Sunday, June 1, 2025
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आरआईएस में केक काटकर समर कैम्प का समापनछात्र-छात्राओं ने विभिन्न विधाओं में निखारा कौशलशिविर में जो सीखा उसका निरंतर करें अभ्यास


मथुरा। राजीव इंटरनेशनल स्कूल में एक सप्ताह तक चले ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर का शनिवार को हर्षोल्लास के साथ केक काटकर समापन किया गया। ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि नीरू निदेशक साल्ट एण्ड पेपर कम्पनी ने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि उन्होंने शिविर में अपने प्रशिक्षकों से जो कुछ भी सीखा है, उसका निरंतर अभ्यास करते रहें। यदि हमने ऐसा नहीं किया तो जो कुछ सीखा है, उसे कुछ दिन में ही भूल जाएंगे।
स्कूल की प्रधानाध्यारिका प्रिया मदान ने बताया कि प्रतिवर्ष की भांति इस साल भी छात्र-छात्राओं को किताबी ज्ञान से इतर अन्य विधाओं में भी पारंगत करने के लिए राजीव इंटरनेशनल स्कूल द्वारा एक सप्ताह के ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। सुबह सात से दस बजे तक चलने वाले इस ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर में सभी आयु वर्ग के विद्यार्थियों के लिए विभिन्न विधाओं का प्रशिक्षण विषय विशेषज्ञों द्वारा दिया गया।
प्राइमरी के विद्यार्थियों को जहां एरोबिक्स, ओरिगेमी, ड्राइंग एण्ड कलरिंग, क्राफ्ट, कैलिग्राफी, कर्सिव राइटिंग, स्प्लैश पूल, कुकिंग विदाउट फायर, ताइक्वांडो, स्केटिंग, बैडमिंटन, क्रिकेट, बास्केटबॉल, व्यक्तित्व विकास, पेंटिंग, डांस, म्यूजिक आदि का प्रशिक्षण दिया गया वहीं जूनियर कक्षा के विद्यार्थियों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्यूटी वेलनेस, कोडिंग, डिजिटल सिटीजनशिप, फाइनेंशियल लिटरेसी, डाटा साइंस, हैंडीक्राफ्ट, मास्क मेकिंग, कविता पाठ, हर्बल हेरिटेज आदि का प्रशिक्षण दिया गया। प्रिया मदान ने अपने सम्बोधन में कहा कि ऐसे शिविरों से भावनात्मक बुद्धिमत्ता के साथ-साथ आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता, स्वस्थ जीवनशैली, लीडरशिप और दूसरे कई स्किल्स को बढ़ावा मिलता है।
शिविर के समापन अवसर पर छात्र-छात्राओं ने मनमोहक कार्यक्रम प्रस्तुत कर जहां सभी का मनोरंजन किया वहीं उन्होंने शिविर में जो कुछ भी सीखा उसका प्रदर्शन भी किया। बच्चों ने रैम्प पर जहां कैटवॉक किया वहीं स्वयं द्वारा निर्मित कलाकृतियों की प्रदर्शनी भी लगाई जिसे मुख्य अतिथि नीरू ने खूब सराहा। उन्होंने बच्चों द्वारा निर्मित कलाकृतियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे प्रशिक्षण शिविरों से विद्यार्थियों की रुचि और क्षमता में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि आज के समय में बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान देना ही पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर बच्चों में नई ऊर्जा का संचार करते हैं। ऐसे शिविरों से बच्चों में एकात्म भाव पैदा होता है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर बहुत जरूरी हैं। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि ऐसे शिविरों से बहुत कुछ नया सीखने को मिलता है। ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर बच्चों को नए माहौल में समय बिताने और नई चीजों को सीखने का मौका देते हैं।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने कहा कि सालभर के स्कूली रूटीन में क्लास वर्क, होमवर्क और दूसरी एक्टिविटीज का तनाव तथा मानसिक दबाव का सामना करने वाले बच्चों के लिए ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर बेहद जरूरी हैं। ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर बच्चों को आत्मनिर्भर बनाते हैं। श्री अग्रवाल ने कहा कि शैक्षणिक, एथलेटिक्स, सोशल और क्रिएटिव एक्टिविटीज बच्चों के व्यक्तित्व को निखारती हैं। ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर में बच्चे नई-नई चीजें सीखते तथा हमउम्र साथियों संग सीखे मानवीय भाव सदा के लिए उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाते हैं। कार्यक्रम का संचालन अशिता बंसल एवं उन्नति अग्रवाल ने किया।
चित्र कैप्शनः समर कैम्प के समापन अवसर पर केक काटतीं मुख्य अतिथि नीरू, प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान तथा अन्य चित्रों में कार्यक्रम पेश करते छात्र-छात्राएं।

वृन्दावन बानिक बन्यो लीला देख झूमी माताएं -कृष्ण कुटीर में वृद्ध माताओं के समक्ष रासलीला का अद्भुत मंचन

वृंदावन। महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की ओर से सार्वजनिक शिक्षोन्नयन संस्थान द्वारा वृद्ध माताओं के लिए संचालित कृष्ण कुटीर महिला आश्रय सदन में रासलीला- वृन्दावन बानिक बन्यो का भव्य मंचन गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी वृंदावन की प्रशिक्षु बालिकाओं ने किया। ये अद्भुत प्रस्तुति देख वृद्ध माताएं व अन्य दर्शक मंत्रमुग्ध हो गये।
एक दिव्य और भावविभोर कर देने वाली रासलीला ‘वृन्दावन बानिक बन्यो’ का भव्य मंचन का शुभारंभ महिला एवं बाल कल्याण की उप निदेशक श्रुति शुक्ला, जिला प्रोवेशन अधिकारी विकास कुमार, गीता शोध संस्थान वृंदावन के निदेशक प्रो दिनेश खन्ना व प्रशासनिक अधिकारी शिल्पा मुरगई व गीता शोध संस्थान के कोआर्डिनेटर चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार संयुक्त रूप से किया।
रासलीला की संकल्पना एवं निर्देशन प्रख्यात रंगकर्मी व निदेशक प्रो. दिनेश खन्ना द्वारा की गई। मंच पर अकादमी की प्रशिक्षु बालिकाओं ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं पर आधारित रासलीला ‘वृन्दावन बानिक बन्यो’ में मनोहारी अभिनय एवं नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का हृदय जीत लिया। मंचन करने वालों में मोहिनी कृष्ण दासी, निशा, लवी, जयंती, राधिका, कामिनी पांडे, चांदनी, कामिनी, डोली, दीक्षा, सुमिति, द्रोपदी, विनीता, तनिष्का प्रिया, मोहिनी उपाध्याय, आकांक्षा रोशनी, पारुल, प्राची और जर्मन निवासी चंपकलता रहीं।
लीला के विभिन्न आयामों में ब्रज संस्कृति और नारी शक्ति का सुंदर समावेश दिखाई दिया। तबला संगत सुनील पाठक ने तथा सारंगी पर मनमोहन कौशिक ने अद्भुत संगत दी। वांसुरी संयोजन दीनानाथ ने किया। रास पदों का हारमोनियम पर गायन आकाश शर्मा ने किया।
रितु सिंह ने वस्त्र सज्जा की। लखनऊ के भातखंडे संस्कृति विवि की प्रशिक्षक वैभवी ने प्रशिक्षुओं को कथक सिखाया। रासलीला के संयोजन व कोआर्डिनेटर में चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने संचालन किया।
कृष्ण कुटीर के माधव सभागार में आयोजित रासलीला में बड़ी संख्या में ब्रजवासी, सांस्कृतिक क्षेत्र के गणमान्य लोग, छात्राएँ और विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। रासलीला की अंतर्ध्वनि ने समस्त वातावरण को आध्यात्मिक भावों से सराबोर कर दिया। प्रस्तुति समाप्त होने पर दर्शकों ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।
उप निदेशक श्रुति शुक्ला ने कहा कि रासलीला मंचन ने यह सिद्ध कर दिया कि पारंपरिक ब्रज रासलीला आज भी अपनी मूल आत्मा में जीवंत है और नई पीढ़ी इसे न केवल सीख रही है, बल्कि पूरी गरिमा से मंच पर प्रस्तुत भी कर रही है।
जिला प्रोवेशन अधिकारी विकास कुमार ने गीता शोध संस्थान को धन्यवाद दिया। प्रो दिनेश खन्ना ने गीता शोध संस्थान के प्रशिक्षण व आगामी कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला। मंचन की व्यवस्थायें कोऑर्डिनेटर चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार, प्रशासनिक अधिकारी शिल्पा मुरगई, दीपक शर्मा व रामवीर सिंह आदि ने संभाली।

पिंक मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों के लिए चौमुहां को मिला सम्मानवर्ष 2025 -26 में चौमुहां की महिला श्रमिकों का 49 प्रतिशत रहा कार्य : अभिमन्यु सेठ

चौमुहां। शासन द्वारा दिए गए निर्देश के क्रम में ग्राम्य विकास विभाग द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में जनपद स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन कलेक्ट्रेट सभागार में किया गया । कार्यक्रम में ग्राम्य विकास अंतर्गत मनरेगा,राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा संचालित कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी एवं विभिन्न वीडियो के माध्यम से कराये जा रहे कार्यों को प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम में मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास, स्वयं सहायता समूह के माध्यम से उत्कृष्ट कार्य करने वाली 30 समूह सदस्यों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया । कार्यक्रम में पिंक मनरेगा के अंतर्गत कार्य कर रहे खंड विकास अधिकारी चौमुहां अभिमन्यु सेठ को सम्मानित किया गया। पिंक मनरेगा के अंतर्गत महिला श्रमिक की साइट चलाई गई।ग्राम पंचायत गंगरोली में सिर्फ महिला द्वारा कार्य करते हुए चक रोड कार्य का निर्माण किया गया। पिंक मनरेगा के अंतर्गत महिला श्रमिक के साथ महिला मेट, महिला कुशल श्रमिक में कार्य किया गया। महिला प्रधान वाले परिवार को व्यक्तिगत लाभार्थी कार्य के तहत लाभ दिलाया गया। वित्तीय वर्ष 2025 -26 में विकास खंड चौमुहां का महिला श्रमिक प्रतिशत 49% रहा। कार्यक्रम में विधायक बल्देव पूरन प्रकाश, महापौर विनोद अग्रवाल, सांसद प्रतिनिधि जनार्दन शर्मा, मुख्य विकास अधिकारी मनीष मीना, जिला विकास अधिकारी श्रीमती गरिमा खरे, परियोजना निदेशक डी0आर0डी0ए0 अरुण कुमार उपाध्याय, उपायुक्त मनरेगा विजय कुमार पाण्डेय, जिला मिशन प्रबंधक एन0आर0एल0एम0, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा आदि उपस्थित रहे

सीडीओ ने जल संचयन को लेकर अधिकारियों संग की बैठक

मथुरा। मुख्य विकास अधिकारी महोदय द्वारा कार्यालय कक्ष में जलशक्ति अभियान के दौरान/ वर्षा जलसंचयन के सम्बन्ध मे सम्बंधित जिलास्तरीय अधिकारीगण के साथ बैठक आयोजित की गई।संबंधित विभागध्यक्ष को जलसंरक्षण के कार्यों(मेढबँधी, समतलीकरण, खेत तालाब निर्माण )को पूर्ण कराने,मनरेगा से तालाब खुदाई कराने,रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने एवं जलशक्ति से नारी शक्ति थीम के अंतर्गत जनजागरूकता अभियान चलाने,एवं भुगर्भ जल अधिनियम का उल्लंघन करने वाले उपभोगताओं पर कार्यवाही के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया ।बैठक मै सहायक अभियंता लघु सिंचाई , उपायुक्त मनरेगा, जिला पंचायतराज अधिकारी, एवं ग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट के संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे ।मुख्य विकास अधिकारी द्वारा सभी संबंधित को सभी कार्य समय से पूर्ण करने के निर्देश दिए गए ।उक्त बैठक मै समस्त खंड विकास अधिकारियों द्वारा वीसी के माध्यम से प्रतिभाग किया गया

ये धन कुबेर सांप बनकर लहराते फिरेंगे

 मथुरा। पुराने जमाने में लोग मटकों में भरकर सोना चांदी आदि जमीन में गाढ़ देते थे। कभी-कभी ऐसा भी होता कि वे उनका उपयोग नहीं कर पाते और मर जाते। भले ही वे मर जाते किंतु उनकी आत्मा उन्हीं मटकों के इर्द-गिर्द भटकती रहती। अक्सर ऐसे भी मामले सुनने में आते रहे हैं कि वे सांप बनकर उन मटकों की रखवाली करते हैं। जमाना बदल चुका है। अब मटकों या अन्य बर्तनों में सोने चांदी को जमीन में नहीं गाढ़ा जाता। अब तो बैंकों में रुपए जमा रहते हैं या सोने चांदी को घरों में रखा जाता है। रकम को जमीन जायदाद आदि में खपाया जाता है। व्यापार या ब्याज पर उठाने का भी विकल्प होता है।
 अब मैं सीधे मतलब की बात पर आता हूं। मेरा मानना यह है कि धन दौलत जमीन जायदाद आदि में अत्यधिक आसक्ति वालों को सर्प योनि मिलती है और ये धन पिपासु सांप बनाकर अपने आलीशान घरों, प्रतिष्ठानों या बैंकों के इर्द-गिर्द लहराते फिरते हैं और मन ही मन कहते हैं कि यह हमारी कोठी है, यही हमारा बैंक है जिसमें हमारी अपार राशि जमा है। अपने प्रतिष्ठानों की भी फेरी लगाते रहते हैं। 
 होता क्या है कि जब उनकी औलाद या अन्य परिजन इन्हें देखते हैं तो शोर मचाते हैं कि "सांप आ गया सांप आ गया" और सब लोग चारों तरफ से घेराबंदी करके या तो मार डालते हैं या पड़कर कहीं बहुत दूर जंगल या नदी आदि में पटकवा के देते हैं। इसमें उनकी भी कोई गलती नहीं क्योंकि उन बेचारों को क्या पता कि यह हमारा बाप है, बाबा है या अन्य परिजन है। तब ये धन कुबेर अपना माथा पीटते हैं कि देखो इनके लिए ही तमाम पाप पुण्य करके धन संपत्ति को एकत्र किया और ये ही हमें मार रहे हैं। तब इन्हें अपने कुकर्मों का बोध होता है। ऐसे लोगों की सबसे ज्यादा निकृष्ट कौम वह है जो बेईमानीं यानी तरह-तरह की धोखाधड़ी से धन संचय करके मौज मारते हैं और बाद में मर जाते हैं। जब ईश्वरीय इंसाफ होगा तब उनकी जो दुर्गति होगी उसकी कल्पना की जा सकती है। भगवान हम सभी को ऐसी सद्बुद्धि दें कि "मैं भी भूखा न रहूं और साधु भी भूखा ना जाय" बस इससे ज्यादा मत देना वर्ना हमारी भी मति मारी जाएगी और फिर सांप बनाकर लहराने की नौबत पक्की।

संस्कृति विवि के छात्र ने कराते चैंपियनशिप में जीता गोल्ड


मथुरा. मथुरा में हुई यूपी स्टेट कराते चैंपियनशिप में विभिन्न जिलों से सेंकड़ों खिलाडियों ने भाग लिया. दो दिवसीय राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में मथुरा जिले से 51 खिलाडियों ने प्रतियोगिता में भाग लिया.
प्रतियोगिता में मथुरा जिले के खिलाडियों ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीते. प्रतियोगिता में भाग लेने वाले संस्कृति विश्विद्यालय के छात्र दिव्यम सिंह ने गोल्ड मेडल जीत कर अपने विश्विद्यालय का नाम रौशन किया. बताते चलें कि दिव्यम संस्कृति विश्विद्यालय में संस्कृति स्कूल ऑफ फैशन डिजाइनिंग का छात्र है। दिव्यम के इस शानदार प्रदर्शन पर फैशन डिजाइनिंग की शिक्षिका शिल्पा सहित विवि के सभी शिक्षकों ने हर्ष व्यक्त करते हुए बधाई दी है।

छात्र-छात्राओं को दी नवीनतम दंत चिकित्सा उपचार की जानकारीके.डी. डेंटल कॉलेज में डॉ. शालू महाजन ने साझा किए अनुभव


मथुरा। दंत चिकित्सा उपचार के क्षेत्र में बहुत तेजी से प्रगति हो रही है। तकनीक, उपचार और रोगी देखभाल में सुधार के साथ डिजिटल टूल्स, 3डी प्रिंटिंग तथा एआई के उपयोग ने दंत चिकित्सा उपचार को अधिक सटीक, कुशल और रोगी के लिए आरामदायक कर दिया है, यह बातें के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में मुरादाबाद से आईं जानी-मानी एंडोडोंटिस्ट एवं इंटरनेशनल स्पीकर डॉ. शालू महाजन ने बीडीएस एवं एमडीएस के छात्र-छात्राओं को बताईं।
डॉ. शालू महाजन ने भावी दंत चिकित्सकों को बताया कि मौजूदा समय में दांतों के क्षय को रोकने के लिए सिल्वर नाइट्रेट और फ्लोराइड वार्निश के प्रयोग के साथ तकनीक का उपयोग अधिक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तकनीक का उपयोग न केवल दंत उपचार को बेहतर बनाता है बल्कि समायोजन की बार-बार की आवश्यकता को भी कम करता है। डॉ. महाजन ने बताया कि नियमित दंत चिकित्सा देखभाल में दंत परीक्षण, पेशेवर सफाई, फ्लोराइड अनुप्रयोग और दंत सीलेंट जैसे निवारक उपचार शामिल होते है
डॉ. शालू महाजन ने टॉप 10 मंत्रा ऑफ सक्सेसफुल प्रैक्टिस पर चर्चा करते हुए भावी दंत चिकित्सकों को न केवल उचित व प्रभावशाली प्रैक्टिस के बारे में बताया बल्कि लेटेस्ट तकनीक से इलाज के फायदे पर भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स के साथ रूट कैनाल ट्रीटमेंट की लेटेस्ट तकनीक का महत्व साझा किया और बताया कि यदि वह मिनिमली इनवेसिव तकनीक से आरसीटी करेंगे तो मरीजों को ज़्यादा लम्बे समय तक अपने ही मजबूत दांतों से खाने में मदद मिलेगी और मरीज अपने दांतों को बिना कैप के आसानी से लम्बे समय तक इस्तेमाल कर सकते हैं।
डॉ. शालू ने भावी दंत चिकित्सकों को वाइटल पल्प थेरेपी की जानकारी देते हुए कहा कि इससे बिना दर्द के नसों को बचाते हुए ट्रीटमेंट किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वाइटल पल्प थेरेपी से मरीज को बिना दर्द व कम खर्च में एक ही सिटिंग में अपने दांतों को बचाने का मौका मिलता है। उन्होंने बताया कि दंत चिकित्सक अब रोगी के स्वास्थ्य और उपचार आवश्यकताओं पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। दंत चिकित्सा में मुंह की स्वच्छता, उचित आहार तथा नियमित जांच को तरजीह दी जा रही है। इतना ही नहीं उन्नत दर्द प्रबंधन तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है ताकि रोगी को उपचार के दौरान किसी तरह की कोई परेशानी न हो।
डॉ. महाजन ने कहा कि दंत चिकित्सा के क्षेत्र में हुए ये बदलाव दंत चिकित्सकों को बेहतर उपचार प्रदान करने, रोगियों को अधिक आरामदायक और कुशल सेवा प्रदान करने तथा मौखिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर रहे हैं। कार्यशाला का समापन छात्र-छात्राओं को प्रमाण-पत्र प्रदान कर किया गया। इस अवसर पर के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने एंडोडोंटिस्ट एवं इंटरनेशनल स्पीकर डॉ. शालू महाजन का आभार मानते हुए छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि कार्यशाला में उन्होंने जो कुछ भी सीखा है, उसकी प्रैक्टिस जरूर करें। डॉ. लाहौरी ने कहा कि चिकित्सा उपचार में लगातार प्रैक्टिस का बहुत महत्व है। दो दिवसीय कार्यशाला के संचालन में डॉ. विनय मोहन, डॉ. सोनल, डॉ. अजय नागपाल, डॉ. अतुल, डॉ. शैलेन्द्र, डॉ. नवप्रीत कौर, डॉ. सिद्धार्थ सिसोदिया, डॉ. अनुज गौर, डॉ. मनीष भल्ला, डॉ. जुही, प्रशासनिक अधिकारी नीरज छापड़िया आदि का अहम योगदान रहा।
चित्र कैप्शनः दो दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर इंटरनेशनल स्पीकर डॉ. शालू महाजन के साथ डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी, संकाय सदस्य और छात्र-छात्राएं।

पत्रकारऔरपुलिसदोनोंकीकैटेगरीएक

 मथुरा। पुरानीं कहावत है कि पुलिस वालों की दोस्ती और दुश्मनीं दोनों ही ठीक नहीं। मेरी नजर में यही स्थिति अब पत्रकारों की है। जहां तक हो सके इनसे दूर रहना चाहिए। यह नस्ल अब इतनी बिगड़ चुकी है कि पत्रकार शब्द आते ही लोग भले ही ऊपरी तौर पर सम्मान दें किंतु अंदर ही अंदर घृणा करते हैं।
 औरों की बात तो दूर रही मैं खुद पत्रकार होते हुए भी पत्रकार बिरादरी से नफरत करता हूं। इसका कारण सभी लोग जानते हैं। मेरे निवास पर लगे बोर्ड को देखकर जब कभी कोई बाहरी पत्रकार खुश होकर मुझसे मिलने की इच्छा रखता है तथा हमारे कर्मचारी से कहकर मुझे बुलवाता है और कहता है कि मैं भी फलां जगह का पत्रकार हूं सोचा आपसे मुलाकात कर लूं। मैं भी थोड़ा दिखावटीपन से कहता हूं कि बड़ा अच्छा किया आपने बताइए मेरे लायक क्या सेवा है? किंतु मन ही मन अपना माथा ठोक लेता हूं कि क्या मुसीबत आ गई। इसके बाद अपनी व्यस्तता का हवाला देकर तिड़ी लगाकर ऊपर घर में आ जाता हूं।
 एक छोटा सा उदाहरण भी देता हूं लगभग 25-30 वर्ष पहले मथुरा रिफाइनरी में एक जनसंपर्क अधिकारी थे, अजीत पाठक बाद में वे ट्रांसफर होकर गुजरात रिफाइनरी में चले गए। कुछ दिन बाद उन्होंने मुझे फोन किया कि हमारे एक परिचित पत्रकार हैं वे मथुरा आ रहे हैं, आपसे मिलेंगे यदि इन्हें कोई समस्या हो तो मदद कर देना। मैंने अनमने मन से कह दिया कि ठीक है। उसके एक-दो दिन बाद वे पत्रकार महाशय आए और पहले तो उन्होंने किसी धर्मशाला या होटल में कोई सस्ता सा कमरा दिलवाने का काम बताया, जो मैंने कर दिया। उसके बाद फिर आए और बोले कि खाना पीना बनाने के लिए राशन की दुकान से कंट्रोल रेट पर कैरोसिन दिलवा दो। वह भी मैंने एक परिचित राशन वाले से दिलवा दिया। इसके बाद दो-चार दिन बीतने के बाद फिर आ गए कि वह तो समाप्त हो गया और दिलवा दो। वह भी मुझे दिलवाना पड़ा। मतलब यह की बाजार में कुछ ज्यादा पैसे देकर मिट्टी का तेल खरीदने के, वह जंतु पिस्सू की तरह मेरा खून चूसने आ जाता। चूंकि मेरे अजीत पाठक से मधुर संबंध थे इस वजह से मैंने उसमें झाड़ नहीं लगाई तथा खून का घूंट पीकर रह गया।
 जब हम छोटे-छोटे से थे तब चुनावी दिनों में जनसंघी लोग बच्चों से नारे लगवाते कि  कांग्रेस की क्या पहचान लु. गुं. बे. और यही काम कांग्रेसी जनसंघियों के लिए कराते। बच्चों को मेहनताने में झंडी बिल्ले और एक-एक पैसा या अधन्ना मिल जाता। अधन्ना दो पैसों का होता था। कायदे से देखा जाए तो अब यह पदवी पत्रकारों को मिलनीं चाहिए। सभी को नहीं इक्का दुक्का ईमानदार और सच्ची पत्रकारिता करने वाले भी हैं जैसे मैं।
 मुझ में और अन्य पत्रकारों में फर्क सिर्फ इतना है कि मैं हमेशा एक पैर से खड़ा रहता हूं, जैसे ही मौका मिलता है क्षण भर के लिए दूसरे पैर को जमीन पर टिकाना और काम तमाम होते ही फिर एक पैर वाली पोजीशन में आ जाना। कहने का मतलब है कि काम बड़ी सफाई से होता है यानी आम के आम और गुठलियों के दाम अर्थात हर्द लगे ना फिटकरी रंग चोखा ही चोखा। अंत में राज की बात और बतादूं कि प्याज के छिलकों पर मुसलमान बनना मेरी डिक्शनरी में नहीं। अब बताये कोई कि मुझसे ज्यादा चतुर और शातिर दिमाग इंसान इस पत्रकार बिरादरी में और कोई है क्या?

संस्कृति विवि के विद्यार्थियों का प्रसिद्ध कंपनियों में हुआ चयन

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने हाल ही में अपनी प्रतिभा के दम पर देश और दुनियां की प्रसिद्ध कंपनियों में नौकरियां हासिल की हैं। विवि प्रशासन ने इन सभी विद्यार्थियों के चयन पर हर्ष व्यक्त करते हुए विद्यार्थियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं हैं।
बी टेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हरिओम शर्मा ने कठिन चयन प्रक्रिया में लगातार सफलता हासिल करते हुए ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में उच्च वेतनमान पर नौकरी हासिल की है। इसी प्रकार एमबीए की छात्रा दीपांजलि द्विवेदी का हाइक एजुकेशन एड टेक में उच्च वेतनमान पर चयन हुआ है। बीसीए ऐआई के छात्र नमन चतुर्वेदी को एसैनचर ने उच्च वेतनमान पर अपनी कंपनी के लिए चयनित किया है। एमबीए की छात्रा रिया गुप्ता को पेटीएम ने अपनी कंपनी ने उच्च वेतनमान पर नौकरी दी है।
संस्कृति विश्वविद्यालय की बीबीए की छात्रा रहीं आकांक्षा चतुर्वेदी ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन करते हुए इण्डियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड के मध्यप्रदेश राज्य कार्यालय में जूनियर बिजनेस असिस्टेंट पद हासिल किया है।
विद्यार्थियों की इस शानदार सफलता पर हर्ष व्यक्त करते हुए विश्विद्यालय की सीईओ श्रीमती मीनाक्षी शर्मा ने कहा है कि विवि के विद्यार्थियों की सफलता का श्रेय विद्यार्थियों के माता पिता और विश्विद्यालय के शिक्षकों की उस टीम को जाता है जिसने अपने अथक परिश्रम से विद्यार्थियों को इस योग्य बनाया। ये सभी विद्यार्थी बधाई के पात्र हैं।

1- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करते एमएलसी योगेश नौहवार, साथ हैं उनकी पत्नी चेतना चौधरी।

मुख्यमंत्री योगी से मिले एमएलसी योगेश नौहवार, विकास कार्यों के लिए दिए कई प्रस्ताव नौहझील।

क्षेत्रीय विकास कार्यों को गति देने के लिए विधान परिषद सदस्य योगेश नौहवार ने सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। उन्होंने मांट विधानसभा क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखे। एमएलसी ने अपने गृह जनपद मथुरा में संचालित तमाम जरूरी परियोजनाओं को लेकर बात रखी। उन्होंने बताया कि मांट विधानसभा क्षेत्र के अधिकांश लोग खेती किसानी पर ही निर्भर हैं। ऐसे में यहां कृषि मंडी होना अति आवश्यक है। एमएलसी ने नौहझील ब्लॉक क्षेत्र में नवीन कृषि मंडी बनवाने की मांग भी रखी। सीएम योगी को दिए गए प्रस्तावों में एमएलसी योगेश नौहवार ने मथुरा में यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे आईटी-हब बनाने व मांट विधानसभा क्षेत्र में गांव से गांव को जोड़ने वाली दस बड़ी सड़कों को बनवाने की मांग रखी है। इसके अलावा उन्होंने चार पुलों का निर्माण व दो दर्जन से ज्यादा सड़कों की मरम्मत कराने की मांग रखी है। जिनको जल्दी ही स्वीकृति मिल सकती है। सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के दौरान एमएलसी योगेश नौहवार की पत्नी चेतना चौधरी भी साथ रहीं।

मांट में बनें पांच नई नगर पंचायत: नौहवार
एमएलसी योगेश ने सीएम योगी से मुलाकात के दौरान मांट विधानसभा क्षेत्र में पांच नई नगर पंचायत बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि कस्बा नौहझील, शेरगढ़, सुरीर, मांट व सोनई नगर पंचायत बनने के सभी मानकों को पूरा करतीं हैं लेकिन आज भी ग्राम पंचायत हैं। इनको नगर पंचायत बनाने की मांग एमएलसी ने रखी