Sunday, October 12, 2025
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तकनीकी शिक्षा की नई ऊंचाइयों पर राजीव एकेडमीछात्र-छात्राओं ने प्लेसमेंट के क्षेत्र में रचा कीर्तिमान


मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, मथुरा विद्यार्थियों को तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ जीवन मूल्यों, नेतृत्व क्षमता और व्यावसायिक दक्षता से सुसज्जित कर उन्हें वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर रहा है। पिछले 27 वर्षों से अपनी उत्कृष्ट शैक्षणिक परम्परा और अनुशासन के साथ यह संस्थान देश के अग्रणी तकनीकी संस्थानों की सूची में अपना विशेष स्थान बना चुका है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल के नेतृत्व में संचालित यह संस्थान निरंतर प्रगति की राह पर है। यह संस्थान विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण हेतु बहुआयामी प्रयास कर रहा है। डॉ. अग्रवाल का कहना है कि राजीव एकेडमी का उद्देश्य सिर्फ डिग्री प्रदान करना नहीं बल्कि विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों, नवीन तकनीकी ज्ञान और नवाचार से जोड़कर उन्हें पूर्णत: सशक्त बनाना है।
संस्थान के प्लेसमेंट रिकॉर्ड की बात करें तो राजीव एकेडमी का हालिया हाईएस्ट पैकेज 25 लाख रुपये रहा, जोकि किसी भी तकनीकी संस्थान के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। यह शानदार सफलता इस बात की पुष्टि करती है कि संस्थान न केवल उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान कर रहा है बल्कि अपने विद्यार्थियों को इंडस्ट्री के लिए भी पूरी तरह तैयार कर रहा है। इस वर्ष विभिन्न प्रतिष्ठित कम्पनियों द्वारा अनेक विद्यार्थियों का चयन उच्च पैकेज पर किया गया है। इनमें इम्फोसिस, टीसीएस, विप्रो, इंडिया मार्ट, बायजूस, कैपजेमिनी जैसी कम्पनियां प्रमुख हैं।
राजीव एकेडमी न केवल प्लेसमेंट के क्षेत्र में अग्रणी है बल्कि तकनीकी नवाचार, स्टार्टअप इनक्यूबेशन और रिसर्च के क्षेत्र में भी नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। संस्थान में नियमित रूप से टेक्निकल वर्कशॉप, सेमिनार, हैकाथॉन और इंडस्ट्री इंटरेक्शन सत्र आयोजित किए जाते हैं, जो विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान और कॉर्पोरेट जगत की अपेक्षाओं के अनुरूप तैयार करते हैं। राजीव एकेडमी का करिकुलम इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स के अनुरूप डिजाइन किया गया है, जिसमें तकनीकी विषयों के साथ-साथ कम्युनिकेशन स्किल्स, पर्सनालिटी डेवलपमेंट और इंटरव्यू प्रिपरेशन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। हाल ही में संस्थान ने स्किलयार्ड्स, नास्कॉम और आईबीएम जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ एमओयू किए हैं, जिससे विद्यार्थियों को वैश्विक स्तर की ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन प्राप्त हो सके।
संस्थान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान समय में केवल शैक्षणिक ज्ञान पर्याप्त नहीं है, विद्यार्थियों को तकनीकी दक्षता के साथ-साथ सॉफ्ट स्किल्स, टीमवर्क और इनोवेशन की समझ भी होनी चाहिए। इसी दृष्टिकोण से संस्थान में निरंतर एआई, डाटा साइंस, एंटरप्रेन्योर बनने की कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं। संस्थान का विजन “शिक्षा से सशक्तीकरण” है, जिसके अंतर्गत ग्रामीण और शहरी पृष्ठभूमि से आने वाले विद्यार्थियों को समान अवसर प्रदान किए जाते हैं। राजीव एकेडमी के छात्र-छात्राएं न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी उच्च पदों पर कार्यरत हैं। विद्यार्थी देश और विदेश की मल्टीनेशनल कम्पनियों में सेवाएं दे रहे हैं। राजीव एकेडमी की यह प्रतिबद्धता कि वह विद्यार्थियों को वैश्विक नागरिक बनाए, न केवल इस क्षेत्र में बल्कि पूरे प्रदेश में एक मिसाल बन रही है।

जीएलए बायोटेक्नोलॉजी का दवा और वैक्सीन विकास में नवाचार की ओर कदम.

-जीएलए बायोटेक्नोलॉजी विभाग में आयोजित हुआ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित “दवा एवं वैक्सीन विकास हेतु नवीनतम तकनीकें और आविष्कार“ विषय पर ऑनलाइन दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई। इस सम्मेलन का उद्देश्य दवा और वैक्सीन अनुसंधान में उभरती प्रवृत्तियों और नवाचारों की खोज के लिए वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और उद्योग विशेषज्ञों को एक साझा मंच प्रदान करना है।

सम्मेलन में प्रमुख विषयों में नवोन्मेषी ड्रग डिलीवरी सिस्टम, जैव-प्रौद्योगिकी में प्रगति, नैनोटेक्नोलॉजी और कंप्यूटेशनल टूल्स के माध्यम से दवा व वैक्सीन विकास को गति देने पर चर्चा की गई। कार्यक्रम ने अनुसंधान और उद्योग के बीच की दूरी को पाटने के लिए अंतरविषयक संवाद को प्रोत्साहित किया।

सम्मेलन में अमेरिका, जर्मनी और भारत से 6 ख्यातिप्राप्त कीनोट वक्ताओं ने विचार प्रस्तुत किए, जिनमें डा. भंवर पुनिया (नेब्रास्का विश्वविद्यालय, अमेरिका), डा. राजेंद्र गुप्ता (ड्रेसडेन तकनीकी विश्वविद्यालय, जर्मनी), डा. समीर तिवारी (जॉर्ज मेसन विश्वविद्यालय, अमेरिका), डा. श्वेता मिश्रा (इलिनॉय विश्वविद्यालय, शिकागो, अमेरिका), प्रो. वसीम ए. सिद्दीकी (अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, भारत) और डा. सौरिष राजिंदर कर्माकर (रिलायंस लाइफ साइंसेज़, नवी मुंबई) शामिल रहे।

सम्मेलन में कुल 58 वैज्ञानिक सारांश और 26 ई-पोस्टर प्रस्तुतियां की गईं। आयोजन समिति के डा. स्वरूप के. पांडेय, डा. अनुजा मिश्रा, डा. ज्योति गुप्ता, डा. सुखेन्द्र सिंह, डा. सौरभ गुप्ता एवं पीएचडी शोधार्थी समिक्षा अग्रवाल को आयोजन की सफलतापूर्वक सम्पन्नता हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि दवा और वैक्सीन विकास में नवीनतम तकनीकें और आविष्कार चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं। इन प्रगतियों ने बीमारियों के इलाज और रोकथाम के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। नई दवाओं के विकास में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सहयोग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उदाहरण के लिए भारत में विकसित की गई नई एंटीबायोटिक “नैफिथ्रोमाइसिन“ दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के इलाज में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। यह दवा वोकहार्ट कंपनी ने स्वदेश में विकसित की है, जिसमें बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बीआइआरएटी) का महत्वपूर्ण सहयोग रहा है।

बायोटेक्नोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने कहा कि वर्तमान में वैक्सीन विकास में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। वैक्सीनें देश की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं। उन्होंने बताया कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सहयोग दवा और वैक्सीन विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सहयोग नई दवाओं और वैक्सीनों के विकास को बढ़ावा देता है और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद करता है।

कुलसचिव अशोक कुमार सिंह तथा आयोजन समिति के डा. स्वरूप के. पांडेय ने कहा कि आधुनिक तकनीकों जैसे कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग दवा और वैक्सीन विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ये तकनीकें नई दवाओं और वैक्सीनों के विकास को तेज और अधिक प्रभावी बना रही हैं। निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सहयोग और आधुनिक तकनीकों का उपयोग नई दवाओं और वैक्सीनों के विकास को बढ़ावा दे रहा है और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद कर रहा है।

सम्मेलन को सफल बनाने में डीन आरएंडडी प्रो. कमल शर्मा का विशेष योगदान रहा। उन्होंने कहा कि यह आयोजन भविष्य के दवा और वैक्सीन अनुसंधान में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।

जीएलए के मैकेनिकल विभाग में तैयार हुआ आधुनिक क्लच बॉक्स, अब नहीं फंसेगा गियर

-जीएलए के प्रोफेसर, टेक्निकल मैनेजर और छात्र द्वारा तैयार सिंक्रोमेश कोन क्लच बॉक्स का पेटेंट ग्रांट
अभी तक गाड़ियों में क्लच बॉक्स और गियर कई कलपुर्जों से भरा हुआ है। जिसका मेंटेनेंस भी अधिक होता है और अक्सर गियर फंसने का भी डर वाहन चालक को बना रहता है। इसी समस्या के समाधान के लिए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर, टेक्निकल मैनेजर तथा छात्र ने आधुनिक कोन क्लच बॉक्स तैयार किया है। जिसका पेटेंट ग्रांट हो चुका है।

चार पहिया वाहन में उपयोग होने वाले ट्रांसमिशन सिस्टम जो कि गियर, हव स्लीव, सिंक्रोनाइजर रिंग, स्लेक्टर आदि कलपुर्जों से तैयार होकर काफी महंगा पड़ता था। इस प्रक्रिया को आसान बनाते हुए ‘सिंक्रोमेश क्लच बॉक्स‘ के अन्तर्गत प्रोफेसर एवं डीन रिसर्च डा. कमल शर्मा, टेक्निकल मैनेजर रितेश दीक्षित तथा छात्र उत्कर्ष गोयल ने कोन क्लच का आइडिया तैयार किया। इस आइडिया पर अविष्कार करते हुए जो पहले डिस्क क्लच का उपयोग होता था, उसकी जगह पर सिंक्रोमेश क्लच बॉक्स को बनाया गया और इस बॉक्स में अब कोन क्लच और गियर बॉक्स को एक साथ जोड़ दिया गया है।

टेक्निकल मैनेजर रितेश दीक्षित ने जानकारी देते हुए बताया कि अभी तक गाड़ियों में क्लच और गियर बॉक्स अलग होते हैं। क्लच इंजन को ट्रांसमिशन (गियर बॉक्स) से जोड़ता है और अलग करता है, जबकि गियर बॉक्स अलग-अलग गियर अनुपात प्रदान करके वाहन की गति और टॉर्क को नियंत्रित करता है। इसी पर अनुसंधान करते हुए देखा गया कि गियर बॉक्स और क्लच बॉक्स में काफी कलपुर्जे हैं, जिसे बनने में भी लागत अधिक आती है तथा वाहन स्वामी को मेंटेनेंस भी अधिक देना पड़ता है।

गियर बॉक्स और क्लच बॉक्स में से हव स्लिव, सिंक्रोनाइजर रिंग, डॉक क्लच, रोलर बैरिंग आदि पुर्जों को निकालकर एक कोन क्लच तैयार किया गया, जो कि सीधे हब स्लीव के बिना सीधे गियर के साथ मैच करके गियर लगाने का कार्य करेगा।

डीन रिसर्च प्रो. कमल शर्मा ने बताया कि सिंक्रोमेश क्लच बॉक्स बनाकर गाड़ी के ट्रांसमिशन सिस्टम से बहुत चीजें हटाने से गियर के काफी महंगे पार्टस कम हो गए और मेंटेनेंस ना के बराबर हो जायेगा। साथ ही गियर फंसने का भी झंझट खत्म हो जायेगा। प्रो. शर्मा ने बताया कि ऐसी आधुनिक शिक्षा से जोड़ने के लिए मैकेनिकल विभाग अपने छात्रों को आगे रखता है और इसका प्रतिफल भी सामने है कि एक बेहतर अविष्कार कर पेटेंट ग्रांट हुआ है।

विभागाध्यक्ष प्रो. पीयूष सिंघल ने बताया कि इस पेटेंट ग्रांट में प्रोफेसर, टेक्निकल मैनेजर और छात्र की भूमिका रही है। छात्र लगातार अनुसंधान से जुड़ रहे और नए अविष्कार की खोज में प्रोफेसरों के साथ जुटे हुए हैं। आगामी समय में जीएलए के छात्र भारत के विकास में अपना अह्म योगदान देंगे। क्योंकि छात्रों ने प्रोफेसरों के साथ कार्य कर कई रिसर्च पब्लिश तथा पेटेंट पब्लिश और ग्रांट कराये हैं।

शहीद चंद्रशेखर आज़ाद के जन्म दिवस पर पुष्पांजलि की गई अर्पित।

हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लकिन एसोसियेशन के कमांडर इन चीफ चंद्रशेखर आजाद का११९ वां जन्म दिवस अखिल भारतीय सांप्रदायिकता विरोधी समिति की मथुरा इकाई ने स्थानीय भगत सिंह पार्क में पुष्पांजलि और दीप दान कर मनाया।अमर शहीदों की जय जय कार इंकलाब ज़िंदाबाद कौमी एकता जिंदाबाद के नारो के साथ की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता कामरेड शिवदत्त चतुर्वेदी ने की एवं संचालन कार्यक्रम संयोजक वैद्य मनोज गौड़ ने किया।इस अवसर पर वक्ताओं ने आजाद की जीवनी और कृतित्व की विशद चर्चा करते हुए कहा कि समाजवादी जनवाद का शहीदों का सपना कौमी एकता के राज मार्ग पर चल कर ही पूरा होना सम्भव है ।
वक्ताओं ने अंग्रेजो की तर्ज पर हिन्दु पानी मुस्लिम पानी जैसी प्रथा के पुनर्जीवन के प्रयास की आलोचना की ।जिसका नमूूना कांवरियो संबंधी आदेश हैं। वक्ताओं ने अमर शहीद क्रांतिकारी शिरोमणि आजाद के जीवन संदेश से शिक्षा लेने पर जोर दिया। उपस्थित जनों में सीपीआई के गफ्फार अब्बास एडवोकेट, कीर्ति कुमार कौशिक, पूर्व महानगर अध्यक्ष विक्रम वाल्मीकि,वरिष्ठ कांग्रेसी आशीष चतुर्वेदी, भारत सेठ,आम आदमी पार्टी के रवि प्रकाश भारद्वाज, प्रवीण भास्कर एडवोकेट,पूरन सिंह, अनवार फाऱुकी, मुस्लिम कुरेशी, इंद्रजीत गौतम, सुरेश शर्मा, शेर मोहम्मद, गौस मोहम्मद,आदि ने पुष्पांजलि अर्पित कर विचार व्यक्त किये।

एक्सीडेंट शिल्डर प्रोजेक्ट के लिए वीपीएस के विक्रम जाना को मिला इस्पायर अवार्ड

-भारत सरकार के विज्ञान व तकनीकी विभाग द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में वृंदावन पब्लिक स्कूल का श्रेष्ठ प्रदर्शन

-भारत सरकार से मिली 10,000 रुपए की अनुदान राशि

वृंदावन। जब युवा मन राष्ट्र निर्माण व नवनिर्माण में तकनीक की चिंगारी लेकर आगे बढ़ते हैं तब नवाचार जन्म लेता है। वृंदावन पब्लिक स्कूल के ऐसे ही होनहार छात्र ने अपनी कल्पना शक्ति, परिश्रम व विज्ञान के प्रति जुनून से विद्यालय को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाया है।
इसी क्रम में डीएवी इण्टर कालेज मथुरा में आयोजित की गयी। इस प्रदर्शनी मे वृंदावन पब्लिक स्कूल से इस्पायर अवार्ड योजना में वर्ष 2023-24 मे 38 व वर्ष 2024-25 में चयनित 108 छात्र छात्राओं द्वारा प्रतिभाग किया गया। वीपीएस स्टूडेंट प्रोजेक्ट एक्सीडेंट शील्डर को भी इसके लिए चुना गया।
संयुक्त शिक्षा निदेशक आगरा मुकेश कुमार ने कार्यक्रम की अतिथि के रूप में शामिल हुए।
गौरतलब है कि मथुरा मार्ग स्थित वीपीएस के कक्षा दसवीं के सत्र 2023- 24 के छात्र मास्टर विक्रम जाना ने ‘इंस्पायर अवार्ड – मानक’ में शानदार प्रदर्शन करते हुए पूरे विद्यालय का नाम रोशन किया। सरकार द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में विक्रम ने अपने अद्भुत प्रोजेक्ट’ एक्सीडेंट शिल्डर ‘के लिए भारत सरकार से 10,000 रुपए की अनुदान राशि प्राप्त की है। यह मौलिक व अद्भुत प्रोजेक्ट ड्राइविंग को सुरक्षित बनाने हेतु तकनीक पर आधारित है। यह सम्मान भारत सरकार के विज्ञान व तकनीकी विभाग द्द्वारा उन छात्रों को दिया जाता है जिनके विचार समाज के लिए नवाचार ला सकते हैं।
इस पुरस्कार का उद्देश्य विज्ञान और तकनीकी में रुचि रखने वाले बच्चों की प्रतिभा को प्रोत्साहित करना है । छात्र की इस सफलता पर प्रधानाचार्य कृति शर्मा ने बधाई देते हुए कहा कि इस प्रकार राष्ट्रीय सेवा के प्रति विक्रम की सफलता के पीछे उनके विज्ञान शिक्षकों का मार्गदर्शन और उनकी मेहनत लगन, प्रतिभा का बड़ा योगदान है। संपूर्ण वी पी एस परिवार ने छात्र को उसकी इस अभूतपूर्व सफलता पर बधाई दी।

चित्र परिचयःडा. गजेंद्र सिंह

संस्कृति विश्वविद्यालय ने 10 स्टार्टअप्स को दी 10 लाख की ग्रांट
अब एग्रीटेक और बायोटेक स्टार्टअप्स को लगेंगे पंख
मथुरा। भारत में स्टार्टअप संस्कृति को सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत में नवाचार को जमीनी स्तर तक पहुंचाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में, संस्कृति विश्वविद्यालय ने डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी-इन्क्लुसिव टेक्नलाजी बिजनेस इंक्युबेटर(डीएसटी-आईटीबी) योजना के तहत 10 नवोन्मेषी स्टार्टअप्स को चयनित किया है। प्रत्येक स्टार्टअप को ₹10 लाख की अनुदान राशि प्रदान की जाएगी। यह पहल न केवल एग्रीटेक और बायोटेक क्षेत्रों में नवाचार को गति प्रदान करेगी, बल्कि यह कृषि, पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के लिए भी मील का पत्थर साबित होगी।
संस्कृति इंक्युबेशन सेंटर के सीईओ डा.गजेंद्र सिंह ने बताया कि चयन समिति के समक्ष चयन के लिए 27 इनोवेटिव आइडिया प्रस्तुत किए गए। चयन प्रक्रिया 17 जुलाई को विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित की गई, जिसमें दो स्लॉट्स में इनोवेटिव आइडियाज प्रस्तुत किए गए। पहले स्लॉट में 10 स्टार्टअप ने प्रस्तुति दी, जिनमें से चार स्टार्टअप्स चयनित हुए। दूसरे स्लॉट में 17 स्टार्टअप ने भाग लिया, जिनमें से 6 स्टार्टअप्स का चयन किया गया। इस चयन प्रक्रिया का मूल्यांकन डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी की टीम और एक विशिष्ट विशेषज्ञ समिति द्वारा किया गया, जिसमें तकनीकी दक्षता, नवाचार की प्रासंगिकता, व्यावसायिक मॉडल की व्यवहार्यता और सामाजिक प्रभाव जैसे मानदंडों को प्रमुखता दी गई।
स्टार्टअप के लिए बनी चयन समिति में संस्कृति विवि के कुलपति प्रो. (डॉ.) एम. बी. चेट्टी, आईसीएआर के पूर्व कुलपति डॉ. पी. जी. चेंगप्पा, DST, नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. सी. एस. यादव, वैज्ञानिक, हीथा एग्री फिनटेक प्रा.लि. के संस्थापक एवं सीईओ डॉ. जगदीश सुंकड़, सीटीआई, केएलई टेक युनिवर्सिटी के निदेशक डॉ. विनायक, सस्कृति विवि स्कूल आफ एग्रीकल्चर के डीन डॉ. कंचन के. सिंह, शारदा लांचपैड शारदा विवि के सीईओ अनुराग पांडे, पीसीआईटी कानपुर के सीईओ अनुराग धवन, संस्कृति विवि के इंक्युबेटर सेंटर के सीईओ डॉ. गजेन्द्र सिंह शामिल थे।
चयन प्रक्रिया के दौरान गायोनिज, इको विबीज, ग्रीन शिफ्ट, एसएम एंटरप्राइज, घाड नेचुरल प्रा.लि., महक, टेकनाइट एजुटेक प्रा.लि., जीएस एंटरप्राइज(भूमि भूम एआई), एग्रीनिरी एवरग्रीन प्राइवेट लि. के इनोटिव आईडियाज का स्टार्टअप के लिए चयन किया गया।
डा. गजेंद्र सिंह ने बताया कि संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा चयनित स्टार्टअप्स न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि देश के ग्रामीण इलाकों में तकनीकी बदलाव की अग्रदूत बन सकते हैं। संस्कृति विश्वविद्यालय का यह प्रयास राष्ट्रीय स्टार्टअप मिशन, आत्मनिर्भर भारत, और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों के अनुकूल है। विश्वविद्यालय एक कृषि क्षेत्र में एक बड़े तकनीकि सेंटर के रूप में उभरने की दिशा में अग्रसर है, जो छात्रों, शोधकर्ताओं और युवा उद्यमियों को एक उपयोगी प्लेटफार्म प्रदान करता है।

शीतल पेय पदार्थों की निर्माण प्रक्रिया से रूबरू हुए आरआईएस के विद्यार्थीनोएडा स्थित कोका-कोला हैप्पीनेस फैक्ट्री का किया शैक्षिक भ्रमण


मथुरा। राजीव इंटरनेशनल स्कूल छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ ही सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान दिलाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इसी उद्देश्य के लिए विगत दिनों वाणिज्य संकाय के कक्षा 12 के छात्र-छात्राओं को नोएडा स्थित कोका-कोला हैप्पीनेस फैक्ट्री तथा कक्षा 11 के छात्र-छात्राओं को वृंदावन एग्रो इंडस्ट्रीज प्रा.लि. छाता शैक्षिक भ्रमण पर ले जाया गया। इस शैक्षिक भ्रमण में छात्र-छात्राओं ने दोनों ही कम्पनियों के कामकाज की विस्तार से जानकारी हासिल की।
स्कूल की प्रधानाचार्या प्रिया मदान ने कहा कि छात्र-छात्राओं के लिए जितना महत्व किताबी ज्ञान का है, उससे कहीं अधिक जरूरी व्यावहारिक ज्ञान है। व्यावहारिक ज्ञान शैक्षिक भ्रमण से ही सम्भव है। उन्होंने बताया कि विगत दिवस राजीव इंटरनेशनल स्कूल के वाणिज्य संकाय के कक्षा 12 के विद्यार्थियों ने शिक्षकद्वय सनी सोलंकी और श्वेता गौर के मार्गदर्शन में नोएडा स्थित कोका-कोला हैप्पीनेस फैक्ट्री का भ्रमण किया। वहां विद्यार्थियों ने कोका-कोला, माजा, फेंटा, स्प्राइट आदि की ऑपरेशन यूनिट के विषय में विस्तार से जानकारी हासिल की। इसी तरह वाणिज्य संकाय के कक्षा 11 के छात्र-छात्राओं ने वोमेश यादव और एकता सिंह के मार्गदर्शन में वृंदावन एग्रो इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड छाता, मथुरा का इंडस्ट्रियल विजिट किया।
दोनों ही कम्पनियों में विद्यार्थियों ने शीतल पेय निर्माण की व्यावहारिक जानकारी प्राप्त की। साथ ही यह भी जाना कि जिस पेय पदार्थ को वे इतने चाव से पीते हैं उसे कितनी शुद्धता और मानकों का पालन करते हुए बनाया जाता है। कम्पनी के अधिकारियों ने विद्यार्थियों को पैकेजिंग,फीलिंग, लेबलिंग, ट्रांसपोर्टेशन, रॉ मैटेरियल, कंस्ट्रक्शन आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस भ्रमण में विद्यार्थियों ने उत्पादन इकाइयों की स्थापना, मानव संसाधन का प्रयोग, लागत, प्रबंधन और बाजार की आवश्यकताओं पर भी अपनी जिज्ञासा का समाधान किया। राजीव इंटरनेशनल स्कूल के शिक्षकों ने दोनों ही कम्पनियों के पदाधिकारियों का छात्र-छात्राओं को तकनीकी और व्यावहारिक जानकारी देने के लिए आभार माना।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने शिक्षा में शैक्षिक भ्रमण को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ऐसे औद्योगिक भ्रमण विद्यार्थियों के करियर निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। छात्र जीवन में केवल किताबी ज्ञान से कार्य नहीं चलता, जब तक कि हम उसे वास्तविक दुनिया के अनुभव से न जोड़ें। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि शैक्षिक भ्रमण में छात्र-छात्राओं को उत्पादन प्रबंधन, गुणवत्ता नियंत्रण, सप्लाई चेन और कॉर्पोरेट संरचना की जो वास्तविक समझ प्राप्त हुई, उसका उन्हें भविष्य में जरूर लाभ मिलेगा।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि इस शैक्षिक भ्रमण में विद्यार्थियों ने जाना कि कैसे एक बड़ी कम्पनी उत्पादन से लेकर अंतिम वितरण तक के कार्य को प्रभावी ढंग से संचालित करती है। इस विजिट से छात्र-छात्राओं को न केवल सैद्धांतिक ज्ञान को व्यवहारिक अनुभव से जोड़ने का सुअवसर मिला बल्कि उन्हें करियर की सम्भावनाओं को भी समझने में मदद मिली है।
चित्र कैप्शनः शीतल पेय कम्पनियों का शैक्षिक भ्रमण करते राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राएं।

राजीव एकेडमी के चार एमबीए विद्यार्थियों का उच्च पैकेज पर चयनदेश की अग्रणी ऑनलाइन बी2बी कम्पनी इंडिया मार्ट में देंगे सेवाएं


मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट, मथुरा के चार एमबीए के विद्यार्थियों ने देश की अग्रणी ऑनलाइन बी2बी कम्पनी इंडिया मार्ट में उच्च पैकेज पर प्लेसमेंट प्राप्त कर संस्थान का गौरव बढ़ाया है। चयनित छात्र-छात्राओं ने अपनी इस सफलता का श्रेय संस्थान की प्रभावी ट्रेनिंग, मार्गदर्शन और इंडस्ट्री एक्सपोजर को देते हुए कहा कि राजीव एकेडमी ने उन्हें कॉर्पोरेट जगत के लिए पूरी तरह तैयार किया, जिससे वे आत्मविश्वास से साक्षात्कार में शामिल हो सके और सफलता प्राप्त कर सके।
संस्थान के ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट प्रमुख डॉ. विकास जैन का कहना है कि राजीव एकेडमी का सदैव यह प्रयास रहा है कि उसके विद्यार्थी केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहें बल्कि उन्हें औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुरूप व्यावहारिक ज्ञान और आवश्यक कौशल भी प्रदान किया जाए। डॉ. जैन ने कहा कि अर्चित अग्रवाल, मानवी चौधरी, शिवानी यादव और सोमी वार्ष्णेय का चयन इंडिया मार्ट जैसी प्रतिष्ठित और अग्रणी कम्पनी में होना इस बात का प्रमाण है कि राजीव एकेडमी प्रत्येक विद्यार्थी के समग्र विकास पर ध्यान देते हुए उन्हें कॉर्पोरेट व्यवहार और इंडस्ट्री एक्सपोजर से सुसज्जित कर रही है ताकि वे भविष्य की प्रतिस्पर्धा में पूरी तरह सक्षम होकर उतर सकें।
डॉ. जैन ने बताया कि इंडिया मार्ट भारत का सबसे बड़ा ऑनलाइन बी2बी मार्केटप्लेस है, जो खरीददारों को विभिन्न उद्योगों के आपूर्तिकर्ताओं से जोड़ता है। कम्पनी का उद्देश्य व्यापार को आसान बनाना तथा लाखों उत्पादों और आपूर्तिकर्ताओं को एक मंच उपलब्ध कराना है। यह प्लेटफॉर्म इंटरनेट, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मार्केटप्लेस, ऑनलाइन मार्केटप्लेस, सोर्सिंग, ऑनलाइन क्लासीफाइड्स, खरीददार और आपूर्तिकर्ता, ऑनलाइन मीडिया, भारतीय आपूर्तिकर्ता, बी2बी विज्ञापन, बी2बी सोर्सिंग, डिजिटल और ऑनलाइन व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखता है। प्रौद्योगिकी, सूचना और इंटरनेट क्षेत्र में अग्रणी यह कम्पनी आज देशभर में पांच हजार से अधिक पेशेवरों की टीम के साथ कार्यरत है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल एवं संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने चयनित विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने कहा कि राजीव एकेडमी का उद्देश्य विद्यार्थियों को न केवल शिक्षित करना है बल्कि उन्हें इंडस्ट्री के काबिल बनाना है ताकि वे देश की अर्थव्यवस्था में अपना अमूल्य योगदान दे सकें। डॉ. भदौरिया ने कहा कि चारों विद्यार्थियों के इंडिया मार्ट में चयन ने हमारी प्रतिबद्धता को और भी मजबूती दी है। राजीव एकेडमी का यह प्लेसमेंट रिकॉर्ड सिद्ध करता है कि संस्थान न केवल शिक्षा बल्कि करियर निर्माण में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
चित्र कैप्शनः ऑनलाइन बी2बी कम्पनी इंडिया मार्ट में चयनित राजीव एकेडमी के विद्यार्थी।

इथियोपिया के उप मिशन प्रमुख मोलालिन अस्फाव से भी मुलाकात करते संस्कृति विवि के प्रो.रतीश कुमार।

‘हील इन इंडिया समिट 2025’ में साझा किया संस्कृति वेलनेस का योगदान
मथुरा। देशभर से चिकित्सा और वेलनेस टूरिज्म के विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और वैश्विक प्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति में राजधानी दिल्ली के प्रतिष्ठित होटल ‘द ललित’ में ‘हील इन इंडिया– मेडिकल एंड वेलनेस टूरिज्म समिट 2025’ का आयोजन किया गया। इस भव्य समिट का आयोजन फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) द्वारा भारत सरकार के सहयोग से किया गया था। इस समिट के माध्यम से भारत को एक वैश्विक मेडिकल और वेलनेस टूरिज्म हब के रूप में सशक्त बनाने का उद्देश्य है।
संस्कृति विवि के प्रतिनिधि के रूप में समिट में भाग लेने वाले प्रोफेसर रतीश कुमार ने बताया कि समिट में चार प्रमुख सत्र आयोजित किए गए, जिनमें चिकित्सा पर्यटन, वेलनेस थैरेपी, वैश्विक सहयोग और नीति निर्माण जैसे विषयों पर चर्चा हुई। विभिन्न देशों के राजनयिकों और भारत के शीर्ष चिकित्सा व वेलनेस विशेषज्ञों ने इन सत्रों में अपने विचार साझा किए। एफएचआरएआई के अध्यक्ष के. श्यामा राजू ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की और भारत की पर्यटन क्षमता पर प्रकाश डाला।
इस महत्वपूर्ण आयोजन में शिक्षा जगत से संस्कृति विश्वविद्यालय को आमंत्रित किया गया था। विवि की ओर से प्रोफेसर रतीश कुमार समिट में वेलनेस टूरिज्म के क्षेत्र में विश्वविद्यालय के योगदान को साझा किया। एक मुलाकात में प्रो. रतीश कुमार ने सुरिनाम के राजदूत अरुन्कुमार हार्दिएन को संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा चिकित्सा और वेलनेस टूरिज्म के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों, विशेष रूप से संस्कृति वेलनेस सेंटर की विशेषताओं से अवगत कराया। उन्होंने राजदूत को विश्वविद्यालय आने का औपचारिक आमंत्रण भी दिया। साथ ही उन्होंने इथियोपिया के उप मिशन प्रमुख मोलालिन अस्फाव से भी मुलाकात की। दोनों अधिकारियों ने भारत और अफ्रीकी देशों के बीच वेलनेस टूरिज्म और शैक्षणिक सहयोग के विस्तार की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया।
प्रो. रतीश ने बताया कि भारत में मेडिकल और वेलनेस टूरिज्म एक तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है। 2023 में भारत ने मेडिकल टूरिज्म से सात अरब डॉलर से अधिक का राजस्व प्राप्त किया और 2025 तक यह आंकड़ा 13 अरब डॉलर तक पहुँचने की संभावना है। योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा जैसे आयुष आधारित उपचार वैश्विक पर्यटकों को भारत की ओर आकर्षित कर रहे हैं। भारत सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2047 तक देश का पर्यटन क्षेत्र तीन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बने, जिसमें मेडिकल और वेलनेस टूरिज्म की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
प्रो. रतीश कुमार ने कहा कि संस्कृति विश्वविद्यालय न केवल गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा प्रदान कर रहा है, बल्कि वेलनेस टूरिज्म को शैक्षणिक, अनुसंधान और व्यावसायिक सेवा के स्तर पर भी मजबूती से बढ़ावा दे रहा है। इस समिट में उनकी उपस्थिति विश्वविद्यालय की वैश्विक पहचान को नई दिशा देती है और भारत के वेलनेस विज़न को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से प्रस्तुत करती है।

राजीव इंटरनेशनल स्कूल के मेधावी छात्र-छात्राएं सम्मानितस्कॉलर बैज प्राप्त करते ही मेधावियों के खिले चेहरे

राजीव इंटरनेशनल स्कूल के मेधावी छात्र-छात्राएं सम्मानित
स्कॉलर बैज प्राप्त करते ही मेधावियों के खिले चेहरे
मथुरा। राजीव इंटरनेशनल स्कूल में शनिवार को स्कॉलर बैज सेरमनी का आयोजन अत्यंत गरिमामय एवं उत्साहपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। यह समारोह उन मेधावी छात्र-छात्राओं के सम्मान में आयोजित किया गया, जिन्होंने पूरे वर्ष कठिन परिश्रम और समर्पण के साथ उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन कर विद्यालय का गौरव बढ़ाया। कार्यक्रम का शुभारम्भ विद्या की आराध्य देवी मां सरस्वती की वंदना तथा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
स्कॉलर बैज सेरमनी के शुभारम्भ पश्चात विद्यालय की प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने कहा कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। आरआईएस के छात्र-छात्राएं वर्षभर हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी का परचम फहरा रहे हैं। विद्यालय प्रबंधन भी विद्यार्थियों के प्रोत्साहन में कोई कसर नहीं छोड़ता। इसी कड़ी में शनिवार को पिछले तीन वर्षों में 90 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले विद्यार्थियों को स्कॉलर बैज देकर सम्मानित किया गया। इतना ही नहीं पूरे वर्ष शत-प्रतिशत उपस्थिति दर्ज करवाने वाले एवं विभिन्न विषयों के ओलम्पियाड में पदक जीतने वाले विद्यार्थियों को भी मेडल, शील्ड एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। मेधावी छात्र-छात्राओं को जैसे ही मेडल, शील्ड एवं प्रशस्ति पत्र मिले उनके चेहरे खिल उठे। खुशी से झूमते विद्यार्थी कहीं सेल्फी लेते तो कहीं विक्ट्री साइन बनाते नजर आए।
प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने अपने प्रेरणादायक सम्बोधन में छात्र-छात्राओं को सफलता के सूत्र बताए। उन्होंने कड़ी मेहनत, ध्यानपूर्वक कार्य करने तथा नियमितता को जीवन में सफलता प्राप्त करने का आवश्यक गुण बताया। उन्होंने छात्र-छात्राओं को अपने लक्ष्य के प्रति निष्ठावान रहने का आह्वान किया। प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने सभी विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं लिहाजा हमेशा पूरी लगन और तन्मयता से पढ़ाई करें।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने सभी मेधावियों को बधाई देते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि विद्यार्थी जीवन में परिवर्तन और आत्मसुधार की प्रक्रिया आवश्यक होती है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत सफलता की चाबी है। प्रत्येक माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को निरंतर प्रोत्साहित करते रहें। बच्चों के मन में यह बात डालें कि वह किसी से कम नहीं हैं।
विद्यालय के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि यह सम्मान एक पड़ाव है, अगला कदम इससे भी ऊंचा हो, यही हमारी कामना है। श्री अग्रवाल ने कहा कि सफलता उन्हें ही मिलती है, जो कठिन परिश्रम, आत्मविश्वास और अनुशासन के मार्ग पर अडिग रहते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता की कुंजी ज्ञान है। ज्ञान की ज्योति न केवल आपके जीवन को आलोकित करती है बल्कि पूरे समाज को रोशनी देती है। श्री अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि वह न केवल किताबी ज्ञान हासिल करें बल्कि तकनीकी एक्सपर्ट भी बनें ताकि उन्हें जॉब के लिए चक्कर न काटने पड़ें।
चित्र कैप्शनः स्कॉलर बैज सेरमनी में सम्मानित राजीव इंटरनेशनल स्कूल के मेधावी छात्र-छात्राएं।