Tuesday, September 23, 2025
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सनातन बोर्ड एवं श्रीकृष्ण जन्मभूमि के लिए कनाडा में एकजुट हुए अप्रवासी

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-हनुमान चालीसा का पाठ कर उठायी सनातन बोर्ड की मांग

-सनातन बोर्ड से आसान होगी श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर निर्माण की राह – देवकीनंदन महाराज

-गऊ सेवा, निर्धन बहन-बेटियों के विवाह, शिक्षा, स्वास्थ्य पर खर्च हो मंदिरों का पैसा – देवकीनंदन

वृंदावन। सनातन बोर्ड एवं श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए भारत से बाहर रह रहे अप्रवासी भारतीय भी मांग रहे हैं। कनाडा में कथा कह रहे देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज के साथ हजारों एनआरआई भक्तों ने इसके लिए एकजुटता दिखाई । कथा के पश्चात सभी ने ‘सनातन बोर्ड’ गठन के समर्थन में हनुमान चालीसा का पाठ किया तथा भव्य मंदिर निर्माण की मांग दोहराई । देश में वक्फ बोर्ड की तरह हिंदुओं के लिये ‘सनातन बोर्ड’ की पुरजोर मांग उठाने वाले देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज यूएसए यात्रा में अप्रवासी भारतीयों को एकजुट कर रहे हैं। कनाडा के ब्रहम्टन, टोरंटों में चल रही भागवत कथा के दौरान बड़ी संख्या में अप्रवासी सनातनी एकत्रित हुए। कथा के पश्चात देवकीनंदन महाराज ने श्रोताओं को सनातन बोर्ड के सम्बंध में जानकारी देकर उनका समर्थन मांगा। इस पर सभी ने हाथ उठाकर अपनी सहमति प्रदान की।
देवकीनंदन महाराज ने कहा कि जब मुस्लिम लोगों के धार्मिक हितों के लिये वक्फ बोर्ड हो सकता है तो बहुसंख्यक सनातनियों के लिए सनातन बोर्ड क्यों नहीं बनाया गया है ? मंदिरों में सनातनी दान देते हैं तो उसे सनातनियों के हितों में ही खर्च क्यों नहीं किया जाता ? कहा कि सनातनी मंदिरों पर सरकारी अधिग्रहण नहीं होना चाहिये। मंदिरों का पैसा दीन दुखियों, गऊ सेवा एवं निर्धन बहन-बेटियों के विवाह, शिक्षा, स्वास्थ्य पर खर्च होना चाहिये।
कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर निर्माण शीघ्र होना चाहिये। यदि सनातन बोर्ड बनता है तो इसकी राह आसान हो जायेगी।
इस अवसर पर दिनेश गौतम, युधिष्ठिर सिंह, सुमन कार्के, सुनील पटेल, तेज सिंह, घनश्याम, मुरारी लाल, गोविंद पटेल, अशोक गुप्ता, टेक चंद शर्मा, अल्पेश आदि एनआरआई मौजूद रहे।

“सीएसआईआर-नेट में 69वीं रैंक, जीएलए की अल्यूमना ने किया गौरवान्वित”

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मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा की बायोटेक्नोलॉजी विभाग में बीटेक बायोटेक्नोलॉजी की मेधावी अल्यूमना रिया शर्मा ने प्रतिष्ठित सीएसआईआर नेट जून 2025 परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 69 प्राप्त कर न केवल अपने परिवार, बल्कि जीएलए के जैव प्रौद्योगिकी विभाग और मथुरा जनपद का भी नाम पूरे देश में रोशन किया है।

रिया वर्तमान में नोएडा से एमटेक कर रही हैं। उन्होंने अपनी सफलता की कहानी साझा करते हुए बताया कि नेट देश की सबसे कठिन और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में से एक है। पढ़ाई के साथ इसकी तैयारी करना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन उनका लक्ष्य साफ था कि नेट क्वालीफाई कर किसी प्रतिष्ठित संस्थान से पीएचडी करें। इस लक्ष्य को पाने के लिए उन्होंने अथक परिश्रम किया और कभी हार नहीं मानी।

उन्होंने कहा कि जीएलए विश्वविद्यालय में बीटेक बायोटेक की पढ़ाई के दौरान उनका अनुभव बेहद समृद्ध रहा। यहां का प्रतिस्पर्धी और सहयोगी माहौल, साथ ही संकाय सदस्यों का सतत मार्गदर्शन उनकी उपलब्धियों की नींव बना। यहां के शिक्षक सिर्फ शिक्षक नहीं, बल्कि मार्गदर्शक भी रहे, जिन्होंने हर कदम पर उनका उत्साह बढ़ाया और प्रेरणास्त्रोत रहे।

रिया ने विशेष रूप से विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए अवसरों का उल्लेख किया। चाहे उनकी रुचि के क्षेत्र से संबंधित इंटर्नशिप रही हो या उद्यमशीलता परियोजनाओं पर काम, हर अवसर ने उनके आत्मविश्वास को मजबूत किया और उन्हें भविष्य की नई दिशा दी। उन्होंने कहा कि इन अनुभवों ने न केवल उनके ज्ञान को बढ़ाया बल्कि उनके व्यक्तित्व को भी संवारा और यही अनुभव आज उनकी सफलता की बड़ी वजह बने।

अपनी इस उपलब्धि का श्रेय रिया अपने माता-पिता और विभागीय शिक्षकों को देती हैं। उनका कहना है कि माता-पिता का अटूट समर्थन और जीएलए विश्वविद्यालय के शिक्षकों का सतत मार्गदर्शन ही उनकी सबसे बड़ी ताकत रहे। रिया ने भावुक होते हुए कहा कि यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि यदि मन में लक्ष्य हो और उसे पाने का दृढ़ निश्चय हो तो कड़ी मेहनत, एकाग्रता और सही मार्गदर्शन से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

बायोटेक्नोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने कहा कि रिया की सफलता हमारे विभाग और विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने अपनी लगन, परिश्रम और दृढ़ संकल्प से यह साबित किया है कि जीएलए के विद्यार्थी किसी भी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सकते हैं। उनकी यह उपलब्धि आने वाले विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा बनेगी। विभाग के शिक्षकगण आगे पीएचडी करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।

इंजीनियरिंग छात्र-छात्राएं लें भगवान विश्वकर्मा जी से प्रेरणाजी.एल. बजाज में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हुई मशीनों और यंत्रों की पूजा

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मथुरा। जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में बुधवार को सृष्टि शिल्पी भगवान विश्वकर्मा जी की जयंती वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन-पूजन कर मनाई गई। इस अवसर पर संस्थान की निदेशक प्रो. (डॉ.) नीता अवस्थी ने छात्र-छात्राओं से सृष्टि को नया रूप और नया आकार देने वाले भगवान विश्वकर्मा जी से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन-पूजन आचार्य करपात्री द्विवेदी ने कराया।
जी.एल. बजाज में बुधवार को मनुष्यों और देवताओं में निर्विवाद रूप से सर्वश्रेष्ठ शिल्पी के रूप में प्रतिष्ठित भगवान विश्वकर्मा की जयंती वैदिक एवं पौराणिक मंत्रों की ध्वनि तथा हवनकुण्ड की पवित्र अग्नि में आहुतियों के साथ मनाई गई। इस अवसर पर संस्थान के समस्त इंजीनियरिंग छात्र-छात्राओं, प्राध्यापकों तथा अन्य कर्मचारियों ने भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा-अर्चना कर उन जैसा अभिनव एवं मौलिक शिल्पकार बनने का संकल्प लिया। प्राध्यापकों और छात्र-छात्राओं ने संस्थान में स्थापित सभी मशीनों के साथ-साथ इंजीनियरिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले सभी यंत्रों की भी पूजा की।
निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस तरह सृष्टि शिल्पी भगवान विश्वकर्मा जी ने इस संसार को सुन्दर रूप प्रदान किया, ठीक उसी तरह आप सभी भावी इंजीनियरों को इस देश व समाज को अपने कौशल व कुशलता से एक उत्कृष्ट रूप में ढालने का संकल्प लेना चाहिए। प्रो. अवस्थी ने कहा कि हमारे हर इंजीनियरिंग विद्यार्थी में भगवान विश्वकर्मा की उत्कृष्टता का अक्स झलकता है, जिसे उन्हें हमेशा कायम रखना है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि सृष्टि शिल्पी भगवान विश्वकर्मा जी अपने आपमें बिल्कुल अनूठे हैं, उन्होंने अपने कौशल से पौराणिक काल में देवताओं और मानव को ऐसी नायाब आकृतियां सौंपीं, जिनकी शानदार संरचनाओं को देखकर हम आज भी चकित रह जाते हैं। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा जी ने ही सोने की लंका बनाई, देवताओं के लिए स्वर्ग तथा इंद्र के लिए हड्डियों के औजार बज्र का निर्माण किया। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी भगवान विश्वकर्मा जी के कृतित्व को अपने जीवन में उतार कर राष्ट्र का कल्याण कर सकते हैं।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ. उदयवीर सिंह ने भी भगवान विश्वकर्मा जी के कृतित्व पर प्रकाश डाला। प्राध्यापकों ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि समस्त देवी-देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा जी ने ही किया था, यही कारण है कि उन्हें सृष्टि शिल्पी कहा जाता है। भगवान विश्वकर्मा जी ही इस खूबसूरत दुनिया के अद्वितीय रचनाकार और इंजीनियर हैं। इस अवसर पर सभी ने भगवान विश्वकर्मा जी से बौद्धिक सामर्थ्य प्रदान करने की प्रार्थना की ताकि वे सब अपने-अपने कार्यक्षेत्र में अपने निर्धारित कार्यों का सही ढंग से निर्वहन करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। इस अवसर पर डॉ. वी.के. सिंह, डॉ. भोले सिंह, इंजीनियर संजीव सिंह, इंजीनियर दुष्यंत चौहान, डॉ पुष्पेन्द्र सिंह आदि ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए।
चित्र कैप्शनः सृष्टि शिल्पी भगवान विश्वकर्मा जी की जयंती पर हवन-पूजन करते प्राध्यापक और छात्र-छात्राएं।

जीएलए में मनाई गई सृजन एवं शिल्प के देवता भगवान विश्वकर्मा जयंती

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-वेद मंत्र उच्चारण के मध्य किया गया पूजन अर्चन

-हवन यज्ञ में दी आहुति

वृंदावन। जीएलए विश्वविद्यालय में सृजन एवं शिल्प के देवता भगवान विश्वकर्मा जयंती विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के मध्य हवन-पूजन के साथ संपन्न हुआ।
कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने बताया कि भगवान विश्वकर्मा पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा के मानस पुत्र हैं और उन्हें सृष्टि का प्रथम वास्तुकार माना जाता है। उनकी गणना पंचदेवों में की जाती है और वे दिव्य निर्माणों के अधिपति हैं।
चीफ फाइनेंस ऑफिसर डॉ. विवेक अग्रवाल ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा को कई चमत्कारी और दिव्य निर्माणों के लिए जाना जाता है जैसे स्वर्ग लोक, इंद्रपुरी अमरावती, पुष्पक विमान, द्वारका नगरी, इंद्र का वज्र, शिवजी का त्रिशूल, विष्णु का सुदर्शन चक्र और कुबेर का पुष्पक रथ भी इनके निर्माण माने जाते हैं।
इससे पूर्व वेद मंत्र उच्चारण के मध्य भगवान विश्वकर्मा का पूजन अर्चन किया गया तथा हवन यज्ञ में आहुति दी गई।
इस अवसर पर कुलसचिव अशोक कुमार सिंह सहित जीएलए परिवार के सभी सदस्य श्रद्धा और उत्साहपूर्वक शामिल रहे।

संस्कृति विवि के विद्यार्थियों ने बनारस में किया धमाकेदार फैशन शो

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चित्र परिचयः बनारस के ताज गंगे होटल में दुल्हन के नई डिजाइनिंग वाले परिधानों को रैंप पर प्रस्तुत करते संस्कृति विवि के छात्र छात्राएँ।

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फैशन डिजाइनिंग के विद्यार्थियों ने बनारस के होटल ताज गंगे में हुए लेक्सो शो में अपने शानदार ‘ब्राइडल वीयर’ परिधानों की एक लंबी श्रंखला प्रस्तुत कर फैशन शो में धूम मचा दी।
रंग बिरंगी लाइटों और मधुर संगीत के सुरों पर संस्कृति स्कूल ऑफ फैशन डिजाइनिंग के विद्यार्थियों ने नई सोच और नए कलेवर में दुल्हन के परिधान पहन कर रैंप वॉक कर रहे थे तो सारा वातावरण उनके आत्मविश्वास की झलक पाकर तालियों से गूंज उठा। दर्शकों के लिए यह शो थिरकन भरा था तो व्यवसायियों के लिए व्यापार की नई संभावनाएं देने वाला बना। भारतीय परंपरा और आधुनिकता के सम्मिलन का यह सुंदर प्रयोग था। दुल्हन की पोशाक के रूप में भारतीय साड़ी और लहंगा-चोली में कुशल और अनुभवी मॉडल्स की भांति संस्कृति विश्विद्यालय के छात्र और छात्राएं एक से बढ़कर एक डिजाइनिंग वाले वस्त्रों का प्रदर्शन कर रहे थे और हर प्रदर्शन पर दर्शक तालियां बजाकर उनका उत्साह बढ़ा रहे थे।
दर्शकों की निगाह में यह फैशन शो लाजवाब था इसलिए देर तक चर्चाओं का केंद्र भी बना। संस्कृति स्कूल ऑफ फैशन डिजाइनिंग की शिक्षिका शिल्पा ने बताया कि इस फैशन शो को मूर्त रूप देने वाले हमारे सभी विद्यार्थी द्वितीय वर्ष के 25 छात्र, छात्राएं हैं शामिल थे। लगभग 21 नई डिजाइनिंग के परिधान बच्चों ने प्रस्तुत किए। विद्यार्थियों ने इस फैशन शो को अंजाम देने के लिए कड़ी तैयारी की थी और अब जबरदस्त सफलता पर सभी बहुत खुश हैं।
फैशन शो की सफलता पर विवि के कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता, सीईओ डॉ श्रीमती मीनाक्षी शर्मा, कुलपति प्रोफेसर एमबी चेट्टी ने विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई दी हैं।

क्षेत्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में परमेश्वरी देवी धानुका विद्यालय ने जीते 4 स्वर्ण पदक

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-अंडर 17 और अंडर 19 में चैंपियनशिप पर जमाया कब्जा

-6 सिल्वर और 8 ब्रॉन्ज मैडल भी जीते

वृंदावन। परमेश्वरी देवी धानुका सरस्वती विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल वृंदावन के छात्रों ने विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र द्वारा जय नारायण सरस्वती विद्या मंदिर बरेली में आयोजित क्षेत्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में उत्साह पूर्वक भाग लेते हुए विद्या भारती की प्रतियोगिताओं में अपने शानदार रिकार्ड को बरकरार रखा। टीम ने 4 स्वर्ण, 6 रजत और 8 कांस्य पदक जीत कर जबरदस्त प्रदर्शन किया ।
वहीं अंडर-17 और अंडर-19 की टीम ने चैंपियनशिप पर अधिकार जमाया।
विद्यालय के क्रीड़ा प्रभारी और कुश्ती कोच रविंद्र सिंह ने बताया कि क्षेत्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में तरुण सिंह रावत, विवेक चैधरी, रोहित कुमार तथा अभिषेक शर्मा ने भिन्न-भिन्न भार वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इनके अतिरिक्त अमन सारस्वत अंकित शर्मा, यश कुमार, सिद्धार्थ यादव, नवनीत और अजय ने कुश्ती के उच्च भार वर्गों में द्वितीय स्थान प्राप्त करते हुए रजत पदक पर कब्जा जमाया तथा रोहित चौधरी, मोहित कुमार, अभय चौधरी, ललित किशोर, दीपांशु शर्मा, वरुण और अनंत ने अपने-अपने वर्ग में कांस्य पदक प्राप्त किया।
स्वर्ण पदक विजेता छात्र विद्याभारती की अखिल भारतीय कुश्ती प्रतियोगिता में पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे। छात्रों के शानदार प्रदर्शन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए विद्यालय के अध्यक्ष पद्मनाभ गोस्वामी, प्रबंधक शिवेन्द्र गौतम, प्रधानाचार्य विपिन शर्मा एवं उप प्रधानाचार्य ओम प्रकाश शर्मा, देवेन्द्र कुमार गौतम, ललित गौतम, अरूण दीक्षित ने सभी खिलाड़ी छात्रों को जीत की बधाई दी और भविष्य में और शानदार उपलब्धियां पाने के लिये निरन्तर प्रयासरत रहने का आशीर्वाद दिया।

राजीव इंटरनेशनल स्कूल के होनहार स्केटरों ने बिखेरा जलवालक्ष्य और वंशिका ने गाजियाबाद में जीते तीन स्वर्ण पदकतीसरी ओपन जिला रोलर स्केटिंग चैम्पियनशिप में जमाई धाक

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मथुरा। साउथ एशियन फेडरेशन ऑफ ऑल स्पोर्ट्स से मान्यता प्राप्त रूलर गेम्स आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया द्वारा गाजियाबाद के डीपीएसजी इंटरनेशनल स्कूल डासना में आयोजित तीसरी ओपन जिला रोलर स्केटिंग चैम्पियनशिप में राजीव इंटरनेशनल स्कूल के होनहार स्केटरों लक्ष्य और वंशिका ने तीन स्वर्ण पदक जीतकर अपनी धाक जमाई। प्रतियोगिता में लक्ष्य शर्मा ने गजब का कौशल दिखाते हुए जहां दो स्वर्ण पदक जीते वहीं वंशिका खंडेलवाल ने भी स्वर्णिम सफलता हासिल कर विद्यालय और मथुरा जनपद का गौरव बढ़ाया।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल की प्राचार्या प्रिया मदान ने बताया कि हाल ही में गाजियाबाद में हुई तीसरी ओपन जिला रोलर स्केटिंग चैम्पियनशिप में लक्ष्य और वंशिका ने अपनी प्रतिभा और कौशल से तीन स्वर्ण पदक जीतकर विद्यालय का गौरव बढ़ाया। आयोजकों ने दोनों विजेता विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया।
प्राचार्या प्रिया मदान ने दोनों होनहारों की उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि खेल हो या शिक्षा जो मेहनत करेगा उसे सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने बताया कि यह दोनों बच्चे खेल ही नहीं पढ़ाई-लिखाई में भी अव्वल है। वह बताती हैं कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल में इंडोर तथा आउटडोर खेलों की व्यवस्था है, यही वजह है कि यहां के छात्र-छात्राएं खेलों में भी लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने लक्ष्य और वंशिका की प्रशंसा करते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना की। डॉ. अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि छात्र जीवन में शिक्षा के साथ ही खेलों का भी बहुत महत्व है। खेलों से सिर्फ तन ही नहीं बल्कि मन भी स्वस्थ रहता है। उन्होंने सभी छात्र-छात्राओं को सलाह दी कि उन्हें प्रतिदिन कुछ समय खेलों को देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज खेलों में भी शानदार करियर बनाया जा सकता है।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने होनहार बच्चों लक्ष्य और वंशिका की शानदार सफलता पर खुशी जताते हुए कहा कि आज के समय में खेल के क्षेत्र में भी अपार सम्भावनाएं हैं। खेलों से हम अपना स्वास्थ्य ही नहीं करियर भी संवार सकते हैं। श्री अग्रवाल ने कहा कि खेल हमें अनुशासन के साथ ही सामाजिक सद्भाव भी सिखाते हैं। यही वजह है कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल में शिक्षा के साथ ही खेल गतिविधियों पर भी खूब ध्यान दिया जाता है। यह खुशी की बात है कि यहां के छात्र-छात्राएं खेलों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्केटिंग बहुत धैर्य और संतुलन का खेल है। यह खुशी की बात है कि लक्ष्य और वंशिका ने एक साथ तीन गोल्ड मेडल जीतकर विद्यालय ही नहीं समूचे मथुरा जनपद का गौरव बढ़ाया है।
चित्र कैप्शनः गाजियाबाद में हुई तीसरी ओपन जिला रोलर स्केटिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाले होनहार लक्ष्य और वंशिका।

मातृभाषा हिंदी के प्रति वी पी एस के छात्रों ने जगाई सम्मान की अलख

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वृंदावन। राष्ट्रभाषा हिंदी हमारी संस्कृति की एकता का प्रतीक व गौरव का पर्व है। इन्हीं भावों को छात्रों में स्थानांतरित करने के उद्देश्य से वृंदावन पब्लिक स्कूल में हिंदी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की गई lकार्यक्रम की शुरुआत विद्या की देवी मां सरस्वती के कर-कमलों में श्रद्धा व समर्पण के साथ श्लोक से हुई । शिक्षिका अंजना शर्मा के निर्देशन में हिंदी भाषा को समर्पित गीत हिंदी भाषा राष्ट्र की भाषा, प्रजातंत्र के शास्त्र की भाषा से हुई। जिसने समस्त वातावरण को हिंदी मय कर दिया। कार्यक्रम में कक्षा 6 के छात्र लव द्वारा एक विचार प्रस्तुत किया गया जिसमें हिंदी भाषा का महत्व परिलक्षित हुआ। साथ ही छात्रा परी ने हिंदी की दुर्दशा पर सस्वर कविता वाचन किया।
हिंदी शिक्षिका पार्वती शर्मा के मार्गदर्शन में एक लघु नाटिका का मंचन हुआ जिसका उद्देश्य छात्रों में हिंदी के प्रति प्रेम जगाना था। नाटिका में आल्या, नव्या गौतम शर्मिष्ठा व मोहित तिवारी ने अपने संवाद व अभिनय से सभी को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया। मेघा शर्मा व पार्वती शर्मा के निर्देशन में दोहावली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें छात्रों ने तुलसी, रहीम, कबीर, रैदास आदि भक्ति काल के कवियों के दोहों का सस्वर वाचन कर समस्त वातावरण को भक्तिमय कर दिया। कक्षा 9 से 12 वर्ग में पात्र -अभिनय’ नामक प्रतियोगिता का मंचन किया गया। जिसमें शकुनि व दुर्योधन के रूप में सक्षम वर्मा व घनश्याम मुद्गल, गांधारी व कुंती के रूप में खुशी अग्रवाल व भूमि, कृष्ण व अर्जुन के रूप में सौरभ भारद्वाज व प्रथमेश ने अपनी भाव भंगिमाओं से समस्त पात्रों को मंच पर जीवंत कर दिया। प्रतियोगिताओं में निर्णायक मंडल की भूमिका प्रियदर्शनी आचार्य, डॉक्टर अनीता चौधरी, मनोज सारथी व पार्वती शर्मा ने निभाई। डॉ अनीता चौधरी ने आभार जताया।
इस अवसर पर विद्यालय के निदेशक डॉ ओम जी ने भी अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की तथा प्रधानाचार्य कृति शर्मा ने कहा कि हम चाहे कितनी भी ऊंचाई पर हो पर जडें हमारी जमीन में ही होनी चाहिए। वैसे ही वर्तमान में हम करियर को दृष्टिगत रखते हुए अंग्रेजी शिक्षा में पठन-पाठन कर रहे हैं परंतु हमें हिंदी को भी नहीं भूलना चाहिए। संचालन दिशि गोस्वामी, प्रिया अग्रवाल, आयुष्मान व कृतिका अग्रवाल ने किया।

चित्र परिचयः संस्कृति विवि के मुख्य मैदान में छात्र-छात्राओं के बीच अभिलिप्सा पांडा।चित्र परिचयः संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता गायिका अभिलिप्सा पांडा का शाल ओढ़ाकर सम्मान करते हुए।

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संस्कृति विवि में अभिलिप्सा ने बहाई भक्ति की बहार

मथुरा। कम उमर में ही अपने शिव भक्ति से ओतप्रोत हर हर शंभू…गीत से लोगों के दिलों को झकझोरने वाली आवाज आज संस्कृति विश्वविद्यालय में देर तक गूंजी। पितृ पक्ष की नवमी पर उड़ीसा की अभिलिप्सा पांडा संस्कृति विश्वविद्यालय में मौजूद थीं और विद्यार्थियों पर अपनी ईश्वर प्रदत्त आवाज से जादू बिखेर रहीं थीं। यह उनकी गायकी का ही असर था कि तेज धूप को भुलाकर छात्र-छात्राएं झूम-झूम कर उनके साथ गा रहे थे।
संस्कृति विश्वविद्यालय के मुख्य मैदान पर अभिलिप्सा पांडा के भक्ति से ओतप्रोत गीतों की ये शाम विवि की परंपरा के अनुसार दीप प्रज्ज्वलन से हुई। कार्यक्रम का सारा संचालन विवि के छात्र-छात्राओं के हाथ में ही था। मैदान विद्यार्थियों से भरा हुआ था और विद्यार्थी कभी अभिलिप्सा तो कभी हर-हर शंभू का उद्घोष कर माहौल गर्मी में और गरम कर रहे थे। थोड़ी ही देर में कार्यक्रम की औपचारिकताओं के बाद अभिलिप्सा की खनखती हुई आवाज मंच से अपना जादू बिखेरने लगी।
अभिलिप्सा ने शिव तांडव स्त्तोत्र की कुछ लाइनें सुनाईं और बच्चों से साथ में दोहराने को कहा। ये अभिलिप्सा की आवाज का ही दम था कि बिना वाद्य यत्रों के उनका यह गायन छात्र-छात्राओं को साथ देने के लिए मजबूर कर रहा था। मंजिल केदारनाथ एल्बम का, मेरे भोलेनाथ जी….भोला सबको देता है, तू क्या जल चढ़ाएगा, जैसे भक्ति गीत के द्वारा अभिलिप्सा ने अपनी अनूठी गायकी से विद्यार्थियों में भक्ति की बयार बहा दी। गायत्री मंत्र का पाठ कर अपनी गायकी की सामर्थ्य का परिचय दिया। अभिलिप्सा की गायकी के बीच मंच पर सवाल-जवाब का दौर भी चला जिसमें इस युवा गायकी ने अपने जवाबों से अपनी सोच को भी बताया। हर –हर शंभू, से जुड़े एक सवाल पर अभिलाषा ने कहा कि जब यह भजन बहुत लोकप्रिय हो गया तो मुझे अपनी सफलता से आगे भी ऐसे भजनों को नई जनरेशन के बीच जाने का बल मिला। मेरी सोच थी कि हमारी नई जनरेशन के लिए भजनों को नए संगीत के साथ जाने की जरूरत है। यह एक प्रयोग था और यह प्रयोग इतना सफल होगा, मुझे भी उम्मीद नहीं थी।
एक अन्य सवाल पर अभिलिप्सा ने कहा कि हमारी जनरेशन खिवैया का रोल निभा रही है। हमारी धर्म संस्कृति को यही खिवैया पार लगाएंगे। इसी बीच विद्यार्थियों की मांग पर उन्होंने शिव भक्ति से ओतप्रोत एक और भजन सुनाकर विद्यार्थियों को झूमने पर मजबूर कर दिया। वहीं वर्तमान युवा पीढ़ी के अंदर बढ़ रही निराशा, तनाव और नकारात्मकता के सवाल पर युवा गायिका ने कहा कि जहां के लोग ईश्वर से जुड़े हैं वहां कैसी नकारात्मकता और कैसी निराशा। हमारे युवा जो सांध्य वंदन करते हैं, ईश्वर से मन लगाते हैं उनको ये सब बीमारियां नहीं हो सकतीं।
इस बीच संस्कृति विश्वविद्यालय की शिक्षिका दुर्गेश वाधवा, ज्योति यादव ने अभिलिप्सा पांडा को पटुका ओढ़ाकर और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। छात्र रसिक दुबे ने छात्र-छात्राओं को अभिलिप्सा पांडा का परिचय देते हुए उनका स्वागत किया। मंच पर अभिलिप्सा पांडा से संस्कृति एफएम 91.2 के आरजे जय और संस्कृति प्लेसमेंट सेल की ज्योति यादव ने सवाल-जवाब के सत्र को संपन्न कराया।

डा. सचिन गुप्ता ने किया होनहार और लोकप्रिय गायिका का सम्मान
संस्कृति विश्वविद्यालय आईं बहुत ही कम समय में अपार लोकप्रियता हासिल करने वाली अभिलिप्सा पांडा को संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने शाल ओढ़ाकर और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि इतनी कम उमर में भारतीय संस्कृति को नए कलेवर के साथ अपनी गायकी में ढालने वाली गायिका निश्चित ही भारत ही नहीं भारत के बाहर भी अपना एक विशिष्ठ स्थान स्थापित करेंगी। इस मौके पर अभिलिप्सा ने संस्कृति विवि में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यहां आकर बहुत अच्छा लगा है, यह एक बहुत सुंदर और शांत विद्या का मंदिर है। वो सभी बच्चे बहुत सौभाग्यशाली हैं जो यहां अध्ययन कर रहे हैं।

भारत रत्न डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया युवा पीढ़ी के आदर्शजी.एल. बजाज में छात्र-छात्राओं को बताई अभियंता दिवस की सार्थकता

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मथुरा। आज की युवा पीढ़ी अपनी सोच में बदलाव करके राष्ट्र के विकास और नव-निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दे सकती है। भारत रत्न डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का कृतित्व और व्यक्तित्व युवा पीढ़ी के लिए आज भी आदर्श और प्रेरणा है। यह बातें जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा में अभियंता दिवस पर संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने छात्र-छात्राओं को बताईं। अभियंता दिवस का शुभारम्भ संस्थान के विभागाध्यक्षों द्वारा भारत रत्न डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर किया गया।
प्रो. नीता अवस्थी ने कहा कि आज के युवा अभियंताओं को अपनी सोच को रचनात्मक बनाकर देश को नई दिशा देने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि डॉ. विश्वेश्वरैया एक ऐसे इंजीनियर थे जिन्होंने सिर्फ तकनीकी ज्ञान के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि अपनी दूरदर्शिता से समाज के अन्य क्षेत्रों भी कई प्रतिमान स्थापित किए। उनकी उपलब्धियां आज भी हमें प्रेरित करती हैं तथा याद दिलाती हैं कि एक व्यक्ति कितना कुछ कर सकता है।
कार्यक्रम की समन्वयक इंजीनियर नेहा सिंह (कम्प्यूटर साइंस विभाग) ने छात्र-छात्राओं को अभियंता दिवस की आज के परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिकता बताई। उन्होंने कहा कि डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने भारत के विकास में अहम भूमिका निभाई। उनकी कई उपलब्धियां आज भी देश के विकास के लिए प्रेरणास्रोत हैं। विश्वेश्वरैया को उनके असाधारण योगदान के लिए 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। ब्रिटिश सरकार ने भी उनकी काबिलियत को पहचानते हुए उन्हें नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया था।
कर्नाटक के विकास में उनका योगदान इतना उल्लेखनीय था कि उन्हें कर्नाटक का भगीरथ कहा गया। उन्होंने नदियों को बांधने, सिंचाई योजनाओं को बढ़ाने और देश की कृषि उत्पादकता को मजबूत करने में अग्रणी भूमिका निभाई। उनके द्वारा बनाए गए बांध, पुल और शैक्षणिक संस्थान आज भी उनकी काबिलियत के साक्षी हैं। छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणा-स्रोत कार्यक्रम में संस्थान के विभागाध्यक्षों इंजीनियर संजीव सिंह, विभागाध्यक्ष प्रो. वी.के. सिंह (बीटेक प्रथम वर्ष), विभागाध्यक्ष डॉ. शशी शेखर (प्रबंधन) तथा इंजीनियर ऋचा मिश्रा ने सीख दी कि हर अभियंता को हमेशा कुछ अलग और नया सोचने की कोशिश करनी चाहिए। विचारों के खारिज होने से डरना नहीं चाहिए क्योंकि हर प्रयास आगे बढ़ने की दिशा दिखाता है।
वक्ताओं ने इंजीनियरिंग को हर राष्ट्र की प्रगति की नींव बताया। विभागाध्यक्षों ने कहा कि डॉ. विश्वेश्वरैया का जीवन हमें यह सिखाता है कि एक व्यक्ति अपने संकल्प और दूरदर्शिता से समाज और पूरे देश का भविष्य बदल सकता है। वक्ताओं ने कहा कि डॉ. विश्वेश्वरैया की दृष्टि और समर्पण ने भारत में कई आधुनिक इंजीनियरिंग उपलब्धियों की नींव रखी, जिससे उन्हें भारत में आधुनिक इंजीनियरिंग का जनक खिताब मिला। अंत में विभागाध्यक्ष इंजीनियर संजीव सिंह ने सभी का आभार माना।
चित्र कैप्शनः भारत रत्न डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के छायाचित्र पर मार्ल्यापण के बाद विभागाध्यक्ष तथा छात्र-छात्राएं।