वृंदावन। हनुमान प्रसाद धानुका सरस्वती बालिका विद्या मंदिर की छात्राओं ने केशव माधव सरस्वती विद्या मंदिर, ककोड़, बुलन्दशहर में विद्या भारती पश्चिम उप्र क्षेत्र द्वारा आयोजित 37वाँ क्षेत्रीय टूर्नामेंट ताईक्वांडो व बुशु प्रतियोगिता में अपनी सहभागिता की। जिसमें छात्राओं ने 6 स्वर्ण पदक, 8 रजत व 6 कांस्य पदक जीते। छात्रा अंतरा गुप्ता, संस्कृति आनंद, अदिति भारद्वाज, खुशबू शर्मा, तानिय प्रजापति, आभा शर्मा ने स्वर्ण पदक, परी गोयल, काश्वी गोस्वामी, अजंलि सिंह, रितिका, अर्चना कुमारी, कनक जायस, अनन्या गोला, राधिका वर्मा, दीक्षा शर्मा ने रजत एवं समृद्धि, माधवी शर्मा, राधिका जायस, निहारिका, नन्दिनी कुंतल, दीपिका सिंह ने कांस्य पदक प्राप्त किये। ताइक्वांडो व वुशु प्रतियोगिता में विजयी छात्राएं सितम्बर माह में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता सरस्वती विद्या मंदिर, झारखण्ड में सहभागिता करेंगी। छात्राओं की सफलता में खेल प्रशिक्षिक शीतल वशिष्ठ, सुनील सिंह व भावना सिंह का सहयोग सराहनीय रहा। विद्यालय प्रबंध समिति से पद्मनाभ गोस्वामी, रेखा माहेश्वरी, विश्वनाथ गुप्ता, कमल खण्डेलवाल, भरत शर्मा, उमेश शर्मा एवं प्रधानाचार्या डॉ. अंजू सूद ने छात्राओं का उत्साहवर्धन करते हुए अपना आशीर्वाद प्रदान किया।
मथुरा। संस्कृति विवि में हरियाली तीज महोत्सव के दौरान हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं में स्कूल आफ फैशन डिजाइनिंग की डीन सुश्री शिल्पा डेनिस फिलिप्स को तीज क्वीन, स्कूल आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी की डा. रीना रानी को मिस बनी ठनी और स्कूल आफ एजूकेशन की डा. प्रियंका गौतम को मिस टैलेंट के खिताब से सम्मानित किया गया। हरियाली तीज उत्सव के अंतर्गत हुई प्रतियोगिताओं के निर्णायक मंडल संस्कृति विवि की सीईओ डा. श्रीमती मीनाक्षी शर्मा, एसओआईटी की प्रो. गरिमा गोस्वामी और संस्कृति आयुर्वेदिक कालेज की सहा.प्रो डॉ. एकता कपूर ने एक कार्यक्रम के मध्य विजेताओं को पुरुस्कार देकर सम्मानित किया। बताते चलें कि विवि में हरियाली तीज महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। यह कार्यक्रम सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और नारीत्व, परंपरा और त्योहार के आध्यात्मिक महत्व का जश्न मनाने के उद्देश्य से संस्कृति विवि के सांस्कृतिक और विरासत क्लब द्वारा आयोजित किया गया था। कार्यक्रम का उद्देश्य महिला संकाय और कर्मचारियों को उत्सव की भावना में एक साथ आने, अपनी रचनात्मकता व्यक्त करने और एकता और अपनेपन की भावना को बढ़ावा देने के लिए एक जीवंत मंच प्रदान करना था। कार्यक्रम सुश्री शुभ्रा पांडे, सहायक प्रोफेसर, एसओईआईटी, संस्कृति विश्वविद्यालय के गर्मजोशी भरे स्वागत भाषण के साथ शुरू हुआ। मुख्य अतिथि, संस्कृति विश्वविद्यालय की सीईओ डॉ. मीनाक्षी शर्मा थीं। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न मनोरंजक खेलों का आयोजन किया गया। संगीत की धुनों पर प्रतिभागियों ने जीवंत धुनों पर नृत्य किया और ऊर्जा और उत्साह के साथ त्योहार मनाया। देर तक महिला संकाय सदस्यों ने डीजे पर जमकर नृत्य किया। प्रत्येक महिला संकाय और स्टाफ सदस्य को स्मृति चिह्न प्रदान किए गए। कार्यक्रम का समापन कार्यक्रम की समन्वयक डॉ. रीना रानी द्वारा हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन शिवम भारद्वाज द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सुश्री शुभ्रा पांडे, डा. दुर्गेश वाधवा, डा. डीएस तोमर आदि की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।
मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के छात्र-छात्राओं ने गुरुवार को संदेशपरक नुक्कड़ नाटक से महिलाओं और तीमरदारों को स्तनपान के महत्व की जानकारी दी। कम्युनिटी मेडिसिन विभाग द्वारा आयोजित इस नुक्कड़ नाटक का उद्देश्य स्तनपान के बारे में जागरूकता बढ़ाना, गलत धारणाओं को दूर करना तथा स्तनपान से जुड़ी भ्रांतियों से जुड़े मुद्दों पर प्रकाश डालना था। इससे पहले छात्र-छात्राओं ने रंगोली, पोस्टर मेकिंग, क्विज, रील आदि प्रतियोगिताओं में अपना बौद्धिक कौशल दिखाकर सभी की वाहवाही लूटी। स्तनपान सप्ताह के समापन अवसर पर नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत करने वाले छात्र-छात्राओं को अतिथियों द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान कर उनका उत्साहवर्धन किया गया। स्तनपान सप्ताह के अंतिम दिन मेडिकल छात्र-छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को स्तनपान के महत्व और उसके लाभों की जानकारी दी। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से छात्र-छात्राओं ने बताया कि नवजात शिशु के लिए मां का दूध अमृत समान है। यह शिशु को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है तथा उसे बीमारियों से भी बचाता है। छात्र-छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक में उन गलत परम्पराओं पर कटाक्ष किया जोकि शिशु के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। नुक्कड़ नाटक में यह भी बताया गया कि माताएं भीड़भाड़ में अपने बच्चे को कैसे दूध पिला सकती हैं। छात्र-छात्राओं ने माताओं को स्तनपान के स्वास्थ्य लाभों से प्रेरित करते हुए ‘माँ का दूध, हर बच्चे का अधिकार’ संदेश दिया। नुक्कड़ नाटक में नवजात शिशु को शहद अथवा बोतल से दूध पिलाने के दुष्परिणाम भी बताए गए। विभागाध्यक्ष कम्युनिटी मेडिसिन डॉ. अमनजोत कौर चौहान ने बताया कि स्तनपान सप्ताह में मेडिकल छात्र-छात्राओं ने रंगोली, पोस्टर मेकिंग, क्विज, रील तथा नुक्कड़ नाटक के माध्यम से महिलाओं और तीमारदारों को जो संदेश दिया उसका पालन कर स्वस्थ समाज के संकल्प को पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नवजात बच्चों के लिए मां का दूध अमृत समान है। स्तनपान करने वाले बच्चे दस्त, निमोनिया, सेप्टिक जैसी बीमारियों से बचे रहते हैं। इतना ही नहीं स्तनपान से महिलाएं मोटापे का शिकार नहीं होतीं तथा बच्चेदानी और ब्रेस्ट कैंसर से भी बच जाती हैं। डॉ. अमनजोत ने बताया कि जो बच्चे डिब्बा बंद या दूसरा दूध पीते हैं उनके मुकाबले मां का दूध पीने वाले बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से ज्यादा बेहतर होते हैं। इसलिए सभी माताओं को चाहिए कि वह अपने नवजात बच्चों को डेढ़ से दो साल की आयु तक स्तनपान जरूर करवाएं। चिकित्सा निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार ने के.डी. मेडिकल कॉलेज में एक से सात अगस्त तक शिशु रोग विभाग, महिला एवं प्रसूति रोग विभाग तथा सामुदायिक चिकित्सा विभाग द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह में आयोजित विविध कार्यक्रमों की सराहना की तथा मां के दूध से होने वाले फायदे बताए। स्तनपान सप्ताह में आयोजित कार्यक्रमों की कॉलेज के डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, महिला एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. वी.पी. पांडेय, विभागाध्यक्ष शिशु रोग डॉ. के.पी. दत्ता, विभागाध्यक्ष सामुदायिक चिकित्सा डॉ. अमनजोत कौर, विभागाध्यक्ष मेडिसिन डॉ. मंजू पांडेय, विभागाध्यक्ष क्षय रोग डॉ. एस.के. बंसल आदि ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की। इस अवसर पर डॉ. बिश्वाविनोद सानफुई, डॉ. स्वेता सिंह, डॉ. शुभ्रा दुबे, डॉ. अमन गुप्ता, डॉ. निशांत गुप्ता, डॉ. अंकुर कुमार आदि ने छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. निशांत गुप्ता ने किया तथा आभार डॉ. अमनजोत कौर ने माना। चित्र कैप्शनः अतिथियों के साथ नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत करने वाले के.डी. मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राएं। नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत करते विद्यार्थी।
के.डी. मेडिकल कॉलेज में हो रहे विश्व स्तनपान सप्ताह में विविध कार्यक्रम मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग द्वारा मंगलवार को विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत मां के दूध की महत्ता को प्रचारित करने के लिए रंगोली और पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मेडिकल छात्र-छात्राओं ने एक से बढ़कर एक संदेशपरक रंगोली और पोस्टरों से ग्रामीण महिलाओं को स्तनपान का संदेश दिया। प्रतियोगिता के समापन अवसर पर डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, चिकित्सा निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार तथा उप-चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अम्बरीश कुमार ने विजेता छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर उनका हौसला बढ़ाया। डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने मेडिकल छात्र-छात्राओं के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने रंगोली और पोस्टरों के माध्यम से स्तनपान का जो संदेश दिया, उसका समाज को जरूर लाभ मिलेगा। डॉ. अशोका ने प्रतियोगिता के विजेता-उप-विजेता छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए अन्य प्रतिभागी टीमों का भी हौसला बढ़ाया। उन्होंने कहा कि हर शिशु को मां का दूध कम से कम छह माह तक जरूर पिलाना चाहिए क्योंकि मां का दूध हर तरह से सर्वोत्तम आहार है। चिकित्सा निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार ने मेडिकल छात्र-छात्राओं के प्रजेंटेशन की सराहना करते हुए कहा कि स्तनपान के महत्व को रंगोली और पोस्टर के माध्यम से उजागर करना काबिलेतारीफ है। उन्होंने इस पहल की सराहना की और कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज में स्तनपान के महत्व का प्रचार प्रसार करने में मदद मिलती है। उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अम्बरीश आनंद ने स्तनपान के लाभ और महत्व को दृश्य और रचनात्मक तरीकों से प्रस्तुत करने वाले छात्र-छात्राओं की प्रशंसा करते हुए सभी माताओं का आह्वान किया कि अपने शिशु को स्तनपान जरूर कराएं क्योंकि मां का दूध ही बच्चे का सर्वोत्तम आहार है। प्रतियोगिता में मेडिकल छात्र-छात्राओं ने रंगोली और पोस्टरों के माध्यम से स्तनपान के महत्व को सुंदर और प्रभावशाली ढंग से प्रदर्शित किया। रंगोली में जहां विविध रंगों और डिजाइनों के माध्यम से स्तनपान के सकारात्मक पहलुओं को उजागर किया गया वहीं पोस्टरों में भी स्तनपान के फायदे और उसकी आवश्यकता पर जोर दिया गया। विभागाध्यक्ष कम्युनिटी मेडिसिन डॉ. अमनजोत कौर चौहान ने बताया कि छात्र-छात्राएं कई दिनों से पोस्टर प्रजेंटेशन और रंगोली के माध्यम से लोगों को स्तनपान के महत्व के बारे में जागरूक करने की तैयारी कर रहे थे। छात्र-छात्राओं ने इस आयोजन के माध्यम से यह संदेश दिया कि मां का दूध शिशुओं के लिए बहुत लाभकारी है। प्रतियोगिता के निर्णायकों डॉ. वी.पी. पांडेय और डॉ. मंजू पाण्डेय ने प्रत्येक रंगोली और पोस्टरों का अवलोकन करने के बाद विजेता तथा उप-विजेता टीमों की घोषणा की। रंगोली प्रतियोगिता में समृद्धि कलमोदिया, संजीवनी सहाय एवं सेजल मित्तल की टीम विजेता तथा राधिका सिंह, रेमी सिंह और संकल्प पांडेय की टीम उप विजेता रही। इसी तरह पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में मानसी चौबे, वैष्णवी चौकसे, वैशाली गौतम एवं वंशिका शर्मा की टीम विजेता तथा रूपेश कुमार वर्मा और प्रिया सिंह की टीम उप-विजेता रही। डॉ. गौरी शंकर गोयल, डॉ. बिश्वाविनोद सानफुई, डॉ. स्वेता सिंह, डॉ. शुभ्रा दुबे, डॉ. अमन गुप्ता, डॉ. निशांत गुप्ता, डॉ. अंकुर कुमार आदि ने प्रतिभागी छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन किया। अंत में विभागाध्यक्ष कम्युनिटी मेडिसिन डॉ. अमनजोत कौर चौहान ने सफल आयोजन के लिए सभी का आभार माना। चित्र कैप्शनः अतिथियों के साथ रंगोली और पोस्टर प्रतियोगिता के प्रतिभागी छात्र-छात्राएं।
संस्कृति विवि में राष्ट्रीय शिक्षा नीति2020 को लेकर हुई महत्वपूर्ण चर्चा
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय अपने संतोष मैमोरियल आडिटोरियम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति(एनईपी) 2020 के अनुरूप पाठ्यक्रमों के निर्माण को लेकर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विशेषज्ञ वक्ताओं ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के परिवर्तनकारी दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा करते हुए पाठ्यक्रम डिजाइनिंग और इस दौरान बरती जाने वाली सावधानियों को विस्तार से बताया। इस कार्यक्रम में उच्च शिक्षा संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के कार्यान्वयन, विशेष रूप से पाठ्यक्रम विकास के क्षेत्र में विचार-विमर्श करने के लिए प्रख्यात शिक्षाविदों और शिक्षाविदों को एक साथ लाया गया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि, आईआईआईटी इलाहाबाद (प्रयागराज) के निदेशक डॉ. मुकुल एस. सुताओन ने एनईपी-के अनुसार पाठ्यक्रम डिजाइन के लिए व्यावहारिक रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने उच्च शिक्षा में लचीलेपन, विकल्प-आधारित क्रेडिट सिस्टम और व्यावसायिक एवं शोध-उन्मुख शिक्षा के एकीकरण के महत्व पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईआईआईटी, प्रयागराज में एनईपी 2020 के घटकों को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम डिजाइन कैसे किया जाता है। उन्होंने आईकेएस पर जोर दिया और बताया कि इसे आधुनिक विज्ञान में कैसे लागू किया जा सकता है। उन्होंने विश्वविद्यालयों से बहु-विषयक पाठ्यक्रमों की एक श्रृंखला तैयार करने का आग्रह किया, जिन्हें छात्र अपनी रुचि के आधार पर चुन सकें। अपने अध्यक्षीय भाषण में संस्कृति विवि के कुलाधिपति डॉ. सचिन गुप्ता ने शैक्षणिक उत्कृष्टता और निरंतर सुधार के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अनेक गुणकारी परिवर्तन समावेशित किये गए हैं। संस्कृति विवि ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप अपने पाठ्यक्रमों में बदलाव किए हैं और लगातार इस दिशा में काम किया जा रहा है। विशिष्ठ अतिथि, आईआईआईटी इलाहाबाद (प्रयागराज) के डॉ. सतीश कुमार सिंह ने समावेशी एवं बहु-विषयक शिक्षा को बढ़ावा देने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिवर्तनकारी दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया। उन्होंने जमीनी स्तर पर इन बदलावों को आगे बढ़ाने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने विश्व में रोज़गार परिदृश्य के संदर्भ में एआई के भविष्य पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कई उदाहरण दिए कि कैसे प्रक्रिया में गलत एल्गोरिदम के कारण एआई त्रुटिपूर्ण हो सकता है। कार्यक्रम की शुरुआत परंपरागत रूप से मां सरस्वती की वंदना और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. एम.बी. चेट्टी द्वारा स्वागत भाषण और विश्वविद्यालय के बारे में जानकारी दी। उन्होंने प्रगतिशील शिक्षा सुधारों के प्रति विश्वविद्यालय के दृष्टिकोण, मिशन और योगदान का एक गहन अवलोकन प्रदान किया। कार्यशाला में संस्कृति विवि की सीईओ डा. श्रीमती मीनाक्षी शर्मा भी विशेष रूप से उपस्थित रहीं। कार्यशाला के दौरान संवाद सत्र में कार्यान्वयन चुनौतियों और अवसरों पर संवाद और विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की बात की गई। इस सत्र में एनईपी ढांचे के तहत नवीन शिक्षण पद्धतियों को अपनाने में संकाय की सक्रिय रुचि परिलक्षित हुई। कार्यक्रम का समापन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के डॉ. पंकज कुमार गोस्वामी द्वारा दिए गए हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
पुष्टिमार्ग संप्रदाय के मंदिर ठाकुर द्वारकाधीश के विधि एवं मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी एडवोकेट ने बताया कि श्रावण मास में हिंडोले और घटाओं के कार्यक्रम ठाकुर मंदिर द्वारकाधीश में होते हैं जिनका निर्धारण मंदिर के गोस्वामी श्री श्री 108 डॉक्टर वागिश कुमार जी महाराज तृतीय पीठाधीश्वर कांकरोली नरेश जी के द्वारा किए जाते है। उसी के तहत रविवार को सावन के नवमी शुक्ल पक्ष के दिन ठाकुर द्वारिकाधीश जी महाराज केसरी मखमल के हिंडोले में विराजमान हुए यह क्रम पूरे सावन मास में निरंतर जारी रहेगा और कल ठाकुर जी विख्यात श्याम घटा (काली घटा) में विराजमान होंगे और इस दौरान तिथि घड़ी और नक्षत्र के हिसाब से सावन में घटाओं के आयोजन होंगे।
करियर निर्माण में राजीव एकेडमी का सुनहरा अध्याय मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, मथुरा के आठ एमबीए तथा बीबीए पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों ने प्लेसमेंट के क्षेत्र में शानदार उपलब्धि हासिल की है। प्रतिष्ठित एडटेक कम्पनी कोरिजो ने रुपये 6.25 लाख सालाना पैकेज पर संस्थान के छात्र-छात्राओं को सेवा का अवसर प्रदान किया है। आकर्षक पैकेज पर प्रतिष्ठित कम्पनी में चयन से छात्र-छात्राओं में खुशी है। संस्थान के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट प्रमुख डॉ. विकास जैन ने बताया कि हाल ही में एडटेक कम्पनी कोरिजो ने आनलाइन प्लेसमेंट प्रक्रिया सम्पन्न की। कम्पनी ने संस्थान के आठ छात्र-छात्राओं की बौद्धिक क्षमता से प्रभावित होकर उन्हें उच्च पैकेज पर सेवा का अवसर प्रदान किया है। चयनित विद्यार्थियों में एमबीए के अमीश प्रताप सिंह, अर्चित अग्रवाल, मानवी चौधरी, सोमी वार्ष्णेय तथा बीबीए के जतिन कुमार, करन सिंह तोमर, कौशल ठाकुर एवं प्राची सिंह शामिल हैं। डॉ. जैन ने कोरिजो की प्रोफेशनल टीम का हिस्सा बनने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि राजीव एकेडमी का प्रयास युवा पीढ़ी को सदैव उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप व्यावहारिक प्रशिक्षण तथा करियर मार्गदर्शन प्रदान करना रहा है। उन्होंने कहा कि कोरिजो जैसी कम्पनी में विद्यार्थियों का चयन, हमारी इसी सोच और प्रतिबद्धता का परिणाम है। कोरिजो एक भविष्य-केंद्रित ई-लर्निंग प्रदाता कम्पनी है, जो छात्रों को करियर के लिए तैयार करने हेतु हैंड्स-ऑन इंटर्नशिप, ट्रेनिंग प्रोग्राम्स और मेंटरशिप जैसी सेवाएं प्रदान करती है। डॉ. जैन ने बताया कि यह कम्पनी युवा पीढ़ी को इंडस्ट्री-रेडी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। चयनित विद्यार्थियों ने इस सफलता का श्रेय राजीव एकेडमी की व्यावसायिक ट्रेनिंग, साक्षात्कार तैयारी और समयबद्ध मार्गदर्शन को दिया। उन्होंने कहा कि संस्थान ने उन्हें कॉर्पोरेट दुनिया के लिए तैयार किया, जिससे वे आत्मविश्वास के साथ चयन प्रक्रिया में शामिल हो सके। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने सभी चयनित विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने कहा कि राजीव एकेडमी का मिशन विद्यार्थियों को केवल पढ़ाना नहीं बल्कि उन्हें इंडस्ट्री रेडी बनाकर आत्मनिर्भर और सक्षम बनाना है। कोरिज़ो में यह सफल प्लेसमेंट इसी दृष्टिकोण को मजबूती प्रदान करता है। डॉ. भदौरिया ने कहा कि राजीव एकेडमी का यह निरंतर प्लेसमेंट ट्रैक रिकॉर्ड इस बात का प्रमाण है कि संस्थान न केवल शिक्षा बल्कि करियर निर्माण के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। चित्र कैप्शनः आनलाइन प्लेसमेंट प्रक्रिया में हिस्सा लेते राजीव एकेडमी के छात्र-छात्राएं।
मथुरा। बम्बई हाई कोर्ट के दो जजों की पीठ द्वारा बड़ा ही दुर्लभ और ऐतिहासिक जजमेंट दिया है। उन्होंने मुंबई महानगर निगम को आदेशित किया है कि जगह-जगह बने कबूतरों को दाना डालने वाले स्थलों पर जो कोई व्यक्ति दाना डाले, उसके विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर कार्यवाही की जाय और उन पर जुर्माना लगाया जाय। जजों द्वारा यह आदेश स्वास्थ्य कारणों को देखते हुए दिया है।
धन्य है ऐसे महान जज जिन्होंने यह आदेश दिया है। मैं न सिर्फ उन जजों का आभार व्यक्त करता हूं बल्कि उन्हें पैदा करके इतने अच्छे संस्कार देने वाले माता-पिताओं को भी सलाम करता हूं। इन जजों का प्रमोशन करके सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया जाना चाहिए। देखने की बात है कि हमारे देश में इतने अच्छे जज भी हैं जो जनता के स्वास्थ्य का इतना ख्याल रखते हैं। अच्छा तो यह होता कि ये जज अपने आदेश में यह भी निर्देशित करते कि बम्बई महानगर निगम शूटरों की भर्ती करके कदम-कदम पर उनकी तैनाती करे ताकि जो भी परिंदा आसमान में उड़ता दिखाई दे, तुरंत ठांय और इंसानों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले धड़ाम से नींचे। यानी न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी।
मेरा मानना यह है कि दोनों महान जजों के जजमेंट से प्रेरणा लेकर बम्बई वालों को घर-घर में गुलेल और उसके साथ कंचों की व्यवस्था करके रखनी चाहिए। महान जजों की इस जोड़ी और उन्हें पैदा करके इतने अच्छे संस्कार देने वालों की बारंबार जय जयकार हो।
मथुरा। शिशु के लिए मां का दूध एक सम्पूर्ण आहार होता है। इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व, विटामिन और मिनरल सही मात्रा में मौजूद होते हैं। मां का दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, जिससे वह संक्रमण तथा अन्य बीमारियों से सुरक्षित रहता है। मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडीज बच्चे को कई बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। यह बातें के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने एक से सात अगस्त तक चलने वाले विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में ग्रामीण महिलाओं को बताईं। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने अपने सम्बोधन में कहा कि नवजात शिशु के लिए मां का दूध अमृत समान है। इतना ही नहीं मां के लिए भी स्तनपान बहुत फायदेमंद होता है। स्तनपान गर्भाशय को उसकी सामान्य स्थिति में लौटने में मदद करता है तथा प्रसवोत्तर रक्तस्राव के जोखिम को भी कम करता है। साथ ही यह स्तन कैंसर और डिम्बग्रंथि के कैंसर जैसी गम्भीर बीमारियों के जोखिम को भी कम करता है। इतना ही नहीं यह मां और शिशु के बीच भावनात्मक बंधन को भी मजबूत करता है। डॉ. अशोका ने विश्व स्तनपान सप्ताह के आयोजन के लिए शिशु रोग विभाग, महिला एवं प्रसूति रोग विभाग तथा कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की मुक्तकंठ से सराहना करते हुए अन्य विभागाध्यक्षों से भी ऐसे जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का आह्वान किया। चिकित्सा निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि स्तनपान न केवल एक शिशु के पोषण का सबसे प्राकृतिक और उत्तम स्रोत है बल्कि यह मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए एक मजबूत आधार भी तैयार करता है। उन्होंने कहा कि इस सप्ताह का उद्देश्य स्तनपान के वैज्ञानिक फायदों के बारे में लोगों को बताना है। इसका लक्ष्य एक ऐसा माहौल बनाना है, जहां हर मां बिना झिझक और पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने बच्चे को दूध पिला सके। उन्होंने कहा कि इस साल की विश्व स्तनपान सप्ताह 2025 की थीम है ‘स्तनपान को प्राथमिकता दें: स्थायी सहायता प्रणालियों का निर्माण करें’। महिला एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. वी.पी. पांडेय ने स्तनपान को समाज के भविष्य में एक बेहतर निवेश बताया। उन्होंने कहा कि इस जागरूकता अभियान का उद्देश्य हर माँ को उचित जानकारी, प्रशिक्षित सलाहकारों से मदद और ऐसा पारिवारिक, चिकित्सीय तथा कार्यस्थल वातावरण सुनिश्चित करना है, जो स्तनपान को प्रोत्साहित करे। शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. के.पी. दत्ता ने कहा कि स्तनपान केवल शिशु का पोषण ही नहीं बल्कि समाज का दीर्घकालिक स्वास्थ्य निवेश भी है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर कम खर्च होता है, बच्चों की बौद्धिक क्षमता में सुधार आता है, भावी पीढ़ी को बेहतर शुरुआत मिलती है तथा स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के डॉ. गौरी शंकर गोयल ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमारे देश में स्तनपान में आ रही निरंतर कमी चिन्ता की बात है। भारतीय माताओं को पाश्चात्य संस्कृति से दूर रहते हुए अपने बच्चे को स्तनपान जरूर कराना चाहिए। डॉ. गोयल ने कहा कि जागरूकता कार्यक्रमों से स्तनपान को न केवल बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्वस्थ समाज का संकल्प भी पूरा होगा। उन्होंने माताओं को सलाह दी कि वह नवजात शिशु के जन्म के एक घण्टे के अंदर उसे स्तनपान अवश्य कराएं तथा शहद, पानी या किसी प्रकार की घुट्टी पिलाकर बच्चे के जीवन को संकट में न डालें। कम्युनिटी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. अमनजोत कौर ने मौके पर मौजूद महिलाओं को स्तनपान के लाभ, उसके सही तरीके और इससे जुड़ी आवश्यक जानकारियां दीं। उन्होंने बताया कि जन्म के पहले घंटे में स्तनपान करवाना शिशु के जीवन की रक्षा करता है। यह मां और बच्चे दोनों के लिए लाभकारी है। डॉ. संध्या लता, डॉ. रिमझिम, डॉ. सोनिका शर्मा, डॉ. अदिति दुबे, डॉ. शालिनी बंसल, डॉ, लीना शर्मा, डॉ. साक्षी अग्रवाल, डॉ. टी. लवानिया रेड्डी, डॉ. मीनल, डॉ. तान्या पुरोहित आदि ने उपस्थित माताओं के सवालों के विस्तार से जवाब दिए। इस अवसर पर लघु नाटिकाओं के माध्यम से भी ग्रामीण माताओं को स्तनपान के लाभ और तरीके बताए गए। विशेषज्ञ महिला चिकित्सकों ने माताओं को बच्चे को हर दो घंटे में छह माह तक आवश्यक रूप से दूध पिलाने तथा उन्हें बोतल से दूध न पिलाने की सलाह दी। इस अवसर पर उपस्थित माताओं को स्तनपान के महत्व से जागरूक करने के लिए पम्पलेट भी प्रदान किए गए। चित्र कैप्शनः विश्व स्तनपान सप्ताह का शुभारम्भ करते के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका तथा अन्य विभागाध्यक्ष। दूसरे चित्र में स्तनपान के महत्व को दर्शाते पम्पलेट के साथ प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका एवं अन्य विभागाध्यक्ष।
संस्कृति बिगेस्ट एवर मेगा जॉब फेयर में 1500 विद्यार्थियों को मिले आफर लैटर दूसरे दिन भी बड़ी संख्या में उमड़े विद्यार्थी मथुरा। संस्कृति विवि द्वारा आयोजित संस्कृति बिगेस्ट एवर मेगा जॉब फेयर में दूसरे दिन पांच बजे तक विभिन्न कंपनियों ने लगभग 2500 इंटरव्यू लिए। दो दिन के दौरान लगभग 15 सौ विद्यार्थियों को आफर लैटर या अगले राउंड के लिए सलेक्ट किया गया। अच्छी बात यह थी कि कंपनियों के अधिकारी अभ्यर्थियों के साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाते हुए समय के बाद भी ऐंटरटेन कर रहे थे। नौकरी चाहने वाले सैंकड़ों विद्यार्थियों की संस्कृति विवि के प्रति कृतज्ञता आयोजकों के लिए एक सुखद एहसास बन गई। उन अभ्यर्थियों की खुशी देखने लायक थी जिनके हाथ में तीन-तीन कंपनियों के आफर लैटर थे। ऐसा इसीलिए हो पाया कि विद्यार्थियों के लिए एक ही जगह सौ से अधिक कंपनियां मौजूद थीं और वे अपनी योग्यता और रुचि के अनुसार एक से अधिक कंपनियों में अपना भाग्य अजमा रहे थे। संस्कृति बिगेस्ट एवर जॉब फेयर में दूसरे दिन एक तरफ तो पहले दिन के साक्षात्कार के परिणाम घोषित हो रहे थे तो दूसरी तरफ पहली बार कंपनियों को इंटरव्यू देने वाले अभ्यर्थियों की लाइन लगी हुईं थीं। हालांकि कंपनियां बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को लेने ही आई हुईं थीं, लेकिन योग्यता की परख में उनके द्वारा कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही थी। सबसे अच्छी बात यह थी कि कंपनियों के अधिकारियों ने सफलता न पा सकने वाले अभ्यर्थियों को कुछ सुझाव देकर अपने रिज्युमे को अपग्रेड कर कुछ समय बाद फिर से मौका देने के आश्वासन दिए। अभ्यर्थियों के लिए कंपनियों का ऐसा सहयोगात्मक रवैया एक नया अनुभव था। दूसरे दिन हालात यह हो गए कि इंटरव्यू देने वाले अभ्यर्थियों की लाइन लंबी थी और कंपनियों के अधिकारियों के सामने समय सीमा का संकट। ऐसे में यह सुझाव भी आया कि जॉब फेयर और अधिक दिनों का होना चाहिए। इस संबंध में इस मेगा जॉब फेयर आयोजित कराने वाले संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता और प्रति कुलाधिपति राजेश गुप्ता का कहना था कि हमने जैसा सोचा था उससे अधिक हमारे इरादे को संतुष्टि मिली है। नौकरी पाने वाले बच्चों की खुशी ने हम सभी को ऐसा सुखद एहसास कराया है, जिसकी कोई कीमत नहीं। डा. सचिन गुप्ता का कहना था कि महत्वपूर्ण संख्या नहीं है महत्वपूर्ण है किसी एक बच्चे के भी सपने का साकार होना। यह कितनी बड़ी बात है कि इस जॉब फेयर के माध्यम से सैंकड़ों बच्चे नौकरी पाने में सफल हो गए जो शायद निराश हो चुके थे। उन्होंने कहा कि जब हमारे सामने दूसरे शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों ने अपनी दुविधा और निराशा का जिक्र किया तभी ऐसा मेगा जॉब फेयर लगाने का मन में विचार आया। संस्कृति विवि की व्यवस्थाओं से अभिभूत संस्कृति बिगेस्ट एवर मेगा जॉब फेयर में नौकरियां देने आईं तमाम कंपनियों के अधिकारियों ने खुले मन से संस्कृति विवि की इस सोच के प्रति सराहना व्यक्त की। दो दिन के दौरान जॉब फेयर का संचालन कर रही संस्कृति विवि के विद्यार्थियों की टीम, विवि के प्रशासन और संस्कृति विवि प्लेसमेंट सेल के अधिकारियों द्वारा कंपनियों के अधिकारियों को मिले सहयोग, हास्पिटेलिटी और बेहतरीन इंतजाम की बार-बार तारीफ की गई। याकोहामा टायर्स के एचआर विभाग से आईं ममता गायकवाड़, जस्ट डायल से शिवम, टेलीपरफार्मेंस से ब्लैक डेविड, टेक महिंद्रा से हर्षा उपाध्याय, समता रिसर्च से गरिमा अरोड़ा, आरके बिजनेस ग्रुप से चंदन उपाध्याय, जेटीइकेटी से मनोज जुग्रान, जेबीएम कंपनी से आए विवेक सूर्यवंशी का कहना था कि संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा यह प्रयास वाकई बहुत सराहनीय रहा। विवि प्रशासन ने सारी व्यवस्थाएं उच्च श्रेणी की की थीं। सबसे सराहनीय था जॉब फेयर संचालित कर रही विद्यार्थियों की टीम। इस टीम की आवभगत ने हमें जरा भी थकान महसूस नहीं होने दी। संस्कृति बिगेस्ट एवर मेगा जॉब फेयर को संचालित कर रही संस्कृति विवि के विद्यार्थियों की टीम ने बताया कि जॉब फेयर में विद्यार्थियों के लगभग 2500 इंटरव्यू हुए। 1500 अभ्यर्थियों को नौकरी के लिए या फिर अगले राउंड के लिए लैटर मिले हैं। लैटर देने वाली कंपनियों में मिल्कमोर, लैंसकार्ट, टेक महिंद्रा, टेलीपरफोरमैन्स, आरके ग्रुप, न्यूएलनबरी वर्क्स, जॉब सीकर, याकोहोमा, हल्दीराम हैं।
नौकरी पाने वालों ने कहा, धन्यवाद संस्कृति युनिवर्सिटी मथुरा। दूर-दराज से संस्कृति बिगेस्ट एवर मेगा जॉब फेयर में नौकरी पाने वाले विद्यार्थियों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। वे खुश होकर बार-बार संस्कृति विश्वविद्यालय को इस आयोजन के लिए धन्यवाद दे रहे थे। दिल्ली युनवर्सिटी के छात्र संजू को याकोहोमा टायर्स ने नौकरी दी है। संजू बहुत खुश होकर संस्कृति विवि को धन्यवाद दे रहे हैं। उनका कहना था कि मुझे यहां उम्मीद से ज्यादा मिला। इतनी अच्छी व्यवस्थाएं और याकोहामा में नौकरी, मेरा तो सपना पूरा हो गया। अभ्यर्थी शिवा रावत को आरके ग्रुप ने नौकरी के लिए चयनित किया। शिवा रावत का कहना था कि यह अनौखा जाब फेयर था जहां इतनी सारी कंपनियों में इंटरव्यू देने का मौका मिला और एक अच्छी कंपनी में नौकरी। एक अन्य डिग्री कालेज के छात्र राहुल उपाध्याय को टेक महिंद्रा ने नौकरी दी है। राहुल के लिए यह एक बेहतरीन जाब फेयर था, पूरी तरह से व्यवस्थित। मेरे लिए तो यह सुनहरा अवसर बन गया क्योंकि मुझे यहां टेक महिंद्रा जैसी कंपनी ने आफर लैटर दिया। मथुरा ही की एक अन्य युनिवर्सिटी के विद्यार्थी देवाशीष सिंह को टेक महिंद्रा ने नौकरी दी है। देवाशीष सिंह ने कहा कि संस्कृति विश्वविद्यालय आते ही बहुत सकारात्मकता का अनुभव हुआ। विद्यार्थियों की टीम गजब का सहयोग कर रही थी और नियोक्ता कंपनियों का रवैया भी बहुत उत्साहवर्धक था। मैं संस्कृति विवि का शुक्रिया करता हूं, जिसने मुझे यह मौका दिया और मेरा नौकरी पाने का सपना पूरा हुआ। आगरा स्थित एक विश्वविद्यालय के छात्र श्रीगोपाल सिंह का कहना था कि जॉब फेयर बहुत व्यवस्थित था। टेक महिंद्रा ने नौकरी देकर मेर आत्मविश्वास को बहुत बढ़ाया है। संस्कृति विवि ने विद्यार्थियों को एक बड़ी उम्मीद दी है। अभ्यर्थी साहिल ने कहा कि संस्कृति विवि सिर्फ सपने ही नहीं दिखाता उनको पूरा भी कराता है। साहिल को रिसर्च एंड एनालिसिस डोमिन में नौकरी मिली है। मथुरा की एक अन्य युनिवर्सिटी के छात्र गोपाल धनकर को टेलेपरफार्मेंस ने नौकरी के लिए चयनित किया है। गोपाल का कहना था कि संस्कृति विवि अपने इस प्रयास के लिए पूरे शिक्षा जगत में प्रशंसा की दृष्टि से देखा जा रहा है। ऐसे ही कुछ विचार जाब फेयर में नौकरी पाने वाले अभ्यर्थी हेमंत, हिमांशु, कुनाल गौतम और अनेक के थे जो फूले नहीं समा रहे थे।