Wednesday, May 14, 2025
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कासगंज में चंदन गुप्ता हत्याकांड में सभी 28 आरोपियों को आजीवन कारावास कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक फैसला

कासगंज (कासगंज )में 7 साल पहले हुए चंदन गुप्ता हत्याकांड में 28 अभियुक्तों को सजा सुनाई गई है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने गुरुवार (2 जनवरी) को इन्हें दोषी करार दिया था। शुक्रवार को आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। चंदन के माता-पिता और बहन ने तिरंगा लहराकर न्यायपालिका के प्रति आभार जताया। कहा, आज चंदन की आत्मा को शांति मिली होगी।
गणतंत्र दिवस पर तिरंगा यात्रा में हुई थी मौत
उत्तर प्रदेश के कासगंज में 26 जनवरी 2018 को गणतंत्र दिवस पर युवाओं द्वारा तिरंगा यात्रा निकाली जा रही थी। इसमें चंदन सहित सैकड़ों की संख्या में युवा शामिल थे। यात्रा जैसे ही मुस्लिम बहुल इलाक़े में पहुंची, पत्थरबाज़ी शुरू हो गई। हालात इतने बिगड़े की दोनों ओर से गोलियां चलने लगीं। इस गोलीबारी में चंदन गुप्ता की मौत हो गई थी।
इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मामले की जांच कर 31 अभियुक्तों के ख़िलाफ़ चार्जशीट पेश की थी। शुक्रवार को NIA की स्पेशल कोर्ट ने 28 को दोषी मानते हुए उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई है। एक की मौत हो चुकी है।
एडीजे विवेकानंदशरण त्रिपाठी ने धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), और 147 (दंगा), 149 (ग़ैर-क़ानूनी सभा में शामिल होने) के तहत दोषी करार दिया है। धारा 124 ए (राजद्रोह) का मामला अभी विचाराधीन है।
NIA कोर्ट ने इन्हें सुनाई सजा
एनआईए कोर्ट ने जिन 28 अभियुक्तों को सजा सुनाई है, उनमें वसीम, सलीम, नसीम, असलम क़ुरैशी, आशिक क़ुरैशी, जाहिद, तौफ़ीक, अकरम, खिल्लन, शादाब, सलमान, राहत, मोहसिन, शाकिब, आसिफ, बबलू, वासिफ, निशू, शमशाद, जफ़र, इमरान, साकिर, परवेज़, फैज़ान, खालिद इमरान क़य्यूम, मुनाज़िर, शाकिर सिद्दीकी और आमिर शामिल हैं।

जीएलए विश्वविद्यालय के साथ जान हापकिंस और लंदन स्कूल करेंगे मलेरिया पर शोध

  • अमेरिकी के प्रसिद्ध नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने दी शोध को लगभग 30 करोड़ रुपए की धनराशि

मथुरा : मलेरिया जैसी घातक बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए अमेरिका का नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ पिछले कई दशकों से निरंतर शोध कर रहा है। इसी के चलते इस वर्ष विभिन्न देशों के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के वैज्ञानिकों को करीब 30 करोड़ की धनराशि अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान ने इस शोध को आगे ले जाने के लिए दी है। इस बड़ी उपलब्धि में जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा भी शामिल है।

मलेरिया पर किए जाने वाले शोध में जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के साथ जान हापकिंस मलेरिया इंस्टीट्यूट, लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रोपिकल मेडिसिन, रीजनल मेड़िकल रिसर्च सेंटर, भुवनेश्वर एवं उडीसा के कम्यूनिटी वेलफेयर सोसाइटी हॉस्पिटल में किया जाएगा।
इस शोध दल में जीएलए विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. हिमांशु गुप्ता का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। डा. हिमांशु गुप्ता लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन में लगभग तीन वर्ष तक मलेरिया पर शोध कर चुके हैं एवं वह मलेरिया पर शोध करने वाले विश्व में श्रेष्ठतम वैज्ञानिकों में शुमार भी हैं। हाल ही में उनको हार्वर्ड विश्वविद्यालय की ओर से सेनेगल देश में हुए मलेरिया को समाप्त करने वाले विशिष्ट वैज्ञानिकों के दल के साथ एक मलेरिया पर होने वाले लीडरशिप कार्यक्रम के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।

यह शोध दल पूर्वी आदिवासी राज्य उडीसा में शोध करेगा। डा. हिमांशु एवं उनकी टीम मलेरिया संक्रमण से जुडे़ बायोमार्कर का भी मूल्यांकन करेगी, जिससे पूरे भारत में मलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को आगे बढ़ाया जा सके।

डा. हिमांशु ने बताया कि भारत में मलेरिया के अधिकांश मामलों में पालज्मोडियम वाईवैक्स जिम्मेदार है, जो कि मादा मच्छर के काटने से फैलता है और यह परजीवी महीनों या वर्षां तक शरीर में निष्क्रिय रूप में जिंदा रह सकता है एवं मनुष्य की रोगनिरोधक क्षमता को कभी भी कम होने पर सक्रिय हो सकता है। मलेरिया के संक्रमण को कम करने के लिए इन व्यक्तियों को पहचान करना और उनका उपचार करना मलेरिया उन्मूलन के लिए अत्यन्त आवश्यक है।

लन्दन स्कूल ऑफ हाइजीन एवं ट्रोपिकल मेडिसन के वैज्ञानिक प्रो. सैमुअल वासेमर ने जीएलए विश्वविद्यालय का भ्रमण किया। उन्होंने बताया कि अन्य सहयोगी संस्थान जीएलए विश्वविद्यालय के साथ मिलकर मलेरिया की विभिन्न पहलुओं पर गहन शोध करेंगे, ताकि भारत में मलेरिया उन्मूलन प्रयासों को और मजबूत बनाया जा सके।

जीएलए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डा. हिमांशु गुप्ता ने अमेरिका के प्रसिद्ध नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ से यह शोध की राशि हासिल करके संस्थान को गौरवान्वित किया है। यह उल्लेखनीय उपलब्धि विश्वविद्यालय के बायोटेक्लॉजी विभाग की उत्कृष्टता को दर्शाती है एवं वैश्विक सहयोग के प्रति विश्वविद्यालयों के समर्पण की पुष्टि करती है।

जीएलए विश्वविद्यालय के सीईओ नीरज अग्रवाल एवं सीएफओ विवेक अग्रवाल ने विश्वविद्यालय को मिली बड़ी उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने पिछले वर्षों में शोध के क्षेत्र कई उपलब्धियां हासिल की हैं। इसके साथ कई भारत सरकार एवं निजी औद्योगिक संस्थानों द्वारा प्रायोजित शोध परियोजनाओं पर कार्य किया और कर रहे हैं। यही कारण है कि आज विश्वविद्यालय स्तर से 74 से पेटेंट ग्रांट तथा 630 से अधिक पेटेंट पब्लिश हो चुके हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में लंबित चल रहे ऑडिट प्रकरण को लेकर के मुख्य विकास अधिकारी ली अधीनस्थों के साथ बैठक

मथुरा,मुख्य विकास अधिकारी मनीष मीना जी द्वारा अपने कार्यालय कक्ष मे जिला पंचायत,क्षेत्र पंचायत एंव ग्राम पंचायतो मे लम्बित चल रहे आडिट प्रस्तरो के निस्तारण के सम्बन्ध मे समीक्षा बैठक आहूत की गई। बैठक मे मुख्य विकास अधिकारी द्वारा विकास खण्ड बार लम्बित आडिट प्रस्तरो की समीक्षा की गई तथा शेष चल रहे आडिट प्रस्तरो के सम्बन्ध मे शीध्र कार्यवाही करते हुये प्रस्तरो के निस्तारण हेतु समस्त खण्ड विकास अधिकारियो को निर्देशित किया गया। तथा समस्त खण्ड विकास अधिकारियो को निर्देशित किया गया कि सभी खंड विकास अधिकारी एवं लेखाकार स्वयं उपस्थित होकर के राजीव भवन के कार्यालय में अपने
साथ लम्बित आडिट प्रस्तरो की अद्यतन स्थिति एंव प्रस्तरो से सम्बन्धित अभिलेख / साक्ष्य सहित उपस्थित होना सुनिश्चित करें।

छात्र-छात्राएं अपने ज्ञान में सद्गुणों के निर्माण पर जोर दें

  • जीएल बजाज में हुई सार्वभौमिक मानव मूल्यों पर कार्यशाला
  • दैनिक जीवन में नैतिक मूल्य विषय पर नाटक का मंचन

मथुरा। जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में शुक्रवार को शिक्षा के साथ समाज में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए अनुप्रयुक्त विज्ञान और मानविकी विभाग द्वारा उन्नत भारत अभियान (यूबीए) के साथ संस्थान की नवाचार परिषद (आईआईसी) के सहयोग से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं को सार्वभौमिक मानव मूल्यों से अवगत कराया गया। कार्यशाला का शुभारम्भ जीएल बजाज की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी तथा विशिष्ट वक्ता डॉ. अजय उपाध्याय द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया।
एक बेहतर दुनिया के लिए मूल्य एक मानव-केन्द्रित नैतिकता विषय पर विशिष्ट वक्ता डॉ. अजय उपाध्याय ने कहा कि मूल्य और नैतिकता किसी भी समाज या राष्ट्र के विकास का सही परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करते हैं। नैतिकता एक राष्ट्र, एक धर्म, एक जलवायु और एक दर्शन की सम्पत्ति नहीं बल्कि दुनिया भर के मनुष्यों के कल्याण से सम्बन्धित है। उन्होंने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि वे अपने ज्ञान में सद्गुणों के निर्माण पर जोर दें क्योंकि गुणों के बिना न केवल ज्ञान बेकार है बल्कि वह समाज के लिए विनाशकारी भी है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि मूल्य और नैतिक आधारित समाज के लिए आध्यात्मिक चिकित्सा की आवश्यकता होती है और इस आवश्यकता को शिक्षा के माध्यम से ही काफी हद तक पूरा किया जा सकता है।
कार्यशाला में छात्र-छात्राओं को स्क्रिप्ट प्रदर्शन एवं वृत्तचित्र के माध्यम से यूएचवी यानी सार्वभौमिक मानव मूल्यों को विस्तार से समझाया गया। इतना ही नहीं छात्र-छात्राओं को कई गतिविधियों के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में यूएचवी के महत्व और अनुप्रयोगों का पता लगाने, सद्भाव विकसित करने तथा आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया। विशिष्ट वक्ता डॉ. अजय उपाध्याय ने छात्र-छात्राओं के साथ सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों पर अपने व्यावहारिक दृष्टिकोण को साझा करने के साथ ही उनमें दैनिक जीवन में नैतिक मूल्यों को अपनाने के लिए जोश और जुनून भी जगाया।
कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों के एक समूह ने हमारे दैनिक जीवन में नैतिक मूल्य विषय पर एक नाटक प्रस्तुत किया। एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई, जिसमें यूएचवी के साथ नैतिक मूल्य गतिविधि के कुछ वास्तविक जीवन के उदाहरण दिखाए गए। इसके बाद निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने आज की दुनिया में यूएचवी आवश्यकताओं की प्रासंगिकता पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने विद्यार्थियों को समाज में सद्भाव विकसित करने के लिए यूएचवी के साथ अपने नैतिक कर्तव्यों को दैनिक जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने विशिष्ट वक्ता का स्वागत करते हुए प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को मोमेंटो और प्रमाण-पत्र प्रदान किए।
कार्यक्रम के अंत में अनुप्रयुक्त विज्ञान एवं मानविकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार देवलिया ने प्रतिभागियों के उत्साह की सराहना की तथा उन्हें यूएचवी गतिविधियों को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम का कुशल समन्वय इंजीनियर विवेक मिश्रा, डॉ. प्रवीण कुमार अग्रवाल तथा इंजीनियर बृजेश कुमार उमर ने किया।

मथुरा – हाईवे पर गैस कैप्सूल टैंकर अनियंत्रित होकर पलटा

  • सोनीपत से प्रोपलीन गैस खाली कर रिफाइनरी आ रहा था टैंकर

मथुरा में आगरा दिल्ली नेशनल हाईवे पर एक बड़ा हादसा होने से टल गया जिसमें एक गैस कैप्सूल टैंकर ओवरटेक करने के चक्कर में अनियंत्रित होकर पलट गया, गैस कैप्सूल टैंकर पलटने से अफरा तफरी का माहौल बन गया और हाईवे पर लंबा जाम लग गया। शहर कोतवाली क्षेत्र की कृष्णा नगर चौकी के अंतर्गत रात करीब 9 बजे जैन मंदिर के समीप उस समय एक बड़ा हादसा होने से टल गया जब सोनीपत से खाली होकर रिफाइनरी मथुरा के लिए आ रहा प्रोपलीन गैस का कैप्सूल टैंकर ओवरटेक करने के चक्कर में हाईवे पर पलट गया इस कैप्सूल टैंकर के पलटने से आसपास के लोगों में व हाइवे पर हड़कम्प मच गया।
कैप्सूल टैंकर के पलटने की सूचना पर इलाका पुलिस रिफाइनरी के कर्मचारी व दमकल विभाग के टीम मौके पर पहुंची। बताया गया कि कैप्सूल टैंकर चालक इसमें चोटिल हुआ है और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मौके पर पहुंची रिफाइनरी की टेक्निशियन टीम के द्वारा टैंकर की जांच पड़ताल की गई और उसके बाद उसे हाइड्रा के माध्यम से करीब 2 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सीधा कराया गया।
कैप्सूल गैस टैंकर तेज रफ्तार होने की वजह से रेलिंग को तोड़ता हुआ काफी आगे तक पहुंच गया और पलटने के कारण पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया मौके पर पहुंची इलाका पुलिस और कर्मचारियों के द्वारा इसकी बारीकी से जांच की गई, सूचना प्राप्त होते ही मौके पर हादसे को नियंत्रित करने के लिए दमकल की गाड़ी भी पहुंच गई इस संबंध में मुख्य अग्निशमन अधिकारी नरेश कुमार सिंह ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि एक गैस कैप्सूल टैंकर अनियंत्रित होकर पलट गया है इस सूचना पर उनकी दमकल की गाड़ी व टीम मौके पर पहुंची लेकिन खाली कैप्सूल टैंकर होने की वजह से कोई भी हतातत नहीं हुआ है।

मथुरा – यमुना एक्सप्रेस-वे पर चलती बस में आग लगी

मथुरा में यमुना एक्सप्रेसवे पर दौड़ती बस में अचानक से आग लग गई। आग लगते देख चालक ने कूद कर अपनी जान बचाई, आग लगने की सूचना पर गस्त कर रही पीआरबी 1939 की गाड़ी घटना स्थल पर पहुंची और पीआरबी पुलिस ने इलाका पुलिस एवं यमुना एक्सप्रेसवे की अधिकारियों को घटना की सूचना दी। थाना बलदेव क्षेत्र के अंतर्गत यमुना एक्सप्रेसवे के माइलस्टोन 135 के समीप एक बड़ा हादसा होने से टल गया।
गुरुवार सुबह करीब 10ः30 बजे नोएडा के परी चौक से महाराष्ट्र के लिए चली एक प्राइवेट बस में अचानक से धुआं निकलने लगा, धुंआ निकलता देख बस चालक ने बस को साइड किनारे खड़ा कर दिया। और देखते ही देखते उसमें आग लग गई आग की ऊंची लपटों को देख हाईवे पर हड़कंप मच गया और दौड़ते वाहनों के पहिए थम गए। घटना को देख राहगीरों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। सूचना पाकर हाईवे पर गस्त कर रही पीआरबी 1939 की गाड़ी मौके पर पहुंची। पीआरबी पुलिस ने थाना बलदेव पुलिस और यमुना एक्सप्रेसवे के अधिकारियों को घटना की सूचना दी।
सूचना पाकर इलाका पुलिस एवं यमुना एक्सप्रेसवे की दमकल की गाड़ी भी मौके पर पहुंची और बस में लगी भीषण आग को बुझाने का प्रयास किया। बस में भीषण आग लगी हुई थी और हाईवे पर भी अन्य वाहनों के पहिये थम गई, सूचना पाकर पहुंची दमकल की गाड़ी ने बस में लगी आग पर काबू पाया गया, लेकिन तब तक बस पूरी तरह से जलकर खाक हो गई।
बलदेव थाना प्रभारी निरीक्षक त्रिलोकी सिंह ने बताया गया कि बस में कोई भी सवारी नहीं थी बस पूरी तरह से खाली थी और केवल चालक था चालक को जैसे ही बस से दुआ ने निकलता हुआ दिखाई दिया तो उसने साइड से बस को लगा दिया और कूद कर अपनी जान बचाई, थाना प्रभारी ने बताया गया कि बस चालक देवदास पुत्र काशीनाथ निवासी बीलबाड़ी थाना बसवा जिला विदर कर्नाटक का रहने वाला है जो खाली गाड़ी को नोएडा के परी चौक से महाराष्ट्र के लिए लेकर जा रहा था।

वृन्दावन – धर्मनगरी में दिखा कोहरा का असर, धीमी पड़ी वाहनों की रफ्तार

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धर्म नगरी वृंदावन सुबह से ही कोहरे की चादर में लिपटी दिखाई दी। कोहरे के चलते सड़कों पर दूर-दूर तक विजिबिलिटी शून्य के लगभग थी। वहां हेडलाइट जलाकर काफी धीमी गति से चल रहे थे वहीं यमुना किनारे कोहरे के बावजूद लोग नौका विहार करते हुए दिखाई दिए वहीं बेलवन में चल रहे माता लक्ष्मी के मेला के दर्शन लिए भी लोग पांटून पुल से गुजर रहे थे।
सबसे ज्यादा हाल बेहाल खुले आसमान के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों का था।
सीजन के पहले कोहरे के चलते मंदिरों की नगरी वृंदावन में सुबह से ही सड़कों पर सन्नाटा पसार रहा। वाहन चालक गाड़ियों की हेडलाइट जलाकर काफी धीमी गति से चल रहे थे। मंदिरों के आसपास भी श्रद्धालुओं की भीड़ काफी कम रही। खुले आसमान के नीचे जीवन यापन करने वालों का हाल बेहाल था। कोहरा एवं ठंड के चलते गरीब एवं असहाय वर्ग के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
मथुरा मार्ग हो या फिर यमुना एक्सप्रेसवे से वृंदावन की ओर आने वाला मार्ग हर तरफ कोहरा के चलते वाहनों की रफ्तार धीमी रही। वहीं यमुना किनारे कोहरा होने के बावजूद बाहर से आए सैलानी यमुना में नौका विहार कर रहे थे तथा मांट के गांव बेलवन में पौष माह में लगने वाले माता लक्ष्मी के मेला में माता लक्ष्मी के दर्शन के लिए भक्त पांटून पुल से गुजरते दिख रहे थे।

के.डी. हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जनों ने मजदूर परिवार की खुशियां लौटाईं

  • डॉ. अवतार सिंह और डॉ. दीपक चौधरी ने किया नवल की रीढ़ का सफल ऑपरेशन

मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के न्यूरो सर्जन डॉ. अवतार सिंह और डॉ. दीपक चौधरी ने चलने-फिरने में असमर्थ नवल की रीढ़ का सफल ऑपरेशन कर उसके जीवन में खुशहाली लौटा दी है। ऑपरेशन के बाद बेलदारी करने वाला नवल जहां अपने पैरों खड़ा हो गया वहीं वह सपोर्ट के साथ चल-फिर भी रहा है। नवल के ठीक होने से उसका परिवार बहुत खुश है क्योंकि वही परिवार के जीवन-यापन का जरिया है।
ज्ञातव्य है कि कुछ माह पहले गांव बसौती, राल जिला मथुरा निवासी नवल (32) पुत्र यादराम बेलदारी करते समय छत से नीचे गिर गया। काफी ऊंचाई से गिरने के चलते उसकी रीढ़ की हड्डी के एल-2 और एल-1 के बीच की डिस्क खिसक गई तथा दोनों पैरों की नसों ने काम करना बंद कर दिया। दोनों पैरों की ताकत चले जाने के बाद वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गया तथा उसकी लैट्रिन-पेशाब भी अपने आप निकल जाती थी।
परिजनों ने कई जगह दिखाया लेकिन नवल ठीक नहीं हुआ। आखिरकार उसे के.डी. हॉस्पिटल लाया गया जहां न्यूरो सर्जन डॉ. अवतार सिंह तथा डॉ. दीपक चौधरी ने मरीज की एमआरआई कराई जिससे पता चला कि उसकी रीढ़ की हड्डी के एल-2 और एल-1 के बीच की डिस्क खिसक गई है, इसी वजह से उसके पैरों की ताकत चली गई है। मरीज की खराब स्थिति को देखते हुए चिकित्सकों ने परिजनों को ऑपरेशन की सलाह दी। परिजनों की सहमति के बाद विगत दिवस न्यूरो सर्जन डॉ. अवतार सिंह और डॉ. दीपक चौधरी द्वारा मरीज की रीढ़ का ऑपरेशन किया गया जोकि सफल रहा।
इस सर्जरी में डॉ. अवतार सिंह एवं डॉ. दीपक चौधरी का सहयोग डॉ. धनंजय, डॉ. शेख हुसैन, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. शिवांगी तथा टेक्नीशियन देवेन्द्र प्रताप सिंह, संदीप ठाकुर, राजवीर सिंह ने किया। अब नवल सपोर्ट के साथ उठ-बैठ पा रहा है तथा उसके पैरों की कमजोरी भी धीरे-धीरे दूर हो रही है। डॉ. अवतार सिंह का कहना है कि मरीज को जब के.डी. हॉस्पिटल लाया गया था तब उसकी स्थिति बहुत खराब थी, सर्जरी के बाद उसके पैरों की ताकत लौट रही है तथा कुछ दिन में वह बिना सपोर्ट चलने-फिरने लगेगा।
विशेषज्ञ न्यूरो सर्जन डॉ. अवतार सिंह का कहना है कि समय के साथ स्पाइन सर्जरी में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। हाल के वर्षों में यह सर्जरी काफी सुरक्षित हो गई है और इसके परिणाम भी बेहतर हैं। उन्होंने बताया कि चूंकि के.डी. हॉस्पिटल में स्पेशलाइज्ड स्पाइनल सर्जरी सेण्टर है, इसलिए अब तक जो भी ऑपरेशन हुए हैं, वे पूरी तरह से सफल रहे हैं।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने नवल की सफल सर्जरी के लिए चिकित्सकों तथा उनकी टीम को बधाई देते हुए मरीज के स्वस्थ-सुखद जीवन की कामना की है।

जीएलए में गुणवत्तापूर्ण शोध के पहलुओं से रूबरू हुए शोधार्थी

  • जीएलए विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ दस दिवसीय ट्रेनिंग व क्षमता विकास कार्यक्रम

मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा में इंडियन कॉउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च द्वारा वित्तपोषित दस दिवसीय ट्रेनिंग व क्षमता विकास कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में शोधार्थियों को विभिन्न शोध विधाओं, तकनीकों, चुनौतियों एवं उनके संभावित समाधानों की विस्तार से जानकारी दी गयी।

जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर विवेक अग्रवाल ने बताया कि यह दस दिवसीय कार्यक्रम विशेष रूप से शोधार्थियों की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था, जिससे कि शोधार्थियों को विभिन्न शोध विधाओं, तकनीकों, चुनौतियों एवँ उनके संभावित समाधानों की विस्तार से जानकारी प्राप्त हो सके। उद्योग जगत की ज़रूरतों के अनुसार शोध के विभिन्न आयामों को समझने हेतु प्रतिष्ठित औद्योगिक संस्थानों में भी प्रतिभागियों को ले जाया गया।

सह-संयोजक डा. जितेंद्र दीक्षित व डा. सुचेता अग्रवाल ने बताया कि दस दिवसीय कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों के दौरान शिक्षा व उद्योग जगत के विषय-विशेषज्ञ शोधार्थियों से रूबरू हुए व उन्हें गुणवत्तापूर्ण शोध के विभिन्न पहलुओं को समझाया।

कार्यक्रम के शुभारंभ सत्र के दौरान प्रतिभागियों से रूबरू होते हुए जिंदल ग्लोबल बिजनेस स्कूल के निदेशक(रिसर्च सेंटर) प्रो. सचिन मंगला ने गुणवत्तायुक्त शोध के विभिन्न तत्वों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सही समस्या को पहचानना व सही शोध तकनीकों को अपनाना एक अच्छे शोध के मूलभूत तत्व हैं। शोधार्थियों में धैर्य व जीवटता का होना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि एक अच्छे शोध में समय व श्रम दोनों ही लगते हैं।

आईआईटी खड़गपुर की प्रो. बिनीता तिवारी, आईआईटी दिल्ली के प्रो. जीतेन्द्र मदान, एनआईटी जालंधर के डा. ज्ञानप्रकाश, एमिटी यूनिवर्सिटी के प्रो. सुमित नरूला, जयपुरिया इंस्टिट्यूट के प्रो. अमरनाथ त्रिपाठी व् प्रो. कुमार आशीष, ग्रेट लेक्स इंस्टिट्यूट के प्रो. हरीश कुमार, आईएमटी की प्रो. गुंजन मल्होत्रा, बिम्टेक की प्रो. पूजा मलिक, आईओसीएल के मानव संसाधन अधिकारी डा. नीरज जायसवाल, डा. पुष्कर शर्मा आदि विषय विशेषज्ञों ने दस दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न सत्रों के दौरान शोधकार्यों में प्रयुक्त होने वाली विभिन्न तकनीकों व विधाओं पर विस्तार से चर्चा की एवं शोधार्थियों द्वारा सत्रों के दौरान ही इन तकनीकों व विधाओं का अभ्यास भी किया गया।

जीएलए विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि शोध व शोधपत्र केवल डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने भर की औपचारिकता नहीं है, अपितु समाज के प्रति एक आवश्यक दायित्व के निर्वहन का जरिया है। इसके लिए केवल ईमानदार प्रयास होने चाहिए। एसोसिएट डीन एकेडेमिक्स प्रो. आशीष शुक्ला ने कहा कि शोध जीवन पर्यंत चलने वाली एक प्रक्रिया है। हमारे शोध से लाभान्वित होने वाले कितने लोग हैं, शोध का सकारात्मक असर कितने लोगों पर होगा, कितनी समस्याएं हम हल कर पायेंगे आदि जैसे विषयों पर किसी भी शोधार्थी को चिंतन-मनन अवश्य करना चाहिए। सीएसईडी के एसोसिएट डायरेक्टर प्रो. पुष्कर शर्मा ने प्रतिभागियों के साथ शोध विधाओं व शोध के आयामों पर विस्तार से चर्चा की।

प्रबंधन संकाय निदेशक प्रो. अनुराग सिंह, विभागाध्यक्ष प्रो. उत्कल खंडेलवाल, एसोसिएट विभागाध्यक्ष प्रो. कृष्णवीर सिंह ने कार्यक्रम संयोजकों व आयोजन समिति के सदस्यों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि आईआईटी, ईडीआईआई, गोआ यूनिवर्सिटी, डा. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, एचबीटीयू, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, झारखंड विश्ववविद्यालय, मद्रास यूनिवर्सिटी आदि संस्थानों के शोधार्थियों का जीएलए में इस कार्यक्रम में प्रतिभाग करने आना एक सुखद अनुभव है। सभी प्रतिभागियों द्वारा आयोजन के दौरान विभिन्न सत्रों को उनकी शोधयात्रा के लिए खासा महत्वपूर्ण माना गया एवं उन्हें सराहा गया।

आयोजन समिति के सदस्यगणों सीएसईडी के सेंटर हैड डा. दीपक शर्मा, डा. शिवम भारद्वाज, डा. नीरज पाठक, मनोज शर्मा, दीपांश गोयल, अनुराग विश्वकर्मा, रितिक, वर्तिका आदि का विभिन्न सत्रों के दौरान सहयोग रहा।

नए वर्ष से नए आयाम स्थापित करेगा संस्कृति विश्वविद्यालय

मथुरा। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ता और नए आयाम स्थापित करता संस्कृति विश्वविद्यालय नए वर्ष से पाठ्यक्रमों और संसाधनों के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन के साथ नए कीर्तमान बनाने की ओर अग्रसर है। विद्यार्थियों को विश्वस्तरी कौशल और उद्यमशीलता को हासिल कराने के उद्देश्य के साथ संस्कृति विश्वविद्यालय ने अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त औद्योगिक घरानों और अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शिक्षण संस्थानों से नए अनुबंध किये हैं।
संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने बताया कि विश्व की जरूरतों के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन अगले कुछ वर्षों में होने जा रहे हैं। शिक्षा पूरी तरह से कौशलयुक्त होने जा रही है और ये कौशल समय के अनुसार परिवर्तनशील होंगे। यह समय जरूरत के अनुरूप पाठ्यक्रमों में बदलाव का है। संस्कृति विश्वविद्यालय में इन्हीं जरूरतों के अनुरूप पाठ्यक्रमों में बदलाव किए जा रहे हैं। ये बदलाव वक्त की जरूरत हैं, अब हमें बदलते विश्व के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाली शिक्षा की जरूरत है। संस्कृति विश्वविद्यालय में नए 25 स्टार्टअप शुरू होने जा रहे हैं। विद्यार्थियों को आधुनिकतम शिक्षा देने के लिए स्मार्ट क्लास बनाए जा रहे हैं।
डा. गुप्ता बताते हैं कि संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को आईबीएम और इंफोसिस जैसी विश्वविख्यात कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बनाने के लिए और मौके हासिल करने के लिए तैयार करेंगी। उन्होंने कहा कि हमारे विद्यार्थी किसी भी स्तर पर अपने को पिछड़ा हुआ महसूस न करें इसके लिए इनकी शिक्षा भी उसी के अनुरूप दी जाएगी। नए-नए कौशल के लिए उपयोगी प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा रही है। हमारा उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा के साथ सामंजस्य बनाकर चलने का है। इसके साथ ही सभी सरकारी परीक्षाओं में सफलता हासिल करने के लिए वेल्यु एडेड कोर्सों की शुरुआत की जा रही है। विद्यार्थियों को अब इन सभी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कहीं और नहीं जाना होगा, ये तैयारी परंपरागत शिक्षा के साथ ही विवि में ही हो जाएगी।
डा. गुप्ता कहते हैं कि मेरा मानना है कि विद्यार्थियों को नौकरी हासिल करने बेहतर है वे नौकरी देने वाला बनने के बारे में सोचें। यही वजह है कि हमने अपने विश्वविद्यालय और देश के बड़े औद्योगिक घरानों के साथ अनुबंध किया है ताकि वे हमारे विद्यार्थी औद्यौगिक इकाईयों का व्यवहारिक ज्ञान हासिल कर सकें। हमारे यहां इंक्युबेशन सेंटर है जो विद्यार्थियों के आइडियाज को मूर्तरूप देने में मदद करता है ताकि वे अपना स्टार्टअप शुरू कर सकें। स्टार्टअप के लिए हमने विद्यार्थियों और सामान्यजन के लिए भी सारी सुविधाएं जुटाई हैं। डा. गुप्ता ने बताया कि एआई(आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी) तेजी से अपने कदम जमा रही है। इसको देखते हुए हमने अपने यहां एआई आधारित पाठ्यक्रम तैयार किए हैं और तैयार कराए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगर सबकुछ एक साथ कहें तो कह सकतें हैं कि संस्कृति विश्वविद्यालय कौशल, उद्यमशीलतायुक्त और रोजगारपरक शिक्षा को सम्मिलत रूप से लेकर चलेगा और बहुत जल्द ही विश्वस्तर पर अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब होगा।