Wednesday, August 6, 2025
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आरआईएस के छात्र-छात्राओं के मॉडलों में दिखी विश्व धरोहर की झलकसामाजिक विज्ञान और कम्प्यूटर प्रदर्शनी में दिखाया बौद्धिक कौशल


मथुरा। छात्र-छात्राओं की बौद्धिक क्षमता और कौशल मूल्यांकन के लिए राजीव इंटरनेशनल स्कूल में सोमवार को सामाजिक विज्ञान और कम्प्यूटर प्रदर्शनी आयोजित की गई। इस प्रदर्शनी में छात्र-छात्राओं ने एक से बढ़कर एक मॉडल प्रदर्शित कर अपनी मेधा का परिचय दिया। इतना ही नहीं छात्र-छात्राओं ने निर्णायकों को अपने-अपने मॉडलों की जानकारी भी दी। इस प्रदर्शनी की थीम विश्व धरोहर की झांकी रही।
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने बताया कि छात्र-छात्राओं के बौद्धिक क्षमता के मूल्यांकन के लिए राजीव इंटरनेशनल स्कूल में सामाजिक विज्ञान और कम्प्यूटर पर प्रदर्शनी लगाई गई। विश्व धरोहर की झांकी थीम पर आयोजित प्रदर्शनी में छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर प्रतिभागिता की। प्रदर्शनी में विद्यार्थियों ने विश्व प्रसिद्ध स्मारक मोआई स्टैचू, स्टोनहैंज, अंगोर वट, एफिल टॉवर, क्रिस्टो रिडेंटर, ग्रैंड कैनियन, ग्रेट बैरियर रीफ, कोलोजियम हार्बर एट रियोडे जानेरो, ग्रेट वाल ऑफ चाइना, ताजमहल, माचू पिचो, पेट्रा, क्राइस्ट द रिडीमर, ग्रेट पिरामिड ऑफ गीजा, टेम्पल ऑफ आरथेमिस, स्टेचू ऑफ ज्यूस, लाइट हाउस, सौरमंडल, तारामंडल आदि पर अपने-अपने मॉडल प्रस्तुत किए।
प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने बताया कि कम्प्यूटर प्रदर्शनी के दौरान छात्र-छात्राओं ने हार्डवेयर का उपयोग करना सिखाया। इतना ही नहीं उन्होंने सॉफ्टवेयर के माध्यम से स्टोरी एवं गेम बनाकर भी दिखाए। इस प्रदर्शनी को सफल बनाने में सामाजिक विज्ञान तथा कम्प्यूटर के शिक्षकों की अहम भूमिका रही। छात्र-छात्राओं की इस प्रदर्शनी का निर्णायकों प्रो. (डॉ.) सुषमा, डॉ. लारा जैन, प्रो. मोहम्मद जाहिद, असिस्टेंट प्रोफेसर दीपक चौधरी ने अवलोकन करने के बाद प्रस्तुत मॉडलों की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। निर्णायकों ने विद्यार्थियों के प्रयासों को सराहते हुए कहा कि आपने अपना शत-प्रतिशत ज्ञान और कौशल दिखाया यही सबसे बड़ी उपलब्धि है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा कि बचपन से ही छात्र-छात्राओं में रचनात्मकता, समस्या-समाधान, सहयोग और लचीलेपन को महत्व देने वाली मानसिकता विकसित किया जाना जरूरी है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि प्रत्येक बच्चे को अपने राष्ट्रीय धरोहरों की जानकारी होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी चुनौतियों और अवसरों से भरी है, ऐसे में छात्र-छात्राओं की स्किल मजबूत करते हुए उनमंि नवाचार के बीज प्रस्फुटित किया जाना बहुत जरूरी है।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने प्रदर्शनी में मॉडल प्रस्तुत करने वाले सभी छात्र-छात्राओं की प्रशंसा की। श्री अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि वे अपने बेहतरीन प्रयास जारी रखें। उन्होंने कहा कि प्रत्येक बच्चे में विकास की मानसिकता होती है, जरूरत उसे समय से पहचान कर प्रोत्साहित किया जाना है। अंत में प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना।
चित्र कैप्शनः छात्र-छात्राओं के प्रदर्शित मॉडलों का मूल्यांकन करते निर्णायक।

अमरनाथ गर्ल्स डिग्री कॉलेज के एनसीसी कैडेट्स ने मनाया पेपर बैग़ डेपेपर बैग डे पर एनसीसी के 55 कैडेट्स ने पेपर बैग कार्यशाला में प्रतिभाग़ किया।


एनसीसी कैडेट्स ने पेपर बैग डे के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यशाला का उद्देश्य सिंगल यूज प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी देना और क्लाथ व पेपर बैग के उपयोग को बढ़ावा देना था। कार्यशाला की शुरुआत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल वाजपेयी जी के उद्बोधन से हुई जिसमें उन्होंने बताया कि पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए हमें जूट और पेपर से बनी चीजों का प्रयोग करना चाहिए । उन्होंने यह भी बताया कि कागज का भी प्रयोग कम से कम करना चाहिए। कैडेट्स ने स्वंय द्वारा तैयार कलाकृतियुक्त बैग्स पर पर्यावरण, सुरक्षा का संदेश चित्रित किया। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि कला विभाग की प्रवक्ता डॉ श्यामा ने कैडेट्स को पेपर बैग बनाना सिखाए और उसके उपयोग पर प्रकाश डाला। महाविद्यालय की एनसीसी प्रभारी लेफ्टिनेंट डॉ मनोरमा कौशिक ने मुख्य अतिथियों का स्वागत और धन्यवाद ज्ञापित किया।
सी ओ कर्नल कुलदीप सिंह ने अपने संदेश में एनसीसी कैडेट्स को “नो प्लास्टिक यूज” अभियान चलाने की प्रेरणा दी। कार्यशाला में मुख्य रूप से, पी आई दामोदर घोष, मांडवी राठौर एवं कैडेट्स तनु, अनुष्का,,दीक्षा, निशा सिंह,श्रेया सिंह की भूमिका सराहनीय रही।

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों का दीक्षांत समारोह एक भव्य आयोजन के रूप में सम्पन्न हुआ। अपने जीवन की विशेष उपलब्धि हासिल कर विद्यार्थियों में भारी खुशी छा गई ।

संस्कृति विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय दीक्षांत समारोह में कई देशों के विद्यार्थियों ने डिग्रियां कीं हासिल


संस्कृति विश्वविद्यालय, मथुरा ने वैश्विक शिक्षा के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर स्थापित करते हुए 10 जुलाई 2025 को अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए एक विशेष दीक्षांत समारोह का आयोजन किया। यह आयोजन विश्वविद्यालय के8 सेमिनार हॉल में दोपहर 2:30 बजे आरंभ हुआ और गरिमामयी परंपराओं, विविध सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों और शैक्षणिक उपलब्धियों का जीवंत संगम बनकर उभरा।समारोह की शुरुआत भव्य शैक्षणिक जुलूस के आगमन से हुई, जिसमें विश्वविद्यालय के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी, डीन, विभागाध्यक्ष एवं संकाय सदस्य सम्मिलित हुए। मंच पर सभी गणमान्य अतिथियों के आसीन होने के पश्चात राष्ट्रगान की गरिमामयी प्रस्तुति हुई, इसके पश्चात सरस्वती वंदना और दीप प्रज्वलन द्वारा कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया।
डीन अकादमिक
डॉ. रेनू गुप्ता ने सभी विद्यार्थियों और अभिभावकों का स्वागत करते हुए कहा कि आज का दिन न केवल हमारे अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए, बल्कि संस्कृति विश्वविद्यालय के लिए भी अत्यंत गर्व का क्षण है। विभिन्न देशों से आए इन विद्यार्थियों ने जिस समर्पण और मेहनत से अपनी शिक्षा पूरी की है, वह प्रेरणादायक है। वे जहां भी जाएँगे, हमारे विश्वविद्यालय की छवि को और ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे।
संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. सचिन गुप्ता ने दीक्षांत समारोह का उदघाटन करते हुए कहा कि संस्कृति विश्वविद्यालय का उद्देश्य सदैव गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और वैश्विक मानकों के अनुरूप विकास रहा है। हमारे अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी इस लक्ष्य के जीवंत उदाहरण हैं। हमें विश्वास है कि वे अपने-अपने देशों में समाज और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। विश्वविद्यालय उन्हें अपना सांस्कृतिक और शैक्षणिक दूत2:30 मानता है।
समारोह के दौरान नामिबिया, म्यांमार, जिम्बाब्वे, तंजानिया, घाना, सूडान सहित कई देशों के 35 विद्यार्थियों को विभिन्न संकायों में डिग्रियाँ प्रदान की गईं। इन विद्यार्थियों ने इंजीनियरिंग, प्रबंधन, विज्ञान, नर्सिंग एवं अन्य पाठ्यक्रमों में अपनी उत्कृष्टता सिद्ध की है।
डीन डॉ. विराचल्ली ने स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान कीं। डीन डॉ. डी.एस. तोमर ने स्कूल ऑफ बेसिक एंड एप्लाइड साइंस, डॉ. मनीष अग्रवाल, डीन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड कॉमर्स ने विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान कीं। मंच पर डॉ. पाराशर, प्राचार्य स्कूल ऑफ नर्सिंग, रजिस्ट्रार श्री आर. एन. त्रिवेदी, नियंत्रक परीक्षा डॉ. राकेश टंडन, डीन अकादमिक डॉ. रेनू गुप्ता, तथा डीन इंजीनियरिंग डॉ. विराचल्ली की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिन्होंने समारोह की शोभा को और भी बढ़ाया।
समारोह को भव्य रूप प्रदान करने में विश्वविद्यालय के समर्पित अधिकारियों और कर्मचारियों विवेक श्रीवास्तव, दिलीप सिंह तथा राहुल का भी विशेष योगदान रहा।
समारोह के समापन पर डॉ. विराचल्ली ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए सभी अतिथियों, विद्यार्थियों, शिक्षकों, और आयोजन से जुड़े सभी कर्मचारियों का हृदय से आभार व्यक्त किया।
समारोह का कुशल संचालन सुश्री ज्योति यादव,सुश्री दिव्या गेहलोत ने किया। इस भव्य आयोजन के मुख्य समन्वयक के रूप में अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के समन्वयक दीपक ने अपनी भूमिका अत्यंत कुशलतापूर्वक निभाई। व्यवस्
यह विशेष दीक्षांत समारोह संस्कृति विश्वविद्यालय की उस दृष्टि को दर्शाता है, जिसमें शिक्षा की कोई सीमाएँ नहीं होतीं। विभिन्न देशों, भाषाओं और संस्कृतियों से आए विद्यार्थियों ने एकता, विद्या और प्रगति का जो संदेश दिया, वह आने वाले वर्षों तक प्रेरणा देता रहेगा। इस विशेष दीक्षांत समारोह की रूपरेखा का तानाबाना तैयार करने में डॉ रतीश शर्मा का प्रमुख योगदान रहा

जीएलए पॉलीटेक्निक के 92 प्रतिशत छात्रों को मिली नौकरी


-जीएलए में कैंपस प्लेसमेंट के दौरान 72 से अधिक कंपनियों में चयनित हुए पॉलीटेक्निक के छात्र
जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के पॉलिटेक्निक संस्थान ने एक बार फिर से अपने छात्रों की प्रतिभा और योग्यता का लोहा मनवाया है। शैक्षणिक सत्र 2024-25 में आयोजित कैंपस प्लेसमेंट ड्राइव में पॉलीटेक्निक के 92 प्रतिशत छात्रों का चयन 72 से अधिक प्रमुख कंपनियों में हुआ है। यह उपलब्धि संस्थान के लिए एक बड़ी सफलता है और यह प्रदशित होता है कि यहां अपने छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा मिल रही है।

इन कंपनियों में एक्मे क्लीनटेक सॉल्यूशंस, बालकृष्ण इंडस्ट्रीज, ब्लू स्टार, शिकागो ब्रिज एंड आयरन (मैकडरमोट), कोका कोला, डी पाइपिंग सिस्टम्स, गेट्स इंडिया, एचजी इंफ्रा इंजीनियरिंग, एचएलएस एशिया, केवीबी स्टाफिंग सॉल्यूशंस, मैट ब्रेक्स इंडिया, एमटीएंडटी, नेशनल इंजीनियरिंग इंडस्ट्रीज (एनबीसी बियरिंग्स), नेपच्यून इंडिया, टेकुमसेह प्रोडक्ट्स इंडिया, यूफ्लेक्स, अल्ट्राटेक सीमेंट, यूनिवर्सल एमईपी प्रोजेक्ट्स एंड इंजीनियरिंग सर्विसेज और विप्रो टेक्नोलॉजीज जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं।

यूनिवर्सिटी के पॉलिटेक्निक प्राचार्य डा. विकास कुमार शर्मा ने कहा, “हमें अपने छात्रों की इस उपलब्धि पर गर्व है। पॉलीटेक्निक संस्थान में छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान की जाती है, जिससे वे उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होते हैं। शिक्षक अपने छात्रों को विभिन्न लैब्स में प्रशिक्षण प्रदान करते हैं, जिससे उन्हें उद्योग में काम करने के लिए तैयार किया जा सके। संस्थान का उद्देश्य डिप्लोमा छात्रों को उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार तैयार करना है, ताकि वे अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकें।“

उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी में छात्रों के लिए समय-समय पर विभिन्न गतिविधियां वर्कशॉप, गेस्ट लेक्चर, सेमिनार आयोजित की जाती हैं। इन गतिविधियों से छात्रों को नवीनतम तकनीकों और ट्रेंड्स के बारे में जानकारी मिलती है। उद्योग के विशेषज्ञों से छात्रों को उद्योग की आवश्यकताओं और चुनौतियों से निपटने तथा अपने क्षेत्र में नवीनतम विकास और रुझानों के बारे में जानकारी मिलती है, जिससे वे अपने कौशल को विकसित कर सकते हैं।

इसके अलावा छात्रों को इंडस्ट्रियल विजिट भी कराई जाती है, जिससे छात्रों को उद्योग की वास्तविक दुनिया का अनुभव मिलता है और वह अपने कौशल को विकसित कर सकते हैं। जिससे अपने करियर में आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है।

जीएलए ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट के डिप्टी डायरेक्टर सौरभ गोयल ने कहा, “छात्रों की इस उपलब्धि से प्लेसमेंट टीम को बहुत खुशी है कि संस्थान अपने छात्रों को उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार तैयार करने के लिए कड़ी मेहनत की है। उन्हांने बताया कि प्लेसमेंट टीम 2025-26 के छात्रों को रोजगारपरक बनाने में जुट गई है। कंपनियों से लगातार संपर्क में है।

इन लैबों में मिलता है प्रशिक्षण

छात्रों को विभिन्न लैब्स में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। जिनमें थर्मोडायनामिक्स और हीट ट्रांसफर प्रयोगशाला, द्रव यांत्रिकी प्रयोगशाला, मशीनिंग और विनिर्माण प्रयोगशाला, सामग्री परीक्षण प्रयोगशाला, रोबोटिक्स प्रयोगशाला, कंप्यूटर एडेड डिजाइन (सीएडी) और कंप्यूटर एडेड विनिर्माण (सीएएम) प्रयोगशाला, माप और मेट्रोलॉजी प्रयोगशाला, यांत्रिक कंपन और नियंत्रण प्रणाली प्रयोगशाला, ऊर्जा रूपांतरण और अक्षय ऊर्जा प्रयोगशाला, ऑटोमोबाइल लैब, कैड कैम लैब शामिल हैं। इन लैब्स में छात्रों को उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, जिससे वे उद्योग में काम करने के लिए तैयार हो सकें।

राजीव इंटरनेशनल स्कूल में हुई फैकेल्टी डेवलपमेंट पर वर्कशॉपडॉ. अक्षिता बहुगुणा ने योग्यता आधारित शिक्षा पर डाला प्रकाश


मथुरा। योग्यता आधारित शिक्षा एक शिक्षण अधिगम पद्धति है जो छात्र-छात्राओं को परिवेश की परवाह किए बिना अपनी गति से किसी कौशल को सीखने या उसमें निपुणता प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। यह पद्धति छात्र-छात्राओं के अधिगम परिणामों को बेहतर बनाने और विभिन्न अधिगम क्षमताओं को पूर्ण करने में मदद करती है। यह बातें राजीव इंटरनेशनल स्कूल में मिलेनियम पब्लिशर्स द्वारा योग्यता आधारित शिक्षा पर आयोजित वर्कशॉप में एमिनेंट स्पीकर, फ्यूचर आइकांस ग्रुप की फाउण्डर एण्ड डायरेक्टर डॉ. अक्षिता बहुगुणा ने शिक्षकों को बताईं।
डॉ. अक्षिता बहुगुणा ने बताया कि योग्यता आधारित शिक्षा एक ऐसी शैक्षिक पद्धति है, जिसमें कौशल, ज्ञान, मूल्यों और दृष्टिकोणों के प्रदर्शन का उपयोग करके सीखने में छात्र-छात्राओं की आयु तथा कक्षा उपयुक्त स्तरों पर मदद मिलती है। यह दृष्टिकोण परिणाम आधारित है तथा शिक्षकों को छात्र-छात्राओं को ज्ञान, मूल्य विकसित करने और डिग्री प्राप्त करने के बाद भी आजीवन शिक्षार्थी बनने में मदद करने में सक्षम बनाता है। सरल शब्दों में योग्यता आधारित शिक्षा की परिभाषा एक शैक्षिक मॉडल है, जो छात्र-छात्राओं के समग्र विकास को प्राथमिकता देती है।
डॉ. बहुगुणा ने बताया कि सैद्धांतिक ज्ञान छात्र-छात्राओं को किसी भी अवधारणा को समझने में मदद कर सकता है, लेकिन वास्तविक दुनिया में उन्हें एक “प्रयासशील” दृष्टिकोण, तीव्र मानसिकता और ऐसे कौशल या योग्यताएं चाहिए जो उन्हें अपने लक्ष्य प्राप्त करने में मदद कर सकें। उन्होंने कहा कि आज उद्योगों को ऐसे प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं की आवश्यकता है जो भीड़ में अलग दिख सकें, उनके संगठन के लिए परिसम्पत्ति बन सकें तथा सर्वोत्तम प्रदर्शन कर सकें।
वर्कशॉप में डॉ. अक्षिता बहुगुणा ने विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से शिक्षक-शिक्षिकाओं को टीचिंग स्किल्स तथा विद्यार्थियों के साथ तारतम्य बिठाने के तौर-तरीके बताए। उन्होंने कहा कि धैर्य और सहनशीलता के साथ एक शिक्षक विभिन्न अधिगम क्षमता वाले छात्र-छात्राओं को भी एक साथ सिखा सकता है। शिक्षक रियल लाइफ के नए-नए उदाहरण देकर साथ ही विद्यार्थियों से रोल प्ले करवाकर भी उनके सीखने के तरीकों आसान बना सकते हैं।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने वर्कशॉप को सार्थक बताते हुए कहा कि ज्ञान हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती। विद्यार्थी कोरे कागज के समान होते हैं जिन्हें सुघड़ सांचे में ढालने का कार्य शिक्षक ही करते हैं। राजीव इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने कहा कि समय-समय पर ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन किया जाना जरूरी है। ऐसी कार्यशालाओं से शिक्षकों को जहां अपडेट होने का मौका मिलता है वहीं शिक्षा में नयापन आने से छात्र-छात्राओं की अध्ययन के प्रति रुचि भी बढ़ती है। श्री अग्रवाल ने कहा कि ईश्वर ने प्रत्येक विद्यार्थी को कोई न कोई गुण अवश्य दिया है, उस गुण में विस्तार का कार्य एक शिक्षक ही कर सकता है। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने एमिनेंट स्पीकर, फ्यूचर आइकांस ग्रुप की फाउण्डर एण्ड डायरेक्टर डॉ. अक्षिता बहुगुणा को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना।
चित्र कैप्शनः वर्कशॉप में शिक्षक-शिक्षिकाओं को टीचिंग स्किल्स बताते हुए डॉ. अक्षिता बहुगुणा।

जैस्मिन लोकगीत तो निताई चरण शास्त्रीय संगीत में सिरमौरआरआईएस के होनहारों का भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य में जलवा


मथुरा। शिक्षा, खेलकूद ही नहीं राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राएं सांस्कृतिक गतिविधियों में भी किसी से कम नहीं हैं। ब्रज कला केन्द्र एवं ब्रज संगीत विद्यापीठ द्वारा, मसानी में आयोजित भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य प्रतियोगिता में आरआईएस के छात्र-छात्राओं ने अपनी नयनाभिराम और कर्णप्रिय प्रस्तुतियों से सभी की वाहवाही लूटी। जैस्मिन ने लोकगीत तो निताई चरण ने शास्त्रीय संगीत में पहला स्थान हासिल किया।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल की प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने बताया कि बीते दिनों ब्रज कला केन्द्र मसानी में भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें शहर के प्रतिष्ठित स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने अपना कौशल और हुनर दिखाया। इस प्रतियोगिता में आरआईएस के विद्यार्थियों ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया। लोकगीत में जैस्मिन ने प्रथम स्थान प्राप्त कर जहां विद्यालय का नाम रोशन किया वहीं शास्त्रीय संगीत में निताई चरण ने प्रथम, मानस ने द्वितीय एवं नमन ने तृतीय स्थान प्राप्त कर धाक जमाई।
प्रधानाध्यापिका मदान ने बताया कि हारमोनियम वादन में आरआईएस के छात्र मानस एवं छात्रा आराध्या ने दूसरा स्थान हासिल किया। प्रतियोगिता के समापन अवसर पर आयोजकों द्वारा सभी विजेता छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। प्रधानाध्यापिका ने बताया कि छात्र-छात्राओं की इस सफलता में संगीत शिक्षक विशाल सैनी का अहम योगदान है। उन्हीं के कुशल मार्गदर्शन में छात्र-छात्राएं गीत-संगीत की गूढ़ बातें सीखते हुए प्रतियोगिताओं में श्रेष्ठता सिद्ध कर रहे हैं।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने विजेता छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि प्रतिस्पर्धा पढ़ाई की हो या खेल तथा सांस्कृतिक गतिविधियों की, जिस छात्र-छात्रा में जितना संयम और सीखने की ललक होगी, वह उतनी अधिक सफलताएं हासिल करेगा। डॉ. अग्रवाल ने लोकगीत में प्रथम स्थान हासिल करने वाली जैस्मिन तथा शास्त्रीय संगीत में सिरमौर रहने वाले निताई चरण की प्रशंसा करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ ही सांस्कृतिक गतिविधियों में सर्वश्रेष्ठ स्थान हासिल करना इस बात का सूचक है कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल में प्रत्येक छात्र-छात्रा के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास पर ध्यान दिया जा रहा है।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने शानदार सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए विजेता छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। श्री अग्रवाल ने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताएं छात्र-छात्राओं के सम्पूर्ण बौद्धिक विकास के लिए बहुत जरूरी हैं। उन्होंने छात्र-छात्राओं को इसी प्रकार अपनी मेधा और कौशल से कामयाबी हासिल करते हुए अपने स्कूल, जनपद, प्रदेश तथा माता-पिता का गौरव बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।
चित्र कैप्शनः भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य प्रतियोगिता के विजेता आरआईएस के छात्र-छात्राएं।

संस्कृति विश्विद्यालय और एच सी एल जीयूवीआई के मध्य हुए समझौते को प्रदर्शित करते दोनों पक्ष के अधिकारी।

चित्र परिचय: संस्कृति विश्विद्यालय और एच सी एल जीयूवीआई के मध्य हुए समझौते को प्रदर्शित करते दोनों पक्ष के अधिकारी।

संस्कृति यूनिवर्सिटी ने तकनीकी शिक्षा में क्रांति लाने के लिए एचसीएल जीयूवीआई के साथ हाथ मिलाया

मथुरा। भारत में तकनीकी शिक्षा को बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, संस्कृति यूनिवर्सिटी ने एच सी एल जी यू वी आई के साथ रणनीतिक साझेदारी की है। यह एक प्रमुख स्थानीय एडटेक प्लेटफॉर्म है जो अब एचसीएल समूह का हिस्सा है।
समझौता ज्ञापन (एमओयू) के माध्यम से औपचारिक रूप से तैयार किए गए इस सहयोग को ऐसे अभिनव शैक्षणिक कार्यक्रम प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए अत्याधुनिक तकनीकी कौशल, व्यावहारिक शिक्षा और उद्योग-तैयार शिक्षा को सहजता से एक प्लेटफार्म पर लाता है।
इस समझौता ज्ञापन पर संस्कृति विश्वविद्यालय के सीईओ-आईआईई डॉ. गजेंद्र सिंह, संस्कृति विश्वविद्यालय के उप रजिस्ट्रार मनीष मिश्रा और एचसीएल जीयूवीआई की तरफ से संस्थान बिक्री प्रमुख विनोद श्रीनिवासन ने हस्ताक्षर किए। डॉ गजेंद्र सिंह ने बताया कि यह साझेदारी अकादमिक शिक्षा और उद्योग की मांगों के बीच की खाई को को पाटेगी, जिससे पूरे भारत में छात्रों की करियर की उपलब्धता बढ़ेगी।
उन्होंने बताया कि यह सहयोग, एचसीएल जीयूवीआई प्रोग्रामिंग भाषाओं (पायथन, जावा, एआई), डेटा साइंस, मशीन लर्निंग और अन्य में उद्योग-सम्बंधित पाठ्यक्रमों को एकीकृत करके संस्कृति विश्वविद्यालय में अकादमिक पेशकशों को बढ़ाएगा। छात्रों को कोडकाटा और वेबकाटा जैसे विशेष उपकरणों तक भी पहुंच मिलेगी, जो उन्हें व्यावहारिक शिक्षण अनुभव प्रदान करेगा जो उनकी तकनीकी विशेषज्ञता को मजबूत करेगा।
डॉ सिंह ने बताया कि एचसीएल जीयूवी के लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के कोर्स डिलीवरी के लिए किया जाएगा, जिससे छात्र अपनी गति से सीख सकेंगे और साथ ही उद्योग विशेषज्ञों द्वारा आयोजित लाइव प्रशिक्षण सत्रों में भी भाग ले सकेंगे। इस कैंपस आधारित शिक्षण मॉडल का उद्देश्य लचीलापन प्रदान करना और वास्तविक दुनिया की तकनीकों के बारे में गहराई से जानकारी देना है। साझेदारी प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षण, मेंटरशिप और जॉब प्लेसमेंट सहायता को शामिल करके रोजगार क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगी। एचसीएल जीयूवी अपनी फ्लिप मोड लर्निंग पद्धति शुरू करेगा, जो सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक अनुप्रयोग के साथ जोड़ती है। यह सुनिश्चित करता है कि छात्रों को प्रासंगिक वास्तविक दुनिया का अनुभव मिले जो उनके अकादमिक लर्निंग को पूरक बनाता है, जिससे वे वैश्विक नौकरी बाजार की उभरती मांगों के लिए अच्छी तरह से तैयार हो जाते हैं।
पाठ्यक्रमों के सफल समापन पर, छात्रों को एचसीएल जीयूवी से सह-ब्रांडेड प्रमाणपत्र प्राप्त होंगे, जो यह सुनिश्चित करेंगे कि वे वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त क्रेडेंशियल्स से लैस हैं जो उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ाते हैं।
संस्कृति विश्विद्यालय के इंक्यूबेशन सेंटर के सीईओ ने बताया कि यह साझेदारी शैक्षिक और व्यावसायिक परिदृश्यों की उभरती जरूरतों के लिए एक दूरदर्शी समाधान का प्रतिनिधित्व करती है। दोनों संस्थान कई प्रमुख परिणामों के लिए प्रतिबद्ध हैं जैसे कई क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी कार्यक्रम पेश करके, यह साझेदारी उच्च-गुणवत्ता वाली शिक्षा को व्यापक श्रेणी के छात्रों के लिए सुलभ बनाएगी, खासकर वंचित क्षेत्रों में। एचसीएल जीयूवी के स्थानीय भाषा सीखने पर ध्यान केंद्रित करने और संस्कृति विश्वविद्यालय की शैक्षणिक क्षमता के साथ, यह सहयोग विभिन्न पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए तकनीकी शिक्षा का लोकतंत्रीकरण करेगा। कुशल शिक्षाविदों के उद्योग-संबंधित अनुभव के साथ मिलाकर, यह साझेदारी छात्रों की रोज़गार क्षमता में उल्लेखनीय सुधार करेगी। छात्रों के पास इंटर्नशिप, प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षा और प्लेसमेंट सहायता तक पहुँच होगी, जो उन्हें प्रतिस्पर्धी नौकरी बाजार में सफल होने के लिए आवश्यक उपकरण और नेटवर्क प्रदान करेगी।
इसके अलावा एचसीएल जीयूवी और संस्कृति विश्वविद्यालय दोनों ही सीखने के अनुभव को बढ़ाने के लिए नवीनतम तकनीकों का लाभ उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। फ्लिप मोड दृष्टिकोण के साथ कोडकाटा और वेबकाटा जैसे प्लेटफ़ॉर्म का एकीकरण छात्रों को उद्योग की ज़रूरतों के अनुरूप ठोस तकनीकी कौशल बनाने में मदद करेगा। सहयोग तीन साल तक चलेगा, जिसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। समय के साथ, ये कार्यक्रम तकनीकी उद्योग की गतिशील प्रकृति को प्रतिबिंबित करने के लिए विकसित होंगे, नए कौशल, प्रमाणन और सीखने के ढांचे पेश करेंगे जो यह सुनिश्चित करेंगे कि छात्र भविष्य के लिए सुसज्जित हों।

पानीं पीजै छान कै गुरु कीजै जान कै

विजय गुप्ता की कलम से

 मथुरा। "पानी पीजै छान कै गुरु कीजै जान कै" वाली इस कहावत को पता नहीं क्यों लोग अनदेखा करते हैं? बगैर जाने बगैर पहचाने ही गुरु घंटालों को गुरु बनाकर अपना धर्म भ्रष्ट करते हैं। इन संड मुसंड लम्पटों को गुरु का दर्जा देने की मूर्खता का चलन अब तो फैशन सा बन चुका है। गुरु पूर्णिमा पर मोटी तोंद वाले ये मुसंडे सोफे पर पसरकर अपने पैरों को पुजवाएंगे। मुझे तो इससे भी ज्यादा गुस्सा उन धूर्तों पर आता है जो आंखें होते हुए भी अंधे बने रहकर इन्हें भगवान की तरह पूजते हैं। 
 चेहरा मोहरा और आंखों की शरारत बता देती है कि यह साधु है या शैतान किंतु ये बेवकूफ लोग जरा भी परख नहीं रखते। अब मैं अपनी ही बात बताता हूं। लगभग 40 वर्ष पुरानीं बात है। मैं आगरा के हरी पर्वत चौराहे से गुजर रहा था। वहां एक खंभे पर साइन बोर्ड लगा हुआ था। उस पर आसाराम बापू का फोटो तथा उनके प्रवचनों को सुनने के लिए किसी स्थान का नाम व समय लिखा हुआ देखा। मेरी पहली नजर में आसाराम का पूरा चरित्र यानी जन्म पत्री जहन में उतर गई। उस समय आसाराम के ऊपर कोई शक शुबह या उंगली उठाने वाली बात तक नहीं थी। किंतु पता नहीं क्यों मुझे अंदाजा लग गया कि यह तो वासना का भेड़िया है। बात आई गई हो गई किंतु काफी वर्षों के बाद जो कुछ मेरी शंका थी वह सब प्रमाणित हो गई।
 अब मतलब की बात सौ की सीधी यह है कि हम लोगों को इन शैतानों से दूर रहकर जो सच्चे सन्यासी हैं उन्हें ही अपना गुरु बनाना चाहिए। गुरु दीक्षा लेने से पहले खूब अच्छी प्रकार से परख कर आगे कदम बढ़ाना ठीक है। हमारे पिताजी कहते थे कि सबसे प्रथम गुरु व पूज्य माता होती है जो जन्म के बाद से ही भले बुरे का ज्ञान कराती है। इसके बाद पिता व अन्य बड़े परिजन। फिर जिस जिस से जो शिक्षा मिलती है वह गुरु, चाहे पढ़ाई लिखाई की हो या अन्य सदमार्ग की। जब इंसान में परिपक्वता आती है तब अपना आध्यात्मिक गुरु निर्धारित करने के बारे में सोच समझ कर कदम उठाना चाहिए। देखने में आता है कि मां-बाप को तो कुछ समझते नहीं और गुरु घंटालों के लिए ऐसे मरे जाते हैं जैसे उन्हीं ने पैदा करके पाल पोसकर बड़ा किया हो। इन गुरु घंटालों का चरित्र क्या है? पहले साधु महात्मा मां, बहन, बेटियों का स्पर्श भी नहीं करते थे। बहुत हुआ तो केवल सिर पर हाथ भर रख कर आशीर्वाद देते तथा महिलाओं से माई या बेटी कहते पर अब तो माय डियर कहकर गले लगाया जाता है।
 हमारे पिताजी का स्वभाव ऐसा था कि वे हर किसी साधु रूपधारी से प्रभावित नहीं होते किन्तु सभी को नमस्कार जरूर करते। रमणरेती वाले बाबा हरनाम दास जी के बारे में वे कहते थे कि इनको देखते ही मन श्रद्धानत हो उठता है और पैर छूने की इच्छा बलवती हो जाती है। बाबा हरनाम दास जी अक्सर करके हमारे घर के आगे से रिक्शे में बैठकर महावन स्थित अपने आश्रम जाते थे, तो पिताजी उन्हें देखते ही रिक्शे को रोक कर पैर छूते और आशीर्वाद लेते, उस समय में बहुत छोटा था। मैं भी उनके साथ बाबा के पैर छुआ करता था। पिताजी की एक और खास बात थी। वे रामलीला रासलीला आदि में भगवान का स्वरूप धारण करने वालों के भी पैर नहीं छूते। यह स्वभाव बचपन से मेरा भी है। मुझे भी स्वरूपों की आरती उतारना और उनके पैर छूने वाली बात बहुत अखरती है। खैर इस बात से क्या लेना देना जिसकी जो मर्जी हो सो करे।
 अब मुझे बाबा हरनाम दास जी के साथ जुड़ा अपना एक प्रसंग याद आ रहा है। दरअसल मैं बचपन में बहुत उत्पाती था। बचपन क्या उत्पाती तो आज भी हूं, भले ही बूढ़ा हो गया। मेरे उत्पात से दुःखी होकर एक बार हमारी माताजी और बुआ जी मुझे रंगेश्वर मंदिर स्थित बाबा हरनाम दास जी के आश्रम ले गईं और बाबा को सारी बात बताई। बाबा ने एक पुड़िया में थोड़ी सी भभूति देकर कहा कि एक चुटकी रोजाना इस बालक को पानीं में डालकर पिला देना। यह क्रम एक-दो दिन चला किंतु मेरे उत्पात में कोई खास सुधार नहीं हुआ क्योंकि मुझे भी जल्दी सुधारने की लालसा जागृत होने लगी, तो मैंने पूरी भभूति को एक गिलास पानीं में घोलकर पी डाला। इस पर माता जी ने डांट लगाई और बुआ जी के साथ फिर से बाबा के पास ले गईं और सारा किस्सा बताया। बाबा खूब हंसे और दोबारा भभूति देकर कहा कि केवल चुटकी भर लेना एक साथ पूरी मत गटक जाना।
 बात कहां से चली कहां तक आ पहुंची जहां से चला था और फिर वही पहुंच कर अपनी बात दोहराता हूं कि इन गुरु घंटालों से सावधान रहो होशियार रहो खबरदार रहो। इससे तो अच्छा यह है कि भले ही निगुरे बने रहो पर अपनी जिंदगी की रेलगाड़ी को ईमानदारी, सादगी,  सच्चाई, दयालुता और परमार्थ वाली पटरी पर चलाओ। जहां तक हो सके अपने खुद के संतत्व को निखारो। सच्चा संत, सच्चा वैष्णव, सच्चा सनातनी धर्मी, सच्चा हिंदू और सच्चा भगवान का भक्त वही है जिसमें यह सब गुण हों।

जीएलए मैकेनिकल और आइआइटी दिल्ली एआइए फाउंडेशन के मध्य करार


-एआईए फाउंडेशन फॉर स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग एवं मेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग में उत्कृष्टता की दिशा में जीएलए के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग ने उठाया मजबूत कदम

स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग और इंडस्ट्री 4.0 के क्षेत्रों में अनुसंधान, प्रशिक्षण और अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। जीएलए के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग ने आइआइटी दिल्ली स्थित एआइए फाउंडेशन फॉर स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह कार्यक्रम एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन कार्यालय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली में आयोजित किया गया।

इस अवसर पर जीएलए विश्वविद्यालय की ओर से इंटरनेशनल रिलेशन एंड एकेडमिक कोलॉबोरेशन विभाग के डीन प्रो. दिलीप कुमार शर्मा, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रो. पीयूष सिंघल और एमओयू स्पोक पर्सन एवं एसोसिएट प्रोफेसर डा. भरत सिंह ने भाग लिया। एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन कार्यालय की ओर से प्रो. सुनील झा, प्रबंधक नमन कपूर और परियोजना प्रबंधक वैभव आनंद उपस्थित रहे।

इस सहयोग का प्रमुख उद्देश्य मेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और इंडस्ट्री 4.0 जैसे उन्नत क्षेत्रों में ज्ञान साझा करना, प्रायोगिक प्रशिक्षण प्रदान करना और संयुक्त अनुसंधान को प्रोत्साहित करना है। समझौते के तहत जीएलए विश्वविद्यालय के दस फैकल्टी सदस्य एआइए फाउंडेशन फॉर स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग (एफएसएम) द्वारा संचालित छह विशेष पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इसके अतिरिक्त, एफएसएम स्किल्स पोर्टल का एक वर्ष का एक्सेस जीएलए के पंजीकृत फैकल्टी और छात्रों को दिया जाएगा, जिससे वह औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुरूप निरंतर जानकारी हासिल कर सीख सकें।

अवसर पर प्रो. दिलीप कुमार शर्मा ने कहा, “आइआइटी दिल्ली-एआइए जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के साथ यह साझेदारी हमारे छात्रों और शिक्षकों को अगली पीढ़ी की तकनीकों से जोड़ने में सहायक सिद्ध होगी।” उन्होंने कहा कि यह समझौता न केवल स्मार्ट और सतत विनिर्माण के क्षेत्र में जीएलए विश्वविद्यालय की स्थिति को और अधिक मजबूत करेगा, बल्कि नवाचार, उत्कृष्टता और वैश्विक अकादमिक सहयोग के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। रिसर्च एंड डेवलपमेंट विभाग के डीन प्रो. कमल शर्मा ने इस सहयोग को विश्वविद्यालय की शोध क्षमताओं को सशक्त करने वाला कदम बताया।

विभागाध्यक्ष प्रो. पीयूष सिंघल ने कहा कि यह समझौता विभागीय शिक्षा को उद्योग आधारित अनुप्रयोगों से जोड़ने का सशक्त माध्यम बनेगा और छात्रों को ‘इंडस्ट्री-रेडी’ बनाएगा। उन्होंने बताया कि यह करार मैकेनिकल विभाग के एमओयू स्पोक पर्सन डा. भरत सिंह के अथक प्रयासों से संभव हो पाया है, जो विभाग के छात्रों के लिए अत्यंत लाभकारी होगा। इस करार का क्रियान्वयन डा. भरत और नमन कपूर करेंगे। डा. भरत सिंह ने कहा कि यह साझेदारी छात्रों की प्रायोगिक दक्षता और उभरती तकनीकों में रोजगार की संभावनाओं को बढ़ाएगी।

जीएलए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने भी इस पहल का जोरदार स्वागत किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. अनुप कुमार गुप्ता, सीईओ नीरज अग्रवाल, सीएफओ विवेक अग्रवाल, कुलसचिव अशोक कुमार सिंह, जीएलए ग्रेटर नोएडा के प्रतिकुलपति प्रो. दिवाकर भारद्वाज, डीओएए प्रो. आशीष शर्मा और डीन आइईटी प्रो. अशोक भंसाली ने इस सहयोग के लिए प्रसन्नता व्यक्त की और इसे छात्रों के हित में एक दूरदर्शी कदम बताया।

जीएलए के 350 विद्यार्थियों को कई-कई कंपनियों से जॉब ऑफर


-लगातार बढ़ते जीएलए विश्वविद्यालय के प्लेसमेंट ग्राफ में 350 विद्यार्थियों को मिली बड़ी उपलब्धि
जिस प्रकार विद्यार्थी एक शैक्षणिक संस्थान की रीढ़ होती है, ठीक उसी प्रकार संस्थान भी हर विद्यार्थी की प्रत्येक नब्ज को टटोलते हुए आगे बढ़ता है। यही कारण है कि जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा प्रत्येक वर्ष अपने प्लेसमेंट ग्राफ में लगातार बढ़त बनाये हुए है। शैक्षणिक सत्र 2024-25 के 350 से अधिक विद्यार्थियों को एक से अधिक कंपनियों में जॉब ऑफर हुए हैं।

जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के 350 से अधिक विद्यार्थियों एक नहीं, बल्कि दो से चार कंपनियों में चयन हुआ है। इनमें से करीब 180 से अधिक विद्यार्थियों को दो-दो, 100 से अधिक छात्र ऐसे भी हैं, जिन्होंने तीन-तीन तथा 70 से अधिक विद्यार्थियों ने चार-चार कंपनियों में चयन पाकर विश्वविद्यालय की उत्कृष्ट शिक्षा को कंपनी अधिकारियों के सामने दर्शाया है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि इसी रोजगारपरक शिक्षा के माध्यम से अपनी निगाहों में जो भी मंजिल हासिल करना चाहते हैं वह हासिल करके ही रहते हैं। यह सब जीएलए के शिक्षकों द्वारा दी जा रही बेहतर शिक्षा का कमाल है।

विवो, एकमीक्लीन टेक सॉल्यूशंस, आइओटेक वर्ल्ड एवीगेशन तथा केआरबीएल कंपनी में चयनित हुए पॉलीटेक्निक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र आनंद कुमार ने बताया कि प्रत्येक कंपनी के कार्यक्षेत्र में भारी बदलाव होता है। प्रत्येक छात्र भी यही चाहता है कि वह जिस राह पर शुरू से चला है उसे उसी राह पर मंजिल मिल जाये। उन्होंने बताया कि सर्वप्रथम विवो, एकमीक्लीन टेक सॉल्यूशंस, आइओटेक वर्ल्ड एवीगेशन कंपनी में उनका चयन हुआ, लेकिन आगे की राह पकड़ने के लिए यही काफी नहीं था। इसी के सहारे एक और कंपनी केआरबीएल कंपनी में चयन मिल गया। आज इसी कंपनी में अपनी सेवाएं दे रहा हूं। जहां जीएलए विष्वविद्यालय के सैकड़ों छात्र अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।

क्नेक टेक्नोलॉजी, एनीटाइम इनवेस्ट तथा एएमएल राइट सोर्स कंपनी में चयनित हुए एमबीए के छात्र गजेन्द्र कुमार ने बताया कि जीएलए विश्वविद्यालय में बहुराष्ट्रीय कंपनियां कैंपस प्लेसमेंट के लिए आती हैं। छात्र ने बताया कि सर्वप्रथम उन्हांने क्नेक टेक्नोलॉजी कंपनी में अपना भाग्य आजमाया और कामयाबी हासिल कर ली, लेकिन अपने हुनर को आजमाने के लिए छात्र ने एनीटाइम इनवेस्ट तथा एएमएल राइट सोर्स कंपनी में साक्षात्कार दिया इसमें भी जीएलए से मिले हुनर ने साथ दिया। मैनेजमेंट क्षेत्र की चाहत ने एएमएल राइट सोर्स कंपनी को चुन लिया, जो कि भारत की कंपनी है।

विश्वविद्यालय के कुलाधिपति नारायण दास अग्रवाल ने छात्रां की इस बड़ी उपलब्धि पर कहा कि छात्रों का एक से अधिक कंपनियों में चयन होना विश्वविद्यालय की उत्कृष्ट शिक्षा का तो परिणाम है ही, बल्कि छात्रों का जुनून भी आगे बढ़कर बोल रहा है। इससे यह साबित होता है कि जीएलए का प्रत्येक छात्र अपनी उस राह पर चलना चाहता जहां उसे हर मंजिल आसान लगे।

कुलाधिपति ने प्लेसमेंट की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्रत्येक छात्र की दृढ इच्छा होती है कि उसे पढ़ाई के बाद नौकरी मिल जाये। जीएलए विश्वविद्यालय का भी यह लक्ष्य है कि यहां पढ़ रहे हर छात्र को बेहतर नौकरी मिले। इससे ज्यादा इस बात पर जोर दिया जाता है कि छात्र नौकरी लेने की बजाय नौकरी देने वाला बने। इसके लिए विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियां विश्वविद्यालय स्तर से आयोजित की जाती हैं।

इन कंपनियों में छात्रों को मिले एक से अधिक ऑफर
विद्यार्थियों को माइक्रोसॉफ्ट, इंफोसिस, विप्रो, टीसीएस, एचसीएल, जिंदल स्टील, वीवो, बॉश, होंडा मोटर्स एंड स्कूटर्स, टेक महिन्द्रा, रिलायंस, हिन्दुस्तान ग्लास, पद्मिनी, आईडीबीआई, एचडीएफसी, वोल्वो, एमरॉन बैटरीज, सीज़ फायर, टैक्प्रो, सेमसंग, आरएस इंफ्राप्रोजेक्ट, डब्लूएनएस ग्लोबल जैसी बड़ी कम्पनियां में ऑफर मिल रहे हैं।