Friday, September 26, 2025
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राजीव एकेडमी के विद्यार्थी घर बैठे उठा रहे समर इंटर्नशिप का लाभ एम.बी.ए. के छात्र-छात्राओं को मिल रहा दस हजार रुपये प्रतिमाह का स्टाइफंड

मथुरा। कोरोना संक्रमण के चलते हर तरह की गतिविधियां प्रभावित हुई हैं, इससे शिक्षा पर भी व्यापक असर पड़ा है। शैक्षिक संस्थान बंद होने के बावजूद राजीव एकेडमी फार टेक्नोलाजी एण्ड मैनेजमेंट ने प्रशासन के हर दिशा-निर्देश का पालन करते हुए ऐसी सुदृढ़ व्यवस्थाएं की हैं जिनके चलते यहां के छात्र-छात्राएं पढ़ाई के साथ ही नामचीन कम्पनियों में समर इण्टर्नशिप करते हुए न्यूनतम 10 हजार रुपये प्रतिमाह का स्टाइफंड लाभ भी उठा रहे हैं।
राजीव एकेडमी फार टेक्नोलाजी एण्ड मैनेजमेंट के एम.बी.ए. के छात्र-छात्राएं कोविड-19 में 75 दिन के लाकडाउन के बाद अब अनलाक के समय में घर बैठे देश की नामी कम्पनियों में समर इंटर्नशिप का लाभ ले रहे हैं। राजीव एकेडमी के विद्यार्थी घर पर रहकर ही न केवल जानी-मानी कम्पनियों से आनलाइन प्रशिक्षण ले रहे हैं बल्कि यह कम्पनियां छात्र-छात्राओं को दस हजार रुपये प्रतिमाह तक का स्टाइफंड भी प्रदान कर रही हैं।
कोरोना संक्रमण के इस दौर में जहां लोगों को रोजगार के लाले पड़े हैं वहीं राजीव एकेडमी के विद्यार्थी अपनी कुशलता के बल पर मार्केटिंग, फाइनेंस, एचआर, सप्लाई चेन एवं इंश्योरेंस आदि क्षेत्रों में समर इण्टर्नशिप कर अपनी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर रहे हैं। एम.बी.ए. के लगभग सभी छात्र-छात्राओं को जहां स्टाइफंड का लाभ मिल रहा है वहीं वैशाली सिंह का चयन मैडीपैक इनोवेशन, शिवानी वर्मा और प्राची भार्गव का कोकाकोला कम्पनी, सानू चौधरी का औथब्रिज रिसर्च सर्विस, भूमिका अग्रवाल का माई कैप्टेन, 16 छात्र-छात्राओं को आउटलुक तथा 20 को एच.डी.एफ.सी. में सेवा का अवसर मिल चुका है। हर्ष एवं अनुश्रुति को पेप्सी तथा विपिन कुमार का स्विगी में चयन हुआ है।
आर.के. एज्यूकेशन हब के अध्यक्ष डा. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, चेयरमैन मनोज अग्रवाल तथा संस्थान के निदेशक डा. अमर कुमार सक्सेना ने छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। निदेशक डा. अमर कुमार सक्सेना का कहना है कि राजीव एकेडमी द्वारा विद्यार्थियों को अध्ययन में आवश्यक संसाधन और नवीनतम अपडेट्स उपलब्ध कराने का लगातार प्रयास किया जा रहा है।

परिषदीय शिक्षकों के लिए एक जुलाई से खुल जाएंगे स्कूल, एक दर्जन कामों की जिम्मेदारी

 

प्रदेश में सभी परिषदीय स्कूल शिक्षकों के लिए खुल जाएंगे। हालांकि अभी स्कूलों में पठन-पाठन नहीं होगा, लेकिन शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को स्कूल में बैठकर बच्चों की ऑनलाइन क्लास लेने के साथ एक दर्जन से अधिक काम करने होंगे। बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को जुलाई महीने का एजेंडा जारी कर दिया है। ब्लॉक स्तर पर सुबह और दोपहर की पाली में पांच-पांच प्रधानाध्यापकों को रोस्टर के अनुसार उपस्थित रहना है।

एक जुलाई से सभी शिक्षकों से मिड डे मील योजना के तहत बच्चों को कुकिंग लागत का भुगतान और अनाज वितरित कराना होगा। मानव संपदा पोर्टल पर अपने दस्तावेजों का सत्यापन करना होगा। मिशन प्रेरणा के तहत ई-पाठशाला संचालित कर बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज देनी होगी।

ऑपरेशन कायाकल्प के तहत स्कूलों का रंगरोजन, मरम्मत और सौंदर्य से जुड़े कार्य कराने होंगे। समर्थ कार्यक्रम के तहत दिव्यांग बच्चों को शिक्षा से जोड़कर उनकी शिक्षा और थैरेपी की व्यवस्था करनी होगी। स्कूलों में निशुल्क पाठ्यपुस्तक, यूनिफार्म वितरण करना होगा। साथ ही शिक्षकों का ऑनलाइन प्रशिक्षण भी प्राप्त करना होगा। शिक्षकों को यू-डायस पोर्टल पर विद्यालयों में बच्चों के नामांकन, इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों से जुड़े आंकड़े भी फीड करने होंगे। शारदा कार्यक्रम के तहत आउट ऑफ स्कूल बच्चों को चिह्नित कर उन्हें स्कूल में दाखिला दिलाना होगा। दीक्षा एप के जरिए शिक्षकों को कौशल विकास के लिए तैयार 75 कोर्स का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। एक ही परिसर में संचालित प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के संविलयन की कार्यवाही को भी पूरा कराना होगा। सभी स्कूलों को सैनेटाइज किया जाएगा।

प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में स्कूलों को कोरोना संदिग्धों और प्रवासी मजदूरों के लिए क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया था। विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने स्कूल खोलने के बाद सबसे पहले स्कूलों को पूरी तरह सेनेटाइज कराने और साफ-सफाई कराने के निर्देश दिए हैं ताकि शिक्षकों में संक्रमण फैलने का खतरा नहीं हो।

एस एस पी ने थाना प्रभारी निरीक्षकों के कार्य क्षेत्र बदले।

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एस एस पी ने थाना प्रभारी निरीक्षकों के कार्य क्षेत्र बदले।

संजीव कुमार दुबे को थाना प्रभारी वृन्दावन से निरीक्षक मथुरा कोतवाली बनाया।

प्रमोद कुमार पंवार प्रभारी निरीक्षक कोसीकलां बने।

आजाद पाल सिंह को थाना प्रभारी बरसाना बनाया।

अनुज कुमार थाना प्रभारी वृन्दावन।

विनोद कुमार थाना हाइवे प्रभारी बने

राकेश कुमार थाना प्रभारी नौहझील।

महाराज सिंह भाटी थाना सुरीर बने।

सुरेश चंद थाना प्रभारी रिफाइनरी

अनुज मलिक थाना अध्यक्ष शेरगढ़ बनाएं गये।

 

देर रात जिले में कोरोना के 5 नए मरीज और मिले

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देर रात जिले में कोरोना के 5 नए मरीज और मिले
कस्बा सौंख में दो दवा विक्रेता कोरोना पाॅजिटिव निकले
वृन्दावन रोड गणपति इन्फिनिटी में एक मरीज मिला
बाकलपुर श्रीजी गार्डन 1 में एक मरीज मिला
सौंख देहात में एक और मरीज मिला
शहरी और देहात क्षेत्र में लगातार बढ़ रहा संक्रमण

जीवन की परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाला ही सच्चा टाॅपर्स

 

विजय कुमार गुप्ता

मथुरा। बोर्ड की परीक्षाओं के परिणाम आते ही टाॅपर्सों व उनके माता-पिताओं का कुछ ज्यादा ही इतराना इठलाना शुरू हो जाता है। असली परीक्षा तो जीवन की है। इसमें जो उत्तीर्ण होता है, वही असली टाॅपर्स कहलाता है।
परीक्षा के दिनों में तो विद्यार्थियों को ऐसी रटन्ट कराई जाती है, जैसे किताब काॅपियों को घोलकर पिला ही डाला जाएगा। दिन और रात हर समय कापी किताबों में घुसाऐ रखना ही एकमात्र उद्देश्य रह जाता है।
पिछले वर्ष बिहार की एक टाॅपर का मामला प्रकाश में आया था। उसकी शिकायत आने पर जांच कराई गई तो जिन प्रश्नों के उत्तर उसने उत्तर पुस्तिका में एकदम सटीक लिखे थे, उनमें से एक का भी जवाब वह नहीं दे पाई। यह है परीक्षा माफियाओं का कमाल। बाद में उस टाॅपर को फेल कर दिया गया। यह तो एक मामला है और पता नहीं देश भर में ऐसे कितने मामले होंगे। जो बच्चे पूरी मेहनत और लगन से पढ़ते हैं, शायद वह पीछे रह जाते हैं और नकलची व जुगाड़ू टाॅपर्स बन जाते हैं। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। मैं एक नहीं अनेक ऐसे लोगों को जानता हूं जो ऊंची-ऊंची पढ़ाई पढ़ने के बाद भी एक सेन्टेंस सही नहीं लिख पाते, इनको मात्रा विराम तथा कोमा तक का ज्ञान नहीं किंन्तु नकल और जुगाड़ से परीक्षाएं पास कर लेते हैं।
इसी प्रसंग में एक और मजेदार बात कहना चाहूंगा। पंडित जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के. कामराज एक दम निरक्षर थे। वे अपने हस्ताक्षर भी बड़ी मुश्किल से कर पाते थे। उनके व्यक्तित्व और विद्वता की मिसाल यह थी कि नेहरू जी के जमाने में पूरे देश में कामराज योजना लागू की गयी जिसके अंतर्गत सभी नियम कानून कामराज के द्वारा बनाये गये। कामराज एक दम ठेठ सादगी वाले दबंग इंसान थे। वह इतने सादा थे कि अक्सर केवल लुंगी में ही रहा करते थे।
संसद में भी वे बनियान और लुंगी में ही आते थे। पूरी सरकार उनके इशारों पर नाचती थी। पंडित नेहरू भी उस निरक्षर मद्रासी के आगे चूं भी नहीं कर पाते। जरा सोचो कि क्या वे टाॅपर्स थे? वे तो इस कागजी पढ़ाई से बड़ी पढ़ाई में निपुण थे तभी तो पूरा देश कामराज योजना के तहत उनके इशारों में चला।
सबसे मजेदार बात तो यह है कि जरा-जरा से बच्चों को जिनमें कुछ तो दूध मुंहे भी होते हैं, स्कूल में पढ़ने भेजना शुरू कर दिया जाता है। उन बच्चों के वजन से ज्यादा तो उनकी किताब कापियों व पढ़ाई की अन्य सामग्री का अंबार होता है। पहले स्कूल की पढ़ाई और फिर ट्यूशन की पढ़ाई आखिर यह क्या तमाशा है? इन स्कूल वालों और बच्चों के माता-पिताओं का बस नहीं चलता वरना पैदा होते ही बच्चों का स्कूलों में दाखिल करादें। जहां तक स्कूल वालों का सवाल है, उनका तो व्यवसाय है किंन्तु माता-पिता भी नहीं समझते इस बात को।
पुराने समय में जब हम पढ़ते थे, तब पांच वर्ष से पहले कोई अपने बच्चों को पढ़ने नहीं भेजता था। पढ़ाई भी कक्षा एक से प्रारम्भ होती थी। बाद में जब माँटेसरी स्कूलों की परंपरा चली तब तो तीन साल के बच्चों को पढ़ाने भेजा जाने लगा और पहली क्लास से पहले नर्सरी शुरू हो गई और अब तो पहली क्लास से पहले भी कई-कई क्लासें होती है।
जिसे देखो वह एबीसीडी और किताब काॅपी वाली पढ़ाई की घुटी अपने बच्चों को पिलाने में जुटा हुआ है। इस बात से कोई सरोकार नहीं कि हम पहले अपने बच्चों को अच्छे संस्कार और ज्ञान की बातें सिखाऐं।
एक बार मैं महाराष्ट्र अपनी ससुराल गया। वहां एक महाराष्ट्रीयन दंपत्ति से मुलाकात हुई। उनके बच्चे बड़े सुसंस्कृत और शालीन थे तथा उनका सामान्य ज्ञान भी बड़ा शानदार था। उनका शिष्टाचार व्यवहार तथा बड़ों का सम्मान करने का तौर तरीका मुझे बहुत पसंद आया।
मैंने उनकी पढ़ाई लिखाई के बारे में पूछा तो बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि उनकी परीक्षा के नंबर कोई खास अच्छे नहीं थे, मतलब साधारण से थे जबकि मैं सोच रहा था कि शायद प्रथम श्रेणी में पास होते होंगे या टाॅपर्स होंगे। मैंने उन बच्चों के माता-पिता से पूछा कि इनको तो अच्छी डिवीजन बनानीं थी। इस पर उन्होंने मुझे जो उत्तर दिया वह मेरे मन को छू गया। उनका कहना था कि इस पढ़ाई में भले ही हमारे बच्चे पीछे रहें उसकी हमें कोई चिन्ता नहीं। हमें तो इस बात की फिक्र रहती है कि हमारे बच्चे आदर्श इंसान बनें और अच्छे संस्कार ता जिन्दगी उनके अन्दर बने रहें, धन्य हैं ऐसे माता-पिता।
इसके अलावा एक और खास बात यह है कि जितना बच्चे आगे पढ़ते जायेंगे, उतनी ही उद्दंडता उनके अंदर आती जायगी यानी ऊंची दुकान और फीके पकवान। जितने बड़े विद्यालय, महाविद्यालय या विश्वविद्यालय होंगे। वहां उतनी बड़ी गुंडई व चरित्र हीनता बच्चों में बढ़ेगी। दिल्ली का जेएनयू या अलीगढ़ का मुस्लिम विश्वविद्यालय के उदाहरण सामने हैं। यहां तो देश विरोधी शिक्षा के अंकुर भी स्वतः ही डलने लगते हैं। इस प्रकार के शिक्षितों से तो वह अनपढ़ अच्छे जो सुसंस्कार वान हों तथा अपने जीवन की परीक्षा में उत्तीर्ण रहें।

कोरोना काल में हुई ऑनलाइन इंगेजमेंट

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वृंदावन। कोविड-19 की वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए वर-वधू के रोका यानि वरण का कार्यक्रम डिजिटल पद्धति से किया गया। वृन्दावन निवासी विश्वास शर्मा के अनुसार उनकी और कोलकाता निवासी विनीता जोशी के बीच शादी की बात दोनों के परिजनों की सहमति के बाद पक्की हो जाने पर फिलहाल रोके की रस्म होनी थी। लेकिन कोविड-19 की वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए दोनों पक्षों के एक-दूसरे के शहर में आने के लिए परेशानी को देखते हुए डिजिटल पद्धति को अपनाया गया। जिसमें प्रोजेक्टर के माध्यम से वर और वधु ने संकल्प से लेकर मिठाई खिलाने तक सभी रस्में पूरी कीं। जहां पंडितजी ने यहीं बैठकर दोनों ओर से मंत्र पढ़ते हुए विधिविधान से कार्यक्रम सम्पन्न कराया। वहीं सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरी तरह से पालन किया गया।

विश्राम घाट क्षेत्र का लोटा बाजार पूरी तरह से ठप

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कोरोनावायरस के चलते इन दिनों आम जनमानस का जहां जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है वहीं दूसरी ओर मथुरा के कई व्यवसाय पूरी तरह से टूट चुके हैं जिनमें पोशाक कंठी माला उद्योग एवं फूल व्यवसाय टूट चुका है ऐसे में धार्मिक क्षेत्र विश्राम घाट क्षेत्र में 2 दर्जन से अधिक दुकानों पर तांबे के लोटे एवं थरमस बेचने का कार्य होता था और इस उद्योग की कई छोटी-मोटी फैक्ट्री यहां मथुरा जनपद में कार्य करती थी और उन में सैकड़ों मजदूर भी काम करके अपने परिवार का लालन पालन कर रहे थे इन दुकानों पर लटके हुए बड़े-बड़े ताले इस बात गवाही दे रहे हैं कि इस व्यवसाय पर कितना असर पड़ा है और इसके चलते यहां पर ग्राहक भी नजर नहीं आते हैं हालात यह हैं कि लंबे समय से यह सभी दुकानें बंद पड़ी हुई हैं।

10 कस्तूरबा विद्यालयों की जांच शुरू, 110 कर्मचारी रडार पर

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एंकर अनामिका शुक्ला प्रकरण के बाद प्रदेशभर के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में भी जांच चल रही है। इस जांच में जनपद के 10 कस्तूरबा विद्यालयों में कार्यरत 110 शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कर्मचारी रडार पर हैं।
अभी तक की जांच में मथुरा में 2 शिक्षिकाएं फर्जी दस्तावेजों पर कार्यरत पाई गईं है। मांट के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की वार्डन स्वदेश कुमारी की बीएड की डिग्री फेक निकली है। वह वर्ष 2014 से कार्यरत है। वहीं चौमुंहा के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में कार्यरत अंशकालिक शिक्षिका आरती के बीएड का अंकपत्र टेम्पर्ड पाया गया है, जो सत्र 2009-10 से कार्यरत हैं। इन्हें नोटिस देकर इनसे जवाब तलब किया गया है।
मथुरा के बीएसए कार्यालय में 5 सदस्य समिति बनाई गई है। जिसमें खंड शिक्षा अधिकारी जमुना प्रसाद सुमन व उमा देवी डीसी बालिका शिक्षा मनोज सिंह सहित दो लिपिक शामिल हैं। कस्तूरबा विद्यालयों के स्टाफ को बीएसए कार्यालय बुलाया जा रहा है । जहां उनके आधार कार्ड का वेरिफिकेशन किया जा रहा है। जिला समन्वयक समेकित शिक्षा मनोज सिंह ने बताया कि कस्तूरबा विद्यालयों में कार्यरत सभी स्टाफ के मूल दस्तावेज जमा कर लिए गए हैं। जिनका ऑनलाइन सत्यापन करा लिया गया है और ऑफलाइन सत्यापन कराया जा रहा है

फर्जी आईडी बनाकर ठगी करने वाले तीन शातिर गिरफ्तार

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मथुरा के थाना गोवर्धन पुलिस को एक बड़ी कामयाबी हासिल हुई है ।इस दौरान पुलिस ने गूगल ओ एल एक्स पर फर्जी आईडी के माध्यम से लोगों को ठगी का शिकार बनाने वाले तीन शातिर अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपी गोवर्धन के गांव दौलतपुर निवासी वीरेंद्र कुमार, सोनू और इरशाद है जो कि गूगल पर फर्जी आईडी बनाकर ओ एल एक्स के माध्यम से लोगों को सामान की अच्छे दामों में खरीद-फरोख्त का प्रलोभन देकर ठगी का शिकार बनाते थे।

पुलिस पूछताछ में पता चला है कि ये शातिर पूर्व में कई घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। पकड़े गए आरोपियों के कब्जे से फर्जी नंबर प्लेट की चोरी की मोटरसाइकिल, एक सैमसंग मोबाइल बरामद किया है पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि वे मोबाइल में फर्जी सिम डाल कर गूगल और ओ एल एक्स पर फर्जी आईडी बनाकर लोगों के साथ धोखाधड़ी का खेल खेलते थे।

गोवेर्धन पुलिस सोशल साइट पर फर्जी आईडी बनाकर धोखाधड़ी और ठगी करने वालों के खिलाफ आगे भी अभियान चलाकर कार्रवाई करेगी।

मथुरा फीस माफी के लिए छात्र अभिभावक कल्याण संघ पहुंचा नेताओं के द्वार

 

रिपोर्ट – रवि यादव/राजेश सोलंकी

छात्र अभिभावक कल्याण संघ द्वारा प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों को लेकर परेशान अभिभावकों ने प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधको द्वारा अभिभावकों पर फीस को लेकर दबाव बनाने को लेकर निरंतर परेशान किया जा रहा है। इस विषय को लेकर एक संघ का प्रतिनिधि मंडल विगत दिनों की भांति उत्तर प्रदेश सरकार में व्यापार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष श्री रविकांत गर्ग जी, व बलदेव क्षेत्र के विधायक श्री पूरन प्रकाश जी से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा गया सभी ने अपनी अपनी समस्या बताते हुए कहा कि जब हमारे बच्चे स्कूल गए ही नहीं फिर फीस किस बात की दी जाए वहीं व्यापार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष श्री रवि कांत गर्ग जी व बल्देव क्षेत्र के विधायक श्री पूरन प्रकाश जी ने अभिभावकों को आश्वासन दिया कि आप की बात जायज़ है और हम भी प्रयासरत है कि जब जनता के पास पैसा ही नहीं है फिर वह फीस कहा से दे इस बात को लेकर वह प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी व उप मुख्यमंत्री श्री दिनेश शर्मा जी व शिक्षा मंत्री जी से बात कर समस्या का समाधान कराने के लिए आश्वासन दिया

वहीं संघ के संस्थापक ,शशि भानु गर्ग, हेमेंद्र गर्ग ने बताया कि आज भारत में तीन माह से महामारी के कारण अभिभावक व व्यापारी वर्ग , इतना परेशान है कि अपने बच्चो को कैसे कैसे पाल रहा है और स्कूल प्रबंधन अपनी हट धर्मीता पर अड़ा हुआ है क्या आज स्कूल प्रबंधन जो लगभग 20-25 वर्षों से स्कूल चला रहे है और आज इस भीषण आपदा में अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे यह कोई न्याय ओचित्व बात नहीं है । अगर अभिभावकों को फीस के नाम पर नोटिस द्वारा धमकी दी जाती रही तो आने वाले समय में सभी छात्र अभिभावक धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे इसकी सारी जिम्मेदारी शासन प्रशासन व कॉन्वेंट स्कूलों के प्रबंधकों की होगी इस मौके पर मौजूद रहे अभिभावको ने इस बात का पूर्ण समर्थन किया मौके पर मौजूद लोगों में नरेंद्र येम चतुर्वेदी, जगत बहादुर अग्रवाल, अंकुर बंसल, अनिल बंसल, अशोक वार्ष्णेय , महेश वार्ष्णेय, राजीव मित्तल, विजय प्रकाश, विनीत प्रकाश, तीरथ राज उमेश गर्ग , चतुर्भुज गौतम, राजू राजपूत,नन्दलाल, रवि यादव, कुश अग्रवाल, चंदन सैनी, धीरज यादव, अनिल ठाकुर, राज आर्यन आदि उपस्थित रहे