Saturday, June 28, 2025
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खेलोगे, कूदोगे तो बनोगे लाजवाबः बबिता

  • संस्कृति स्पोर्ट्स फिएस्टा 2025 का हुआ शुभारंभ

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में भव्य समारोह के दौरान ‘स्पोर्ट्स फिएस्टा 2025’ का शुभारंभ हुआ। उद्घाटन समारोह की मुख्य अतिथि देश की अतंर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त महिला पहलवान बबिता फोगाट ने मशाल जलाकर और ट्राफियों के अनावरण के साथ खेलों की शुरुआत की। उन्होंने संस्कृति विवि के खिलाड़ियों को कहा कि हमने कड़ी मेहनत कर कहावतों को बदला है अब सब कहने लगे हैं, खेलोगे, कूदोगे तो बनोगे लाजवाब, पढ़ोगे, लिखोगे तो बनोगे नवाब।
दंगल गर्ल के नाम से मशहूर बबिता फोगाट खिलोड़ियों के बीच पाकर उत्साहित होकर बोलीं, मैं चाहती हूँ बच्चे आगे बढें, उन्होंने कहा कि मैं जब विश्वविद्यालय के चांसलर डा.सचिन गुप्ता से मिली और बात की तो लगा कि उनके विचार मेरे पिता के विचारों से मेल खाते हैं। सिर्फ पढ़ाई पर ही नही विश्वविद्यालय में खेलों में बच्चों को आगे बढ़ाने के सभी उपाय किये जा रहे हैं। डा. सचिन गुप्ता खेलों के लिए भी विद्यार्थियों को मोटीवेट कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदीजी ने एक बात कही थी कि हार को गले नहीं लगाना है और जीत को सिर पर नही बैठाना है, यही खिलाड़ी के आगे बढ़ने का मूल मंत्र है। खिलाड़ी निरन्तर मेहनत करता रहता है। खिलाड़ी न धूप देखता है न छाँव, न बारिश देखता है, हर समय उसे एक ही लगन लगी रहती है कि मेहनत करनी हे।गोल्ड मेडल की “जीत बड़ी बात नहीं है उस जीत को बनाए रखना बड़ी बात है।
समारोह के दौरान विवि के कुलाधिपति डा.सचिन गुप्ता ने कहा कि आज जब विश्वविख्यात महिला पहलवान बबिताजी को युवतियां देखती हैं तो उन जैसा नाम कमाने के बारे में सोचती हैं। आप देशभर की युवतियों के लिए एक जीवंत प्रेरणा हैं। आपने साबित किया है कि सब कुछ पाना सम्भव है। खेलने से जीवन को जीने की प्रेरणा मिलती है। जब विद्यार्थी पढ़ने और खेलने में व्यस्त रहेंगे तो अन्य बुराइयों से दूर रहेंगे। उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब मैंने शतरंज खेलना शुरू किया तो मुझे महसूस हुआ कि मेरे मस्तिष्क सभी हिस्से जाग गए। खेलों से हमारा दिमाग मजबूत बनता है तभी तो खेलो इंडिया के माध्यम से कहते हैं “खेलेगा इंडिया तो बढ़ेगा इन्डिया।
विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक डा0 रजनीश त्यागी ने कहा कि देश की बच्चियों की रोल मॉडल हैं बबिता फोगाट। उन्होंने कहा कि खेलों का महत्व शरीर के लिए ही नहीं है, मन के लिए भी है। खेलने से मन और शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है। कुलपति प्रो० एमबी चेट्टी ने स्वागत भाषण में खेलों को खेल की भावना से ही खेलना चाहिए। लक्ष्य पाने के लिए हमें निरन्तर मेहनत करते रहना चाहिए। समारोह के प्रारंभ में विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता, सीईओ डा. श्रीमती मीनाक्षी शर्मा ने मुख्य अतिथि बबिता फोगाट का शाल ओढ़ाकर और स्मृति चिह्न देकर भावभीना स्वागत और सम्मान किया। अंत में स्टूडेंट वेलफेयर विभाग के डीन डा. डीएस तोमर ने मुख्य अतिथि बबिता फोगाट और आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया। समारोह का संचालन संस्कृति प्लेसमेंट सेल की ज्योति यादव ने किया। कार्यक्रम के आयोजन में संस्कृति विवि के खेल अधिकारी मो.फहीम और डा. दुर्गेश वाधवा का विशेष योगदान रहा।

संस्कृति विवि में शुरु हो सकती है रेसलिंग अकादमी
संस्कृति एफएम 91.2 के स्टूडियो में हुई बातचीत में अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त महिला पहलवान बबिता फोगाट ने कहा ब्रज में तो कुश्ती की परंपरा युगों से चली आ रही है। यहां बहुत बड़े-बड़े पहलवान हुए हैं। वैसे संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ताजी से बात हुई है, विवि में साथ मिलकर रेसलिंग अकादमी बनाने की उम्मीद है कि जल्द ही यह सपना पूरा होगा।
बबिता ने बताया कि उनको सबसे ज्यादा डर पिताजी की ट्रेनिंग से लगता है। लेकिन उन्हीं की ट्रेनिंग की वजह से आज हम यहां हैं। जब 2018 में कामन वेल्थ में मैंने माता-पिता की मौजूदगी में जीता था तो मुझे बहुत खुशी हुई थी लेकिन पिताजी महावीर फोगाट को गोल्ड से कम कुछ भी मंजूर नहीं था। उनसे जब पूछा गया कि आपकी कहानी बालीबुड तक पहुँचेगी क्या कभी सोचा था उत्तर में बविता ने कहा कि मैंने कभी नही सोचा था, मगर शायद मेरे पिता ने जरुर सोचा होगा।
मंच पर आरजी अर्जुन के एक सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर आपको कुछ बनना है तो वह आपके जीवन में भी दिखना चाहिए, हमने रेसलिंग को जिया है। सब भूल कर सिर्फ लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ते जाना चाहिए।

विशेषज्ञों ने भावी दंत चिकित्सकों से साझा किए अपने अनुभव

  • के.डी. डेंटल कॉलेज में राष्ट्रीय ओरल पैथोलॉजिस्ट दिवस पर हुए अतिथि व्याख्यान
  • दंत चिकित्सा में एंटीबायोटिक्स का विवेकपूर्ण उपयोग जरूरीः डॉ. रामचंद्र गौड़ा

मथुरा। के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल मथुरा के ओरल पैथोलॉजी विभाग द्वारा इंडियन एसोसिएशन ऑफ ओरल एण्ड मैक्सिलोफेशियल पैथोलॉजिस्ट तथा पियरे फॉचर्स एकेडमी (इंडिया सेक्शन) के संयुक्त तत्वावधान में डॉ. एच.एम. ढोलकिया की स्मृति में छठा राष्ट्रीय ओरल पैथोलॉजिस्ट दिवस मनाया गया। इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों तथा दो विशेषज्ञ दंत चिकित्सकों के ज्ञानवर्धक सीडीई व्याख्यानों के माध्यम से भावी दंत चिकित्सकों को ओरल पैथोलॉजी की खूबियों की विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी तथा अतिथियों द्वारा डॉ. एच.एम. ढोलकिया के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर किया गया।
राष्ट्रीय ओरल पैथोलॉजिस्ट दिवस पर जहां अतिथि वक्ताओं ने अपने अनुभव साझा किए वहीं संस्थान के स्नातक छात्र-छात्राओं ने ओरल पैथोलॉजी विषय से सम्बन्धित पोस्टर मेकिंग, रंगोली, साबुन नक्काशी और फेस आर्ट पेंटिंग जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से इसकी महत्ता प्रतिपादित की। प्रतिष्ठित वक्ता डॉ. रामचंद्र गौड़ा मैक्सिलोफेशियल एण्ड माइक्रोवास्कुलर रिकंस्ट्रक्टिव सर्जन (ल्यूटन एण्ड डंस्टेबल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल लंदन यूनाइटेड किंगडम) ने लंदन से वर्चुअली डेंटल प्रैक्टिस में एंटीबायोटिक्स के विवेकपूर्ण उपयोग पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने छात्र-छात्राओं से चिकित्सकों द्वारा एंटीबायोटिक दवाओं के प्रभावी उपयोग और अनुचित दुरुपयोग पर चर्चा की। इतना ही नहीं उन्होंने दंत चिकित्सा अभ्यास में दवाओं के तर्कसंगत उपयोग की भी वकालत की।
प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी ने छात्र-छात्राओं को रोगों के निदान में ओरल पैथोलॉजिस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका पर विस्तार से जानकारी दी। डॉ. लाहौरी ने छात्र-छात्राओं को डॉ. एच.एम. ढोलकिया के कृतित्व तथा व्यक्तित्व से अवगत कराया। केडी मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. पुष्कर ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध और इसके प्रभाव पर बात की। उन्होंने रोगाणुरोधी प्रतिरोध के कारण होने वाले दुष्परिणामों को विस्तार से बताया तथा इससे निपटने के उपाय सुझाए।
विभागाध्यक्ष डॉ. उमेश ने डॉ. एच.एम. ढोलकिया के कृतित्व को याद किया। उन्होंने दंत चिकित्सकों को रोगाणुरोधी प्रतिरोध के दुष्परिणामों से सचेत रहने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि एक टीम के रूप में काम करने से चिकित्सा संबंधी त्रुटियां रुकती हैं तथा रोगी की सुरक्षा बढ़ती है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक दंत चिकित्सक, डेंटल नर्स तथा अन्य टेक्निकल कर्मचारियों का पहला दायित्व रोगी की सुरक्षा है।
डॉ. रामबल्लभ ने अपने स्वागत भाषण में रोगाणुरोधी प्रतिरोध को रोकने में दंत चिकित्सकों की भूमिका के महत्व का उल्लेख किया। डॉ. अंकिता पटनायक ने अतिथि वक्ता का परिचय दिया और कार्यक्रम की मेजबानी की। राष्ट्रीय ओरल पैथोलॉजिस्ट दिवस पर स्नातक छात्र-छात्राओं के बीच पाथआर्ट प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर उनका उत्साहवर्धन किया गया। इस अवसर पर सभी विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य और प्रशासनिक अधिकारी नीरज छापरिया आदि उपस्थित थे।

असीम अरूण समाज कल्याण कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति विभाग उ0प्र0 सरकार के द्वारा जनपद मथुरा में दौरा किया

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दिनांक 26.02.2025 को असीम अरूण जी मा0 समाज कल्याण कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति विभाग उ0प्र0 सरकार के द्वारा जनपद मथुरा में दौरा किया गया, जिसमें उनके द्वारा राजकीय अनुसूचित जाति छात्रावास बालक/बालिका सिविल लाइन मथुरा का निरीक्षण किया गया, जिसके उनके द्वारा निरीक्षण के दौरान उपलब्ध बजट का शत प्रतिशत नियमानुसार व्यय किये जाने एवं छात्रावास की पेन्टिंग, पुताई, साफ-सफाई इत्यादि कार्य कराये जाने के निर्देश दिये गये साथ ही उनके द्वारा छात्रावासों में सिडको द्वारा कराये गये कार्यांे का निरीक्षण भी किया गया तथा उनके द्वारा अधीक्षक/अधीक्षिका राजकीय छात्रावास बालक/बालिका तथा जिला समाज कल्याण अधिकारी निर्देशित किया गया कि क्षेत्रीय मा0 विधायक की अध्यक्षता में छात्रों की समिति बनाते हुए उनके पर्यवेक्षण में कार्य कराये जाने के निर्देश दिये गये तथा छात्रावास में खाली पड़ी जमीन के सम्बन्ध में छात्रावास में निवासरत छात्रों से जमीन पर वृक्षारोपण करने हेतु प्रोत्साहित किया गया, साथ ही उनके द्वारा करनावल गाॅव में पंहुचकर पीड़ितों से मुलाकात की गयी, तथा आरोपित व्यक्तियों के खिलाफ अतिशीघ्र कार्यवाही किये जाने हेतु आश्वासन दिया गया एवं जिलाधिकारी महोदय एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय मथुरा को भी कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया गया, तत्पश्चात। जनपद मथुरा में सिडको द्वारा निर्माणाधीन राजकीय जय प्रकाश नारायण सर्वोदय आश्रम पद्धति विद्यालय वाटी मथुरा का निरीक्षण किया गया, तथा सिडको को अतिशीघ्र निर्माण कार्य पूर्ण किये जाने निर्देश दिये गये तथा जिला समाज कल्याण अधिकारी को आगामी सत्र में विद्यालय संचालित किये जाने हेतु स्टाफ की नियुक्ति तथा छात्रों के प्रवेश के सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही किये जाने एवं माह अप्रैल में विद्यालय का उद्घाटन करते हुए विद्यालय संचालन करने के निर्देश दिये गये एवं विद्यालय संचालन के सम्बन्ध में निदेशक समाज कल्याण उ0प्र0 लखनऊ से दूरभाष पर अतिशीघ्र विद्यालय का संचालन कराये जाने के सम्बन्ध में वार्ता भी की गयी। तत्पश्चात बृजवासी मशरूम फार्म का भ्रमण किया गया।

संस्कृति यूनिवर्सिटी स्पोर्ट्स फिएस्टा 27 से एक मार्च तक

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के बीच सर्वाधिक पसंददीदा आयोजन संस्कृति स्पोर्ट्स फिएस्टा 25 का आयोजन 27 फरवरी से होने जा रहा है। विश्वविद्यालय में हर वर्ष होने वाले खेलों को समर्पित इस आयोजन की तैयारी युद्ध स्तर पर चल रही है। चार गुटों में बंटे खिलाड़ी अपने-अपने ग्रुप को चैंपियन बनाने की होड़ में जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त खेल हस्तियां भी आ रही हैं।
संस्कृति स्पोर्ट्स फिएस्टा 25 के अंतर्गत सभी आउटडोर, इनडोर और एथलैटिक खेलों का आयोजन किया जा रहा है। इस बीच क्रिकेट और फुटबाल के मैच विशेष आकर्षण का केंद्र होंगे। विद्यार्थियों के उत्साहवर्धन के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त खिलाड़ियों के भी आने की संभावना है।
संस्कृति स्पोर्ट्स फिएस्टा 25 के संयोजक मो फहीम ने बताया कि तीन दिवसीय इस खेल आयोजन में 1312 खिलाड़ी 28 खेलों के लिए 40 मैच होंगे। पहले दिन यानि 27 फरवरी को क्रिकेट, फुटबॉल, जैवलिन थ्रो, शॉर्टपुट, रेस, बैडमिंटन, शतरंज, टेबल टेनिस आदि खेल होंगे।

छह गांवों को नगर पंचायत बनाने की मांग

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  • सांसद हेमा मालिनी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर की मांग
  • अडींग, ओल, नौहझील, पैगांव, सोनई तथा मांट प्रस्ताव में शामिल
  • बडी ग्राम पंचायतों को नगर पंचायत बनाने से विकास को लगेंगे पंख

मथुरा। सांसद हेमा मालिनी ने जनपद की छह ग्राम पंचायतों को नगर पंचायत का दर्जा प्रदान किए जाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने इसमें गोवर्धन तहसील की अड़ींग व ओल, मांट से नौहझील,छाता से पैगांव, बलदेव की सोनई तथा मांट को नगर पंचायत बनाने का आग्रह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से किया है।
मुख्यमंत्री को उन्होंने अवगत कराया कि संसदीय क्षेत्र मथुरा भगवान कृष्ण की लीला व क्रीडा भूमि है। इसीलिए समूचे विश्व के आकर्षण का केन्द्र है। यहां करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। इससे अनेक स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता है। सरकार इस दिशा में स्वयं प्रगतिशील है। बढ़ते तीर्थाटन के मद्देनजर बृहद जनसंख्या वाली एवं धार्मिक स्थलों के नजदीकी ग्राम पंचायतों को नगर पंचायत बनाने से सरकार की तीर्थ विकास की सोच को गति मिलेगी।


उन्होंने कहा कि कोई भी श्रद्धालु आता है तो वह तीर्थ स्थलों के निकट के स्थलों से भी रूबरू होता है। इसलिए विकास उन स्थानों पर भी होना चाहिए। उन्हें भारतीय जनता पार्टी के जिला प्रतिनिधि दिलीप कुमार यादव ने अवगत कराया कि गोवर्धन क्षेत्र की अड़ींग और ओल को नगर पंचायत बनाने की मांग तीन दशक से की जा रही है। पूर्व में तत्कालीन विधायकों ने विधानसभा में भी सवाल उठाए । बड़ी ग्राम पंचायतों के बेहतर संचालन के लिए संसाधन भी चाहिए जोकि ग्राम पंचायतों के पास नहीं हैं। कयी पंचायत एक से डेढ़ किलोमीटर में फैली हैं और साफ सफाई के लिए तीन चार लोग भी नहीं होते। आदमी हों तो संसाधन नहीं होते। उन्होंने सांसद महोदया का आभार जताया कि उन्होंने ग्रामीण विकास के मुद्दे को गंभीरता से लिया है व सतत रूप से परस्यू करने का आश्वासन दिया है।

जीएलए में सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने को एकजुट हुए विशेषज्ञ

  • जीएलए में ‘भारतीय भाषा परिवारः भारत के भाषाई बंधन’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई

मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के अंग्रेजी विभाग में भारतीय भाषा समिति, भारत सरकार, के सहयोग से “भारतीय भाषा परिवारः भारत के भाषाई बंधन” विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम में राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने, सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देने में भाषाई विविधता की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया।

पद्मश्री चामू कृष्ण शास्त्री ने एक रिकॉर्ड किए गए संदेश में भारत भर में भाषाई एकता को बढ़ावा देने में भारतीय भाषा परिवार के महत्व पर जोर दिया। जीएलए के कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने संज्ञानात्मक लचीलेपन और अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देकर शैक्षणिक परिणामों को बढ़ाने में बहुभाषी कक्षाओं के महत्व पर प्रकाश डाला।

अंग्रेजी विभाग के प्रमुख डा. रामांजने उपाध्याय ने भावी पीढ़ियों के लिए भारत की भाषाई विरासत को संरक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने भाषाई विविधता के विभिन्न पहलुओं को संबोधित किया। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. रमेश चंद शर्मा ने भाषाई एकता को बढ़ावा देने में भारतीय भाषा समिति के प्रयासों पर चर्चा की, जबकि कश्मीर विश्वविद्यालय के प्रो. मुसाविर अहमद ने लुप्तप्राय भाषाओं के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया।

अन्य प्रमुख वक्ताओं में एमिटी विश्वविद्यालय के प्रो. अनिल सेहरावत शामिल थे, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में भाषा की भूमिका की खोज की और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के डा. पल्लव विष्णु ने चर्चा की कि शैक्षिक प्रौद्योगिकी बहुभाषी शिक्षार्थियों की कैसे सहायता करती है।
सेमिनार के समन्वयक हरविंदर नेगी ने बहुभाषिकता और राष्ट्र निर्माण में एनईपी 2020 की भूमिका पर बात की।

जीएलए के डा. रामकुलेश ठाकुर और डा. प्रवीण सिंह ने भारत की सांस्कृतिक और ज्ञान प्रणालियों के संरक्षण में भाषा की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने भाषाई विविधता और लुप्तप्राय भाषाओं पर शोध पत्र तैयार करने में भी रुचि पैदा की, जिससे भारत की भाषाई नीतियों पर चल रही बातचीत में योगदान मिला।

एआई और ऑटोमेशन से बदलती भारतीय नौकरियों की तस्वीर

  • देश का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन का भारतीय नौकरियों पर होने वाले प्रभावों से चिंतित है

एजुकेशन डेस्क : गत 23 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 119वें एपिसोड के अंतर्गत स्पेस साइंस, हेल्थ टिप्स, महिला सशक्तिकरण, आईसीसी. चैंपियंस ट्रॉफी के साथ-साथ एक बहुत ही अहम् मुद्दे पर चर्चा की। यह विषय था ‘अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ या एआई।

उन्होंने बताया कि पिछले दिनों पेरिस में आयोजित एक सम्मलेन के दौरान वहां आमंत्रित विभिन्न राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन के क्षेत्र में भारत के युवाओं और प्रोफेशनल्स की दक्षता और उनके योगदान की एक सुर में बहुत प्रशंसा की। वैश्विक मंच से इस प्रकार की सराहना, निश्चित रूप से भारतीय प्रतिभा और योग्यता पर मुहर लगने जैसा ही है।
परन्तु फिर भी देश का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन का भारतीय नौकरियों पर होने वाले प्रभावों से चिंतित है। आज के दौर में अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन उद्योगों में तेजी से बदलाव आ रहे हैं। भारत, जो दुनिया की सबसे बड़ी श्रमशक्ति में से एक है, इस तकनीकी क्रांति के प्रभावों को महसूस कर रहा है। जहां एक ओर एआई और ऑटोमेशन नए अवसर पैदा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पारंपरिक नौकरियों पर इसका नकारात्मक प्रभाव भी देखा जा रहा है।

भारत में एआई और ऑटोमेशन का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में एआई आधारित टूल्स का उपयोग बढ़ रहा है, जिससे जटिल कार्य जल्दी और कुशलता से पूरे किए जा रहे हैं। ऑटोमेशन के कारण डाटा एंट्री, टेस्टिंग और बेसिक प्रोग्रामिंग जैसी नौकरियों पर असर पड़ा है। ऑटोमेशन ने फैक्ट्रियों में मशीनों के उपयोग को बढ़ा दिया है, जिससे कई श्रमिकों की जरूरत कम हो गई है। इसके साथ ही ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में रोबोटिक्स का बढ़ता इस्तेमाल भी खूब देखने को मिल रहा है। बैंकिंग सेवाओं में भी एआई आधारित चैटबॉट्स और स्वचालित ग्राहक सेवा समाधान अपनाए जा रहे हैं। जिनमें मुख्यतः लोन अप्रूवल, फर्जीवाड़ा पकड़ने और निवेश की गणना करने में एआई का उपयोग बढ़ रहा है, जिससे बैंक कर्मचारियों की पारंपरिक भूमिकाएं प्रभावित हो रही हैं।

मेडिकल सेवाओं में भी एआई आधारित डायग्नोसिस टूल्स और रोबोटिक सर्जरी का चलन निरंतर बढ़ रहा है। टेलीमेडिसिन और स्वचालित स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं से पारंपरिक डॉक्टरों और कर्मचारियों की मांग में बदलाव देखने में आ रहा है। इसी तरह से ई-कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में भी स्वचालित वेयरहाउस, रोबोटिक्स और ड्रोन डिलीवरी जैसी तकनीकों से श्रमिकों की मांग कम हो रही है। एआई आधारित कस्टमर सपोर्ट और चैटबॉट्स ने कॉल सेंटर नौकरियों को काफी हद तक प्रभावित किया है।

हालांकि, एआई और ऑटोमेशन केवल नौकरियों को खत्म ही नहीं कर रहे, बल्कि नए रोजगार के अवसर भी पैदा कर रहे हैं, जैसे डेटा साइंस, मशीन लर्निंग, साइबर सिक्योरिटी, क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे नए क्षेत्रों में पेशेवरों की अत्यधिक मांग है। सरकार और निजी संस्थाएं ढेरों स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम चला रही हैं ताकि लोग नई तकनीकों से जुड़ सकें। एआई आधारित उत्पादों के डेवलपर, रोबोटिक्स इंजीनियर, साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञ और डिजिटल मार्केटिंग जैसी नई नौकरियाँ उभर रही हैं। भारत में स्टार्टअप्स और टेक्नोलॉजी कंपनियों को एआई आधारित समाधान विकसित करने के लिए कुशल पेशेवरों की आवश्यकता है। अब इंसान और मशीन मिलकर हाइब्रिड वर्क मॉडल के तहत काम कर रहे हैं, जिससे नए प्रकार की नौकरियों का जन्म हो रहा है।

इस तेज़ी से बदलते हुए माहौल में सरकार, और बहुत सी निजी कंपनियां एक बहुत बड़ी भूमिका निभा रही हैं, जिनमे विशेष रूप से शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना, नए स्टार्टअप और निवेश का माहौल बनाना और साथ ही आसान नीतियाँ एवं कानून को लागू करना है। भारत सरकार अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग पर आधारित विभिन्न कोर्स और प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही है। डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया जैसी योजनाओं से युवाओं को नई तकनीकों से जोड़ा जा रहा है। सरकार और निजी कंपनियाँ मिलकर एआई स्टार्टअप्स को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे नए रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं। इनके साथ-साथ, सरकार को ऐसी नीतियाँ बनानी होंगी जो ऑटोमेशन से प्रभावित लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकें। न्यूनतम वेतन, श्रमिक अधिकार और बेरोजगारी भत्ते जैसी योजनाओं को भी लागू करने की आवश्यकता है।

एआई और ऑटोमेशन भारत की अर्थव्यवस्था को यकीनी तौर पर बदल रहे हैं। हालांकि, इससे कुछ पारंपरिक नौकरियां खत्म तो हो रही हैं, लेकिन यह भी सच है कि नए अवसर भी तेजी से उभर रहे हैं। सरकार, उद्योगों और शिक्षा प्रणाली को मिलकर काम करना होगा ताकि लोग इस बदलाव के लिए तैयार हो सकें। यदि उचित दिशा में कदम उठाए जाएं, तो भारत न केवल इस तकनीकी क्रांति में लंबे समय तक अग्रणी भूमिका निभा सकता है, बल्कि अन्य देशों के लिए मार्गदर्शक भी बन सकता है। सच तो यह है कि एआई से डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसे समझकर और अपनाकर निरंतर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

लेखक –
डा. निखिल गोविल
[email protected]

राजीव एकेडमी के जॉब फेयर में चमकी छात्र-छात्राओं की किस्मत

  • तीस से अधिक कम्पनियों ने 150 से अधिक युवाओं का उच्च पैकेज पर किया चयन

मथुरा। छात्र-छात्राओं को शिक्षा के साथ ही उनके करियर को नया आयाम देने के लिए राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट में एक सप्ताह के मेगा जॉब फेयर का आयोजन किया गया। जॉब फेयर में आई 30 से अधिक कम्पनियों ने अलग-अलग स्ट्रीम के 150 से अधिक छात्र-छात्राओं को उच्च पैकेज पर जॉब हेतु चयनित किया है। जानी-मानी कम्पनियों में मिले सेवा के अवसर से छात्र-छात्राएं ही नहीं उनके माता-पिता भी खुश हैं।
आर.ए.टी.एम. और क्रोमा कैम्पस कम्पनी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक सप्ताह के उक्त जॉब फेयर में जॉब पाने की होड़ में सभी कोर्सों के हजारों छात्र-छात्राओं ने भाग लिया और अपनी-अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इस जॉब फेयर में तीस से अधिक बड़ी कम्पनियों द्वारा छात्र-छात्राओं के स्किल और प्रतिभा का विभिन्न तरीके से मूल्यांकन किया गया। छात्र-छात्राओं की मेधा और कौशल से प्रभावित होने के बाद कम्पनी पदाधिकारियों ने उन्हें जॉब आफर किया।
इस जॉब फेयर में राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट के 532 छात्र-छात्राओं ने अलग-अलग कम्पनियों के सामने अपनी बौद्धिकता की बानगी पेश की। कुछ विद्यार्थी इस प्रकार के अगले कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए पूरी लगन और मेहनत से तैयारी कर रहे हैं। जॉब फेयर में कम्पनियों द्वारा काफी सकारात्मक रुख अपनाए जाने से छात्र-छात्राओं में प्रसन्नता और उल्लास का वातावरण है। चयनित छात्र-छात्राओं ने सफलता का श्रेय राजीव एकेडमी की उच्चस्तरीय पठन-पाठन प्रणाली तथा प्रयोगात्मक गतिविधियों को दिया है। जॉब कन्फर्मेशन के बाद अब छात्र-छात्राओं को ऑफर लेटर मिलने की प्रतीक्षा है।
आर.के. एज्यूकेशन ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने जॉब फेयर के आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे छात्र-छात्राओं को अपनी प्रतिभा का मूल्यांकन करने का मौका मिलता है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि जब तक छात्र को अपनी योग्यता का पता नहीं चलता, वह भ्रमित रहता है। जॉब फेयर में प्रतिभागी को स्वयं का मूल्यांकन होने के साथ ही अपनी कमियों का भी पता चलता है। जब छात्र को स्वयं की कमियां मालूम हो जाती हैं तब उसे आगे की रणनीति तैयार करने में काफी मदद मिलती है।
उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने चयनित छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि ऐसे जॉब फेयर का सभी को फायदा उठाना चाहिए। संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने सभी विद्यार्थियों से परिश्रमपूर्वक अध्ययन करने का आह्वान किया। डॉ. भदौरिया ने जिन छात्र-छात्राओं का चयन नहीं हुआ उन्हें निराश न होने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि भविष्य में इसी प्रकार के और भी आयोजन होंगे, इसलिए छात्र-छात्राएं अभी से तैयारी प्रारम्भ कर दें।
संस्थान के ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट प्रमुख डॉ. विकास जैन ने बताया कि चूंकि राजीव एकेडमी में कम्पनियों को प्रतिभावान तथा कौशल से परिपूर्ण छात्र-छात्राएं मिल जाते हैं इसीलिए बड़ी-बड़ी कम्पनियां यहां कैम्पस प्लेसमेंट को हमेशा तैयार रहती हैं। डॉ. जैन ने कहा कि राजीव एकेडमी उद्योग जगत (इण्डस्ट्रीज) का अधिकाधिक ध्यान आकृष्ट कर रही है। कम्पनियों के लगातार कैम्पस प्लेसमेंट के लिए आने से यहां अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को भी लाभ मिल रहा है।

मथुरा रिफाइनरी ने उन्नत मोतियाबिंद सर्जरी के लिए रामकृष्ण मिशन, वृन्दावन को फेको मशीन सौंपी

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मथुरा । मथुरा रिफाइनरी ने अपनी स्थापना के बाद से ही विभिन्न सीएसआर पहलों के अंतर्गत स्थानीय निवासियों के लाभ के लिए काम किया है। मथुरा रिफाइनरी में बुनियादी ढांचे का विकास, शौचालयों का निर्माण, स्कूल के लिए फर्नीचर उपलब्ध कराना, महिला सशक्तिकरण, कौशल विकास, चिकित्सा सुविधाएं आदि कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के प्रमुख क्षेत्र हैं।
इसी क्रम में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत, मथुरा रिफाइनरी ने रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, वृन्दावन को फेकोइमल्सीफिकेशन मशीन प्रदान की। मथुरा रिफाइनरी की इस पहल से आरकेएमएस में नेत्र उपचार सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी और लोगों को काफी फायदा मिलेगा। श्री मुकुल अग्रवाल, कार्यकारी निदेशक व रिफाइनरी प्रमुख, मथुरा रिफाइनरी ने हाल ही में आरकेएमएस में आयोजित एक समारोह के दौरान इस मशीन का उद्घाटन किया और इसे स्वामी सुप्रकाशानंद, सचिव आरकेएमएस को सौंपा|
फेकोइमल्सीफिकेशन मशीन मोतियाबिंद के इलाज की नवीनतम तकनीक है। यह मशीन धुंधले लेंस को तोड़ने और हटाने के लिए अल्ट्रासोनिक ऊर्जा का उपयोग करती है और फिर उसके स्थान पर एक आईओएल (इंट्रा ओकुलर लेंस) प्रत्यारोपित किया जाता है। इस मशीन में इस्तेमाल की गई तकनीक बहुत उन्नत है। यह मशीन मथुरा रिफाइनरी द्वारा 76.49 लाख. रुपये की लागत से आरकेएमएस को सौंपी गई है।
रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम एक प्रतिष्ठित संस्थान है जिससे मथुरा रिफाइनरी कई वर्षों से जुड़ी है | पिछले कई सालों में रिफाइनरी की ओर से आरकेएमएस के उद्देश्य का समर्थन किया है और सहायता प्रदान की गयी है जैसे:

  1. वित्तीय वर्ष 2015-16 में रु. 14 लाख की लागत से एक एम्बुलेंस।
  2. महिला छात्रों को उनके जीएनएम पाठ्यक्रमों के लिए वर्ष 2019-20 से लगातार दो बैचों को 63 लाख रुपये से प्रायोजित किया है |
  3. वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 62.00 लाख रुपये की लागत से 200 किलोवाट रूफ टॉप ऑन ग्रिड सौर ऊर्जा संयंत्र प्रदान किया है |

देश के जाने-माने विशेषज्ञों ने पीजी छात्रों को पढ़ाया हड्डी रोगों के सटीक उपचार का पाठ

  • के.डी. मेडिकल कॉलेज में आर्थोपेडिक्स स्नातकोत्तर शिक्षण पाठ्यक्रम का समापन
  • पाठ्यक्रम की यूपी, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड के परास्नातक छात्रों ने की सराहना

मथुरा। समाज को बेहतर चिकित्सा और विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध कराने के उद्देश्य से के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में आयोजित दो दिवसीय आर्थोपेडिक्स स्नातकोत्तर शिक्षण पाठ्यक्रम में देश के जाने-माने हड्डी रोग विशेषज्ञों एवं शल्य चिकित्सकों ने कई राज्यों से आए परास्नातक छात्रों को हड्डी रोगों के उपचार की कारगर विधियों की विस्तार से जानकारी दी। रविवार शाम परास्नातक छात्रों को प्रमाण-पत्र प्रदान कर आर्थोपेडिक्स स्नातकोत्तर शिक्षण पाठ्यक्रम का समापन हुआ।
उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल तथा मथुरा आर्थोपेडिक्स एसोसिएशन के सहयोग से के.डी. मेडिकल कॉलेज में पहली बार आयोजित आर्थोपेडिक्स स्नातकोत्तर शिक्षण पाठ्यक्रम के दूसरे दिन देश-दुनिया के ख्यातिलब्ध चिकित्सकों डॉ. अनिल जैन (पूर्व प्राचार्य और डीन फैकल्टी आफ मेडिकल साइंस) यूसीएमएस नई दिल्ली, प्रो. (डॉ.) ललित मैनी (एमएएमसी), इंडियन आर्थोपेडिक्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुधीर कपूर (डीन ईएसआईसी पीजीआईएमएसआर दिल्ली) तथा प्रो. (डॉ.) अब्दुल कय्यूम खान (विभागाध्यक्ष आर्थोपेडिक्स, एएमयू) आदि ने के.डी. मेडिकल कॉलेज के साथ ही मथुरा, अलीगढ़, आगरा, सैफई, देहरादून, लखनऊ, अमृतसर, पानीपत, रोहतक आदि से आए परास्नातक ऑर्थोपेडिक्स छात्रों को हड्डी रोगों से पीड़ित मरीजों का अधिक सटीक निदान, उपचार और बेहतर शल्य क्रिया की विस्तार से जानकारी दी।
स्पाइन सर्जरी में अपनी विशिष्टता तथा ऑर्थोपेडिक्स में कई पुस्तकें लिख चुके डॉ. अनिल जैन ने छात्रों को बताया कि चिकित्सा क्षेत्र में निरंतर तकनीकी बदलाव हो रहे हैं। नवीनतम सर्जिकल तकनीकों से उपचार में सहजता हो रही है लिहाजा प्रत्येक भावी सर्जन को तकनीकी बदलावों से हमेशा अपडेट रहना चाहिए। इसी तरह प्रो. (डॉ.) ललित मैनी (एमएएमसी), डॉ. सुधीर कपूर (डीन ईएसआईसी पीजीआईएमएसआर दिल्ली) तथा प्रो. (डॉ.) अब्दुल कय्यूम खान (विभागाध्यक्ष आर्थोपेडिक्स, एएमयू) आदि ने वीडियो व्याख्यान, नैदानिक परीक्षण के प्रदर्शन, केस-आधारित शिक्षण, एक्स-रे प्रदर्शन, सिद्धांत नोट्स, ओएससीई स्टेशन, शल्य चिकित्सा प्रक्रिया आदि के माध्यम से पीजी छात्रों को उपचार की जानकारी दी।
आर्थोपेडिक्स स्नातकोत्तर शिक्षण पाठ्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष डॉ. विक्रम शर्मा, सचिव डॉ. विवेक चांडक, कोषाध्यक्ष डॉ. अमित अग्रवाल ने के.डी. मेडिकल कॉलेज को आयोजन का महती दायित्व सौंपने के लिए उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल का आभार माना। डॉ. विक्रम शर्मा ने कहा कि के.डी. मेडिकल कॉलेज नवाचार को बढ़ावा देने तथा चिकित्सा क्षेत्र को कुशल चिकित्सक मिलें, इसके लिए भविष्य में भी ऐसे आयोजन करेगा। डॉ. विवेक चांडक ने बताया कि इस शिक्षण पाठ्यक्रम से परास्नातक आर्थोपेडिक्स छात्रों को बेहतर उपचार और सर्जरी आदि में मदद मिलेगी। मथुरा जिला ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आदेश शर्मा, डॉ. अमित शर्मा, डॉ. हेमराज सैनी, डॉ. आर.के. गुप्ता विभागाध्यक्ष (हड्डी रोग) केएम मेडिकल कॉलेज, डॉ. अश्वनी सदाना विभागाध्यक्ष (हड्डी रोग) एफएच मेडिकल कॉलेज, डॉ. डीपी गोयल, डॉ. निर्विकल्प अग्रवाल, डॉ. अमन गोयल आदि ने भी अपने-अपने अनुभवों से छात्रों का मार्गदर्शन किया। पाठ्यक्रम में सहभागिता करने वाले छात्रों ने विशेषज्ञों के सुझावों पर अमल करने का संकल्प लिया।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने के.डी. मेडिकल कॉलेज को आर्थोपेडिक्स स्नातकोत्तर शिक्षण पाठ्यक्रम के आयोजन का दायित्व मिलने पर खुशी जताते हुए कहा कि ऐसे शिक्षण पाठ्यक्रमों से ब्रज क्षेत्र सहित देश को अच्छे विशेषज्ञ चिकित्सक और सर्जन मिलेंगे, जिसका समाज को लाभ मिलेगा। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि देश के जाने-माने हड्डी रोग विशेषज्ञों द्वारा मेडिकल छात्रों को दी गई जानकारी उनके काफी काम आएगी। पाठ्यक्रम के समापन अवसर पर डॉ. विक्रम शर्मा, डॉ. विवेक चांडक, डॉ. अमित रे, डॉ. प्रतीक अग्रवाल, डॉ. हेमराज सैनी, डॉ. सौरभ वशिष्ठ आदि ने अपना बहुमूल्य समय और अनुभव देने के लिए सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों का आभार माना। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अमित अग्रवाल तथा डॉ. अनन्या ने किया।