Saturday, June 28, 2025
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संस्कृति विवि के विद्यार्थियों ने एमएसएमई आगरा का किया भ्रमण

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी के विद्यार्थियों का एक दल उद्यम प्रशिक्षण के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग केंद्र आगरा पहुंचा। शिक्षकों के साथ पहुंचे विद्यार्थियों के इस दल ने वहां औद्योगिक प्रशिक्षण के अलावा प्रयोगशालाओं को भी देखा और मशीनों के कार्य करने के तरीकों के बारे में भी अध्ययन किया।
संस्कृति इंजीनियरिंग स्कूल की शिक्षिका डा. रीना रानी ने बताया कि इस औद्योगिक प्रशिक्षण का आयोजन संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी विभाग के द्वारा किया गया था। विद्यार्थियों ने इस शैक्षिक भ्रमण के दौरान औद्योगिक इकाई के कार्य करने के तरीकों के बारे में व्यवहारिक जानकारी प्राप्त की। साथ ही विद्यार्थियों ने आईओटी लैब, आगमेंटेड रियल्टी लैब, वर्चुअल लैब, फाउंड्री लैब और सीएनसी न्यूमेरिक कंट्रोल लैब का भी अवलोकन किया। इस दौरान विद्यार्थियों ने लैब टेक्नीशियन से मशीनों और वहां उपस्थित उपकरणों के बारे में अनेक सवाल कर उनके काम करने के तरीकों जाना और अपने ज्ञान में वृद्धि की। डा. रीना रानी बताया कि विद्यार्थियों के ऐसे भ्रमण में उनको प्रत्यक्षतः वे जानकारियां हासिल होतीं हैं जो सिर्फ किताबों से हासिल नहीं हो पातीं। इसके अलावा वे हर प्रणाली को अपने सामने कार्य करते देख पाते हैं और इस तरह वे अपनी स्मृति में सहेज कर ज्ञान में आसान वृद्धि कर लेते हैं।
इस भ्रमण के दौरान संस्कृति स्कूल आफ इंजीनियरिंग के 72 विद्यार्थी इस दल में शामिल थे। इन विद्यार्थियों के साथ सात शिक्षकों का दल भी साथ में था जो विद्यार्थियों के इस भ्रमण को सहज बना रहा था और उनके सवालों का जवाब देकर उनको संतुष्ट कर रहा था।

विश्व रेडियो दिवस पर आकाशवाणी में हुई किसान गोष्ठी

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  • कृषि से आय दोगुनी करने की चुनौती पर चिंतन
  • बदलती परिस्थितियों में किसानों को ट्रेनिंग की जरूरत

मथुरा। विश्व रेडियो दिवस पर आकाशवाणी स्टूडियो में किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। किसानों की आय दोगुनी करने की वचनबद्धता एवं कृषि क्षेत्र की चुनौती विषय पर आयोजित इस गोष्ठी में निष्कर्ष निकाला कि तकनीक, प्रजातियां, पर्यावरणीय परिस्थितियों के बदलाव के चलते हर स्तर पर किसानों को ट्रेन्ड करने के लिए स्कूल खोलने की जरूरत है। वक्ताओं ने कहा कि बगैर ट्रेनिंग के पुराने तरीकों से खेती लाभकारी नहीं होगी। आधुनिक मशीनें, रसायन, बीज किस्मों से अच्छा उत्पादन भी ट्रेन्ड किसान ही ले सकते हैं। सरकार का मुंह ताकने से ही काम नहीं चलेगा। किसानों को ताश-पत्ता खेलने में समय को जाया करने से बचना होगा। प्रसंस्करण की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे।
प्रगतिशील किसान सुधीर अग्रवाल ने कहा कि खेती की जमीन बेचने की किसानों की आदत उन्हें सड़क पर ला रही है। जमीनें करोड़ों बिकती हैं लेकिन किसान व्यापार करना नहीं जानते लिहाजा जमीन और करोड़ दोनों से हाथ धो बैठते हैं।
जीएलए विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ डाक्टर विकास राणा ने कहा कि सरकार को देशों की मांग के अनुसार निर्यात होने और अच्छी कीमत मिल सकने वाली जिंस लगाने की नीति पर काम करना चाहिए। एम एस पी पर सरकार समूचे अनाज नहीं खरीद सकती। किसानों को बहुत अधिक गंभीर होकर खेती करनी होगी। खेती के उत्पादन का प्रसंस्करण और मार्केटिंग में भी हाथ-पैर चलाने होंगे। प्रगतिशील किसान संजय गुप्ता ने सब्जी उत्पादन, विजय सिंह ने पशुपालन व शिवराम सिंह ने समूह बनाकर मार्केटिंग आदि से सतत आय की संभावनाओं पर विचार रखे। गोष्ठी का संचालन वीरेंद्र व दिलीप कुमार यादव ने किया। कार्यक्रम प्रमुख विजय सिंह नौलखा ने विशेषज्ञ व किसानों का स्वागत किया।

जीएलए बीटेक बायोटेक के छात्रों ने किया औद्योगिक भ्रमण

  • जीएलए बीटेक बायोटेक के छात्रों ने याकुल्ट कंपनी का किया भ्रमण

जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के बीटेक बायोटेक प्री फाइनल ईयर के छात्रों ने प्रोबायोटिक बनाने वाली अंतरराष्ट्रीय कंपनी याकुल्ट, सोनीपत का भ्रमण किया।

याकुल्ट कंपनी के पदाधिकारी मेघा गर्ग एवं स्वाति यादव ने छात्रों को उत्पाद के निर्माण प्रक्रिया से सम्बन्धित कार्यशैली, गुणवत्ता, पैकिंग, विपणन इत्यादि के बारे में बताया, साथ ही खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता को बढ़ाए जाने के सभी मानदंडों की जानकारी दी। उन्होंने छात्रों को प्लांट का भ्रमण कराते हुए बताया कि प्लान्ट पूर्णतः स्वचालित है, ताकि किसी भी प्रकार से उत्पाद में बाहर से कोई भी जीवाणु न आ सके। इतनी सावधानी बरतने के बाद भी फाइनल प्रोडक्ट को मार्केट में भेजने से पहले माइक्रोबायोलॉजिकल टेस्ट से गुजरना पड़ता है जिसके लिए तैयार प्रोडक्ट को 24 घण्टे के लिए कोल्ड स्टोरेज रूम में रखा जाता है और परीक्षण के परिणाम आने के बाद ही इसे बाजार में उतारा जाता है।

उन्होंने छात्रों को बताया कि याकुल्ट एक प्रोबायोटिक ड्रिंक है और उसे बनाने में लैक्टोबेसिलस कैसियाई स्ट्रेन शिरोटा नामक जीवित जीवाणु प्रयोग में लाया जाता है। यह जीवाणु हमारे पाचनतंत्र को मजबूती प्रदान करता है। इस दौरान छात्रों ने कम्पनी के सीड रूम, कल्चर रूम, क्वालिटी कंट्रोल रूम, मोल्डिंग रूम, मैन्यूफैक्चरिंग रूम एवं फिलिंग रूम का अवलोकन किया एवं जाना कि पहले फरमेन्टेशन द्वारा सीड्स तैयार की जाती है। याकुल्ट भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी विभिन्न प्रकार के फ्लेवरों में उपलब्ध है, साथ ही मधुमेह रोग के मरीजों के लिए शुगर फ्री याकुल्ट भी उपलब्ध है।

विभागध्यक्ष प्रोफेसर शूरवीर सिंह ने बताया जैव प्रौद्योगिकी के छात्रों के लिए इस प्रकार का शैक्षिक भ्रमण बहुत ही लाभदायक है। जो भविष्य में उनके प्लेसमेंट में सहायक होगा।
इस भ्रमण में विद्यार्थियों के साथ जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्राध्यापक डा. प्रदीप कुमार चौधरी, डा. सौरव गुप्ता एवं शोध छात्रा समीक्षा अग्रवाल ने मार्गदर्शन प्रदान किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने इस भ्रमण को उपयोगी बताया एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के छात्रों को शुभकामनाएं दी।

एस के एस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में मनाया हर्षोल्लास के साथ मनाया स्पेरेजा 2025

  • एसकेएस इंटरनेशनल यूनीवर्सिटी के आयुर्वेद मेडीकल कॉलेज एण्ड हॉस्पीटल में फेयरवेल का रंगारंग कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें छात्रों ने मनोहरी धो पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देखकर सभी के मन को गदगद कर दिया
  • सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ फिल्मी धुनों पर थ बीएएमएस के छात्र एवं छात्राएं झूमे

एस के एस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 2025 का रंगारंग कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें छात्रों ने मनोहारी दोनों पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देकर सभी के मन को गदगद कर दिया इस दौरान बीएएमएस के छात्र एवं छात्राओं ने गीत संगीत की धो पर समा बांध दिया कार्यक्रम में फ्रेशर 2024 बैच में छात्र फिल्मी धो के गानों पर जमकर नृत्य किया इस दौरान उन्होंने सभी छात्रों एवं दर्शकों को खूब रिझाया

होली के गीतों पर भी छात्रों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सबको खूब आकर्षित किया कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित एवं गणेश वंदना से हुआ कार्यक्रम में महाराष्ट्र नृत्य ,राजधानी नृत्य ,रैंप वॉक आदि की धूम से समूचा यूनिवर्सिटी परिसर आनंदित होता ढोल नगाड़ों के साथ फ्रेशर्स बैच के छात्रों ने मुख्य पंडाल तक जोश और उत्सवर्धन दिखाया समारोह के मुख्य अतिथि बरेली राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के प्रोफेसर एस बी सिंह ने कार्यक्रम में शामिल होकर छात्रों का उत्साहवर्धन किया इस दौरान उन्होंने कहा कि आज के दौर में काफी चुनौतियां हैं लेकिन आयुर्वेद ही ऐसा माध्यम है जिसके माध्यम से गंभीर रोगों का सामना करते हुए पीड़ित मानवता को स्वस्थ बनाया जा सकता है और देश को भी सशक्त किया जा सकता है इस मौके पर एस के एस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के कुलपति मयंक गौतम ने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम जीवन को शिक्षा देते हैं आनंदित करते हैं और सार्वभौम विकास के लिए भी जरूरी है चांसलर मयंक गौतम ने कहा कि किसी भी उद्देश्य का लक्ष्य बनाकर काम करना चाहिए तभी सफलता मिलती है इस मौके पर बरेली के राजकीय आयुर्वेद कॉलेज की प्रोफेसर रीता सिंह ने छात्रों द्वारा दी गई संस्कृत परिस्थितियों की सराहना की और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की कार्यक्रम में भूपेश शर्मा ने अतिथि परिचय दिया इस दौरान एसकेएस हॉस्पिटल मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर के डीएमएस प्रोफेसर गुलशन कुमार ओएसडी आर.एस जायसवाल आदि मौजूद रहे

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रयोग में सावधानी बहुत जरूरीः प्रो. डी.एस. चौहान

  • जीएल बजाज में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ

मथुरा। हमारा समाज सूचना समाज से अब बुद्धिमान समाज की ओर बढ़ रहा है। समाज के विकास को बढ़ावा देने में कम्प्यूटिंग एक महत्वपूर्ण तत्व बन गया है। हाल के वर्षों में हमने बुद्धिमान कम्प्यूटिंग के उद्भव को देखा है, एक नया कम्प्यूटिंग प्रतिमान पारम्परिक कम्प्यूटिंग को नया रूप दे रहा है। नए कम्प्यूटिंग सिद्धांतों, विधियों, प्रणालियों और अनुप्रयोगों से देश-दुनिया को बेशक लाभ मिल रहा हो लेकिन हमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रयोग में हमेशा सावधानी रखने की जरूरत है। यह बातें मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) डी.एस. चौहान (पूर्व कुलपति यूपीटीयू) ने जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में आयोजित इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन इंटेलिजेंट कंट्रोल, कम्प्यूटिंग एंड कम्युनिकेशन (आईसी3-2025) के शुभारम्भ अवसर पर शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को बताईं। सम्मेलन का शुभारम्भ मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया गया।
इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की थीम ” इनोवेशन को अपनाना: अत्याधुनिक विकास की खोज” है। सम्मेलन के पहले दिन शोधकर्ताओं ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उन्नत कम्प्यूटिंग और संचार प्रणालियों में नवीनतम प्रगति पर केन्द्रित अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. डीएस चौहान, संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी, जर्मनी के एचएलआरएस लैब के निदेशक प्रो. माइकल एम. रेश, आईईईई यूपी सेक्शन के चेयर स्टूडेंट ब्रांच एक्टिविटी प्रो. प्रभाकर तिवारी, पूर्व चेयर आईईईई यूपी सेक्शन प्रो. आशीष पांडेय, न्यूजलेटर और इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन कमेटी के चेयर प्रो. एस. विक्रम सिंह और डॉ. वी.के. सिंह ने संयुक्त रूप से कॉन्फ्रेंस सोवेनियर का अनावरण किया। अपने उद्घाटन सम्बोधन में प्रो. डीएस चौहान ने कहा कि यह कॉन्फ्रेंस सोवेनियर सम्मेलन की उपलब्धियों को संजोने का एक अनूठा प्रयास है और इससे शोध एवं इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।
प्रो. माइकल एम. रेश ने अपने सम्बोधन में कहा कि बुद्धिमान कम्प्यूटिंग ने कम्प्यूटिंग के दायरे को बहुत व्यापक बना दिया है। उन्होंने कहा कि बुद्धिमत्ता और कम्प्यूटिंग लम्बे समय से अलग-अलग विकास पथों से गुजरे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में वे तेजी से एक-दूसरे से जुड़ गए हैं। बुद्धिमान कम्प्यूटिंग न केवल बुद्धिमत्ता उन्मुख है बल्कि बुद्धिमत्ता संचालित भी है। बुद्धिमान कम्प्यूटिंग अभी भी अपनी प्रारम्भिक अवस्था में है लिहाजा बहुत सारे इनोवेशन होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि बुद्धिमान कम्प्यूटिंग मानव उन्मुख है और उच्च कम्प्यूटिंग क्षमता, ऊर्जा दक्षता, बुद्धिमत्ता और सुरक्षा का अनुसरण करती है। इसका लक्ष्य बड़े पैमाने पर जटिल कम्प्यूटेशनल कार्यों का समर्थन करने के लिए सार्वभौमिक, कुशल, सुरक्षित, स्वायत्त, विश्वसनीय और पारदर्शी कम्प्यूटिंग सेवाएं प्रदान करना है।
इस अवसर निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने जीएल बजाज संस्थान की शैक्षिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इनोवेशन संस्कृति वह आधारशिला है जिस पर संगठन स्थायी प्रतिस्पर्धी लाभ का निर्माण कर सकते हैं। यह सामूहिक मानसिकता है जो रचनात्मक सोच और नए समाधानों की खोज को महत्व देती है। इनोवेशन संस्कृति साझा विश्वासों, मूल्यों और प्रथाओं का एक समूह है जो संगठन के भीतर व्यक्तियों को परिवर्तन के अनुकूल होने की प्रतीक्षा करने के बजाय सक्रिय रूप से परिवर्तन की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह एक ऐसा वातावरण है जो समस्या-समाधान के लिए एक खुले दिमाग वाले दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है, जहां नए विचारों को महत्व दिया जाता है और उनका पोषण किया जाता है।
सम्मेलन के संयोजक डॉ. वी.के. सिंह ने कहा कि यह सम्मेलन न केवल शोध और इनोवेशन के क्षेत्र में नई दिशाएं प्रदान करेगा बल्कि छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा। सम्मेलन का संचालन डॉ. शिखा गोविल, डॉ. शाम्भवी कात्यायन मिश्र और इंजीनियर मेधा खेनवार ने किया। अंत में सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना गया। इस अवसर पर डॉ. रामवीर सिंह सेंगर, डॉ. भोले सिंह, डॉ. शशि शेखर, डॉ. नवनीत पांडेय, डॉ. उदयवीर सिंह, डॉ. राजीव कुमार सिंह, डॉ. अभिषेक सिंह, रजिस्ट्रार विपिन धीमान, प्रशासनिक अधिकारी आशीष कुमार और रविंद्र जायसवाल आदि मौजूद रहे।

वृंदावन पब्लिक स्कूल के छात्र ने जे ई ई( मुख्य) परीक्षा में 99.64% हासिल कर प्राप्त की सफलता

वृंदावन। किसी भी सफलता के लिए कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन बहुत मायने रखता है जिससे कोई भी व्यक्ति अपने मुकाम को हासिल कर लेता है | इसी विचार को साकार रूप प्रदान करते हुए वीपीएस के पूर्व कक्षा 12 वीं के छात्र रहे गोविन्द गुप्ता ने
जे •ई ई (मुख्य) परीक्षा उत्तीर्ण कर अभूतपूर्व सफलता हासिल की। इस परीक्षा के परिणाम से छात्र गोविंद गुप्ता ने अपनी लगन और कड़ी मेहनत से 99.64 प्रतिशत अंक लाकर विद्यालय ही नहीं अपितु सम्पूर्ण मथुरा जनपद को गौरवान्वित किया। विद्यालय के निदेशक डॉ. ओमजी व वी पी एस परिवार ने छात्र को उसकी शानदार सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं। साथ ही उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए कामना की।
छात्र ने अपनी इस सफलता के लिए विद्यालय प्रबंधन व समस्त विद्यालय परिवार को श्रेय देते हुए कहा कि मेरी प्रारंभिक शिक्षा वृंदावन पब्लिक स्कूल से ही हुई है और गुरुओं ने मेरा जो मार्गदर्शन किया आज उसी के फलस्वरूप मैंने यह सफलता प्राप्त की है। गौरतलब है कि छात्र गोविंद गुप्ता ने कक्षा 10 व कक्षा 12 की बोर्ड परिक्षाओं में विद्यालय में प्रथम स्थान व जनपद की योग्यता सूची में टॉप पाँच में भी अपनी उत्कृष्टता प्रदर्शित की थी।

वी पी एस की छात्रा नैन्सी गुप्ता ने ICAI कीC. M. A परीक्षा में हासिल की अभूतपूर्व सफलता

वृंदावन। सपना देखकर उन्हें पूरा करने का जज्बा अगर हो तो कोई भी व्यक्ति सफलता की ऊंचाई पर चढ़ अपना मुकाम हासिल कर सकता है। इसी उद्देश्य को साकार रूप प्रदान करते हुए वीपीएस की पूर्व छात्रा रहीं नैन्सी गुप्ता ने सी.एम.ए. कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउंटिंग घोषित नतीजों में फाइनल परीक्षा उत्तीर्ण कर अभूतपूर्व सफलता हासिल की। इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने कल अपने CMA फाइनल परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए हैं। यह परीक्षा उन उम्मीदवारों के लिए आयोजित की गई थी जो कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटिंग (CMA) के क्षेत्र में अपनी दक्षता और योग्यता साबित करना चाहते थे।
इस परीक्षा के परिणाम में वृंदावन पब्लिक स्कूल की छात्रा ने अग्रणीय स्थान प्राप्त कर विद्यालय ही नहीं अपितु सम्पूर्ण जनपद को गौरवान्वित किया है। अपनी लगन और कड़ी मेहनत से यह अविश्वसनीय मुकाम हासिल किया।
विद्यालय के निदेशक डॉ. ओमजी ने छात्रा की इस अभूतपूर्व सफलता पर उसे बधाई दी। छात्रा ने अपनी इस सफलता के लिए विद्यालय प्रबंधन व समस्त विद्यालय परिवार को श्रेय देते हुए कहा कि मेरी कक्षा 12 तक की प्रारंभिक शिक्षा वृंदावन पब्लिक स्कूल से ही हुई है और गुरुओं ने मेरा जो मार्गदर्शन किया आज उसी के फलस्वरूप मैंने यह सफलता प्राप्त की है।

मथुरा रिफाइनरी में उत्पादकता सप्ताह 2025 का शुभारम्भ

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12 से 18 फरवरी तक पूरे देश मे उत्पादकता सप्ताह मनाया जा रहा है। मथुरा रिफाइनरी में भी उत्पादकता सप्ताह का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर मथुरा रिफाइनरी के कार्यकारी निदेशक व रिफाइनरी प्रमुख श्री मुकुल अग्रवाल ने रिफाइनरी कर्मियों को सभी क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से कार्य करने की शपथ ग्रहण करवाई। यही शपथ अंग्रेज़ी मे श्री वी सुरेश, मुख्य महाप्रबंधक, (तकनीकी सेवाएँ एवं एच एस ई) ने सभी को ग्रहण करवाई। इस कार्यक्रम मे श्री भास्कर हजारिका, मुख्य महाप्रबंधक (मानव संसाधन) ने स्वागत सम्बोधन दिया और उत्पादकता सप्ताह के महत्व पर प्रकाश डाला| श्री सुधांशु कुमार, मुख्य महाप्रबंधक (तकनीकी) ने निदेशक (रिफाइनरीज़) श्री अरविंद कुमार का संदेश सभी को पढ़कर सुनाया|
सभी को सम्बोधित करते हुए श्री मुकुल अग्रवाल ने कहा कि उत्पादकता विकास और समृद्धि की कुंजी है। इस वर्ष के विषय- “विचारों से प्रभाव तक: प्रतिस्पर्धा स्टार्टअप के लिए बौद्धिक संपदा की सुरक्षा” के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि विचारों के प्रभावशाली उपयोग से बिजनेस और स्टार्ट अप को बढ़ावा मिल सकता है| साथ ही उन्होने कहा कि इस बौद्धिक संपदा की सुरक्षा भी आवश्यक है जिससे विचारों की नकल या चोरी को रोका जा सके और एक- दूसरे के लिए समृद्धि के अवसर बनाए जा सकें|
इस अवसर पर श्री मुकेश शर्मा, महामंत्री, कर्मचारी संघ और श्री रविन्द्र यादव, सचिव, ओफिसर्स एसोसिएशन ने भी सभी को संबोधित किया| 12 से 18 फरवरी, 2025 तक उत्पादकता सप्ताह के दौरान, रिफाइनरी कर्मियों और स्कूली बच्चों के लिए जागरूकता कार्यक्रम और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा |

संस्कृति विवि के 16 विद्यार्थियों को कृषि क्षेत्र की प्रसिद्ध कंपनी ने दी नौकरी

मथुरा। कृषि के क्षेत्र में ख्यातिप्राप्त फार्मरफेस आर्गेनिक टेक्नोलाजी प्रा.लि. कंपनी ने संस्कृति विश्वविद्यालय के 16 विद्यार्थियों को कैंपस प्लेसमेंट के द्वारा अपनी कंपनी में नौकरी दी है। भारत की कृषि क्षेत्र में काम करने वाली इस कंपनी के अधिकारियों ने कैंपस प्लेसमेंट रिक्रूटमेंट ड्राइव के अंतर्गत संस्कृति विवि के 16 विद्यार्थियों का चयन किया। विश्वविद्यालय की सीईओ डा. श्रीमती मीनाक्षी शर्मा ने विद्यार्थियों की इस सफलता पर हर्ष व्यक्त करते हुए उनकी मेहनत, पढ़ाई के प्रति गंभीरता और लगन की सराहना की है।
कंपनी के अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार कंपनी कृषि के क्षेत्र में अपनी सेवाएं देती है और एग्रीमार्ट एवं रिसर्च का काम करती है। फार्मरफेस जैविक सब्जियों की खेती और थोक बिक्री के क्षेत्र में काम करने वाली एक अग्रणी कंपनी है जहां किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज, सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले जैविक उर्वरक, जैविक कीटनाशक, कवकनाशी, कृषि मशीनरी, नवीनतम कृषि तकनीक, बाजार मूल्य के अनुसार सर्वोत्तम फसल चयन प्रदान किया जाता है। एक खिड़की के नीचे वैज्ञानिक सहयोग और बाजार भी। कंपनी अपनी अनुभवी टीम की मदद से किसानों की सभी समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है। फार्मरफेस ऑर्गेनिक टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रजिस्ट्रार, कॉर्पोरेट अफेयर मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत है। कंपनी बिहार और उत्तर प्रदेश में सब्जी उत्पादन और थोक बिक्री सेवाएँ चला रही है। कंपनी भारत के अधिकांश शहरों में ये सेवाएं प्रदान करने के लिए टीम के साथ काम कर रही है। परियोजना क्षेत्र में कंपनी के पास जैविक सब्जी की खेती के लिए 50 कृषि स्नातक और 20 एमबीए (विपणन) जनशक्ति हैं।
त्रिआयामी चयन प्रक्रिया के बाद संस्कृति स्कूल आफ एग्रीकल्चर, स्कूल आफ बेसिक अप्लाइड साइंसेज, एमबीए एग्री बिजनेस के मोहित सिंह, अमन बघेल, ऋतु अनन्या कश्यप, नवीन कुमार, बायोटेक की छात्रा पूर्वा गौतम, डाली, स्कूल आफ एग्रीकल्चर के छात्र कृष्ण गोपाल पाराशर, कृष्णा, पमाराजू, माधुरी वर्मा, राहुल कुमार, प्रियंका कुमारी, केशव शर्मा, सौरभ कुमार, मोहम्मद अयान उल्ला, प्रकाश कुमार, गुंजन शर्मा को आफर लेटर प्रदान किए गए हैं। विवि के कुलपति प्रो.एमबी चेट्टी ने चयनित छात्र-छात्राओं को उनके प्लेसमेंट पर बधाई देते हुए कहा कि अपने ज्ञान और कौशल से नियोक्ता कंपनी के विकास में अपना सारा श्रम समर्पित करें। कंपनी की प्रगति ही आपके यश में वृद्धि करेगी।

जो भीड़ में गया वो भाड़ में गया मन चंगा तो कठौती में गंगा

विजय गुप्ता की कलम से

     मथुरा। पुराने समय से यह कहावतें चली आ रही हैं कि “जो भीड़ में गया वो भाड़ में गया” और “मन चंगा तो कठौती में गंगा” किंतु इस ओर तो शायद नाम मात्र के लोगों का ही ध्यान है। ज्यादातर लोग तो ठीक उसी प्रकार भाड़ में जाने के लिए व्याकुल रहते हैं, जैसे पतंगा आग में जाने के लिये।
     ताजा उदाहरण कुम्भ है। जब देख रहे हैं कि करोड़ों की भीड़ उमड़ी पड़ रही है, तो फिर उस समय क्यों नहीं जाते जब भीड़ का दबाव समाप्त हो जाय और क्या यह जरूरी है कि कुम्भ में जाना ही जाना है? भले ही मरें, गिरें, कुचलें या फिर तमाम तरह की परेशानियां झेलें लेकिन होड़ा होड़ी का ऐसा नशा सवार कि आगा पीछा भला बुरा सोचने की जरूरत नहीं बस एक ही धुन कि चलो कुम्भ में गोता ले आयें।
     ऐसा लगता है कि जो कुम्भ में जाकर गंगा यमुना का जल अपने ऊपर छिड़क लेंगे या गोता ले लेंगे वे सीधे भगवान के गौलोक धाम जाएंगे और भगवान सभी को गले लगा कर उनका स्वागत करेंगे। बाकी जो कुम्भ नहीं जाएंगे उनका नर्क में जाना पक्का है।
     मेरी समझ में नहीं आता कि ज्यादातर दुनियां वाले अपने दूषित कर्मों को तो छोड़ नहीं रहे और दिखावटी पन में मरे जा रहे हैं। बांके बिहारी मंदिर में ही देख लो रोजाना क्या हाल होता है। मुझे तो आस्था कम नौटंकी ज्यादा दिखाई देती है। मुझे तो पुरी के शंकराचार्य श्रद्धेय निश्चलानंद सरस्वती की यह बात बहुत अच्छी लगी कि आध्यात्म में पिकनिक का तड़का नहीं लगना चाहिए।
     मैं ऐसी बातें कह कर यह सिद्ध नहीं कर रहा की कुम्भ जाना, मंदिरों के दर्शन करन या फिर अन्य तीर्थ स्थलों पर जाना अथवा परिक्रमा करना गलत है, किंतु भीड़ में ही क्यों?उछीर मैं क्यों नहीं? गोवर्धन में मुड़िया पूनों को ही ले लो बताने की जरूरत नहीं क्या हाल होता है।
     संत रैदास जी भले ही रोजाना गंगा स्नान करने नहीं जाते किंतु गंगा मैया में उनकी श्रद्धा अटूट थी। मन ही मन गंगा जी की आराधना करते और जूते गांठने के अपने कर्म में लगे रहते। जब मौका मिलता तो गंगा स्नान भी कर आते किंतु दिनचर्या में शुद्ध आचरण और ईमानदारी के साथ जूतों के काम में तल्लीन रहते।
     गंगा मैया की कृपा नित्य डुबकी लगाने वालों से कहीं ज्यादा उन पर थी। तभी तो रोती बिलखती महिला जिसका सौने का कड़ूला जो गंगा जी में गिर गया उसे उन्होंने चमड़ा भिगोने वाले पात्र कठौती में से निकाल कर दे दिया। भले ही संत रैदास मोची थे किंतु उनके कर्म, उनके विचार आदर्श थे। वे हम ऊंची जाति कहलाने वालों से भी ऊपर की श्रेणी में आते हैं। एक बार मेरी संत शैलजा कांत जी से बातें हो रहीं थीं। उन्होंने कहा कि जाति कर्मणा होती है जन्मना नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि आज यदि रैदास जी होते तो मैं उनके पैर धो-धो कर पीता।
     अब वापस असली मुद्दे पर आता हूं। मुझे बिहारी जी, द्वारकाधीश, श्री कृष्ण जन्मभूमि आदि मंदिरों में गए अनेक वर्ष हो गए किंतु इसका कोई मलाल नहीं। अब तो रोजाना जमुना जी की हाजिरी भी घुटनों के कारण नहीं लग पाती भले ही जमुना मैया पास में ही हैं। इसका भी कोई ज्यादा मलाल नहीं। फिर भी जमुना मैया की कृपा इतनी कि कभी-कभी स्वप्न में हाजिरी लग जाती है और छटे छमाहे गोता भी।
     अब स्वप्न का एक रोचक और ताजा वाकया बताता हूं। कुछ दिन पहले की बात है मैंने संत शैलजा कांत जी से पूंछा कि आप भी कुम्भ स्नान करने जाओगे क्या? उन्होंने कहा कि हां जाऊंगा। तो मैंने पूछा कि कब जा रहे हो, तो वे बोले कि जब भीड़ कम होगी तब चला जाऊंगा। इसके दो चार दिन बाद मैंने फिर पूछा की कुम्भ हो आए क्या? इस पर उन्होंने कहा कि वहीं जा रहा हूं इस समय रास्ते में हूं कल सुबह स्नान करूंगा।
     अगले दिन मुझे स्वप्न में दिखाई दिया कि एक नदी में घुटनों घुटनों पानीं है और काफी लोग उसमें स्नान कर रहे हैं। स्नान करने वालों में मैं स्वयं भी था। मैंने चारों ओर नजर घुमाई तो मंदिरों के ऊंचे ऊंचे गुंबद तथा बड़े-बड़े लोहे के पुल दिखाई दिए। उन पुलों में एक पुल कलकत्ते के हावड़ा पुल जैसी बनावट का भी दिखाई दिया। स्वप्न में ही मैं सोचने लगा कि यहां हावड़ा ब्रिज कहां से आ गया यह कोई कलकत्ता तो है नहीं। फिर और दूर तक नजर गई तो कलकत्ते वाले हावड़ा ब्रिज का भी विराट स्वरूप दिखाई दे गया। इसके बाद मेरी आंख खुल गई यह वाकया ब्रह्म मुहूर्त के समय का था।
     इसके बाद मेरे दिमांग में नदी में स्नान और हावड़ा ब्रिज की झलक घूमती रही। मैंने अपना स्वप्न संत शैलजा कांत जी को सुनाया और पूंछा कि क्या कुम्भ में हावड़ा पुल जैसी बनावट का कोई पुल है? इस पर उन्होंने कहा कि हां ऐसा एक पुल है। मैंने उनसे कहा कि फिर तो मैं बड़ा भाग्यशाली हूं जो बगैर इलाहाबाद गये कुम्भ का गोता ले आया। उन्होंने मुझे आशीर्वाद स्वरूप बधाई दी। दो-तीन दिन बाद हमारे बड़े भाई सीताराम जी भी कुम्भ स्नान करके लौटे तब भी मैंने उनसे पूंछा कि वहां आपने कोई ऐसा पुल देखा जो कलकत्ते के हावड़ा पुल जैसी बनावट का हो। उन्होंने भी यही कहा कि हां एक पुल हावड़ा पुल जैसी बनावट का है।
     एक बात और बतादूं कि मेरे मन में कुम्भ जाने की कोई लालसा नहीं थी, बल्कि मैं तो कुम्भ जाकर भीड़ बढ़ाने वालों को कोसता रहता था किंतु ईश्वरीय कृपा ऐसी कि कुम्भ स्नान करा दिए। वह भी उसी दिन जब संत शैलजा कांत जी ने स्नान किये। इसे मैं पूज्य देवराहा बाबा महाराज की कृपा का परिणाम मानता हूं कि उन्होंने अपने परम प्रिय शिष्य शैलजा कांत जी की तरह कुम्भ स्नान करा दिया वह भी उसी दिन।
     सौ की सीधी एक बात है कि हमें भीड़भाड़ से दूर रहकर तन से अधिक मन को चंगा रख कर परमार्थ की नदी में गोता लगाते रहना चाहिए। यही वेद, शास्त्र, पुराण और सभी धर्म ग्रंथो का सार है।