Saturday, June 28, 2025
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जैसे हज वाले हाजी जी वैसे कुम्भ वाले कुम्भी जी

विजय गुप्ता की कलम से

     मथुरा। जिस प्रकार हज यात्रा करने वालों को हाजी जी कहा जाता है वैसे ही कुम्भ में जाकर स्नान करने वालों को भी कुम्भी जी कहना चाहिए। यह बात मैं इसलिए कह रहा हूं कि जो कुम्भ में जाकर स्नान कर आए वे तो अब महान हो गए, अब उन्हें साधारण इंसान नहीं माना जा सकता क्योंकि वर्तमान हालातों से तो यही प्रतीत हो रहा है।
     बचपन में अक्सर टिड्डी दल को देखा करते थे ठीक वही स्थिति अब दिखाई दे रही है। बल्कि यौं कहा जाए कि जानबूझकर मरने के लिए इस तरह बेताब हो रहे हैं जैसे पतंगे आग में जाने के लिए। अब तक हजारों मर चुके फिर भी पागलपन का नशा नहीं उतर रहा।
     लोग कहेंगे कि हजारों कैसे मर गए? तो मैं अभी सिद्ध किये देता हूं कि हजारों की संख्या पक्की है। पहले तो कुम्भ में मची भगदड़ में मरे, उसके बाद दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर। इन मृतकों से भी कहीं ज्यादा तो तभी से मर रहे हैं जब से कुंभ की शुरुआत हुई थी। लोग कहेंगे कि वह कैसे? तो इसका जवाब यह है कि रोजाना तमाम खबरें पूरे देश के विभिन्न हिस्सों से मिल रही हैं, कि फलां जगह वाहन टकराये, बस पलटी, असंतुलित होकर गड्ढे में जा गिरी आदि आदि। अखबारों में छपी खबरों में लिखा रहता है कि ये लोग कुम्भ जा रहे थे या कुम्भ से लौट रहे थे। अनेक कुम्भ यात्री मौत के मुंह में जा रहे हैं और उससे भी ज्यादा घायल हो रहे हैं। क्या इनकी संख्या कुम्भ से नहीं जुड़ेगी?
     मेरे कहने का मतलब यह नहीं कि मैं कोई सनातन विरोधी हूं। पर यह तो सोचना चाहिए कि ऐसी भीड़ में हम क्यों जाएं? यदि कुम्भ नहीं जाएंगे तो क्या आगे की जिंदगी नहीं चलेगी? या कुम्भ न जाने पर समाज में अछूत की तरह माने जाएंगे। मैं यह देख रहा हूं कि लोग अपने घटिया कर्मों को तो त्याग नहीं रहे और कुम्भ में जाने के लिए पगलाए जा रहे हैं। हत्यारे, चोर, उचक्के, दुराचारी, लुटेरे, बेईमान, झूठ बोलने वाले, मांसाहारी, शराबी तथा भ्रष्टाचारी आदि दुर्गुण संपन्न भी कुम्भ में डुबकी लगाने की होड़ा-होड़ी में मरे जा रहे हैं। ये लोग सोच रहे होंगे कि अब तो हमारे सभी पाप पुण्य के रूप में परिवर्तित हो जाएंगे और स्वर्ग लोक की गारंटी पक्की।
     मेरा मानना तो यह है की कुम्भ में तो सिर्फ उन्हीं लोगों को जाना चाहिए जो ईश्वर में आस्था रखने वाले सदाचारी हों हर प्रकार के दुर्गुणों से दूर रहकर अपनी जिंदगी को सादगी और परमार्थ के साथ जी रहे हों। नास्तिक सोच रखने वाले धूर्त लोगों के जाने से तो गंगा जमुना और भी दूषित होंगी। अंत में मुझे सिनेमा का वह गाना याद आ रहा है कि “राम तेरी गंगा मैली हो गई पापियों के पाप धोते-धोते।

संस्कृति विवि में राष्ट्रीय शिक्षा नीति(एनईपी 2020) पर हुई गंभीर चर्चा

मथुरा । संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एजुकेशन द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 पर एक एक महत्वूर्ण सेमिनार का आयोजन विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित किया गया। सेमिनार में भारत में शिक्षा के भविष्य पर चर्चा के लिए संकाय सदस्यों और छात्रों को एक मंच पर बोलने का मौका दिया गया। वक्ता शिक्षकों और विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के परिवर्तनकारी पहलुओं पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की।
सेमिनार संस्कृति विश्वविद्यालय की स्कूल ऑफ एजुकेशन की डीन डॉ. रैनू गुप्ता के दूरदर्शी मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ देवांशु के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने भारत की शिक्षा प्रणाली को नया आकार देने में एनईपी 2020 के महत्व पर जोर दिया। चर्चा में विद्यार्थियों के बराबर से भाग लेने के कारण विषय की बारीकियों पर खुलकर बात हुई। प्रत्येग वक्ता ने अपने विचारों को पूरी स्वतंत्रता के साथ विस्तार से रखा। छात्र प्रवीण और अतुल (बी.एससी., बी.एड. सेमेस्टर 4) ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे एनईपी 2020 रटने से दूर जाता है, जबकि छात्र विकास और लक्ष्य (बी.ए., बी.एड. सेमेस्टर 2) ने नीति का एक संपूर्ण अवलोकन प्रदान किया। छात्र कृष ने एनईपी 2020 के जटिल विवरणों को समझाया और छात्र शिव (बीए, बीएड सेमेस्टर 4) ने अपने वक्तव्य को भाषा नीति पर केंद्रित किया।
संकाय सदस्यों ने अपने विशेषज्ञ दृष्टिकोण से चर्चा को और समृद्ध किया। डॉ. अर्चना ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे ये प्रौद्योगिकियां शिक्षा को अधिक संवादात्मक, अनुभवात्मक और भविष्य के लिए तैयार बनाकर क्रांतिकारी बदलाव लाएंगी। डॉ. पूनम ने मूलभूत शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए प्राथमिक शिक्षा स्तर पर एनईपी 2020 के प्रभाव पर प्रकाश डाला। डॉ. निशा ने एक व्यापक सिंहावलोकन प्रदान किया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि छात्र नीति के पीछे समग्र दृष्टिकोण को समझ सकें।
सत्र के सबसे प्रभावशाली क्षणों में से एक सुश्री शुभ्रा पांडे का भाषण था, जिन्होंने विचारोत्तेजक सादृश्य के माध्यम से एनईपी 2020 के सार को समझाया। उन्होंने पेंटिंग में उत्कृष्ट लेकिन गणित में संघर्ष कर रहे एक बच्चे की एक ज्वलंत तस्वीर चित्रित की, जिसमें बताया गया कि कैसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति छात्रों को कठोर शैक्षणिक संरचनाओं तक सीमित हुए बिना अपनी ताकत का पीछा करने की अनुमति देती है। उन्होंने 5+3+3+4 शिक्षा मॉडल का स्पष्ट और आकर्षक विवरण भी प्रदान किया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि विद्यार्थी, शिक्षक एनईपी 2020 द्वारा शुरू किए गए प्रमुख संरचनात्मक सुधारों को समझ सकें।
सेमिनार का समापन सुश्री शुभ्रा पांडे के हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने संकाय, समन्वयकों और छात्रों के योगदान की सराहना की। छात्रों की उत्साही भागीदारी और संकाय के व्यावहारिक योगदान के साथ, सेमिनार ने शैक्षिक सुधारों पर सार्थक चर्चा को बढ़ावा देने और छात्रों को विकसित शैक्षणिक परिदृश्य को नेविगेट करने के लिए ज्ञान से लैस करने के लिए संस्कृति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता पर सफलतापूर्वक प्रकाश डाला।

ऑर्थोपेडिक्स निरंतर सीखने का व्यापक विषयः डॉ. अनिल ढल

  • के.डी. मेडिकल कॉलेज में आर्थोपेडिक्स स्नातकोत्तर शिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित
  • पाठ्यक्रम में यूपी, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड के परास्नातक छात्रों ने लिया हिस्सा

मथुरा। चिकित्सा क्षेत्र में निरंतर तकनीकी बदलाव हो रहे हैं, ऑर्थोपेडिक्स भी इससे अछूता नहीं है। नवीनतम सर्जिकल तकनीकों से लेकर नवीनतम इम्प्लांट तकनीकों तक ऑर्थोपेडिक सर्जनों के लिए उपलब्ध उपकरण और विधियां लगातार परिवर्तनशील अवस्था में हैं, ऐसी स्थिति में प्रत्येक परास्नातक मेडिकल छात्र का यह दायित्व है कि वह अपने आपको हमेशा अपडेट रखे। यह बातें शनिवार को के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल तथा मथुरा जिला ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय आर्थोपेडिक्स स्नातकोत्तर शिक्षण पाठ्यक्रम के शुभारम्भ अवसर पर देश के जाने-माने हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल ढल ने विभिन्न राज्यों से आए परास्नातक छात्रों को बताईं।
के.डी. मेडिकल कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय आर्थोपेडिक्स स्नातकोत्तर शिक्षण पाठ्यक्रम का शुभारम्भ डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका तथा देश के विभिन्न शहरों से आए हड्डी रोग विशेषज्ञों द्वारा विद्या की आराध्य देवी मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। आर्थोपेडिक्स स्नातकोत्तर शिक्षण पाठ्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष डॉ. विक्रम शर्मा तथा सचिव डॉ. विवेक चांडक ने हड्डी रोग विशेषज्ञों का परिचय देते हुए उनका स्वागत किया तथा के.डी. मेडिकल कॉलेज को आयोजन का दायित्व सौंपने के लिए उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल का आभार माना। डॉ. विक्रम शर्मा ने पाठ्यक्रम में हिस्सा ले रहे के.डी. मेडिकल कॉलेज के साथ ही अलीगढ़, आगरा, सैफई, देहरादून, लखनऊ, अमृतसर, पानीपत, रोहतक आदि के परास्नातक ऑर्थोपेडिक्स छात्रों का आह्वान किया कि दो दिवसीय पाठ्यक्रम में विशेषज्ञों से जो अनुभव और ज्ञान मिले उसे आत्मसात कर उस पर अमल करने की कोशिश करें।
परास्नातक ऑर्थोपेडिक्स पाठ्यक्रम में हिस्सा ले रहे छात्रों को सम्बोधित करते हुए डॉ. अनिल ढल डीन ईएसआईसी, फरीदाबाद (पूर्व प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष ऑर्थोपेडिक्स एमएएमसी) ने कहा कि ऑर्थोपेडिक्स चिकित्सा में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं, ऐसे में प्रत्येक छात्र को उपकरणों और कामकाज के तरीकों में हो रहे बदलाव पर सतत नजर रखनी होगी। उन्होंने कहा कि ऑर्थोपेडिक्स में निरंतर सीखने के लिए सबसे व्यापक प्रेरकों में से एक तकनीकी उन्नति है। जिसे कभी क्रांतिकारी ऑर्थोपेडिक प्रक्रिया माना जाता था, वह अब चिकित्सा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास के कारण रोजमर्रा की बात हो गई है। न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी, रोबोट-सहायता प्राप्त प्रक्रियाएं और 3डी-प्रिंटेड इम्प्लांट कुछ ऐसे परिवर्तन हैं जो हाल के वर्षों में चलन में आए हैं।
डॉ. संदीप कुमार विभागाध्यक्ष आर्थोपेडिक्स हमदर्द इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस ने पीजी छात्रों को बताया कि ऑर्थोपेडिक्स में निरंतर सीखने से सबसे ज़्यादा फायदा मरीज़ों को होगा। जब विशेषज्ञ सर्जन नवीनतम विकास से अवगत रहते हैं तो मरीज को अधिक सटीक निदान, कम आक्रामक उपचार, बेहतर शल्य चिकित्सा परिणाम, स्वास्थ्य लाभ की अवधि कम तथा बेहतर दीर्घकालिक परिणाम मिलते हैं। इसके अतिरिक्त जो शल्य चिकित्सक निरंतर सीखते रहते हैं, वे कठिन मामलों को संभालने में बेहतर रूप से सक्षम होंगे तथा प्रत्येक रोगी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत देखभाल प्रदान कर सकेंगे।
आर्थोपेडिक्स स्नातकोत्तर शिक्षण पाठ्यक्रम में मेडिकल पीजी छात्रों को वीडियो व्याख्यान, नैदानिक परीक्षण के प्रदर्शन, केस-आधारित शिक्षण, एक्स-रे प्रदर्शन, सिद्धांत नोट्स, ओएससीई स्टेशन, शल्य चिकित्सा प्रक्रिया आदि के माध्यम से समझाया गया। इस अवसर पर मथुरा जिला ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आदेश शर्मा, डॉ. अमित शर्मा, डॉ. आर.के. गुप्ता विभागाध्यक्ष (हड्डी रोग) केएम मेडिकल कॉलेज, डॉ. अश्वनी सदाना विभागाध्यक्ष (हड्डी रोग) एफएच मेडिकल कॉलेज, डॉ. डीपी गोयल, डॉ. निर्विकल्प अग्रवाल, डॉ. अमन गोयल आदि ने भी अपने-अपने अनुभवों से छात्रों का मार्गदर्शन किया।
ब्रज क्षेत्र में पहली बार के.डी. मेडिकल कॉलेज में आयोजित आर्थोपेडिक्स स्नातकोत्तर शिक्षण पाठ्यक्रम की सराहना करते हुए आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने कहा कि विशेषज्ञों से मिली जानकारी भावी सर्जनों के जीवन भर काम आएगी। प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कहा कि ऑर्थोपेडिक मामलों में निरंतर सीखना आवश्यकता नहीं बल्कि अनिवार्यता है। श्री अग्रवाल ने कहा कि नई तकनीकों को अपनाना, निरंतर प्रशिक्षण और हाल के अनुसंधानों से अपडेट रहना ऑर्थोपेडिक पेशेवरों को यह आश्वस्त करने की अनुमति देता है कि वे अपने रोगियों को सर्वोत्तम सेवा प्रदान करते हैं। डॉ. विक्रम शर्मा, डॉ. विवेक चांडक, डॉ. अमित रे, डॉ. प्रतीक अग्रवाल, डॉ. सौरभ वशिष्ठ आदि ने इस कार्यक्रम को परास्नातक छात्रों के लिए मील का पत्थर करार दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अमित अग्रवाल तथा डॉ. अनन्या ने किया।

स्वामी दयानंद ने सनातन धर्म के अन्दर व्याप्त अन्धविश्वास एवं पाखण्ड को किया दूर : आचार्य स्वदेश

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  • वी आर आई में मनाई गई स्वामी दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयन्ती
  • स्वामी दयानंद सरस्वती के व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर हुआ व्याख्यान

वृंदावन। वृंदावन शोध संस्थान में शनिवार को स्वामी दयानंद सरस्वती की 20 वीं जयन्ती के अवसर पर ‘‘स्वामी दयानंद सरस्वती व्यक्तित्व एवं कृतित्व’’ विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान के मुख्य वक्ता आचार्य स्वदेश, अध्यक्ष विरजानंद ट्रस्ट, मथुरा ने कहा कि स्वामी दयानंद ने सनातन धर्म के अन्दर व्याप्त अन्धविश्वास एवं पाखण्ड को दूर किया। उन्होंने मथुरा में साढ़े तीन वर्ष रहकर स्वामी विरजानंद से शिक्षा प्राप्त की थी। स्वामी विरजानंद ने उनसे गुरू दीक्षा में आर्य धर्म के प्रचार-प्रसार का संकल्प लिया था। उन्होंने अपने जीवन में अछूत उद्धार, गोरक्षा, संस्कार, हिन्दी का प्रचार-प्रसार एवं क्रांतिकारी आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण योगदान किया। उन्होंने सभी उपस्थित विद्यार्थियों से आत्मचिंतन, गायत्री जप करने एवं जातिवाद से दूर रहने के लिए कहा। कार्यक्रम अध्यक्ष आचार्य विपिन बिहारी, मंत्री, आर्यवीर दल, उत्तरप्रदेश ने बताया कि वेदों का ज्ञान समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए है। स्वामी दयानंद ने तर्क एवं विज्ञान पर आधारित शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने बाल विवाह, विधवा विवाह एवं बलि परम्परा आदि का विरोध किया। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान नरम एवं गरम दल की परम्परा के स्वतंत्रता सेनानियों के वे प्रेरणा स्त्रोत थे। तत्पश्चात् ब्रज संस्कृति संग्रहालय की क्यूरेटर ममता कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि सबसे बड़ा धर्म मानवता है और स्वामी दयानंद का जीवन हमारे लिए आदर्श है। उनके जीवन मूल्यों को हमें अपने जीवन में धारण करना चाहिए।
इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ स्वामी दयानंद सरस्वती के चित्रपट पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। अतिथियों का स्वागत संस्थान के प्रशासनाधिकारी रजत शुक्ला ने पटुका ओढ़ाकर किया। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन संस्थान के वरिष्ठ शोध एवं प्रकाशन सहायक डॉ. करूणेश उपाध्याय ने किया। कार्यक्रम में श्रीरामकृष्ण विवेकानंद जूनियर हाईस्कूल के 21 एवं परमेश्वरी देवी धानुका सरस्वती विद्या मंदिर के 19 छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की। कार्यक्रम में दोनों विद्यालयों के शिक्षकगण यथा-गोपाल शरण शर्मा, सीमा शर्मा, आशीष कुमार श्रीवास्तव, अवधेश कुमार सिंह, सत्येन्द्र तौमर, अभिषेक पाण्डे आदि उपस्थित रहे।

मथुरा। श्रीमज्जिनेन्द्र आदिनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक, मान स्तम्भ प्रतिष्ठा महोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ अंतर्गत ऋषभ ब्रह्मचर्याश्रम जैन इंटर कालेज में मंत्र आराधना, नित्यमह,पूजा एवं जन्म कल्याणक पूजा, हवन, आचार्य श्री के मंगल प्रवचन आदि कार्यक्रम अयोजित हुए

धार्मिक महोत्सव में रजनीश जैन एडवोकेट, अवनीश जैन, महावीर प्रसाद जैन एडवोकेट, राजीव जैन गुड्डू, राजीव जैन राजू , जयप्रकाश जैन कुम्हेर वाले, मुनीश जैन, संजय जैन, अजित जैन, अशोक छाबड़ा, आशीष जैन, पीयूष जैन, प्रदीप जैन, मुनीश जैन, विशेष जैन, अभिनव बाहुबली जैन ने आयोजन की व्यवस्थाएं कीं। जैन इंटर कालेज के स्टाफ ने भक्त सेवा की बागडोर संभाली। जैन सिद्ध क्षेत्र 84 में प्रबंध कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सेठ विजय कुमार, वर्तमान अध्यक्ष राहुल सेठ ने महाराज श्री वसुनन्दी सहित सभी मुनियों, साध्वियों की सेवा व्यवस्थाएं कीं।
आयोजन में स्थानीय के साथ उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश आदि राज्यों के श्रद्धालुओं ने भी भाग लिया।

अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा की ब्रज प्रदेश संरक्षक/मार्गदर्शक सहित कार्यकारिणी का गठन

संरक्षक/मार्गदर्शक में प्रमुख रूप से गोवर्धन रंगाचार्य बालक स्वामी, मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज, नाभा पीठाधीश्वर जगतगुरु सुतीक्ष्ण दास महाराज, महामंडलेश्वर कृष्ण बलराम दास महाराज, हेमकांत शरण देवाचार्य, महंत राधाकांत गोस्वामी, जगद्गुरु रामेश्वर आचार्य , पूर्व विधायक हुकम चंद तिवारी, पूर्व विधायक श्यामसुंदर शर्मा, राधेश्याम शरण देवाचार्य, बृज प्रदेश अध्यक्ष पं बिहारी लाल वशिष्ठ‌ एवं महामंत्री संगठन राजेश पाठक ने संरक्षक मंडल एवं कार्यकारिणी में महामंत्री, उपाध्यक्ष, मंत्री सहित संपूर्ण ब्रज प्रदेश कार्यकारिणी में जगह दी है कार्यकारिणी की घोषणा करते हुए उन्होंने बताया कि ब्रज प्रदेश महामंत्री पं आशीष चतुर्वेदी, प्रदेश प्रवक्ता पं श्याम शर्मा एवं उपाध्यक्ष के रूप में पं राम निहोर शास्त्री, राज नारायण गौड़, डॉ आशीष मिश्रा, मेघ श्याम गौतम, मुरारी लाल शर्मा, रामदेव शास्त्री, डॉ केशवाचार्य , अशोक गोस्वामी, मुनेश गौतम, आचार्य कृष्ण बलराम , गोकुल नगर पंचायत अध्यक्ष संजय दीक्षित, बृजमोहन दुबे, सुरेषाचार्य, इंजी, राजकुमार शर्मा , हीरालाल शर्मा, कपिल आनंद चतुर्वेदी, ब्रजेश दत्त भारद्वाज को नियुक्त किया गया है।
वहीं मंत्री के रूप में मुरारी लाल शर्मा, रमेश चंद्र शर्मा, करुणा शंकर द्विवेदी, राजेंद्र उपाध्याय, विमल कृष्ण गोस्वामी, अमर बिहारी पाठक, अनिल भारद्वाज, प्रदीप गोस्वामी, राकेश पाठक, संजय लवानिया, वीरेंद्र शर्मा, सतीश चंद्र शर्मा, श्याम बिहारी पालीवाल, को नियुक्त किया है बाबा कर्मयोगी को ब्रज धर्माचार्य परिषद का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
आगामी 23 फरवरी को स्नेह बिहारी मंदिर में दोपहर 2:00 अभिनंदन समारोह आयोजित कर सभी को नियुक्ति पत्र प्रदान किए जाएंगे तथा विराट विप्र संसद आयोजित किए जाने की घोषणा की जाएगी।

जीएलए में नवाचार से कृषि को बेहतर बनाने का दिया प्रशिक्षण

  • जीएलए के कृषि संकाय ने आयोजित किया ‘कृषि उत्सव‘ कार्यक्रम

मथुरा : किसानों से देश खडा है, किसानों से यह धरा है, किसानों की बात जरूरी है, किसानों में हिम्मत पूरी है। इसी बात को ध्यान में रखकर जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के कृषि विज्ञान संकाय के द्वारा ‘कृषि उत्सव‘ कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में जीएलए के आसपास गांवों के सैकड़ों किसान पहुंचे और उन्नत किस्म की फसलों की जानकारी ली।

विदित रहे कि विश्वविद्यालय का कृषि विज्ञान संकाय अपने अथक प्रयासों के कारण जाना जाता है। किसानों के हित में अपने अथक प्रयासों को लेकर आगे बढ़ रहा जीएलए कृषि संकाय ने एक कार्यक्रम के तहत अपने आसपास के किसानों को एकजुट कर कार्यक्रम में पहुंचे मुख्य वक्ता के रूप में पद्मश्री सम्मानित जगदीश प्रसाद पारीक से रूबरू कराया।

पारीक ने कृषि से जुडे विभिन्न नवाचारों के बारे मे जानकारी दी। उन्होंने कई ऐसे नवाचारों के बारे मे बताया जिनके उपयोग से कम लागत में अनेक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।

उन्होने किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभ बताये एवं प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया तथा कम लागत वाली पॉली हाउस की संरचना से किसानों को अवगत कराया। उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद में आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्तर की सभा के अनुभव साझा करते हुए किसानों से कृषि में नवीन तरीकों को अपनाने का आग्रह किया।

उन्होंने बताया कि दुनियां भर में कई छोटे किसान आज भी उसी तरह खेती करते हैं जैसे उनके पूर्वज हज़ारों साल पहले करते थे। पारंपरिक खेती के तरीके कुछ लोगों के लिए कारगर हो सकते हैं, लेकिन नई पद्धतियां कई लोगों को पैदावार, मिट्टी की गुणवत्ता और प्राकृतिक पूंजी के साथ-साथ खाद्य और पोषण सुरक्षा में काफी सुधार करने में मदद कर सकती हैं। इसी दौरान मौके पर आझई एवं अकबरपुर के किसानों ने मुख्य वक्ता से विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे।

संकाय के शिक्षकगण एवं विद्यार्थियों ने भी मुख्य वक्ता से प्रश्न पूछ कर अपनी जिज्ञासा शांत की।
संकाय के डीन डा. सुरेन्द्र सिंह सिवाच ने कहा कि जीएलए के कृषि संकाय ने किसानों के हित के लिए तमाम प्रयास किए हैं। गांव-गांव पहुंचकर कृषि विज्ञान संकाय की टीम किसानों से मिलकर उनकी समस्या जानकर उन पर रिसर्च करती है। इसके बाद ऐसे कार्यक्रम आयोजित कर किसानों को उनकी समस्या के समाधान पर विचार विमर्श कर समाधान पेश करती है। कार्यक्रम के अंत में डीन ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह् भेंट किया। इस अवसर पर कार्यक्रम की संयोजक डा. भूमि सुथार सहित संकाय के शिक्षकों का सहयोग सराहनीय रहा।

जीएलए में स्वयं-एनपीटीईएल पर हुई कार्यशाला

  • कार्यशाला में बोले मुख्य अतिथि एनपीटीईएल इंजीनियरिंग और प्रबंधन विषयों का सबसे बड़ा ई-भंडार

मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय ने आईआईटी कानपुर के सहयोग से स्वयं-एनपीटीईएल (नेशनल प्रोग्राम ऑन टेक्नोलॉजी इनहैंस्ड लर्निंग) पाठ्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए एक परिवर्तनकारी कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में विद्यार्थियों को इन प्लेटफार्मों द्वारा पेश किए जाने वाले पाठ्यक्रमों, प्रमाणपत्रों और कौशल विकास के अवसरों की जानकारी दी।

विश्वविद्यालय में स्वयं-एनपीटीईएल पर आयोजित कार्यशाला में आईआईटी कानपुर से प्रो. जयदीप दत्ता बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। साथ ही आईआईटी कानपुर से रिसोर्स पर्सन लालती दत्ता, अल्पना दीक्षित, रुपाली सिंघल एवं जीएलए विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक प्रो. आशीष शर्मा, पुस्तकालाध्यक्ष एवं स्पोक पर्सन डा. राजेश कुमार ने दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया।

तत्पश्चात् मुख्य अतिथि डा. जयदीप दत्ता ने कहा कि एनपीटीईएल विश्वविद्यालय स्तर के विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) विषयों के लिए एक भारतीय ई-लर्निंग मंच है। एनपीटीईएल इंजीनियरिंग, बुनियादी विज्ञान और चयनित मानविकी और प्रबंधन विषयों में पाठ्यक्रमों की दुनिया में सबसे बड़ा ई-भंडार है। छात्रों का फोकस अपने विषय पर होना चाहिए, नौकरी का गोल तो अपने आप पूरा हो जायेगा। छात्र अपने आप को किसी एक डिग्री में बांध कर न रखें। उन्होंने तकनीकी आधारित शिक्षा पर बात करते हुए कहा कि आज के डिजिटल युग में छात्र एक साथ कई सर्टिफिकेट ले सकते हैं, जो उन्हें उनके करियर में तरक्की देते हैं।

सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए पुस्तकालाध्यक्ष डा. राजेश कुमार ने बताया कि स्वयं-एनपीटीइएल कोर्सेस 2019 से जीएलए विश्वविद्यालय में डिजिटल प्लेटफार्म पर संचालित है, जिसमें अभी तक हजारों छात्र विभिन्न विषयों में नेशनल टॉप रैंकिंग में शामिल रहे हैं। कार्यशाला में 2024 के चुनिंदा मेधावी छात्रों को अवार्ड देकर सम्मानित किया गया।

डा. राजेश ने बताया कि जीएलए गत वर्ष से प्रदेश में पहले स्थान पर और राष्ट्रीय स्तर पर 7वें स्थान के साथ ‘एएए‘ उच्चतम श्रेणी के संस्थानो की श्रंखला में शामिल है।

आईआईटी कानपुर से कार्यशाला में पहुंची रिसोर्स पर्सन लालती दत्ता ने बताया कि स्वयं भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया कार्यक्रम है, जिसे शिक्षा नीति के तीन मुख्य सिद्धांतों पहुंच, समानता और गुणवत्ता को प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस प्लेटफार्म का उद्देश्य उन छात्रों तक पहुचना हैं, जो डिजिटल माध्यम से उच्च गुणात्मक शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं।

डीन एकेडमिक प्रो. आशीष शर्मा ने बताया कि शैक्षणिक कार्यक्रम में स्वयं-एनपीटीईएल पाठ्यक्रमों के क्रेडिट एवं शैक्षणिक रिकॉर्ड को एनईपी 2020 शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत एकीकृत किया गया है। कार्यक्रम मेंं लगभग 1200 छात्रों ने हिस्सा लिया और नयी जानकारियों से रूबरू हुए। कार्यक्रम के समापन पर प्रबंधन संकाय निदेशक प्रो. अनुराग सिंह ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया। धन्यवाद ज्ञापित डा. श्वेता गुप्ता ने दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डा. ऋषि अग्रवाल एवं सभी पुस्तकालय स्टाफ का सहयोग सराहनीय रहा।

संस्कृति विवि के विद्यार्थियों को उच्च वेतनमान पर मिली नौकरी

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल आफ मैनेजमेंट और कामर्स के विद्यार्थियों को एड टेक कंपनी लर्निंग रूट्स ने अपने यहां उच्च वेतनमान पर चयनित किया है। संस्कृति विश्वविद्यालय प्रशासन ने विद्यार्थियों के इस चयन पर हर्ष व्यक्त करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।
कंपनी के अधिकारियों ने संस्कृति विश्वविद्यालय पहुंच कर तीन स्तरीय चयन प्रक्रिया शुरू की। इस प्रक्रिया के बाद पहले चरण में बीबीए के दो विद्यार्थियों लोकेश और कार्तिक उपाध्याय को उच्च वेतनमान का आफर लेटर प्रदान किया। संस्कृति विवि प्लेसमेंट सेल के सीनियर मैनेजर आनंद तिवारी ने बताया कि एडटेक उद्योग में 8 वर्षों से अधिक के अनुभव के साथ, अनुभवी पेशेवरों ने 94,800 से अधिक व्यक्तियों को उनके सपनों को साकार करने में मदद की है। कंपनी पेशेवरों को उनकी रुचियों और जुनून के आधार पर सही पाठ्यक्रम खोजने में मदद करते हैं। कंपनी द्वारा विभिन्न स्तरों और संस्थाओं के विद्यार्थियों को सही पाठ्यक्रम और उनके भविष्य को सही दिशा में निर्धारित करने में मदद करती है।
संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीएम चेट्टी ने विद्यार्थियों के उच्च वेतनमान पर चयनित होने पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि हालांकि विवि की प्रमुख सोच यही है कि विद्यार्थी अपना स्वयं का उद्यम खड़ा करें और उद्यमी बनें लेकिन अच्छी कंपनियों में रोजगार पाने के लिए भी विवि मजबूत भूमिका अदा करता है। विद्यार्थियों ने बताया कि इस चयन के पीछे विवि की शिक्षा और शिक्षकों का परामर्श बहुत काम आया है। प्रो चेट्टी ने बताया कि विवि द्वारा लगातार विश्वस्तरीय कंपनियों के साथ एमओयू किए जा रहे हैं। इन एमओयू के माध्यम से विद्यार्थियों को उद्योग जगत की व्यवहारिक जानकारियां और नए कौशल के बारे में कंपनियों में आवश्यक प्रशिक्षण और अनुभव प्राप्त होता है।

आरआईएस के बच्चों ने कला-विज्ञान प्रदर्शनी में दिखाया हुनर

  • अतिथियों और अभिभावकों ने विद्यार्थियों की कल्पनाशीलता को सराहा
  • विजेता छात्र-छात्राओं को मेडल एवं प्रशस्ति पत्र देकर किया सम्मानित

मथुरा। राजीव इंटरनेशनल स्कूल में बुधवार को विज्ञान एवं कला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी में कक्षा छठवीं से नवीं एवं ग्यारहवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं ने अपने-अपने विषयों से सम्बन्धित ज्ञानवर्धक एवं आकर्षक मॉडल बनाकर अपनी प्रतिभा और हुनर की बानगी पेश की। प्रदर्शनी का शुभारम्भ मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) नवप्रीत कौर एवं प्रो. (डॉ.) सुषमा ने किया।
बुधवार सुबह से ही कला और विज्ञान प्रदर्शनी को लेकर राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं में विशेष उत्साह और उमंग देखी गई। इस प्रदर्शनी में विद्यार्थियों ने अपनी बौद्धिक क्षमता का शानदार परिचय देते हुए न केवल आकर्षक मॉडल बनाए बल्कि अतिथियों को प्रदर्शनी के दौरान अपने-अपने मॉडलों के बारे में जानकारी भी दी। विज्ञान प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण वाटर डिस्पेंसर, इलेक्ट्रिक बेल, पोर्टेबल मोबाइल चार्जर, हाइड्रॉलिक लिफ्ट इलेक्ट्रोमैग्नेटिक क्रेन, रूम हीटर, वेस्टवाटर ट्रीटमेंट प्लांट, विंडमिल, आइडेंटिफिकेशन ऑफ कंडक्टर, पिनहोल कैमरा, टेलीस्कोप, लावा लैम्प, सिम्पल मैग्नेटिक ट्रेन, इलेक्ट्रोलायसिस, हाइड्रोलिक जेसीबी, बज वायर गेम, माइक्रोस्कोप, इलेक्ट्रिक स्विंग, कलीडोस्कोप, पेरिस्कोप, सोलर सिस्टम, रेन डिटेक्टर, अल्कोहल डिटेक्टर, वैक्यूम क्लीनर, प्यूरीफायर, ब्लूटुथ डिवाइस, पोर्टेबल चार्जर, रोबोटिक कार, हाइड्रोलिक ब्रिज, ह्यूमन हार्ट, हीमोडायलिसिस इत्यादि मॉडल रहे।
कला प्रदर्शनी की बात करें तो इसके अंतर्गत छात्र-छात्राओं ने लोक-कला, छवि-चित्र, कम्पोजिशन, वस्तु-चित्र और प्रकृति-चित्रों को सुंदर व आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया। विद्यार्थियों ने उन्हें जल रंग, पेंसिल रंग, एक्रेलिक एवं पोस्टर रंगों के माध्यम से पूर्ण किया। विज्ञान एवं कला का अद्भुत संगम एक ही छत के नीचे देखकर अतिथि ही नहीं अभिभावक भी अभिभूत हो गए। निर्णायक मंडल में उपस्थित डॉ. नवप्रीत कौर एवं डॉ. सुषमा ने सारे मॉडल्स एवं चित्रों का निरीक्षण करने के बाद सभी विद्यार्थियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। अतिथिद्वय ने कहा कि प्रत्येक मॉडल छात्र-छात्राओं की शानदार कल्पनाशीलता तथा बच्चों के दिमाग को बढ़ावा देने के लिए स्कूल की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। अंत में उन्होंने प्रदर्शनी में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को मेडल एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं के बौद्धिक प्रयासों की सराहना की तथा कहा कि विज्ञान एवं तकनीकी युग में इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों के सर्वांगीण मानसिक विकास के लिए जरूरी हैं। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि कला और विज्ञान एक ही पेड़ की शाखाएँ हैं, वे जिज्ञासा को प्रेरित करने के साथ कल्पना को बढ़ावा देती हैं। प्रदर्शनी में ढेरों प्रोजेक्ट दिखाए गए, जिन्होंने न केवल कल्पना को आकर्षित किया बल्कि वैश्विक चुनौतियों का भी संदेश दिया।
प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कहा कि यह प्रदर्शनी छात्र-छात्राओं की बौद्धिक कुशलता तथा कई दिनों की मेहनत का सुफल है। श्री अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं की रचनात्मकता, नवाचार और कड़ी मेहनत की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से छात्र-छात्राओं के रचनात्मक विचारों को प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है तथा उनकी रचनात्मक प्रतिभा का अन्वेषण होता है। विद्यालय की शैक्षिक संयोजिका प्रिया मदान ने छात्र-छात्राओं को उत्कृष्ट मॉडल तैयार करने तथा विजेता-उपविजेता का पारितोषिक हासिल करने के लिए बधाई देते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना की। प्रदर्शनी की इस सफलता में विज्ञान एवं कला संकाय के शिक्षकों की विशेष भूमिका रही।