Thursday, June 26, 2025
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प्रोफेसर एमबी चेट्टी संस्कृति विवि में पढ़ने को मिलेंगे बड़ा कैरियर बनाने वाले कोर्स

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में समय और इंडस्ट्री की मांग के अनुसार नए नए पाठ्यक्रमों को तैयार कर उन्हें लागू किया जा रहा है। ये पाठ्यक्रम विद्यार्थियों के भावी भविष्य का निर्माण करने में बहुत सहायक सिद्ध होंगे।
संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एमबी चेट्टी ने जानकारी देते हुए बताया कि विवि में कंप्यूटर साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी और मशीन लर्निंग पाठ्यक्रमों के अलावा बी टेक और बीसीए के विद्यार्थियों को डाटा साइंस एंड बिजनेस एनालिटिक, फुल स्टेक डेवलपमेंट कोर्स भी पढ़ने को मिल रहे है।
प्रोफेसर चेट्टी ने विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि 12वीं के बाद विद्यार्थी 4 साल के बी. टेक इन डेटा साइंस, 3 साल के बीसीए या बीएससी इन डेटा साइंस जैसे कोर्सेस में एडमिशन ले सकते हैं। इनके अलावा, डेटा साइंस में सर्टिफिकेट कोर्स भी किया जा सकता है। इन कोर्सेस के जरिए विद्यार्थी डेटा का इस्तेमाल और डेटा एनालिसिस करने के लिए जरूरी टूल्स और टेक्नीक्स सीख सकते हैं। डेटा साइंटिस्ट के तौर पर विद्यार्थी कठिन डेटा सेट को एनालाइज करके ट्रेंड्स पहचान सकते हैं, अनुमानित करने वाले मॉडल बना सकते हैं और निर्णय लेने के लिए जरूरी इनसाइट्स प्रदान कर सकते हैं।
इसी प्रकार क्लाउड एंड साइबर सिक्युरिटी कोर्स
बदलती तकनीकी दुनिया में विद्यार्थी अपना करियर बना सकते हैं। आज के समय में, तकनीकी ज्ञान और सुरक्षा क्षेत्र में उच्च स्तर का क्लाउड कम्प्यूटिंग और साइबर सिक्युरिटी कोर्स आज के समय में जरूरी हैं और ये करियर को एक नई दिशा में ले जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि क्लाउड कम्प्यूटिंग का मतलब होता है डेटा और सॉफ़्टवेयर को इंटरनेट के माध्यम से अपने सर्वरों पर नहीं बल्कि दूसरे सर्वरों पर संग्रहित करना।यह कई अन्य व्यवसायों और व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं के लिए एक मजबूत और सुरक्षित विकल्प है। यह कई उपयोग क्षेत्रों में अपनाया जा रहा है, जैसे कि वेब होस्टिंग, डेटा कलेक्शन, और साइबर सुरक्षा के लिए। साइबर सुरक्षा एक प्रक्रिया और तकनीक है जिसका उद्देश्य सिस्टम, नेटवर्क, और डेटा को सुरक्षित रखना होता है, ताकि ऑनलाइन साइबर हमलों से बचा जा सके। यह साइबर हमलों के खतरों से बचाव के लिए कई तरीकों का अध्ययन करता है, जैसे कि फ़ायरवॉल्स, वायरस स्कैनिंग, और उपयोगकर्ता प्रशिक्षण इत्यादि। क्लाउड कम्प्यूटिंग और साइबर सिक्युरिटी के क्षेत्र में अच्छे अवसर हैं। इन क्षेत्रों में नौकरियों की मांग बढ़ रही है और विद्यार्थियों के पूरे करियर को बना सकते हैं।आज के समय में हमारा जीवन तकनीकी माध्यमों पर निर्भर है। क्लाउड कम्प्यूटिंग और साइबर सिक्योरिटी को जानकर विद्यार्थी नवाचारिक और सुरक्षित तरीके से तकनीकी माध्यमों का उपयोग करसकते हैं।
प्रोफेसर चेट्टी ने बताया कि
फुल स्टैक डेवलपमेंट कोर्स एक ऐसा प्रोग्राम है जो फ्रंट-एंड और बैक-एंड वेब डेवलपमेंट दोनों के बारे में सिखाता है। यह कोर्स आपको वेब एप्लिकेशन के दोनों पहलुओं – यूजर इंटरफेस (फ्रंट-एंड) और सर्वर-साइड लॉजिक और डेटाबेस (बैक-एंड) – को विकसित करने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करता है.
फुल स्टैक डेवलपमेंट कोर्स में कफ्रंट-एंड डेवलपमेंट के अंतर्गत एचटीएमएल, सीएसएस, जावा स्क्रिप्ट
और फ्रेमवर्क/लाइब्रेरी का उपयोग करके वेब एप्लिकेशन के यूजर इंटरफेस को डिजाइन और विकसित करना पढ़ाया जाता है। बैक-एंड डेवलपमेंट के अंतर्गत
सर्वर-साइड लैंग्वेज (जैसे कि पाइथन, नो.जेएस, पीएचएस, रुबी), डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम और वेब सर्वर का उपयोग करके एप्लिकेशन के बैक-एंड को विकसित करना पढ़ाया जाता है। फुल स्टैक कोर्स में, आप वेब डेवलपमेंट के हर पहलू को सीख सकते हैं, जिससे आपको एक बहुमुखी डेवलपर बनने में मदद मिलती है। फुल स्टैक डेवलपर्स की मांग अधिक होती है क्योंकि वे वेब एप्लिकेशन के सभी पहलुओं को संभाल सकते हैं.
एक व्यक्ति कंप्यूटर के साथ मेज पर बैठा है और फिनटेक में एआई का विश्लेषण कर रहा है।कृत्रिम बुद्धिमत्ता फिनटेक क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में उभरी है, जिसने वित्तीय सेवाओं को वितरित करने और उपभोग करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव किया है। वित्तीय सेवा उद्योग में एआई की भूमिका स्वचालन से परे है, यह विश्वास, गति और बुद्धिमत्ता में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है।
उन्होंने बताया कि वित्तीय क्षेत्र में एआई का प्रभाव दूरगामी है, जो उद्योग को उसके मूल में बदल रहा है। आँकड़ों की मदद से, हम फिनटेक में एआई अपनाने की वर्तमान स्थिति के बारे में मूल्यवान जानकारी प्राप्त करते हैं और इस सहजीवी संबंध के भविष्य की झलक पाते हैं। हाल के वर्षों में फिनटेक उद्योग ने विस्फोटक वृद्धि का अनुभव किया है, जिसमें एआई ने इस विस्तार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वैश्विक फिनटेक बाजार वर्तमान में 340.1 बिलियन डॉलर का है। वहीं, फिनटेक में एआई का बाजार मूल्य 44.08 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है। 2.9% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर के साथ, वित्तीय प्रौद्योगिकी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की हिस्सेदारी अगले पाँच वर्षों में 50 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
प्रोफेसर चेट्टी का कहना है कि संस्कृति विश्विद्यालय में इन सभी उपयोगी विषयों को योग्य और अनुभवी शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जा रहा है।

चित्र परिचय: संस्कृति एफएम की टीम ग्रामीणों को संचारी रोगों के प्रति जागरूक करते हुए।

मथुरा। भारत सरकार के सहयोग से स्मार्ट एनजीओ एवं संस्कृति यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधित्व में रेडियो संस्कृति 91.2 एफएम ने मथुरा जिले के प्रत्येक गाँव में संक्रामक रोगों (संचारी रोग) को लेकर जन-जागरूकता अभियान की शुरुआत की है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य “मथुरा विजन” के तहत ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को संक्रामक रोगों के प्रति सचेत करना और उनकी रोकथाम हेतु जरूरी जानकारी पहुँचाना है।
इस अभियान के प्रथम चरण में संस्कृति यूनिवर्सिटी के संरक्षण में संचालित संस्कृति आयुर्वेदिक हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज की विशेषज्ञ टीम तथा रेडियो संस्कृति की टीम ने मथुरा के नगला बिरगा गाँव का दौरा किया।
गाँव में मौजूद ग्रामीण जनों को सरल भाषा में बताया गया कि संक्रामक रोग कैसे फैलते हैं, इनसे कैसे बचा जा सकता है, और कौन-कौन से घरेलू व वैज्ञानिक उपाय अपनाकर स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है। साथ ही, वहां मौजूद चिकित्सा विशेषज्ञों ने मुफ्त स्वास्थ्य परामर्श भी प्रदान किया।
संस्कृति यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने बताया कि इस अभियान को आगे और भी गाँवों तक पहुँचाया जाएगा, ताकि मथुरा का हर नागरिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बन सके। रेडियो संस्कृति 91.2 एफएम इस अभियान को नियमित रूप से प्रसारित करेगा ताकि जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचे।
यह अभियान न केवल स्वास्थ्य जागरूकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह ग्रामीण भारत के सशक्तिकरण की दिशा में भी एक प्रेरणास्पद प्रयास है।

गंगा दशहरा के पावन अवसर पर भगवान परशुराम शोभायात्रा समिति के द्वारा मिल्क रोज की प्याऊ लगाई गई।

गंगा दशहरा के पावन अवसर पर भगवान परशुराम शोभायात्रा समिति के द्वारा मिल्क रोज की प्याऊ लगाई गई।
शहर के चौक बाजार जीवी प्लाजा पर परशुराम शोभायात्रा समिति के कार्यालय पर श्रद्धालुओं के लिए मिल्क रोज वितरण किया गया।
गर्मी के मौसम को देखते हुए ठंडक प्रदान करते हुए समिति ने इस प्याऊ का आयोजन किया जिसमें संरक्षक संस्थापक पंडित मनोज शर्मा,राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित रामगोपाल शर्मा,महामंत्री बंसीलाल शर्मा , सचिव राकेश गौड़ , संजय पिपरिया, लब्बू पंडित जी एवं कोषाध्यक्ष प्रेम बिहारी शास्त्री समस्त टीम के साथ उपस्थित रहे।
यह आयोजन पिछले 25 साल से लगातार कराया जा रहा है।

मोरक्कोमेंईदपरबकरोंकीहत्याप्रतिबंधिततोभारतमेंक्योंनहीं?

 मथुरा। मुस्लिम देश मोरक्को में ईद पर बकरों की हत्या प्रतिबंधित कर दी गई है, तो भारत में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? विश्व के अन्य सभी देशों को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। भारत को भी इसका अनुसरण करते हुए इन बेजुबान बेकसूर और निरीह प्राणियों की रक्षा करने का साहसिक एवं मानवीय कदम उठाकर मोरक्को की तरह मिसाल कायम करनी चाहिए।
 मोरक्को के राजा सुल्तान मोहम्मद ने ऐतिहासिक साहसिक एवं मानवीय कदम उठाते हुए ईद पर बकरों के कटान वाली इस्लामी परंपरा जिसे कुर्बानी कहा जाता है, को रद्द कर दिया है। सुल्तान मोहम्मद ने आर्थिक, पर्यावरण एवं स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर यह अभिनंदनीय कदम उठाया है। उनके इस फरमान के बाद पूरे मोरक्को में बकरों की खोज में छापेमारी शुरू हो गई है तथा जगह-जगह बकरों को जब्त किया जा रहा है जिससे हड़कंप मच गया है। वहां के कट्टरपंथी लोग इस कदम को अपमानजनक और मुसलमान की धार्मिक स्वतंत्रता व अधिकारों का हनन बताते हुए हाय तौबा मचा रहे हैं।
 जब 99% मुस्लिम वाले देश में इस कुप्रथा पर रोक लगाई जा सकती है तो हमारे देश में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? इन निरीह प्राणियों की हत्या को भले ही मुसलमान कुर्बानी का नाम दें या हिंदू बलि कहें, यह बिल्कुल गलत है। कुर्बानी अपनी स्वयं की होती है। इसी प्रकार बलिदान से बलि शब्द बना है। बलिदान भी अपना होता है। अगर किसी को कुर्बान होना है या बलिदान होना है तो स्वयं को अल्लाह या देवी देवताओं के आगे समर्पित करके अपने खुद के धड़ से सर को अलग करवा देना चाहिए न कि इन निरीह प्राणियों की गर्दन पर गड़सा चलवा कर।
 मोरक्को के राजा ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला भी एकदम सही दिया है। मांसाहार स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। एक छोटा सा उदाहरण देता हूं। एक मरे हुए चूहे या अन्य किसी जानवर को डिब्बे में बंद करके रख दो और उसी प्रकार किसी सब्जी फल या अन्य शाकाहारी वस्तु को डिब्बे में बंद करके रख दो। इसके दो-चार दिन बाद दोनों डिब्बों को खोलो, तो जानवर वाले डिब्बे में इतनी भयंकर दुर्गंध निकलेगी कि आसपास खड़ा भी नहीं हुआ जाएगा किंतु शाकाहारी वाले डिब्बे को खोलने पर उसमें दुर्गंध नहीं निकलेगी सिर्फ फफूंद दिखाई देगी।
 हमारे पेट में जो भी भोजन जाता है वह हफ्ते दस दिन तक नलियों में छोटे-छोटे कणों के रूप में रुका रहता है। इसी बात से अंदाजा लगा लो कि जब पेट के अंदर इतनी सड़न और दुर्गंध रहेगी तो गंभीर बीमारियों का प्रकोप नहीं होगा क्या? और ज्यादा क्या कहूं सिर्फ इतना ही कहूंगा कि किसी निर्दोष प्राणी की हत्या करना और उसे मारकर खा जाना संसार की सबसे बड़ी पैशाचिकता है। यदि हम मनुष्य जीवन पाकर भी पिशाच बनें तो इससे अच्छा तो यह है कि हमें पिशाच योनि में जन्म मिलता तो अच्छा रहता।

भावी दंत चिकित्सकों को दी आधुनिक जांच और उपचार की जानकारीके.डी. डेंटल कॉलेज में आयोजित सीडीई में डॉ. सलोनी मिस्त्री ने साझा किए अनुभव


मथुरा। भावी दंत चिकित्सकों को डिजिटल कार्य वातावरण से अवगत कराने तथा व्यावहारिक कारीगरी में गहरी समझ पैदा करने के उद्देश्य से के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में तीन दिवसीय सीडीई का आयोजन किया गया। प्रो. (डॉ.) सलोनी मिस्त्री प्रमुख डॉ. जी.डी. पॉल फाउंडेशन, वाईएमटी डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल, नवी मुंबई ने दंत चिकित्सकों को बताया कि आकर्षक संयोजन डेंटल टेक्नोलॉजी की विविध और बहुआयामी पेशेवर यात्रा की तलाश करने वाले युवाओं के लिए एक शानदार विकल्प है।
प्रोस्थोडॉन्टिक्स में परम्परा और नवाचार पर आयोजित तीन दिवसीय सीडीई के पहले दिन प्रो. (डॉ.) सलोनी मिस्त्री ने प्रोस्थोडॉन्टिक्स के स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं को सीपीडी के माध्यम से पारम्परिक से लेकर डिजिटल लीप तक की जानकारी दी। उन्होंने भावी दंत चिकित्सकों को सीपीडी डिजाइनिंग पर प्रदर्शन और परीक्षा उन्मुख दृष्टिकोण के साथ रोगी कास्ट पर सीपीडी के सर्वेक्षण और डिजाइनिंग पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि डिजिटल कार्य वातावरण और व्यावहारिक कारीगरी का आकर्षक संयोजन डेंटल टेक्नोलॉजी को विविध और बहुआयामी बनाता है।
प्रो. (डॉ.) सलोनी मिस्त्री ने छात्र-छात्राओं को बताया कि कई डेंटल प्रयोगशालाओं ने सदियों पुराने शिल्प कौशल को संरक्षित करने तथा डिजिटल क्षेत्र को अपनाने, परम्परा और व्यवधान के बीच सामंजस्य स्थापित करने तथा आवश्यक परिवर्तनों की आवश्यकता के साथ स्थापित मूल्यों को समेटने के बीच के नाजुक संतुलन को कुशलता से अपनाया है, जिसका लाभ दंत चिकित्सा क्षेत्र को मिल रहा है।
सीडीई के दूसरे दिन प्रो. (डॉ.) सलोनी मिस्त्री ने केस चर्चा के साथ पारम्परिक से लेकर डिजिटल एल्गोरिदम तक इंप्रेशन और इम्प्लांट प्रोस्थोडॉन्टिक्स पर व्याख्यान दिया। उन्होंने 15-15 परास्नातकों को पांच समूहों में विभाजित कर केस परिदृश्य की एक उपचार योजना प्रस्तुत की। सीडीई के तीसरे दिन प्रोस्थो, एंडो और पेडो के स्नातक तथा परास्नातक छात्र-छात्रा प्रशिक्षुओं के लिए सिरेमिक पर एक व्याख्यान आयोजित किया गया था, जिसमें सौंदर्यपूर्ण पुनर्स्थापनात्मक सामग्री के उचित विकल्प के लिए सटीक निर्णय लेने के लिए विभिन्न परिदृश्यों पर प्रकाश डाला गया। इस अवसर पर भावी दंत चिकित्सकों ने प्रो. (डॉ.) सलोनी मिस्त्री से उपयोगी केस चर्चा भी की।
के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के डीन और प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी ने प्रो. (डॉ.) सलोनी मिस्त्री का स्वागत करते हुए कहा कि उन्होंने स्नातक तथा परास्नातक छात्र-छात्राओं को दंत चिकित्सा की जो आधुनिकतम उपचार की जानकारी दी, वह भविष्य में उनका मार्गदर्शन करेगी। डॉ. लाहौरी ने कहा कि दंत चिकित्सा क्षेत्र की यांत्रिक विशेषताएं थोक सामग्री के अंतर्निहित गुणों से जुड़ी हुई हैं, मौखिक ऊतकों के साथ उनकी अंतःक्रिया सतह की विशेषताओं पर बहुत अधिक निर्भर करती है। सीडीई में के.डी. डेंटल कॉलेज के संकाय सदस्यों डॉ. अनुज गौड़, डॉ. सिद्धार्थ सिसौदिया, डॉ. जूही, डॉ. मनीष भल्ला तथा डॉ. राजीव आदि ने भी अपने-अपने अनुभव साझा किए। सीडीई के समापन अवसर पर छात्र-छात्राओं को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए।
चित्र कैप्शनः सीडीई के समापन अवसर पर प्रो. (डॉ.) सलोनी मिस्त्री के साथ स्नातक तथा परास्नातक छात्र-छात्राएं तथा संकाय सदस्य।

राजीव एकेडमी की शैक्षिक व्यवस्थाओं में आया क्रांतिकारी बदलाववातानुकूलित कक्षाएं और शैक्षिक व्यवस्थाएं लगा रहीं युवाओं के सपनों को पंख


मथुरा। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट संस्थान सिर्फ मथुरा ही नहीं समूचे उत्तर प्रदेश में अपनी विशिष्ट शिक्षा सुविधाओं तथा नवाचारी प्रयासों के लिए जाना जाता है। प्रतिवर्ष यहां के छात्र-छात्राएं शिक्षा ही नहीं रोजगार के क्षेत्र में भी अपनी मेधा का परचम फहरा रहे हैं। इसकी मुख्य वजह राष्ट्रीय शिक्षा नीति के नवाचारी प्रयासों को आत्मसात कर यहां अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राओं में नया विश्वास पैदा करना है। राजीव एकेडमी की वातानुकूलित कक्षाओं का आरामदायक और ध्यान केंद्रित करने वाला वातावरण भी छात्र-छात्राओं में नई ऊर्जा का संचार करता है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल का कहना है कि राजीव एकेडमी ने अपने स्थापना काल से ही छात्र-छात्राओं को बदलते समय के अनुरूप उच्चस्तरीय शैक्षिक सुविधाएं प्रदान की हैं। यहां अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को रटने नहीं बल्कि सीखने की सीख दी जाती है। छात्र-छात्राएं शांत वातावरण में ठंडी हवा के बीच अध्ययन करें इसके लिए एयर-कंडीशंड क्लास-रूम की व्यवस्था को मूर्तरूप दिया गया। इस बदलाव से छात्र-छात्राओं के व्यवहार और प्रदर्शन में न केवल बदलाव आया बल्कि वे पढ़ाई को लेकर ज्यादा सतर्क दिखे। डॉ. अग्रवाल का कहना है कि वातानुकूलित कक्षाओं से जहां बेहतर शैक्षणिक परिणाम मिले वहीं छात्र-छात्राओं की याददाश्त और संज्ञानात्मक कार्य में भी बहुत सुधार आया।
निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया का कहना है कि आज के प्रतिस्पर्धात्मक और सूचना क्रांति के दौर में प्रत्येक युवा राजीव एकेडमी के व्यावहारिक और व्यावसायिक माहौल में प्रवेश लेकर अपने सपनों को साकार करना चाहता है। उसे पता है कि यहां उसे हर वह सुविधा और मार्गदर्शन मिलेगा, जोकि उनकी जरूरत है। डॉ. भदौरिया का कहना है कि राजीव एकेडमी में छात्र-छात्राओं को औद्योगिक क्षेत्र के अनुरूप तैयार करने की व्यवस्थाएं जहां सुदृढ़ हैं वहीं युवा पीढ़ी को कारपोरेट जगत के तौर-तरीके और इंडस्ट्रियल ढांचे के अनुरूप नॉलेज प्रदान करने के लिए संस्थान का कम्पनी टैली, अपग्रेड, इन्फोसिस फाउण्डेशन, बजाज फिनिसर, डुकैट आदि से भी अनुबंध है।
छात्र-छात्राओं के अभिज्ञान में बढ़ोत्तरी के लिए यहां सामान्य रूप से सेमिनार तथा कार्यशालाओं के माध्यम से विषय विशेषज्ञों के अनुभवों का लाभ उन्हें दिलाया जाता है। नियमित रूप से आयोजित होने वाली कार्यशालाओं से छात्र-छात्राओं को एडवांस एक्सल, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी, मशीन लर्निंग, डिजिटल मार्केटिंग, साइबर सिक्योरिटी कम्युनिकेशन एण्ड स्किल एनहॉसमेंट आदि की गूढ़तम जानकारी मिलती है। राजीव एकेडमी में साल भर छात्र-छात्राओं को अतिथि विषय विशेषज्ञों का मार्गदर्शन भी मिलता रहता है।
शिक्षा की उच्चस्तरीय व्यवस्थाएं होने से यहां के दर्जनों छात्र-छात्राएं विभिन्न संकायों में विश्वविद्यालय स्तर पर अपनी मेधा का परचम फहरा चुके हैं। यही मेधावी भावी पीढ़ी का प्रेरणास्रोत होते हैं। तृप्ति कश्यप, सुरभि अग्रवाल जहां विश्वविद्यालय स्तर पर बीसीए में अपनी विशिष्ट छाप छोड़ चुकी हैं वहीं मनीषा गौतम ने एमएड में गोल्ड मेडल जीता है। राजीव एकेडमी में कई शासकीय प्रोजेक्टों पर भी काम होता है, जिसका लाभ विद्यार्थियों को मिलता रहता है। प्लेसमेंट की बात करें तो यहां के छात्र-छात्राओं के एक हाथ में डिग्री तो दूसरे हाथ में जॉब लेटर होता है। इस साल यहां के छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय तथा बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में उच्च पैकेज पर जॉब मिले हैं। एक छात्र का 25 लाख रुपये सालाना के पैकेज पर चयन हुआ है।
चित्र कैप्शनः वातानुकूलित कक्षा में अध्ययन करते राजीव एकेडमी के छात्र-छात्राएं।

उच्च पैकेज पर चयनित हुए राजीव एकेडमी के विद्यार्थीएच.डी.बी. फाइनेंस कम्पनी में मिला सेवा का सुनहरा अवसर


मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट के बीबीए तथा बीईकॉम के छात्र-छात्राओं ने अपनी कुशाग्रबुद्धि से प्रतिष्ठित एच.डी.बी. फाइनेंस कम्पनी में उच्च पैकेज पर सेवा का अवसर हासिल कर अपने अभिभावकों की झोली खुशी से भर दी है। चयनित छात्र-छात्राओं ने अपनी इस सफलता का श्रेय संस्थान की उच्चस्तरीय शिक्षा प्रणाली तथा गुरुजनों के मार्गदर्शन को दिया है।
ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट प्रमुख डॉ. विकास जैन ने बताया कि हाल ही में एच.डी.बी. फाइनेंस कम्पनी के पदाधिकारियों ने तीन चरणों में राजीव एकेडमी में कैम्पस प्लेसमेंट प्रक्रिया पूरी की। कम्पनी पदाधिकारियों द्वारा छात्र-छात्राओं की लिखित परीक्षा के बाद मेरिट में आए छात्र-छात्राओं का आईक्यू टेस्ट लिया गया। साक्षात्कार प्रक्रिया पूरी करने के बाद अधिकारियों ने बीबीए तथा बीईकॉम के 9 छात्र-छात्राओं को कम्पनी में सेवा का अवसर प्रदान किया। चयनित छात्र-छात्राओं में अमित चौधरी, अंश सक्सेना, गुनगुन शर्मा, हर्षित दीक्षित, खुशी रावत, सनी, यश गोस्वामी, योगेश सिंह, शिवम शर्मा आदि शामिल हैं।
चयनित छात्र-छात्राओं के नामों की घोषणा करने से पहले अधिकारियों ने बताया कि यह अग्रणी गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनी है जो भारत की बढ़ती आबादी की वित्तीय जरूरतों को पूरा करती है। कम्पनी की ओर से पर्सनल लोन, फाइनेंस होमलोन, कार लोन आदि सर्विस दी जाती है। कम्पनी की स्थापना 1960 में हुई। इसका मुख्यालय मुम्बई (महाराष्ट्र) है। अधिकारियों ने बताया कि कम्पनी की दुनिया के 1154 शहरों में 747 शाखाएं हैं। कम्पनी में 10 हजार से अधिक अधिकारी तथा कर्मचारी कार्यरत हैं।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने चयनित छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि आज के समय में फाइनेंस क्षेत्र को सुयोग्य तथा मेहनती युवाओं की बहुत मांग है। इस क्षेत्र में युवाओं को मनमाफिक जॉब मिलने से उनके करिअर को ऊंची उड़ान मिल रही है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि प्रत्येक छात्र-छात्रा के करिअर को ऊंची उड़ान देना ही राजीव एकेडमी का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया।
उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने चयनित छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कठिन परिश्रम का आह्वान किया। निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने कहा कि राजीव एकेडमी प्रत्येक छात्र-छात्रा के सर्वांगीण बौद्धिक विकास को प्रतिबद्ध है। संस्थान में बेहतर शैक्षिक वातावरण के बीच छात्र-छात्राओं को सैद्धांतिक तथा व्यावहारिक शिक्षा प्रदान की जाती है, यही वजह है कि यहां छात्र-छात्राएं शिक्षा पूरी करने से पहले ही जॉब हासिल कर लेते हैं।
चित्र कैप्शनः कैम्पस प्लेसमेंट के बाद बीबीए तथा बीईकॉम के छात्र-छात्राएं।

लानत है संपूर्ण वैश्य समाज पर

 मथुरा। हाल ही में घटित एक हृदय विधायक घटना ने मेरे मन को झकझोर कर रख दिया। उत्तराखंड में एक मित्तल परिवार के सभी सात सदस्यों ने विषपान करके अपनीं आत्महत्या कर ली। यह खबर देश भर में गूंजी। यह परिवार आर्थिक तंगी और मोटे कर्ज से त्रस्त था। मृतकों में बुजुर्गों से लेकर बच्चे तक सभी शामिल थे।
 मैं सोचता हूं कि महाराजा अग्रसेन जी के वे उपदेश कहां गए कि आपस में एक दूसरे का सहारा बनो। कहां गई उनकी एक ईंट और एक रुपए वाली शुरू की गई परंपरा। वैश्य समाज जिसकी गणना उदारता के साथ दान पुण्य धर्म-कर्म आदि परमार्थी कार्यो में आस्था रखने वाली बिरादरी में होती आई है। आज वही वैश्य वर्ग किस स्थिति में आ पहुंचा? यह सब देखकर मन व्यथित है। एक ओर तो महाराजा अग्रसेन जी की शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं। जगह-जगह उनकी मूर्तियां स्थापित की जाती हैं और दूसरी ओर उनके आदर्शों और उपदेशों को पैरों से रोंदा जा रहा है। यह सब देखकर अग्रसेन जी की आत्मा भी रोती होगीं। लानत है संपूर्ण वैश्य समाज पर।
 मैंने सुन रखा है कि पुराने जमाने में वैश्यों में यदि कोई दिवालिया हो जाता तो सभी लोग मिलकर एक ईंट और एक रुपया देकर उसे संभाल लेते, पर आज की स्थिति एकदम विपरीत है। अब तो यदि सगा भाई भी आर्थिक तंगी में जकड़ा हुआ हो तो भी दूसरा संपन्न भाई उसकी तरफ मुंह करके देखता भी नहीं। उसके भांय तो कल मरता हो तो आज मर जा और आज मरता हो तो अभी मर जा। उसके ऊपर कोई असर नहीं।
 अब मैं आता हूं अपने मन की बात पर। मेरी सोच तो यह है कि भले ही कोई भाई हो या रिश्तेदार अथवा जात बिरादरी का, इससे कोई फर्क नहीं। बल्कि मेरा मानना तो यह है कि कोई गैर जात का हो या फिर किसी गैर योनि का ही क्यों न हो। गैर योनि से मेरा अभिप्राय है कि पशु पक्षी या किसी भी प्रजाति का प्राणी क्यों न हो हम लोगों को हर ऐसे जीव की मदद करनी चाहिए जो दुःखी हो, केवल मानव जाति का ही ठेका नहीं। मैंने भागवत में पढ़ा है कि कीड़े मकोड़े तक में पुत्रवत भाव रखना चाहिए।
 आज जो लोग मदान्ध होकर मौज मस्ती में इतने डूब चुके हैं कि उन्हें सिवाय अपना ही अपना दिखाई देने के अलावा और कुछ नहीं दिख रहा। आगे आने वाले समय में उनकी भी दुर्गति होनी सुनिश्चित है। भले ही अल्प समय के बाद हो या दीर्घकाल के बाद। हो सकता है अभी उनके बकाया पुण्य क्षींण नहीं हुए हों। तो फिर अगले जन्म में सही पर करनीं का फल जरुर मिलेगा, यह सुनिश्चित है। अभी भी जाग जाओ और चौरासी लाख योनियों के बाद मिली मनुष्य रूपी इस अनमोल धरोहर का सदुपयोग कर लो वर्ना "अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गईं खेत" अर्थात सिवाय हाथ मलने के और कुछ शेष नहीं रहेगा।

जीएलए विश्वविद्यालय के छात्रों को थाइलैंड में इंटर्नशिप का अवसर

बीटेक कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के दो होनहार फिरोजाबाद निवासी छात्र अनुराग पाठक पुत्र प्रवीन कुमार पाठक और मथुरा निवासी छात्रा हर्षदा अग्रवाल पुत्री अनूप अग्रवाल को थाईलैंड के किंग मोंगकुट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी लाडक्राबैंग में प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय इंटर्नशिप के लिए चयनित किया गया है। यह कार्यक्रम शैक्षणिक सत्र 2024-2025 के दौरान 4 जून से 31 जुलाई 2025 तक आयोजित किया जाएगा।


-जीएलए के छात्रों को विनिमय कार्यक्रम के तहत मिली वैश्विक शोध की सौगात
जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रगाढ़ संबंध विद्यार्थियों को भरपूर शैक्षणिक और रोजगारपरक लाभ दिलाने में कामयाब हो रहे हैं, जो कि जीएलए के लिए गर्व का क्षण है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों के तहत बीटेक कम्प्यूटर साइंस के दो छात्रों को थाइलैंड में इंटर्नशिप का अवसर मिला है।

इंटर्नशिप केएमआइटीएल के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में एसोसिएट प्रोफेसर डा. रतचाई चावुथाई के मार्गदर्शन में सम्पन्न होगी। यह कार्यक्रम जीएलए विश्वविद्यालय के शैक्षणिक पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा है, जो कि छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यावहारिक अनुभव, तकनीकी समझ और नवाचार आधारित सीखने के अवसर प्रदान करेगा।

यह उपलब्धि जीएलए विश्वविद्यालय और केएमआइटीएल थाईलैंड के बीच हुए एकेडमिक कोलॉबोरेशन एमओयू और स्टूडेंट एक्सचेंज फ्रेमवर्क के अंतर्गत संभव हुई है, जिसका उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों को वैश्विक मंच पर अकादमिक आदान-प्रदान, शोध सहयोग और व्यावसायिक विकास का अवसर देना है।

इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम का समन्वय डीन इंटरनेशनल रिलेशन एंड एकेडमिक कोलॉबोरेशन प्रो. दिलीप कुमार शर्मा और कम्प्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. राहुल प्रधान द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस इंटर्नशिप के माध्यम से अनुराग और हर्षदा को थाईलैंड के शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में से एक में कार्य करने का अवसर मिलेगा, जो उनके शैक्षणिक और करियर विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

जीएलए के कुलपति प्रो. अनुप गुप्ता, सीईओ नीरज अग्रवाल, सीएफओ विवेक अग्रवाल, कुलसचिव अशोक कुमार सिंह, डीन एकेडमिक प्रो. आशीष शर्मा, डीन आईटी प्रो. अशोक भंसाली, डीएसडब्लू डा. हिमांशु शर्मा ने दोनों छात्रों को इस विशिष्ट उपलब्धि के लिए बधाई दी है और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। विश्वविद्यालय प्रशासन ने आशा व्यक्त की है कि यह अवसर छात्रों के लिए अनेक वैश्विक संभावनाओं के द्वार खोलेगा और आने वाले वर्षों में और अधिक छात्र इस प्रकार के अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेकर देश और संस्थान का नाम रोशन करेंगे।

इनसेट बॉक्स

ताइवान में जीएलए के प्रोफेसर शोध कार्यक्रम में करेंगे प्रतिभाग

जीएलए यूनिवर्सिटी, मथुरा और इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स, एकेडेमिया सिनीका, ताइवान के बीच हुए अंतरराष्ट्रीय समझौता (एमओयू) के अंतर्गत एक फैकल्टी एक्सचेंज प्रोग्राम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत जीएलए भौतिक विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर रिसर्च डा. मनोज कुमार सिंह 3 जून से 27 जून 2025 तक ताइवान में संयुक्त अनुसंधान कार्य और सहयोग बैठक में भाग लेंगे। इस पहल का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर शैक्षणिक सहयोग और अनुसंधान नवाचार को बढ़ावा देना है। जीएलए यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने इस उपलब्धि के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं शैक्षणिक सहयोग कार्यालय के प्रयासों की सराहना की है। भविष्य में भी इसी प्रकार के अनेक फैकल्टी व स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम इनके समन्वय से आयोजित किए जाएंगे। यह कदम जीएलए यूनिवर्सिटी की वैश्विक शैक्षणिक उपस्थिति को और अधिक मजबूत करेगा।

जीएल बजाज के छात्र-छात्राओं ने एनएसआईसी में सीखे उद्यमिता के गुरशैक्षिक भ्रमण से लौटकर बताईं बिजनेस इंक्यूबेशन सेण्टर की खूबियां


मथुरा। नवाचार, स्टार्टअप विकास और उद्यमशीलता की गहरी समझ को बढ़ाने के उद्देश्य से विगत दिवस जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के एमबीए तथा इनोवेशन सेल से जुड़े छात्र-छात्राओं को नई दिल्ली के ओखला स्थित नेशनल स्मॉल इंडस्ट्रीज़ कॉरपोरेशन (एनएसआईसी) तथा बिजनेस इंक्यूबेशन सेण्टर ले जाया गया। इस शैक्षिक भ्रमण में छात्र-छात्राओं ने विशेषज्ञों से उद्यमिता के गुर सीखने के साथ ही कम पूंजी में स्वयं का उद्योग लगाने के गुर भी सीखे।
शैक्षणिक भ्रमण में छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन डॉ. शशि शेखर (वाइस प्रेसीडेंट- इनोवेशन एवं इंक्यूबेशन) तथा डॉ. भारती मेघानी ने किया। इन्होंने छात्र-छात्राओं का न केवल मार्गदर्शन किया बल्कि उन्हें बिजनेस इंक्यूबेशन के विभिन्न पहलुओं, स्टार्टअप विकास प्रक्रियाओं तथा एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) सहायता रणनीतियों से भी परिचित कराया। इस शैक्षणिक भ्रमण में छात्र-छात्राओं को सरकारी योजनाओं तथा नवाचार आधारित व्यावसायिक मॉडलों की प्रत्यक्ष जानकारी भी मिली, जिससे उन्हें नवाचार-आधारित करियर और उद्यमशीलता की दिशा में काम करने का अवसर मिलेगा। डॉ. शशि शेखर का कहना है कि यह पहल संस्थान के व्यापक उद्देश्य का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य रचनात्मकता, व्यावहारिक शिक्षा और उद्योग से जुड़ाव को बढ़ावा देना है।
संस्थान की निदेशक प्रो. (डॉ.) नीता अवस्थी ने कहा कि आज के समय में नवाचार-प्रेरित पहलों तथा अनुभवजन्य शिक्षा बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के शैक्षिक दौरे अकादमिक अध्ययन और वास्तविक दुनिया के उद्यमशील अनुभवों के बीच की खाई को पाटने में भी सहायक होते हैं। ये छात्र-छात्रआओं को पाठ्यपुस्तकों से आगे जाकर स्टार्टअप इकोसिस्टम, सरकारी सहायता तंत्र और सतत व्यवसाय विकास में नवाचार की भावना को समझने का अवसर देते हैं। प्रो. अवस्थी ने कहा कि जीएल बजाज का उद्देश्य नौकरी चाहने वालों की बजाय नौकरी देने वालों को तैयार करना है।
प्रो. अवस्थी ने कहा कि शैक्षिक भ्रमण युवाओं को सीखने और रोमांच का एक अनूठा मिश्रण प्रदान करते हैं, जो वास्तविक दुनिया के अनुभवों के साथ अकादमिक अंतर्दृष्टि को जोड़ते हैं। ये भ्रमण पारम्परिक कक्षा सेटअप से परे जाते हैं, जिससे छात्र-छात्राओं को उनके द्वारा पढ़े जाने वाले विषयों के बारे में व्यापक दृष्टिकोण और गहरी समझ प्राप्त करने का मौका मिलता है। शैक्षिक भ्रमण में अक्सर समूह गतिविधियां शामिल होती हैं जिनमें टीमवर्क, संचार और सहयोग की आवश्यकता होती है। छात्र-छात्राएं एक साथ काम करना, ज़िम्मेदारियां साझा करना और एक-दूसरे का समर्थन करना सीखते हैं, जिससे उनके सामाजिक कौशल में वृद्धि होती है और अपने साथियों के साथ मज़बूत संबंध बनते हैं। ये अनुभव उन्हें संघर्ष समाधान और नेतृत्व कौशल भी सिखाते हैं, जो जीवन के सभी क्षेत्रों में मूल्यवान हैं। शैक्षिक भ्रमण छात्रों को सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक स्थितियों में लागू करने का अवसर प्रदान करते हैं।
चित्र कैप्शनः नेशनल स्मॉल इंडस्ट्रीज़ कॉरपोरेशन का शैक्षिक भ्रमण करते जीएल बजाज के छात्र-छात्राएं