Friday, October 10, 2025
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निराश रेनू को के.डी. हॉस्पिटल में मिली जीने की आस रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से का सफल ऑपरेशनन्यूरो सर्जन डॉ. दीपक चौधरी और डॉ. राहुल एम. ढोले ने की सर्जरी

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मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के विशेषज्ञ न्यूरो सर्जन डॉ. दीपक चौधरी और डॉ. राहुल एम. ढोले ने चलने-फिरने में असमर्थ होडल निवासी रेनू (19) पुत्री शोभाराम की रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से का सफल ऑपरेशन कर उसके चेहरे पर मुस्कान लौटा दी है। अब रेनू न केवल सामान्य तरीके से चल-फिर पा रही है बल्कि उसके निराश जीवन में फिर बहार आ गई है।
जानकारी के अनुसार चलने-फिरने में असमर्थ होडल (हरियाणा) निवासी रेनू को 20 अगस्त को के.डी. हॉस्पिटल लाया गया। विशेषज्ञ न्यूरो सर्जन डॉ. दीपक चौधरी को परिजनों ने बताया कि वह तीन-चार महीने से अस्वस्थ है तथा चल-फिर नहीं पा रही है। स्थानीय चिकित्सकों से भी खूब उपचार कराया लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। डॉ. चौधरी ने मरीज के स्पाइन की एमआरआई कराई जिससे पता चला कि उसे रीढ़ की हड्डी की टीबी है तथा उसकी एल-1 की हड्डी गल जाने से पैरों की नस दब गई है।
डॉ. चौधरी ने रेनू की स्थिति को देखते हुए परिजनों को ऑपरेशन की सलाह दी। परिजनों की स्वीकृति के बाद 30 अगस्त को डॉ. दीपक चौधरी और डॉ. राहुल एम. ढोले द्वारा मरीज की रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से की सर्जरी की गई। सर्जरी में एल-1 हड्डी के गले हिस्से को निकाल दिया गया। सर्जरी के बाद मरीज की टीबी की दवाएं शुरू कर दी गईं। इस सर्जरी में न्यूरो सर्जनों का सहयोग निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. शिवांगी अग्रवाल, डॉ. बेंकटा तेजा गुडाटी, डॉ. सदाशिव बाली, डॉ. रत्ना श्री, डॉ. प्रभात यादव, टेक्नीशियन देवेन्द्र, संदीप और राजवीर ने किया। सर्जरी के दूसरे ही दिन मरीज अपने पैरों पर खड़ी हो गई।
न्यूरो सर्जन डॉ. दीपक चौधरी ने बताया कि इस तरह की बीमारी में यदि शुरुआती दौर में ही टीबी की दवाइयां ली जाएं तो मरीज को ऑपरेशन और अन्य अंगों की कमजोरी से बचाया जा सकता है। डॉ. चौधरी ने कहा कि इस ऑपरेशन से न सिर्फ मरीज को नई जिन्दगी मिली बल्कि उसे आम लोगों की तरह हर काम करने में भी सक्षम बना दिया। डॉ. चौधरी का कहना है कि रेनू को जब यहां लाया गया, तब वह खड़ी नहीं हो पा रही थी, ऐसे में उन्होंने संकल्प लिया कि हर हाल में इसे खड़ा करना है। यह खुशी की बात है कि अब वह होडल से बिना किसी की मदद से के.डी. हॉस्पिटल आ जाती है।
बेटी को फिर से अपने पैरों पर खड़ा देख माता–पिता भी खुश हैं। परिजन बताते हैं कि रेनू ऑपरेशन के बाद आराम से उठ-बैठ रही है। बिना किसी सहारे के चल-फिर रही है। सीढ़ियां भी चढ़ लेती है। अब उसकी जिन्दगी नॉर्मल है। यह हमारे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं। डॉक्टर साहब ने हमें हिम्मत और भरोसा दिया। उन्होंने मेरी बच्ची को दूसरा जीवन दिया है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन श्री मनोज अग्रवाल, डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, चिकित्सा निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार ने आदि ने सफल सर्जरी के लिए डॉ. दीपक चौधरी, डॉ. राहुल एम. ढोले तथा उनकी टीम को बधाई देते हुए मरीज के स्वस्थ-सुखद जीवन की कामना की है।
चित्र कैप्शनः रेनू के साथ विशेषज्ञ न्यूरो सर्जन डॉ. दीपक चौधरी, डॉ. राहुल एम. ढोले और उनकी सहयोगी टीम।

एक तारा जो छिटक कर अंतरिक्ष में विलीन हो गया

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 मथुरा। डी.एन. साहब के नाम से प्रसिद्ध श्रद्धेय दीनानाथ चतुर्वेदी के बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है कि रिलायंस समूह के असली जन्मदाता ये ही थे। धीरूभाई अंबानी की भूमिका तो सिर्फ नाम मात्र की थी। जड़ में तो डी.एन. साहब का ही सारा खेल था। वे बम्बई के नंबर वन चार्टेड अकाउंटेंट थे तथा अल्प शिक्षित धीरूभाई से उनकी निकटता या यौं कहें कि मित्रता ऐसी रंग लाई कि आज पूरी दुनियां में रिलायंस की धाक है।
 चली बात पर यह भी बता दूं कि धीरुभाई व डी.एन. साहब की सांठ गांठ कैसे हुई? दरअसल गिरधर मुरारी परिवार अंबानी परिवार का पुरोहित है। पुरोहित और यजमान का रिश्ता एक प्रकार से साझेदारी में बदल गया। शुरू से ही उन्होंने रिलायंस का फाइनेंस का पूरा काम स्वयं देखा तथा रिलायंस के डायरेक्टर रहे। धीरूभाई और डी.एन. साहब की प्रगाढ़ता मैंने स्वयं अपनी आंखों से देखी है। लगभग चार दशक पूर्व धीरूभाई ने हमारे घर के बराबर स्थित गिरधर मुरारी गेस्ट हाउस जो दीनानाथ जी का है, मैं एक विशाल नेत्र शिविर लगवाया था। उस दौरान धीरूभाई ने एक पत्रकार वार्ता भी की जिसमें में स्वयं भी था। उस समय कुछ दिन धीरूभाई इसी गेस्ट हाउस में रुके तथा एक दिन गेस्ट हाउस के आगे सड़क पर बने पत्थर के चबूतरे पर दीवाल से तकिया लगाकर धीरुभाई को विश्राम करते हुए मैंने देखा था।
 उन दिनों धीरूभाई बम्बई की सबसे ऊंची बिल्डिंग "ऊषा किरन" में रहते थे जिसे सेठ राम प्रसाद खंडेलवाल ने बनवाया था। मथुरा में चमेली देवी खंडेलवाल और अनार देवी खंडेलवाल महिला पॉलिटेक्निक भी राम प्रसाद खंडेलवाल की ही देन है। बाद में धीरूभाई ने अपना एक बड़ा बंगला बनवा लिया और ऊषा किरन बिल्डिंग में डी.एन. साहब और उनका परिवार रहने लगा। डी.एन. साहब तीन भाई थे। सबसे बड़े जमुना दास जी, उनसे छोटे दीनानाथ जी और सबसे छोटे बाल किशन जी। तीनों ही भाई बड़े सज्जन और विनम्र थे। इनके पिताजी चौगानी भाई तो एक तरह से देवता समान थे। इनके यहां गिरधर मुरारी धर्मशाला में एक छोटा सा मंदिर है वहां बड़े मनोयोग से ठाकुर जी की पूजा होती मैं बचपन से ही देखता आया हूं। जब तक जमुना दास जी बालकिशन जी जिंदा थे, वे स्वयं ही ठाकुर जी का श्रृंगार व सेवा करते थे। इस परिवार में दान पुण्य, धरम करम बहुत होता है। ईश्वर सेवा और दान पुण्य का ही परिणाम है कि आज गिरधर मुरारी परिवार को बड़ी श्रद्धा व सम्मान के साथ देखा जाता है। यह एक ऐसा पवित्र नाम है कि मथुरा से लेकर बम्बई तक इसकी अनूठी सुगंध है। यह मेरा सौभाग्य है कि श्रद्धेय डी.एन. साहब की मेरे ऊपर बड़ी कृपा थी। जब भी मैं उनसे मिलता तो वे बड़े खुश होते और खूब आशीर्वाद देते। एक दो बार तो हमारे नलकूप की सेवा में अपनीं ओर से आर्थिक मदद की पेशकश तक की। 
 एक बात जो इस परिवार की खास है तथा लीक से हटकर भी। वह यह कि ये लोग कभी उनसे भी नहीं उलझते जो इनसे विरोध मानते हैं। इनका सबसे बड़ा हथियार या यौं कहें कि अच्छी जिंदगी जीने का फॉर्मूला बड़े अजब गजब का है। इस फाॅर्मूले का सार एक मंत्र है जिसे इन्होंने सिद्ध कर रखा है। उस सिद्ध मंत्र का जाप ये जुबान से या मन ही मन नहीं करते बल्कि अपनीं जीवन पद्धति में उतार कर करते हैं। यह मंत्र है कि "नींच की गारी हंसकर टारी" इस बात का अनुभवी मैं स्वयं भी हूं। यदि हम लोग भी गिरधर मुरारी परिवार के इस मंत्र को अपने जीवन में उतार लें तो जीवन की बगिया महक उठेगी। आज मैं अपने अंतर्मन से न सिर्फ डी.एन. साहब बल्कि उनके सभी पूर्वजों को भी नमन करता हूं जिन्होंने अपने वंशजों को इतने अच्छे संस्कार दिए।

संस्कृति विवि में रक्तदान कर प्रधानमंत्री के जन्मदिवस पर लिया संकल्प किया पूरा

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चित्र परिचयः संस्कृति विश्वविद्यालय में हुए रक्तदान कार्यक्रम का फीता काटकर शुभारंभ करतीं विवि की सीईओ डा. श्रीमती मीनाक्षी शर्मा। साथ में हैं विवि के कुलपति प्रो.एमबी चेट्टी और डा. रजनीश त्यागी।


मथुरा। संस्कृति स्कूल आफ नर्सिंग और सद्भावना चेरीटेबल ब्लड बैंक के सहयोग से संस्कृति विवि में एक रक्तदान शिविर लगाया गया। रक्तदान शिविर में विवि की एनएसएस विंग के कैडेटों, विवि के शिक्षकों ने 147 यूनिट ब्लड दान किया।
इस मौके पर संस्कृति स्कूल नर्सिंग के प्राचार्य केके पाराशर ने कहा कि रक्तदान तब होता है जब एक स्वस्थ व्यक्ति स्वेच्छा से अपना रक्त देता है और रक्त-आधान (ट्रांसफ्यूजन) के लिए उसका उपयोग होता है या फ्रैकशेनेशन नामक प्रक्रिया के जरिये दवा बनायी जाती है। विकसित देशों में, अधिकांश रक्तदाता अवैतनिक स्वयंसेवक होते हैं, जो सामुदायिक आपूर्ति के लिए रक्त दान करते हैं। एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति एक बार में आमतौर पर 350 से 450 मिलीलीटर (ml) रक्त दान कर सकता है, जो शरीर में मौजूद कुल रक्त का लगभग 8% से 12% होता है. पुरुषों के लिए यह अंतराल 12 सप्ताह और महिलाओं के लिए 16 सप्ताह होता है, जबकि भारत में आमतौर पर 450 मिलीलीटर रक्त दान किया जाता है, जिसे शरीर 48 से 72 घंटों में फिर से भर लेता है.
डा. रजनीश त्यागी ने कहा कि जीवन बचाने के लिए खून चढाने की जरूरत पडती है। दुर्घटना, रक्‍तस्‍त्राव, प्रसवकाल और ऑपरेशन आदि के दौरान अत्‍यधिक खून बह सकता है और इस अवसर पर उन लोगों को खून की आवश्‍यकता पडती है। थेलेसिमिया, ल्‍यूकिमिया, हीमोफिलिया जैसे अनेंक रोगों से पीडित व्‍यक्तियों के शरीर को भी बार-बार रक्‍त की आवश्‍यकता रहती है अन्‍यथा उनका जीवन खतरे में रहता है। जिसके कारण उनको खून चढाना अनिवार्य हो जाता है। इस जीवनदायी रक्‍त को एकत्रित करने का एकमात्र् उपाय है रक्‍तदान। स्‍वस्‍थ लोगों द्वारा किये गये रक्‍तदान का उपयोग जरूरतमंद लोगों को खून चढानें के लिये किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा दान है जो किसी का जीवन बचाने के काम आ सकता है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के जन्मदिवस पर लिए संकल्प को पूरा करने के लिए संस्कृति विवि में हुए रक्तदान के अवसर पर सद्भावना ब्लड बैंक टीम की तरफ से मेडिकल ऑफिसर डॉ. प्रदीप पाराशर, डायरेक्टर संजीव सारस्वत , मोहित सारस्वत ,तरुण, सुशील राहुल, सौरभ, नितिन, धर्मेंद्र नीरज आदि का सहयोग रहा। वहीं संस्कृति विवि की ओर से सीईओ डा. श्रीमती मीनाक्षी शर्मा, कुलपति प्रो.एमबी चेट्टी ने आयोजन का शुभारंभ किया। इस मौके पर प्रशासनिक अधिकारी विवेक श्रीवास्तव, दिलीप सिंह, राहुल और एनएसएस विंग के कैडेट्स भी मौजूद रहे।

जीएलए विश्वविद्यालय में टेकस्टार स्टार्टअप वीकेंड का भव्य आयोजन

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जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा में टेकस्टार स्टार्टअप वीकेंड का सफल आयोजन हुआ। लगातार तीन दिन एवं ५४ घंटे का मैराथन इवेंट छात्रों की रचनात्मकता और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया। कार्यक्रम के पहले दिन विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर अनूप गुप्ता ने अथितियों राजीव बनर्जी, (सर्टिफाइड सीएमए और एमएनए (ऑपरेशंस), राहुल लखमानी- (स्कीफाई सॉल्यूशंस के संस्थापक एवं सीईओ), देवांश एस भट्ट – (अर्बनट्रैक्ट प्रा.लि. के संस्थापक और पूरणताह एजुकेशन के सीईओ), हिमांशु सिंगला- (साइबरोइज़्म प्रा.लि. के संस्थापक एवं सीईओ) के साथ दीप प्रज्वलित किया एवं टेकस्टार स्टार्टअप वीकेंड का उद्घाटन किया।

कार्यक्रम में पाँच सदस्यों की ज्यूरी टीमों का गठन किया गया, जिसके उपरांत छात्रों ने अपने-अपने स्टार्टअप विचार प्रस्तुत किए। सभी टीमों ने अपने विचारों को परियोजना के रूप में विकसित करने की शुरुआत की। इस दौरान टेकस्टार स्टार्टअप वीकेंड टीम से आए फैसिलिटेटर श्रेयश कुशवाहाने पूरे आयोजन को और अधिक सुचारू बनाने में योगदान दिया।

दूसरे दिन प्रतिभागियों को मार्गदर्शन देने के लिए अनुभवी वक्ताओं इनमें राजीव बनर्जी, हिमांशु सिंगला, देवांश भट्ट और राहुल लखमानी ने सेशन लिए। वक्ताओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए छात्रों को यह समझाया कि किस प्रकार एक विचार को सफल स्टार्टअप में बदला जा सकता है। कार्यक्रम के दूसरे दिवस रात्रि में मनोंरजन से सम्बंधित कार्यक्रम का आयोजन भी हुआ जिसमे भावी उद्यमियों को गिटार नाइट के माध्यम से रिफ्रेश किया गया जिसके उपरान्त नये जोश के साथ वे कार्यक्रम में बने रहे।

तीसरे दिन सभी टीमों ने अपने प्रोजेक्ट और विचार प्रस्तुत किए। मूल्यांकन के बाद 10 स्टार्टअप्स का चयन किया गया एवं बेस्ट तीन स्टार्टअप को नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया चयनित स्टार्टअप्स को लॉन्चपैड में शामिल किया जाएगा। इसके अंतर्गत प्री-इन्क्यूबेशन सपोर्ट, मेंटरशिप और तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा ताकि छात्र अपने विचारों को वास्तविक व्यवसाय में बदल सकें। टेक्नोलॉजी बिज़नेस इनक्यूबेटर के प्रबंधक दीपक शर्मा ने कार्यक्रम के अंत में छात्र छात्राओं को लाभान्वित करने के लिए ज्यूरी टीमों का आभार प्रकट करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया एवं विश्वविद्यालय के सीएफओ डा. विवेक अग्रवाल और वाइस चांसलर प्रोफेसर अनूप गुप्ता का मार्ग दर्शन एवं सहयोग के लिए आभार प्रकट किया I

प्रोग्राम मैनेजर टेक्नोलॉजी बिज़नेस इनक्यूबेटर अभिषेक गौतम एवं कोऑर्डिनेटर जितेन्द्र कुमार ने उपरोक्त जानकारी देते हुए बताया कि टेकस्टार का आयोजन स्पार्कल टीबीआई और ई-सेल के बैनर तले किया गया, यह एक अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसका जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा में टेकस्टार स्टार्टअप वीकेंड का सफल आयोजन हुआ। लगातार तीन दिन एवं 54 घंटे का मैराथन इवेंट छात्रों की रचनात्मकता और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया। कार्यक्रम के पहले दिन विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर अनूप गुप्ता ने अथितियों राजीव बनर्जी, (सर्टिफाइड सीएमए और एमएनए (ऑपरेशंस), राहुल लखमानी- (स्कीफाई सॉल्यूशंस के संस्थापक एवं सीईओ), देवांश एस भट्ट – (अर्बनट्रैक्ट प्रा.लि. के संस्थापक और पूरणताह एजुकेशन के सीईओ), हिमांशु सिंगला- (साइबरोइज़्म प्रा.लि. के संस्थापक एवं सीईओ) के साथ दीप प्रज्वलित किया एवं टेकस्टार स्टार्टअप वीकेंड का उद्घाटन किया।

कार्यक्रम में पाँच सदस्यों की ज्यूरी टीमों का गठन किया गया, जिसके उपरांत छात्रों ने अपने-अपने स्टार्टअप विचार प्रस्तुत किए। सभी टीमों ने अपने विचारों को परियोजना के रूप में विकसित करने की शुरुआत की। इस दौरान टेकस्टार स्टार्टअप वीकेंड टीम से आए फैसिलिटेटर श्रेयश कुशवाहाने पूरे आयोजन को और अधिक सुचारू बनाने में योगदान दिया।

दूसरे दिन प्रतिभागियों को मार्गदर्शन देने के लिए अनुभवी वक्ताओं इनमें राजीव बनर्जी, हिमांशु सिंगला, देवांश भट्ट और राहुल लखमानी ने सेशन लिए। वक्ताओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए छात्रों को यह समझाया कि किस प्रकार एक विचार को सफल स्टार्टअप में बदला जा सकता है। कार्यक्रम के दूसरे दिवस रात्रि में मनोंरजन से सम्बंधित कार्यक्रम का आयोजन भी हुआ जिसमे भावी उद्यमियों को गिटार नाइट के माध्यम से रिफ्रेश किया गया जिसके उपरान्त नये जोश के साथ वे कार्यक्रम में बने रहे।

तीसरे दिन सभी टीमों ने अपने प्रोजेक्ट और विचार प्रस्तुत किए। मूल्यांकन के बाद 10 स्टार्टअप्स का चयन किया गया एवं बेस्ट तीन स्टार्टअप को नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया चयनित स्टार्टअप्स को लॉन्चपैड में शामिल किया जाएगा। इसके अंतर्गत प्री-इन्क्यूबेशन सपोर्ट, मेंटरशिप और तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा ताकि छात्र अपने विचारों को वास्तविक व्यवसाय में बदल सकें। टेक्नोलॉजी बिज़नेस इनक्यूबेटर के प्रबंधक दीपक शर्मा ने कार्यक्रम के अंत में छात्र छात्राओं को लाभान्वित करने के लिए ज्यूरी टीमों का आभार प्रकट करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया एवं विश्वविद्यालय के सीएफओ डा. विवेक अग्रवाल और वाइस चांसलर प्रोफेसर अनूप गुप्ता का मार्ग दर्शन एवं सहयोग के लिए आभार प्रकट किया I

प्रोग्राम मैनेजर टेक्नोलॉजी बिज़नेस इनक्यूबेटर अभिषेक गौतम एवं कोऑर्डिनेटर जितेन्द्र कुमार ने उपरोक्त जानकारी देते हुए बताया कि टेकस्टार का आयोजन स्पार्कल टीबीआई और ई-सेल के बैनर तले किया गया, यह एक अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसका 54 घण्टे नॉनस्टॉप आयोजन होता है कार्यक्रम के प्रथम दिवस प्रतिभागिओं को ब्राजील में चल रहे कार्यक्रम के मेंटर और प्रतिभागिओं से ऑनलाइन विचारों का आदान-प्रदान भी कराया गया।

टेकस्टार के शानदार आयोजन ने युवाओं को प्रेरित किया और उन्हें अपने कदम मजबूत करने की दिशा में नई ऊर्जा प्रदान की। यह आयोजन युवाओं के लिए एक अनमोल अवसर था, जिसने उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया।

टेकस्टार में 120 प्रतिभागियों के साथ-साथ ई-सेल की समस्त टीम उपस्थिति रही, ई-सेल हेड कृष्णा मित्तल एवं उनकी टीम एवं टेक्नोलॉजी बिज़नेस इनक्यूबेटर के प्रबंधक दीपक शर्मा के मार्गदर्शन एवं अथक प्रयास ने सफल आयोजन में बड़ी भूमिका का निर्वहन कियाI

संस्कृति विवि में अनेक कार्यक्रमों के साथ मना आयुर्वेद दिवस

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चित्र परिचयः संस्कृति विवि के संतोष मैमोरियल हाल में 10वें आयुर्वेद दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों को संबोधित करते प्रो.डा.सीएसआर प्रभु।
चित्र परिचयः संस्कृति विवि के संतोष मैमोरियल हाल में 10वें आयुर्वेद दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में नाट्य प्रस्तुति करते विद्यार्थी।
चित्र परिचयः संस्कृति विवि के संतोष मैमोरियल हाल में 10वें आयुर्वेद दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में नृत्य प्रस्तुत करतीं संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज की छात्राएँ

मथुरा। संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल द्वारा सात दिवसीय आयोजनों के साथ 10वां आयुर्वेद दिवस मनाया गया। इस दौरान बॉडी पेंटिंग, डिबेट. प्रकृति व्याख्या, पोस्टर मेकिंग कंपटीशन, आयुर्वेद आहार, क्विज, रील मेकिंग, मिनी एक्सपो का आयोजन किया गया। इतना ही नहीं संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल की टीम ने गांव-गांव जाकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए।
10वें आयुर्वेद दिवस पर विवि के संतोष मैमोरियल हाल में मुख्य अतिथि पूर्व चेयरमैन आयुर्वेदिक फार्मोकोपियर कमेटी आयुष मंत्रालय प्रो.डा. विनोद कुमार जोशी द्रव्यगुन के अंतर्गत औषदीय पौधों से तैयार होने वाली औषधियों उनके रोपण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विशिष्ठ अतिथि प्रो. डा. सीएसआर प्रभु ने योग और उसके महत्व के बारे में बताया। इस मौके पर छात्र अभिनव और उनके साथियों ने कालांतर आयुर्वेद पर सशक्त नाट्य प्रस्तुति दी। इसी प्रकार बीएएमएस के प्रथम वर्ष के छात्रों ने आधारणीय वेगों पर प्रभावशाली नाट्य प्रस्तुति दी। छात्रा कीर्ति, छात्र देवांश और अदिति ने मानसिक शांति और स्वास्थ्य पर संभाषणों से विद्यार्थियों को जागरूक किया। छात्रा मुस्कान और उनके साथियों ने राजस्थानी लोकनृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि के दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. मोहनन ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालनन छात्रा अपूर्वा, धर्मिता और खुशी ने किया। आयुर्वेद दिवस को लेकर किए गए सभी कार्यक्रमों के संयोजन में संयोजन डा. एकता कपूर, डा. प्रशांत और डा. सुरभि का विशेष योगदान रहा।
सांस्कृतिक और स्वास्थ्य जागरूकता गतिविधियों के अंतर्गत 10वें आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में विद्यार्थियों द्वारा एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। नाटक का विषय था “आयुर्वेद में वेग और वेगविधारण” , जिसमें छात्रों ने सामान्य जीवनशैली में प्राकृतिक वेगों को न रोकने और अनुचित वेगों को संयमित करने के महत्व को दर्शाया। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से विद्यार्थियों ने बताया कि प्राकृतिक वेगों का दमन (जैसे मल, मूत्र, छींक, खाँसी आदि) शरीर को अनेक रोगों की ओर ले जाता है, जबकि अस्वास्थ्यकर वेगों का पालन (जैसे क्रोध, लोभ, निद्रा, अति भोजन आदि) व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक समस्याओं में फँसा देता है। छात्रों ने रोचक संवादों और अभिनय के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि आयुर्वेद केवल रोगों का उपचार ही नहीं, बल्कि जीवन जीने की सही पद्धति भी सिखाता है। कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के संहिता और सिद्धांत विभाग द्वारा किया गया।
आयुर्वेद दिवस के कार्यक्रमों के उपलक्ष्य में संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में आयुर्वेदिक आहार निर्माण प्रतियोगिता का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम छात्रों में आयुर्वेदिक पोषण, संतुलित आहार और पारंपरिक आयुर्वेदिक आहार पद्धतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन कुलाधिपति डॉ. सचिन गुप्ता जी और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. मीनाक्षी शर्मा जी ने किया।
प्रतियोगिता में प्रस्तुत व्यंजनों का मूल्यांकन प्राचार्य आदरणीय डॉ. एम. मोहनन जी और डीन (होटल प्रबंधन विभाग) आदरणीय रतीश शर्मा जी ने किया। यह आयोजन स्वस्थवृत विभाग द्वारा आयोजित किया गया, जिनके मुख्य आयोजक डॉ. शिप्रा पांडेय, डॉ. अशिम और डॉ. आकांक्षा हीर थे।
शरीर रचना विभाग द्वारा एक अनूठी बॉडी पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य आयुर्वेद और मानव शारीरिक संरचना (एनाटॉमी) के बीच संबंध को उजागर करना था। इस प्रतियोगिता में 20 समूहों ने भाग लिया और अपनी कला के माध्यम से शरीर विज्ञान (एनाटॉमी) और आयुर्वेद के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाया। प्रतियोगिता में शरीर रचना विभाग से डॉ. सुरभि और डॉ. अनिता ने सभी छात्रों को आयुर्वेद और शारीरिक संरचना के महत्व को लोगों तक पहुँचाने के लिए अपने विचार साझा किए।

के.डी. डेंटल कॉलेज के छात्र-छात्राओं को रैगिंग के दुष्परिणाम बताए

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सीनियर, जूनियर के साथ करें भाई-बहन जैसा व्यवहारः डॉ. चुघ
मथुरा। प्रत्येक शैक्षिक संस्थान छात्र-छात्राओं के लिए मंदिर के समान है, लिहाजा उन्हें अपने अध्ययनकाल में इसकी मर्यादा का ख्याल हर पल रखना चाहिए। सीनियर्स अपने जूनियर के साथ छोटे भाई-बहनों की तरह व्यवहार कर अपने शैक्षिक संस्थान में पारिवारिक माहौल बना सकते हैं। किसी छात्र-छात्रा से परिचय प्राप्त करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन यदि उनके साथ मारपीट की जाती है, उन्हें किसी तरह से प्रताड़ित किया जाता है या धार्मिक, शारीरिक, सामाजिक और राजनीतिक टिप्पणी की जाती है तो उसे रैगिंग माना जाएगा। यह बातें शनिवार को के.डी. डेंटल कॉलेज में आयोजित एंटी रैगिंग कार्यशाला में मुख्य अतिथि आईडीए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार चुघ ने छात्र-छात्राओं को बताईं।
डॉ. चुघ ने कहा कि रैगिंग हमारे देश की शिक्षा प्रणाली के लिए अभिशाप है। पिछले कुछ वर्षों में रैगिंग से सैकड़ों छात्र-छात्राओं का करिअर बर्बाद हुआ है। एंटी रैगिंग कार्यशाला में डॉ. चुघ ने सभी यूजी व पीजी छात्र-छात्राओं को बताया कि रैगिंग का अर्थ किसी भी ऐसे कार्य को करना है जो किसी विद्यार्थी को शारीरिक, मानसिक तथा शर्मिंदगी से आहत करने का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि रैगिंग अन्य अपराधों से भिन्न है क्योंकि इसका उद्देश्य केवल विकृत सुख प्राप्त करना है। उन्होंने कहा कि यदि सीनियर्स अपने जूनियर्स के साथ छोटे भाई-बहन सा व्यवहार करें तो यह समस्या पैदा ही नहीं होगी।
डॉ. चुघ ने कहा कि यदि किसी भी विद्यार्थी के साथ रैगिंग होती है तो उसे तुरंत कॉलेज की एंटी रैगिंग समिति को बताना चाहिए तथा रैगिंग समिति का भी यह कर्तव्य है कि वह शिकायत करने वाले छात्र या छात्रा की पहचान को सुरक्षित और गुप्त रखे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विद्याथी सिर्फ पढ़ाई और व्यावहारिक शिक्षा पर फोकस करे। यदि किसी छात्र या छात्रा को सीनियर परेशान करता है तो उसे बिना किसी दबाव के तत्काल शिकायत दर्ज करानी चाहिए। उन्होंने छात्र-छात्राओं को रैगिंग की नई गाइड लाइन पर भी विस्तार से जानकारी दी।
प्राचार्य और डीन डॉ. मनेष लाहौरी ने कहा कि के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल पूरी तरह से रैगिंग मुक्त संस्थान है। यहां रैगिंग करते पाए जाने पर छात्र-छात्रा का प्रवेश निरस्त किए जाने, जुर्माना भरने तथा जेल भेजे जाने का भी प्रावधान है। उन्होंने परिसर को रैगिंग मुक्त रखने के लिए संस्थान स्तर पर किए जाने वाले उपायों की भी जानकारी दी। डॉ. लाहौरी ने कहा कि कॉलेज की एंटी रैगिंग सेल रैगिंग की रोकथाम और निषेध के साथ ही सभी छात्र-छात्राओं के स्वस्थ मानसिक विकास के लिए एक अच्छा माहौल प्रदान करने को प्रतिबद्ध है। डॉ. लाहौरी ने कहा कि हमारा वही उद्देश्य है जो रैगिंग को खत्म करने के लिए एआईसीटीई का है। एंटी रैगिंग सेल का आदर्श वाक्य है ‘टुगेदर, वी फील एट होम’। डॉ. लाहौरी ने कहा कि के.डी. डेंटल कॉलेज में सभी प्रवेशित छात्र-छात्राओं और उनके माता-पिता के लिए रैगिंग विरोधी हलफनामा भरना अनिवार्य है।
कार्यशाला के अंत में सीडीई कमेटी के सदस्यों डॉ. विवेक, डॉ. अनुज, डॉ. जुही, डॉ. मनीष और डॉ. राजीव द्वारा सीनियर्स छात्र-छात्राओं से रैगिंग न करने का संकल्प-पत्र भरवाया गया, साथ ही बीडीएस प्रथम वर्ष के सभी छात्र-छात्राओं को बुकलेट दी गईं, जिनमें क्या है रैगिंग, शिकायत के लिए टोल फ्री नम्बर और कॉलेज की आंतरिक कमेटियों के नम्बर तथा वेबसाइट दर्ज हैं। कार्यशाला में डॉ. उमेश चंद्र, डॉ. अजय नागपाल, डॉ. नवप्रीत, डॉ. शैलेंद्र चौहान, डॉ. विनय मोहन, डॉ. सोनल, डॉ. अतुल, डॉ. हस्ती, प्रशासनिक अधिकारी नीरज छापड़िया सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। अंत में प्राचार्य डॉ. लाहौरी ने अतिथि वक्ता डॉ. राजीव कुमार चुघ को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना।
चित्र कैप्शनः के.डी. डेंटल कॉलेज में आयोजित एंटी रैगिंग कार्यशाला में उपस्थित अतिथि वक्ता तथा छात्र-छात्राएं। दूसरे चित्र में मुख्य अतिथि आईडीए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार चुघ को पुष्प गुच्छ भेंट करते हुए प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी।

जैंत थाने में 29 सितंबर को होगी 17 वाहनों की नीलामी

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चौमुहां। जैंत थाने में 29 सितंबर को एक नीलामी का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न कानूनी मामलों के तहत जब्त किए गए 17 वाहन बेचे जाएंगे। यह नीलामी प्रक्रिया सुबह 10 बजे थाना परिसर में शुरू होगी, जहां इच्छुक खरीददार बोली लगाकर इन वाहनों को खरीद सकते हैं। थाना प्रभारी जैंत उमेश चंद्र त्रिपाठी ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए एक विशेष समिति का गठन किया गया है। यह समिति नीलामी की पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेगी ताकि पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।
ये वाहन लंबे समय से थाने में खड़े थे और अब कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन्हें सरकारी नियमों के अनुसार नीलाम किया जा रहा है। नीलामी से प्राप्त राशि को सरकारी खजाने में जमा किया जाएगा। जो भी लोग इन वाहनों को खरीदना चाहते हैं, वे 29 सितंबर को सुबह 10 बजे जैंत थाना परिसर में पहुंच कर नीलामी में भाग ले सकते हैं।

राजीव एकेडमी के छात्र-छात्राओं को बताई एआई युग की नई परिभाषालीडरशिप समिट-2025 में विशेषज्ञों ने साझा किए अपने अनुभव

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मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट, मथुरा में आयोजित “लीडरशिप समिट-2025” में देश के शीर्ष कॉर्पोरेट और अकादमिक जगत के विशेषज्ञों ने एमबीए छात्र-छात्राओं को बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) अब मात्र तकनीक नहीं बल्कि एक ऐसा युग है जिसने निर्णय लेने, प्रबंधन और नेतृत्व के मूल ढाँचे को पूरी तरह से बदल दिया है।
लीडरशिप समिट-2025 के मुख्य वक्ता राजीव रंजन मिश्रा (वीपी-एचआर, टाटा एंटरप्राइजेज, टाटा स्टील), प्रो. संजीव सरीन (अकादमिक लीडर, इंडस्ट्री स्ट्रैटेजिस्ट एवं लेखक), डॉ. विक्रम शर्मा (एसोसिएट डीन, आईबीएस, गुरुग्राम) और रिसोर्स पर्सन रसना बैजल (फाउंडर, नाविरा) ने छात्र-छात्राओं को एआई-प्रधान भविष्य में नेतृत्व की बदलती परिभाषाओं पर विस्तार से जानकारी दी। राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि “नेतृत्व अब केवल आदेश देने या संसाधन प्रबंधन तक सीमित नहीं है बल्कि यह डेटा-ड्रिवेन इनसाइट्स और मानवीय संवेदनशीलता के बीच सही संतुलन बनाने का नाम है। आने वाले समय में वही लोग सफल होंगे, जो एआई का उपयोग कर अधिक मानवीय और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाएंगे।”
प्रो. संजीव सरीन ने एआई को स्टार्टअप्स और इनोवेशन का गेम-चेंजर बताते हुए कहा कि यह केवल प्रोडक्टिविटी बढ़ाने का साधन नहीं बल्कि निर्णय लेने की कला को भी निखार रहा है। उन्होंने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि वे केवल नौकरी की तैयारी तक सीमित न रहें बल्कि नेतृत्व मानसिकता विकसित करें और खुद को भविष्य का चेंजमेकर बनाएं। डॉ. विक्रम शर्मा ने कहा कि चाहे वित्त, मार्केटिंग, ह्यूमन रिसोर्स या रणनीति हो, एआई का प्रभाव हर क्षेत्र में गहराई से दिखाई दे रहा है। इंडस्ट्री और अकादमिक जगत का सहयोग अब पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है। सही समय पर तकनीक का समुचित उपयोग किसी भी संगठन को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकता है।
रिसोर्स पर्सन रसना बैजल ने अपने उद्यमिता सफर को साझा करते हुए बताया कि “स्टार्टअप्स के लिए एआई किसी बूस्टर की तरह है। यह सीमित संसाधनों के बावजूद प्रभावी निर्णय लेने और तेज़ी से आगे बढ़ने की क्षमता देता है।” उन्होंने विशेष रूप से महिला नेतृत्व और स्टार्टअप इकोसिस्टम में एआई की भूमिका को रेखांकित किया। इस समिट ने छात्र-छात्राओं को केवल एआई ट्रेंड्स की समझ ही नहीं दी, बल्कि उन्हें यह भी सिखाया कि एक सशक्त लीडर बनने के लिए किन गुणों की आवश्यकता है। वक्ताओं ने अनुकूलनशीलता, सहानुभूति, टीमवर्क, रणनीतिक दृष्टिकोण और समस्या समाधान को कॉर्पोरेट सफलता की बुनियाद बताया। छात्र-छात्राओं ने इस समिट से एआई आधारित निर्णय-प्रक्रियाओं, इंडस्ट्री की चुनौतियों और स्टार्टअप अवसरों के बारे में गहन ज्ञान प्राप्त किया। साथ ही उनमें आत्मविश्वास, स्पष्ट करियर विजन और नेतृत्व की वास्तविक समझ भी विकसित हुई।
राजीव एकेडमी के एमबीए विभागाध्यक्ष डॉ. विकास जैन ने कहा कि “यह समिट हमारे विद्यार्थियों के लिए मील का पत्थर साबित हुई है। इसने उन्हें न केवल एआई और नेतृत्व के बीच गहरे संबंधों को समझाया बल्कि व्यावहारिक दृष्टिकोण भी प्रदान किया। आने वाले समय में सफलता के लिए तकनीकी दक्षता और मानवीय नेतृत्व का संतुलन बेहद महत्वपूर्ण होगा।”
आर.के. एजुकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल और निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने इस आयोजन को ऐतिहासिक करार दिया। डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि “राजीव एकेडमी का यह प्रयास शिक्षा और उद्योग के बीच गहरे सेतु का निर्माण करता है। यहां शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उद्योग के वास्तविक अनुभवों से जुड़कर विद्यार्थियों को भविष्य के लिए तैयार करती है।”
राजीव एकेडमी के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने सभी वक्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि लीडरशिप समिट-2025 ने हमारे विद्यार्थियों के लिए एक नया दृष्टिकोण तैयार किया है। यह आयोजन स्पष्ट करता है कि राजीव एकेडमी केवल शिक्षा प्रदान करने वाला संस्थान नहीं बल्कि भविष्य के नेताओं को गढ़ने का केन्द्र है। आने वाले समय में संस्थान और भी ऐसे आयोजन करेगा ताकि विद्यार्थी कॉर्पोरेट और स्टार्टअप दुनिया की चुनौतियों का आत्मविश्वास से सामना कर सकें। उन्होंने कहा कि राजीव एकेडमी ने एक बार फिर सिद्ध किया कि वह अपने विद्यार्थियों को सिर्फ शिक्षा नहीं बल्कि “भविष्य गढ़ने की कला” भी सिखाता है।
चित्र कैप्शनः लीडरशिप समिट-2025 में राजीव एकेडमी आए देश के शीर्ष कॉर्पोरेट और अकादमिक जगत के विशेषज्ञ।

जो सवाल मैंने शंकर दयाल शर्मा से किया था वही द्रौपदी मुर्मू से

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 मथुरा। बात उस समय की है जब हरि कृष्ण पालीवाल जिलाधिकारी, हरिश्चंद्र सिंह पुलिस अधीक्षक तथा रविकांत गर्ग मंत्री थे। यह पूरा घटनाक्रम इन तीनों के सामने का है। उस समय डॉ. शंकर दयाल शर्मा उपराष्ट्रपति थे। वे सपत्नीक मथुरा आए तथा कुछ देर के लिए एम.ई.एस. के डाक बंगले में विश्राम किया और उसके बाद उन्हें फिर वृंदावन जाना था। कुछ पत्रकार एम.ई.एस. के डाक बंगले पर पहुंच गए, जिनमें मैं स्वयं भी था। मध्यान का समय था शंकर दयाल जी आराम के बाद एकदम फ्रेश होकर प्रसन्नचित स्थिति में पत्रकारों से रूबरू हुए। मैंने उनसे पूंछा कि शर्मा जी आपका मथुरा आना कैसे हुआ? इस पर उन्होंने कहा कि मैं तो आगरा आया था सोचा कि आगरा तक तो आया हूं अतः मथुरा भी होता चलूं। दर्शन वगैरा हो जाएंगे वैसे कोई खास प्रयोजन तो था नहीं।
 मैंने उनसे कहा कि आपका तो बिना किसी प्रयोजन सिर्फ घूमने फिरने के लिए आना हुआ और जनता को कितनी परेशानी हो रही है। इसका अंदाजा है आपको? तीन दिन से तमाम रास्तों को बंद करके फ्लीड की रिहर्सल हो रही है। हजारों लोगों की परेशानी के अलावा पूरे प्रशासन की ताकत इस प्रोटोकॉल के चक्कर में लगी हुई है। क्या यह उचित है? ऐसी स्थिति में आप क्या सोचते हैं? मेरा इतना कहना हुआ कि शंकर दयाल जी ने अपना माथा ठोकते हुए कहा कि मैंने यहां आकर बहुत बड़ा गुनाह कर दिया। अब मैं मथुरा कभी नहीं आऊंगा। उनके तेवरों से जिलाधिकारी हरिकृष्ण पालीवाल के चेहरे की हवाइयां उड़ने लगी और पुलिस अधीक्षक हरिश्चंद्र सिंह जो मजाकिया स्वभाव के थे, मुंह पर हाथ रखकर अपनी हंसी को दबाने का प्रयास करने लगे तथा रविकांत गर्ग भी एकदम किकर्तव्य मूढ स्थिति में पहुंच गए। रविकांत जी शंकर दयाल जी के साथ आगरा से मथुरा हेलीकॉप्टर में ही आए थे।
 शंकर दयाल जी का मूड एकदम ऑफ हो गया और वे वृंदावन जाने के लिए उठ खड़े हुए। इसके बाद एक गाड़ी में शंकर दयाल जी और रविकांत जी बैठे तथा दूसरी गाड़ी में शंकर दयाल जी की धर्मपत्नी श्रीमती विमला शर्मा व रविकांत जी की धर्मपत्नी श्रीमती मीरा गर्ग बैठीं और वृंदावन के लिए उनका काफिला निकल गया। पूरे रास्ते भर शंकर दयाल जी ने रविकांत जी से बस यही चर्चा की कि मैंने बहुत बड़ा गुनाह कर दिया मथुरा आकर अब कभी नहीं आऊंगा। यह बात मुझे बाद में रविकांत जी ने बताई।
 इस घटना के कुछ माह बाद शंकर दयाल जी राष्ट्रपति बन गए। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद गिर्राज जी मंदिर के पुरोहित जो शंकर दयाल जी से परिचित थे, गिर्राज जी की प्रसादी आदि लेकर शंकर दयाल जी के पास राष्ट्रपति भवन गए और गिर्राज जी आने का निमंत्रण दिया। शंकर दयाल जी ने फिर वही प्रसंग छेड़ दिया और कहा कि मथुरा में एक पत्रकार ने मुझसे इस प्रकार की बात कह दी जिससे मेरा मन बहुत दुःखी है। अब तो मेरा मथुरा आने का कतई मन नहीं है।
 यह बात मुझे यौं पता चली कि गिर्राज जी के पुरोहित का पुत्र व हमारे बड़े भाई सीताराम जी वृंदावन स्थित स्टेट बैंक में साथ-साथ कार्यरत थे। भाई साहब के सहकर्मी ने यह पूरा वृतांत बैंक में सभी को सुनाया। शंकर दयाल जी बहुत भावुक, धार्मिक और संवेदनशील व्यक्ति थे उन्हें मेरी बात जो प्रोटोकॉल के विपरीत थी, का अखरना स्वाभाविक था। किंतु सवाल यह है कि ये वी.वी.आई.पी. व्यवस्था और प्रोटोकॉल जनता को सताने के लिए ही हैं क्या?
 अब राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू पधार रही हैं। प्रदेश के आला अफसर यहां डेरा डाले हुए हैं। जिला प्रशासन की पूरी शक्ति झोंक दी गई है। केंद्र और सेना के उच्चाधिकारी भी यहां आकर मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सारे राजकाज बंद हैं। जनता त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही है। मथुरा वृंदावन को नो फ्लाइंग जोन घोषित कर दिया गया है न कोई जहाज उड़ेगा यहां के आसमान से न ड्रोन। और तो और गुब्बारे या पतंग उड़ाना भी जुर्म है। जबकि वे स्पेशल रेलगाड़ी से मथुरा आ रही हैं हेलीकॉप्टर से नहीं। क्या अजीब तमाशा है? ऐसा लगता है कि इनका बस चले तो नो फ्लाइंग जोन पक्षियों पर भी लागू कर दें और जो भी पक्षी आसमान में उड़ता दिखाई दे उसे गोली मारने के आदेश हों। न तो मुझे शंकर दयाल जी से कोई विरोध और न ही द्रौपदी मुर्मू से कोई शिकायत किंतु यह जो व्यवस्था है वह सामंती जमाने के अन्याय और अत्याचारों की सीमाओं को भी लांघ रही है। यह सब देखकर तो मेरे तन बदन में आग सी लग जाती है। मेरा मानना है कि यह वी.वी.आई.पी. कल्चर हमारे देश का सबसे बड़ा दुश्मन है। हे भगवान इससे कब मुक्ति मिलेगी?

कुराश की ऑलओवर चैम्पियनशिप पर परमेश्वरी देवी धानुका विद्यालय का कब्जा

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-37वीं क्षेत्रीय जूडो एवं कुराश प्रतियोगिता में खिलाड़ियों ने दिखाया दम

-विद्यालय के छात्रों ने जीते 22 स्वर्ण, 12 रजत और एक कांस्य पदक

वृंदावन। परमेश्वरी देवी धानुका सरस्वती विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल के छात्रों ने विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा सरस्वती विद्या मन्दिर, शामली में आयोजित 37वीं क्षेत्रीय जूडो एवं कुराश प्रतियोगिता में उत्साह पूर्वक भाग लेते हुए कुराश की ऑल ओवर चैम्पियनशिप पर विद्यालय ने कब्जा किया। इस प्रतियोगिता में कुल 36 खिलाड़ियों ने प्रतिभागिता करते हुए 22 स्वर्ण, 12 रजत और एक कांस्य पदक प्राप्त किए।
विद्यालय के क्रीड़ा प्रमुख रविन्द्र सिंह ने बताया कि जूडो के अंडर-14 वर्ग में विपिन, प्रशांत पाण्डेय और शिवराज ने, अंडर-17 वर्ग में यशवर्धन और अंडर-19 वर्ग में आर्यन ने प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक प्राप्त किया। जूडो में ही विभिन्न भार वर्गों में मोहित, आयुष, त्रिलोकीनाथ गौतम, कृष्णा गौतम, सुदेश, वरुण और ईशांत ने द्वितीय तथा गौरव ने तृतीय स्थान प्राप्त कर रजत एवं कांस्य पदक प्राप्त किए।
कुराश के अंडर-14 वर्ग में कृष्णा उपाध्याय, विवेक, तनुज, लक्ष्मण, देवराज, सचिन शर्मा तथा चेतन चौधरी ने प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक हासिल किए एवं इसी आयु वर्ग में लक्ष्मीकांत ने द्वितीय स्थान प्राप्त कर रजत पदक हासिल किया। कुराश के ही अंडर-17 वर्ग में कुश पांडे, विजय सिंह, नरेंद्र, अनुज, अवधेश तथा पुनीत ने प्रथम स्थान और हेमंत ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। कुराश के अंडर-19 वर्ग में प्रांशु माहेश्वरी, ऋषभ, विनीत और सचिन सिंह राजावत ने प्रथम स्थान और अभिमन्यु व आदर्श ने द्वितीय स्थान पर रहकर स्वर्ण व रजत पदक प्राप्त किए।
जूडो के अंडर-14 वर्ग में प्रथम चैंपियनशिप और अंडर-19 वर्ग में द्वितीय चैंपियनशिप प्राप्त की तथा कुराश के तीनों आयु वर्गों में प्रथम चैंपियनशिप प्राप्त की साथ ही कुराश की ऑल ओवर चैंपियनशिप पर विद्यालय ने कब्जा जमाया। इस प्रकार 22 स्वर्ण, 12 रजत और एक कांस्य पदक सहित कुल 35 पदक प्राप्त करके विद्यालय को गौरवान्वित किया।
प्रभारी रविन्द्र सिंह ने बताया कि प्रथम स्थान प्राप्त कर्ता खिलाड़ी 23 अक्टूबर को भोपाल में आयोजित अखिल भारतीय कुराश एवं जूडो प्रतियोगिताओं में पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे।
छात्रों के शानदार प्रदर्शन पर विद्यालय प्रबंधन की ओर से अध्यक्ष पद्मनाभ गोस्वामी, प्रबंधक शिवेन्द्र गौतम, कोषाध्यक्ष अशोक अग्रवाल, प्रधानाचार्य विपिन कुमार शर्मा, उप प्रधानाचार्य ओमप्रकाश शर्मा, लखन कुंतल, देवेन्द्र कुमार गौतम, ललित गौतम, अरूण दीक्षित, आभास अग्रवाल, महावीर सिंह आदि ने खिलाड़ियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीर्वाद प्रदान किया।