Sunday, October 19, 2025
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जीएलए विश्वविद्यालय का 13वां दीक्षांत समारोह हर्षोल्लास के साथ संपन्न

  • दीक्षांत समारोह में 4039 उपाधियां एवं 19 गोल्ड और 19 सिल्वर मेडल प्रदान किए

मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय मथुरा (उ.प्र.) के 13वां दीक्षांत समारोह अत्यन्त गरिमा एवं उल्लास के साथ मंगलवार को सम्पन्न हुआ। दीक्षांत समारोह में स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की कुल 19 गोल्ड और 19 सिल्वर मेडलिस्ट के साथ 4039 उपाधियां प्रदान की गईं। इसके अलावा 24 छात्रों को मेरिट सर्टिफिकेट प्रदान किए गए।

समारोह का शुभारम्भ मुख्य अतिथि राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (एनईटीएफ), कार्यकारी समिति राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) एवं राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे, कुलाधिपति नारायण दास अग्रवाल के अलावा बतौर विशिष्ट अतिथि परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के अध्यक्ष दिनेश कुमार शुक्ला एवं कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता, प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता, कुलसचिव अशोक कुमार सिंह ने मां सरस्वती एवं प्रेरणास्त्रोत श्री गणेशीलाल अग्रवाल जी के चित्रपट के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत शैक्षिक शोभायात्रा के आगमन से हुई, जिसमें मुख्य अतिथि, कुलाधिपति, कुलपति, प्रतिकुलपति, कुलसचिव एवं डीन एकेडमिक, मुख्य परीक्षा नियंत्रक डॉ. अतुल बंसल के साथ विश्वविद्यालय की गवर्निंग बॉडी, एग्जीक्यूटिव काउंसिल एवं एकेडमिक काउंसिल के सदस्यों की अगवानी मुख्य सभागार में हुई। तत्पश्चात् कुलाधिपति ने दीक्षांत समारोह के प्रारम्भ की उद्घोषणा की।

समारोह में मुख्य अतिथि प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने दीक्षांत संबोधन की शुरुआत सभी उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन, सभी शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को बधाई देते हुए की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि दिनेश कुमार शुक्ला को जीएलए विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई। इससे पूर्व विश्वविद्यालय के कुलसचिव अशोक कुमार सिंह ने सभी का स्वागत किया। प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि का परिचय प्रस्तुत किया।

विशिष्ट अतिथि ने कहा कि जीएलए विश्वविद्यालय में आना मेरे लिए आनंद का विषय है। मैं यहां खुद को नई ऊर्जा से ओत-प्रोत का अनुभव कर रहा हूं। इन युवा प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के बीच उनके उत्साह को देखकर मुझे पूर्व के अनुभव की स्मृति हो रही कि जब मैं इन्हीं भावनाओं के समुद्र से गुजरा था। इसलिए मैं आप सभी की भावनाओं को समझ रहा हूं। उन पुरानी स्मृतियों को दोबारा याद कराने के लिए मैं जीएलए विश्वविद्यालय का आभार व्यक्त करता हूं।

कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता द्वारा विश्वविद्यालय की प्रगति के साथ-साथ भविष्य की योजनाओं पर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि जीएलए विश्वविद्यालय ने पिछले वर्षों कई उपलब्धियां हासिल की हैं। विश्वविद्यालय को मिली यह उपलब्धियां भी छात्रों को बेहतर शिक्षकों द्वारा दी जा रही प्रदत्त शिक्षा का प्रमाण है। विश्वविद्यालय जिस प्रकार हमेशां छात्रों के साथ कांधे से कांधा मिलाकर चलता है, ठीक उसी प्रकार असहायों की मदद के लिए आगे रहता है। पिछले वर्षों में एक से बढ़कर एक कंपनी ने जीएलए के छात्रों को रोजगार प्रदान किया है, लेकिन यह तभी संभव हो पाया है जब विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने रोजगार पाने के लायक छात्रों को तैयार किया। इसके अलावा ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट विभाग की टीम ने कंपनियों में जाकर संपर्क साधा। आगे भी विश्वविद्यालय अपने छात्रों को बेहतर अवसर प्रदान करने की तैयारी में जुटा हुआ है। नैक ‘ए‘ श्रेणी को पीछे छोड़कर अब दूसरी बार में नैक से सर्वोच्च 3.46 स्कोर के साथ नैक से ‘ए प्लस‘ ग्रेड हासिल किया है। उन्होंने बताया कि शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में शिक्षकों ने 2 हजार 559 रिसर्च पेपर प्रतिष्ठित जर्नल्स में प्रकाशित कराने में सफलता हासिल की। इसके अलावा 1740 पेपर एससीआई स्कोपस जर्नल्स में तथा 194 पेटेंट पब्लिश हुए और 80 पेटेंट ग्रांट हुए। इसके अलावा रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए 3 करोड 56 लाख रूपए की स्वीकृति मिली। साथ ही साथ करीब 30 लाख रूपए के कंसल्टेंसी प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा है।

कुलाधिपति नारायणदास अग्रवाल ने मुख्य अतिथि प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे को स्मृति चिन्ह् भेंट कर सम्मानित किया। विशिष्ट अतिथि दिनेश कुमार शुक्ला को प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने स्मृति चिन्ह् भेंट किया। कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता ने कुलाधिपति श्री नारायणदास अग्रवाल को स्मृति चिन्ह् भेंट किया। तत्पश्चात् कुलाधिपति द्वारा दीक्षांत समारोह के सम्पन्न होने की उद्घोषणा की गयी एवं शैक्षिक शोभायात्रा के प्रस्थान से कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन डा. विवेक मेहरोत्रा ने किया।

इस अवसर पर चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफीसर नीरज अग्रवाल, चीफ फाइनेंस ऑफीसर विवेक अग्रवाल, जीएलए के सीओई डा. अतुल बंसल, डीन एकेडमिक प्रो. अशीष शर्मा, गवर्निंग बॉडी के सदस्य राजेश गर्ग, कार्यपरिषद के सदस्य नरेन्द्र अग्रवाल, जीएलए बजाज गु्रप के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज अग्रवाल सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष सहित आदि पदाधिकारी उपस्थित रहे।

भारत 2047 तक होगा दुनियां का सबसे बड़ा ताकतवर देश : सहस्रबुद्धे

-हमारे श्रेष्ठ और नौजवान छात्रों की मेहनत के बल पर भारत देश बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरेगा
-जीएलए विश्वविद्यालय के 13वें दीक्षांत समारोह में बोले समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे
मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के 13वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (एनईटीएफ), कार्यकारी समिति राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) एवं राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि भारत देश की अर्थव्यवस्था दसवें स्थान से पांचवें स्थान तक पहुंच गई है और चौथे तथा तीसरे स्थान पर धीरे-धीरे जाने वाली है। 2047 तक भारत देश दुनियां की सबसे बड़ी ताकत और बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर कर आयेगा। इसके लिए भी यही छात्र हैं जो आज दीक्षांत समारोह में डिग्री लेकर बाहर किसी न किसी सेक्टर में जिम्मेदारी निभाएंगे और 2047 तक भारत को उच्च स्तर पहुंचाने में अपनी अह्म भूमिका निभाएंगे।

उन्होंने कहा कि आज से दस वर्ष पहले देश में सिर्फ चार सौ स्टार्टअप पंजीकृत थे, लेकिन आज एक लाख 50 हजार से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत हो चुके हैं, जो कि पिछले 10 वर्षों से करीब 400 गुना से भी कहीं अधिक है। इन सभी स्टार्टअप की वेल्यूएशन करीब 1 बिलियन डॉलर से अधिक हैं। अभी जो स्टार्टअप आ रहे हैं यह स्टार्टअप सिर्फ आइआइटी और एनआइआइटी से नहीं है, बल्कि अन्य प्रदेश और शहर तथा गांव से भी आ रहे हैं। यानि हमारे में गांव के युवा छात्र समृद्ध हो रहे हैं।

इसी राह में आगे बढ़ते रहने के लिए विद्यार्थी जो लक्ष्य साधकर आगे बढ़ रहे हैं क्या उसे फॉलो कर रहे हैं या नहीं। उसका अपने आपको अवलोकन करने की अतिआवश्यकता है। हमेशां सत्य बोलिए किसी के प्रभाव में आकर सत्य को न भूलें। क्योंकि एक झूठ को छुपाने के लिए कई झूठ बोलने पडते हैं, जो भी आपका प्रोफेशन हैं जैसे कोई एमबीए है, फार्मासिस्ट है, इंजीनियर है यहां से बाहर जाने के बाद कोई नौकरी करेगा तो कोई स्टार्टअप खोलेगा। कुछ सरकारी सर्विस करेंगे कोई भावा परमाणु में भी वैज्ञानिक बतौर जाएगा। यानि जहां भी जाएं वहां अपना प्रोफेशनलिज्म न भूलें। सत्य के साथ प्रोफेशनलिज्म बहुत महत्वपूर्ण है। यही धर्म है।

स्वाध्याय के बारे में उन्होंने कहा कि अगर कोई यह सोचे की आज डिग्री मिल गयी और आज से पढ़ना लिखना सब बंद। अगर ऐसे कोई समझ रहा है तो वह बहुत बड़ी गलतफहमी है। क्योंकि एजुकेशन सेक्टर, टेक्नोलॉजी सेक्टर और दूसरे सेक्टरों में बहुत बदलाव हुए हैं और हर दो से तीन सालों में और अधिक बदलाव देखने को मिलेंगे। इसलिए डिग्री लेकर यहां से बाहर जाने के बाद आत्मसात नहीं करेंगे और पढ़ेंगे नहीं तो आगे बढ़ने के रास्ते भी बंद हो जायेंगे। इसलिए हमेशां स्वयं करते रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पहले ऐसी व्यवस्थाएं नहीं थी कि कोई भी घर बैठकर कुछ नई चीज सीख सके। क्योंकि पहले कुछ नई चीज सीखने के लिए शिक्षक के पास, लाइब्रेरी, लैब तथा किसी अन्य व्यक्ति के पास भागना पड़ता था, लेकिन आज टेक्नोलॉजी के जो नए-नए अविष्कार हुए उसकी वजह से इंटरनेट के माध्यम से और यूट्यूब, ऑनलाइन कोर्सेस, जिसको हम बुक्स कहते हैं के माध्यम से बहुत कुछ सीख सकते हैं। हमारा देश ही स्वदेशी मुल्क है जहां स्वयं प्लेटफार्म इसके जरिए घर में बैठकर नई चीजें जो भी आ रही हैं वह पढ़ सकते हैं, लिख सकते हैं, जान सकते हैं और उसका प्रयोग कर सकते हैं। उसके ऊपर अपनी टेक्नोलॉजी भी आप खुद तैयार कर सकते हैं और इसलिए कई बार ऐसा होता है।

एआई बहुत शक्तिशाली इसके प्रयोग के लिए समझदारी जरूरी

आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस बहुत शक्तिशाली है, लेकिन इसके सही उपयोग को समझना बहुत जरूरी है। अगर यही नहीं समझ सके तो एआई का सही प्रयोग नहीं हो पायेगा और अगर कोई यह कहे कि मेरे पास अपना अनुभव है वह एआई का प्रयोग नहीं करेगा, तो यह भी गलत होगा। क्योंकि इतनी अधिक जानकारी जो लाखों, करोड़ों किताबों में छुपी हुई हुई है। उस जानकारी को छानकर उसका निचोड अगर निकालना है तो मशीन लर्निंग और एआई की सहायता से आपको तुरंत बहुत बड़ी उपलब्धि मिल सकती है, लेकिन उसका प्रयोग कैसे करना है यह भी सोचने की जरूरत है। उसकी मर्यादा क्या है वह भी समझने की जरूरत है और इसलिए हमारे देश में जल्द ही नए विषयों के इंजीनियर आ रहे हैं। यानि आप एआई और मशीन से क्या प्रश्न पूछेंगे उसी हिसाब से उत्तर मिलेगा।
गलत प्रश्न पूछेंगे तो गलत उत्तर मिलेगा। इसलिए कैसे और कौन से प्रश्न कब पूछने हैं इसकी पढ़ाई लिखाई भी हमारे एआई के जो शिक्षक हैं वह छात्रों को जानकारी दें, जिससे तर्क संगत उपयोग हो सके।

एआई के बेहतर उपयोग को खुले तीन केन्द्र

सबसे महत्वपूर्ण तीन जगहों में उसका उपयोग करने के लिए भारत सरकार ने 3 सेंटर पिछले माह ही शुरू किए हैं। आईआईटी दिल्ली और एम्स दिल्ली के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा पर एआई उत्कृष्टता केंद्र का उद्देश्य प्रारंभिक रोग की भविष्यवाणी, निदान और महामारी ट्रैकिंग पर ध्यान केंद्रित करना है। यह आयुष दवाओं सहित स्वास्थ्य सेवा के लिए परीक्षणों और डेटा संग्रह सपोर्ट करेगा, जबकि वहनीयता, गुणवत्ता और पहुंच से संबंधित चुनौतियों का समाधान करेगा।

आईआईटी रोपड़ के नेतृत्व में कृषि पर केंद्र का उद्देश्य फसल की पैदावार, मौसम और स्थानीय परिस्थितियों पर डेटा का लाभ उठाकर खेती के तरीकों को बदलना है। पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि के साथ एकीकृत करके, यह बुवाई, कटाई और फसल स्वास्थ्य पर एआई-संचालित, वास्तविक समय मार्गदर्शन प्रदान करेगा। यह इसलिए है कि बहुत किसान लोग पीड़ित हैं। कई जगह आत्महत्याएं हो रही हैं तो उनको सही दिशा दिखाने के लिए

आईआईटी कानपुर के नेतृत्व में संधारणीय शहरों पर केंद्र स्मार्ट सिटी नियोजन, यातायात प्रबंधन और कुशल संसाधन वितरण के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लाभ उठाएगा। सेंसर, जीआईएस मानचित्रों और उपग्रह फ़ीड से डेटा को एकीकृत करके, यह संसाधन की जरूरतों का अनुमान लगाएगा और सार्वजनिक स्थान के डिजाइन को बेहतर बनाएगा।

संस्थान केन्द्रों से करें एमओयू साइन

उन्होंने कहा कि जब यह तीन एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से सहायता मिलना शुरू होगी तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह तीन ही इंस्टीट्यूट के लिए ही हैं। हमें ऐसे ही उनके साथ एमओयू कर उनसे जुड़कर रिसर्च कर सकते हैं। इसके बाद स्टूडेंट को वहां इंटर्नशिप के रूप में भेजकर उसकी भी पढ़ाई कैसे करवा सकते हैं, इसके लिए हर यूनिवर्सिटी के हर कॉलेज के प्राध्यापकों को कोशिश करनी पड़ेगी। इसके लिए जीएलए विश्वविद्यालय को भी प्लानिंग करने की जरूरत है।

प्रदूषण से मुक्ति हेतु पाठ्यक्रमों की आवश्यकता
हमें यही भी सोचने की जरूरत है कि हमारा गांव, शहर और राज्य की प्रदूषण से जूझ रहे हैं। इस समस्या के कहीं हद समाधान हेतु ऐसी व्यवस्थाएं की जाएं और यूनिवर्सिटी द्वारा सतत विकास पाठ्यक्रम चलाये जायें, जिससे विद्यार्थियों का इस ओर ध्यान आकर्षित हो और छात्र जब इंटर्नशिप पर जायें अथवा जॉब पर जायें तो वह अपनी कार्यशैली में प्रदूषण रहित विकास की भावना के साथ कार्य करे यह बहुत महत्वपूर्ण है।

हैकाथॉन से बढ़ रही भारत की ताकत

इसके अलावा आप सभी लोग यानि इनोवेटर हो। भारत की इनोवेटिव ताकत कितनी है यह हम नहीं जानते थे। यह एआईसीटीई ने जो स्मार्ट इंडिया हेकाथॉन शुरू किया। इसमें जीएलए के भी कई छात्रों ने प्रतिभाग किया होगा। इसका हाल ही में सातवां एडीशन पूरा हुआ है। अभी आठवां चल रहा है। इसके तहत सरकारी विभागों की समस्या, कंपनियों की समस्या, ऑटोमेटिक एनर्जी की समस्या, स्पेस साइंस की समस्या, रेलवे की समस्या, स्वास्थ्य मंत्रालय की समस्या या किसी एनजीओ की समस्या को छात्रों के सामने पेश करने के बाद जो समाधान निकल रहे हैं। उस समाधान से देश को आगे बढ़ने में काफी मदद मिल रही है। अनेक स्टार्टअप संचालित हो रहे हैं। पिछले नौ वर्ष पहले की बात की जाय तो ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 81वें स्थान पर भारत था, लेकिन पहली ही बार में पिछले वर्ष जब यह इंडेक्स जारी हुई तो भारत 39वें स्थान पर पहुंचा। इसी तरह आधा रास्ता तय हो चुका है और आधा करना बाकी है। भारत की 140 करोड से अधिक आबादी है। आगे भी लोकतंत्र के हिसाब से आगे बढ़ना है।

भारत के डीएनए में है उद्यमिता और इनोवेशन

भारत की आत्मा, भारत का डीएनए वह उद्यमिता और इनोवेशन का है, तो इसलिए हमारे जो अनपढ़ लोग हैं वह जो भी इनोवेशन/नवाचार करते है, भले ही उसको जुगाड़ कहा जाता है। वह किसी से कम नहीं है। ऐसे लोगों को भी आगे लाने के लिए राष्ट्रीय इनोवेशन फाउंडेशन जो कि गुजरात के अहमदाबाद में स्थित है। वहां धूल के पेटेंट किए जा रहे हैं और जो कॉलेज और यूनिवर्सिटी से डिग्री प्राप्त करते हैं उनमें तो कहीं अधिक ज्यादा सामर्थ्य होना चाहिए।

दीक्षांत समारोह कभी न भूलने वाला पल : दिनेश कुमार शुक्ला

मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के 13वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर विशिष्ट अतिथि परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के अध्यक्ष दिनेश कुमार शुक्ला ने अपने चार दशकों के अनुभव को विद्यार्थियों के साथ साझा करते हुए उनसे अपने मूल स्वरूप में रहने की बात की।

उन्होंने कहा दीक्षा एक प्रकिया है, जिसमें गुरु अपने शिष्य को व्यवहारिक शिक्षा, ज्ञान, तकनीकी एवं मूल्यों की शिक्षा देता है। बेहतर इंसान बनाना शिक्षा का मूल उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने नवीन शिक्षा नीति पर बात करते हुए बेहतर नतीजों की उम्मीद जताई।

उन्होंने मानव संसाधन के विकास पर चर्चा की और कहा कि विकसित भारत के मिशन को उचित शिक्षा एवं मानव संसाधन के द्वारा ही पूरा किया जा सकता है। उन्होंने तकनीकी विकास पर भी विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि तकनीक कभी अच्छी-बुरी नहीं होती, बल्कि नियत के अनुसार उसका प्रयोग इसे अच्छा-बुरा बनाता है। उन्होंने कहा कि तकनीकी विकास के द्वारा आ रहे बदलावों के साथ यह भी ध्यान रखना होगा कि इसके बदले में क्या-कुछ खोया अथवा छोड़ा जा रहा है।

उन्होंने एआई के माध्यम से संभावित बदलावों पर चर्चा करते हुए कहा कि कृतिम बुद्धिमत्ता मानव की वास्तविक बुद्धिमत्ता पर हावी ना हो, इसका ध्यान रखने की ज़रूरत है। उन्होंने सभी को प्रासंगिक रहने की सलाह दी एवं कहा कि अपने स्वप्नों को पूरा करने के लिए क्या-“कब-कहां जैसे तत्वों पर ध्यान देने की बात कही।

राज्य स्तरीय जूडो चैंपियनशिप में वी पी एस के छात्रों ने हासिल किये स्वर्ण पदक

वृंदावन। शैक्षिक व सह शैक्षिक क्षेत्र में नित नई ऊंचाइयों को छूते हुए वृंदावन पब्लिक स्कूल ने एक और कीर्तिमान स्थापित किया।
उल्लेखनीय है कि जू जित्सु एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित’ यूपी स्टेट जू जित्सु चैंपियनशिप 2024 नामक राज्य स्तरीय प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में विद्यालय के दो छात्रों ने प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक हासिल किया। उक्त प्रतियोगिता 14 से 15 दिसंबर को ग़ज़ियाबाद में आयोजित की गई थी। भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त जू जित्सु एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया। जू जित्सु, एक गतिशील खेल है, जिसमें दो तरह की प्रतियोगिताएं होती हैं ने-वाजा और फाइटिंग सिस्टम।
वीपी एस के छात्रों ने स्वर्ण पदक जीतकर अपनी अमिट छाप छोड़ी और राज्य स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर के लिए उत्तरप्रदेश से चयनित हुए। पदक विजेता छात्र कुश शर्मा (स्वर्ण) प्रथम स्थान ने-वाजा, फाइटिंग सिस्टम, रितिक राठौर स्वस्थ स्वर्ण प्रथम स्थान ने-वाजा फाइटिंग सिस्टम ने अपनी इस सफलता का श्रेय विद्यालय प्रबंधन व प्रशिक्षिका शिवानी वर्मा को दिया।
विद्यालय की प्रधानाचार्य कृति शर्मा ने छात्रों को बधाई दी व उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए कामना की।

जीएल बजाज के छात्र-छात्राओं ने जीती राष्ट्रीय कोडिंग प्रतियोगिता

  • विजेता टीम को 50 हजार रुपये का मिला नगद पारितोषिक

मथुरा। जी.एल. बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा के बीटेक के छात्र-छात्राओं ने अपनी बौद्धिक क्षमता का नायाब उदाहरण पेश करते हुए राष्ट्रीय कोडिंग प्रतियोगिता जीत ली। तमिलनाडु के एरोड स्थित एक्सेल इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित राष्ट्रीय कोडिंग प्रतियोगिता में जी.एल. बजाज के छात्र-छात्राओं ने देश में यात्रा और पर्यटन को बढ़ावा देने से सम्बिन्धित मॉडल पेश किया जिसे निर्णायकों ने प्रथम स्थान प्रदान किया। आयोजकों ने जी.एल. बजाज की विजेता टीम को प्रशस्ति पत्र के साथ ही 50 हजार रुपये का नगद पारितोषिक प्रदान कर सम्मानित किया।
जीएल बजाज के कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रो. इंजीनियर संतोष कुमार चौहान ने बताया कि तमिलनाडु के एरोड स्थित एक्सेल इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित राष्ट्रीय कोडिंग प्रतियोगिता में जी.एल. बजाज के छात्र-छात्राओं ने देश में यात्रा और पर्यटन को बढ़ावा देने से सम्बिन्धित मॉडल प्रस्तुत किया। यह मॉडल हर भारतीय और विदेशी पर्यटक की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया। इसमें भीड़ का पता लगाने, भुगतान विकल्प और पर्यटक की पसंद के अनुसार सर्वोत्तम स्थान चुनने जैसी सुविधाएं शामिल थीं।
प्रो. चौहान का कहना है कि यह प्रतियोगिता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल तथा एआईसीटीई और शिक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली के संयुक्त प्रयासों से आयोजित की गई। प्रतियोगिता में देश के 10 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया, जिनमें से 13 सौ छात्र-छात्राओं को ग्रैंड फिनाले के लिए चुना गया, जो देशभर के 15 नोडल केंद्रों पर आयोजित हुआ। जी.एल. बजाज टीम का मार्गदर्शन करने वाले सहायक प्रो. चौहान ने बताया कि टीम का नेतृत्व बी.टेक. तृतीय वर्ष के छात्र शिवम सोनी ने किया। टीम के अन्य सदस्यों में दक्ष धनगर, अजय कुमार, आकांक्षा मिश्रा, डिम्पल उपाध्याय (सभी तृतीय वर्ष) तथा याज्ञनिक शर्मा (बी.टेक. द्वितीय वर्ष) शामिल थे।
तमिलनाडु से लौटे जी.एल. बजाज के छात्र-छात्राओं ने बताया कि प्रतियोगिता में शिरकत करना रोमांचक अनुभव है। इस प्रतियोगिता ने हमारी कोडिंग क्षमताओं को नए स्तर तक पहुंचा दिया है। प्रतियोगिता में भारत के विभिन्न राज्यों के सैकड़ों कॉलेजों के हजारों प्रतिभागियों ने उत्साह और उमंग से अपनी बौद्धिक क्षमता दिखाई। विशाल भागीदारी ने इस आयोजन में प्रतिस्पर्धात्मकता को और बढ़ा दिया। प्रतियोगिता में तीन राउंड शामिल थे, जिनमें से प्रत्येक में कोडिंग कौशल के विभिन्न स्तरों का परीक्षण किया गया। छात्र-छात्राओं का कहना है कि इस प्रतियोगिता ने सीमित समय में गंभीरता से, तेजी से सोचने और कुशलता से काम करने की चुनौती दी। इस प्रतियोगिता में भाग लेना और प्रथम पुरस्कार प्राप्त करना हम लोगों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने जी.एल. बजाज के छात्र-छात्राओं की इस शानदार उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी विद्यार्थियों तथा प्राध्यापकों को बधाई दी। डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि राष्ट्रीय कोडिंग प्रतियोगिता में शिरकत करना ही बड़ी बात है, जी.एल. बजाज के मेधावी छात्र-छात्राओं ने प्रतियोगिता जीतकर समूचे ब्रज को गौरवान्वित किया है।

वी पी एस के छात्रों ने चंद्रोदय गीता फेस्ट में लहराया अपनी प्रतिभा का परचम

वृंदावन। वृंदावन पब्लिक स्कूल के छात्रों ने फिर अपनी प्रतिभा, दक्षता, योग्यता का परचम लहरा कर स्वयं की उत्कृष्टता सिद्ध की।
गौरतलब है कि गीता जयंती पर छटीकरा स्थित वृंदावन चंद्रोदय मंदिर में गीता फेस्ट नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें गीता श्लोक वाचन, गीता क्विज, गीता एकालाप, गीता कॉलाज आदि विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। जिसमें वी पी एस के 30 छात्रों ने प्रथम, द्वितीय ,तृतीय व सांत्वना पुरस्कार जीतकर विद्यालय को गौरवान्वित किया।
जिसमें वृंदावन नर्सरी स्कूल से श्लोक वाचन में नव्या चुघ ने प्रथम व युक्ति शुक्ला ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया। वहीं कक्षा चार से छ: तक की श्रेणी में कोलाज मेकिंग में राधिका गौर और शिवांगी शुक्ला के निर्देशन में विमल ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया और कक्षा सात से नवमी तक की श्रेणी में जेसिका ने प्रथम स्थान, पर रिचा राघव ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया।
गीता श्लोक वाचन में कक्षा 6 से 9 तक की श्रेणी में विधि शुक्ला ने प्रथम व घनश्याम मुद्गल ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया तथा कक्षा 10 से 12 की श्रेणी में मोहन नेपाल ने प्रथम व पलक मुद्गल ने तृतीय स्थान तथा दिव्यांशु चतुर्वेदी और पूनम धाकड़ ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया।
अंग्रेजी एकालाप में कक्षा 9 से कामिनी सैनी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
वही हिंदी एकालाप ( मोनोलॉग) कक्षा 9 से 12 की श्रेणी में कामिनी सैनी और खुशी अग्रवाल ने प्रथम स्थान ,साक्षी झा ने द्वितीय स्थान, कनक फौजदार ने तृतीय स्थान तथा पायल सैनी, मनु शर्मा और सृष्टि गौतम ने सान्त्वना पुरस्कार प्राप्त किये।
हिंदी एक्टेंपोर में कक्षा 11 से मानसी भारद्वाज ने अपनी वाचन क्षमता व गीता संबंधी ज्ञानवर्धक विषय सामग्री से सभी निर्णायकों को अचंभित कर उनका शुभाशीष ले प्रथम स्थान प्राप्त किया।
गीता के 13 में व 14 में अध्याय से संबंधित क्विज में तनिष्क फौजदार भूमि शर्मा, रानी तोमर ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। निमिषा अग्रवाल, नेहा गौतम व कंचन कुमारी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया तथा प्रशांत कुमार, वर्षा कुशवाह व शशांक दीक्षित ने सांत्वना पुरस्कार कर विद्यालय का नाम रोशन किया।
विभिन्न प्रतियोगिताओं में छात्रों ने अपनी इस सफलता का श्रेय निदेशक डॉ ओम जी, निर्देशिका डॉ निधि शर्मा व प्रधानाचार्य कृति शर्मा को देते हुए अपने शिक्षकगण प्रियदर्शनी आचार्य ,मनोज सारथी, अंजना शर्मा ,वंदना कौशिक ,यश शर्मा ,शिवांगी शुक्ला व राधिका गौर आदि को दिया। प्रधानाचार्य ने समस्त विजयी छात्रों को शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

जीएलए का 13वां दीक्षांत समारोह 17 को

  • जीएलए के 13वें दीक्षांत समारोह में 4039 विद्यार्थियों को प्रदान की जाएंगी उपाधियां
  • जीएलए के 13वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि एनईटीएफ, एनएएसी, एनबीए के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे व विशिष्ट अतिथि परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के अध्यक्ष दिनेश कुमार शुक्ला होंगे
  • जीएलए विश्वविद्यालय के 13वें दीक्षांत समारोह में 19 गोल्ड और 19 सिल्वर मेडलिस्ट छात्र होंगे सम्मानित

मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा (उ.प्र.) का 13वां दीक्षांत समारोह 17 दिसंबर मंगलवार को मनाया जाएगा। समारोह में वर्ष 2024 में विभिन्न पाठ्यक्रमों की शिक्षा प्राप्त कर चुके विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की जाएंगी।

कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय स्थित विशाल ऑडीटोरियम में होने वाले इस समारोह में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (एनईटीएफ), कार्यकारी समिति राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) एवं राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे द्वारा वर्ष 2024 में आयोजित विभिन्न पाठ्यक्रमों के सफल विद्यार्थियों को 19 गोल्ड मेडल, 19 सिल्वर मेडल और 4039 उपाधियां प्रदान करेंगे। साथ ही बीएससी ऑनर्स बायोटेक, बीएससी ऑनर्स केमिस्ट्री, बीए ऑनर्स अंग्रेजी, बीबीए फैमिली बिजनेस, बीकॉम ऑनर्स ग्लोबल एकाउंटिंग, बीटेक बायोटेक, बीटेक बायोटेक, बीटेक सीएस सीसीवी, डीए, सीएसएफ, आइआइओटी, बीसीए ऑनर्स, बीकॉम ऑनर्स एलएलबी, एमएससी बायोटेक्नोलॉजी, एमएससी माइक्रोबायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी, एमएससी केमिस्ट्री, एमफार्म फार्माकोलॉजी, डिप्लोमा फार्मेसी सहित पॉलीटेक्निक (डिप्लोमा) के 24 विद्यार्थियों को मेरिट सर्टिफिकेट प्रदान किए जाएंगे।

उन्होंने आगे बताया कि जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा (उ.प्र.) से वर्ष 2024 में पीएचडी के 85, बीएससी ऑनर्स एग्रीकल्चर 105, बीएससी ऑनर्स बायोटेक के 31, बीएससी ऑनर्स कैमिस्ट्री के 18, बीएससी ऑनर्स फिजिक्स के 9, बीए ऑनर्स इकॉनोमिक्स के 5, बीए ऑनर्स अंग्रेजी के 20, बीबीए के 175, बीबीए ऑनर्स 123, बीबीए फैमिली बिजनेस 23, बीकॉम ऑनर्स ग्लोबल एकाउंटिंग 19, बीकॉम ऑनर्स 92, बीटेक बायोटेक्नोलॉजी 18, बीटेक सिविल इंजीनियरिंग 32, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग 29, इलेक्ट्रॉनिक्स 5, मैकेनिकल इंजीनियरिंग 52, बीटेक एमई एसएम 6, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजी. 40, कम्प्यूटर साइंस के 794, बीटेक सीएस एआईएमएल 140, बीटेक सीएस सीसीवी 24, बीटेक सीएस डीए 24, बीटेक सीएस सीएसएफ 24, बीटेक सीएस आइओटी 12, बीसीए 277, बीफार्म 81, बीएड 30, बीए एलएलबी ऑनर्स 32, बीकॉम एलएलबी ऑनर्स 14, एमएससी एग्रीकल्चर एग्रोनॉमी 4, एमएससी एग्रीकल्चर जीपीबी 1, एमएससी बायोटेक 14, एमएससी माइक्रो एंड इम्यूनोलॉजी 14, एमएससी कैमिस्ट्री 11, एमएससी फिजिक्स 6, एमटेक सीई ट्रांसपोर्टेशन 1, एमटेक सीई स्ट्रक्चरल 3, एमटेक सीएस 5, एमटेक ईई 1, एमटेक ईसी 2, एमटेक एमई प्रोडक्शन 1, एमबीए 539, एमबीए ऑनर्स 38, एमबीए कंस्ट्रक्शन 4, एमबीए एफएमबी 54, एमबीए इंटेग्रेटेड 5, एमबीए एलएससीएम 20, एमसीए 239, एमफार्म फार्माकोलॉजी 13, एमफार्म फार्मास्यूटिक्स 15, एलएलएम सीडीपीएल के 7 विद्यार्थियों की उपाधि अनुमोदित की गई है। इसके अलावा डिप्लोमा कैमिकल के 13, डिप्लोमा सिविल इंजी. के 28, डिप्लोमा सीएस के 76, डिप्लोमा ईई 59, डिप्लोमा ईसी के 13, डिप्लोमा एमई के 97, पीजीडीएम के 24 तथा डिप्लोमा इन फार्मेसी के 54 विद्यार्थियों को डिप्लोमा सर्टिफिकेट प्रदान किए जाएंगे।

कुलपति ने बताया कि उपाधियों और स्वर्ण पदक प्रदान करने के बाद विशिष्ट अतिथि परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के अध्यक्ष दिनेश कुमार शुक्ला संबोधन देंगे। तत्पश्चात मुख्य अतिथि राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (एनईटीएफ), कार्यकारी समिति राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) एवं राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे दीक्षांत भाषण देंगे। दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति नारायण दास अग्रवाल करेंगे।

शैक्षिक शोभायात्रा से होगी दीक्षांत समारोह की शुरूआत

दीक्षांत समारोह के कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में कुलसचिव अशोक कुमार सिंह ने बताया कि कार्यक्रम की शुरूआत शैक्षिक शोभायात्रा के आगमन, दीप प्रज्ज्वलन व सरस्वती वंदना से होगी। तत्पश्चात् कुलाधिपति नारायण दास अग्रवाल द्वारा दीक्षांत समारोह के प्रारम्भ की उद्घोषणा, कुलपति द्वारा विश्वविद्यालय की प्रगति प्रतिवेदन, मानद उपाधि प्रदान करना, उपाधि प्रमाण पत्र वितरण, शपथ ग्रहण, पदक वितरण, मुख्य अतिथि द्वारा दीक्षांत सम्बोधन, धन्यवाद ज्ञापन, कुलाधिपति महोदय द्वारा दीक्षांत समारोह के समापन की उद्घोषणा, राष्ट्रीयगान एवं शैक्षिक शोभायात्रा का प्रस्थान होगा।

राजीव एकेडमी को गुणवत्तायुक्त शिक्षण में नई गति प्रदान की जाएगी

  • नवागत निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने साझा किए अपने विचार

मथुरा। उच्च शिक्षा में अकादमिक गतिविधियां विद्यार्थी की गुणवत्तायुक्त शिक्षा में निखार लाती हैं। इसके द्वारा शिक्षा इतनी अधिक प्रभावी हो जाती है कि छात्र-छात्राएं अपने जीवन में लगातार सफलता प्राप्त करते हैं। राजीव एकेडमी इसका उदाहरण है जहां प्रतिवर्ष सैकड़ों बड़ी और प्रतिष्ठित कम्पनियां प्लेसमेंट आयोजित कर यहां के छात्र-छात्राओं का चयन कर उन्हें जॉब प्रदान करती हैं। यह विचार राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट में हाल ही में निदेशक पद पर आसीन हुए डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने व्यक्त किए।
डॉ. भदौरिया ने स्पष्ट किया कि व्यक्ति कितना भी शिक्षित क्यों न हो, जब तक उसके पास छात्र-छात्राओं को शिक्षित करने, उसे पाठ (कन्टेण्ट) को समझाने की स्किल नहीं है तो सब बेकार है। आज के समय में श्रेष्ठ शिक्षक वही है जिसके पास छात्र-छात्राओं को समझाने की बेस्ट स्किल है। डॉ. भदौरिया की जहां तक बात है, वह बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मेसरा (रांची) में फायनांस विशेषज्ञ रहे हैं। वर्ष 2021 में उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में बेस्ट टीचर का अवॉर्ड महाराष्ट्र सरकार ने प्रदान किया है। अपने अकादमिक करिअर में उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में 25 से अधिक पेपर सम्मिट किये हैं। उनकी उच्च शिक्षा के करिअर का पता इस बात से लगता है कि अब तक 30 रिसर्च पेपर स्कोपस, एस.सी.आई. और यू.जी.सी. केयर में प्रकाशित हो चुके हैं। इसके साथ ही वह एक दर्जन एफडीपी-आईआईटी तथा आईआईएम अटेण्ड कर चुके हैं।
अपने 23 वर्ष के अकादमिक अनुभव में उनका स्पेशलाइजेशन फायनांस है। इस संदर्भ में उनकी दो पाठ्य पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। पहली अकाउण्ट्स पर और दूसरी फायनांसियल मैनेजमेंट पर है। वर्ष 2018 में रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ भूटान में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर डेपुटेशन पर नियुक्त हुए एवं 2022 में महाराष्ट्र (नासिक) स्थित संदीप यूनिवर्सिटी में एक वर्ष के लिए डीन पद को सुशोभित किया। डॉ. अभिषेक सिंह जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के वाणिज्य में गोल्डमेडलिस्ट स्टूडेण्ट रहे। वर्ष 2010 में उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा कॉमर्स में पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. अभिषेक सिंह के निर्देशन में राजीव एकेडमी शिक्षा की नई ऊंचाइयों तक पहुँचेगा। उन्होंने कहा कि डॉ. सिंह के निदेशक बनने पर यहां की शैक्षिक और अकादमिक गतिविधियों में अभूतपूर्व गतिशीलता आएगी। चूंकि वे (डॉँ. अभिषेक) एक सुलझे हुए फायनांसियल विशेषज्ञ हैं, लिहाजा उनके निर्देशन में यहां के छात्र-छात्राओं को अपने करिअर निर्माण में और अधिक गति प्राप्त होगी। उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने बधाई देते हुए कहा कि राजीव एकेडमी ही नहीं उनसे अन्य शैक्षिक संस्थानों की फायनांशियल अध्ययन की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
नवागत निदेशक ने आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि सबसे पहले मैं एक शिक्षक हूं। छात्र-छात्राओं के प्रति शिक्षक का क्या रोल है, अच्छी तरह से अवगत हूँ। छात्र-छात्राओं को उच्च पैकेज पर प्लेसमेंट दिलवाना, शिक्षा के साथ उन्हें व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना, कॉन्फ्रेन्स अटेण्ड करना, बेस्ट रिसर्च पेपर तैयार करने की तकनीक का ज्ञान प्रदान करना और प्रभावशाली ढंग से उसे प्रस्तुत करना, अपडेट इंडस्ट्रियल विजिट, साथ ही सेमिनार एवं वर्कशॉपों का आयोजन कर छात्र-छात्राओं को लाभान्वित करना मेरा मुख्य उद्देश्य है। छात्र-छात्राओं को हर समय गुणवत्तायुक्त शिक्षा का वातावरण उपलब्ध करवाने में सभी प्राध्यापकों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होता रहे, महाविद्यालय में स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता, सफाई, खेल व्यवस्थाएं, समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन भी मेरी प्राथमिकताएं रहेंगी।

मनुष्य की सेवा ही ईश्वर की सेवा है : स्वामी बोधसारानन्द

  • नर्सिंग का कार्य एक नेक कार्य : उर्मिला भारद्वाज
  • रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम में लैंप लाइटिंग और वार्षिकोत्सव का हुआ आयोजन

वृंदावन। रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, वृंदावन में बुधवार शाम को लैंप लाइटिंग और वार्षिकोत्सव का आयोजन हुआ। लैंप लाइटिंग में प्रारम्भिक बैच की छात्राओं ने नैतिक व निःस्वार्थ रूप से कार्य करने की शपथ ली। साथ ही छात्राओं को विभिन्न पुरस्कार वितरित किये गए।
मुख्य अतिथि रामकृष्ण मठ एवं रामकृष्ण मिशन की सामान्य सचिव स्वामी बोधसारानन्द महाराज ने सेवाश्रम का आदर्श वाक्य है मनुष्य की सेवा ही ईश्वर की सेवा है, उन्होंने बड़े ही आकर्षक ढंग से कई उदाहरण देते हुए सभा को स्वामी विवेकानंद की कार्यपद्धति ‘आत्मनो मोक्षार्थं जगतहिताय च’ (स्वयं के मोक्ष के साथ-साथ जगत के हित के लिए कार्य करने) को विस्तृत रूप से समझाया। स्वामी सुप्रकाशानंद महाराज ने कहा कि सेवाश्रम स्कूल छात्राओं को ज्ञान प्राप्त करने, कौशल विकसित करने और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए प्रशिक्षित करता है और उन्हें उपरोक्त आदर्श के साथ सक्षम, कुशल नर्स के रूप में कर्तव्यों का पालन करने में सक्षम बनाता है।
मृत्युंजय प्रताप सिंह ने कहा कि यह अस्पताल ब्रजवासियों के लिए वरदान सिद्ध हुआ है। रेल विकास निगम लिमिटेड समय-समय पर इस संस्था को आर्थिक सहायता प्रदान करती है और इस संस्था के पारदर्शी कार्य से संतुष्ट है।
प्रोफेसर डॉ उर्मिला भारद्वाज ने कहा कि ‘असतो मा सद्गमय’ हमारी संस्कृति है और लैंप लाइटिंग उसका एक अनूठा रूप है। नर्सिंग का कार्य एक नेक कार्य है। उन्होंने नर्सेज के दायित्वों का उल्लेख किया और कहा कि नर्सेज जीवन देती हैं ये एक महान कार्य है।
इससे पूर्व लैंप लाइटिंग में प्रारम्भिक बैच की छात्राओं ने नैतिक व निःस्वार्थ रूप से कार्य करने की शपथ ली। वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में छात्राओं को विभिन्न पुरस्कार वितरित किये गए।
कृष्णा ठाकुर ने अपने स्वागत भाषण के साथ नर्सिंग को सेवा के माध्यम से श्रेष्ठ व्यवसाय बताया। जाति, पंथ या धर्म की परवाह किए बिना भक्ति और प्रतिबद्धता की भावना के साथ रोगियों की सेवा करना हमारा धर्म है।
रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, वृन्दावन अस्पताल की नर्सिंग सुपरिंटेंडेंट पारुल ने अस्पताल के रिपोर्ट में बताया कि यह 300 बिस्तरों वाला यह बहु-विशिष्ट सुविधाओं से सुसज्जित धर्मार्थ अस्पताल कैंसर चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, ह्रदय चिकित्सा, मूत्र रोग चिकित्सा, गुर्दा रोग (मेघ रोग) चिकित्सा, स्नायु रोग चिकित्सा जैसी विशेष सुविधाओं के अलावा अन्य सभी साधारण सेवाएं प्रदान करता है। यहाँ पेट सी टी स्कैन, एम आर आई, ऑटोमेटेड सुविधाओं से सुसज्जित लैब आदि उपलब्ध हैं। स्कूल ऑफ़ नर्सिंग के उप-प्राचार्य चंद्र प्रकाश सिंह ने स्कूल रिपोर्ट में बताया कि 1981 में शुरू हुआ, रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम स्कूल ऑफ नर्सिंग, वृंदावन को यू.पी. द्वारा विधिवत मान्यता प्राप्त है। राज्य चिकित्सा संकाय और भारतीय नर्सिंग परिषद। यह तीन साल के जनरल नर्सिंग और मिडवाइफरी डिप्लोमा कोर्स के लिए इंडियन नर्सिंग काउंसिल द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम, नियमों और विनियमों का पालन करता है। हर साल एक बैच में अधिकतम 30 लड़कियों को प्रवेश दिया जाता है। यह छात्राओं का 43 वां बैच है।
अस्पताल की ऑपरेशनल मैनेजर पूनम सक्सेना ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

श्रीमद्भागवत गीता में सभी वैदिक ग्रंथों का सारः आचार्य करपात्री द्विवेदी

  • जीएल बजाज में पूजा-अर्चना के बीच श्रद्धाभाव से मनी गीता जयंती

मथुरा। बुधवार को गीता जयंती के पावन अवसर पर जीएल बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में लीलाधर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना के बाद आचार्य करपात्री द्विवेदी और आचार्य गौरव दीक्षित ने छात्र-छात्राओं को श्रीमद्भागवत गीता के महात्म्य की विस्तार से जानकारी दी। विद्वतजनों ने कहा कि हिन्दू धर्म को समझने के लिए जीवन में कम से कम एक बार श्रीमद्भागवत गीता अवश्य पढ़नी चाहिए क्योंकि इसमें सभी ग्रंथों का सार है।
श्रीमद्भागवत गीता के महात्म्य की जानकारी देने से पहले आचार्य करपात्री द्विवेदी, आचार्य गौरव दीक्षित, संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी तथा छात्र-छात्राओं ने गीता पाठ किया। आचार्य करपात्री द्विवेदी ने प्राध्यापकों, छात्र-छात्राओं तथा अन्य कर्मचारियों को बताया कि गीता में मानव जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं को बहुत ही सरल भाषा में समझाया गया है। सच कहें तो गीता में सभी वैदिक ग्रंथों का सार मौजूद है। महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो जीवन का सार बताया था, वही श्रीमद्भागवत गीता है।
उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए गीता के उपदेश आज के समय में भी लोगों को अपने जीवन में गहरे अवसाद से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं, इसीलिए हिन्दुओं के साथ ही अन्य धर्मों के लोग भी गीता को जीवन का अमूल्य ग्रंथ मानते हैं। दरअसल, श्रीमद्भागवत गीता के उपदेश सभी को धार्मिकता, नैतिकता और जीवन के मूल सिद्धांतों से अवगत कराते हैं। गीता में श्रीकृष्ण ने जीवन के कई रहस्यों से पर्दा उठाया है। उन्होंने न केवल गीता के माध्यम से धर्म के विषय में बताया है बल्कि ज्ञान, बुद्धि, जीवन में सफलता इत्यादि के विषय में भी मनुष्य को अवगत कराया है।
भगवान श्रीकृष्ण गीता में बताते हैं कि धरती पर हर एक मनुष्य को अपने कर्मों के अनुरूप ही फल प्राप्त होता है। इसलिए उन्हें केवल अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए और फल की चिन्ता नहीं करनी चाहिए। जो व्यक्ति अच्छे कर्मों में लिप्त रहता है, भगवान उसे वैसा ही फल प्रदान करते हैं। साथ ही जिसे बुरे कर्मों में आनंद आता है, उसे उसी प्रकार का जीवन दंड के रूप में भोगना पड़ता है।
गीता में बताया गया है कि मनुष्य की इन्द्रियां बहुत चंचल होती हैं। वह आसानी से गलत आदतों को अपना लेती हैं, इसी वजह से व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जीवन को सुखमय बनाना है तो हमें इन्द्रियों खासकर अपने चित्त अर्थात मन पर विशेष नियंत्रण रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि चंचल मन के कारण कई प्रकार के बुरे कर्मों में लिप्त होने का खतरा बढ़ जाता है।
संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने कहा कि श्रीकृष्ण ने धनुर्धर अर्जुन को महाभारत की युद्धभूमि में बताया था कि व्यक्ति के लिए क्रोध विष के समान है। वह न केवल शत्रुओं की संख्या बढ़ाता है बल्कि इससे मानसिक तनाव में भी वृद्धि होती है। इसके साथ गीता में बताया गया है कि क्रोध से भ्रम की स्थिति भी उत्पन्न होती है, जिससे चिंतन शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए अपने क्रोध पर काबू रखना ही व्यक्ति के लिए सबसे अच्छा उपाय है।

दिल्ली से निराश लौटे शाहरुख की बच्ची को के.डी. हॉस्पिटल में मिला नवजीवन

  • शिशु शल्य विशेषज्ञ डॉ. श्याम बिहारी शर्मा के प्रयासों से बच्ची की जन्मजात परेशानी दूर

मथुरा। जिस बच्ची अमायरा की शल्य क्रिया दिल्ली के हॉस्पिटल में नहीं हो सकी उसी तीन चरणों के काम को के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के जाने-माने शिशु शल्य विशेषज्ञ डॉ. श्याम बिहारी शर्मा ने एक ही चरण में अंजाम देकर उसे नवजीवन दिया है। जन्मजात विकृति से परेशान अमायरा अब पूरी तरह से स्वस्थ है तथा उसे छुट्टी दे दी गई है।
जानकारी के अनुसार कोई 14 माह पहले मेवात, नूंह (हरियाणा) निवासी शाहरुख के घर पुत्री ने जन्म लिया। जन्म से ही बच्ची के मलद्वार यथास्थान नहीं था, इससे वह परेशान थी। बच्ची की जन्मजात विकृति से परेशान शाहरुख उसे लेकर कलावती सरन बाल अस्पताल, नई दिल्ली पहुंचा। वहां चिकित्सकों ने परामर्श दिया कि जब बच्ची का वजन 10 किलोग्राम हो जाएगा तब उसकी सर्जरी होगी। दिल्ली के चिकित्सकों के परामर्श से संतुष्ट न होने पर शाहरुख बच्ची को लेकर के.डी. हॉस्पिटल आया तथा शिशु शल्य विशेषज्ञ डॉ. श्याम बिहारी शर्मा से मिला।
डॉ. श्याम बिहारी शर्मा ने बच्ची को देखने के साथ ही उसकी पहले की सारी रिपोर्ट देखीं। दरअसल, बच्ची का मलद्वार यथास्थान नहीं था तथा वह योनिमार्ग से मल त्याग रही थी। चिकित्सक इस बच्ची का ऑपरेशन तीन चरणों में करना चाहते थे लेकिन डॉ. शर्मा ने बच्ची की रक्त जांच तथा एक्सरे कराने के बाद उसके ऑपरेशन को एक ही चरण में करने का निर्णय लिया। आवश्यक तैयारी एवं खून की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए शिशु शल्य विशेषज्ञ डॉ. श्याम बिहारी शर्मा ने 29 नवम्बर, 2024 को बच्ची की सर्जरी की।
इस सर्जरी में गुदा (रैक्टम) को योनिमार्ग से अलग कर यथास्थान मलद्वार बनाया गया। जन्मजात विकृति का नाम रैक्टोवेस्टीबूलर फिस्टुला तथा ऑपरेशन को एंटीरियर सैजाइटल एनोरेक्टोप्लास्टी कहते हैं। इस सर्जरी में डॉ. श्याम बिहारी शर्मा का सहयोग डॉ. अनुराग (रेजीडेंट चिकित्सक), डॉ. जयेश, डॉ. शिवांगी (निश्चेतना विभाग) तथा टेक्नीशियन रवि सैनी ने दिया। ऐसे ऑपरेशन में निश्चेतना विभाग के चिकित्सक की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है, इस बच्ची के मामले में डॉ. शिवांगी ने इस भूमिका का अच्छी तरह से निर्वहन किया।
बच्ची अब पूरी तरह से स्वस्थ है तथा मल-मूत्र की सारी क्रियाएं सामान्य रूप से यथास्थान से कर रही है। बच्ची के पूरी तरह से स्वस्थ होने पर शाहरुख ने डॉ. श्याम बिहारी शर्मा और के.डी. हॉस्पिटल प्रबंधन का आभार माना। इस सर्जरी पर डॉ. श्याम बिहारी शर्मा का कहना है कि ऐसे बहुत कम मामले सामने आते हैं। हजारों बच्चों में एकाध को इस तरह की परेशानी होती है, जिसका एकमात्र समाधान सर्जरी ही है। डॉ. शर्मा का कहना है कि के.डी. हॉस्पिटल में आधुनिकतम सुविधाएं तथा विशेषज्ञ चिकित्सक और टेक्नीशियन होने से मुश्किल से मुश्किल ऑपरेशन सहजता से हो पाते हैं।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल, डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र कुमार ने बच्ची की सफल सर्जरी के लिए डॉ. श्याम बिहारी शर्मा तथा उनकी टीम को बधाई दी।

भारत में तय हो रहा दुनियां के एआई का भविष्य

  • जीएलए में संचार नियंत्रण और इंटेलिजेंट सिस्टम पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ

मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा में इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग विभाग ने संचार नियंत्रण और इंटेलिजेंट सिस्टम (सीसीआईएस 2024) पर तीसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। दो दिवसीय सम्मेलन ने वैश्विक शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और उद्यमियों के लिए विचारों का आदान-प्रदान करने और संचार, नियंत्रण और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया। सम्मेलन के दौरान कई देशों से 900 से अधिक शोध पत्र प्राप्त हुए।

समारोह की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई और उसके बाद सरस्वती वंदना हुई। सम्मेलन के जनरल चेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो. विनय कुमार देवलिया ने सभी गणमान्य व्यक्तियों, प्रतिभागियों, संकाय सदस्यों और छात्रों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की शुरूआत की। उन्होंने सम्मेलन का एक संक्षिप्त अवलोकन प्रस्तुत किया और सीसीआईएस-2024 के वैश्विक महत्व पर प्रकाश डाला।

विभाग के एसोसिएट हेड डा. मनीष गुप्ता ने सीसीआईएस 2024 सम्मेलन के विषय पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने उभरती प्रौद्योगिकियों के परिप्रेक्ष्य के माध्यम से बुद्धिमान समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने संचार नियंत्रण और बुद्धिमान प्रणालियों के क्षेत्र में अत्याधुनिक विकास को लाने पर ध्यान केंद्रित किया। इसके अतिरिक्त, डा. मनीष कुमार ने सम्मेलन के सम्मानित अतिथियों जैसे मुख्य अतिथि, सम्मानित अतिथि, विश्वविद्यालय सलाहकार और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का परिचय दिया।

जीएलए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों, छात्रों, कर्मचारियों और संकाय सदस्यों का का स्वागत करते हुए सीसीआईएस सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डाला।

उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि, आईआईटी जम्मू के निदेशक प्रो. मनोज सिंह गौर ने संचार, नियंत्रण और ऊर्जा परिदृश्य को बदलने में उभरती प्रौद्योगिकियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर अंतर्दृष्टि साझा की। मुख्य अतिथि ने ब्रज में सीसीआईएस 2024 का हिस्सा होने पर अपने आप को सौभाग्यशाली कहा। उन्होंने एआई-संचालित पारिस्थितिकी तंत्र की परिवर्तनकारी क्षमता पर जोर दिया। उन्होंने 5जी और आगामी 6जी प्रौद्योगिकियों के विकास पर प्रकाश डाला।

प्रो. गौड़ ने आवश्यक सेवाओं में पहुंच और दक्षता बढ़ाने में डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और एआई-सक्षम चिकित्सा सहायता की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दुनियां भारत को एआई आधारित बुनियादी ढांचे के लिए एक उभरते हुए केंद्र के रूप में कैसे देखती है, जिसमें एआई प्रौद्योगिकियों को अपनाया जा रहा है और अभिनव अनुप्रयोग हैं। उनकी अंतर्दृष्टि ने दर्शकों को एक स्मार्ट और एआई की विशाल संभावनाओं का पता लगाने के लिए प्रेरित किया। शिक्षा और नेतृत्व में अपने व्यापक अनुभव से आकर्षित होकर सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए व्यावहारिक अनुप्रयोगों के साथ अभिनव अनुसंधान को एकीकृत करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने वैश्विक मुद्दों को हल करने, नवाचार को पोषित करने और अगली पीढ़ी के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों को सशक्त बनाने में सहयोग की परिवर्तनकारी क्षमता के बारे में भी बात की।

सम्मानित अतिथि एएमएस एजी के कंट्री हेड राजेश गुप्ता ने उभरती प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने शिक्षा और उद्योग के बीच सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने प्रतिभागियों को भविष्य के लिए प्रभावशाली और टिकाऊ समाधान बनाने पर ध्यान देने के साथ उभरती प्रौद्योगिकियों का पता लगाने के लिए प्रेरित किया।

सम्मानित अतिथि स्टर्लिंग जीटेक ई-मोबिलिटी कंपनी के एचआर विभाग के प्रमुख विक्रम बिश्नोई ने ई-मोबिलिटी क्षेत्र में नवाचार और मानव पूंजी की विकसित भूमिका पर अपने दृष्टिकोण साझा किए। उन्होंने संचार, नियंत्रण और ऊर्जा प्रणालियों में उभरती प्रौद्योगिकियों की मांगों के साथ कार्यबल क्षमताओं को संरेखित करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने अंत में निरंतर सीखने और अनुकूलन क्षमता की संस्कृति को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया।

विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति प्रो. दुर्ग सिंह चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि ज्ञान प्राप्त करना बिना किसी जटिलता के सभी के लिए सुलभ एक मौलिक अधिकार है। पवित्र ग्रंथों में छंदों से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने मानव जाति की भलाई के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में मानवता, सादगी और आजीवन सीखने के मूल्यों पर प्रकाश डाला।

जीएलए के एसोसिएट डीन एकेडमिक प्रो. आशीष शुक्ला द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने सभी गणमान्य व्यक्तियों, प्रतिभागियों, वक्ताओं, प्रायोजकों, आयोजकों और स्वयंसेवकों को उनके अटूट समर्थन और समर्पण के लिए सभी गणमान्यों का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता, कुलसचिव अशोक कुमार सिंह एवं डा. परेश चन्द्र साहू ने कहा कि यह सम्मेलन विद्यार्थियों के हित और भविष्य के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। सम्मेलन में कॉरपोरेट और शैक्षिक जगत के दिग्गज जुटे। विभाग के प्रोफेसर अंजन कुमार, शैलेश कुमार सारस्वत, दिवाकर अग्रवाल, धीरज कालरा, अलका अग्रवाल ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।