मथुरा। कभी कबूतरों को दाना डालने की और कभी कुत्तों को खाना खिलाने की बात हो। मेरा मानना है कि यह तो देवासुर संग्राम है। हमारा समाज, हमारा धर्म, हमारे वेद शास्त्र, हमारी शिक्षा तथा हमारे संस्कार यानी सब कुछ का केंद्र बिंदु दया और परमार्थ है।तुलसी दया न छोड़िए जब लग घट में प्राण, इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए।
देवता हमेशा परमार्थी और दयालु होते हैं तथा राक्षसों का धर्म क्या होता है? यह बताने की आवश्यकता नहीं। यदि हम पहले दूसरों का ख्याल रखेंगे तो ईश्वर हमेशा हमारी मदद करेंगे। दूसरों में इंसान से ज्यादा पशु पक्षी हैं। इन पर दया करना इंसानों से भी ज्यादा पुण्यकारी होता है। जो इंसान इन पर दया करता है और हर तरह से उनकी रक्षा करता है वह देवता के समान है और जो इनके साथ क्रूरता बरतता है वह तो साक्षात राक्षस का स्वरूप होता है ऐसा मेरा मानना है।
अब इसी बात पर एक प्रसंग बताता हूं। एक बार ब्रह्मा जी ने राक्षसों और देवताओं की सम्मिलित दावत रखी। दरअसल बात यह थी कि राक्षस लोग ब्रह्मा जी से बहुत दिन से कह रहे थे कि ब्रह्मा जी एक बढ़िया सी दावत करो। ब्रह्मा जी ने उनकी बात मान ली और देवताओं तथा राक्षसों की संयुक्त दावत रखी। जब राक्षसों को पता चला के ब्रह्मा जी ने केवल हमको ही नहीं देवताओं को भी बुलाया है, तो उन्होंने शर्त रख दी कि पहले हमें खाने का मौका मिले। जब यह बात देवताओं को पता चली तो उन्होंने बड़ी खुशी से मानली और कहा कि पहले राक्षस भरपेट दावत खा लेंगे तो फिर जो बचेगा हम उसी को ग्रहण कर लेंगे।
असल में राक्षसों की प्लानिंग यह थी कि हम सब कुछ चट कर जाएंगे और देवताओं को कुछ छोड़ेंगे ही नहीं, क्योंकि राक्षस देवताओं से बहुत जलते थे। खैर दावत शुरू होने के पहले एक घंटे का समय तय कर दिया गया यानी कि दोनों को एक-एक घंटे का समय मिलेगा जितना भी छिक कर खा सको खा लो।
घंटी बजी और राक्षसों का भोजन करने का समय शुरू किंतु यह क्या? ब्रह्मा जी ने ऐसी माया रच दी कि सभी राक्षसों के हाथ सीधे के सीधे रह गए यानी कोहनी से मुड़े ही नहीं तथा बगैर हाथ मुड़े हुए अपने मुंह में कौर कैसे दें? इस पर उन्होंने ब्रह्मा जी से नाराजी व्यक्त की कि आपने हमारे साथ यह कैसा भद्दा मजाक किया है? ब्रह्मा जी बोले कि मैंने केवल तुम्हारे लिए ही नहीं देवताओं के लिए भी यही नियम रखा है। खैर एक घंटा पूरा हुआ और भोजन समाप्ति की घंटी बज गई। राक्षस भूखे ही उठ खड़े हुए और उन्होंने तय किया कि यदि ब्रह्मा जी ने बेईमानी की और देवताओं के हाथ मुड़ने लगे फिर तो हम न ब्रह्मा जी को छोड़ेंगे और न देवताओं को।
अब देवताओं के भोजन की घंटी बजी तथा उनके साथ ही भी वही हुआ जो राक्षसों के साथ हो चुका था यानी उनके हाथ भी सीधे के सीधे रह गए। राक्षसों को तसल्ली मिली कि चलो यह भी भूखे रहेंगे। चूंकि देवता तो परोपकारी होते हैं और सभी का भला सोचते हैं। अतः उन्होंने अपने सीधे-सीधे हाथों से पकवान उठा उठा कर एक दूसरे के मुंह में रखने शुरू कर दिये और सभी ने पेट भर के दावत का आनंद लिया। इस पर राक्षसों ने अपना माथा पीट लिया इसके अलावा और कोई चारा भी न था।
कहने का मतलब यह है कि यदि हमारी सोच केवल अपना ही अपना भला सोचने की रहेगी फिर तो हमारी भी गति राक्षसों जैसी होनी सुनिश्चित है। इसलिए जो लोग अपनी राक्षसी मनोवृति के अधीन रहकर जीव जंतुओं चाहे वह कबूतर हों चाहे कुत्ते हों चाहे गाय भैंस कोई क्यों न हो, के प्रति क्रूरता बरतते हैं, उन्हें आगे चलकर अपनी करनी का फल अवश्य भोगना पड़ता है।
मथुरा। आज के डिजिटल युग में डेटा सुरक्षा, नेटवर्क सेफ्टी और हैकिंग से बचाव हर उद्योग और हर व्यक्ति की प्राथमिकता बन चुकी है। टेक्नोलॉजी हर दिन बदल रही है, ऐसे में यदि हम समय के साथ स्वयं को अपग्रेड नहीं करेंगे तो पीछे रह जाएंगे। साइबर सिक्योरिटी न केवल रोजगार का क्षेत्र है बल्कि आने वाले वर्षों में यह राष्ट्रीय और वैश्विक सुरक्षा का आधार भी बनने वाला है। यह बातें जी.एल. बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स, मथुरा के ओरिएंटेशन प्रोग्राम में मुख्य अतिथि अरुण कुमार सिंह (सीईओ, इलांटस टेक्नोलॉजी, यूएसए) ने बी.टेक और एम.बी.ए. के नवागंतुक छात्र-छात्राओं को बताईं। मां सरस्वती की पूजा-अर्चना तथा सरस्वती वंदना के बाद शुरू हुए ओरिएंटेशन प्रोग्राम में मुख्य अतिथि अरुण कुमार सिंह ने कहा कि सी-डॉट के अपने हालिया दौरे में उन्हें अहसास हुआ कि साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भारत कितना आत्मनिर्भर हो गया है, जिसकी कल्पना वे अमेरिका के डलास स्थित अपने इलांटस कार्यालय में बैठकर नहीं कर सकते थे। भारत साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अपने उत्पादों और सेवाओं का अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में निर्यात करने के लिए तैयार है। संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने बी.टेक और एम.बी.ए. के नवागंतुक छात्र-छात्राओं का जीएल बजाज परिवार में स्वागत करते हुए उन्हें संस्थान की शैक्षणिक व्यवस्था, अनुशासन मूल्यों तथा अवसरों से परिचित कराया। प्रो. अवस्थी ने अपने 25 वर्षों के अनुभव साझा करते हुए छात्र-छात्राओं को बताया कि जीवन अनमोल है, इसे सीखने में निवेश करें। सही समय कभी नहीं आता बल्कि खुद समय को सही बनाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जीवन में समय का बहुत महत्व है लिहाजा कोई भी जरूरी काम कल पर नहीं छोड़ना चाहिए। प्रो. अवस्थी ने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि वे संस्थान को अपना परिवार समझकर अध्ययन करें। यदि किसी प्रकार की कोई परेशानी हो तो उसे अवश्य बताएं ताकि उसका समय से निराकरण किया जा सके। बी.टेक विभागाध्यक्ष डॉ. वी.के. सिंह ने नवागंतुक छात्र-छात्राओं को समूह विभाजन (भौतिकी व रसायन) की जानकारी दी। इसके बाद विभिन्न विभागाध्यक्षों ने छात्र-छात्राओं को अपने-अपने विषयों एवं अवसरों की विस्तार से जानकारी दी। एम.बी.ए. विभागाध्यक्ष डॉ. शशि शेखर ने भारत के “2047 तक विकसित राष्ट्र” विजन पर प्रकाश डाला। प्रो. प्रमोद कुमार (एआईएमएल विभाग) ने ए.आई. और मशीन लर्निंग की अहमियत बताते हुए शोध एवं तकनीकी अवसरों का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने की सलाह दी। डॉ. भोले सिंह ने छात्र-छात्राओं को अनुशासन, सीनियर-जूनियर संबंध और शिक्षकों के सम्मान का महत्व बताया। महिला प्रकोष्ठ की प्रमुख डॉ. शिखा गोविल ने महिला सुरक्षा, लैंगिक समानता और परामर्श सहायता हेतु सेल की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। बी.टेक और एम.बी.ए. के नवप्रवेशी छात्र-छात्राओं को करियर मार्गदर्शन एवं क्लब परिचय डॉ. नवीन पांडेय ने दिया। डॉ. पांडेय ने करियर गाइडेंस सत्र में छात्र-छात्राओं को उद्योग अपेक्षाओं तथा नियोजित मेहनत की अहमियत बताई। साथ ही उन्हें संस्थान के विभिन्न क्लबों सांस्कृतिक, साहित्य, खेल, पर्यावरण, नाटक व फोटोग्राफी आदि का परिचय कराया। इस अवसर पर वीडियो एवं संदेशों के माध्यम से वरिष्ठ छात्र-छात्राओं ने जी.एल. बजाज संस्थान से जुड़ी अपनी प्रेरक कहानियां साझा कीं। नवागंतुक छात्र-छात्राओं को संस्थान की महत्वपूर्ण जानकारी देने के बाद बी.टेक और एम.बी.ए. के टॉपरों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन डॉ. अजय कुमार उपाध्याय के धन्यवाद ज्ञापन व राष्ट्रगान के साथ हुआ। संस्थान प्रमुखों द्वारा नवागंतुक छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास, अनुशासन और सहभागिता की परम्परा को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया गया। कार्यक्रम का संचालन बी.टेक. द्वितीय वर्ष की छात्रा काव्या गोयल और अवंतिका त्रिपाठी ने किया। चित्र कैप्शनः मुख्य अतिथि अरुण कुमार सिंह को स्मृति चिह्न भेंट करतीं प्रो. नीता अवस्थी।
वृंदावन। परमेश्वरी देवी धानुका सरस्वती विद्या मंदिर में श्री गणेश चतुर्थी का पावन पर्व धूमधाम से मनाया गया। विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम के संयोजक सत्य प्रकाश शर्मा ने भगवान श्री गणेश के स्वरूप एवं उनके आध्यात्मिक चिंतन की चर्चा करते हुए कहा कि आत्म शक्ति विस्तार और सम्पूर्ण चेतना के प्रतीक विघ्नेश्वर श्री गणेश के कई अन्य नाम भी हैं, जैसे विनायक (ज्ञानी), विघ्नेश्वर (विघ्न का नाश करने वाले), गजानन (हाथी के मस्तक वाले) और गणपति अर्थात (नेतृत्वकर्ता)। गणेश में नेतृत्व की अद्वितीय क्षमता है, और जनमानस का ऐसा विश्वास है कि उनकी कृपा होने पर किसी भी काम में सफलता अवश्य मिलती है। उन्होंने बताया कि गणेशजी का हाथी का मस्तक उनकी तीव्र बुद्धि और विशाल चिंतन का प्रतीक है। हाथी का जीवन प्रफुल्लता से पूर्ण होता है, जो गरिमा और आत्म-सम्मान की भावना से आती है जबकि उनके बड़े कान और मुँह हमें बताते हैं कि क्रमशः ‘अधिक सुनों, कम बोलो, और जो कुछ भी अच्छा एवं रचनात्मक हो, उसे ही अपने पास रखो।’ इससे पूर्व विद्यालय के प्रबन्धक शिवेन्द्र गौतम, प्रधानाचार्य विपिन शर्मा और उप प्रधानाचार्य ओमप्रकाश शर्मा ने वरिष्ठ आचार्यों के साथ संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन और पुष्पार्चन के साथ वंदना सभागार में भगवान श्री गणेश की मूर्ति की स्थापना एवं अनावरण किया तथा अन्य सभी आचार्य बंधुओं ने भगवान श्री गणेश की पुष्प-आरती द्वारा उनके विग्रह का प्रथमार्चन किया। इस अवसर पर ऋषभ बघेल ने अपने सुंदर शब्दों मे भाषण प्रस्तुत किया l इसके बाद विद्यालय के छोटे-छोटे बालकों द्वारा प्रस्तुत “देवा श्री गणेशा” गीत पर सुंदर नृत्य प्रस्तुति ने उपस्थित जनों का मन मोह लिया तथा जब बालकों ने सुंदर प्रार्थना गीत के माध्यम से गणपति बप्पा को अपने अपने घर आने का आमंत्रण दिया तो सारा सभागार तालियों से गूंज उठा। प्रधानाचार्य विपिन शर्मा ने कहा कि जीवन में उन्नति के लिए हमें बुद्धिमत्ता और आस्था दोनों की आवश्यकता होती है। अक्सर केवल बुद्धिमत्ता जीवन के ज्वलंत प्रश्नों के उत्तर देने में असमर्थ हो जाती है। जब भी ऐसा होता है, तब ईश्वर में एवं स्वयं में आस्था ही हमें सफल जीवन की ओर ले जाती है । कार्यक्रम का संयोजन सर्वेश कुमार शर्मा और सत्यप्रकाश शर्मा ने किया। संचालन रवींद्र पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम के स्वरूप संयोजन एवं व्यवस्था चिंतन में समस्त आचार्य परिवार का योगदान सराहनीय रहा।
मथुरा। मिस जम्मू एंड कश्मीर और मिस युनिवर्स इंडिया की मेगा फाइनेलिस्ट भान्वी भारद्वाज ने संस्कृति विश्वविद्यालय के संतोष मैमोरियल सभागार में अपने जोरदार स्वागत के बाद विद्यार्थियों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि शिक्षा आपके आत्मविश्वास को बढ़ाती है और आत्मविश्वास हासिल करने के बाद आप अपनी सोची हुई मंजिल हासिल कर लेते हैं। अपने सपने पूरे करने के लिए अपनों का साथ होना बहुत महत्व रखता है। जो ठान लो उसको पूरा करने के लिए अपना सबकुछ लगा देना चाहिए। भारतीय सीमा से लगे राजौरी जिले की तहसील नौशेरा के छोटे से गांव बर्रेरी में रहने वाली भान्वी ने बताया कि उनके गांव में तो सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं था लेकिन टीवी पर फैशन चैनल देखने के दौरान इच्छा हुई की इस क्षेत्र में कुछ करके लोगों का ध्यान अपने क्षेत्र की ओर आकर्षित किया जा सकता है। मेरी इच्छा है कि मेरे गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं हों ताकि यहां रहने वालों को दूर-दराज न भटकना पड़े। कंप्युटर साइंस में बी.टेक. करने के बाद मुंबई से कानून की पढ़ाई पढ़ रहीं भान्वी ने बताया कि जब उन्होंने मिस जम्मू एंड काश्मीर प्रतियोगिता का फार्म भरा था तो यह उम्मीद नहीं थी कि वे प्रतियोगिता जीत जाएंगी और यह भी नहीं जानती थीं कि प्रसिध्दि क्या होती है। प्रतियोगिता जीतने के बाद जब उनके इस छोटे से गांव में मीडिया और आसपास के लोगों की भीड़ जुटी तो उन्हें लगा कि अब वे देश को बता पाएंगीं कि पहाड़ों के गांव की जिंदगी कितनी कठिन होती है। अभी हाल ही में जयपुर में मिस युनिवर्स इंडिया के लिए मेगा फाइनेलिस्ट चुने जाने के बाद उनका आत्मविश्वास और बढ़ गया। संस्कृति एफएम 91.2 के आरजे जय के सवालों का उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि बचपन में उनके इस सपने को पूरा करने में उनकी मां का बहुत बड़ा योगदान रहा। मुझे जो क्राउन मिला वो मैंने अपने लिए नहीं जीता बल्की अपने लोगों के लिए जीता है। पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाली मुझ जैसी युवतियों और महिलाओं के सामने बड़ी चुनौतियां हैं, लेकिन अब जागरूकता बढ़ रही है और वे अपने सपने पूरे कर सकती हैं। नृत्य, गायन और कराते में भी विशेष दक्षता रखने वाली भान्वी अनेक भाषाएं बोल लेती हैं। उन्होंने थियेटर भी किया है और देश कई प्रतिष्ठत कई कंपनियों के लिए मॉडलिंग भी कर रही हैं। हाल ही में मलयालम की एक फिल्म भी साइन की है। छोटी सी उमर में इतना सबकुछ हासिल करने के सवाल पर बड़ी सादगी भरे अंदाज में इस ब्यूटी क्वीन ने कहा कि यह सबकुछ आप भी हासिल कर सकते हैं पर हासिल करने की इच्छा होना जरूरी है। संस्कृति विश्वविद्यालय आकर बहुत अच्छा लगा 23 वर्षीय मॉडल और अभिनेत्री भान्वी बड़े भोलेपन से बताती हैं कि जब वो छोटी थीं तो हमेशा सोचती थीं की उनके घर के आसपास पहाड़ों के पार क्या है। आज वे बड़े-बड़े शहर देखती हैं और अब संस्कृति विश्वविद्यालय में हैं जो बहुत सुंदर है। यहां के विद्यार्थियों ने इतना जोरदार स्वागत कर दिल गदगद कर दिया। नृत्य, गायन और अभिनय के प्रति जुनून रखने वाली राष्ट्रीय स्तर की कराटे खिलाड़ी, भान्वी अपने हर काम में शक्ति और रचनात्मकता का संगम करती हैं। एक संघर्षग्रस्त क्षेत्र में पली-बढ़ी होने के कारण, उन्होंने स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और बुनियादी ढाँचे जैसी बुनियादी ज़रूरतों का अभाव देखा। इसी ने उन्हें ग्रामीण और सीमावर्ती क्षेत्रों में मोबाइल स्वास्थ्य शिविरों, आपदा राहत प्रणालियों, सुलभ शिक्षा और बेहतर जीवन स्थितियों की वकालत करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का संचालन ज्योति यादव, रसिक दुबे, यश श्रीवास्तव ने सम्मलित रूप से किया। स्वागत भाषण छात्रा छवि शर्मा और धन्यवाद ज्ञापन छात्रा महिमा वाजपेयी ने किया।
मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, मथुरा में बीसीए एवं बी.ईकॉम विद्यार्थियों के लिए ओरिएंटेशन प्रोग्राम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्रमोद कुमार (कंट्री हेड, टेक महिंद्रा) ने नवागंतुक छात्र-छात्राओं को बताया कि उन्होंने करियर बनाने के लिए जिन विषयों का चयन लिया किया है, उसमें लगन, मेहनत तथा अनुशासन बहुत जरूरी है। मुख्य वक्ता ने छात्र-छात्राओं को बताया कि ज्ञान और कौशल से सुसज्जित होकर ही कॉरपोरेट जगत में सफलता हासिल की जा सकती है। उन्होंने नवप्रवेशी छात्र-छात्राओं को उद्योग विशेषज्ञों की राय, सॉफ्ट स्किल्स तथा कॉरपोरेट संस्कृति को समझने के पहलुओं से भी अवगत कराया। श्री कुमार ने संचार, टीमवर्क, नेतृत्व, समस्या-समाधान और अनुकूलनशीलता जैसे गुणों को कॉरपोरेट जगत में सफलता की कुंजी बताया। साथ ही विद्यार्थियों को नवीनतम उद्योग विकास, तकनीकी प्रगति तथा नियोक्ताओं की अपेक्षाओं से भी अवगत कराया। श्री कुमार ने छात्र-छात्राओं को विभिन्न करियर मार्गों, उद्योग की विशिष्ट भूमिकाओं तथा उच्च शिक्षा एवं व्यावसायिक विकास के अवसरों पर मार्गदर्शन दिया। विद्यार्थियों ने मुख्य वक्ता से कॉरपोरेट शिष्टाचार, पेशेवर आचरण और टीम वातावरण में कार्य करने की गतिशीलता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की। श्री कुमार ने ओरिएंटेशन प्रोग्राम में नेटवर्किंग और उद्योग विशेषज्ञों से संबंध स्थापित करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने अपने अनुभवों, चुनौतियों और सफलताओं को साझा करते हुए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया तथा उन्हें व्यावहारिक सुझाव दिए। मुख्य वक्ता ने छात्र-छात्राओं को नौकरी आवेदन, इंटरव्यू और प्रारम्भिक कॉरपोरेट जीवन में सफलता प्राप्त करने के आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस संवाद ने विद्यार्थियों को करियर लक्ष्यों को स्पष्ट करने तथा उन्हें प्राप्त करने के लिए आवश्यक कदमों की समझ विकसित करने में मदद की। विद्यार्थियों को व्यावहारिक कौशल और ज्ञान प्राप्त हुआ जो उनके भविष्य के करियर में प्रत्यक्ष रूप से सहायक सिद्ध होंगे। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास और करियर निर्माण में सहायक सिद्ध होते हैं। डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने विद्यार्थियों को आश्वस्त किया कि संस्थान हमेशा ही उन्हें बेहतर शिक्षा के साथ-साथ उद्योग जगत की अपेक्षाओं के अनुरूप व्यावहारिक अनुभव उपलब्ध कराता रहेगा। संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने मुख्य वक्ता प्रमोद कुमार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनका मार्गदर्शन विद्यार्थियों के लिए अत्यंत प्रेरणादायी रहा। उन्होंने इस ओरिएंटेशन प्रोग्राम को विद्यार्थियों के भविष्य की दिशा तय करने वाला महत्वपूर्ण कदम बताया। डॉ. भदौरिया ने कहा कि राजीव एकेडमी का ध्येय केवल अकादमिक ज्ञान प्रदान करना ही नहीं बल्कि विद्यार्थियों को रोजगारपरक कौशल, आत्मविश्वास और प्रतिस्पर्धात्मक दृष्टिकोण से भी सशक्त करना है। चित्र कैप्शनः बीसीए एवं बी.ईकॉम के छात्र-छात्राओं को सफलता के टिप्स देते हुए टेक महिंद्रा के कंट्री हेड प्रमोद कुमार। दूसरे चित्र में मुख्य वक्ता के साथ संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया, प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएं।
प्रांतीय कबड्डी की प्रतियोगिता में किया शानदार प्रदर्शन
-विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के बैनर तले हुआ आयोजन
वृंदावन। परमेश्वरी देवी धानुका सरस्वती विद्या मंदिर के छात्रों ने विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के द्वारा श्री बच्चू बाबा सरस्वती विद्या मंदिर फिरोजाबाद में आयोजित प्रांतीय खेलकूद प्रतियोगिता श्रृंखला अंतर्गत कबड्डी की प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन करते हुए अंडर-19 वर्ग में स्वर्ण पदक और अंडर-17वर्ग में रजत पदक प्राप्त किया। कबड्डी कोच दरेन्द्र कुमार और खेल प्रभारी सतेन्द्र तोमर ने बताया कि कबड्डी का खेल भारत के उन प्रमुख प्राचीन खेलों में से एक है जिनमें खेल उपकरणों की सहायता नहीं ली जाती और खिलाड़ियों की दमखम और रणनीतिक कौशल के आधार पर खेल में हार जीत का फैसला होता है विद्या भारती की प्रतियोगिता में परमेश्वरी देवी धानुका विद्या मंदिर की टीम क्षेत्रीय स्तर तक कबड्डी में उच्च कोटि का प्रदर्शन करती रही है। इस बार भी अंडर-19 वर्ग में रवि कुमार, प्रवीण, दीपक कुमार माधव, सूर्य प्रताप, नवीन कुमार, सौरभ चौधरी, हेमंत शुक्ला और अनिकेत चौधरी की टीम ने फाइनल तक अपना दबदबा बनाये आरखकर गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। अंडर-17 वर्ग में यश चौधरी, बंसी गौतम, नरेंद्र, अनमोल, कुणाल, हर्ष, राहुल, यश जैन, शिवम और शीतल की टीम बहुत थोड़े अंतर से फाइनल में स्वर्ण से चूक गयी और उसे रजत पदक से संतोष करना पड़ा। छात्रों की इस सफलता पर विद्यालय परिवार की ओर से प्रधानाचार्य विपिन शर्मा, ललित गौतम ,देवेंद्र गौतम, खेल विभागाध्यक्ष रवींद्र सिंह, आभास अग्रवाल, यतेंद्र प्रताप सिसोदिया, सुजान सिंह, अरविंद सिंह, कैलाश शर्मा आदि ने खिलाड़ियों का अभिनंदन किया और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए हर्ष व्यक्त किया। प्रान्त के विजेता छात्र आगामी क्षेत्रीय प्रतियोगिताओं में ब्रज प्रांत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
वृंदावन। हनुमान प्रसाद धानुका सरस्वती बालिका विद्या मंदिर की 22 छात्राओं ने स्वामी बच्चू बाबा सरस्वती विद्या मंदिर, फिरोजाबाद में विद्या भारती पश्चिम उप्र क्षेत्र द्वारा आयोजित प्रांतीय खेलकूद प्रतियोगिता अंतर्गत कबड्डी प्रतियोगिता में सहभागिता की। जिसमें छात्राओं ने 22 स्वर्ण पदक जीते।
प्रधानाचार्य डॉ अंजू सूद ने बताया कि अंडर-14 में छात्रा राधिका, गरिमा, गौरी गौतम, दुर्गेश, नन्दनी, प्रतिज्ञा, रितिका, हिमांशी, केशवी, खुशी, दिशा, साजिया ने स्वर्ण पदक, अंडर-17 में छात्रा बंशिका, आस्था दीक्षित, कृष्णा धनगर, दीपिका, गौरी, वन्दना, मोहिनी, कृतिका, राधिका तोमर, नन्दनी ने स्वर्ण पदक प्राप्त किये। कबड्डी प्रतियोगिता में विजयी छात्राएँ आगामी सितम्बर माह में क्षेत्रीय स्तर की प्रतियोगिता हेतु सरस्वती विद्या मंदिर, दीनदयाल धान, फरह में सहभागिता करेंगी। छात्राओं की सफलता में खेल प्रशिक्षक शीतल वशिष्ठ, सुनील सिंह व कु० भावना सिंह का सहयोग सराहनीय रहा। विद्यालय प्रबंध समिति से पद्मनाभ गोस्वामी, रेखा माहेश्वरी, विश्वनाथ गुप्ता, कमल खण्डेलवाल, भरत शर्मा, उमेश शर्मा आदि ने विजयी छात्राओं का उत्साहवर्धन किया।
युद्धज्ञान राज्यस्तरीय आत्मरक्षा समूह प्रतियोगिता में गौरी ने बढ़ाया गौरव मथुरा। राजीव इंटरनेशनल स्कूल के दो होनहार विद्यार्थियों ने राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में स्वर्णिम सफलता हासिल कर समूचे ब्रज का गौरव बढ़ाया है। विद्यालय के लक्ष्य शर्मा ने राजधानी लखनऊ में हुई छठी ओपन यू.पी. स्टेट प्रमोशनल स्केटिंग चैम्पियनशिप की 500 मीटर रोलर स्केटिंग में गजब का संतुलन और तेज रफ्तार से जहां गोल्ड मेडल अपने नाम किया वहीं हेरिटेज पब्लिक स्कूल वृंदावन में आयोजित युद्धज्ञान राज्यस्तरीय आत्मरक्षा समूह प्रतियोगिता में गौरी उपाध्याय ने स्वर्णिम सफलता हासिल की। स्कूल की प्रिंसिपल प्रिया मदान ने बताया कि उत्तर प्रदेश रोलर स्पोर्ट्स संगठन की देखरेख में जिला रोलर स्केटर स्पोर्ट्स एसोसिएशन लखनऊ द्वारा आयोजित छठी ओपन यू.पी. स्टेट प्रमोशनल स्केटिंग चैम्पियनशिप में राजीव इंटरनेशनल स्कूल के पहली कक्षा के छात्र लक्ष्य शर्मा ने 500 मीटर रोलर स्केटिंग में गोल्ड मेडल जीता वहीं गौरी उपाध्याय ने युद्धज्ञान इंडियन स्पोर्ट्स मार्शल आर्ट ऑर्गनाइजेशन द्वारा आयोजित युद्धज्ञान राज्यस्तरीय आत्मरक्षा समूह प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया। दोनों होनहार बच्चों को आयोजकों द्वारा गोल्ड मेडल और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। प्रिंसिपल प्रिया मदान ने दोनों बच्चों की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल में प्रत्येक बच्चे की रुचि पर ध्यान दिया जाता है और उन्हें कौशल दिखाने के अवसर भी प्रदान किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि सैकड़ों प्रतिभागियों के बीच स्केटर्स लक्ष्य ने अपनी रफ्तार, संतुलन और तकनीकी दक्षता से सबको प्रभावित किया वहीं गौरी ने अपनी बौद्धिक क्षमता का लोहा मनवाया। इन दोनों होनहारों की यह उपलब्धि सभी के लिए प्रेरणादायक है। गोल्ड मेडलिस्ट लक्ष्य बताता है कि स्केटिंग मेरे लिए एक अच्छी कसरत है। मैं बैठकर वीडियो देखने के बजाय हमेशा गतिशील रहना पसंद करता हूं। लक्ष्य अपनी सफलता का श्रेय अपने प्रशिक्षक तथा विद्यालय को देते हुए कहा कि अच्छी तरह से स्केटिंग सीखने से ही मुझे आत्मविश्वास मिला और मैं मेडल जीत सका। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने दोनों होनहार बच्चों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि छात्र-छात्राओं को अपने शैक्षणिक अध्ययन काल में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए हर विषय के प्रति जुनून और समर्पण जरूर रखना चाहिए, बिना मेहनत और अभ्यास के किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करना मुश्किल है। आरआईएस के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने दोनों बच्चों को शाबासी देते हुए कहा कि राज्यस्तरीय इस उपलब्धि से समूचा विद्यालय परिवार गौरवान्वित महसूस कर रहा है। श्री अग्रवाल ने कहा कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल प्रत्येक बच्चे के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास को प्रतिबद्ध है। विद्यालय की यही प्रतिबद्धता बच्चों के सपनों को पूरा करने में मददगार होती है। राज्यस्तर पर लक्ष्य और गौरी की इस उपलब्धि की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय नित नए-नए और उपयोगी पाठ्यक्रमों को अपने नए सत्र के लिए कैरीकुलम में शामिल कर रहा है। हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने वर्तमान पीढ़ी में बढ़ते तनाव के स्तर को स्वीकार किया है और शैक्षणिक दबाव, सामाजिक अपेक्षाएँ और करियर की अनिश्चितताओं को इनका प्रमुख कारण बताया है। मार्गदर्शन एवं परामर्श में डिप्लोमा इन ज़रूरी ज़रूरतों के प्रत्यक्ष समाधान के रूप में तैयार किया गया है और यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल्यों और दृष्टिकोण पर आधारित है। संस्कृति विवि के कुलपति ने बताया कि इसकी अवधि एक वर्ष होगी और इंटरैक्टिव सत्र द्विभाषी मोड में ऑनलाइन होंगे। यह शिक्षकों, इच्छुक परामर्शदाताओं और चिंतित अभिभावकों को आज के युवाओं की ज़रूरतों को समझने और उनका समाधान करने के लिए आवश्यक योग्यता प्रदान करने में मदद करेगा। शिक्षक और शिक्षाविद अपनी कक्षाओं में पढ़ाते समय परामर्श कौशल का उपयोग करने में कुशल बनेंगे, मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करेंगे और परामर्श के क्षेत्र में अपना करियर बना सकेंगे। यह उन्हें भावनात्मक समर्थन के साथ युवाओं के व्यवहार को सही दिशा में बदलने में भी मदद करेगा। आजकल इसकी बहुत आवश्यकता है क्योंकि युवा कभी-कभी यह तय नहीं कर पाते कि उन्हें क्या करना चाहिए और गलत आदतों में लिप्त हो जाते हैं। आजकल हर शैक्षणिक संस्थान, उद्योग, निगम को न केवल अपने छात्रों के लिए, बल्कि अपने कर्मचारियों के लिए भी परामर्शदाताओं की आवश्यकता होती है, इसलिए यह डिप्लोमा परामर्शदाता की नौकरी पाने में भी आपकी मदद करेगा। शैक्षणिक प्रौद्योगिकी में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम प्रौद्योगिकी में तीव्र प्रगति ने विभिन्न क्षेत्रों में क्रांति ला दी है और शिक्षा उनमें से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह एक तथ्य है कि यदि हम समाज में कोई बदलाव लाना चाहते हैं, तो केवल शिक्षा ही एक महत्वपूर्ण साधन की भूमिका निभा सकती है। हालाँकि शिक्षक अक्सर अपने-अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं, फिर भी कई शिक्षकों के पास प्रौद्योगिकी का सहज और प्रभावी उपयोग करने हेतु तकनीकी विशेषज्ञता का अभाव होता है। यह तीन महीने का ऑनलाइन प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शिक्षण दक्षता को बढ़ाएगा, शिक्षकों को व्यावहारिक कौशल से लैस करेगा, विविध शिक्षण आवश्यकताओं का समर्थन करेगा और ज्ञान के अंतर को पाटेगा। यह पाठ्यक्रम शिक्षकों को न केवल तकनीकी उपकरणों के उपयोग में कुशल बनाएगा, बल्कि वे 21वीं सदी के शिक्षार्थियों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले आकर्षक और प्रभावशाली ऑनलाइन पाठों को डिज़ाइन और प्रस्तुत करना भी सीखेंगे।
चित्र परियः संस्कृति विवि के संतोष मैमोरियल सभागार में आयोजित संस्कृत दिवस समारोह में भाग लेने वाले छात्र-छात्राएं शिक्षकों के साथ।
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के संतोष मैमोरियल सभागार में संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल के तत्वाधान में ‘संस्कृत दिवस’ का आयोजन किया गया। इस अवसर पूरी तरह से संस्कृत भाषा में आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने संस्कृत भाषा की प्राचीनता, दिव्यता और समृध्दशाली पृष्ठभूमि से जुड़ी प्रस्तुतियां देकर उपस्थित लोगों को जागरूक किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्य वक्ता के रूप में संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. मोहनन एम ने कहा कि इस दिवस का उद्देश्य संस्कृत भाषा के महत्व को बढ़ावा देना, ऋषि-मुनियों के प्रति सम्मान व्यक्त करना और भारतीय संस्कृति की प्राचीन भाषाई धरोहर को संरक्षित करना है। भारत सरकार ने 1969 में इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी, ताकि संस्कृत भाषा के प्रचार और प्रसार को बढ़ावा मिल सके। संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के शिक्षक सुधिष्ठ कुमार मिश्रा ने बताया कि संस्कृत को सभी भारतीय भाषाओं की जननी और वेदों, उपनिषदों, धार्मिक ग्रंथों, और मंत्रों की भाषा माना जाता है। संस्कृत दिवस इस भाषा के महत्व को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत ऋषि-मुनि ही हैं, इसलिए इस दिन को ऋषि पर्व और संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। छात्रा दिया, अवंतिका, काजल, नुपूर ने संस्कृत भाषा में मां सरस्वती की अराधना करते हुए वंदना की। छात्रा ने गणेश वंदना और पंचरत्नम का पाठ नीलम भाटी ने किया। छात्रा वंशिका चौधरी ने अपने वक्तव्य में बताया कि संस्कृत को सभी भारतीय भाषाओं की जननी और वेदों, उपनिषदों, धार्मिक ग्रंथों, और मंत्रों की भाषा माना जाता है. संस्कृत दिवस इस भाषा के महत्व को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। छात्रा जाह्नवी, प्रिया पांडे अपूर्वा ने रुद्राष्टकम का पाठ कर माहौल को संस्कृतमय कर दिया। छात्रा रिया, अंशु ने सुरीले कंठ से विष्णु सहस्त्रनाम का सस्वर पाठ किया। इस बीच छात्र अरुन, ध्रुव, सत्यम, छात्रा दिया, मोनिका, सिमरन, ताशु ने एक लघु नाटिका के माध्यम से भारतीय संस्कृति के महत्व का बखान किया। वहीं छात्र अभिनव और घनश्याम ने लक्ष्मण-परशुराम संवाद को मंच पर बड़ी कुशलता से अभिनीत कर खूब तालियां बटोरीं। छात्र दीपक, छात्रा तुलसी ने शिव स्तुति, छात्रा क्रीमा, अंशिका, दीपिका, तनीषा, खुशी, सलोनी, चंचल, परी, अनुप्रिया, शिवानी श्रेया ने संस्कृत भाषा में विभिन्न प्रस्तुतियां दीं। अंत में सुधिष्ठा सर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस संस्कृतमय कार्यक्रम का कुशल संचालन अभिषेक वार्ष्णेय ने किया।