Thursday, October 9, 2025
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संस्कृति विवि में अनेक कार्यक्रमों के साथ मना आयुर्वेद दिवस

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चित्र परिचयः संस्कृति विवि के संतोष मैमोरियल हाल में 10वें आयुर्वेद दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों को संबोधित करते प्रो.डा.सीएसआर प्रभु।
चित्र परिचयः संस्कृति विवि के संतोष मैमोरियल हाल में 10वें आयुर्वेद दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में नाट्य प्रस्तुति करते विद्यार्थी।
चित्र परिचयः संस्कृति विवि के संतोष मैमोरियल हाल में 10वें आयुर्वेद दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में नृत्य प्रस्तुत करतीं संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज की छात्राएँ

मथुरा। संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल द्वारा सात दिवसीय आयोजनों के साथ 10वां आयुर्वेद दिवस मनाया गया। इस दौरान बॉडी पेंटिंग, डिबेट. प्रकृति व्याख्या, पोस्टर मेकिंग कंपटीशन, आयुर्वेद आहार, क्विज, रील मेकिंग, मिनी एक्सपो का आयोजन किया गया। इतना ही नहीं संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल की टीम ने गांव-गांव जाकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए।
10वें आयुर्वेद दिवस पर विवि के संतोष मैमोरियल हाल में मुख्य अतिथि पूर्व चेयरमैन आयुर्वेदिक फार्मोकोपियर कमेटी आयुष मंत्रालय प्रो.डा. विनोद कुमार जोशी द्रव्यगुन के अंतर्गत औषदीय पौधों से तैयार होने वाली औषधियों उनके रोपण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विशिष्ठ अतिथि प्रो. डा. सीएसआर प्रभु ने योग और उसके महत्व के बारे में बताया। इस मौके पर छात्र अभिनव और उनके साथियों ने कालांतर आयुर्वेद पर सशक्त नाट्य प्रस्तुति दी। इसी प्रकार बीएएमएस के प्रथम वर्ष के छात्रों ने आधारणीय वेगों पर प्रभावशाली नाट्य प्रस्तुति दी। छात्रा कीर्ति, छात्र देवांश और अदिति ने मानसिक शांति और स्वास्थ्य पर संभाषणों से विद्यार्थियों को जागरूक किया। छात्रा मुस्कान और उनके साथियों ने राजस्थानी लोकनृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि के दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. मोहनन ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालनन छात्रा अपूर्वा, धर्मिता और खुशी ने किया। आयुर्वेद दिवस को लेकर किए गए सभी कार्यक्रमों के संयोजन में संयोजन डा. एकता कपूर, डा. प्रशांत और डा. सुरभि का विशेष योगदान रहा।
सांस्कृतिक और स्वास्थ्य जागरूकता गतिविधियों के अंतर्गत 10वें आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में विद्यार्थियों द्वारा एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। नाटक का विषय था “आयुर्वेद में वेग और वेगविधारण” , जिसमें छात्रों ने सामान्य जीवनशैली में प्राकृतिक वेगों को न रोकने और अनुचित वेगों को संयमित करने के महत्व को दर्शाया। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से विद्यार्थियों ने बताया कि प्राकृतिक वेगों का दमन (जैसे मल, मूत्र, छींक, खाँसी आदि) शरीर को अनेक रोगों की ओर ले जाता है, जबकि अस्वास्थ्यकर वेगों का पालन (जैसे क्रोध, लोभ, निद्रा, अति भोजन आदि) व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक समस्याओं में फँसा देता है। छात्रों ने रोचक संवादों और अभिनय के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि आयुर्वेद केवल रोगों का उपचार ही नहीं, बल्कि जीवन जीने की सही पद्धति भी सिखाता है। कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के संहिता और सिद्धांत विभाग द्वारा किया गया।
आयुर्वेद दिवस के कार्यक्रमों के उपलक्ष्य में संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में आयुर्वेदिक आहार निर्माण प्रतियोगिता का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम छात्रों में आयुर्वेदिक पोषण, संतुलित आहार और पारंपरिक आयुर्वेदिक आहार पद्धतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन कुलाधिपति डॉ. सचिन गुप्ता जी और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. मीनाक्षी शर्मा जी ने किया।
प्रतियोगिता में प्रस्तुत व्यंजनों का मूल्यांकन प्राचार्य आदरणीय डॉ. एम. मोहनन जी और डीन (होटल प्रबंधन विभाग) आदरणीय रतीश शर्मा जी ने किया। यह आयोजन स्वस्थवृत विभाग द्वारा आयोजित किया गया, जिनके मुख्य आयोजक डॉ. शिप्रा पांडेय, डॉ. अशिम और डॉ. आकांक्षा हीर थे।
शरीर रचना विभाग द्वारा एक अनूठी बॉडी पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य आयुर्वेद और मानव शारीरिक संरचना (एनाटॉमी) के बीच संबंध को उजागर करना था। इस प्रतियोगिता में 20 समूहों ने भाग लिया और अपनी कला के माध्यम से शरीर विज्ञान (एनाटॉमी) और आयुर्वेद के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाया। प्रतियोगिता में शरीर रचना विभाग से डॉ. सुरभि और डॉ. अनिता ने सभी छात्रों को आयुर्वेद और शारीरिक संरचना के महत्व को लोगों तक पहुँचाने के लिए अपने विचार साझा किए।

के.डी. डेंटल कॉलेज के छात्र-छात्राओं को रैगिंग के दुष्परिणाम बताए

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सीनियर, जूनियर के साथ करें भाई-बहन जैसा व्यवहारः डॉ. चुघ
मथुरा। प्रत्येक शैक्षिक संस्थान छात्र-छात्राओं के लिए मंदिर के समान है, लिहाजा उन्हें अपने अध्ययनकाल में इसकी मर्यादा का ख्याल हर पल रखना चाहिए। सीनियर्स अपने जूनियर के साथ छोटे भाई-बहनों की तरह व्यवहार कर अपने शैक्षिक संस्थान में पारिवारिक माहौल बना सकते हैं। किसी छात्र-छात्रा से परिचय प्राप्त करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन यदि उनके साथ मारपीट की जाती है, उन्हें किसी तरह से प्रताड़ित किया जाता है या धार्मिक, शारीरिक, सामाजिक और राजनीतिक टिप्पणी की जाती है तो उसे रैगिंग माना जाएगा। यह बातें शनिवार को के.डी. डेंटल कॉलेज में आयोजित एंटी रैगिंग कार्यशाला में मुख्य अतिथि आईडीए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार चुघ ने छात्र-छात्राओं को बताईं।
डॉ. चुघ ने कहा कि रैगिंग हमारे देश की शिक्षा प्रणाली के लिए अभिशाप है। पिछले कुछ वर्षों में रैगिंग से सैकड़ों छात्र-छात्राओं का करिअर बर्बाद हुआ है। एंटी रैगिंग कार्यशाला में डॉ. चुघ ने सभी यूजी व पीजी छात्र-छात्राओं को बताया कि रैगिंग का अर्थ किसी भी ऐसे कार्य को करना है जो किसी विद्यार्थी को शारीरिक, मानसिक तथा शर्मिंदगी से आहत करने का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि रैगिंग अन्य अपराधों से भिन्न है क्योंकि इसका उद्देश्य केवल विकृत सुख प्राप्त करना है। उन्होंने कहा कि यदि सीनियर्स अपने जूनियर्स के साथ छोटे भाई-बहन सा व्यवहार करें तो यह समस्या पैदा ही नहीं होगी।
डॉ. चुघ ने कहा कि यदि किसी भी विद्यार्थी के साथ रैगिंग होती है तो उसे तुरंत कॉलेज की एंटी रैगिंग समिति को बताना चाहिए तथा रैगिंग समिति का भी यह कर्तव्य है कि वह शिकायत करने वाले छात्र या छात्रा की पहचान को सुरक्षित और गुप्त रखे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विद्याथी सिर्फ पढ़ाई और व्यावहारिक शिक्षा पर फोकस करे। यदि किसी छात्र या छात्रा को सीनियर परेशान करता है तो उसे बिना किसी दबाव के तत्काल शिकायत दर्ज करानी चाहिए। उन्होंने छात्र-छात्राओं को रैगिंग की नई गाइड लाइन पर भी विस्तार से जानकारी दी।
प्राचार्य और डीन डॉ. मनेष लाहौरी ने कहा कि के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल पूरी तरह से रैगिंग मुक्त संस्थान है। यहां रैगिंग करते पाए जाने पर छात्र-छात्रा का प्रवेश निरस्त किए जाने, जुर्माना भरने तथा जेल भेजे जाने का भी प्रावधान है। उन्होंने परिसर को रैगिंग मुक्त रखने के लिए संस्थान स्तर पर किए जाने वाले उपायों की भी जानकारी दी। डॉ. लाहौरी ने कहा कि कॉलेज की एंटी रैगिंग सेल रैगिंग की रोकथाम और निषेध के साथ ही सभी छात्र-छात्राओं के स्वस्थ मानसिक विकास के लिए एक अच्छा माहौल प्रदान करने को प्रतिबद्ध है। डॉ. लाहौरी ने कहा कि हमारा वही उद्देश्य है जो रैगिंग को खत्म करने के लिए एआईसीटीई का है। एंटी रैगिंग सेल का आदर्श वाक्य है ‘टुगेदर, वी फील एट होम’। डॉ. लाहौरी ने कहा कि के.डी. डेंटल कॉलेज में सभी प्रवेशित छात्र-छात्राओं और उनके माता-पिता के लिए रैगिंग विरोधी हलफनामा भरना अनिवार्य है।
कार्यशाला के अंत में सीडीई कमेटी के सदस्यों डॉ. विवेक, डॉ. अनुज, डॉ. जुही, डॉ. मनीष और डॉ. राजीव द्वारा सीनियर्स छात्र-छात्राओं से रैगिंग न करने का संकल्प-पत्र भरवाया गया, साथ ही बीडीएस प्रथम वर्ष के सभी छात्र-छात्राओं को बुकलेट दी गईं, जिनमें क्या है रैगिंग, शिकायत के लिए टोल फ्री नम्बर और कॉलेज की आंतरिक कमेटियों के नम्बर तथा वेबसाइट दर्ज हैं। कार्यशाला में डॉ. उमेश चंद्र, डॉ. अजय नागपाल, डॉ. नवप्रीत, डॉ. शैलेंद्र चौहान, डॉ. विनय मोहन, डॉ. सोनल, डॉ. अतुल, डॉ. हस्ती, प्रशासनिक अधिकारी नीरज छापड़िया सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। अंत में प्राचार्य डॉ. लाहौरी ने अतिथि वक्ता डॉ. राजीव कुमार चुघ को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना।
चित्र कैप्शनः के.डी. डेंटल कॉलेज में आयोजित एंटी रैगिंग कार्यशाला में उपस्थित अतिथि वक्ता तथा छात्र-छात्राएं। दूसरे चित्र में मुख्य अतिथि आईडीए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार चुघ को पुष्प गुच्छ भेंट करते हुए प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी।

जैंत थाने में 29 सितंबर को होगी 17 वाहनों की नीलामी

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चौमुहां। जैंत थाने में 29 सितंबर को एक नीलामी का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न कानूनी मामलों के तहत जब्त किए गए 17 वाहन बेचे जाएंगे। यह नीलामी प्रक्रिया सुबह 10 बजे थाना परिसर में शुरू होगी, जहां इच्छुक खरीददार बोली लगाकर इन वाहनों को खरीद सकते हैं। थाना प्रभारी जैंत उमेश चंद्र त्रिपाठी ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए एक विशेष समिति का गठन किया गया है। यह समिति नीलामी की पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेगी ताकि पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।
ये वाहन लंबे समय से थाने में खड़े थे और अब कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन्हें सरकारी नियमों के अनुसार नीलाम किया जा रहा है। नीलामी से प्राप्त राशि को सरकारी खजाने में जमा किया जाएगा। जो भी लोग इन वाहनों को खरीदना चाहते हैं, वे 29 सितंबर को सुबह 10 बजे जैंत थाना परिसर में पहुंच कर नीलामी में भाग ले सकते हैं।

राजीव एकेडमी के छात्र-छात्राओं को बताई एआई युग की नई परिभाषालीडरशिप समिट-2025 में विशेषज्ञों ने साझा किए अपने अनुभव

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मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट, मथुरा में आयोजित “लीडरशिप समिट-2025” में देश के शीर्ष कॉर्पोरेट और अकादमिक जगत के विशेषज्ञों ने एमबीए छात्र-छात्राओं को बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) अब मात्र तकनीक नहीं बल्कि एक ऐसा युग है जिसने निर्णय लेने, प्रबंधन और नेतृत्व के मूल ढाँचे को पूरी तरह से बदल दिया है।
लीडरशिप समिट-2025 के मुख्य वक्ता राजीव रंजन मिश्रा (वीपी-एचआर, टाटा एंटरप्राइजेज, टाटा स्टील), प्रो. संजीव सरीन (अकादमिक लीडर, इंडस्ट्री स्ट्रैटेजिस्ट एवं लेखक), डॉ. विक्रम शर्मा (एसोसिएट डीन, आईबीएस, गुरुग्राम) और रिसोर्स पर्सन रसना बैजल (फाउंडर, नाविरा) ने छात्र-छात्राओं को एआई-प्रधान भविष्य में नेतृत्व की बदलती परिभाषाओं पर विस्तार से जानकारी दी। राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि “नेतृत्व अब केवल आदेश देने या संसाधन प्रबंधन तक सीमित नहीं है बल्कि यह डेटा-ड्रिवेन इनसाइट्स और मानवीय संवेदनशीलता के बीच सही संतुलन बनाने का नाम है। आने वाले समय में वही लोग सफल होंगे, जो एआई का उपयोग कर अधिक मानवीय और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाएंगे।”
प्रो. संजीव सरीन ने एआई को स्टार्टअप्स और इनोवेशन का गेम-चेंजर बताते हुए कहा कि यह केवल प्रोडक्टिविटी बढ़ाने का साधन नहीं बल्कि निर्णय लेने की कला को भी निखार रहा है। उन्होंने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि वे केवल नौकरी की तैयारी तक सीमित न रहें बल्कि नेतृत्व मानसिकता विकसित करें और खुद को भविष्य का चेंजमेकर बनाएं। डॉ. विक्रम शर्मा ने कहा कि चाहे वित्त, मार्केटिंग, ह्यूमन रिसोर्स या रणनीति हो, एआई का प्रभाव हर क्षेत्र में गहराई से दिखाई दे रहा है। इंडस्ट्री और अकादमिक जगत का सहयोग अब पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है। सही समय पर तकनीक का समुचित उपयोग किसी भी संगठन को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकता है।
रिसोर्स पर्सन रसना बैजल ने अपने उद्यमिता सफर को साझा करते हुए बताया कि “स्टार्टअप्स के लिए एआई किसी बूस्टर की तरह है। यह सीमित संसाधनों के बावजूद प्रभावी निर्णय लेने और तेज़ी से आगे बढ़ने की क्षमता देता है।” उन्होंने विशेष रूप से महिला नेतृत्व और स्टार्टअप इकोसिस्टम में एआई की भूमिका को रेखांकित किया। इस समिट ने छात्र-छात्राओं को केवल एआई ट्रेंड्स की समझ ही नहीं दी, बल्कि उन्हें यह भी सिखाया कि एक सशक्त लीडर बनने के लिए किन गुणों की आवश्यकता है। वक्ताओं ने अनुकूलनशीलता, सहानुभूति, टीमवर्क, रणनीतिक दृष्टिकोण और समस्या समाधान को कॉर्पोरेट सफलता की बुनियाद बताया। छात्र-छात्राओं ने इस समिट से एआई आधारित निर्णय-प्रक्रियाओं, इंडस्ट्री की चुनौतियों और स्टार्टअप अवसरों के बारे में गहन ज्ञान प्राप्त किया। साथ ही उनमें आत्मविश्वास, स्पष्ट करियर विजन और नेतृत्व की वास्तविक समझ भी विकसित हुई।
राजीव एकेडमी के एमबीए विभागाध्यक्ष डॉ. विकास जैन ने कहा कि “यह समिट हमारे विद्यार्थियों के लिए मील का पत्थर साबित हुई है। इसने उन्हें न केवल एआई और नेतृत्व के बीच गहरे संबंधों को समझाया बल्कि व्यावहारिक दृष्टिकोण भी प्रदान किया। आने वाले समय में सफलता के लिए तकनीकी दक्षता और मानवीय नेतृत्व का संतुलन बेहद महत्वपूर्ण होगा।”
आर.के. एजुकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल और निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने इस आयोजन को ऐतिहासिक करार दिया। डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि “राजीव एकेडमी का यह प्रयास शिक्षा और उद्योग के बीच गहरे सेतु का निर्माण करता है। यहां शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उद्योग के वास्तविक अनुभवों से जुड़कर विद्यार्थियों को भविष्य के लिए तैयार करती है।”
राजीव एकेडमी के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने सभी वक्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि लीडरशिप समिट-2025 ने हमारे विद्यार्थियों के लिए एक नया दृष्टिकोण तैयार किया है। यह आयोजन स्पष्ट करता है कि राजीव एकेडमी केवल शिक्षा प्रदान करने वाला संस्थान नहीं बल्कि भविष्य के नेताओं को गढ़ने का केन्द्र है। आने वाले समय में संस्थान और भी ऐसे आयोजन करेगा ताकि विद्यार्थी कॉर्पोरेट और स्टार्टअप दुनिया की चुनौतियों का आत्मविश्वास से सामना कर सकें। उन्होंने कहा कि राजीव एकेडमी ने एक बार फिर सिद्ध किया कि वह अपने विद्यार्थियों को सिर्फ शिक्षा नहीं बल्कि “भविष्य गढ़ने की कला” भी सिखाता है।
चित्र कैप्शनः लीडरशिप समिट-2025 में राजीव एकेडमी आए देश के शीर्ष कॉर्पोरेट और अकादमिक जगत के विशेषज्ञ।

जो सवाल मैंने शंकर दयाल शर्मा से किया था वही द्रौपदी मुर्मू से

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 मथुरा। बात उस समय की है जब हरि कृष्ण पालीवाल जिलाधिकारी, हरिश्चंद्र सिंह पुलिस अधीक्षक तथा रविकांत गर्ग मंत्री थे। यह पूरा घटनाक्रम इन तीनों के सामने का है। उस समय डॉ. शंकर दयाल शर्मा उपराष्ट्रपति थे। वे सपत्नीक मथुरा आए तथा कुछ देर के लिए एम.ई.एस. के डाक बंगले में विश्राम किया और उसके बाद उन्हें फिर वृंदावन जाना था। कुछ पत्रकार एम.ई.एस. के डाक बंगले पर पहुंच गए, जिनमें मैं स्वयं भी था। मध्यान का समय था शंकर दयाल जी आराम के बाद एकदम फ्रेश होकर प्रसन्नचित स्थिति में पत्रकारों से रूबरू हुए। मैंने उनसे पूंछा कि शर्मा जी आपका मथुरा आना कैसे हुआ? इस पर उन्होंने कहा कि मैं तो आगरा आया था सोचा कि आगरा तक तो आया हूं अतः मथुरा भी होता चलूं। दर्शन वगैरा हो जाएंगे वैसे कोई खास प्रयोजन तो था नहीं।
 मैंने उनसे कहा कि आपका तो बिना किसी प्रयोजन सिर्फ घूमने फिरने के लिए आना हुआ और जनता को कितनी परेशानी हो रही है। इसका अंदाजा है आपको? तीन दिन से तमाम रास्तों को बंद करके फ्लीड की रिहर्सल हो रही है। हजारों लोगों की परेशानी के अलावा पूरे प्रशासन की ताकत इस प्रोटोकॉल के चक्कर में लगी हुई है। क्या यह उचित है? ऐसी स्थिति में आप क्या सोचते हैं? मेरा इतना कहना हुआ कि शंकर दयाल जी ने अपना माथा ठोकते हुए कहा कि मैंने यहां आकर बहुत बड़ा गुनाह कर दिया। अब मैं मथुरा कभी नहीं आऊंगा। उनके तेवरों से जिलाधिकारी हरिकृष्ण पालीवाल के चेहरे की हवाइयां उड़ने लगी और पुलिस अधीक्षक हरिश्चंद्र सिंह जो मजाकिया स्वभाव के थे, मुंह पर हाथ रखकर अपनी हंसी को दबाने का प्रयास करने लगे तथा रविकांत गर्ग भी एकदम किकर्तव्य मूढ स्थिति में पहुंच गए। रविकांत जी शंकर दयाल जी के साथ आगरा से मथुरा हेलीकॉप्टर में ही आए थे।
 शंकर दयाल जी का मूड एकदम ऑफ हो गया और वे वृंदावन जाने के लिए उठ खड़े हुए। इसके बाद एक गाड़ी में शंकर दयाल जी और रविकांत जी बैठे तथा दूसरी गाड़ी में शंकर दयाल जी की धर्मपत्नी श्रीमती विमला शर्मा व रविकांत जी की धर्मपत्नी श्रीमती मीरा गर्ग बैठीं और वृंदावन के लिए उनका काफिला निकल गया। पूरे रास्ते भर शंकर दयाल जी ने रविकांत जी से बस यही चर्चा की कि मैंने बहुत बड़ा गुनाह कर दिया मथुरा आकर अब कभी नहीं आऊंगा। यह बात मुझे बाद में रविकांत जी ने बताई।
 इस घटना के कुछ माह बाद शंकर दयाल जी राष्ट्रपति बन गए। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद गिर्राज जी मंदिर के पुरोहित जो शंकर दयाल जी से परिचित थे, गिर्राज जी की प्रसादी आदि लेकर शंकर दयाल जी के पास राष्ट्रपति भवन गए और गिर्राज जी आने का निमंत्रण दिया। शंकर दयाल जी ने फिर वही प्रसंग छेड़ दिया और कहा कि मथुरा में एक पत्रकार ने मुझसे इस प्रकार की बात कह दी जिससे मेरा मन बहुत दुःखी है। अब तो मेरा मथुरा आने का कतई मन नहीं है।
 यह बात मुझे यौं पता चली कि गिर्राज जी के पुरोहित का पुत्र व हमारे बड़े भाई सीताराम जी वृंदावन स्थित स्टेट बैंक में साथ-साथ कार्यरत थे। भाई साहब के सहकर्मी ने यह पूरा वृतांत बैंक में सभी को सुनाया। शंकर दयाल जी बहुत भावुक, धार्मिक और संवेदनशील व्यक्ति थे उन्हें मेरी बात जो प्रोटोकॉल के विपरीत थी, का अखरना स्वाभाविक था। किंतु सवाल यह है कि ये वी.वी.आई.पी. व्यवस्था और प्रोटोकॉल जनता को सताने के लिए ही हैं क्या?
 अब राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू पधार रही हैं। प्रदेश के आला अफसर यहां डेरा डाले हुए हैं। जिला प्रशासन की पूरी शक्ति झोंक दी गई है। केंद्र और सेना के उच्चाधिकारी भी यहां आकर मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सारे राजकाज बंद हैं। जनता त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही है। मथुरा वृंदावन को नो फ्लाइंग जोन घोषित कर दिया गया है न कोई जहाज उड़ेगा यहां के आसमान से न ड्रोन। और तो और गुब्बारे या पतंग उड़ाना भी जुर्म है। जबकि वे स्पेशल रेलगाड़ी से मथुरा आ रही हैं हेलीकॉप्टर से नहीं। क्या अजीब तमाशा है? ऐसा लगता है कि इनका बस चले तो नो फ्लाइंग जोन पक्षियों पर भी लागू कर दें और जो भी पक्षी आसमान में उड़ता दिखाई दे उसे गोली मारने के आदेश हों। न तो मुझे शंकर दयाल जी से कोई विरोध और न ही द्रौपदी मुर्मू से कोई शिकायत किंतु यह जो व्यवस्था है वह सामंती जमाने के अन्याय और अत्याचारों की सीमाओं को भी लांघ रही है। यह सब देखकर तो मेरे तन बदन में आग सी लग जाती है। मेरा मानना है कि यह वी.वी.आई.पी. कल्चर हमारे देश का सबसे बड़ा दुश्मन है। हे भगवान इससे कब मुक्ति मिलेगी?

कुराश की ऑलओवर चैम्पियनशिप पर परमेश्वरी देवी धानुका विद्यालय का कब्जा

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-37वीं क्षेत्रीय जूडो एवं कुराश प्रतियोगिता में खिलाड़ियों ने दिखाया दम

-विद्यालय के छात्रों ने जीते 22 स्वर्ण, 12 रजत और एक कांस्य पदक

वृंदावन। परमेश्वरी देवी धानुका सरस्वती विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल के छात्रों ने विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा सरस्वती विद्या मन्दिर, शामली में आयोजित 37वीं क्षेत्रीय जूडो एवं कुराश प्रतियोगिता में उत्साह पूर्वक भाग लेते हुए कुराश की ऑल ओवर चैम्पियनशिप पर विद्यालय ने कब्जा किया। इस प्रतियोगिता में कुल 36 खिलाड़ियों ने प्रतिभागिता करते हुए 22 स्वर्ण, 12 रजत और एक कांस्य पदक प्राप्त किए।
विद्यालय के क्रीड़ा प्रमुख रविन्द्र सिंह ने बताया कि जूडो के अंडर-14 वर्ग में विपिन, प्रशांत पाण्डेय और शिवराज ने, अंडर-17 वर्ग में यशवर्धन और अंडर-19 वर्ग में आर्यन ने प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक प्राप्त किया। जूडो में ही विभिन्न भार वर्गों में मोहित, आयुष, त्रिलोकीनाथ गौतम, कृष्णा गौतम, सुदेश, वरुण और ईशांत ने द्वितीय तथा गौरव ने तृतीय स्थान प्राप्त कर रजत एवं कांस्य पदक प्राप्त किए।
कुराश के अंडर-14 वर्ग में कृष्णा उपाध्याय, विवेक, तनुज, लक्ष्मण, देवराज, सचिन शर्मा तथा चेतन चौधरी ने प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक हासिल किए एवं इसी आयु वर्ग में लक्ष्मीकांत ने द्वितीय स्थान प्राप्त कर रजत पदक हासिल किया। कुराश के ही अंडर-17 वर्ग में कुश पांडे, विजय सिंह, नरेंद्र, अनुज, अवधेश तथा पुनीत ने प्रथम स्थान और हेमंत ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। कुराश के अंडर-19 वर्ग में प्रांशु माहेश्वरी, ऋषभ, विनीत और सचिन सिंह राजावत ने प्रथम स्थान और अभिमन्यु व आदर्श ने द्वितीय स्थान पर रहकर स्वर्ण व रजत पदक प्राप्त किए।
जूडो के अंडर-14 वर्ग में प्रथम चैंपियनशिप और अंडर-19 वर्ग में द्वितीय चैंपियनशिप प्राप्त की तथा कुराश के तीनों आयु वर्गों में प्रथम चैंपियनशिप प्राप्त की साथ ही कुराश की ऑल ओवर चैंपियनशिप पर विद्यालय ने कब्जा जमाया। इस प्रकार 22 स्वर्ण, 12 रजत और एक कांस्य पदक सहित कुल 35 पदक प्राप्त करके विद्यालय को गौरवान्वित किया।
प्रभारी रविन्द्र सिंह ने बताया कि प्रथम स्थान प्राप्त कर्ता खिलाड़ी 23 अक्टूबर को भोपाल में आयोजित अखिल भारतीय कुराश एवं जूडो प्रतियोगिताओं में पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे।
छात्रों के शानदार प्रदर्शन पर विद्यालय प्रबंधन की ओर से अध्यक्ष पद्मनाभ गोस्वामी, प्रबंधक शिवेन्द्र गौतम, कोषाध्यक्ष अशोक अग्रवाल, प्रधानाचार्य विपिन कुमार शर्मा, उप प्रधानाचार्य ओमप्रकाश शर्मा, लखन कुंतल, देवेन्द्र कुमार गौतम, ललित गौतम, अरूण दीक्षित, आभास अग्रवाल, महावीर सिंह आदि ने खिलाड़ियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीर्वाद प्रदान किया।

रामकली देवी सरस्वती विद्या मंदिर के बच्चों ने दिखाई प्रतिभा

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फुटबॉल टीम और प्रांतीय एथलेटिक्स में किया शानदार प्रदर्शन

वृंदावन। रामकली देवी सरस्वती विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल केशव धाम के छात्रों ने अखिल भारतीय विद्या भारती द्वारा आयोजित अंडर 14 में विजयी फुटबॉल टीम और प्रांतीय एथलेटिक्स में शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों का विद्यालय में सम्मान और पुरस्कृत किया गया। केशव धाम के मंत्री सतीश अग्रवाल ने कहा कि विद्यालय के लिए यह गौरव का दिन है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है हम बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं। केशव धाम के निदेशक ललित ने सभी खिलाड़ियों और उनके कोच योगेश जादौन और सुनील देसवार को बधाई और शुभकामनाएं दीं । कोच योगेश ने बताया कि अंडर -14 फुटबॉल टीम के विजयी सभी खिलाड़ी दिसंबर में एसजीएफआई खेलों में भाग लेंगे। प्रधानाचार्य गणेश दत्त शर्मा ने कहा कि शानदार प्रदर्शन से अभीभूत हैं इसके पीछे सभी खिलाड़ियों की अथक मेहनत है।
इस अवसर पर विद्यालय के सह-प्रबंधक महेश किलानोत, विजय राघव, धीरज बंसल, शैलेंद्र शर्मा, अरुण उपाध्याय, राजू सिंह सुनील शर्मा ,रवि सिसोदिया ,ललित कुमार ,श्रीकांत शर्मा, शशांक शर्मा ,विनोद सिंह, कृष्ण मुरारी, प्रेम किशोर, अर्चना तिवारी शशिबाला आदि मौजूद रहे। संचालन राममोहन शुक्ल ने किया।

संस्कृति विवि में वक्ताओं ने छात्रों को बताए विधि क्षेत्र में नौकरी के मौके

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चित्र परिचयः संस्कृति विवि में आयोजित “कैरियर ऑपर्च्युनिटीज़ इन लॉ” कार्यशाला में बोलते मुख्य वक्ता।
मथुरा। सांस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज़ द्वारा “कैरियर ऑपर्च्युनिटीज़ इन लॉ” विषय को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में वक्ताओं ने विद्यार्थियों को विधि के क्षेत्र में कैरियर के अवसरों के बारे में बहुत मूल्यवान जानकारियां उपलब्ध कराईं। वक्ताओं ने बताया कि किस प्रकार कानून(विधि) डिग्री हासिल कर वो किस मुकाम को हासिल कर सकते हैं।
कार्यशाला के मुख्य वक्ता, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता प्रहलाद कृष्ण शुक्ला ने अधिवक्ता पेशे के महत्व, प्रारंभिक दौर की चुनौतियों, न्यायिक सेवा, प्रभावी संप्रेषण कौशल, विधि एवं वित्त मंत्रालय के अंतर्गत उपलब्ध अवसरों, लोक अभियोजक एवं न्यायिक अधिकारियों के करियर विकल्पों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने केस लॉ, शोध एवं न्यायालयीन निर्णयों के महत्व पर भी विशेष बल दिया।
इस अवसर पर संस्कृति स्टूडेंट वेलफेयर विभाग के डीन डॉ. डी. एस. तोमर ने छात्रों को करियर एडवांसमेंट प्रोग्राम और व्यावहारिक अनुभव की अनिवार्यता पर पर जोर डालते हुए कहा कि विश्वविद्यालय लगातार आपको अपग्रेड करते रहने के प्रयास में जुटा है, जिसका आप लोगों को लाभ उठाना चाहिए। विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों आदित्य ओझा और आदित्य दुबे ने भी छात्रों को विधि क्षेत्र में शैक्षणिक प्रगति, बेयर एक्ट के महत्व एवं प्राध्यापक बनने की संभावनाओं पर मार्गदर्शन दिया।
कार्यक्रम का संचालन छात्रा छवि शर्मा द्वारा किया गया। कार्यशाला के दौरान प्रश्नोत्तर सत्र का भी आयोजन किया गया जिसमें छात्रों ने वक्ताओं से कई सारे सवाल कर अपने डाउट क्लीयर किए। वक्ताओं ने छात्रों के सवालों पर अपने निजी अनुभवों के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में कानून के विद्यार्थियों की आवश्यकता के बारे में जानकारियां दीं। अंत में डॉ. कमल सिंह धाकड़ ने धन्यवाद ज्ञापित किया और सभी अतिथियों, मुख्य वक्ता एवं छात्रों का आभार व्यक्त किया।

स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन में छात्र-छात्राओं ने दिखाई तकनीकी दक्षताजी.एल. बजाज में एसआईएच-2025 में 45 नवाचारपूर्ण विचारों पर मंथन

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मथुरा। छात्र-छात्राओं में नवाचार, समस्या-समाधान और लीक से हटकर सोचने की संस्कृति को विकसित करने के लिए जी.एल. बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा में स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन (एसआईएच) 2025 का दो दिवसीय इंटरनल आयोजन किया गया। इसमें छात्र-छात्राओं ने अपनी सृजनात्मकता, तकनीकी दक्षता तथा समस्या समाधान की क्षमता को प्रस्तुत कर अपनी कौशलपरक सोच का परिचय दिया। निर्णायकों ने छात्र-छात्राओं के नए विचारों की न केवल प्रशंसा की बल्कि 45 नवाचारपूर्ण विचारों का चयन भी किया।
संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने अपने सम्बोधन में कहा कि स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है। यह युवा पीढ़ी को रोजमर्रा की चुनौतियों से निपटने का तरीका सिखाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह विद्यार्थियों में समस्या-समाधान की मानसिकता और उत्पाद निर्माण की संस्कृति के विकास में सहायक है। प्रो. अवस्थी ने कहा कि इस दो दिवसीय कार्यक्रम का उद्देश्य संस्थान से सर्वश्रेष्ठ नवाचारपूर्ण विचारों की पहचान करना तथा उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर नामांकन हेतु तैयार करना रहा।
दो दिवसीय स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन का आयोजन प्रो. नीता अवस्थी एवं डॉ. शशि शेखर (उपाध्यक्ष, इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल) के मार्गदर्शन में हुआ। प्रो. अवस्थी ने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि नवाचार को बढ़ावा देने वाले अवसरों का लाभ उठाएं तथा अपने विचारों और योजनाओं से समाज के विकास में योगदान दें। स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के समन्वयक इंजीनियर बृजेश कुमार उमर ने प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को दिशा-निर्देश, प्रक्रिया और प्रमुख बिंदुओं से अवगत कराया। स्तुति गौतम और इंजीनियर भानु प्रताप सिंह ने छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन किया।
एआईएमएल विभागाध्यक्ष इंजीनियर ऋचा मिश्रा ने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया वहीं डॉ. शशि शेखर ने एसआईएच-2025 के महत्व और इसके राष्ट्रीय नवाचार मंच के रूप में योगदान पर प्रकाश डाला। दो दिवसीय स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन में प्रतिभागियों ने वास्तविक समस्याओं के समाधान हेतु अपने नवाचारपूर्ण विचार प्रस्तुत किए, जिनका मूल्यांकन निर्णायकों डॉ. सुरेन्द्र त्यागी, इंजीनियर उज्ज्वल चंदा, अचिंत्य शुक्ला, पारुल जैन, इंजीनियर विवेक मिश्रा, इंजीनियर आशीष अवस्थी एवं डॉ. नीरज सिंह मेहता ने किया। निर्णायकों ने प्रोजेक्ट्स का आकलन मौलिकता, तकनीकी व्यवहार्यता, सामाजिक प्रभाव एवं विस्तार क्षमता के आधार पर किया तथा विद्यार्थियों को महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए।
दो दिवसीय स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन में 45 नवाचारपूर्ण विचारों का चयन अंतिम चरण हेतु किया गया, जबकि 5 विचारों को वेटिंग लिस्ट में शामिल किया गया। ये चयनित टीमें अब राष्ट्रीय स्तर पर संस्थान का प्रतिनिधित्व करेंगी और देशभर के नवप्रवर्तकों के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगी। इस आयोजन ने न केवल एसआईएच-2025 के लिए श्रेष्ठ विचारों की पहचान की बल्कि विद्यार्थियों में नवाचार, टीमवर्क और उद्यमशीलता की भावना को भी प्रोत्साहित किया, जो इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल की दृष्टि के अनुरूप है। कार्यक्रम की सफलता में सोनिया चौधरी, डॉ. रामवीर सिंह सेंगर, डॉ. तनुश्री गुप्ता आदि का भी अमूल्य योगदान रहा।
चित्र कैप्शनः निर्णायकों के साथ स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन-2025 में प्रतिभागिता करने वाले छात्र-छात्राएं।

राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी में दवाओं के दुष्प्रभाव और बचाव पर हुआ मंथनअमोल राज ने फार्माकोविजिलेंस की आवश्यकता और उसकी भूमिका पर साझा किए विचार

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मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी में पांचवें राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस सप्ताह के उपलक्ष्य में ‘फार्माकोविजिलेंस अनिवार्यताएं: दवा सुरक्षा निगरानी के लिए फार्मासिस्ट गाइड’ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में मुख्य वक्ता अमोल राज, नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा), युवा मामले और खेल मंत्रालय, नई दिल्ली ने फार्माकोविजिलेंस की आवश्यकता, उसकी वर्तमान भूमिका और दवाओं की सुरक्षा की निगरानी में फार्मासिस्टों की जिम्मेदारियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
श्री अमोल राज ने युवाओं को फार्मास्युटिकल क्षेत्र में बढ़ते करियर विकल्पों और दवा सुरक्षा में नैतिक जिम्मेदारियों के प्रति भी जागरूक किया। उन्होंने बताया कि कैसे फार्माकोविजिलेंस के माध्यम से दवाओं के दुष्प्रभावों की निगरानी कर जनता के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है। सेमिनार में शिक्षकों, फार्मेसी क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों और छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। मुख्य वक्ता अमोल राज ने कहा कि मरीजों की सुरक्षा के लिए दवाओं के दुष्प्रभावों की जानकारी देना बेहद जरूरी है। अगर किसी दवा से कोई नुकसान या परेशानी होती है तो उसकी रिपोर्टिंग करना सभी की जिम्मेदारी है। इससे मरीजों की जान बचाई जा सकती है और इलाज की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
मुख्य वक्ता ने बताया कि इस साल राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस सप्ताह 17 से 23 सितम्बर 2025 तक “आपकी सुरक्षा, बस एक क्लिक दूर: पीवीपीआई को रिपोर्ट करें” थीम के तहत मनाया जा रहा है। फार्माकोविजिलेंस का मुख्य उद्देश्य दवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना, खतरनाक दुष्प्रभावों का पता लगाना, जोखिम-लाभ अनुपात का आकलन तथा रोगी सुरक्षा व सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना है। यह दवाओं के सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देता है और नियामकों को दवा संबंधी निर्णय लेने में सहायता करता है, जिससे दवा कम्पनियों और स्वास्थ्य प्रदाताओं का विश्वास बढ़ता है।
राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के प्राचार्य डॉ. हिमांशु चोपड़ा ने सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार माना और कहा कि सेमिनार का उद्देश्य फार्मासिस्टों के लिए दवा सुरक्षा से संबंधित जागरूकता बढ़ाना और फार्माकोविजिलेंस की मूलभूत बातों को समझाना था। उन्होंने बताया कि दवा, इंजेक्शन, सिरप या मलहम लेने के बाद यदि चक्कर आना, शरीर पर दाने निकलना, बार-बार उल्टी होना, बेचैनी या नींद न आना जैसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत प्रतिकूल दवा प्रतिक्रिया (एडीआर) की रिपोर्ट टोल फ्री नम्बर 1800-180-3024 या पीवीपीआई ऐप के माध्यम से कर सकते हैं। इसमें मरीज की गोपनीयता का पूरा ध्यान रखा जाता है। डॉ. चोपड़ा ने बताया कि यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि दवाओं के सम्भावित जोखिमों का पता तुरंत लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस सप्ताह के दौरान राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी द्वारा लोगों को दवाओं के दुष्प्रभाव और उनकी रिपोर्टिंग के महत्व के बारे में जागरूक किया गया।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन विद्यार्थियों के शैक्षिक और व्यावसायिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
चित्र कैप्शनः शिक्षकों तथा छात्र-छात्राओं के दवाओं के दुष्प्रभाव और बचाव की जानकारी देते हुए अमोल राज, नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी नई दिल्ली।