वृंदावन। मथुरा मार्ग स्थित वृंदावन पब्लिक स्कूल के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं ने कराटे चैंपियनशिप में अपनी जीत का परचम लहराया व राष्ट्रीय स्तर पर योग्यता हासिल कर अग्रिम जीत का मार्ग प्रशस्त किया। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश राज्य स्तरीय कराटे चैंपियनशिप द्वारा आयोजित पांचवी उत्तर प्रदेश यूनाइटेड कराटे चैंपियनशिप -2025 का आयोजन राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित जी एल ए विश्वविद्यालय के स्टेडियम में किया गया। राज्य भर के शीर्ष एथलीटों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए वी पी एस के छात्रों ने स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीते और राष्ट्रीय अर्हता प्राप्त कर विद्यालय को गौरव का अनुभव कराया। गौरवान्वित उपलब्धि प्राप्त करने वाले छात्रों मे राघव चतुर्थ बी (स्वर्ण पदक), रितु शमा 9 बी (स्वर्ण पदक), यथार्थ गोस्वामी 10 (गोल्ड), रितिक राठौर 12 आर्टस (गोल्ड), जाह्नवी शर्मा 9 (सिल्वर), आरुषि शर्मा चतुर्थ बी (रजत), लक्ष्य छठवीं बी (सिल्वर), वेदांश शर्मा 7 वीं सिल्वर), जियांश गर्ग चतुर्थ बी (कांस्य) जीत कर अपनी खेल प्रतिभाओं की श्रेणी में स्वयं को साबित कर दिखाया। इस अवसर पर विद्यालय के निदेशक शिक्षाविद डॉ. ओम जी ने छात्रों को शुभकामनाएं दी l खेल प्रशिक्षिका शिवानी वर्मा के नेतृत्व में कराटे टीम ने अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन किया व जी एल ए के विशाल क्रीड़ांगन में तालियों की गड़गड़ाहट के साथ विद्यालय का नाम रोशन किया।
संस्कृति विश्वविद्यालय के सात पेटेंट हुए व्यावसायिक मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के सात पेटेंट ने व्यावसायिक क्षेत्र में उपस्थिति दर्ज कराई है। औद्योगिक इकाइयां इनपर काम करके नए उत्पादन करेंगी। बताते चलें कि किसी पेटेंट के रजिस्टर्ड हो जाने के बाद उसका किसी इंडस्ट्री द्वारा खरीद लिया जाना उसके महत्व और उपयोगिता को दर्शाता है। संस्कृति विश्वविद्यालय के हाल ही में दो पेटेंट इंडस्ट्री द्वारा खरीद लिए गए हैं। विवि के कुल सात पेटेंट विभिन्न इंडस्ट्री द्वारा खरीदे जा चुके हैं। संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एमबी चेट्टी ने इस उपलब्धी की जानकारी देते हुए बताया कि किसी पेटेंट को खरीदने वाली इंडस्ट्री पेटेंट का स्वामित्व रखने वाली संस्था को रॉयल्टी भी देती है। इस लिहाज से व्यावसायिक दृष्टि से संस्था के लिए एक स्थाई आमदनी का जरिया बनता है। प्रोफेसर चेट्टी ने बताया कि संस्कृति विश्विद्यालय ने एक और कीर्तिमान हासिल कर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग से जुड़ी संस्था इंटेलेक्चुयल प्रोपर्टी इंडिया ने वर्ष 2023-24 की सूची जारी करते हुए पेटेंट दाखिल करने वाले विश्वविद्यालयों में संस्कृति विवि को 8वां स्थान दिया। वर्ष 2023-24 में संस्कृति विवि की ओर से पेटेंट कराने के लिए 750 एप्लीकेशन दाखिल की गई हैं, जो किसी भी विवि के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। विवि द्वारा ताजा स्थिति के अनुसार अब तक 3008 पेटेंट दाखिल किए जा चुके हैं, जो बायोटेक्नोलॉजी, केमिस्ट्री, फोरेंसिक साइंस, होम्योपैथी, फिजिक्स, रिहैबिलेशन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से जुड़े हैं। संस्कृति विवि के कुलपति प्रो.एमबी चेट्टी ने कहा कि विश्वविद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों का देश की तरक्की में बहुत बड़ा योगदान होता है। विश्व में बौद्धिक संपदा संरक्षण का महत्व तेजी से बढ़ता जा रहा है। यह एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का आधार है। विश्वविद्दालयों द्वारा होने वाली शोध से अर्जित बौद्धिक संपदा का स्वामित्व हासिल करने के लिए पेटेंट कानून के तहत आवेदन किया जाता है। भौतिक धन की तरह बौद्धिक संपदा का स्वामित्व लिया जा सकता है। किसी विवि द्वारा शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसंधान क्षमताओं को मजबूत बनाना और बौद्धिक संपदा अधिकारों में कौशल निर्माण करना महत्वपूर्ण कार्य है। संस्कृति विश्वविद्यालय ने इस कार्य में गंभीरता बरतते हुए विशेष उपलब्धि हासिल की है। आज विवि अपने अनूठे शैक्षणिक कार्यों के लिए देश में अलग पहचान बना चुका है। प्रोफेसर चेट्टी ने बताया कि इसके लिए विवि के शिक्षकों की पूरी टीम बधाई की पात्र है। उन्होंने बताया कि संस्कृति विवि वर्ष 2023-24 में पेटेंट दाखिल करने वालों में उत्तर प्रदेश चौथे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश से पांच हजार 779 पेटेंट एप्लीकेशन दाखिल की गई हैं। देश में पहला स्थान तमिलनाडु प्रदेश का है जहां से 9565 एप्लीकेशन दाखिल की गई हैं। प्रो. चेट्टी ने बताया कि संस्कृति विवि द्वारा दाखिल एप्लीकेशंस में अधिकतर मेडिकल साइंस, इंजीनियरिंग, एजूकेशन एवं मैनेजमेंट से संबंधी विषयों की हैं।
विवि टीम की मेहनत का फल है ये उपलब्धि: डा.सचिन गुप्ता संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि जब विवि का शिक्षक वर्ग विवि और देश के उत्थान के लिए लगातार मिलकर काम करता है तब ही ऐसी उपलब्धियां हासिल होती हैं। वैसे यह हमारी संतुष्टि की सीमा नहीं है। सारी टीम विवि को देश ही नहीं विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत है। मुझे विश्वास है कि संस्कृति विवि एक दिन दुनिया के विख्यात 100 विवि के मध्य अपना नाम दर्ज कराएगा।
मथुरा। के.डी. डेंटल कॉलेज के आडिटोरियम में राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के छात्र-छात्राओं को जैसे ही उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तीकरण योजना के तहत टैबलेट मिले उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। छात्र-छात्राओं ने विश्वास दिलाया कि वह इन टैबलेटों का प्रयोग अपने ज्ञानवर्धन के लिए करेंगे। छात्र-छात्राओं को यह टैबलेट मथुरा-वृंदावन नगर-निगम की वार्ड संख्या 61 की पार्षद रचना रामकिशन पाठक के करकमलों से प्रदान किए गए। छात्र-छात्राओं को टैबलेट प्रदान करने से पूर्व पार्षद रचना पाठक ने कहा कि सरकार की सोच प्रत्येक युवा को हाईटेक करने की है। इसके लिए वह धीरे-धीरे अपने कदम आगे बढ़ा रही है। विद्यार्थी टैबलेट, स्मार्टफोन का सही सदुपयोग करें तथा अपना भविष्य संवारें। स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तीकरण योजना का लाभ राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के एम.फार्मा (द्वितीय वर्ष), बी.फार्मा (चतुर्थ वर्ष) तथा डी.फार्मा (द्वितीय वर्ष) के छात्र-छात्राओं को मिला। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि युवा पीढ़ी को यदि आगे बढ़ना है तो उसे अपडेट रहना होगा। सरकार जो स्मार्टफोन दे रही है, उसका सदुपयोग कर सपनों को साकार किया जा सकता है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि सरकार चाहती है कि विद्यार्थी कठिन परिश्रम कर अपना लक्ष्य प्राप्त करें। फार्मेसी का क्षेत्र सम्भावनाओं से परिपूर्ण है, उम्मीद है कि सरकार के इस प्रोत्साहन का सदुपयोग आप अपना करियर संवारने में करेंगे। प्रबंध निदेशक श्री मनोज अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि प्रदेश सरकार युवाओं को बेहतर भविष्य के लिए तथा आधुनिक संचार क्रांति से जोड़ने के लिए टैबलेट व स्मार्टफोन का वितरण कर रही है। यह प्रदेश सरकार की आधुनिक व प्रगतिवादी सोच का परिचायक है। श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार का विद्यार्थियों के अध्ययन को सुगम बनाने का यह सराहनीय कार्य है। उन्होंने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि टैबलेट का सदुपयोग कर ज्ञानार्जन करें। राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के निदेशक प्रो. (डॉ.) हिमांशु चोपड़ा ने कहा कि आज के युग में प्रौद्योगिकी हमारे जीवन और काम करने के तरीके को तेजी से बदल रही है। यह महत्वपूर्ण है कि हमारे विद्यार्थी सफल होने के लिए आवश्यक कौशल और उपकरणों से लैस हों। टैबलेट में शैक्षिक सॉफ्टवेयर और इंटरनेट कनेक्टिविटी है, जो छात्र-छात्राओं को ई-पुस्तकें, शैक्षिक वीडियो और इंटरेक्टिव लर्निंग प्लेटफॉर्म जैसे डिजिटल संसाधनों तक पहुंचने में सक्षम बनाएगा। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा की उन्हें यह टैबलेट प्राप्त होने की बेहद खुशी है। यह टैबलेट उन्हें शैक्षिक संसाधनों तक पहुंचने और उनके सीखने के अनुभव को बढ़ाने में मदद करेंगे। टैबलेट वितरण कार्यक्रम में संयोजक आकाश गर्ग, परीक्षा नियंत्रक रामकुमार चौधरी तथा राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के शिक्षकों और कर्मचारियों का विशेष सहयोग रहा।
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में परंपरागत रूप से इंटरनेशन नर्सिंग डे के अवसर पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया विद्यार्थीयों ने अन्तराष्ट्रीय नर्सिंग दिवस के अवसर पर शपथ ली। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता ने कहा कि ऑपरेशन सिंन्दूर की सफलता के लिए माननीय प्रधानमंत्री को हम धन्यवाद देते हैं तथा भारतीय सेना के शौर्य व पराक्रम की प्रशन्सा की। उन्होने कहा कि जैसे आपने कोरोना काल में बिना डरे देश की सेवा की अगर युद्ध के दौरान देश को जरूरत पड़ेगी तो देश की सेना के साथ आपको कंधे से कंधे मिलाकर खड़े रहना है। विश्वविद्यालय की सीईओ डॉ मीनाक्षी शर्मा ने कहा कि हमारे विद्यार्थी भारत में ही नहीं अपितु भारत के बाहर भी संस्कृति विश्वविद्यालय का नाम रोशन करेंगें। संस्कृति स्कूल ऑफ नर्सिंग के प्रिंसिपल डॉ के. के. पाराशर ने सभी का स्वागत करते हुए नर्सिंग के इतिहास व फ्लोरेंस नाइटेंगल की नर्सिंग प्रोफेशन में क्या भूमिका रही, के बारे में बताया। स्टूडेंट्स वेलफेयर विभाग के डीन डॉ. डी. एस. तोमर ने कहा कि नर्सिंग एक उभरता हुआ प्रोफेशन है आज इसकी मांग पूरे विश्व में है। इस अवसर पर लैंप लाइटिंग के बाद विद्यार्थियों को शपथ ग्रहण कराई गयी। प्राचार्य डॉ. के. के. पाराशर, सिनियर फैकल्टी केशचन्द्र सिंह व एसोसिएट प्रोफेसर धीराज पाराशर ने लैम्प जलाकर इस कार्यक्रम को आगे बढाया। ततपश्चात् पंक्तिवद्ध तरीके से विद्यार्थीयों ने अपने लैम्प जलाये। प्राचार्य डॉ पाराशर ने कहा कि आज का दिन किसी भी नर्सिंग विद्यार्थी के लिए बडा महत्वपूर्ण दिन होता है, जब वह औपचारिक रूप से नर्सिंग के क्षेत्र में प्रवेश करता है। इसी क्रम में विद्यार्थीयों ने सांसकृतिक कार्यक्रम नृत्य-गायन आदि की प्रस्तुति दी तथा सभी का मनमोह लिया। कार्यक्रम में चद्र प्रकाश सिंह (असिसटेंट प्रोफेसर), श्रीमती अमनदीप दूबे (असिसटेंट प्रोफेसर), साक्षी शर्मा (सिनियर टयूटर) आदि अध्यापक मौजूद रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता तथा विशिष्ट अतिथि संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एम.बी. चेटी जी तथा सी.ई. ओ. डॉ मिनाश्री शर्मा के द्वारा दीप प्रवजल्लन से हुआ। मुख्य अतिथि तथा विशिष्ठ अतिथियों का पौधा भेंट कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
मथुरा। नए उत्पाद विचारों को विकसित करने वाली कॉर्पोरेट टीम हो या वास्तविक दुनिया की चुनौतियों से निपटने वाले छात्र हों या फिर अगली बड़ी चीज का प्रोटोटाइप बनाने वाले उद्यमी हों, हैकाथॉन एक उद्देश्य के लिए विविध दिमागों को एक साथ लाता है। इससे छात्र-छात्राओं और बाहरी प्रतिभागियों को उन विचारों के साथ प्रयोग करने का अवसर मिलता है, जिन्हें वे आमतौर पर अपने दैनिक कार्य में नहीं आजमाते। उक्त उद्गार जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा द्वारा आयोजित क्यूबिटएक्स-2025 के समापन अवसर पर प्रबंधक एवं इनोवेशन हब, उत्तर प्रदेश की संस्थापक सदस्य वंदना शर्मा ने व्यक्त किए। छात्र-छात्राओं में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जी.एल. बजाज मथुरा में राष्ट्रीय हैकाथॉन का आयोजन किया गया, जिसमें ऑनलाइन चरण में देशभर के 50 से अधिक संस्थानों से एक हजार से अधिक पंजीयन हुए, जिनमें से 380 से अधिक टीमों ने भाग लिया। कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद शीर्ष 50 टीमों को उनके नवोन्मेषी विचारों के आधार पर आयोजित 24 घंटे की ऑफलाइन हैकाथॉन में आमंत्रित किया गया। प्रतिभागियों ने ओपन इनोवेशन, डुअलिटी एआई और डेवनोवेट जैसे प्रमुख नवाचार ट्रैकों पर वास्तविक जीवन की समस्याओं पर काम किया और अपने उन्नत तकनीकी समाधान गिटहब के प्रोफेशनल्स और विभिन्न स्टार्टअप्स के संस्थापकों के समक्ष प्रस्तुत किए। अंत में निर्णायकों द्वारा राष्ट्रीय हैकाथॉन के विजेताओं की घोषणा की गई। समापन अवसर पर ग्राफिक एरा, देहरादून की टीम के सेनादृष्टि और ओआईएसटी भोपाल की टीम के टेक इन्फेंट्री को संयुक्त रूप से दो सौ डॉलर की नगद पुरस्कार राशि तथा आकर्षक गिफ्ट्स प्रदान किए गए। इसी तरह जीएल बजाज की टीम टेक टाइटंस और टीम हैकेक्टिव को जीडीजी टी-शर्ट के साथ विशेष पुरस्कार से नवाजा गया। पुरस्कार वितरण के अवसर पर प्रबंधक एवं इनोवेशन हब, उत्तर प्रदेश की संस्थापक सदस्य वंदना शर्मा ने अपने प्रेरणादायक सम्बोधन में नवाचार, उद्यमिता और तकनीक आधारित वास्तविक प्रभाव की आवश्यकता पर विशेष बल दिया। जी.एल. बजाज की निदेशक प्रो. (डॉ.) नीता अवस्थी ने अपने सम्बोधन में कहा कि जब कर्मचारी अपने नियमित कार्यप्रवाह से बाहर निकलते हैं और गतिशील वातावरण में सहयोग करते हैं, तो इससे काम के प्रति उनका जुनून फिर से जागृत हो जाता है। उन्होंने कहा कि जीएल बजाज में आयोजित क्यूबिटएक्स-2025 ने तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। यह राष्ट्रीय हैकाथॉन न केवल प्रतिभागियों के कोडिंग कौशल को प्रस्तुत करने का मंच बना बल्कि रचनात्मकता और समस्या समाधान की भावना को भी प्रोत्साहित किया। इस आयोजन की सफलता में सीएसई विभागाध्यक्ष इंजीनियर संजीव कुमार सिंह, डॉ. नवनीत पांडेय, डॉ. देवेश, इंजीनियर प्रमोद कुमार, डॉ. वी.के. सिंह, डॉ. शशी शेखर, डॉ. उदयवीर आदि का मार्गदर्शन और सहयोग रहा। विभागाध्यक्ष संजीव कुमार सिंह ने कहा कि क्यूबिटएक्स-2025 वास्तव में नवाचार प्रेमियों के लिए एक प्रेरणादायक और गतिशील मंच सिद्ध हुआ, जहां रचनात्मकता, टीम वर्क और तकनीकी उत्कृष्टता का अद्भुत संगम देखने को मिला। समापन अवसर पर पीयूष, शिवम, प्रशांत, प्रणव, रोशनी, काव्या, कुनाल, तान्या, याशी और मोनार्क के प्रयासों की भी मुक्तकंठ से सराहना की गई। इस आयोजन को सफल बनाने में अनस्टॉप का विशेष योगदान रहा जबकि डुअलिटी और डेवनोवेट ट्रैक स्पॉन्सर के रूप में जुड़े। इसके अतिरिक्त अन्य संस्थानों ने भी सहयोगी भूमिका का निर्वहन किया। कार्यक्रम का समापन इंजीनियर ऋचा मिश्रा के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। चित्र कैप्शनः प्रबंधक एवं इनोवेशन हब, उत्तर प्रदेश की संस्थापक सदस्य वंदना शर्मा के साथ राष्ट्रीय हैकाथॉन में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली जीएल बजाज की टीम।
मथुरा। आर्टिक्यूलेटर प्रोस्थोडोन्टिक्स में एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो जबड़े की हरकतों की नकल करता है तथा दांतों के बीच के संबंध को दर्शाता है। यह सही ढंग से कृत्रिम पुनर्स्थापन बनाने में मदद करता है जो दांतों और जबड़े के साथ ठीक से मेल खाता हो। आर्टिक्यूलेटर की सटीकता और विभिन्न प्रकार के आर्टिक्यूलेटर की उपलब्धता यह सुनिश्चित करते हैं कि दंत चिकित्सक सही ढंग से कृत्रिम पुनर्स्थापन बना सकें जो रोगियों के लिए कार्यक्षमता और सौंदर्य दोनों प्रदान करें। यह बातें केडी डेंटल कॉलेज में “सिम्फनी ऑफ ऑक्लूजन: अनलॉकिंग द सीक्रेट्स ऑफ द आर्टिक्यूलेटर इन प्रोस्थोडोन्टिक्स” विषय पर आयोजित सतत दंत शिक्षा (सीडीई) कार्यक्रम में एसजीटी विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित वक्ता तथा दंत विज्ञान संकाय के डीन डॉ. ओमकार के. शेट्टी और दंत विज्ञान संकाय के रीडर डॉ. पंकज रितवाल ने भावी दंत चिकित्सकों को बताईं। के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने सतत दंत शिक्षा कार्यक्रम के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा इस कार्यक्रम का उद्देश्य ऑक्लूजन की समझ को गहरा करना तथा प्रोस्थोडॉन्टिक अभ्यास में आर्टिकुलेटर्स के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देना है। डॉ. शेट्टी और डॉ. रितवाल ने ऑक्लूजन और आर्टिकुलेटर-आधारित तकनीकों के मूलभूत और उन्नत पहलुओं पर आकर्षक और व्यावहारिक व्याख्यान दिए। डॉ. शेट्टी ने कहा कि आर्टिक्यूलेटर जबड़े की हरकतों की नकल करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। यह सुनिश्चित करते हैं कि कृत्रिम पुनर्स्थापन ठीक से फिट हों तथा सही से काम करें। उन्होंने बताया कि दंत चिकित्सा प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ आर्टिक्यूलेटर भी विकसित हुए हैं। डिजिटल आर्टिक्यूलेटर और 3डी प्रिंटिंग जैसे नए उपकरण दंत चिकित्सकों को अधिक सटीक और कुशल कृत्रिम पुनर्स्थापन बनाने में मदद करते हैं। डॉ. रितवाल ने बताया कि दंत चिकित्सा में विभिन्न प्रकार के आर्टिक्यूलेटर उपलब्ध हैं, जैसे कि सरल हिंज आर्टिक्यूलेटर, अर्ध-समायोज्य आर्टिक्यूलेटर और पूरी तरह से समायोज्य आर्टिक्यूलेटर। उन्होंने कहा कि प्रत्येक प्रकार का आर्टिक्यूलेटर जबड़े की हरकतों की नकल करने के लिए अलग-अलग क्षमताएं और सटीकता प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आर्टिक्यूलेटर की सटीकता कृत्रिम पुनर्स्थापन की गुणवत्ता तथा सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। इतना ही नहीं आर्टिक्यूलेटर का उपयोग क्राउन, ब्रिज और डेंचर बनाने के साथ ही ऑर्थोडोंटिक उपचार की योजना बनाने में भी मददगार है। सतत दंत शिक्षा कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण व्यावहारिक सत्र था, जिसमें प्रोस्थोडोन्टिक्स विभाग के सभी स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इस सत्र में रोगियों और आर्टिकुलेटर्स दोनों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया, जिससे उपस्थित लोगों को सैद्धांतिक ज्ञान को नैदानिक अनुप्रयोग के साथ एकीकृत करने का एक अनूठा अवसर मिला। इस शैक्षणिक पहल की सभी प्रतिभागियों ने सराहना की। सभी ने कहा कि सतत दंत शिक्षा से दंत चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर सीखने और सहयोग के महत्व पर बल मिला। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा के.डी. मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने सतत दंत शिक्षा कार्यक्रम को उपयोगी बताते हुए कहा कि इससे भावी दंत चिकित्सकों को काफी मदद मिलेगी। सतत दंत शिक्षा कार्यक्रम में डॉ. सिद्धार्थ सिसोदिया, डॉ. अभिनव, डॉ. नेहा श्रीवास्तव, डॉ, लारा जैन आदि की उपस्थिति सराहनीय रही। चित्र कैप्शन। सतत दंत शिक्षा कार्यक्रम के बाद स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं के साथ डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी, दंत विज्ञान संकाय के डीन डॉ. ओमकार के. शेट्टी तथा दंत विज्ञान संकाय के रीडर डॉ. पंकज रितवाल। अन्य चित्र में वक्ता का स्वागत करते हुए डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी।
विजय गुप्ता की कलम समथुरा। गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा था अपने पूरे हाथ को तेल के बर्तन में डुबो दो और फिर उसे तिल से भरे बोरे में ठूंस दो। उसके बाद हाथ में जितने भी तिल चिपकें यदि ये लोग उतनी बार भी कसम खाकर किसी बात का विश्वास दिलाएं तब भी इनके ऊपर विश्वास मत करना। गुरु गोविंद सिंह जी के पुत्रों को केवल इसलिए दीवाल में जिंदा चिनवा दिया कि उन्होंने अपना सिख धर्म त्याग कर मुसलमान बनना स्वीकार नहीं किया। यह बात सौ प्रतिशत सच है कि इन लोगों पर विश्वास करना अपने आपके साथ विश्वास घात करने के समान है। इनकी फितरत रही है कि जिस थाली में खाना उसी में छेद करना। हमारे देश का खाते हैं और हमारे देश के प्रति ही बेवफा होकर पाकिस्तान के प्रति वफादारी रखते हैं। यह हाल यहां ही नहीं पूरे विश्व में है। वर्मा जिसे आजकल म्यांमार कहा जाता है, से मार मार कर इन्हें इसीलिए भगाया गया था। जैसे बंदर का स्वभाव होता है कि खाना और घुर्राना ठीक यही स्वभाव इनका है। ये सगे किसी के नहीं होते कोई इनके लिए कितना भी पचे मरे किंतु इन पर उसका कोई एहसान नहीं बल्कि मौका लगते ही एहसान फरामोशी से बाज नहीं आते बंग्लादेश इसकी जीती जागती मिशाल है। पिछले वर्ष दिल्ली में एक हिंदू युवक ने अपने मुसलमान पड़ोसी को खून देकर उसकी जान बचाई किंतु कुछ दिन बाद ही किसी बात पर कहा सुनी हो गई तो मुसलमान ने उसी हिंदू का खून कर दिया जिसने उसे खून देकर जीवन दान दिया था। मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान के ऊपर 17 बार हमला किया और हर बार पराजित होने के बाद भी पृथ्वीराज चौहान ने उसे क्षमादान देकर छोड़ दिया, किंतु 18 वीं बार पृथ्वीराज चौहान हार गए। मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को एक बार भी नहीं बख्सा और तुरंत मरवा दिया। 18 वीं बार भी पृथ्वी चौहान जीतते किंतु उनके सेनापति जयचंद ने गद्दारी की और मुहम्मद गौरी से मिलकर अपने ही राजा को हरवा कर मरवा दिया। उसके बाद जयचंद नाम इतना घृणित हो गया कि किसी ने अपने पुत्र का नाम जयचंद नहीं रखा बल्कि गद्दारों को जयचंद कहकर संबोधित किया जाने लगा। भले ही कोई अपनी औलाद का नाम जयचंद न रखें किंतु जयचंद का वंश आज भी चल रहा है। हमारे देश में जयचंद का कुनबा इतना बढ़ चुका है कि ये लोग बुरी तरह हावी हैं। अपने देश के साथ दुश्मनीं मानने वालों के साथ मिलकर देशद्रोहिता कर रहे हैं। क्यों कर रहे हैं? सिर्फ वोटो की खातिर। इन देशद्रोहियों के वोटो की बैसाखी उनकी बहुत मदद जो करती है। देशद्रोहियों से ज्यादा देशद्रोहियों के हिमायती जयचंदों को बारंबार धिक्कार है। और धिक्कार है हम लोगों को जो मूक बनकर तमाशबीन बने रहते हैं। सबसे ज्यादा धिक्कार उनको है जो सब कुछ जानते बूझते हुए भी जातिवाद और क्षेत्रवाद के नाम पर ऐसे नराधमों को वोट देते हैं। इस सब को लिखने के पीछे मेरा मतलब यह नहीं कि सभी मुसलमान गलत होते हैं। ऐसे ऐसे मुसलमान भी हुए हैं जो इतने अच्छे थे कि उनके पैरों को धोकर पी लिया जाए। क्या कबीर मुसलमान नहीं थे? क्या रहीम मुसलमान नहीं थे? क्या सांई बाबा मुसलमान नहीं थे? क्या अब्दुल हमीद जिन्होंने हाथगोला अपने सीने से लगाकर टैंक उड़ा दिया मुसलमान नहीं थे? क्या ए.पी.जे. अब्दुल कलाम मुसलमान नहीं थे? ऐसे महान लोगों को मेरा कोटि-कोटि नमन।
मथुरा। आतंकवादियों द्वारा कश्मीर में किए गए नरसंहार से पूरा देश आक्रोशित हो उठा था। भले ही मोदी जी ने जख्म पर मरहम लगाने का काम तो कर दिया किंतु यह पर्याप्त नहीं। अब तो एक ही विकल्प शेष रह गया है, वह यह कि चीन को अपना गुरु मानकर ऐसा कुछ किया जाए जिससे आतंकवाद का नामो निशान ही मिट जाय।
भले ही मेरी बात किसी के गले उतरे या न उतरे किंतु जो मैं कह रहा हूं वह अकाट्य सत्य है। यदि हम चीन से प्रेरणा लेकर उसका अनुसरण करें तो आतंकवाद तो पूरे देश से ऐसा गायब हो जाएगा जैसे गधे के सिर से सींग। अब गौर करो मेरी बात पर। चीन में देशद्रोहियों को गोली से उड़ा दिया जाता है और हमारे देश में देशद्रोही गद्दारों को सर आंखों पर बैठाया जाता है। चीन में आरक्षण वारक्षण ऐसा कुछ भी नहीं है, कि अयोग्यों को प्रोत्साहित करके योग्यों को हतोत्साहित किया जाय। चीन में वोट तंत्र जैसी कोई बीमारी नहीं है यही कारण है कि आज चीन पूरी विश्व बिरादरी पर भारी पड़ रहा है।
हम लोग बड़े इतरा इतरा कर कहते हैं कि हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, किंतु हमारे देश में लोकतंत्र का स्वरूप ऐसा है कि इसकी आड़ में वे लोग संसद और विधान सभाओं में पहुंच जाते हैं जिन्हें जेल में होना चाहिए। अनेक सांसद, विधायक और मंत्री तक ऐसे भी है जिन्हें फांसी या आजीवन कारावास तक की सजा होनी चाहिए। ऐसे अपराधियों को पुलिस बजाय गिरफ्तार कर जेल में डालने के उल्टे सेल्यूट और मरती है। यह है हमारे लोकतंत्र का असली चेहरा जिस पर हम इतरा इतराकर मरे जाते हैं। धिक्कार है ऐसे लोकतंत्र को। ज्यादा कुछ बताने की जरूरत नहीं सभी जानते हैं कि लोकतंत्र यानी वोट तंत्र की आड़ में क्या-क्या होता है और क्या-क्या नहीं होता।
सचमुच में देखा जाए तो लोकतंत्र के नाम पर अलोकतंत्र का साम्राज्य छाया हुआ है। पता नहीं यह अलोकतंत्र हमारे देश को कहां ले जाकर पटकेगा? ऐसा न हो कि मुगलों व अंग्रेजों की सैकड़ो साल वाली गुलामी हमें दोबारा से न जकड़ ले। हे भगवान हमारे देश में उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग जैसा कोई शासक ही भेज दो, जो गद्दार और हराम खाऊओं की अक्ल ठिकाने लगा दे।
किसी ने सही कहा है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते। जब तक ऐसा कोई दमदार डिटेक्टर हमारे देश में पैदा नहीं होगा तब तक देश गर्त में जाता रहेगा और देशद्रोही, हत्यारे, लुटेरे, बेईमान तथा दुराचारियों की पौ बारह होती रहेगी और देशभक्त व सदाचारी घुट घुट कर मरते रहेंगे। अब मुझे याद आ रही है आपातकाल की। भले ही इंदिरा गांधी ने आपातकाल अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए लगाया था किंतु यह काल देश के लिए स्वर्णिम काल था। लोगों में गलत काम करने की लत खत्म हो गई। भ्रष्टाचार का नामो निशान नहीं था। रेलें समय से चलने और पहुंचने लगीं। ज्यादातर तो बिफोर टाइम प्लेटफार्म पर आ जातीं। पुलिस वाले थाने कोतवालियों में सेवक की भूमिका में रहते। चोरी, चकारी, हत्या, लूट डकैती, दुराचार आदि अपराध तो ऐसे गायब हो गए जैसे गधे के सिर से सींग।
दूसरा पहलू यह भी है कि विरोधी दलों के लोग जेल में ठूंस दिए गए उनके साथ ज्यादती तो हुई किंतु यह भी देखना होगा कि यदि ये लोग बाहर रहते तो क्या हुड़दंग बाजी नहीं करते? क्या इस सब सुधार को होने देते? इन सब बातों की ओर किसी का ध्यान नहीं बस इमरजेंसी शब्द आते ही लोग ऐसे विदकते हैं जैसे सांड को लाल कपड़ा दिखा दिया जाता है। और तो और कांग्रेसी भी इमरजेंसी की खुलकर तारीफ नहीं करते। नई पीढ़ी के सामने इमरजेंसी का ऐसा विकृत स्वरूप कर दिया है जैसे मुगलों व अंग्रेजों से भी ज्यादा अन्याय और अत्याचार इस देश की जनता पर किए गए हों। चलो हम मान लेते हैं कि इमरजेंसी में खूब अन्याय, अत्याचार और जुल्म हुए पर अब राम राज हो गया क्या? इमरजेंसी के हटने के बाद से हर प्रकार के अपराधों का बोल वाला दिन दूना और रात चौगना बढ़ता गया। देशद्रोही गद्दार लोग मौज मस्ती कर रहे हैं जितने भी घृणित से घृणित अपराध होते हैं, वे चरम पर हैं।
देश का दुर्भाग्य था जो संजय गांधी जैसे डिटेक्टर के हाथ से देश की बागडोर चली गई। यदि आज संजय गांधी जिंदा होते और इमरजेंसी होती तो देश चीन से भी अधिक ताकतवर हो जाता तो आश्चर्य नहीं। यह भी ध्रुव सत्य है कि संजय गांधी से बड़ा हिंदूवादी कोई नहीं, भले ही गाल बजाऊ बनते रहो।
पूरा देश इस समय नरेंद्र मोदी की ओर टकटकी लगाए बैठा है। मोदी जी में कुछ कर दिखाने की कुब्बत है। पहले भी उन्होंने अजब गजब के कई कारनामे किए हैं। अतीत में किए गए उनके करिश्मो से उम्मीद तो बहुत है किंतु यह अलोक तंत्री व्यवस्था उनकी सफलता में बाधक जरूर बनेगी। देखते हैं मोदी जी इससे कैसे निपटते हैं?
बेरोजगारी की भयानकता को देखते हुए एक तरफ देश का शिक्षित युवा अपने रोजगार के लिये अनेकों कम्पनियों के चक्कर काट रहे है। वहीं मथुरा शहर का उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिष्ठित संस्थान अपने छात्र/छात्राओं का एक के बाद एक लगातार व्यावसायिक कैम्पस प्लेंसमेंन्ट उपलब्ध कराकर अपना कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। मथुरा शहर में प्रतिष्ठित संस्थान श्री गिर्राज महाराज कॉलेज में दिनांक 02.05.2025 दिन शुक्रवार को एनआईआईटी एक्सिस बैंक लिमिटेड ऑफलाइन टेस्ट के माध्यम से साक्षात्कार किया गया। जिसमें संस्थान के 24 छात्र/छात्राओं को अगले चरण के लिये चयनित किया गया। साक्षात्कार की अन्तिम प्रक्रिया में संस्थान के अनकों छात्र/छात्राओं का अच्छे पेकेज पर एनआईआईटी एक्सिस बैंक आगरा ने चयनित किया। जिसमें अन्तिम वर्ष के छात्र धीरज शर्मा, शालिनी, अमित, कृष्णा, प्रशांत, अंकित, पीयूष कुमार, देवेन्द्र रवि , खुशी, मनीष आदि छात्र छात्रों का चयन अच्छे पैकेज पर हुआ है। जिसमें शिक्षार्थियों के द्वारा भी अनेकों प्रकार के प्रश्न अपने कैरियर के सम्बन्ध में पुछे गये जिसका बड़ी सहजता से मैनेजर श्री अभय वर्मा ने जबाव दिया और उनको अच्छे भविष्य के लिये बधाई भी दी। कम्पनी के सीनियर एरिया मैनेजर श्री अभय वर्मा ने छात्रों का प्लेसमेंन्ट एनआईआईटी एक्सिस बैंक लिमिटेड आगरा के लिये किया। संस्थान के ट्रेनिंग व प्लेसमेंन्ट इंचार्ज प्रो0 चंचल शर्मा ने मिलकर पूरी प्रक्रिया करवायी। इस साक्षात्कार में संस्थान के बी0काम0 बी0बी0ए0 व बी0सी0ए0 कक्षाओं के अन्तिम वर्ष के 120 छात्र/छात्राओं ने भाग लिया था। संस्थान के ऐकेडिमक इंचार्ज प्रो0 राखी सक्सैना ने बताया कि हमारे देश में नौकरी की कोई कमी नहीं है। बशर्ते आपके अन्दर एक जूनून होना चाहिए। अपने विचार व्यक्त किये और छात्रों को भविष्य में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये उनको मिलने वाले अवसरों और उनको कैसे प्राप्त करना है इसी के साथ छात्र/छात्राओं को हार्दिक बधाई दी। संस्थान के वाइस चैयरमेंन डॉ0 आशुतोष शुक्ला जी ने बताया कि संस्थान का एकमात्र उददेश्य संस्थान के छात्र/छात्राओं शिक्षित करने के बाद उन्हें रोजगार के अच्छें उपलब्ध कराना भी है। जिससे छात्र/छात्राऐं अपने भविष्य का निर्माण अच्छे से बना सके। डॉ0 शुक्ला ने कहा कि भविष्य में इस प्रकार के कैम्पस प्लेेंसमेंन्ट होते रहेगें। जिससे संस्थान कें शिक्षित छात्रों को अच्छे रोजगार उपलब्ध हो सके। संस्थान के वाइस चैयरमेंन डॉ0 आशुतोष शुक्ला जी ने चयनित छात्र छात्राओं को शुभकामनाऐं तथा उनके उज्जवल भविष्य की मंगल कामना की। संस्थान के निदेशक द्वारा कम्पनी के सीनियर एरिया मैनेजर श्री अभय वर्मा का आभार व्यक्त किया तथा धन्यवाद दिया और संस्थान के शिक्षणगणों की सराहना की।
मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के तीन होनहार विद्यार्थियों ने अपनी काबिलियत और कौशल से ऊंची उड़ान भरने में सफलता हासिल की है। संस्थान के छात्र पंकज को जहां अजंता फार्मा ने छह लाख सालाना पैकेज पर क्वालिटी कंट्रोल ऑफिसर के पद पर सेवा का मौका दिया है वहीं उपासना और रशद खान को समता रिसर्च एलायंस ने उच्च पैकेज पर जॉब आफर किया है। राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी को छात्र-छात्राओं के सर्वाधिक प्लेसमेंट के लिए जाना जाता है। यहां के छात्र-छात्राओं के लिए हाल ही में कैम्पस रिक्रूटमेंट ड्राइव आयोजित की गई, जिसमें दो प्रतिष्ठित कम्पनी समता रिसर्च एलायंस तथा अजंता फार्मा लिमिटेड ने हिस्सा लिया। इन दोनों कम्पनियों के पदाधिकारियों ने छात्र-छात्राओं की लिखित परीक्षा लेने के बाद उनका साक्षात्कार लिया। साक्षात्कार के बाद अजंता फार्मा कम्पनी के अधिकारी रतन राय ने पंकज को क्वालिटी कंट्रोल ऑफिसर के पद पर सेवा का अवसर प्रदान किया। पंकज का चयन छह लाख रुपये सालाना के पैकेज पर हुआ ह इसी तरह समता रिसर्च एलायंस के विभागीय अधिकारी ठाकुर भानुप्रताप सिंह एवं गरिमा चोपड़ा ने उपासना और रशद खान की प्रतिभा तथा कौशल से प्रभावित होते हुए उन्हें उच्च पैकेज पर जॉब आफर किया। समता रिसर्च एलायंस के चेयरमैन रणवीर ठाकुर ने राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी की शैक्षिक गुणवत्ता की सराहना करते हुए कहा कि यहां के छात्र-छात्राओं में समस्याओं के समाधान का सुन्दर कौशल है, यही वजह है कि हमारी कम्पनी यहां के होनहारों सेवा का अवसर देने में रुचि रखती है। चयनित विद्यार्थियों ने अपनी सफलता का श्रेय राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी की उच्चस्तरीय शिक्षा प्रणाली, मार्गदर्शन तथा अपने माता-पिता के प्रोत्साहन को दिया है। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने सफल विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। डॉ. अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी 1999 से संचालित है। यहां का ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट विभाग छात्र-छात्राओं को बदलती शिक्षा प्रणाली के अनुरूप न केवल ढालता है बल्कि रोजगार विकल्पों के लिए हर समय तत्पर रहता है। प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने तीनों विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी का शानदार प्लेसमेंट रिकॉर्ड है। यहां अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राएं निजी कम्पनियों ही नहीं प्रदेश स्तर पर ड्रग इंस्पेक्टर के रूप में सेवाएं देकर संस्थान का गौरव बढ़ा रहे हैं। संस्थान के निदेशक प्रो. (डॉ.) हिमांशु चोपड़ा ने तीनों विद्यार्थियों की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि फार्मेसी आज के युग में सर्वाधिक करियर अवसर प्रदान करने वाला क्षेत्र है। छात्र-छात्राएं अपनी मेहनत और कौशल से विभिन्न सरकारी फार्मा विभाग एवं फार्मास्युटिकल कम्पनियों में नौकरी पक्की कर सकते हैं। ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट विभाग के अधिकारी सौम्यदीप ने कैम्पस रिक्रूटमेंट ड्राइव के लिए कम्पनी पदाधिकारियों का आभार माना। चित्र कैप्शनः कम्पनी पदाधिकारियों के साथ राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के चयनित तीनों विद्यार्थी।