने लगा। सुबह मजदूर बुलाकर बिल्डिंग को गिराने का काम शुरू करा दिया गया।

अब रेल बस नहीं मेट्रो का ले सकेंगे आनंद, मथुरा-वृंदावन के बीच चलाने की है तैयारी

0

मथुरा। मथुरा से वृंदावन तक मेट्रो ट्रेन दौड़ाने की तैयारी चल रही है। इससे यहां देश-विदेश से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को श्रीकृष्ण जन्मभूमि से बांकेबिहारी मंदिर तक पहुंचने की अच्छी सुविधा मिलेगी, वहीं शहर को जाम की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी। चूंकि मथुरा से वृंदावन तक 11.63 किलोमीटर की मीटरगेज रेलवे लाइन पर वर्तमान में रेल बस चलाई जा रही है।
इसलिए इसी रास्ते पर मेट्रो दौड़ाने में ज्यादा समस्या नहीं आएगी। इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने प्रस्ताव तैयार कर रेलवे को भेजा है। हालांकि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ब्रज हेरीटेज मेट्रो ट्रेन कॉरीडोर विकसित करने के लिए रेल मंत्री से चर्चा कर चुके हैं।
वर्तमान में यहां चल रही रेल बस रोजाना तीन चक्कर लगाती है और बस में 72 सवारियां ही आती हैं। साधुओं के लिए यह फ्री है तथा सामान्य यात्रियों के लिए दस रुपये टिकट है। इस रेल बस के लिए मथुरा-वृंदावन के बीच में नौ रेल फाटक धौली प्याऊ रोड, ब्रजवासी रॉयल होटल के पास, सौंख अड्डे के पास, जन्मस्थान, गोविंद नगर थाना, चित्रकूट मसानी के पास, सुनरख रोड, वृंदावन परिक्रमा मार्ग, मोतीझील रोड हैं।
प्रस्ताव के अनुसार ऊपर ट्रेन और नीचे सड़क रहेगी। जिन स्थानों पर वर्तमान में फाटक हैं वहां की सड़कें चैड़ी कर यातायात सुगम किया जाएगा।
नगेंद्र प्रताप, तीर्थ विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि मथुरा से वृंदावन तक पांच से सात बोगी की मेट्रो ट्रेन चलाने से श्रद्धालुओं को बड़ी सुविधा मिल सकती है। इसी के तहत रेलवे को मेट्रो ट्रेन चलाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। फाटक के रास्ते चैड़े कर शहर को जाम से मुक्ति दिलाई जा सकती है। ऊपर मेट्रो और नीचे सड़क मार्ग का प्रस्ताव भेेजा है।

डॉक्टर निर्विकल्प अग्रवाल अपहरण कांडः एसओ हाइवे सस्पेंड, इन बदमाशों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज

0

मथुरा। चर्चित डॉक्टर निर्विकल्प अग्रवाल अपहरण कांड में हाईवे थाने में चार युवकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। एसएसपी ने हाईवे के थाना प्रभारी जगदंबा सिंह को शिकायत पर रिपोर्ट दर्ज न करने के आरोप में निलंबित कर दिया है।
दर्ज रिपोर्ट के अनुसार सन्नी पुत्र देवेंद्र मलिक निवासी सैनिक विहार कॉलोनी कंकड़खेड़ा मेरठ, महेश पुत्र रघुनाथ, अनूप पुत्र जगदीश निवासी कोलाहर नौहझील और नितेश पर आरोप है कि 10 दिसंबर 2019 को गोवर्धन चौराहे के ओवरब्रिज पर डॉ निर्विकल अग्रवाल की गाड़ी में टक्कर मारकर चारों ने अपहरण कर लिया और 52 लाख की फिरौती भी वसूली। बाद में 50 लाख की फिरौती और मांगी। इस पूरे प्रकरण में पुलिस पर अपराधियों को छोड़ने जैसे जघन्य अपराध को करने का भी आरोप है। आईजी इस मामले में जांच कर रहे है।

दिल्ली चुनाव की तस्वीरः आप की धमाकेदार जीत, औंधे मूंह गिरी भाजपा

0

नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया कि दिल्ली आप की है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी को इस बार 70 में से 62 सीटें हासिल हुईं यानी 88 प्रतिशत। पिछली बार आप ने 67 सीटें जीती थीं यानी 96 प्रतिशत। केजरीवाल लगातार दो बार 88ः सीटें जीतने वाले देश के पहले नेता बन गए हैं। केजरीवाल ने मंगलवार को साढ़े तीन बजे पार्टी मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने दिल्लीवालों को सपोर्ट के लिए आई लव यू कहा। यह भी कहा कि दिल्ली पर हनुमानजी ने कृपा बरसाई। भाजपा पर तंज कसते हुए केजरीवाल बोले- नई राजनीित का जन्म हुआ है, जिसे काम की राजनीति कहते हैं। यही देश को आगे ले जाएगी।
भाजपा को 5 सीटों पर बढ़त मिली, वह 8 सीटें जीती। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हार स्वीकार की और कहा कि हम सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरविंद केजरीवाल को जीत की बधाई दी और कहा कि वे दिल्ली वालों की उम्मीदों को पूरा करें। कांग्रेस का फिर खाता नहीं खुला। 7 साल से सत्ता से दूर पार्टी फिर शून्य पर अटक गई। राहुल गांधी ने केजरीवाल को जीत की बधाई दी।

डा.निर्विकल्प अग्रवाल अपहरण कांड का क्राइम सीन पढ़िए

0

मथुरा। हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. निर्विकल्प अग्रवाल का अपहरण, फिरौती की वसूली और पुलिस की कार्यशैली सब कुछ हिंदी फिल्मों जैसा है। डाक्टर अपनी नेकनीयत की वजह से अपहर्ताओं के कब्जे में आए, फिल्मी अंदाज में उनकी पत्नी फिरौती की रकम डाक्टर की गाड़ी में रखकर आयीं। उसके तकरीबन 1.30 घंटे बाद चिकित्सक की रिहाई हो सकी।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार घटना के दिन चिकित्सक अपने हाॅस्पीटल से आम दिनों के मुकाबले करीब एक घंटे पहले निकले। इसकी वजह उस दिन मरीजों का कम आना था। एक क्रेटा गाड़ी महोली रोड पर ही उनका इंतजार कर रही थी। ये गाड़ी यहीं से उनके पीछे लग गई। इस बात की पुष्टि यहीं के एक अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज में हुई।
हाइवे पर ये गाड़ी डाक्टर की गाड़ी का पीछा कर रही थी। गोवर्धन चौराहे के ओवरब्रिज पर बदमाशों की गाड़ी डाक्टर की गाड़ी के आगे आई और उसकी कुछ गति धीमी हो गई, इसी दौरान डाक्टर की गाड़ी बदमाशों की क्रेटा से टकराई। ब्रिज से उतरने के बाद चिकित्सक ने नेकनीयत दिखाते हुए गाड़ी रोककर साॅरी बोलना चाहा लेकिन यहां तो पहले से ही उनके अपहरण की पटकथा लिखी जा चुकी थी। बदमाशों ने उनकी गाड़ी की चाबी निकाल ली और धकेल कर पीछे सीट पर कर दिया। इसके बाद ये गाड़ी हाइवे पर दौड़ती रही।
गाड़ी के अंदर डाक्टर ने एक बार बदमाशों से जूझकर कूदने की कोशिश भी की लेकिन बदमाश पूरी तरह से हावी थे, चिकित्सक को टाॅर्चर करने लगे। उनकी आंखों पर पट्टी बांधी गई। इस पर डाक्टर घबरा गया और पूरी तरह सरेंडर कर दिया। फिरौती के लिए एक करोड़ की मांग की गई। डाक्टर के फोन से ही पत्नी भावना को फोन किया गया। आखिरकार बात 55 लाख पर टिक गई। बदमाश डाक्टर की गाड़ी को उनके घर के पास ले गए और पत्नी एक बैग में रखकर ये रूपए लायीं और गाड़ी की सीट पर रखकर चलीं गई। इसके करीब 1.30 घंटे बाद डाक्टर की रिहाई हो सकी।

आईएमए के पदाधिकारी ने कराई पुलिस से मुलाकात

इस मामले में चिकित्सक की पुलिस से मुलाकात आईएमए के पदाधिकारी ने कराई। पुलिस ने डाक्टर को समझाया कि रिपोर्ट दर्ज होने के बाद बेवजह का हल्ला होगा, आप हमें शिकायत दे दें हम पूरे मामले का वर्क आउट करने के बाद गुडवर्क दिखा देंगे। ये बाद डाक्टर की समझ में आ गई। पुलिस की स्पेशल टीम के तेज तर्रार अधिकारियों ने हाइवे के सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो उसमें बदमाशों की क्रेटा गाड़ी मिल गई। इसी मास्टर चाबी से पुलिस ने पूरा मामला खोल दिया। अब पुलिस ने डाक्टर को बरामद रकम को थोड़ा सा हिस्सा दिया और उन्हें रिपोर्ट दर्ज न कराने के लिए मना लिया। डाक्टर के मानने के बाद पुलिस ने डबल गेम खेला, एक तरह बरामद रकम और दूसरी ओर बदमाशों को छोड़ने के लिए मोटी रकम की वसूली। इस पूरे मामले में चिकित्सक ने पुलिस के आला अधिकारी को बताने की कई बार कोशिश की लेकिन अधिकारी ने उन्हें मिलने का समय ही नहीं दिया। ये सोची समझी स्कीम भी हो सकती है और सामान्य घटनाक्रम भी। बहरहाल अब एडीजी अजय आनंद ने एसएसपी शलभ माथुर, एसपी सिटी, सीओ रिफाइनरी, थाना हाइवे एसएचओ सहित दस लोगों को तलब कर लिया। अब खाकी को पसीने छूट रहे है।

डा.निर्विकल्प अग्रवाल अपहरण कांड का वो सच जिससे आप अभी तक अनजान है, पढ़िए

0

मथुरा। हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. निर्विकल्प अग्रवाल के नाटकीय अपहरण, फिरौती और फिर बदमाशों को पकड़ने के बाद छोड़ने की कलंक कथा में खाकी बुरी तरह फंस गई है। एडीजी अजय आनंद के स्वतं संज्ञान लेने के बाद आईजी की जांच में पुलिस अधिकारियों के पसीने छूट रहे है। इस प्रकरण ने खाकी पर दाग लगा दिया है।
मामला दिसंबर माह का है। डा.निर्विकल्प अपने मानस नगर स्थित हाॅस्पीटल से राधापुरम स्थित आवास के लिए निकले। यहां से बदमाशों की गाड़ी उनके पीछे लग गई। बदमाशों ने मंडी चौराहे से आगे डाक्टर की गाड़ी को टक्कर मारकर रोक लिया और गाड़ी में सवार हो गए। इसके बाद बदमाशों ने चलती गाड़ी में ही फिरौती के लिए डाक्टर को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। मोटी रकम मांगी गई, डाक्टर के फोन से ही पत्नी को फोन लगाया। बेखौफ बदमाश घर के पास तक गाड़ी को ले गए, पत्नी को चेहरा दिखाकर फिरौती के 55 लाख वसूल लिए और करीब डेढ़ घंटे बाद डाक्टर को छोड़ दिया।
दो दिन बाद डाक्टर ने अपने दोस्त और आईएमए के पदाधिकारी और एक हाॅस्पीटल संचालक से पूरे मामले की चर्चा की। मामला पुलिस तक पहुंच गया। पुलिस के सूत्र ही बताते है कि पुलिस ने गाड़ी नंबर के आधार पर मेरठ से एक बदमाश को उठा लिया। फिरौती की रकम बरामद हो गई। चूंकि डाक्टर मामला दर्ज नहीं कराना चाह रहे थे ऐसे में पुलिस की नीयत बरामद रकम पर बिगड़ गई। इतना ही नहीं पकड़े बदमाश भी छोड़ने के लिए पुलिस को मोटी रकम देने को तैयार हो गए। इस पूरे मामले में आईएमए के एक पदाधिकारी ने पुलिस और पीड़ित डाक्टर के बीच अहम भूमिका निभाई। पुलिस ने दोनों हाथों से लड्डू खाए और मामला रफा दफा कर दिया। इस प्रकरण में थाना हाइवे, पुलिस की स्पेशल टीम की भूमिका बताई जा रही है। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज, बदमाशों के नंबरों की लोकेशन, काॅल डिटेल तक के सबूत मिटा दिए।
मामला एडीजी अजय आनंद तक पहुंचा तो उन्होंने सक्रियता दिखाते हुए एसएसपी शलभ माथुर, एसपी सिटी, सीओ रिफाइनरी, थाना हाइवे एसएचओ सहित दस लोगों को तलब कर लिया। अब खाकी को पसीने छूट रहे है। विभागीय सूत्र बताते है मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ, डीजीपी इस मामले को लेकर इस कदर नाराज है कि वो किसी भी कीमत पर दोषियों को बख्शने के मूड में नहीं है।

पुलिस कर्मियों की पुलिस ने की पड़ताल

मथुरा। इस प्रकरण में एडीजी अजय आनंद की दिलचस्पी इस कदर है कि उन्होंने अपने स्तर से पुलिस के इस कारनामें की जानकारी जुटा ली है। घटना के दौरान पुलिस अधिकारियों की गतिविधियां, लोकेशन, काॅल डिटेल ने पूरी पोल खोलकर रख दी है।

आर्थोपेडिक सर्जन अपहरण में पुलिस पर गाज गिरना तय, सोमवार को दर्ज होंगे बयान

आर्थोपेडिक सर्जन के अपहरण के बाद फिरौती तक हो जाने के बावजूद पुलिस द्वारा की गई लीपापोती अब उसके गले की हड्डी बन गई है। इस मामले में आईजी रेंज ए सतीश गणेश जांच कर रहे है, एसएसपी शलभ माथुर, एसपी सिटी सहित दस को नोटिस भेजकर बयान देने के लिए बुलाया गया है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि अपहरण 10 दिसंबर को हुआ था। बदमाशों ने डॉक्टर को ढाई घंटे बाद छोड़ दिया था। हाईवे थाना क्षेत्र में 55 लाख की फिरौती वसूली गई थी। पत्नी फिरौती लाई थी। बदमाश क्रेटा गाड़ी से आए थे। गिरोह में एक युवक मेरठ का था। डाक्टर सकुशल घर आ गए।
इसके कुछ दिनों बाद मामला पुलिस की जानकारी में आया, पुलिस ने मोबाइल सर्विलांस पर लगाया।
पता चला कि बदमाशों ने ग्रेटर नोएडा के छात्र से मोबाइल मांगकर कॉल की थी। छात्र ने बदमाशों की कार का नंबर नोट किया। इसकी जानकारी मथुरा पुलिस को दी। कार मेरठ के एक सैन्य अधिकारी के बेटे की निकली। पुलिस ने उसे मेरठ में दबिश देकर हिरासत में ले लिया। इसके बाद पुलिसिया खेल शुरू हुआ।
पकड़े युवक से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने दबिश दी और अन्य बदमाशों को पकड़कर फिरौती की रकम वसूल ली। इसमें से बहुत थोड़ा हिस्सा डॉक्टर को दे दिया। चूंकि डाक्टर मामला दर्ज नहीं कराना चाह रहे थे, तो इस बात का भी पुलिस ने पूरा लाभ उठाते हुए बदमाशों से मोटी रकम लेकर पूरा मामला रफा-दफा कर दिया।

पुलिस ने किया अपराधियों को छोड़ने का गुनाह

इस पूरे मामले में पुलिस ने बदमाशों को आॅफ रिकाॅर्ड तलाशा, सीडीआर निकलवाई और पूछताछ की। इस पूरे खेल से अपने आलाधिकारियों को अनजान रखा। आईजी की जांच में कई बातें साफ हो गई है, सोमवार को भी बयान दर्ज किए जाने है। सूत्र बताते है पूरे मामले में पुलिस के अधिकारियों पर गाज गिरना तय है। एडीजी जल्द से जल्द इस जांच के नतीजों पर पहुंचना चाहते है, ताकि मुख्यालय को रिपोर्ट दी जा सके।

डीआईओएस सस्पेंड, मुख्यालय से संबद्ध

मथुरा। बोर्ड परीक्षाओं से ठीक पहले शासन ने मथुरा के डीआईओएस कृष्णपाल सिंह को निलंबित कर दिया है। उन्हें कार्य में लापरवाही, अनियमितताओं के चलते हटाया गया है। सूत्र इसे बोर्ड परीक्षा केंद्रों के घालमेल, मानकों से समझौता, अनुचित लाभ देने से जोड़ रहे है। उन्हें मुख्यालय संबद्ध किया गया है।

सीएमओ कार्यालय में वेतन घोटाला, आला अफसरों की भूमिका पर सवाल

मथुरा। लखनऊ की आडिट टीम ने सीएमओ कार्यालय में वेतन घोटाला पकड़ा है। यहां तीन चिकित्सकों ने पटल सहायक और अधिकारियों से सांठगांठ करके सांतवे वेतन आयोग का लाभ ले लिया। अतिरिक्त वेतन की धनराशि चिकित्सकों के खातों में चली गई। लखनऊ की टीम ने मामला पकड़ा तो आनन फानन में अतिरिक्त धनराशि जमा करने की बात कही जा रही है। मजेदार बात ये है कि सीएमओ घोटालेबाजों को चिंहित कर उनके खिलाफ एक्शन लेने के बजाय पूरे मामले की लीपापोती में अपनी अहम भूमिका निभा रहे है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार बलदेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के किशनपुर के प्रदीप कुमार त्रिवेदी, चैमुहां स्वास्थ्य केंद्र के अतुल मिश्रा और सोंखखेड़ा पर तैनात हेमेंद्र सिकरवार ने अधिकारियों से सांठगांठ करके सांतवे वेतन आयोग का लाभ ले लिया जो नियमों के विरूद्ध था। मामला आॅडिट टीम की पकड़ में आ गया। जब टीम ने आपत्ति की तो विभाग में खलबली मच गई। आनन-फानन में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों से जबाव मांगा गया। इस पूरे खेल में सीएमओ कार्यालय की भूमिका पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। दिलचस्प बात ये है कि आॅडिट टीम के खुलासे के बाद रिकवरी की बस बात की जा रही है लेकिन दोषियों के खिलाफ न तो कोई जांच चल रही है और न ही उन्हें चिंहित किया गया है। इस गंभीर प्रकरण पर सीएमओ डा. शेर सिंह का बयान भी बेहद गैरजिम्मेदाराना है, उनका कहना है जिनके खाते में अधिक रूपए गए उन्होंने चुपके से रूपया जमा करा दिया है। दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की बात पर बस इतना कहा कि मामले की जांच एडी स्तर से हो रही है, ऐसे में कार्यवाही भी एडी स्तर से ही होगी।

जन्मदिन पर विशेषः कभी टूटी सी साइकिल की सवारी और आज ये जलवे, चमत्कारिक व्यक्तित्व के धनी रामकिशोर की राम कहानी

0

विजय कुमार गुप्ता

मथुरा। कभी टूटी सी साइकिल की सवारी करने वाले रामकिशोर जी के आज ऐसे जलवे होंगे, ऐसा पहले किसी ने सोचा भी नहीं होगा। शायद रामकिशोर जी ने भी कभी ऐसी कल्पना नहीं की होगी। कृष्ण की नगरी को उच्च शिक्षा की रंग-बिरंगी रोशनी से जगमग करने वाले रंगीले रामकिशोर 9 फरवरी को अपना 67वां जन्मदिन मना रहे हैं।
उड़ती चिड़िया के पर गिनने और बंद लिफाफे का मजमून भांप लेने जैसी महारत के स्वामी डाॅक्टर रामकिशोर अग्रवाल ने शिक्षा जगत में कदम एक मास्टर की हैसियत से रखा था। वे मथुरा से रोजाना बस द्वारा सादाबाद पहुंचते और सादाबाद से टूटी सी साइकिल पर सवार होकर सहपऊ के एक स्कूल में पढ़ाने जाते थे।
इसके बाद वह व्यापार जगत में उतरे तथा सोने चांदी के कारोबार में सोने की तरह चमके और सर्राफा एसोसिएशन के महामंत्री बने, फिर बीएसए काॅलेज के मंत्री बनकर उन्होंने बीएसए इंजीनियरिंग काॅलेज की स्थापना की और काफी समय तक उसके चेयरमैन रहे।
बीएसए इंजीनियरिंग काॅलेज मथुरा का सबसे पहला इंजीनियरिंग काॅलेज था। इससे पहले इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए विद्यार्थियों को बाहर बड़े शहरों में जाना पड़ता था। इसके बाद उन्हें ऐसा जुनून सवार हुआ कि पूछो मत। शिक्षा के जगत में क्रांति लाने की उनके अंदर निराली सनक सवार हो गई। फिर उन्होंने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा और मथुरा से लेकर नोएडा तक शिक्षा के मंदिरों की एक के बाद एक बाढ़ सी ला दी और शिक्षा जगत के पितामह कहलाने लगे।
इनकी धाक ऐसी जमी की मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम जैसी विश्वविख्यात हस्ती ने भी इनका लोहा माना और नोएडा स्थित जीएल बजाज काॅलेज के दीक्षांत समारोह में आकर इनकी पीठ थपथपाई।
रामकिशोर जी का नाम तो राम है लेकिन कभी-कभी वह परशुराम भी बन जाते हैं। जब कोई व्यक्ति संस्थान के साथ धोखा या जयचंद जैसी किसी भी प्रकार की गद्दारी करता है तो आगा-पीछा न सोचकर उसे छोड़ते नहीं और उसे रुई की तरह धुन डालते हैं। 1-2 केस ऐसे भी हो चुके हैं जिनमें इनके शिकार एसएन मेडिकल काॅलेज तक रेफर हो गए और बमुश्किल उनकी जान बची।
कई बार यह गिरकर गंभीर रूप से चोटिल हुए हैं। एक बार तो पैर की हड्डियां भी बुरी तरह टूटी और वह कई माह तक बिस्तर में पड़े रहे। उसके बाद जब कुछ ठीक हुए तो व्हीलचेयर और वाॅकर की सहायता से चलने लगे। पिछले वर्ष तो ऐसी नौबत आ गई और वह बमुश्किल कई माह में ठीक हो पाए। हो सकता है कि उन पीड़ितों की हाय लगी हो जिन्हें इन्होंने एसएन तक की हवा खिलाई।
एक बार इनके ऊपर भूत सवार हो गया। भूत जो सवार हुआ था वह भूत प्रेत वाला भूत नहीं, वह तो चुनावी भूत था। इनको एमएलए बनने की लालसा जागृत हुई। राजनीति में तो यह पहले से ही थे। कट्टर कांग्रेसी और जुगाड़ु होने के कारण इनकी राष्ट्रीय स्तर के कुछ दिग्गज कांग्रेसी नेताओं से अच्छी सेटिंग थी। इन्होंने जोड़-तोड़ से ऐसी गोट बिछाई की सीटिंग एमएलए प्रदीप माथुर की भी जड़ें हिल गई तथा एक बार तो ऐसा लगा कि इन्हीं को टिकट मिल जाएगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। प्रदीप माथुर खेले खाए तेजतर्रार व्यक्ति हैं और सीधे पीएम हाउस में उनकी गहरी पैठ थी। अतः इनकी दाल नहीं गली और टिकट प्रदीप माथुर को ही मिली।
इसके बाद तो इन्हें इतना गुस्सा आया कि कांग्रेस से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़े तथा ऐसा समझने लगे कि अब तो मैं विधायक बन ही जाऊंगा। खैर जैसे जैसे चुनाव निकट आए वैसे वैसे इन्हें यह महसूस होने लगा कि यह मेरी भूल थी। चुनाव के बाद तो स्थिति साफ हो गई कि यह हार रहे हैं और जब मतगणना हुई तो स्थिति बड़ी शर्मनाक हो गई। रामकिशोर जी चारों खाने चित्त जाकर गिरे। बुरी तरह पराजय हुई और जमानत भी नहीं बचा पाए। बस यहीं रामकिशोर जी गच्चा खा गए और फिर तो इन्होंने राजनीति से ही पल्ला झाड़ लिया।
इनकी सबसे अच्छी बात यह है कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद जिस प्रकार अन्य बड़े-बड़े लोगों ने एक दूसरे की रकम मारी और गरीबों तक को नहीं बख्शा। ठीक उसके विपरीत उन्होंने किसी की रकम नहीं मारी। भले ही इनकी करोड़ों की रकम लोग मार बैठे। उसकी इन्होंने उफ तक नहीं की। जिनका देना था, सभी का चुकाया भले ही मोटी रकम की ब्याज देनी पड़ रही हो। उसके लिए इन्हें साधुवाद। इसका श्रेय इनके पिता स्वर्गीय श्री हरिदास अग्रवाल को जाता है जो हमेशा इनसे यह कहते थे कि बेटा किसी के साथ बेईमानी मत करना वरना गधा-घोड़ा बनकर कर्ज चुकाना पड़ेगा। पिता के इस उपदेश को इन्होंने आत्मसात कर लिया।
रामकिशोर जी यारों के यार जीदार मस्त मौला हैं। इस बात को मानना पड़ेगा कि जिसके अपने हैं उसके अपने और जिसके बेगाने हैं उसके बेगाने। अपनी मोहब्बत निभाने के लिए तो यह किसी भी हद तक चले जाते हैं और जिससे आर-पार हो गई तो फिर अपनी मूंछे नीचे नहीं होने देते भले ही खुद मूंछ नहीं रखते। इनके जज्बे को सलाम ईश्वर इन्हें शतायु करे।