Thursday, October 9, 2025
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ग्लोबल स्टार सिम्पोजियम में युवाओं ने दिखाई रचनात्मकताराजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं की कल्पनाशीलता को सराहा

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मथुरा। छात्र-छात्राओं में रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और नेतृत्व क्षमता विस्तार के लिए राजीव इंटरनेशनल स्कूल में प्रतिष्ठित ग्लोबल स्टार सिम्पोजियम कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें युवाओं ने प्रौद्योगिकी और सामाजिक उत्तरदायित्व जैसे वैश्विक मुद्दों पर अपनी अभिनव परियोजनाओं का शानदार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि डीन और प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी, विभागाध्यक्ष एमबीए डॉ. शशिशेखर तथा प्राचार्य प्रिया मदान ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया।
ग्लोबल स्टार सिम्पोजियम कार्यक्रम में राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं ने न केवल अपनी बौद्धिक कल्पना से वैश्विक विकास का खाका खींचा बल्कि अपनी ज्ञानवर्धक सोच से अतिथियों को कायल कर दिया। अंत में निर्णायकों ने छात्र-छात्राओं की बौद्धिकता के आधार पर दुष्यंत शर्मा को बेस्ट डेलिगेट, विवान सारस्वत को बेस्ट ओरेटर, स्तुति द्विवेदी को बेस्ट प्रेजेंटर एवं हार्दिक शर्मा को बेस्ट रिसर्चर के लिए चुना गया। अतिथियों ने विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत करते हुए उनकी कल्पनाशीलता की मुक्तकंठ से सराहना की।
डीन और प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी ने अपने उद्बोधन में कहा कि 21वीं सदी के उत्थान में युवाओं की भूमिका अहम है। डॉ. लाहौरी ने कहा कि जब बच्चे कल्पना करते हैं, तो वे बिना किसी भौतिक सीमा के एक दुनिया की कल्पना करते हैं। इससे उन्हें चीज़ों को एक नए नजरिए से देखने और एक अलग दृष्टिकोण अपनाकर समाधान ढूंढ़ने में मदद मिलती है। यह उन्हें खुद को अभिव्यक्त करने में भी मदद करता है और उन्हें अपने आस-पास की चीजों के कामकाज पर सवाल उठाने के लिए प्रेरित करता है। डॉ. लाहौरी ने आयोजन की सराहना की।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं की कल्पनाशीलता की सराहना करते हुए कहा कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल समाज के विकास में योगदान देने वाली पीढ़ी तैयार करने को प्रतिबद्ध है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि भावी पीढ़ी को पढ़ाई के समय में ही नवाचार को बढ़ावा देने और नए शोध करने को प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। डॉ. अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं को सीख दी कि वे शोध के दौरान असफलताओं से निराश नहीं हों बल्कि सफलता प्राप्त होने तक अपने प्रयास जारी रखें।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि चूंकि भविष्य में शिक्षा एवं समाज को आकार देने में युवाओं की भूमिका अग्रणी रहेगी लिहाजा उन्हें अभी से समाज में सार्थक बदलाव लाने के लिए तैयार किया जाना जरूरी है। प्राचार्य प्रिया मदान ने अपने सम्बोधन में कहा कि ग्लोबल स्टार सिम्पोजियम एक आयोजन ही नहीं बल्कि युवा मस्तिष्क को वैश्विक स्तर पर सोचने और जिम्मेदारी से कार्य करने के लिए सशक्त बनाने का एक आंदोलन है। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं में जिज्ञासा, एकाग्रता और नवाचार का बीजारोपण ही आरआईएस का मुख्य उद्देश्य है। आयोजन की सफलता में गरिमा जैन, श्याम पांडेय, प्रिया गर्ग, प्रियंका चतुर्वेदी, विक्रांत आदि शिक्षकों का विशेष योगदान रहा।
चित्र कैप्शनः अतिथियों के साथ ग्लोबल स्टार सिम्पोजियम में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राएं।

राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के दो छात्रों का उच्च पैकेज पर चयनबहुराष्ट्रीय कम्पनियों में मिले अवसर से दोनों छात्रों में खुशी

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मथुरा। ब्रज क्षेत्र के प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थान राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के दो छात्रों ने अपनी बौद्धिक क्षमता तथा प्राध्यापकों के कुशल मार्गदर्शन में उच्च पैकेज पर बड़ी सफलता हासिल की है। राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी मथुरा के एम.फॉर्मा फार्मास्यूटिक्स अंतिम वर्ष के छात्र श्याम उपाध्याय एवं नरेंद्र तोमर का चयन बहुराष्ट्रीय दवा कम्पनी अहमदाबाद स्थित जाइडस लाइफ साइंसेज गुजरात एवं बद्दी स्थित जाइडस लाइफ साइंसेज (हिमाचल प्रदेश) में हुआ है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में उच्च पैकेज पर मिले सेवा के अवसर से दोनों छात्र खुश हैं तथा इसका श्रेय संस्थान की उच्चस्तरीय शिक्षा प्रणाली तथा प्राध्यापकों के कुशल मार्गदर्शन को दिया है।
संस्थान के निदेशक प्रो. (डॉ.) हिमांशु चोपड़ा ने बताया कि हाल ही में हुई प्लेसमेंट प्रक्रिया में राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के छात्रों ने न केवल हिस्सा बल्कि कम्पनी पदाधिकारियों को ग्रुप डिस्कशन, टेक्निकल असेसमेंट एवं साक्षात्कार में प्रभावित करते हुए शानदार सेवा का अवसर हासिल किया। प्रो. (डॉ.) चोपड़ा ने बताया कि एम.फॉर्मा फार्मास्यूटिक्स अंतिम वर्ष के छात्र नरेंद्र तोमर का चयन हिमाचल प्रदेश के बद्दी स्थित जाइडस लाइफ साइंसेज में मैन्युफैक्चरिंग साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी विभाग में हुआ है जबकि श्याम उपाध्याय का चयन अहमदाबाद स्थित जाइडस लाइफ साइंस के फॉर्मूलेशन डेवलपमेंट विभाग में हुआ है।
प्रो. चोपड़ा का कहना है कि नरेंद्र तोमर और श्याम उपाध्याय ने अपनी एम.फॉर्मा (फार्मास्यूटिक्स) की पढ़ाई पूरी करने के बाद जाइडस लाइफ साइंसेज में अपनी पेशेवर यात्रा शुरू की है। जाइडस लाइफ साइंसेज भारत की प्रमुख फार्मास्यूटिकल कम्पनियों में से एक है, जो नवीन दवाओं और स्वास्थ्य देखभाल समाधानों के विकास में अग्रणी भूमिका निभाती है। निदेशक प्रो. (डॉ.) हिमांशु चोपड़ा ने कहा कि संस्थान की शैक्षिक गुणवत्ता बेहतर होने के कारण यहां अध्ययनरत छात्र राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में सहजता से सेवा का अवसर हासिल कर लेते हैं।
प्रो. चोपड़ा ने बताया कि कैम्पस प्लेसमेंट प्रक्रिया में छात्रों की शैक्षिक योग्यता, तकनीकी कौशल और व्यक्तिगत गुणों का मूल्यांकन किया जाता है। उन्होंने बताया कि एम.फॉर्मा (फार्मास्यूटिक्स) के स्नातकों के लिए फार्मास्यूटिकल उद्योग में विभिन्न करियर अवसर उपलब्ध हैं। वे अनुसंधान और विकास, गुणवत्ता नियंत्रण, नियामक मामलों और फार्मास्यूटिकल विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में अपना करियर बना सकते हैं।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल और प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने दोनों छात्रों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। डॉ. अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि कठिन परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। उन्होंने कहा कि जाइडस लाइफ साइंसेज जैसी प्रमुख कम्पनियों में चयनित होना इन छात्रों की कड़ी मेहनत का प्रतिफल है। डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने कहा कि राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी 1999 से संचालित है। यहां का ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट विभाग छात्र-छात्राओं को बदलती शिक्षा प्रणाली के अनुरूप न केवल ढालता है बल्कि रोजगार विकल्पों के लिए हर समय तत्पर रहता है।
चित्र कैप्शनः संस्थान के निदेशक प्रो. (डॉ.) हिमांशु चोपड़ा और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में चयनित श्याम उपाध्याय और नरेंद्र तोमर।

खेल के क्षेत्र में वृंदावन पब्लिक स्कूल की एक ऐतिहासिक उपलब्धि

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-सीबीएसई क्लस्टर वेस्टर्न उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में जीता सिल्वर मैडल

-नेशनल जूडो चैंपियनशिप के लिए किया क्वालीफाई

वृंदावन। वीपीएस के सितारों ने सीबीएसई क्लस्टर वेस्टर्न उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में सिल्वर मैडल जीतकर नेशनल जूडो चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई कर ऐतिहासिक जीत हासिल की।
वृंदावन पब्लिक स्कूल के निदेशक डॉ ओम जी ने छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि यदि प्रतिभा व कौशल को मंच मिलता है तो वह और निखरती है तथा सबके दिलों पर छाप छोड़ती है, ऐसी ही भावना से ओतप्रोत होकर वृंदावन पब्लिक स्कूल सदैव छात्रों की प्रतिभा, दक्षता व कुशलता को निखारकर उन्हें उनके करियर में ऊंचाई व सफलता प्रदान करने का उद्देश्य रखता है।
गौरतलब है कि सेंट जेवियर्स स्कूल, सरदाना मेरठ में आयोजित सीबीएसई क्लस्टर गेम्स में पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से सीबीएसई जूडो क्लस्टर में द्वितीय स्थान हासिल करने और रजत पदक जीत कर छात्र ऋतिक राठौर ने सम्पूर्ण वीपीएस, बृजमण्डल को गौरवान्वित किया है । इस प्रतियोगिता में आगरा, अलीगढ, बरेली, बदायूँ, बागपत, बिजनौर, बुलन्दशहर, एटा, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड, हाथरस आदि समेत मथुरा के खिलाड़ियों ने भाग लिया। छात्र ऋतिक राठौर व कुश शर्मा ने अपने इस सफलता का श्रेय समस्त विद्यालय परिवार व अपनी खेल प्रशिक्षिका शिवानी वर्मा को दिया। विद्यालय को यह गौरवपूर्ण पल की खुशी मनाते हुए विद्यालय परिवार ने भी गर्व का अनुभव किया । इस अवसर पर विद्यालय के निदेशक शिक्षाविद डॉ.ओम जी ने छात्रों को बधाई दी एवं सीबीएसई क्लस्टर नेशनल्स के लिए क्वालीफाई करने और आगे भी उनके स्वर्णिम भविष्य के लिए कामना की। प्रधानाचार्य कृति शर्मा ने कहा कि छात्र ऋतिक राठौर व कुश शर्मा व प्रशिक्षिका शिवानी वर्मा की कड़ी मेहनत, लगन और जुनून का ही ये प्रतिफल है कि क्रीडा क्षेत्र में यह अद्भुत उपलब्धि विद्यालय को हासिल हुई है।

जीएलए के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में तकनीकी नवाचारों पर मंथन को जुटे विशेषज्ञ और शोधार्थी-जीएलए में आयोजित 7वीं ‘इस्कॉन‘ में जुटे विषेशज्ञ और शोधार्थी

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मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के कम्प्यूटर इंजीनियरिंग एंड एप्लीकेशन विभाग द्वारा आयोजित 7वीं ‘इंटरनेशनल कॉन्फ्रेन्स ऑन इन्फॉरमेशन सिस्टम एण्ड कम्प्यूटर नेटवर्कस‘ पर बोलते हुए आइआइआइटी पुणे, नागपुर, वीजेटीआई मुंबई के पूर्व निदेशक एवं वीएनआइटी नागपुर के सीएसई विभाग के प्रोफेसर डा. ओमप्रकाश गोपाल काकडे ने कहा कि मुझे सातवें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ऑन ‘इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स एंड कम्प्यूटर नेटवर्क्स‘ का हिस्सा बनने का अवसर प्राप्त हुआ। यह सम्मेलन केवल शोध और तकनीकी नवाचारों को साझा करने का मंच ही नहीं है, बल्कि युवाओं, शोधार्थियों और विद्वानों के लिए आपसी सहयोग, संवाद तथा विचार-विमर्श का भी एक अनमोल अवसर प्रदान करता है।

उन्होंने कहा कि आज के समय में जब संपूर्ण विश्व डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रहा है, तब सूचना प्रौद्योगिकी और नेटवर्किंग का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। ऐसे वैश्विक आयोजन हमें नई तकनीकों से रूबरू कराते हैं, भविष्य की संभावनाओं की ओर अग्रसर करते हैं और युवाओं में शोध एवं नवाचार की नई ऊर्जा का संचार करते हैं। यहां प्रस्तुत किए जाने वाले शोध कार्य न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण को सशक्त करेंगे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत भी सिद्ध होंगे।

विशिष्ट अतिथि डी एंड आइ टेक्नोलॉजी एवं एस एंड पी ग्लोबल, नोएडा की हेड अंजुम खान ने कहा कि आज हम एक ऐसे दौर में हैं, जहां सूचना प्रौद्योगिकी और नेटवर्किंग मानव जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित कर रही है। इस मंच पर देश-विदेश के विद्वानों ने भी अपने अनुभव और शोध साझा किए हैं, जो निश्चित रूप से हम सबके ज्ञान को समृद्ध करेंगे। मुझे विश्वास है कि यहाँ से निकलने वाले विचार और नवाचार समाज व राष्ट्र की प्रगति में अहम भूमिका निभाएंगे।

वेल्यूएशन, एस एंड पी ग्लोबल नोएडा के हेड ऑफ टेक्नोलॉजी डा. रवि प्रकाश वार्ष्णेय ने बताया कि आज के समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी आधुनिक तकनीकें सूचना प्रणालियों और कंप्यूटर नेटवर्क्स के स्वरूप को पूरी तरह बदल रही हैं।
इन उभरती हुई तकनीकों पर गहन चर्चा और विचार-विमर्श न केवल भविष्य की तकनीकी चुनौतियों का समाधान खोजने में सहायक सिद्ध होगा, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए नए अवसरों का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। इस प्रकार के सम्मेलन शोधकर्ताओं, उद्योग जगत और शिक्षा क्षेत्र को एक साझा मंच उपलब्ध कराते हैं।

एबीवी आइआइटीएम ग्वालियर के निदेशक प्रो. एसएन सिंह ने कहा कि आज के युग में जिसके पास सही सूचना है वही भविष्य की योजनाओं का निर्माण कर सकता हैं। उन्होंने कहा कि हम इन्फॉरमेटिक्स के माध्यम से शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव को जान सकते है और उसके मुताबिक हम शेयर बाजार में निवेश कर सकते है।

कोफोर्ज के परफार्मेंस लीडर दीपक खत्री ने कहा कि कॉरपोरेट सेक्टर में चुनौतियां के साथ-साथ अवसर भी बहुत हैं, लेकिन इसके लिए बेहतर अनुसंधान की जरूरत है। इस तकनीकी युग में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए विद्यार्थियों को जागरूक होने की आवश्यकता है। क्योंकि इंडस्ट्री की मांग के अनुसार विद्यार्थी तैयार होंगे तो, अवसर भी बेहतर मिलेंगे।

सिस्को के सीनियर टेक्निकल लीडर डा. आदित्य शुक्ला ने विद्यार्थियों से कहा कि उनका उद्देश्य अच्छे तकनीकी विद् बनने के साथ-साथ अच्छे नागरिक बनने का भी होना चाहिये। साथ ही हमें समाज को तकनीकी के माध्यम से सहयोग करना चाहिए। क्योंकि आज के समय में विद्यार्थियों को किसी भी एक विधा में महारथ हासिल करने से ही नौकरी व व्यवसाय के कई अवसर मिल सकते हैं। इसलिए विद्यार्थी बाजार में अवसरों को हासिल करने के लिए पुरजोर प्रयास करें।

जीएलए के कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने विश्वविद्यालय की प्रगति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बीते सत्र में ही कंपनियों ने 2500 से अधिक छात्रों को रिकॉर्ड तोड़ जॉब ऑफर प्रदान किए। वर्तमान सत्र में भी कंपनियां लगातार कैंपस प्लेसमेंट कर रही हैं। यह सब बेहतर तकनीकी शिक्षा का कमाल है। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री की मांग के अनुसार विद्यार्थी तैयार होंगे तो, अवसर भी बेहतर मिलेंगे।

इस अवसर पर सभी अतिथियों ने विश्वविद्यालय का भ्रमण भी किया और उपलब्ध संसाधनों, शिक्षक-शिक्षिकाओं व विद्यार्थियों के तकनीकी ज्ञान की भूरि-भूरि सराहना की। साथ ही कई लोगों ने आपस में आगे शोध कार्य साथ करने के लिए भी सहमति जतायी।

कॉन्फ्रेंस के अंत में कन्वेनर डॉ. आशीष शर्मा ने सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस्कॉन की श्रंखला पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुकी है। कार्यक्रम के सफल रूप से संपन्न होने पर कॉन्फ्रेन्स जनरल चेयर आइईटी डीन प्रो. अशोक भंसाली तथा प्रो. दिलीप कुमार शर्मा ने बताया कि इस संगोष्ठी के लिये भारत, चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, नामीबिया, दक्षिण कोरिया, बांग्लादेश, नेपाल, सऊदी अरेबिया, दक्षिण अफ्रीका ओमान, यूएई और यूएसए से करीब 1055 से भी ज्यादा शोध-पत्र प्राप्त हुए एवं आइईईई की जटिल समीक्षा पद्धति के उपरान्त कुल 204 शोध-पत्रों को संगोष्ठी में प्रेजेंट किये जाने की अनुशंसा की है।

कार्यक्रम के सफल आयोजन में डीन एकेडमिक प्रो. आशीष शर्मा, विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप राठौर, को-कन्वेनर डा. राकेश गालव, एसोसिएट प्रोफेसर डा. निखिल गोविल, डा. अजितेश कुमार, मोना कुमारी, डा. राजेश त्रिपाठी, डा. मुनमी गोगोई, डा. जोगिन्द्र, अनुपम, डा. स्वाती, डा. सुभाष, डा. राहुल प्रधान एवं डा. पूजा पाठक का सहयोग सराहनीय रहा।

चित्र परिचयः संस्कृति विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा मनाए गए ‘आत्महत्या रोकथाम’ दिवस पर विद्यार्थियों को संबोधित करते संस्कृति सेंटर आफ एप्लाइड पॉलिटिक्स के निदेशक डा. रजनीश त्यागी।

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संस्कृति विवि में मनाया गया ‘आत्महत्या रोकथाम’ दिवस


मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा मनाए गए ‘आत्महत्या रोकथाम’ दिवस में वक्ताओं ने कहा कि जागरूकता के द्वारा आत्महत्या जैसे कलंक को रोका जा सकता है। वक्ताओं ने लोगों के बीच हर स्तर पर चलाए जा रहे अभियानों की उपयोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
मुख्य वक्ता डा. रजनीश त्यागी ने बताया कि विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की शुरुआत 2003 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर की गई थी और यह एक महत्वपूर्ण वकालत और संचार आधारित कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय संगठनों, सरकारों और आम जनता तक पहुंचना है तथा यह संदेश देना है कि आत्महत्या को रोका जा सकता है। इन प्रयासों में आत्महत्या रोकथाम दिवस को एक प्रभावी उपकरण माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट, आत्महत्या की रोकथाम: एक वैश्विक अनिवार्यता ( 2014) इसे एक नीतिगत उपलब्धि के रूप में चिह्नित करती है, जिसमें कहा गया है कि इस दिन ने राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर अभियानों को प्रेरित किया है और जागरूकता बढ़ाने तथा कलंक को कम करने में योगदान दिया है।
डा.रजनीश ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक आत्महत्या रोकथाम पहल का उल्लेख इसके कार्यान्वयन की मुख्य रणनीति के संबंध में किया गया है, जिसमें “आत्मघाती व्यवहारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने तथा उन्हें प्रभावी ढंग से रोकने के लिए वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय बहु-क्षेत्रीय गतिविधियों का आयोजन, आत्महत्या रोकथाम के लिए राष्ट्रीय नीतियों और योजनाओं को विकसित करने और उनका मूल्यांकन करने के लिए देशों की क्षमताओं को मजबूत करना शामिल है।
इससे पूर्व तृतीय सेमेस्टर की छात्रा कु. श्रुति कर्मकार ने विषय का परिचय देते हुए बताया कि आत्महत्या के कई जटिल, परस्पर संबंधित और अंतर्निहित कारक होते हैं जो दर्द और निराशा की भावनाओं को बढ़ा सकते हैं। आत्महत्या के साधनों खासकर आग्नेयास्त्र, दवाइयाँ और ज़हर तक आसान पहुंच होना भी एक जोखिम कारक है। इस मौके पर सेमिनार हॉल में कविता, ओपन माइक और पोस्टर मेकिंग जैसी प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया, जिनमें 200 से अधिक विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दुरुपयोग पर एक विचारोत्तेजक नाट्य प्रस्तुति दी, जिसमें यह दर्शाया गया कि इसका गलत प्रयोग आत्महत्या प्रवृत्तियों का कारण बन सकता है। मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने आयुर्वेद भवन के सामने एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया, जिसमें तुलना, शैक्षणिक असफलता, टूटे विवाह, लैंगिक समानता और पुरुषों की छिपी हुई आवाज़ जैसे मुद्दों को उठाया गया। नाटक का समापन एक गीत के साथ हुआ, जिसने आत्महत्या रोकथाम के महत्व को सशक्त रूप से उजागर किया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. श्रेया शर्मा ने किया और अंत में डॉ. मोनिका अब्रोल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

डीएएच पीड़ित किशोरी को के.डी. हॉस्पिटल में मिला नया जीवनविशेषज्ञ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शुभम द्विवेदी के प्रयासों से बची गुड़िया की जान

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मथुरा। तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम से पीड़ित किशोरी को के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर की विशेषज्ञ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शुभम द्विवेदी और उनकी टीम के प्रयासों से एक नई जिन्दगी मिली है। एक सितम्बर की रात 10.45 बजे वेंटीलेटर पर लाई गई गुड़िया (14) अब पूरी तरह से स्वस्थ है तथा वह बिना ऑक्सीजन सांस ले रही है।
जानकारी के अनुसार दाऊजी, मथुरा निवासी गुड़िया पुत्री कन्हैया के कुछ दिन पहले हाथ-पैरों में दर्द के साथ बुखार आया। परिजनों ने उसे कई चिकित्सालयों में दिखाया, जहां उसका उपचार तो हुआ लेकिन गुड़िया के स्वास्थ्य में सुधार होने की बजाय उसकी प्लेटलेट्स में गिरावट होती गई। प्लेटलेट्स में आई गिरावट के बाद चिकित्सकों ने उसे वेंटीलेटर पर भी रखा लेकिन उसे आराम नहीं मिला। आखिरकार उसे एक सितम्बर की रात 10.45 बजे के.डी. हॉस्पिटल लाया गया।
डॉ. शुभम द्विवेदी (एमडी, इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी) ने गुड़िया के एक्सरों को देखा जिसमें दोनों फेफड़े डैमेज थे तथा तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (एआरडीएस) के कारण वायुकोषों (एल्वियोली) में तरल पदार्थ जमा हो गया था। यह तरल पदार्थ रक्तप्रवाह में पर्याप्त ऑक्सीजन जाने से रोक रहा था। तरल पदार्थ का जमाव फेफड़ों में होने की वजह से दिल की धड़कन भी बहुत धीमी चल रही थी। फेफड़ों की कोशिकाओं में खून जमा होने से सांस लेने की क्षमता भी समाप्त हो गई थी। इस नाजुक स्थिति को देखते हुए सामान्य धड़कन लाने के लिए विद्युत तरंगों (कार्डियोवर्जन) का इस्तेमाल किया गया।
डॉ. शुभम द्विवेदी ने गुड़िया के फेफड़ों की दूरबीन विधि से जांच की। उसके कुछ हिस्से की जांच से पता चला कि उसे डीएएच है। बीमारी का सही पता चलने के बाद गुड़िया को तीन दिन तक गहन चिकित्सा इकाई में रखा गया। तीन दिन में ही वेंटीलेटर हटा दिया गया। अब गुड़िया के फेफड़ों ने काम करना शुरू कर दिया है तथा वह स्वतः सांस ले रही है। पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शुभम द्विवेदी ने बताया कि तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (एआरडीएस) से पीड़ित मरीजों की रिकवरी देर से होती है। यदि सही समय पर बीमारी की पहचान हो जाए तो इलाज में सहूलियत होती है।
डॉ. शुभम द्विवेदी का कहना है कि फेफड़ों के ठीक से काम न करने और मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने के कारण हुई क्षति से कुछ लोगों को एआरडीएस से उबरने के बाद भी परेशानी हो सकती है। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन थेरेपी एआरडीएस का मुख्य उपचार है। गुड़िया को नया जीवन देने वाली डॉ. शुभम द्विवेदी का सहयोग डॉ. जीतेन्द्र अग्रवाल, डॉ. हर्षिता द्विवेदी, डॉ. गुरुविन्दर बट्टी, डॉ. जोयल अग्रवाल तथा डॉ. रिदम गर्ग ने किया।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन मनोज अग्रवाल, डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, चिकित्सा निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार भारद्वाज तथा विभागाध्यक्ष श्वसन चिकित्सा डॉ. एस.के. बंसल ने गुड़िया को नया जीवन देने के लिए डॉ. शुभम द्विवेदी और उनकी टीम को बधाई दी।
चित्र कैप्शनः गुड़िया का उपचार करने वाली विशेषज्ञ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शुभम द्विवेदी और उनकी टीम।

एमबीए नवागंतुकों को दी ‘खुद को जानो, अपना सर्वश्रेष्ठ दिखाओ’ की सीखराजीव एकेडमी की पूर्व छात्रा प्रतिभा सिंह ने बताए सफलता के गुर

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मथुरा। आत्मज्ञान और आत्मविश्लेषण बिना पेशेवर जीवन में सफलता की कल्पना नहीं की जा सकती। बेहतर टीम प्लेयर बनने, आत्म-सहानुभूति की क्षमता बढ़ाने तथा जीवन के उद्देश्य की स्पष्ट समझ पाने से न केवल व्यक्ति आत्म-प्रेरित होता है बल्कि वह कॉर्पोरेट वातावरण में अधिक अनुकूलनीय और सफल भी बनता है। यह बातें बुधवार को रेल यात्री की मैनेजर टैलेंट-एक्विज़िशन प्रतिभा सिंह ने राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, मथुरा के नवागंतुक एमबीए छात्र-छात्राओं को बताईं।
रिसोर्स परसन ने “खुद को जानो, अपना सर्वश्रेष्ठ दिखाओ” विषय पर केंद्रित अपने व्याख्यान में छात्र-छात्राओं को अकादमिक शिक्षा और कॉर्पोरेट दुनिया के बीच की खाई को पाटने का संदेश दिया तथा सफलता के लिए आवश्यक व्यावहारिक कौशलों और दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह समझना जरूरी है कि हम दूसरों के साथ कैसे इंटरेक्ट करते हैं और अपने मूल व्यक्तिगत मूल्यों की पहचान किस तरह करते हैं। उन्होंने नवागंतुक छात्र-छात्राओं को अपनी पसंद-नापसंद जानने, व्यक्तिगत मान्यताओं और मूल्यों को उजागर करने, अपनी पर्सनैलिटी ट्रेट्स स्वीकार करने तथा पेशेवर जीवन में स्पष्ट दिशा बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।
रिसोर्स परसन ने अपने सम्बोधन में विद्यार्थियों को आरएटीएम से लेकर कॉर्पोरेट जगत तक की अपनी यात्रा से अवगत कराया और बताया कि पेशेवर जीवन में आगे बढ़ने के लिए आत्मज्ञान और आत्मविश्लेषण कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने विद्यार्थियों को संवाद, टीमवर्क, नेतृत्व, समस्या-समाधान और अनुकूलनशीलता जैसे गुणों की अहमियत बताई और कहा कि ये सभी कॉर्पोरेट दुनिया में सफलता की मूलभूत कुंजी हैं। रिसोर्स परसन ने छात्र-छात्राओं को नवीनतम उद्योग विकास और तकनीकी प्रगति की जानकारी देने के साथ ही विभिन्न करियर पाथ, इंडस्ट्री-स्पेसिफिक भूमिकाओं और उच्च शिक्षा या प्रोफेशनल डेवलपमेंट के अवसरों पर भी मार्गदर्शन दिया।
व्याख्यान के दौरान छात्र-छात्राओं ने कॉर्पोरेट एटिकेट, प्रोफेशनल आचरण और टीम वातावरण में कार्य करने की गतिशीलता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कीं। सुश्री प्रतिभा सिंह ने नेटवर्किंग, उद्योग पेशेवरों से संबंध स्थापित करने और इन रिश्तों का करियर उन्नति में लाभ उठाने के महत्व पर भी बल दिया। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों, चुनौतियों और सफलताओं को साझा करके विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल दृष्टिकोण प्रदान किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने नौकरी आवेदन, साक्षात्कार और कॉर्पोरेट जॉब की शुरुआती प्रक्रियाओं की तैयारी के लिए उपयोगी सुझाव दिए। इस इंटरेक्शन से छात्र-छात्राओं को अपने करियर लक्ष्यों को स्पष्ट करने और उन्हें प्राप्त करने के लिए आवश्यक कदमों की बेहतर समझ विकसित करने में मदद मिली।
विभागाध्यक्ष एमबीए डॉ. विकास जैन ने कहा कि व्याख्यान सत्र अत्यंत प्रेरणादायी रहा। उन्होंने कहा कि प्रतिभा सिंह ने जिस तरह आत्मज्ञान, आत्मविश्लेषण और करियर प्लानिंग पर व्यावहारिक मार्गदर्शन दिया, उससे विद्यार्थियों में नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार हुआ। संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने प्रतिभा सिंह के विचारों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने जीवन में कामयाबी को लेकर जो सुझाव दिए, उसका लाभ प्रबंधन के छात्र-छात्राओं को अवश्य मिलेगा। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए एमबीए के नवागंतुक छात्र-छात्राओं को लगन और मेहनत से अध्ययन करने का आह्वान किया।
चित्र कैप्शनः राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के नवागंतुक एमबीए छात्र-छात्राओं को सफलता के टिप्स देते हुए रेल यात्री की मैनेजर टैलेंट-एक्विज़िशन प्रतिभा सिंह।

चित्र परिचयः संस्कृति विश्वविद्यालय के संतोष मैमोरियल सभागार में संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हास्पिटल तथा स्कूल ऑफ एग्रिकल्चर के संयुक्त तत्वावधान में अर्चना योगायतन, नई दिल्ली के द्वारा “ऋषि विद्या कृषि विद्या” पर एक कार्यशाला में संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा.मोहनन को सम्मानित करतीं समाजिक कार्यकत्री, मुख्य अतिथि श्रीमती अनिता चतुर्वेदी।

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स्वस्थ और सुखी रहना है तो प्रकृति से छेड़छाड़ न करेः अनिता

संस्कृति विवि में आयोजित हुई “ऋषि विद्या कृषि विद्या” पर कार्यशाला
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के संतोष मैमोरियल सभागार में संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हास्पिटल तथा स्कूल ऑफ एग्रिकल्चर के संयुक्त तत्वावधान में अर्चना योगायतन, नई दिल्ली के द्वारा “ऋषि विद्या कृषि विद्या” पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि श्रीमती अनिता चतुर्वेदी ने कहा कि आज प्रकृति से छेड़छाड़ करने का बहुत बुरा परिणाम हमारी मानवता पर पड़ रहा है। पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है और जब तक हम अपनी प्रकृति की रक्षा नहीं करेंगे तब तक यह स्थिति नहीं बदलेगी।
अनेक समाजिक संस्थाओं से जुड़ी श्रीमती अनिता ने बताया कि मैं अपने जीवन में भी अधिक से अधिक प्रकृति प्रदत्त चीजों का इस्तेमाल करती हूं। भारतीय आयुर्वेद हमारे ऋषियों की देन है, हम सबको उसके अनुसार अपने जीवन को स्वस्थ बनाए रखने में बड़ी मदद मिल सकती है। आज सारा विश्व जब आयुर्वेद को बड़ी उम्मीद के रूप में देख रहा है। अपने प्राचीन व परम्परागत प्राकृतिक विज्ञान के माध्यम से ही शुद्ध आहार उपलब्ध हो सकता है जिससे हम सभी स्वस्थ रहते हुए समाज में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। इस अवसर पर कृषि विभाग मथुरा के सत्यवीर जी ने प्राकृतिक कृषि विद्या को अपनाने तथा उसे सामान्य कृषक तक इस कृषि विद्या को पहुंचाने पर बल दिया ।
अर्चना योगायतन, नई दिल्ली के निदेशक और योग गुरु डॉ सत्यनारायण यादव ने प्राकृतिक यौगिक शैली का सभागार में उपस्थित सभी लोगों को अभ्यास कराया एवं व्यावहारिक और परम्परागत विज्ञान के बारे में बहुत उपयोगी जान‌कारियां दी । कार्यशाला में डा. सत्यनरायण ने वर्कशाप में बताई जानकारियों के आधार पर विद्यार्थियों से पांच प्रश्न किए तथा उत्तर बताने वाले विद्यार्थियों को टी शर्ट प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया। इस अवसर पर संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ एम. मोहनन् ने पारम्परिक ऋषि विद्या की महत्ता बताई और कहा कि इसे अपनाने पर हम अपना व राष्ट्र का कल्याण करने में सक्षम होंगे। कॉलेज की उपप्राचार्या डॉ एकता कपूर ने सभी अतिथियों का विशेष रूप से परिचय कराया। श्री सुधिष्ट मिश्र के स्वागत भाषण और विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना के साथ कार्य़शाला का शुभारंभ किया गया । बी.ए.एम.एस. की छात्रा सुश्री जाह्नवी ने कार्यक्रम का सञ्चालन किया । इस अवसर पर पी.जी. सङ्कायाध्यक्षा डॉ अनीश तथा कालेज के सभी गणमान्य प्राध्यापकगण उपस्थित रहे । कार्यक्रम के अन्त में छात्रों व प्राध्यापकों द्वारा परिसर में वृक्षारोपण किया गया ।

छात्रों के सुझावों से सजेगा विजन यूपी 2047, जीएलए विश्वविद्यालय में हुआ मंथन-जीएलए विश्वविद्यालय में विकसित उत्तर प्रदेश 2047 विषयक विचार गोष्ठी का आयोजन

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मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय के सभागार में समर्थ उत्तर प्रदेश – विकसित उत्तर प्रदेश 2047 विषयक विचार गोष्ठी का आयोजन बड़े ही गरिमामय माहौल में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त आईएएस जीवेश नन्दन एवं सेवानिवृत्त आईपीएस आनन्द कुमार ने संयुक्त रूप से की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता, कुलसचिव अशोक कुमार सिंह, परियोजना निदेशक डीआरडीए श्री अरुण कुमार, डिप्टी कलेक्टर आदेश कुमार, डिप्टी कलेक्टर रघुवेंद्र शर्मा सहित अनेक गणमान्य अतिथि, शिक्षकगण एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ, जिसके उपरांत उपस्थित जनों को समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश 2047 अभियान पर आधारित फिल्म भी दिखाई गई।

मुख्य वक्तव्य में जीवेश नन्दन ने कहा कि भारत देश के प्रधानमंत्री की परिकल्पना ‘विकसित भारत 2047’ केवल एक लक्ष्य नहीं, बल्कि राष्ट्र की सामूहिक यात्रा है। उत्तर प्रदेश इस यात्रा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। वर्ष 2017 से 2025 तक प्रदेश ने सुरक्षा, सुशासन और विकास की मजबूत नींव रखी है। अब ‘विजन यूपी 2047’ के अंतर्गत व्यापक कार्ययोजना तैयार की जा रही है, जिसमें अर्थशक्ति, सृजनशक्ति और जीवनशक्ति जैसे आयामों पर विशेष बल है।

उन्होंने बताया कि बीते आठ वर्षों में प्रदेश की आर्थिक वृद्धि दर 15.9% रही है, प्रति व्यक्ति आय दोगुनी से अधिक बढ़ी है और निर्यात 84 हज़ार करोड़ से बढ़कर 1.86 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया है।

आनन्द कुमार ने अपने वक्तव्य में कहा कि पिछले वर्षों की अभूतपूर्व उपलब्धियों को आगे बढ़ाते हुए 2029-30 तक उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना लक्ष्य है। भारत के शताब्दी वर्ष 2047 में जब देश की अर्थव्यवस्था 30 ट्रिलियन डॉलर होगी, तब उत्तर प्रदेश 6 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ देश की रीढ़ बनेगा। औसत विकास दर 15 प्रतिशत बनाए रखते हुए प्रदेश का योगदान राष्ट्रीय जीडीपी में 20 प्रतिशत तक पहुँचाना हमारा संकल्प है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार का मिशन समग्र विकास है, जिसमें हर नागरिक को घर, पानी, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा मिले तथा उद्योग, कृषि और सेवा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी बढ़त हासिल हो। साथ ही सांस्कृतिक पुनर्जागरण के माध्यम से परंपरा और आधुनिकता का संतुलित संगम भी स्थापित हो।

जीएलए विश्वविद्यालय के छात्रों ने सामूहिक रूप से कहा कि प्रदेश के विकास के लिए वेस्ट मैनेजमेंट पर गंभीरता से कार्य होना चाहिए और जापान के मॉडल को अपनाना चाहिए। मथुरा जैसे धार्मिक-पर्यटन स्थलों पर क्यूआर कोड आधारित सुविधाएँ विकसित की जानी चाहिएं, ताकि एक स्थान से ही सभी सेवाएँ उपलब्ध हों। हमें अपनी मानसिकता बदलनी होगी, उत्पादन बढ़ाना होगा और नए स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देना होगा। साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना और करप्शन पर अंकुश लगाना भी समय की मांग है। योजनाएँ नीचे पायदान तक पहुँचें तभी उनका असली लाभ मिलेगा।

शिक्षकों ने भी सुझाव देते हुए कहा कि संविदा कर्मियों के लिए मानक वेतन व्यवस्था होनी चाहिए और शिक्षा प्रणाली में सुधार पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम छात्रों को भविष्य की नीतियों से जोड़ते हैं। जब युवा अपनी बात रखते हैं तो उनमें न केवल आत्मविश्वास आता है, बल्कि नीति-निर्माण की प्रक्रिया भी अधिक सहभागी बनती है। जीएलए विश्वविद्यालय सदैव ऐसे आयोजनों से समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान करता रहेगा।

कुलसचिव श्री अशोक कुमार सिंह ने कहा कि समर्थ उत्तर प्रदेश अभियान केवल शासन की पहल नहीं, बल्कि हम सभी नागरिकों की भागीदारी से सफल होगा। युवाओं के सुझाव भविष्य की दिशा तय करने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगे। विश्वविद्यालय ऐसे आयोजनों के माध्यम से विद्यार्थियों को केवल अकादमिक नहीं बल्कि सामाजिक व राष्ट्रीय जिम्मेदारियों से भी जोड़ रहा है, यही वास्तविक शिक्षा है।

डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. हिमांशु शर्मा ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। वहीं अंग्रेजी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. दिव्या गुप्ता ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया।

अंत में कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता एवं कुलसचिव श्री अशोक कुमार सिंह ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

जुगजुगजियें_रामकिशोर

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 मथुरा। बात पांच छः दिन पुरानीं है। हमारे एक बड़े भाई हैं सीताराम जी उनकी पत्नीं की अचानक हालत बिगड़ गई। उन्हें शरीर के एक हिस्से मैं पक्षाघात की शिकायत हो गई। एक हाथ और एक पैर ने काम करना और तो और मुंह से आवाज निकलना भी बंद, यही नहीं आंखें भी पथराने लगीं। हालत यह कि ब्लड प्रेशर व शुगर दोनों शून्य पर जा पहुंचे। हम सभी परिवारी जनों के हाथ पैर फूल गए और ऐसा लगने लगा कि भगवान ने अचानक कोई बड़ी कुघड़ी भेज दी। घर में राय बनी कि इन्हें तुरंत के.डी. मेडिकल ले चलो। मैंने रामकिशोर जी को फोन किया और वस्तु स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि मैं अभी फोन करके सारी व्यवस्थाएं कराता हूं, आप लोग इन्हें लेकर तुरंत के.डी. पहुंचो।
 इसके बाद हमारे भाई साहब व भतीजे आदि उन्हें लेकर लगभग आधी रात के समय के.डी. मेडिकल पहुंचे वहां डॉक्टर व स्टाफ पहले से ही रेडी था। मरीज के पहुंचते ही उपचार मिलना प्रारंभ और देखते ही देखते हवा का रुख बदलने लगा मुंह से आवाज निकलने लगी और हाथ पैरों में भी हरकत शुरू। शायद कोई चमत्कार सा होने लगा। दो दिन के अंदर लगभग 90% शिकायत दूर हो गई और तीसरे दिन डिस्चार्ज। यही कारण है कि अंदर से स्वतः ही आवाज निकल रही है कि "जुग जुग जिएं रामकिशोर" कहने का मतलब है कि एक और तो चिकित्सा के नाम पर कदम कदम पर कट्टी खाने खुल रहे हैं, और दूसरी ओर मरीजों की सेवा अव्वल दर्जे की तथा शुल्क नाम मात्र का।
 कहते हैं कि 24 घंटे में कुछ क्षण हर इंसान के पास ऐसे आते हैं कि मुंह से निकली बात सच हो जाती है। शायद रामकिशोर जी के पास भी ऐसे ही कुछ क्षण आए जो उन्होंने मुझसे शुरुआती दौर में ही कह दिया कि "गुप्ता जी किसी बात की चिंता मत करना सब ठीक हो जाएगा, इन्हें पूरी तरह ठीक करके ही अस्पताल से वापस घर भेजूंगा। बाद में उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोगों को तसल्ली तभी मिलती है जब मरीज को दिल्ली ले जाते हैं, भले ही ऑपरेशन बिगड़ जाए और मरीज खतरे में चला जाए।
 किसी ने ठीक ही कहा है कि "नाम बड़े और दर्शन छोटे" इसका जीता जागता उदाहरण नयति है और उसका हश्र सभी के सामने भी मौजूद है। एक नयति ही नहीं अनेक नयति भी यहां कुकुरमुत्ते की तरह उपज आए हैं। ऐसा नहीं कि सभी कट्टी खाने हैं किंतु बहुमत कसाइयों का है। ये कसाई इंसान होते हुए भी राक्षसों से भी ज्यादा बुरे हैं। ज्यादा कहना सुनना बेकार है "जो जस करई सो फल चाखा" ईश्वर के यहां देर है अंधेर नहीं कभी इन कसाइयों की नार पर भी गड़सा जरुर चलेगा और उसके बाद यह होगा कि "अब पछताए होत क्या जब चिड़ियां चुग गईं खेत।

डाॅ. रामकिशोर के मोबाइल नंबर
9897126000
9897400022