Sunday, October 19, 2025
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भारत में तय हो रहा दुनियां के एआई का भविष्य

  • जीएलए में संचार नियंत्रण और इंटेलिजेंट सिस्टम पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ

मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा में इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग विभाग ने संचार नियंत्रण और इंटेलिजेंट सिस्टम (सीसीआईएस 2024) पर तीसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। दो दिवसीय सम्मेलन ने वैश्विक शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और उद्यमियों के लिए विचारों का आदान-प्रदान करने और संचार, नियंत्रण और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया। सम्मेलन के दौरान कई देशों से 900 से अधिक शोध पत्र प्राप्त हुए।

समारोह की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई और उसके बाद सरस्वती वंदना हुई। सम्मेलन के जनरल चेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो. विनय कुमार देवलिया ने सभी गणमान्य व्यक्तियों, प्रतिभागियों, संकाय सदस्यों और छात्रों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की शुरूआत की। उन्होंने सम्मेलन का एक संक्षिप्त अवलोकन प्रस्तुत किया और सीसीआईएस-2024 के वैश्विक महत्व पर प्रकाश डाला।

विभाग के एसोसिएट हेड डा. मनीष गुप्ता ने सीसीआईएस 2024 सम्मेलन के विषय पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने उभरती प्रौद्योगिकियों के परिप्रेक्ष्य के माध्यम से बुद्धिमान समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने संचार नियंत्रण और बुद्धिमान प्रणालियों के क्षेत्र में अत्याधुनिक विकास को लाने पर ध्यान केंद्रित किया। इसके अतिरिक्त, डा. मनीष कुमार ने सम्मेलन के सम्मानित अतिथियों जैसे मुख्य अतिथि, सम्मानित अतिथि, विश्वविद्यालय सलाहकार और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का परिचय दिया।

जीएलए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों, छात्रों, कर्मचारियों और संकाय सदस्यों का का स्वागत करते हुए सीसीआईएस सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डाला।

उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि, आईआईटी जम्मू के निदेशक प्रो. मनोज सिंह गौर ने संचार, नियंत्रण और ऊर्जा परिदृश्य को बदलने में उभरती प्रौद्योगिकियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर अंतर्दृष्टि साझा की। मुख्य अतिथि ने ब्रज में सीसीआईएस 2024 का हिस्सा होने पर अपने आप को सौभाग्यशाली कहा। उन्होंने एआई-संचालित पारिस्थितिकी तंत्र की परिवर्तनकारी क्षमता पर जोर दिया। उन्होंने 5जी और आगामी 6जी प्रौद्योगिकियों के विकास पर प्रकाश डाला।

प्रो. गौड़ ने आवश्यक सेवाओं में पहुंच और दक्षता बढ़ाने में डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और एआई-सक्षम चिकित्सा सहायता की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दुनियां भारत को एआई आधारित बुनियादी ढांचे के लिए एक उभरते हुए केंद्र के रूप में कैसे देखती है, जिसमें एआई प्रौद्योगिकियों को अपनाया जा रहा है और अभिनव अनुप्रयोग हैं। उनकी अंतर्दृष्टि ने दर्शकों को एक स्मार्ट और एआई की विशाल संभावनाओं का पता लगाने के लिए प्रेरित किया। शिक्षा और नेतृत्व में अपने व्यापक अनुभव से आकर्षित होकर सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए व्यावहारिक अनुप्रयोगों के साथ अभिनव अनुसंधान को एकीकृत करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने वैश्विक मुद्दों को हल करने, नवाचार को पोषित करने और अगली पीढ़ी के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों को सशक्त बनाने में सहयोग की परिवर्तनकारी क्षमता के बारे में भी बात की।

सम्मानित अतिथि एएमएस एजी के कंट्री हेड राजेश गुप्ता ने उभरती प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने शिक्षा और उद्योग के बीच सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने प्रतिभागियों को भविष्य के लिए प्रभावशाली और टिकाऊ समाधान बनाने पर ध्यान देने के साथ उभरती प्रौद्योगिकियों का पता लगाने के लिए प्रेरित किया।

सम्मानित अतिथि स्टर्लिंग जीटेक ई-मोबिलिटी कंपनी के एचआर विभाग के प्रमुख विक्रम बिश्नोई ने ई-मोबिलिटी क्षेत्र में नवाचार और मानव पूंजी की विकसित भूमिका पर अपने दृष्टिकोण साझा किए। उन्होंने संचार, नियंत्रण और ऊर्जा प्रणालियों में उभरती प्रौद्योगिकियों की मांगों के साथ कार्यबल क्षमताओं को संरेखित करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने अंत में निरंतर सीखने और अनुकूलन क्षमता की संस्कृति को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया।

विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति प्रो. दुर्ग सिंह चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि ज्ञान प्राप्त करना बिना किसी जटिलता के सभी के लिए सुलभ एक मौलिक अधिकार है। पवित्र ग्रंथों में छंदों से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने मानव जाति की भलाई के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में मानवता, सादगी और आजीवन सीखने के मूल्यों पर प्रकाश डाला।

जीएलए के एसोसिएट डीन एकेडमिक प्रो. आशीष शुक्ला द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने सभी गणमान्य व्यक्तियों, प्रतिभागियों, वक्ताओं, प्रायोजकों, आयोजकों और स्वयंसेवकों को उनके अटूट समर्थन और समर्पण के लिए सभी गणमान्यों का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता, कुलसचिव अशोक कुमार सिंह एवं डा. परेश चन्द्र साहू ने कहा कि यह सम्मेलन विद्यार्थियों के हित और भविष्य के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। सम्मेलन में कॉरपोरेट और शैक्षिक जगत के दिग्गज जुटे। विभाग के प्रोफेसर अंजन कुमार, शैलेश कुमार सारस्वत, दिवाकर अग्रवाल, धीरज कालरा, अलका अग्रवाल ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

संस्कृति विवि में मनाया गया राष्ट्रीय कृषि दीवस, शोध के लिए किया प्रेरित

मथुरा। संस्कृति स्कूल आफ एग्रीकल्चर द्वारा संस्कृति विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कृषि दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद जो कि भारत के पहले कृषि मंत्री भी रहे हैं, उनकी जयंती के मौके पर आयोजित कृषि दिवस के दौरान वक्ताओं ने पूर्व राष्ट्रपति के कृषि क्षेत्र में दिए गए योगदान पर प्रकाश डालते हुए उनकी याद की।
कार्यक्रम के समन्वयक डा. सतीश चंद्र ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए राष्ट्रीय कृषि दिवस के बारे में बताया। साथ ही डॉ. राजेंद्र प्रसाद की विरासत और आकार देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि हमारे वातावरण में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। मौसम में हो रहे बदलाव के कारण फसलों पर भी असर पड़ रहा है। इतना ही नहीं देश के अलग-अलग भाग में कृषि की परिस्थितियों में भी बदलाव हो रहा है। छात्रों को इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान के कार्य में निरंतर संलग्न रहना चाहिए। उन्होंने कहा कृषि में नवाचार और तकनीकी प्रगति तेजी के साथ हो रही है। भारत आज काद्यान्न, दुग्ध उत्पादन और सब्जियों के उत्मादन में आत्मनिर्भर है। लेकिन यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि अभी बहुत कुछ ऐसा करना बाकी है जो हमारी भावी पीढ़ी के जीवन को सहज बना सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए सतत अभ्यास और ऐसी प्रौद्योगिकियों का विकास करना है जो किसानों के अनुकूल हों और पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित हों।
वक्ताओं ने विद्यार्थियों को भविष्य की तैयारियों के कहा कि विद्यार्थियों को जलवायु परिवर्तन और संसाधनों के कारण आने वाली चुनौतियों का सामना करते हुए दीर्घकालीन कृषि विकास सुनिश्चित करने के लिए संरक्षण और पारिस्थितिकीय के साथ संतुलन बैठाने में महारत हासिल करनी होगी। कार्यक्रम का समापन सहायक प्रोफेसर डॉ. आकाश शुक्ला के हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ उन्होंने कृषि विद्यालय के डीन, संकाय सदस्यों का आभार व्यक्त किया।

किसी सृजन को कानूनी सुरक्षा देना ही बौद्धिक सम्पदा अधिकार

  • आईपीआर में कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, पेटेंट का विशेष महत्व
  • जीएल बजाज में हुई बौद्धिक सम्पदा अधिकार और महत्ता पर कार्यशाला

मथुरा। किसी व्यक्ति या व्यवसाय के पास मौजूद अमूर्त सम्पत्तियों से जुड़े सभी अधिकार जोकि ऐसी सम्पत्तियों को गैरकानूनी उपयोग या शोषण से बचाये जा सकें, बौद्धिक सम्पदा अधिकार कहलाते हैं। ऐसे अधिकार बौद्धिक सम्पदा के रचनाकारों को दिए जाते हैं ताकि उनकी रचनाओं का इस्तेमाल उनकी अनुमति के बिना कोई दूसरा न कर सके। बौद्धिक सम्पदा अधिकारों का उपयोग किसी निश्चित समय अवधि के लिए निर्दिष्ट सम्पत्ति या वस्तुओं के उपयोग पर धारक के एकाधिकार को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। इन अधिकारों का उल्लंघन दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। यह बातें सोमवार को जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा के इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी) द्वारा बौद्धिक सम्पदा अधिकार (आईपीआर) और नवप्रवर्तकों व उद्यमियों के लिए इसकी महत्ता विषय पर आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि बौद्धिक सम्पदा अधिकार विशेषज्ञ पूजा कुमार ने छात्र-छात्राओं को बताईं।
मुख्य अतिथि पूजा कुमार ने छात्र-छात्राओं को बताया कि आईपी को पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क द्वारा कानून के दायरे में लाते हुए संरक्षित किया जाता है, जो लोगों को उनके द्वारा आविष्कार, निर्माण से मान्यता या वित्तीय लाभ अर्जित करने में सक्षम बनाता है। नवोन्मेषकों के हितों और व्यापक सार्वजनिक हित के बीच सही संतुलन बनाकर आईपी प्रणाली में ऐसा वातावरण विकसित करना है जिसमें रचनात्मकता और नवाचार पनप सके। उन्होंने कहा कि पेटेंट किसी आविष्कार के लिए दिया गया एक विशेष अधिकार है। आमतौर पर कोई पेटेंट, पेटेंट मालिक को यह तय करने का अधिकार देता है कि आविष्कार का इस्तेमाल दूसरों द्वारा कैसे किया जा सकता है।
पूजा कुमार ने बताया कि कॉपीराइट एक कानूनी शब्द है जिसका उपयोग रचनाकारों को उनके साहित्यिक और कलात्मक कार्यों पर प्राप्त अधिकारों का वर्णन करने के लिए किया जाता है। कॉपीराइट के अंतर्गत आने वाले कार्यों में किताबें, संगीत, पेंटिंग, मूर्तिकला, फिल्में, कम्प्यूटर प्रोग्राम, डेटाबेस, विज्ञापन, नक्शे और तकनीकी चित्र आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ट्रेडमार्क एक ऐसा चिह्न है जो एक उद्यम के सामान या सेवाओं को दूसरे उद्यमों से अलग करने में सक्षम बनाता है। ट्रेडमार्क की शुरुआत प्राचीनकाल से ही चलन में है, अतीत में कारीगर अपने उत्पादों पर अपना हस्ताक्षर या चिह्न लगाते थे।
सत्र की शुरुआत मुख्य अतिथि पूजा कुमार के स्वागत से हुई। उन्होंने आईपीआर के विभिन्न पहलुओं जैसे परिभाषा, क्षेत्र, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, पेटेंट, व्यापारिक रहस्य आदि की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने आईपीआर के व्यावहारिक उपयोगों को दर्शाते हुए बताया कि नवप्रवर्तक अपने विचारों को कैसे सुरक्षित और व्यावसायिक रूप से उपयोग में ला सकते हैं। प्रस्तुति के बाद प्रतिभागियों और विशेषज्ञ के बीच प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन हुआ, जहां प्रतिभागियों ने अपनी जिज्ञासा शांत की। अंत में आईआईसी के उपाध्यक्ष डॉ. शशि शेखर ने मुख्य अतिथि पूजा कुमार को एक स्मृति चिह्न तो आईआईसी के संयोजक बृजेश कुमार उमर ने उन्हें एक पौधा भेंटकर आभार माना। सत्र का समापन डॉ. शशि शेखर के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने आईपीआर की महत्ता पर जोर दिया तथा मुख्य अतिथि, आयोजन समिति तथा प्रतिभागियों का उनके सहयोग और सहभागिता के लिए धन्यवाद दिया। डॉ. शशि शेखर ने कहा कि जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा का आईआईसी ऐसे प्रयासों का नेतृत्व करता है, जोकि छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों को नवाचार की दुनिया में सार्थक योगदान देने के लिए सशक्त बनाते हैं।

देशद्रोहियों से निपटने का पेटेंट उपाय

विजय गुप्ता की कलम से

     मथुरा। आज चारों ओर देशद्रोहियों ने तांडव मचा रखा है। पूरे देश में जहां देखो ये गद्दार कोई भी मौका नहीं छोड़ते अराजकता फैलाने का। मेरे दिमाग में एक बहुत अच्छा आयडिया है, जिससे इन नमक हरामों की नाक में नकेल डाली जा सकती है।
     हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एक अदम्य साहसी व्यक्ति हैं, उन्होंने कश्मीर से धारा 356 हटाने जैसा अजब गजब का काम कर दिया जिसकी स्वप्न में भी कल्पना नहीं की जा सकती थी तथा चीन जैसे ताकतवर और खूंखार देश से डटकर मुकाबला किया और उसे दवा कर ही माने। उनसे उम्मीद की जा सकती है कि वे इस पेटेंट उपाय को लागू कर सकते हैं।
     उपाय यह है कि पूरे देश में एक नियम बना दिया जाय कि प्रत्येक देशवासी स्टांप पेपर पर लिखित में एक वचन दे कि “मैं भारत का वफादार नागरिक हूं। इस देश के प्रति हमेशा वफादारी रखूंगा। कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करूंगा जिससे समाज में अराजकता फैले। यदि मैं ऐसा कोई गलत कार्य करूं तो मुझे कड़ी से कड़ी सजा दी जाय। जय हिंद, जय भारत।
     मेरा कहने का मतलब है कि कुछ इस प्रकार की भाषा को ठीक से बनाकर सभी देशवासियों के लिए आवश्यक कर दिया जाय। वे चाहे हिंदू हों, मुसलमान हों, सिख हों, ईसाई हों या बौद्ध हों कोई भी जात कोई भी धर्म हो। जो लोग इस वचन से कन्नी काटें उन्हें मताधिकार से वंचित कर दिया जाय।
     इसके अलावा जो लोग शपथ पत्र देने के बावजूद आगजनी तोड़फोड़ व लूटपाट आदि हिंसक कार्यों में संलग्न पाऐ जांय उन्हें सीसीटीवी कैमरों ड्रोन आदि से चिन्हित करके न सिर्फ मतदान के अधिकार से वंचित किया जाय बल्कि देशद्रोह वाली कड़ी धाराऐं लगाकर जेल भेजा जाय। यदि ऐसा हो जाता है तो इन गद्दारों की अकल ठिकाने आ जाएगी हां विरोधी दल हाय तौबा जरूर मचाएंगे। वे तो हर किसी बात के लिए रोते पीटते ही रहते हैं।
     एक बात और जो मेरे मन में है, को भी सुझाव के रूप में कहना चाहता हूं कि जैसे आगजनी, तोड़फोड़, हत्या, लूटपाट आदि उपद्रव करने वालों को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले और पानीं की बौछार की जाती है। मेरे विचार से सादा पानीं के बजाय नाले नालियों व सीवर लाइन आदि के दूषित पानीं की बौछार करनी चाहिए। इंसानों और गंदे जानवरों के मल मूत्र युक्त बदबूदार पानीं की बौछार के दो-चार कार्यक्रम होते ही ये लोग सतर्क हो जाएंगे तथा दूषित पानीं वाली गाड़ी को दूर से देखकर सर पर पैर रखकर भागेंगे।
      यदि सरकार को सरसरी तौर पर मेरे सुझाव उचित लगें तो इस मुद्दे पर गंभीरता पूर्वक विचार कर अमल में लाऐ वर्ना जय राम जी की।   

रक्तदान दूसरों के जीवन के लिए अह्म : विवेक

  • पाराशर फिजियोथेरेपी में आयोजित रक्तदान शिविर का जीएलए के सीएफओ ने किया शुभारंभ

रक्तदान अनमोल है, जिसमें हम ऐसे जरुरतमंद लोगों की मदद करते हैं, जिनको हम जानते तक नहीं। इसी कार्य को साक्षात् परोपकार कहा जाता है।

यह बातें रक्तदाताओं को प्रेरित करते हुए द्वारिकापुरी स्थित पाराशर फिजियोथेरेपी क्लिनिक पर आयोजित रक्तदान शिविर के अवसर पर मुख्य अतिथि जीएलए विश्वविद्यालय के चीफ फाइनेंस ऑफीसर विवेक अग्रवाल ने कहीं। उन्होंने कहा कि सद्भावना ब्लड बैंक के सहयोग से आयोजित यह रक्तदान शिविर वाकई दूसरों के जीवन के लिए अह्म साबित होगा। क्योंकि ऐसे अवसर पर ऐसे जरुरतमंद लोगों की मदद करते हैं जिनको हम जानते तक नहीं। इसी कार्य को साक्षात् परोपकार कहा जाता है। रक्तदाताओं को विवेक अग्रवाल ने प्रशस्ति पत्र प्रदान किए।
इस अवसर पर कार्यक्रम आयोजक निखिल भारद्वाज, हर्षित सिसोदिया एवं डा. राहुल पराशर तथा सद्भावना से डा. प्रदीप पाराशर, निदेशक संजीव सारस्वत, मोहित सारस्वत ने मुख्य अतिथि विवेक अग्रवाल को कार्यक्रम में पहुंचने और मुख्य भूमिका निभाने पर आभार व्यक्त किया। इस दौरान करीब 100 यूनिट रक्तदान हुआ। कार्यक्रम में मुख्य रूप से एस एल फिटनेस हब का भी सहयोग रहा।

इस मौके पर भारत विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष देवेन्द्र अग्रवाल, राज शर्मा, डा. दीपक, डा. राहुल शर्मा, राजेश शर्मा, विशाल, आकाश, रुद्रांश, राजा, कीर्ति, अंशी, जगजीत, रजत सिंह, रोहित, गोपाल सारस्वत, धीरज शर्मा आदि उपस्थित रहे।

बंगलादेश बनने के समय की गई भविष्यवाणीं सच हुई

विजय गुप्ता की कलम से

     मथुरा। जब बंगलादेश बना था तब एक भविष्यवक्ता ने भविष्यवाणी की थी कि जो बंगलादेश आज हिंदुस्तान के गुणगान करते नहीं थक रहा आगे चलकर यही बंगलादेश हिंदुस्तान और हिंदुओं का घोर दुश्मन बन जाएगा। यह भविष्यवाणी उस समय अखबारों की सुर्खी बनी थी। कहने का मतलब है कि इन अहसान फरामोशों की नस्ल ही ऐसी है कि जो कोई इनके लिए मरता पचता है, आगे चलकर ये उसी के दुश्मन बन जाते हैं।
     बंगलादेश जो पहले पूर्वी बंगाल था तथा बंटवारे के बाद पूर्वी पाकिस्तान बन गया, में पाकिस्तानी सेना ने जो जुल्म किये उन्हें तो ये भूल गए और हिंदुस्तान ने इनकी रक्षा की तथा अलग मुल्क का दर्जा दिलाया उसी के अब कट्टर दुश्मन बन गये तथा पाकिस्तान के साथ सुर और ताल मिला रहे हैं। उस दौरान पाकिस्तानी सेना ने लाखों बंगाली मुसलमानों का कत्लेआम कर डाला। हमारी सेना ने पाकिस्तानी सेना को हथियार डालने पर मजबूर कर दिया। उस समय भारतीय सेना ने पाकिस्तान के एक लाख सैनिकों को युद्ध बंदी बना लिया था।
     गुरु गोविंद सिंह जी जिनके पुत्रों को मुस्लिम आक्रांताओं ने सिर्फ इसलिए दीवाल में जिंदा चिनवा दिया कि गुरु गोविंद सिंह जी ने मुसलमान धर्म अपनाना स्वीकार नहीं किया। उस समय गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा था कि पहले अपने पूरे हाथ को तेल के बर्तन में डुबो दो और फिर उसी हाथ को तिलों से भरे बोरे में ठूंस दो, जितने तिल उस हाथ पर चिपक जाएं अगर उतनी बार भी ये कसम खाकर किसी बात का भरोसा दिलाएं तब भी इनके ऊपर विश्वास मत करना।
     पिछले वर्ष दिल्ली में एक हिंदू युवक ने अपने मुसलमान पड़ौसी की हालत गंभीर होने पर उसे अपना खून देकर जान बचाई किंतु कुछ दिनों बाद जब मुस्लिम युवक भला चंगा हो गया और किसी बात पर उसी हिंदू युवक से उसकी कहा सुनी हो गई तो मुस्लिम युवक ने आव देख न ताव तुरंत चाकू से गोदकर उसकी हत्या कर दी। यह समाचार पूरे देश के समाचार पत्रों व टी.वी. चैनलों की सुर्खी बना था।
     याद करो इतिहास की उस घटना को जब पृथ्वीराज चौहान ने हमलावर मुहम्मद गौरी को सत्रह बार युद्ध में पराजित किया और हर बार उसे क्षमादान देकर छोड़ दिया किंतु उसी मुहम्मद गौरी ने अठारहवीं वार के हमले में पृथ्वीराज चौहान को पराजित कर दिया और सजाऐ मौत दे दी। अठारहवीं बार भी मुहम्मद गौरी को पराजय मिलती किंतु जयचंद ने गद्दारी की और मुहम्मद गौरी से मिल अपने ही राजा को हरवा कर मरवा दिया। फिर तो जयचंद नाम इतना घृणित हो गया कि इस घटना के बाद किसी ने भी अपनी संतान का नाम जयचंद नहीं रखा। भले ही नाम नहीं रखा गया हो किंतु जयचंद तो आज भी हमारे देश में मौजूद हैं, जो अपने देश में मौजूद उन आस्तीन के सांपों, जो नमक हिंदुस्तान का खाते हैं और गीत पाकिस्तान के गाते हैं, को अपना माई बाप मानते हुए उन्हीं की वकालत कर अपनी मातृभूमि के साथ गद्दारी कर रहे हैं। यह सब सिर्फ और सिर्फ वोटों की खातिर हो रहा है। इस बात को सभी जानते हैं किंतु तथा कथित लोकतंत्र के नाम पर बेबस होकर चुप रह जाते हैं।
     एक बात और साफ कर देना चाहता हूं कि मुसलमानों में 100% लोग देश के लिए बेवफा नहीं है। कुछ ऐसे भी हैं जो देश के वफादार हैं। अब्दुल हमीद का नाम कौन नहीं जानता जिसने कलेजे से हथगोला बांधकर पाकिस्तानी टैंक को उड़ा दिया। भले ही अपनी जान गंवानी पड़ी किंतु मर कर भी अमर हो गए। हिंदुओं में भी एक से बढ़कर एक गद्दार मौजूद हैं जिनमें कुछ राजनेता गद्दारों वाली पंक्ति में आगे खड़े नजर आते हैं क्योंकि उन्हें तो मछली की आंख की तरह केवल वोट और उनसे मिलने वाली सत्ता ही दिखाई देती है। इन लोगों की फितरत यह है कि मुसलमानों को अगर चींटी भी काटती है तो उस पर हाय तौबा मचा देते हैं। पर अब बंगलादेश में हिंदुओं के कत्लेआम पर उनकी जीभ तालू से चिपक गई है।
     अंत में सिर्फ यही कहना चाहता हूं कि यदि हम लोग अभी भी नहीं चेते तो ऐसा न हो कि तीसरी बार सैकड़ो वर्षों के लिए फिर से गुलामी की जंजीरों में जकड़ जांय। पहले मुगलों की फिर अंग्रेजों और तीसरा नंबर कहीं चीनियों का न आ जाय। आज चीन पूरे विश्व पर हावी क्यों है? जवाब एकदम साफ है कि वहां देशद्रोहियों को तुरंत गोली से उड़ा दिया जाता है और हमारे यहां देशद्रोहियों को अपना माई बाप माना जाता है। हमें चीन से शिक्षा लेनी चाहिए।
     मतलब की सीधी और साफ बात यह है कि चीन में वोटतंत्री नौटंकी नहीं है। लोकतंत्र के नाम पर हमारे देश में क्या-क्या अलोकतंत्र हो रहा है यह सब बताने की जरूरत नहीं है। सब कुछ साफ है। सौ की सीधी बात है कि इस तथा कथित लोकतंत्र यानी वोटतंत्र ने पूरे देश को कोढ़ी जैसी स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। उदाहरण के रूप में तथा कथित लोकतंत्री प्रक्रिया के तहत चुने गए लोग संसद और विधानसभा में कैसे-कैसे नंग नाच कर रहे हैं? चुल्लू भर पानीं में डूब मरना चाहिए हम लोगों को जो आंखों पर पट्टी बांधकर सब कुछ सहन कर रहे हैं।

जीएलए विधि संस्थान के छात्र ने किया विश्वविद्यालय का नाम रोशन

  • जीएलए विश्वविद्यालय के विधि संकाय छात्र ने बेहतर प्रदर्शन कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया

मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च संस्थान (विधि संकाय) के छात्र ने देश के विभिन्न विश्वविद्यालय, आईआईटी, आईआईएम और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में यूएन कमेटी, छात्र संसद और एमयूएन की प्रतियोगिताओं में विश्वविद्यालय द्वारा प्रदत्त शिक्षा का उत्कृष्ट प्रदर्शन कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।

विदित रहे कि जीएलए विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च संस्थान (विधि संकाय) द्वारा उत्कृष्ट शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, मूट कोर्ट प्रतियोगिताओं, वर्कशॉप, गेस्ट सेशंस, कांफ्रेंस, ट्रेनिंग एवं इंटर्नशिप के माध्यम से छात्र छात्राओं को भविष्य के अवसरों के लिए तैयार किया जाता है। विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों के भविष्य को मद्देनजर रखते हुए समय-समय पर क़ानूनी पारंगतता प्रदान करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय एवं जिला सत्र न्यायालयों के वरिष्ठ अधिवक्ताओं तथा प्रतिष्ठित लॉ फर्म्स के वरिष्ठ अधिकारियों को विश्वविद्यालय में आमंत्रित कर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों समसामयिक कानूनी मुद्दों पर उचित ज्ञान प्रदान करता है। इसके साथ ही साथ विश्वविधालय में समय समय पर प्रतियोगताओं का आयोजन करके छात्र छात्राओं को राष्ट्रीय स्तर पर कानून के क्षेत्र में होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने के लिए प्रेरित किया जाता है तथा वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती हैं। इसी का परिणाम है कि जीएलए विधि संस्थान के छात्र छात्राएं पिछले अल्प समय में ही कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में विजयी होकर लौटे हैं।

उल्लेखनीय है की इसी क्रम में विधि छात्र रौनक उपमन्यु ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 205 प्रथम पुरस्कार एवं द्वितीय और तृतीय मिलाकर कुल 232 उपलब्धियां ट्राफियों के रूप में अर्जित कर जीएलए विश्वविद्यालय और ब्रज का नाम रोशन किया है। छात्र रौनक उपमन्यु ने यूएन कमेटी छात्र संसद एवं एमयूएन की सर्वाधिक प्रतियोगिताएं जीतने में सर्वाधिक रिकॉर्ड अर्जित किया है, जिसमें 200 से भी अधिक प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार जीत कर देश के होनहार छात्र बने हैं। रौनक उपमन्यु ने विशेष तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज, श्री राम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स, सेंट स्टीफन कॉलेज, हिंदू कॉलेज, लेडीज श्रीराम कॉलेज, जानकी देवी कॉलेज, आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज, श्यामलाल कॉलेज, बेनेट यूनिवर्सिटी, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, आइआइटी रूड़की, आइआइटी कानपुर एवं गोवा सहित पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, हिमाचल, हरियाणा, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, झारखंड, असम, त्रिपुरा एवं उत्तर प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयो एवं संस्थानों में आयोजित यूएन कमेटी, छात्र संसद एवं एमयूएन प्रतियोगिताओं में विजयी हो कर अपनी प्रतिभा एवं जीएलए विश्वविद्यालय की शिक्षा प्रणाली की प्रमाणिकता सिद्ध की हैं। जीएलए के छात्र रौनक के प्रखर अनुभव एवं उपलब्धियों को दृष्टिगत रखकर विभिन्न संस्थाओं एवं संस्थानों द्वारा उन्हें अपने द्वारा आयोजित युवा संसद एवं एमयूएन प्रतियोगिता में जज के रूप में बुलाकर सम्मानित किया गया है।

विश्वविद्यालय के विधि संस्थान के डीन प्रो. सोमेश धमीजा ने बताया कि जीएलए विश्वविद्यालय अपने प्रत्येक छात्र को योजनाबद्ध रूप में ज्ञान प्रदान करने एवं भविष्य के अवसरों हेतु तैयार करने हेतु प्रतिबद्ध है जिसके फलस्वरूप विधि के छात्र छात्राओं को विभिन्न प्रतियोगिताएं में विजय प्राप्त होने के साथ साथ उच्च वेतनमान पर प्लेसमेंट भी प्राप्त हो रहा है। इसके लिए संस्थान के शिक्षक कॉरपोरेट क्षेत्र के दिग्गज, क़ानूनी क्षेत्र के विशेषज्ञ एवं न्यायालयों के वरिष्ठ अधिवक्ताओं से जुड़कर इंटर्नशिप के माधयम से विद्यार्थियों को आने वाली चुनौतियों को सफलता में बदलने के लिए प्रयासरत रहते हैं।

जीएलए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता, प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता तथा कुलसचिव अशोक कुमार सिंह ने छात्र को इस उपलब्धि पर शुभकामनाएं और बधाई दी है।

छात्र रौनक उपमन्यु के पिता एनयूजेआई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं ब्रज प्रेस क्लब के अध्यक्ष डा. कमलकांत उपमन्यु एडवोकेट ने बताया कि यह समस्त उपलब्धियां जीएलए विश्वविद्यालय के विधि संस्थान में मिली सार्वभौमिक शिक्षा का ही सुखद परिणाम है।

स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छ हवा, हरी-भरी धरती जरूरी

  • जीएल बजाज में प्रदूषण मुक्त पर्यावरण पर हुई पोस्टर प्रतियोगिता

मथुरा। आज के समय में दस में से नौ लोग प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। प्रदूषण किसी एक राष्ट्र नहीं बल्कि समूची दुनिया की समस्या है। प्रदूषण के चलते हर साल अनुमानतः सात मिलियन लोग असमय मृत्यु का शिकार हो रहे हैं। यह बातें जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर छात्र-छात्राओं को बताईं।
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा के एनवायरमेंट क्लब और इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं ने अपनी कलात्मक प्रतिभा तथा पर्यावरण को स्वच्छ और हरित बनाने के अपने अभिनव विचार प्रस्तुत किए। इस साल राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस की थीम स्वच्छ वायु, हरित पृथ्वी रही। प्रतियोगिता शुभारम्भ से पूर्व निदेशक ने कहा कि स्वच्छ वायु, हरित पृथ्वी थीम हमारी हवा, पानी और मिट्टी को प्रभावित करने वाले प्रदूषकों को कम करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को अपनाने पर बल देती है।
प्रो. अवस्थी ने छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वस्थ भविष्य के लिए स्वच्छ हवा और हरी-भरी धरती जरूरी है। उन्होंने कहा कि लोगों के अन्दर जागरूकता पैदा कर ही धरती को प्रदूषण से बचाया जा सकता है। उन्होंने नवीनीकरण ऊर्जा स्रोतों का अधिक से अधिक प्रयोग करने, वृहद वृक्षारोपण और सफाई अभियान जैसे तरीकों पर बल देते हुए कहा कि बिना जागरूकता हम धरती को प्रदूषण मुक्त नहीं बना सकते।
कार्यक्रम के समन्वयक तथा एनवायरमेंट क्लब के संयोजक सतेन्द्र कुमार ने कहा कि कई सामाजिक बुराइयों की तरह वायु प्रदूषण वैश्विक असमानताओं को दर्शाता है। गरीबी लोगों को कारखानों और राजमार्गों जैसे प्रदूषण के स्रोतों के करीब रहने को मजबूर करती है। हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाला प्रदूषण जलवायु संकट को भी बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा कि सभी देश वायु गुणवत्ता में सुधार कर, जीवाश्म ईंधन के बजाय नवीन ऊर्जा स्रोतों पर निवेश कर तथा शून्य उत्सर्जन वाले वाहनों को अपना कर हम दुनिया को प्रदूषण मुक्त कर सकते हैं।
अतिथियों के उद्बोधन के बाद छात्र-छात्राओं के बीच पोस्टर प्रतियोगिता हुई। पोस्टर्स का मूल्यांकन निर्णायक मंडल में शामिल डॉ. उदयवीर सिंह और तान्या श्रीवास्तव ने किया। निर्णायकों ने प्रिया गुप्ता के पोस्टर को प्रथम तथा प्रियांशी सारस्वत के पोस्टर को दूसरा स्थान प्रदान किया। दोनों विजेताओं को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. रामवीर सिंह सेंगर, विवेक भारद्वाज और स्तुति गौतम आदि ने छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन किया।

संस्कृति विवि में हुई प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में विंध्याचल ने बाजी मारी

मथुरा। संस्कृति स्कूल आफ एजूकेशन द्वारा भारतीय ज्ञान प्रणाली पर आधारित एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के सैंकड़ों विद्यार्थियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों की बडी संख्या को देखते हुए उनको चार समूहों, अरावली, शिवालिक, नीलगिरी और विंध्याचल ग्रुपों में बांटकर प्रतियोगिता कराई गई। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन के आधार पर विंध्याचल ग्रुप को विजेता घोषित किया गया।
प्रतियोगिता को तीन चरणों में बांटा गया था, जिसमें छात्रों को अपने सामान्य ज्ञान, तर्क शक्ति और तत्परता का परिचय देना था। प्रतियोगिता के दौरान विद्यार्थियों से भारतीय ज्ञान परंपराओं से जुड़े सामान्य एवं गूढ़ प्रश्न पूछे गए थे। विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों ने हर प्रश्न का बड़ी सूझ-समझ के साथ जवाब दिया। ऐसा देखने में आया कि जो विद्यार्थी अपनी कक्षाओं में नियमित आ रहे हैं उनके लिए अधिकांश प्रश्नों के उत्तर सहज बन गए और कुछ विद्यार्थी सामान्य से सवालों पर चक्कर खा गए। लगभग सभी विद्यार्थियों के अनुभव के अनुसार प्रतियोगिता काफी उत्साहवर्धक व ज्ञानवर्धक रही। प्रतियोगिता की समन्वयक सुश्री शुभ्रा पांडे के अनुसार इस प्रतियोगिता का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को समझाना और छात्रों के बौद्धिक कौशल को निखारना था। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के चार समूहों अरावली , शिवालिक, नीलगिरि और विंध्याचल ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतियोगिता को तीन चरणों में आयोजित किया गया, जिनमें छात्रों ने अपनी सामान्य ज्ञान, तर्क शक्ति और तत्परता का प्रदर्शन किया। सभी तीन चरणों में शानदार प्रदर्शन के आधार पर विंध्याचल को विजेता घोषित किया गया। विजयी टीम की सदस्य संध्या, मीनाक्षी (बी.ए. बी.एड तृतीय सेमेस्टर) और खुशबू, स्वस्तिका (बी.एससी फॉरेंसिक) रहीं। उनकी लगन और उत्कृष्ट प्रदर्शन ने विंध्याचल ग्रुप को इस प्रतियोगिता में सफलता हासिल करायी। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. एस. वेराचेल्लई (डीन, एसओईआईटी) और विशिष्ट अतिथि डॉ. रेनू गुप्ता (डीन, स्कूल ऑफ एजुकेशन) ने प्रतियोगिता से पूर्व विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में होने वाले कार्यक्रम विद्यार्थियों के सामान्य ज्ञान में वृद्धि में सहायक होते हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री शुभ्रा पाण्डेय और देवांशु सिंह द्वारा कुशलतापूर्वक किया गया। आयोजन की संयोजक डॉ. पूनम गुप्ता और सुश्री शुभ्रा पाण्डेय रहीं, जबकि सह-समन्वयक के रूप में देवांशु सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्तिकेय पालीवाल (बी.एससी बी.एड सेमेस्टर 5) और संस्कृति श्रीवास्तव (बी.ए. बी.एड 5वां सेमेस्टर) ने छात्र समन्वयक के रूप में सक्रिय योगदान दिया।

जीएलए में बच्चों ने रैंप पर बिखेरी भारतीय संस्कृति की झलक

  • जीएलए विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए परिषदीय विद्यालयों के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों से दर्शकों का मन मोहा

मथुरा : नन्हे हाथ-पैर, चेहरे पर मुस्कान, अंदर छुपी प्रतिभा, भारतीय संस्कृति परिधान पहने हुए परिषदीय विद्यालयों के बच्चों ने जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा में आयोजित प्रतिभा मंच 2.0 में रैंप पर भारतीय संस्कृति की ऐसी झलक बिखेरी कि समूचा हॉल मंत्रमुग्ध हो गया और तालियों की गडगड़ाहट से गूंज उठा।

जीएलए विश्वविद्यालय ने गोद लिए उच्च प्राथमिक विद्यालय आझई खुर्द प्रथम, प्राथमिक विद्यालय आझई खुर्द द्वितीय, प्राथमिक विद्यालय आझई कलां, उच्च प्राथमिक विद्यालय जैंत प्रथम के बच्चों के लिए प्रतिभा मंच 2.0 का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता, सीएसईडी के सहनिदेशक पुष्कर शर्मा, तपेश भारद्वाज विद्यालयों से आये प्रधानाध्यापक अनामिका सक्सेना, अनीता राठौर, अनुपमा कौशिक ने दीप प्रज्जवलित कर किया।

तत्पश्चात छोटे-छोटे बच्चों द्वारा सरस्वती वंदना की बेहतर प्रस्तुति दी गई। इसके बाद रैंप पर भारतीय संस्कृति की ऐसी झलक देखने को मिली कि दर्शकों की टकटकी निगाह सीधे मंच पर ही जमी रही। बच्चों ने देश के विभिन्न प्रदेशों के नृत्य के माध्यम से न केवल अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, बल्कि देश की विविध सांस्कृतिक विरासत की झांकी के माध्यम से देश की अखण्डता एवं एकता का सुंदर परिचय दिया।
कार्यक्रम में स्वागत डांस, पंजाबी नृत्य की प्रस्तुति, राजस्थानी नृत्य, कोलकाता नृत्य, कश्मीरी नृत्य, हरियाणवी नृत्य, ब्रज कला नृत्य, गुजराती नृत्य जैसे कई नृत्यों की प्रस्तुति में बच्चों ने अपनी प्रतिभा का जमकर प्रदर्शन किया। प्रत्येक नृत्य में जितने भी बच्चे शामिल थे, सभी की कला एक साथ देखने को मिली। परिषदीय विद्यालयों के बच्चों की प्रस्तुति को देखकर ऐसा बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा था कि यह बच्चे परिषदीय विद्यालयों में अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं था।

प्रतिभा मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने वाले बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि जिन बच्चों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है, वह वाकई सराहना के पात्र है। सबसे बड़ी बात यह है कि जीएलए ने सिर्फ एक मंच प्रदान किया। प्रो. गुप्ता ने परिषदीय विद्यालयों के प्राचार्यों से आग्रह किया जितने भी बच्चे अध्ययनरत हैं उन सभी में कोई न कोई प्रतिभा होनी चाहिए। चाहे वह प्रतिभा खेल, डिबेट, भाषण और कला की ही क्यों न हो। यही प्रतिभाएं बच्चों का चरित्र का निर्माण करती हैं। उन्होंने कहा कि यही प्रथम 5 वर्ष तक की उम्र ऐसी होती जिसमें 85 प्रतिशत तक बच्चे सीख जाते हैं। ऐसा ही आदर्श सभी बच्चों को मिलना चाहिए, जिससे वह आगे बढ़ने में कामयाब हों। इसके लिए जीएलए विश्वविद्यालय प्रयासरत है।

स्कूल प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर राहुल अरोडा ने बताया कि जीएलए द्वारा गोद लिए परिषदीय विद्यालयों के 300 के करीब बच्चे प्रतिभा मंच 2.0 कार्यक्रम के सहभागी बने। उन्हांने बताया कि जीएलए विश्वविद्यालय का प्रयास है कि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले और उनकी प्रतिभा को निखारने का मंच समय-समय पर मिले यह हमेशां प्रयास रहता है।

कार्यक्रम का संचालन एकता और अक्षरा ने किया। इस अवसर पर आईटी विभाग के एसोसिएट निदेशक डा. अंशी सिंह, सीएसईडी मैनेजर दीपांश गोयल, स्कूल स्वयंसेवक पूनम, सरिता, चंदन, उमा, पूजा, विपिन, नेहा, बवीता, आरती आदि उपस्थित रहे।