Tuesday, September 23, 2025
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राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी में दवाओं के दुष्प्रभाव और बचाव पर हुआ मंथनअमोल राज ने फार्माकोविजिलेंस की आवश्यकता और उसकी भूमिका पर साझा किए विचार

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मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी में पांचवें राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस सप्ताह के उपलक्ष्य में ‘फार्माकोविजिलेंस अनिवार्यताएं: दवा सुरक्षा निगरानी के लिए फार्मासिस्ट गाइड’ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में मुख्य वक्ता अमोल राज, नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा), युवा मामले और खेल मंत्रालय, नई दिल्ली ने फार्माकोविजिलेंस की आवश्यकता, उसकी वर्तमान भूमिका और दवाओं की सुरक्षा की निगरानी में फार्मासिस्टों की जिम्मेदारियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
श्री अमोल राज ने युवाओं को फार्मास्युटिकल क्षेत्र में बढ़ते करियर विकल्पों और दवा सुरक्षा में नैतिक जिम्मेदारियों के प्रति भी जागरूक किया। उन्होंने बताया कि कैसे फार्माकोविजिलेंस के माध्यम से दवाओं के दुष्प्रभावों की निगरानी कर जनता के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है। सेमिनार में शिक्षकों, फार्मेसी क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों और छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। मुख्य वक्ता अमोल राज ने कहा कि मरीजों की सुरक्षा के लिए दवाओं के दुष्प्रभावों की जानकारी देना बेहद जरूरी है। अगर किसी दवा से कोई नुकसान या परेशानी होती है तो उसकी रिपोर्टिंग करना सभी की जिम्मेदारी है। इससे मरीजों की जान बचाई जा सकती है और इलाज की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
मुख्य वक्ता ने बताया कि इस साल राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस सप्ताह 17 से 23 सितम्बर 2025 तक “आपकी सुरक्षा, बस एक क्लिक दूर: पीवीपीआई को रिपोर्ट करें” थीम के तहत मनाया जा रहा है। फार्माकोविजिलेंस का मुख्य उद्देश्य दवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना, खतरनाक दुष्प्रभावों का पता लगाना, जोखिम-लाभ अनुपात का आकलन तथा रोगी सुरक्षा व सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना है। यह दवाओं के सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देता है और नियामकों को दवा संबंधी निर्णय लेने में सहायता करता है, जिससे दवा कम्पनियों और स्वास्थ्य प्रदाताओं का विश्वास बढ़ता है।
राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के प्राचार्य डॉ. हिमांशु चोपड़ा ने सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार माना और कहा कि सेमिनार का उद्देश्य फार्मासिस्टों के लिए दवा सुरक्षा से संबंधित जागरूकता बढ़ाना और फार्माकोविजिलेंस की मूलभूत बातों को समझाना था। उन्होंने बताया कि दवा, इंजेक्शन, सिरप या मलहम लेने के बाद यदि चक्कर आना, शरीर पर दाने निकलना, बार-बार उल्टी होना, बेचैनी या नींद न आना जैसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत प्रतिकूल दवा प्रतिक्रिया (एडीआर) की रिपोर्ट टोल फ्री नम्बर 1800-180-3024 या पीवीपीआई ऐप के माध्यम से कर सकते हैं। इसमें मरीज की गोपनीयता का पूरा ध्यान रखा जाता है। डॉ. चोपड़ा ने बताया कि यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि दवाओं के सम्भावित जोखिमों का पता तुरंत लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस सप्ताह के दौरान राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी द्वारा लोगों को दवाओं के दुष्प्रभाव और उनकी रिपोर्टिंग के महत्व के बारे में जागरूक किया गया।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन विद्यार्थियों के शैक्षिक और व्यावसायिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
चित्र कैप्शनः शिक्षकों तथा छात्र-छात्राओं के दवाओं के दुष्प्रभाव और बचाव की जानकारी देते हुए अमोल राज, नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी नई दिल्ली।

वृंदावन पब्लिक स्कूल ‘हिंदी हिंदू हिंदुस्तान ‘की भावना का संवाहक : पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया

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वृंदावन। हिंदी हमारी मातृभाषा है और यह सदैव से सब हर हिंदुस्तानी के हृदय में निवास करती है इसी भावना को ध्यान में रखते हुए मथुरा मार्ग स्थित वृंदावन पब्लिक स्कूल में हिंदी समर्पण सप्ताह’ कार्यक्रम का समापन हुआ। इसमें हिंदी प्रेमियों द्वारा कविता वाचन, हिंदी ज्ञानवर्धक प्रश्नोत्तरी, वाद -विवाद और नाटक जैसी विभिन्न गतिविधियों में भाग लेकर हिंदी के प्रति अपने भावों को प्रदर्शित किया गया।
कार्यक्रम के शुभारंभ पर पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया ने कहा कि हिंदी का सम्मान अपनी मां के सम्मान जैसा है, यह केवल भाषा ही नहीं बल्कि हमारे हृदय की स्पंदन व प्राण है और वृंदावन पब्लिक स्कूल ‘ ‘हिंदी हिंदू हिंदुस्तान ‘की भावना का संवाहक है।यह संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन में हिंदी भाषा के लिए इस तरह के कार्यक्रम द्वारा निरंतर प्रयासरत हैl विद्यालय के निदेशक शिक्षाविद डाॅ.ओम जी द्वारा मां सरस्वती के चित्रपट पर माल्यार्पण के साथ कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गईl हिन्दी विभाग से प्रियदर्शनी आचार्य ने स्वरचित छंद गाकर समस्त वातावरण को हिंदीमय कर दिया। साथ ही डॉ अनीता चौधरी ने स्वरचित मुक्तक सुनाकर सभी मंत्र मुग्ध कर दिया। मनोज सारथी ने रश्मिरथी के तृतीय शब्द कृष्ण दुर्योधन के संवाद को स्वर प्रदान किया इसके बाद आदित्य शर्मा द्वारा हिंदी को भावांजलि देते हुए ‘कविरा के देश में तुलसी के वेश में स्वर्णिम प्रभात करो रे कोई तो हिंदी की बात करो रे ‘गीत गाकर वर्तमान में हो रही हिंदी की उपेक्षा की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया। योगदत्त शर्मा द्वारा एक सुंदर कविता देशभक्ति के भावों से भरपूर प्रस्तुत दी गई l मीरा के पद गाकर वंदना कौशिक द्वारा जी मैंने राम रतन धन पायो, वातावरण को भक्ति मय कर दिया गया। पूजा तिवारी ने अपनी व्यंगात्मक अभिनय प्रस्तुति से सबको हंसने के लिए विवश कर दिया। पार्वती शर्मा द्वारा संस्कृत गीत गाया तथा मुस्कान और शालू अनुपमा द्वारा भी हिंदी को भावांजलि दी गई।’ हिंदी समर्पण सप्ताह के समापन पर विद्यालय के निदेशक डॉ ओम जी ने कहा कि हिंदी केवल भाषा नहीं बल्कि हमारे भावों की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम हैl इसकी लावण्यता व मधुरता बनाए रखने के लिए हमें अधिक से अधिक हिंदी भाषा का प्रयोग करना चाहिए व इसका सम्मान करना चाहिए और इसे समृद्ध बनाने के लिए हर प्रयास करना चाहिए। संचालन में डॉ अनीता चौधरी, प्रियदर्शनी आचार्य, मनोज सारथी, आदित्य शर्मा, पार्वती शर्मा, मेघा शर्मा, शालू शर्मा, पूजा तिवारी वंदना आदि मौजूद रहे।

चित्र परिचय: संस्कृति विश्विद्यालय में हुई यूसीआई के लिए हुई महत्वपूर्ण साझेदारी के दौरान संस्कृति विश्विद्यालय, अशोका इनोवेटर्स फॉर द पब्लिक और कनेक्टिंग ड्रीम्स फाउंडेशन नई दिल्ली के अधिकारी।

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संस्कृति विवि के विद्यार्थी बनेंगे उद्यम की दुनियां में चेंज मेकर
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय ने अशोका – इनोवेटर्स फॉर द पब्लिक और कनेक्टिंग ड्रीम्स फाउंडेशन (सीडीएफ), नई दिल्ली के साथ साझेदारी में यूनिवर्सिटी चेंजमेकिंग इनिशिएटिव (यूसीआई) की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य छात्रों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी) और सामाजिक उद्यमिता में भविष्य के अनुरूप कौशल प्रदान करना है। यूनिवर्सिटी चेंजमेकिंग इनिशिएटिव के अंतर्गत क्षमता-विकास कार्यशालाएँ, उद्योग विशेषज्ञों का मार्गदर्शन, और नवाचार चुनौतियाँ शामिल होंगी। इसके साथ, संस्कृति विश्वविद्यालय एआई-आधारित नवाचार और सामाजिक प्रभाव को उच्च शिक्षा में समाहित करने में अग्रणी संस्थान के रूप में लगातार नए कदम उठा रहा है।
इस पहल का शुभारंभ विश्वविद्यालय परिसर में सीडीएफ द्वारा आयोजित एक ओरिएंटेशन प्रोग्राम के साथ हुआ, जिसने नवाचारकों, समस्या-समाधानकर्ताओं और सामुदायिक लीडर को तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण यात्रा की शुरुआत की। लॉन्च के दौरान चेंजमेकर लीग प्रस्तुत की गई। यह एक इंटरएक्टिव मंच है जहाँ छात्र टीमें एआई आधारित समाधान तैयार कर वास्तविक सामुदायिक चुनौतियों का सामना करेंगी। आने वाले महीनों में टीमें स्थानीय महत्वपूर्ण मुद्दों की पहचान करेंगी, नवीन परियोजनाएँ विकसित कर उनका परीक्षण करेंगी और अपने परिणाम स्पार्क 2026, राष्ट्रीय सामाजिक परिवर्तन प्लेटफार्म पर प्रस्तुत करेंगी। इस पहल में चेंजमेकर दोस्त नामक एक एआई-संचालित डिजिटल साथी भी शामिल है, जिसे सीडीएफ ने तैयार किया है। यह छात्रों को आत्म-चिंतन, कहानी कहने और सहयोगात्मक समस्या-समाधान में मार्गदर्शन करेगा।
शैक्षणिक शिक्षा को व्यावहारिक सामाजिक नवाचार ढाँचे के साथ जोड़ते हुए, यह कार्यक्रम छात्रों में सहानुभूतिपूर्ण नेतृत्व, उद्यमी सोच और उन्नत तकनीकी कौशल विकसित करने का लक्ष्य रखता है, जिससे वे समावेशी और टिकाऊ समाधान बना सकें।
इस भविष्योन्मुखी योजना के प्रारंभ के अवसर पर संस्कृति विवि के कुलाधिपति डॉ. सचिन गुप्ता, चांसलर, संस्कृति विश्वविद्यालय ने कहा कि यह पहल हमारे छात्रों में नवाचार, नेतृत्व और सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। संस्कृति इंक्युबेशन सेंटर के सीईओ डा.गजेंद्र सिंह ने इस साझेदारी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अशोका और सीडीएफ के साथ सहयोग छात्रों को कक्षा में सीखी बातों को वास्तविक जीवन में लागू करने का उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है।
सीडीएफ के संस्थापक डॉ. अमित टुटेजा ने एआई युग में कौशल विकास की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि आज के युवाओं के लिए चेंजमेकिंग और उद्यमिता अनिवार्य हैं। तकनीक को सहानुभूति के साथ जोड़कर हम ऐसे लीडर तैयार कर सकते हैं जो समाज को ऊपर उठाएँगे। अशोका यंग चेंजमेकर के सह संस्थापक यशवीर सिंह ने कहा कि हर युवा में चेंजमेकर बनने की क्षमता है। इस तरह की पहल छात्रों को रचनात्मक और उद्यमशील जोखिम लेने और बेहतर भविष्य गढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
इस अवसर पर सीडीएफ के कार्यकारी निदेशक प्रेम सागर टुटेजा ने छात्रों के साथ संवाद कर पहल का समर्थन किया।

रामकली देवी सरस्वती विद्या मंदिर ने बिहार को हरा जीती चैंपियन ट्रॉफी

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-36 वीं राष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता में मिला प्रथम स्थान

-विद्यालय की अंडर-14 फुटबॉल टीम ने दिखाया जलवा

वृंदावन। अखिल भारतीय विद्या भारती द्वारा कुरुक्षेत्र में आयोजित 36 वीं राष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता में रामकली देवी सरस्वती विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल केशव धाम वृंदावन विद्यालय की अंडर-14 की फुटबॉल टीम ने पूर्वी उत्तर प्रदेश (बिहार) को 2-0 से हराकर प्रथम स्थान प्राप्त किया। साथ में ही अंडर-14 की चैंपियन ट्रॉफी अपने नाम की।
ये सभी खिलाड़ी दिसंबर में आयोजित होने वाले एसजीएफआई खेलों में भाग लेंगे। केशव धाम के निदेशक ललित जी ने कहा कि हमारे छात्र पढ़ाई के साथ-साथ सर्वांगीण विकास की ओर अग्रसर हैं। उन्होंने सभी खिलाड़ियों को और कोच को बधाई और शुभकामनाएं दी।विद्यालय के प्रबंधक हरिवंश खंडेलवाल ने सभी खिलाड़ियों और उनके कोच योगेश जादौन और सुनील देसवार को बधाई दी और आगामी प्रतियोगिता के लिए खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया तथा उनको शुभकामनाएं दी। विद्यालय के प्रधानाचार्य गणेश दत्त शर्मा ने कहा कि यह शानदार जीत खिलाड़ियों ने मैदान में कड़ा अभ्यास करके प्राप्त की है। विद्यालय आगामी प्रतियोगिताओं के लिए खिलाड़ियों को सुविधा और संसाधन मुहैया कराने की पूर्ण व्यवस्था करेगा।

विज्ञान प्रदर्शनी में आरआईएस के विद्यार्थियों ने दिखाई प्रतिभाविज्ञान और नवाचार पर ज्ञानवर्धक मॉडलों का किया निर्माण

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मथुरा। राजीव इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी में कक्षा 6 से 12 तक के छात्र-छात्राओं ने विज्ञान और नवाचार पर ज्ञानवर्धक मॉडलों का निर्माण कर अपनी प्रतिभा का शानदार उदाहरण पेश किया। विज्ञान प्रदर्शनी में छात्र-छात्राओं ने स्मार्ट ह्वीलचेयर, रिमेंबर मशीन, एंटी सुसाइडल फैन, कार्बन आब्जॉर्बर, फायर अलार्म विद वॉटर, स्प्रिंकलर, स्मार्ट वाटरिंग सिस्टम, अर्थक्वेक डिटेक्टर, रिमोट कंट्रोल कार, टैटू मशीन, हैंडराइटिंग मशीन, प्लास्टिक रीसाइकिलिंग, मस्टर्ड आयल स्पेलर, हाइड्रोपोनिक, एक्वा फार्मिंग, कार्बन डिटेक्टर, फ्लड डिटेक्टर, वेस्ट मैनेजमेंट कंट्रोल जैसे एक से बढ़कर एक मॉडल बनाकर निर्णायकों की वाहवाही लूटी।
विज्ञान प्रदर्शनी का उद्घाटन विद्यालय की प्रधानाचार्या प्रिया मदान ने करते हुए कहा कि आज का युग विज्ञान का युग है। वैज्ञानिक सोच, अभिरुचि, जागरूकता एवं नवाचारों को विकसित करने में विज्ञान प्रदर्शनी का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इससे छात्र-छात्राओं में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण का भी विकास होता है। विज्ञान प्रदर्शनी में छात्र-छात्राओं के कौशल का मूल्यांकन निर्णायक मंडल में शामिल प्राध्यापक अमित तायल जैन चौरासी इंटर कॉलेज मथुरा, डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर, डिस्ट्रिक्ट साइंस क्लब मथुरा तथा डॉ. आलोक भारद्वाज एसोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, जीएलए यूनिवर्सिटी मथुरा ने किया। छात्र-छात्राओं ने निर्णायकों को अपने-अपने मॉडलों की उपयोगिता भी बताई। अंत में निर्णायकों ने कहा कि प्रत्येक मॉडल छात्र-छात्राओं की शानदार कल्पनाशीलता का प्रमाण है। अंत में उन्होंने विज्ञान प्रदर्शनी में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को मेडल एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं के बौद्धिक प्रयासों की सराहना की तथा कहा कि विज्ञान एवं तकनीकी युग में इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों के सर्वांगीण मानसिक विकास के लिए जरूरी हैं। डॉ. अग्रवाल ने प्रदर्शनी में छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किए गए मॉडलों को उनकी कल्पनाशीलता का नायाब उदाहरण बताया। डॉ. अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आपने अपना शत-प्रतिशत ज्ञान और कौशल दिखाया यही सबसे बड़ी उपलब्धि है।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने कहा कि यह प्रदर्शनी छात्र-छात्राओं की बौद्धिक कुशलता तथा कई दिनों की मेहनत का सुफल है। श्री अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं की रचनात्मकता, नवाचार और कड़ी मेहनत की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से छात्र-छात्राओं के रचनात्मक विचारों को प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है तथा उनकी रचनात्मक प्रतिभा का भी मूल्यांकन होता है। श्री अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं को उत्कृष्ट मॉडल तैयार करने तथा विजेता-उपविजेता का पारितोषिक हासिल करने के लिए बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। प्रदर्शनी की इस सफलता में विज्ञान संकाय के शिक्षकों की अहम भूमिका रही।
चित्र कैप्शनः विज्ञान प्रदर्शनी में अपने-अपने मॉडलों की खूबियां बताते हुए छात्र-छात्राएं।

क्षण भर में पित्रों ने चमत्कार कर दिखाया

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 मथुरा। पित्र पक्ष समापन की ओर है। पित्रों के चमत्कार का एक किस्सा जो मेरे साथ घटित हुआ, बताने का मन है। बात लगभग 20-25 वर्ष पुरानीं है। हमारे घर के सामने एक पीपल का पेड़ था। उस पर मैंने मिट्टी का एक पात्र रस्सी से बांधकर लटका रखा था। उसके पीछे मेरा मंतव्य यह था कि पक्षी पानीं पियेंगे और शायद पीपल के वृक्ष पर विराजने वाली पित्र आत्माएं भी अपनी प्यास बुझा लेंगी।
 मैं प्रतिदिन स्नान के बाद मिट्टी के उस बर्तन को धोकर भर दिया करता था। एक दिन क्या हुआ कि बंदर ने उस बर्तन पर झपट्टा मार दिया और पात्र टेढ़ा होकर पानीं फैल गया। सुबह का समय था। उस वक्त मैं बगैर स्नान किए हुए था। मैंने सोचा कि इसे अभी धोकर भर दूं, किंतु क्षण भर में यह विचार भी आया कि बगैर स्नान किए पित्रों के निमित्त जल अर्पित करना उचित नहीं है। उसी क्षण दूसरा विचार आया कि पता नहीं पीपल के इस पेड़ पर पित्र आत्माएं हैं भी या नहीं? और यदि हैं भी तो बगैर स्नान किए हुए ही इस मिट्टी के बर्तन को भर दूंगा तो ही कौन सी आफत आ जाएगी। इसी सुविचार और कुविचार बाजी के मध्य एक शैतानी बात मन में उपजी।
 मैंने मन ही मन सोचा कि चलो मैं आज बगैर स्नान किये ही इस पात्र को भर देता हूं और यदि इस पेड़ पर पित्र आत्माएं निवास करती हैं, तो मुझे अभी इसी क्षण अपनी उपस्थिति और शक्ति का आभास कराकर दिखाएं, तो मैं पित्र आत्माओं का लोहा मान लूंगा। यानी एक प्रकार से मैंने पित्र आत्माओं को चैलेंज कर दिया। इसके बाद मैंने तुरंत उस बर्तन को उतार कर अपने नलकूप पर धोया और आधा सा भरकर रस्सी के फंदे में फंसाया तथा फिर तांबे की लुटिया से लवालव भर दिया। जैसे ही मैंने लगभग एक फुट ऊंचे चबूतरे पर चढ़कर उसे भरा और दो कदम पीछे हटकर जमीन पर पैर रखा, तुरंत मेरी पीठ पर तड़ाक की आवाज के साथ एक जोरदार थप्पड़ जैसा पड़ा। मैं हक्का-बक्का सा रह गया और फिर पीछे मुड़कर देखा तो कोई भी नहीं। किसी के न होने से तो मैं और भी भौंचक्का हो उठा कि यह क्या मामला है कोई है भी नहीं और झापड़ बड़े जोर का, आखिर मामला क्या है? कोई भूत प्रेत तो नहीं जिसने मुझे यह सबक सिखाया है।
 भूत प्रेत की संभावना होते ही मेरे छक्के छूटने लगे और एक प्रकार से मैं हॉपलेस सा हो गया। उसी क्षण मेरी नजर सफेद रंग की एक टाटा सूमो पर पड़ी जो आर्य समाज की ओर से बड़ी तेज रफ्तार से आई और बंगाली घाट के चौराहे की तरफ भाग रही थी। वह टाटा सूमो लगभग श्रीजी गैस सर्विस तक जा पहुंची थी। तब सारा मामला मेरी समझ में आया। दरअसल बात यह थी कि ड्राइवर की सीट के पास बाहर की ओर लगा हुआ शीशा मेरी पीठ पर टकराया था। कल्पना करो कि यदि मैं एक कदम और पीछे हट गया होता तो क्या होता? फिर तो बोनट से टकराते हुए टाटा सूमो के नींचे आकर मरना या अधमरा होना सुनिश्चित था।
 मतलब यह कि पित्र देवों ने क्षण भर में अपना चमत्कार भी दिखा डाला और बाल बांका तक होने नहीं दिया। ये पित्रगण बड़े दयालु और अपने वंशजों की कदम-कदम पर रक्षा करने वाले होते हैं। ऐसे एक नहीं अनेक उदाहरण मैं देख चुका हूं। मेरे ऊपर तो इनकी ऐसी कृपा रही है कि हर संकट में रक्षा करके कवच का काम किया। हम लोगों को इन्हें हमेशा याद रखना चाहिए। आज हम लोग इन्हीं की बदौलत इस धरा पर हैं। यदि हम अपने पित्रों की उपेक्षा करेंगे तो तरह-तरह की मुसीबतें हमारे सामने बनीं रहेंगी।
 हमारे पिताजी कहते थे कि ये पित्र श्रद्धा और भावनाओं के भूखे होते हैं। वे कहते थे कि इनका श्राद्ध यथाशक्ति अवश्य करना चाहिए। किसी सात्विक ब्राह्मण को भोजन कराने के अलावा गऊ ग्रास भी जरूरी होता है। यदि कोई नदी निकट में हो तो उसके निमित्त भोजन का अंश उसमें भी विसर्जित किया जाना चाहिए। इसके अलावा कुत्ता कौवा आदि का भी प्रावधान है। वे कहते थे कि यदि कुछ भी न हो पाए तो उनका ध्यान करके स्वयं भोजन करना चाहिए।
 पिताजी का यह भी कहना था कि यदि यह भी न हो पाए तो दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके उनकी याद में दो आंसू ही टपकाने मात्र से वे प्रसन्न हो जाते हैं। दक्षिण दिशा से उनका मतलब यह था कि पित्र लोक दक्षिण दिशा में माना जाता है।यदि किसी भी तिथि कोई कुछ न करे तो कम से कम अमावस्या वाले दिन तो यथाशक्ति जो कुछ बन पड़े वह तो अवश्य करना ही चाहिए।ओम श्री पित्रेश्वराय नमः।

राजीव एकेडमी के एमबीए छात्र-छात्राओं ने किया इंडस्ट्रियल विजिटपेप्सी प्लांट की कार्यप्रणाली को देखा, जुटाई व्यावहारिक जानकारी

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मथुरा। छात्र-छात्राओं की बौद्धिक क्षमता के विकास में पाठ्य-पुस्तकों का जितना महत्व है उससे कहीं अधिक शैक्षिक भ्रमण का महत्व होता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट, मथुरा के प्रबंधन विभाग द्वारा एमबीए के नवागंतुक छात्र-छात्राओं को बहुराष्ट्रीय कम्पनी पेप्सिको के बॉटलिंग प्लांट वरुण बेवरेजेज लिमिटेड, कोसीकलां के शैक्षिक भ्रमण पर ले जाया गया। इस शैक्षिक भ्रमण में छात्र-छात्राओं ने प्लांट की कार्यप्रणाली को देखने के साथ व्यावहारिक जानकारी हासिल की।
विभागाध्यक्ष प्रबंधन डॉ. विकास जैन ने बताया कि यह शैक्षिक भ्रमण “ए नॉलेज शेयरिंग ट्रिप” शीर्षक के अंतर्गत आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को कॉर्पोरेट दुनिया की व्यावहारिक समझ दिलाना था। इस इंडस्ट्रियल विज़िट के दौरान विद्यार्थियों ने वरुण बेवरेजेज लिमिटेड की कार्यप्रणाली को नजदीक से समझा। वीबीएल पेप्सिको का भारत में प्रमुख फ्रेंचाइज़ी पार्टनर है, जो पेप्सी, सेवन अप, मिरिंडा, माउंटेन ड्यू जैसे पेय उत्पादों का उत्पादन, बॉटलिंग और वितरण करता है। विद्यार्थियों को इस दौरान पेप्सिको के उत्पादों की उत्पादन प्रक्रिया, गुणवत्ता नियंत्रण, मशीनरी संचालन, पैकेजिंग सिस्टम और लॉजिस्टिक्स से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुईं।
पेप्सी प्लांट, वीबीएल अपनी तकनीकी दक्षता और संचालन प्रबंधन के लिए जाना जाता है। यह प्लांट विशेष रूप से पेप्सिको ब्रांड के बॉटलिंग संचालन के लिए स्थापित किया गया है और यहां अत्याधुनिक तकनीकों द्वारा उत्पादन कार्य किया जाता है। छात्र-छात्राओं ने वहां की उत्पादन इकाइयों, स्वचालित बॉटलिंग लाइनों, पानी की शुद्धिकरण प्रक्रिया, बोतलों की सफाई, भरने और सीलिंग की प्रक्रिया को करीब से देखा और समझा। विजिट के दौरान विद्यार्थियों को यह भी बताया गया कि वरुण बेवरेजेज लिमिटेड का कार्य केवल बॉटलिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कम्पनी मार्केटिंग, वितरण नेटवर्क के प्रबंधन और पूरे पेय व्यापार संचालन में भी सक्रिय रूप से कार्य करती है। विद्यार्थियों ने यह भी जाना कि कैसे वीबीएल ने भारत और अन्य देशों में अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार किया है और कैसे इसने हाल के वर्षों में निरंतर वृद्धि और लाभप्रदता हासिल की है।
इस भ्रमण के माध्यम से विद्यार्थियों ने बॉटलिंग इंडस्ट्री में व्यावहारिक ज्ञान अर्जित किया और उन्हें यह अनुभव हुआ कि कैसे एक बड़ी कम्पनी उत्पादन से लेकर वितरण तक के काम को प्रभावी ढंग से संचालित करती है। इस विजिट ने छात्र-छात्राओं के लिए न केवल सैद्धांतिक ज्ञान को व्यवहारिक अनुभव से जोड़ने का कार्य किया बल्कि उन्हंन करियर की सम्भावनाओं को भी समझने में मदद मिली।
संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने अपने संदेश में कहा कि ऐसे औद्योगिक भ्रमण विद्यार्थियों के करियर निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। केवल किताबी ज्ञान से कार्य नहीं चलता, जब तक हम उसे वास्तविक दुनिया के अनुभव से न जोड़ें। वरुण बेवरेजेज जैसे प्रतिष्ठित प्लांट की विजिट से विद्यार्थियों को उत्पादन प्रबंधन, गुणवत्ता नियंत्रण, सप्लाई चेन और कॉर्पोरेट संरचना की वास्तविक समझ प्राप्त होती है, जो उन्हें उद्योग में बेहतर प्रदर्शन के लिए सक्षम बनाती है।
चित्र कैप्शनः बहुराष्ट्रीय कम्पनी पेप्सिको के बॉटलिंग प्लांट वरुण बेवरेजेज लिमिटेड के मुख्य द्वार पर शैक्षिक भ्रमण को गए राजीव एकेडमी के एमबीए विद्यार्थी।

चित्र परिचयः एड-टेक कंपनी लर्निंग रूट द्वारा चयनित संस्कृति विवि के विद्यार्थी कंपनी और संस्कृति विवि के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट के अधिकारियों के साथ

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संस्कृति विवि के विद्यार्थियों का एड-टेक कंपनी लर्निंग रूट में हुआ चयन
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के एमबीए, बीबीए और बीसीए के विद्यार्थियों को प्रसिद्ध एड-टेक कंपनी लर्निंग रूट प्रा.लि. ने अपने यहां अच्छे वेतनमान पर नौकरी के लिए चयनित किया है। कैंपस प्लेसमेंट के दौरान हुए विद्यार्थियों के इस चयन पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने हर्ष व्यक्त करते हुए चयनित विद्यार्थियों को बधाई दी है।
कंपनी से आए धीरज छाबड़ा ने बताया कि “लर्निंग रूट्स” एक भारतीय स्टार्टअप है जिसकी स्थापना 2017 में सूरज मिश्रा और करण सेमटा ने की थी। यह गुरुग्राम में स्थित है और पेशेवर छात्रों के लिए प्रबंधन, प्रौद्योगिकी, और विभिन्न अन्य विषयों में ऑनलाइन डिग्री, डिप्लोमा और प्रमाणपत्र कार्यक्रम प्रदान करती है। यह प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ साझेदारी करके कामकाजी पेशेवरों को आगे बढ़ाने में मदद करती है। लर्निंग रूट्स एक शिक्षण प्लेटफार्म है जो विभिन्न प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों से ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रदान करता है। यह कामकाजी पेशेवरों और छात्रों को उनके करियर में प्रगति करने में मदद करती है। इसका मिशन छात्रों और पेशेवरों को सफल होने के लिए सही शैक्षणिक समाधान प्रदान करना और उनके लक्ष्यों तक पहुँचने में मदद करना है।
संस्कृति ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल के हेड आनंद तिवारी ने बताया कि कंपनी द्वारा विवि के बीबीए, एमबीए और बीसीए के छह विद्यार्थी बीसीए विभाग की शिवानी, जितिन बघेल, बीबीए की समृध्दि त्रिपाठी, निधि सिंह, एमबीए की गुनगुन पचौरी, शिवानी ओझा को बिजनेस डवलपमेंट एक्सिक्यूटिव के पद के लिए चुना गया है। विद्यार्थियों के इस चयन पर हर्ष व्यक्त करते हुए विवि की सीईओ मीनाक्षी शर्मा और कुलपति प्रो.एमबी चेट्टी ने बधाई दी है। साथ ही उनको कंपनी के साथ मन लगाकर काम करने और विवि का नाम रौशन करने की नसीहत भी दी

भावी चिकित्सकों को दी दंत चिकित्सा फोटोग्राफी पर विस्तृत जानकारीडॉ. हसन सरफराज ने छात्र-छात्राओं से साझा किए व्यावहारिक अनुभव

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मथुरा। के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में डिजिटल डेंटल फोटोग्राफी, इम्प्लांट्स में लोडिंग प्रोटोकॉल और डेंटल इम्प्लांट्स में जटिलताओं तथा विफलताओं पर दो दिवसीय निरंतर दंत शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजित की गई। सी.डी.ई. में येनेपोया डेंटल कॉलेज के उप प्राचार्य डॉ. हसन सरफराज ने स्नातक तथा परास्नातक छात्र-छात्राओं को बताया कि दंत चिकित्सा क्षेत्र सूक्ष्म संरचनाओं से बना है, जिन्हें रोगी शिक्षा, अभिलेखों और उपचार के दस्तावेजीकरण, व्याख्यानों का चित्रण, प्रकाशन और जटिल मामलों की वेब कनेक्टिविटी के लिए विस्तृत तरीके से रिकॉर्ड किया जाना जरूरी है।
पियरे फोचार्ड अकादमी, भारत अनुभाग के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय सी.डी.ई. में लगभग 100 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के पहले दिन दंत फोटोग्राफी के मूल सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं को नैदानिक मामले के प्रलेखन के सैद्धांतिक ज्ञान और विभिन्न अंतर-मौखिक और बाह्य दृश्यों को पकड़ने के लिए डीएसएलआर कैमरे के संचालन में व्यावहारिक कौशल से लैस किया गया। डॉ. हसन सरफराज ने भावी दंत चिकित्सकों को बताया कि फोटोग्राफी और दंत चिकित्सा, दांतों और गुहा के अन्य भागों में छिपे और अनदेखे दोषों को उजागर करने का सबसे बेहतर माध्यम है।
डॉ. हसन सरफराज ने बताया कि हर तस्वीर में दंत चिकित्सकों द्वारा कोरियोग्राफ की गई मुस्कान के बिना अभिव्यक्ति की गुणवत्ता का अभाव होता है और डिजिटल सिस्टम के आगमन के कारण किसी विशेष रोगी में पैथोलॉजी के साथ-साथ की जाने वाली प्रक्रिया के बारे में छोटे विवरणों को रिकॉर्ड करना आसान हो गया है। उन्होंने कहा कि उचित निदान के लिए रोगी के डेटा में बार-बार अंतर्दृष्टि की आवश्यकता होती है और यह डिजिटल कैमरों द्वारा ही सम्भव हो पाया है।
डॉ. सरफराज ने बताया कि डिजिटल कैमरों में पारम्परिक फोटोग्राफी की तुलना में कई फायदे हैं। डिजिटल तकनीक ने डेटा संग्रह, शिक्षा और उपचार पहलुओं के प्रति दंत चिकित्सक के दृष्टिकोण को बदल दिया है। इंट्राओरल कैमरे सेकेंडों में विभिन्न कोणों से दांत या मौखिक गुहा में विभिन्न घावों की छवि कैप्चर कर लेते हैं। उन्होंने बताया कि एक अच्छी डिजिटल डेंटल तस्वीर प्राप्त करने के लिए मानकीकरण बहुत महत्वपूर्ण है। निरंतर दंत शिक्षा के दूसरे दिन के सत्रों में प्रत्यारोपण लोडिंग प्रोटोकॉल को शामिल किया गया तथा दंत प्रत्यारोपण से जुड़ी सामान्य जटिलताओं और विफलताओं पर प्रकाश डाला गया।
के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने बताया कि इस सीडीई का उद्देश्य भावी दंत चिकित्सकों को डिजिटल दंत फोटोग्राफी और इसके अनुप्रयोगों के साथ-साथ प्रत्यारोपण विज्ञान में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि की व्यापक समझ प्रदान करना था। कार्यक्रम का समापन प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरण के साथ हुआ। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कार्यक्रम की सराहना की। डॉ. अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि ऐसे आयोजनों से शैक्षणिक संस्थानों के भीतर ज्ञान-साझाकरण और सहयोग की संस्कृति पल्लवित होती है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से छात्र-छात्राओं को दंत चिकित्सा के क्षेत्र में वर्तमान प्रगति के बारे में जागरूक होने तथा अद्यतन रहने का मौका मिलता है। सीडीई की सफलता में डॉ. सिद्धार्थ सिसोदिया, डॉ. अनुज, डॉ. विवेक, डॉ. मनीष, डॉ. राजीव, डॉ. जुही आदि का अहम योगदान रहा। सीडीई में विभागाध्यक्ष डॉ. विनय मोहन, डॉ. सोनल, डॉ. अतुल, डॉ. अजय नागपाल, डॉ. शैलेन्द्र, डॉ. नवप्रीत तथा कॉलेज के प्रशासनिक अधिकारी नीरज छापड़िया आदि उपस्थित रहे।
चित्र कैप्शनः मुख्य वक्ता डॉ. हसन सरफराज और प्रमाण-पत्रों के साथ सीडीई में प्रतिभाग करने वाले भावी दंत चिकित्सक।

परमेश्वरी देवी धानुका विद्यालय ने आर्चरी में चैंपियनशिप पर कब्जा जमाया

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-शिकारपुर में आयोजित हुई पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र की प्रतियोगिता

-ऑल इंडिया ताइक्वांडो चैंपियनशिप में जीते सर्वाधिक पदक

वृंदावन। परमेश्वरी देवी धानुका सरस्वती विद्या मंदिर के छात्रों द्वारा विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र द्वारा शिकारपुर में आयोजित आर्चरी प्रतियोगिता में उत्साहपूर्वक भाग लिया गया।
खेल प्रमुख रविन्द्र सिंह और आर्चरी कोच हरीशंकर ने बताया कि प्रतियोगिता के अंडर-14, अंडर 17 और अंडर-19 वर्ग में विद्यालय के छात्रों ने अंडर-17 और अंडर-19 में प्रथम स्थान प्राप्त करके टीम चैंपियनशिप पर कब्जा जमाया तथा अंडर-14 वर्ग में तीसरे स्थान पर रहे। आर्चरी की प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन करते हुए विद्यालय के छात्र दिव्यांश चौधरी, विजय चौधरी और यदुवंश नारायण ने अपने अपने वजन वर्ग में प्रथम स्थान और हिमांशु सरकार व अभिषेक कुमार ने अपने वजन वर्ग में तृतीय स्थान प्राप्त किया। यह पाँचो खिलाड़ी विद्या भारती द्वारा ही आयोजित अखिल भारतीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगे। इनके अतिरिक्त हर्षित चौधरी, कौशल रावत, वेदांत तिवारी, वैभव शुक्ला, अनुराग मिश्रा, आयुष्मान कौशिक, विराट चौधरी तथा तरुण माहेश्वरी ने भी उल्लेखनीय प्रदर्शन किया।
यूनिक एकैडमी मथुरा द्वारा कान्हा माखन स्कूल मथुरा में आयोजित ऑल इंडिया ताइक्वांडो चैंपियनशिप में उत्साह पूर्वक भाग लेते हुए शानदार प्रदर्शन किया और मेडल टैली में उच्च स्थान प्राप्त करते हुए विद्यालय को गौरवान्वित किया।
विद्यालय के ताइक्वांडो कोच कौशल जोशी ने बताया कि प्रतियोगिता में दसवीं कक्षा के प्रमोद रावत ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया, जबकि दर्श गोयल, कुशल गोस्वामी, आनंद चैधरी और विवेक पांडे ने रजत पदक पर कब्जा जमाया। कक्षा छठी और सातवीं के पंकज पांडे, हरमन चौधरी और पंकज सिसोदिया ने भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। किन्तु अनुभव की कमी के कारण इन्हें ब्रोंज मेडल से संतोष करना पड़ा।
छात्रों के शानदार प्रदर्शन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए विद्यालय के अध्यक्ष पद्मनाभ गोस्वामी, प्रबंधक शिवेन्द्र गौतम, प्रधानाचार्य विपिन शर्मा एवं उप प्रधानाचार्य ओम प्रकाश शर्मा, देवेन्द्र कुमार गौतम, ललित गौतम, अरूण दीक्षित ने सभी खिलाड़ी छात्रों को जीत की बधाई दी।