वृंदावन। राष्ट्रभाषा हिंदी हमारी संस्कृति की एकता का प्रतीक व गौरव का पर्व है। इन्हीं भावों को छात्रों में स्थानांतरित करने के उद्देश्य से वृंदावन पब्लिक स्कूल में हिंदी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की गई lकार्यक्रम की शुरुआत विद्या की देवी मां सरस्वती के कर-कमलों में श्रद्धा व समर्पण के साथ श्लोक से हुई । शिक्षिका अंजना शर्मा के निर्देशन में हिंदी भाषा को समर्पित गीत हिंदी भाषा राष्ट्र की भाषा, प्रजातंत्र के शास्त्र की भाषा से हुई। जिसने समस्त वातावरण को हिंदी मय कर दिया। कार्यक्रम में कक्षा 6 के छात्र लव द्वारा एक विचार प्रस्तुत किया गया जिसमें हिंदी भाषा का महत्व परिलक्षित हुआ। साथ ही छात्रा परी ने हिंदी की दुर्दशा पर सस्वर कविता वाचन किया। हिंदी शिक्षिका पार्वती शर्मा के मार्गदर्शन में एक लघु नाटिका का मंचन हुआ जिसका उद्देश्य छात्रों में हिंदी के प्रति प्रेम जगाना था। नाटिका में आल्या, नव्या गौतम शर्मिष्ठा व मोहित तिवारी ने अपने संवाद व अभिनय से सभी को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया। मेघा शर्मा व पार्वती शर्मा के निर्देशन में दोहावली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें छात्रों ने तुलसी, रहीम, कबीर, रैदास आदि भक्ति काल के कवियों के दोहों का सस्वर वाचन कर समस्त वातावरण को भक्तिमय कर दिया। कक्षा 9 से 12 वर्ग में पात्र -अभिनय’ नामक प्रतियोगिता का मंचन किया गया। जिसमें शकुनि व दुर्योधन के रूप में सक्षम वर्मा व घनश्याम मुद्गल, गांधारी व कुंती के रूप में खुशी अग्रवाल व भूमि, कृष्ण व अर्जुन के रूप में सौरभ भारद्वाज व प्रथमेश ने अपनी भाव भंगिमाओं से समस्त पात्रों को मंच पर जीवंत कर दिया। प्रतियोगिताओं में निर्णायक मंडल की भूमिका प्रियदर्शनी आचार्य, डॉक्टर अनीता चौधरी, मनोज सारथी व पार्वती शर्मा ने निभाई। डॉ अनीता चौधरी ने आभार जताया। इस अवसर पर विद्यालय के निदेशक डॉ ओम जी ने भी अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की तथा प्रधानाचार्य कृति शर्मा ने कहा कि हम चाहे कितनी भी ऊंचाई पर हो पर जडें हमारी जमीन में ही होनी चाहिए। वैसे ही वर्तमान में हम करियर को दृष्टिगत रखते हुए अंग्रेजी शिक्षा में पठन-पाठन कर रहे हैं परंतु हमें हिंदी को भी नहीं भूलना चाहिए। संचालन दिशि गोस्वामी, प्रिया अग्रवाल, आयुष्मान व कृतिका अग्रवाल ने किया।
मथुरा। कम उमर में ही अपने शिव भक्ति से ओतप्रोत हर हर शंभू…गीत से लोगों के दिलों को झकझोरने वाली आवाज आज संस्कृति विश्वविद्यालय में देर तक गूंजी। पितृ पक्ष की नवमी पर उड़ीसा की अभिलिप्सा पांडा संस्कृति विश्वविद्यालय में मौजूद थीं और विद्यार्थियों पर अपनी ईश्वर प्रदत्त आवाज से जादू बिखेर रहीं थीं। यह उनकी गायकी का ही असर था कि तेज धूप को भुलाकर छात्र-छात्राएं झूम-झूम कर उनके साथ गा रहे थे। संस्कृति विश्वविद्यालय के मुख्य मैदान पर अभिलिप्सा पांडा के भक्ति से ओतप्रोत गीतों की ये शाम विवि की परंपरा के अनुसार दीप प्रज्ज्वलन से हुई। कार्यक्रम का सारा संचालन विवि के छात्र-छात्राओं के हाथ में ही था। मैदान विद्यार्थियों से भरा हुआ था और विद्यार्थी कभी अभिलिप्सा तो कभी हर-हर शंभू का उद्घोष कर माहौल गर्मी में और गरम कर रहे थे। थोड़ी ही देर में कार्यक्रम की औपचारिकताओं के बाद अभिलिप्सा की खनखती हुई आवाज मंच से अपना जादू बिखेरने लगी। अभिलिप्सा ने शिव तांडव स्त्तोत्र की कुछ लाइनें सुनाईं और बच्चों से साथ में दोहराने को कहा। ये अभिलिप्सा की आवाज का ही दम था कि बिना वाद्य यत्रों के उनका यह गायन छात्र-छात्राओं को साथ देने के लिए मजबूर कर रहा था। मंजिल केदारनाथ एल्बम का, मेरे भोलेनाथ जी….भोला सबको देता है, तू क्या जल चढ़ाएगा, जैसे भक्ति गीत के द्वारा अभिलिप्सा ने अपनी अनूठी गायकी से विद्यार्थियों में भक्ति की बयार बहा दी। गायत्री मंत्र का पाठ कर अपनी गायकी की सामर्थ्य का परिचय दिया। अभिलिप्सा की गायकी के बीच मंच पर सवाल-जवाब का दौर भी चला जिसमें इस युवा गायकी ने अपने जवाबों से अपनी सोच को भी बताया। हर –हर शंभू, से जुड़े एक सवाल पर अभिलाषा ने कहा कि जब यह भजन बहुत लोकप्रिय हो गया तो मुझे अपनी सफलता से आगे भी ऐसे भजनों को नई जनरेशन के बीच जाने का बल मिला। मेरी सोच थी कि हमारी नई जनरेशन के लिए भजनों को नए संगीत के साथ जाने की जरूरत है। यह एक प्रयोग था और यह प्रयोग इतना सफल होगा, मुझे भी उम्मीद नहीं थी। एक अन्य सवाल पर अभिलिप्सा ने कहा कि हमारी जनरेशन खिवैया का रोल निभा रही है। हमारी धर्म संस्कृति को यही खिवैया पार लगाएंगे। इसी बीच विद्यार्थियों की मांग पर उन्होंने शिव भक्ति से ओतप्रोत एक और भजन सुनाकर विद्यार्थियों को झूमने पर मजबूर कर दिया। वहीं वर्तमान युवा पीढ़ी के अंदर बढ़ रही निराशा, तनाव और नकारात्मकता के सवाल पर युवा गायिका ने कहा कि जहां के लोग ईश्वर से जुड़े हैं वहां कैसी नकारात्मकता और कैसी निराशा। हमारे युवा जो सांध्य वंदन करते हैं, ईश्वर से मन लगाते हैं उनको ये सब बीमारियां नहीं हो सकतीं। इस बीच संस्कृति विश्वविद्यालय की शिक्षिका दुर्गेश वाधवा, ज्योति यादव ने अभिलिप्सा पांडा को पटुका ओढ़ाकर और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। छात्र रसिक दुबे ने छात्र-छात्राओं को अभिलिप्सा पांडा का परिचय देते हुए उनका स्वागत किया। मंच पर अभिलिप्सा पांडा से संस्कृति एफएम 91.2 के आरजे जय और संस्कृति प्लेसमेंट सेल की ज्योति यादव ने सवाल-जवाब के सत्र को संपन्न कराया।
डा. सचिन गुप्ता ने किया होनहार और लोकप्रिय गायिका का सम्मान संस्कृति विश्वविद्यालय आईं बहुत ही कम समय में अपार लोकप्रियता हासिल करने वाली अभिलिप्सा पांडा को संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने शाल ओढ़ाकर और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि इतनी कम उमर में भारतीय संस्कृति को नए कलेवर के साथ अपनी गायकी में ढालने वाली गायिका निश्चित ही भारत ही नहीं भारत के बाहर भी अपना एक विशिष्ठ स्थान स्थापित करेंगी। इस मौके पर अभिलिप्सा ने संस्कृति विवि में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यहां आकर बहुत अच्छा लगा है, यह एक बहुत सुंदर और शांत विद्या का मंदिर है। वो सभी बच्चे बहुत सौभाग्यशाली हैं जो यहां अध्ययन कर रहे हैं।
मथुरा। आज की युवा पीढ़ी अपनी सोच में बदलाव करके राष्ट्र के विकास और नव-निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दे सकती है। भारत रत्न डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का कृतित्व और व्यक्तित्व युवा पीढ़ी के लिए आज भी आदर्श और प्रेरणा है। यह बातें जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा में अभियंता दिवस पर संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने छात्र-छात्राओं को बताईं। अभियंता दिवस का शुभारम्भ संस्थान के विभागाध्यक्षों द्वारा भारत रत्न डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। प्रो. नीता अवस्थी ने कहा कि आज के युवा अभियंताओं को अपनी सोच को रचनात्मक बनाकर देश को नई दिशा देने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि डॉ. विश्वेश्वरैया एक ऐसे इंजीनियर थे जिन्होंने सिर्फ तकनीकी ज्ञान के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि अपनी दूरदर्शिता से समाज के अन्य क्षेत्रों भी कई प्रतिमान स्थापित किए। उनकी उपलब्धियां आज भी हमें प्रेरित करती हैं तथा याद दिलाती हैं कि एक व्यक्ति कितना कुछ कर सकता है। कार्यक्रम की समन्वयक इंजीनियर नेहा सिंह (कम्प्यूटर साइंस विभाग) ने छात्र-छात्राओं को अभियंता दिवस की आज के परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिकता बताई। उन्होंने कहा कि डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने भारत के विकास में अहम भूमिका निभाई। उनकी कई उपलब्धियां आज भी देश के विकास के लिए प्रेरणास्रोत हैं। विश्वेश्वरैया को उनके असाधारण योगदान के लिए 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। ब्रिटिश सरकार ने भी उनकी काबिलियत को पहचानते हुए उन्हें नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया था। कर्नाटक के विकास में उनका योगदान इतना उल्लेखनीय था कि उन्हें कर्नाटक का भगीरथ कहा गया। उन्होंने नदियों को बांधने, सिंचाई योजनाओं को बढ़ाने और देश की कृषि उत्पादकता को मजबूत करने में अग्रणी भूमिका निभाई। उनके द्वारा बनाए गए बांध, पुल और शैक्षणिक संस्थान आज भी उनकी काबिलियत के साक्षी हैं। छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणा-स्रोत कार्यक्रम में संस्थान के विभागाध्यक्षों इंजीनियर संजीव सिंह, विभागाध्यक्ष प्रो. वी.के. सिंह (बीटेक प्रथम वर्ष), विभागाध्यक्ष डॉ. शशी शेखर (प्रबंधन) तथा इंजीनियर ऋचा मिश्रा ने सीख दी कि हर अभियंता को हमेशा कुछ अलग और नया सोचने की कोशिश करनी चाहिए। विचारों के खारिज होने से डरना नहीं चाहिए क्योंकि हर प्रयास आगे बढ़ने की दिशा दिखाता है। वक्ताओं ने इंजीनियरिंग को हर राष्ट्र की प्रगति की नींव बताया। विभागाध्यक्षों ने कहा कि डॉ. विश्वेश्वरैया का जीवन हमें यह सिखाता है कि एक व्यक्ति अपने संकल्प और दूरदर्शिता से समाज और पूरे देश का भविष्य बदल सकता है। वक्ताओं ने कहा कि डॉ. विश्वेश्वरैया की दृष्टि और समर्पण ने भारत में कई आधुनिक इंजीनियरिंग उपलब्धियों की नींव रखी, जिससे उन्हें भारत में आधुनिक इंजीनियरिंग का जनक खिताब मिला। अंत में विभागाध्यक्ष इंजीनियर संजीव सिंह ने सभी का आभार माना। चित्र कैप्शनः भारत रत्न डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के छायाचित्र पर मार्ल्यापण के बाद विभागाध्यक्ष तथा छात्र-छात्राएं।
चित्र परिचयः संस्कृति विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में विशेषज्ञ वक्ताओं का स्वागत करतीं डा. सरस्वती घोष। चित्र परिचय -2- संस्कृति विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय द्वारा आयोजित कार्यशाला में भाग लेते विद्यार्थी।
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय और श्री अरबिंदो सोसाइटी के सहयोग से एक दिवसीय कार्यशाला “अपनी आंतरिक शक्ति की खोज के लिए एक आंतरिक यात्रा – मेरा भविष्य, मेरा प्रयास” विषय पर आयोजित की गई। कार्यशाला में विद्यार्थियों को आत्म-खोज की एक अनूठी यात्रा का अनुभव कराया गया। कार्यक्रम की शुरुआत छात्रा वंशिका द्वारा गाई गई देवी सरस्वती की प्रार्थना से हुई। कार्यशाला में अरविंदो सोसाइटी से जुड़े विशेषज्ञ वक्ता कीर्ति अधिकारी एवं श्रीमती अनिता बंसल ने विद्यार्थियों के मनोबल को बढ़ाने के लिए महान कवि सोहन लाल द्विवेदी की कविता, कविता “कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती” का पाठ कर दृढ़ता और आंतरिक शक्ति को अपनाने के लिए प्रेरित किया। विशेषज्ञ वक्ताओं ने विद्यार्थियों को आत्म-चिंतन और आत्म-अन्वेषण के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें यह पूछने के लिए प्रेरित किया: “मैं कौन हूँ?” छात्रों ने साहसपूर्वक अपनी कमजोरियों जैसे मंच का डर, अति-विचार, टालमटोल, भावनात्मक संवेदनशीलता और दूसरों पर बहुत आसानी से भरोसा करने के साथ-साथ अपनी खूबियों जैसे लचीलापन, रचनात्मकता और करुणा को भी साझा किया। इस ईमानदार आदान-प्रदान ने उन्हें संतुलन और आत्म-जागरूकता के महत्व को पहचानने में मदद की। विभिन्न सत्रों में समूह चर्चा, मंत्र जप, मौन अभ्यास और चित्रकला के माध्यम से रचनात्मक अभिव्यक्ति का भी अवसर प्रदान किया गया। विशेषज्ञ वक्ताओं ने कक्षा में धैर्य और मौन की कला पर विशेष जोर दिया गया, जिससे आंतरिक शांति का विकास हुआ। दुर्गा स्तोत्र, श्री अरबिंदो के जीवन और भगवद गीता से अंतर्दृष्टि प्राप्त की गई, जिसमें साहस, आत्म-अनुशासन और कृतज्ञता को मार्गदर्शक मूल्यों के रूप में उजागर किया गया। इससे पूर्व डॉ. सरस्वती घोष और संकाय सदस्यों द्वारा विशेषज्ञ वक्ताओं का अभिनंदन किया गया। कार्यशाला के सत्रों का संचालन सुश्री रिया वर्धन सक्सैना और देवांशु सक्सैना ने किया और इसमें बी.ए. बी.एड. और बी.एससी. बी.एड. के विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
मथुरा। छात्र-छात्राओं में रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और नेतृत्व क्षमता विस्तार के लिए राजीव इंटरनेशनल स्कूल में प्रतिष्ठित ग्लोबल स्टार सिम्पोजियम कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें युवाओं ने प्रौद्योगिकी और सामाजिक उत्तरदायित्व जैसे वैश्विक मुद्दों पर अपनी अभिनव परियोजनाओं का शानदार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि डीन और प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी, विभागाध्यक्ष एमबीए डॉ. शशिशेखर तथा प्राचार्य प्रिया मदान ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया। ग्लोबल स्टार सिम्पोजियम कार्यक्रम में राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं ने न केवल अपनी बौद्धिक कल्पना से वैश्विक विकास का खाका खींचा बल्कि अपनी ज्ञानवर्धक सोच से अतिथियों को कायल कर दिया। अंत में निर्णायकों ने छात्र-छात्राओं की बौद्धिकता के आधार पर दुष्यंत शर्मा को बेस्ट डेलिगेट, विवान सारस्वत को बेस्ट ओरेटर, स्तुति द्विवेदी को बेस्ट प्रेजेंटर एवं हार्दिक शर्मा को बेस्ट रिसर्चर के लिए चुना गया। अतिथियों ने विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत करते हुए उनकी कल्पनाशीलता की मुक्तकंठ से सराहना की। डीन और प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी ने अपने उद्बोधन में कहा कि 21वीं सदी के उत्थान में युवाओं की भूमिका अहम है। डॉ. लाहौरी ने कहा कि जब बच्चे कल्पना करते हैं, तो वे बिना किसी भौतिक सीमा के एक दुनिया की कल्पना करते हैं। इससे उन्हें चीज़ों को एक नए नजरिए से देखने और एक अलग दृष्टिकोण अपनाकर समाधान ढूंढ़ने में मदद मिलती है। यह उन्हें खुद को अभिव्यक्त करने में भी मदद करता है और उन्हें अपने आस-पास की चीजों के कामकाज पर सवाल उठाने के लिए प्रेरित करता है। डॉ. लाहौरी ने आयोजन की सराहना की। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं की कल्पनाशीलता की सराहना करते हुए कहा कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल समाज के विकास में योगदान देने वाली पीढ़ी तैयार करने को प्रतिबद्ध है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि भावी पीढ़ी को पढ़ाई के समय में ही नवाचार को बढ़ावा देने और नए शोध करने को प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। डॉ. अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं को सीख दी कि वे शोध के दौरान असफलताओं से निराश नहीं हों बल्कि सफलता प्राप्त होने तक अपने प्रयास जारी रखें। राजीव इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि चूंकि भविष्य में शिक्षा एवं समाज को आकार देने में युवाओं की भूमिका अग्रणी रहेगी लिहाजा उन्हें अभी से समाज में सार्थक बदलाव लाने के लिए तैयार किया जाना जरूरी है। प्राचार्य प्रिया मदान ने अपने सम्बोधन में कहा कि ग्लोबल स्टार सिम्पोजियम एक आयोजन ही नहीं बल्कि युवा मस्तिष्क को वैश्विक स्तर पर सोचने और जिम्मेदारी से कार्य करने के लिए सशक्त बनाने का एक आंदोलन है। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं में जिज्ञासा, एकाग्रता और नवाचार का बीजारोपण ही आरआईएस का मुख्य उद्देश्य है। आयोजन की सफलता में गरिमा जैन, श्याम पांडेय, प्रिया गर्ग, प्रियंका चतुर्वेदी, विक्रांत आदि शिक्षकों का विशेष योगदान रहा। चित्र कैप्शनः अतिथियों के साथ ग्लोबल स्टार सिम्पोजियम में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राएं।
मथुरा। ब्रज क्षेत्र के प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थान राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के दो छात्रों ने अपनी बौद्धिक क्षमता तथा प्राध्यापकों के कुशल मार्गदर्शन में उच्च पैकेज पर बड़ी सफलता हासिल की है। राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी मथुरा के एम.फॉर्मा फार्मास्यूटिक्स अंतिम वर्ष के छात्र श्याम उपाध्याय एवं नरेंद्र तोमर का चयन बहुराष्ट्रीय दवा कम्पनी अहमदाबाद स्थित जाइडस लाइफ साइंसेज गुजरात एवं बद्दी स्थित जाइडस लाइफ साइंसेज (हिमाचल प्रदेश) में हुआ है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में उच्च पैकेज पर मिले सेवा के अवसर से दोनों छात्र खुश हैं तथा इसका श्रेय संस्थान की उच्चस्तरीय शिक्षा प्रणाली तथा प्राध्यापकों के कुशल मार्गदर्शन को दिया है। संस्थान के निदेशक प्रो. (डॉ.) हिमांशु चोपड़ा ने बताया कि हाल ही में हुई प्लेसमेंट प्रक्रिया में राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के छात्रों ने न केवल हिस्सा बल्कि कम्पनी पदाधिकारियों को ग्रुप डिस्कशन, टेक्निकल असेसमेंट एवं साक्षात्कार में प्रभावित करते हुए शानदार सेवा का अवसर हासिल किया। प्रो. (डॉ.) चोपड़ा ने बताया कि एम.फॉर्मा फार्मास्यूटिक्स अंतिम वर्ष के छात्र नरेंद्र तोमर का चयन हिमाचल प्रदेश के बद्दी स्थित जाइडस लाइफ साइंसेज में मैन्युफैक्चरिंग साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी विभाग में हुआ है जबकि श्याम उपाध्याय का चयन अहमदाबाद स्थित जाइडस लाइफ साइंस के फॉर्मूलेशन डेवलपमेंट विभाग में हुआ है। प्रो. चोपड़ा का कहना है कि नरेंद्र तोमर और श्याम उपाध्याय ने अपनी एम.फॉर्मा (फार्मास्यूटिक्स) की पढ़ाई पूरी करने के बाद जाइडस लाइफ साइंसेज में अपनी पेशेवर यात्रा शुरू की है। जाइडस लाइफ साइंसेज भारत की प्रमुख फार्मास्यूटिकल कम्पनियों में से एक है, जो नवीन दवाओं और स्वास्थ्य देखभाल समाधानों के विकास में अग्रणी भूमिका निभाती है। निदेशक प्रो. (डॉ.) हिमांशु चोपड़ा ने कहा कि संस्थान की शैक्षिक गुणवत्ता बेहतर होने के कारण यहां अध्ययनरत छात्र राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में सहजता से सेवा का अवसर हासिल कर लेते हैं। प्रो. चोपड़ा ने बताया कि कैम्पस प्लेसमेंट प्रक्रिया में छात्रों की शैक्षिक योग्यता, तकनीकी कौशल और व्यक्तिगत गुणों का मूल्यांकन किया जाता है। उन्होंने बताया कि एम.फॉर्मा (फार्मास्यूटिक्स) के स्नातकों के लिए फार्मास्यूटिकल उद्योग में विभिन्न करियर अवसर उपलब्ध हैं। वे अनुसंधान और विकास, गुणवत्ता नियंत्रण, नियामक मामलों और फार्मास्यूटिकल विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में अपना करियर बना सकते हैं। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल और प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने दोनों छात्रों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। डॉ. अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि कठिन परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। उन्होंने कहा कि जाइडस लाइफ साइंसेज जैसी प्रमुख कम्पनियों में चयनित होना इन छात्रों की कड़ी मेहनत का प्रतिफल है। डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने कहा कि राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी 1999 से संचालित है। यहां का ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट विभाग छात्र-छात्राओं को बदलती शिक्षा प्रणाली के अनुरूप न केवल ढालता है बल्कि रोजगार विकल्पों के लिए हर समय तत्पर रहता है। चित्र कैप्शनः संस्थान के निदेशक प्रो. (डॉ.) हिमांशु चोपड़ा और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में चयनित श्याम उपाध्याय और नरेंद्र तोमर।
-सीबीएसई क्लस्टर वेस्टर्न उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में जीता सिल्वर मैडल
-नेशनल जूडो चैंपियनशिप के लिए किया क्वालीफाई
वृंदावन। वीपीएस के सितारों ने सीबीएसई क्लस्टर वेस्टर्न उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में सिल्वर मैडल जीतकर नेशनल जूडो चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई कर ऐतिहासिक जीत हासिल की। वृंदावन पब्लिक स्कूल के निदेशक डॉ ओम जी ने छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि यदि प्रतिभा व कौशल को मंच मिलता है तो वह और निखरती है तथा सबके दिलों पर छाप छोड़ती है, ऐसी ही भावना से ओतप्रोत होकर वृंदावन पब्लिक स्कूल सदैव छात्रों की प्रतिभा, दक्षता व कुशलता को निखारकर उन्हें उनके करियर में ऊंचाई व सफलता प्रदान करने का उद्देश्य रखता है। गौरतलब है कि सेंट जेवियर्स स्कूल, सरदाना मेरठ में आयोजित सीबीएसई क्लस्टर गेम्स में पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से सीबीएसई जूडो क्लस्टर में द्वितीय स्थान हासिल करने और रजत पदक जीत कर छात्र ऋतिक राठौर ने सम्पूर्ण वीपीएस, बृजमण्डल को गौरवान्वित किया है । इस प्रतियोगिता में आगरा, अलीगढ, बरेली, बदायूँ, बागपत, बिजनौर, बुलन्दशहर, एटा, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड, हाथरस आदि समेत मथुरा के खिलाड़ियों ने भाग लिया। छात्र ऋतिक राठौर व कुश शर्मा ने अपने इस सफलता का श्रेय समस्त विद्यालय परिवार व अपनी खेल प्रशिक्षिका शिवानी वर्मा को दिया। विद्यालय को यह गौरवपूर्ण पल की खुशी मनाते हुए विद्यालय परिवार ने भी गर्व का अनुभव किया । इस अवसर पर विद्यालय के निदेशक शिक्षाविद डॉ.ओम जी ने छात्रों को बधाई दी एवं सीबीएसई क्लस्टर नेशनल्स के लिए क्वालीफाई करने और आगे भी उनके स्वर्णिम भविष्य के लिए कामना की। प्रधानाचार्य कृति शर्मा ने कहा कि छात्र ऋतिक राठौर व कुश शर्मा व प्रशिक्षिका शिवानी वर्मा की कड़ी मेहनत, लगन और जुनून का ही ये प्रतिफल है कि क्रीडा क्षेत्र में यह अद्भुत उपलब्धि विद्यालय को हासिल हुई है।
मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के कम्प्यूटर इंजीनियरिंग एंड एप्लीकेशन विभाग द्वारा आयोजित 7वीं ‘इंटरनेशनल कॉन्फ्रेन्स ऑन इन्फॉरमेशन सिस्टम एण्ड कम्प्यूटर नेटवर्कस‘ पर बोलते हुए आइआइआइटी पुणे, नागपुर, वीजेटीआई मुंबई के पूर्व निदेशक एवं वीएनआइटी नागपुर के सीएसई विभाग के प्रोफेसर डा. ओमप्रकाश गोपाल काकडे ने कहा कि मुझे सातवें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ऑन ‘इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स एंड कम्प्यूटर नेटवर्क्स‘ का हिस्सा बनने का अवसर प्राप्त हुआ। यह सम्मेलन केवल शोध और तकनीकी नवाचारों को साझा करने का मंच ही नहीं है, बल्कि युवाओं, शोधार्थियों और विद्वानों के लिए आपसी सहयोग, संवाद तथा विचार-विमर्श का भी एक अनमोल अवसर प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि आज के समय में जब संपूर्ण विश्व डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रहा है, तब सूचना प्रौद्योगिकी और नेटवर्किंग का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। ऐसे वैश्विक आयोजन हमें नई तकनीकों से रूबरू कराते हैं, भविष्य की संभावनाओं की ओर अग्रसर करते हैं और युवाओं में शोध एवं नवाचार की नई ऊर्जा का संचार करते हैं। यहां प्रस्तुत किए जाने वाले शोध कार्य न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण को सशक्त करेंगे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत भी सिद्ध होंगे।
विशिष्ट अतिथि डी एंड आइ टेक्नोलॉजी एवं एस एंड पी ग्लोबल, नोएडा की हेड अंजुम खान ने कहा कि आज हम एक ऐसे दौर में हैं, जहां सूचना प्रौद्योगिकी और नेटवर्किंग मानव जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित कर रही है। इस मंच पर देश-विदेश के विद्वानों ने भी अपने अनुभव और शोध साझा किए हैं, जो निश्चित रूप से हम सबके ज्ञान को समृद्ध करेंगे। मुझे विश्वास है कि यहाँ से निकलने वाले विचार और नवाचार समाज व राष्ट्र की प्रगति में अहम भूमिका निभाएंगे।
वेल्यूएशन, एस एंड पी ग्लोबल नोएडा के हेड ऑफ टेक्नोलॉजी डा. रवि प्रकाश वार्ष्णेय ने बताया कि आज के समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी आधुनिक तकनीकें सूचना प्रणालियों और कंप्यूटर नेटवर्क्स के स्वरूप को पूरी तरह बदल रही हैं। इन उभरती हुई तकनीकों पर गहन चर्चा और विचार-विमर्श न केवल भविष्य की तकनीकी चुनौतियों का समाधान खोजने में सहायक सिद्ध होगा, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए नए अवसरों का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। इस प्रकार के सम्मेलन शोधकर्ताओं, उद्योग जगत और शिक्षा क्षेत्र को एक साझा मंच उपलब्ध कराते हैं।
एबीवी आइआइटीएम ग्वालियर के निदेशक प्रो. एसएन सिंह ने कहा कि आज के युग में जिसके पास सही सूचना है वही भविष्य की योजनाओं का निर्माण कर सकता हैं। उन्होंने कहा कि हम इन्फॉरमेटिक्स के माध्यम से शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव को जान सकते है और उसके मुताबिक हम शेयर बाजार में निवेश कर सकते है।
कोफोर्ज के परफार्मेंस लीडर दीपक खत्री ने कहा कि कॉरपोरेट सेक्टर में चुनौतियां के साथ-साथ अवसर भी बहुत हैं, लेकिन इसके लिए बेहतर अनुसंधान की जरूरत है। इस तकनीकी युग में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए विद्यार्थियों को जागरूक होने की आवश्यकता है। क्योंकि इंडस्ट्री की मांग के अनुसार विद्यार्थी तैयार होंगे तो, अवसर भी बेहतर मिलेंगे।
सिस्को के सीनियर टेक्निकल लीडर डा. आदित्य शुक्ला ने विद्यार्थियों से कहा कि उनका उद्देश्य अच्छे तकनीकी विद् बनने के साथ-साथ अच्छे नागरिक बनने का भी होना चाहिये। साथ ही हमें समाज को तकनीकी के माध्यम से सहयोग करना चाहिए। क्योंकि आज के समय में विद्यार्थियों को किसी भी एक विधा में महारथ हासिल करने से ही नौकरी व व्यवसाय के कई अवसर मिल सकते हैं। इसलिए विद्यार्थी बाजार में अवसरों को हासिल करने के लिए पुरजोर प्रयास करें।
जीएलए के कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने विश्वविद्यालय की प्रगति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बीते सत्र में ही कंपनियों ने 2500 से अधिक छात्रों को रिकॉर्ड तोड़ जॉब ऑफर प्रदान किए। वर्तमान सत्र में भी कंपनियां लगातार कैंपस प्लेसमेंट कर रही हैं। यह सब बेहतर तकनीकी शिक्षा का कमाल है। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री की मांग के अनुसार विद्यार्थी तैयार होंगे तो, अवसर भी बेहतर मिलेंगे।
इस अवसर पर सभी अतिथियों ने विश्वविद्यालय का भ्रमण भी किया और उपलब्ध संसाधनों, शिक्षक-शिक्षिकाओं व विद्यार्थियों के तकनीकी ज्ञान की भूरि-भूरि सराहना की। साथ ही कई लोगों ने आपस में आगे शोध कार्य साथ करने के लिए भी सहमति जतायी।
कॉन्फ्रेंस के अंत में कन्वेनर डॉ. आशीष शर्मा ने सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस्कॉन की श्रंखला पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुकी है। कार्यक्रम के सफल रूप से संपन्न होने पर कॉन्फ्रेन्स जनरल चेयर आइईटी डीन प्रो. अशोक भंसाली तथा प्रो. दिलीप कुमार शर्मा ने बताया कि इस संगोष्ठी के लिये भारत, चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, नामीबिया, दक्षिण कोरिया, बांग्लादेश, नेपाल, सऊदी अरेबिया, दक्षिण अफ्रीका ओमान, यूएई और यूएसए से करीब 1055 से भी ज्यादा शोध-पत्र प्राप्त हुए एवं आइईईई की जटिल समीक्षा पद्धति के उपरान्त कुल 204 शोध-पत्रों को संगोष्ठी में प्रेजेंट किये जाने की अनुशंसा की है।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में डीन एकेडमिक प्रो. आशीष शर्मा, विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप राठौर, को-कन्वेनर डा. राकेश गालव, एसोसिएट प्रोफेसर डा. निखिल गोविल, डा. अजितेश कुमार, मोना कुमारी, डा. राजेश त्रिपाठी, डा. मुनमी गोगोई, डा. जोगिन्द्र, अनुपम, डा. स्वाती, डा. सुभाष, डा. राहुल प्रधान एवं डा. पूजा पाठक का सहयोग सराहनीय रहा।
संस्कृति विवि में मनाया गया ‘आत्महत्या रोकथाम’ दिवस
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा मनाए गए ‘आत्महत्या रोकथाम’ दिवस में वक्ताओं ने कहा कि जागरूकता के द्वारा आत्महत्या जैसे कलंक को रोका जा सकता है। वक्ताओं ने लोगों के बीच हर स्तर पर चलाए जा रहे अभियानों की उपयोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मुख्य वक्ता डा. रजनीश त्यागी ने बताया कि विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की शुरुआत 2003 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर की गई थी और यह एक महत्वपूर्ण वकालत और संचार आधारित कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय संगठनों, सरकारों और आम जनता तक पहुंचना है तथा यह संदेश देना है कि आत्महत्या को रोका जा सकता है। इन प्रयासों में आत्महत्या रोकथाम दिवस को एक प्रभावी उपकरण माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट, आत्महत्या की रोकथाम: एक वैश्विक अनिवार्यता ( 2014) इसे एक नीतिगत उपलब्धि के रूप में चिह्नित करती है, जिसमें कहा गया है कि इस दिन ने राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर अभियानों को प्रेरित किया है और जागरूकता बढ़ाने तथा कलंक को कम करने में योगदान दिया है। डा.रजनीश ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक आत्महत्या रोकथाम पहल का उल्लेख इसके कार्यान्वयन की मुख्य रणनीति के संबंध में किया गया है, जिसमें “आत्मघाती व्यवहारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने तथा उन्हें प्रभावी ढंग से रोकने के लिए वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय बहु-क्षेत्रीय गतिविधियों का आयोजन, आत्महत्या रोकथाम के लिए राष्ट्रीय नीतियों और योजनाओं को विकसित करने और उनका मूल्यांकन करने के लिए देशों की क्षमताओं को मजबूत करना शामिल है। इससे पूर्व तृतीय सेमेस्टर की छात्रा कु. श्रुति कर्मकार ने विषय का परिचय देते हुए बताया कि आत्महत्या के कई जटिल, परस्पर संबंधित और अंतर्निहित कारक होते हैं जो दर्द और निराशा की भावनाओं को बढ़ा सकते हैं। आत्महत्या के साधनों खासकर आग्नेयास्त्र, दवाइयाँ और ज़हर तक आसान पहुंच होना भी एक जोखिम कारक है। इस मौके पर सेमिनार हॉल में कविता, ओपन माइक और पोस्टर मेकिंग जैसी प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया, जिनमें 200 से अधिक विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दुरुपयोग पर एक विचारोत्तेजक नाट्य प्रस्तुति दी, जिसमें यह दर्शाया गया कि इसका गलत प्रयोग आत्महत्या प्रवृत्तियों का कारण बन सकता है। मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने आयुर्वेद भवन के सामने एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया, जिसमें तुलना, शैक्षणिक असफलता, टूटे विवाह, लैंगिक समानता और पुरुषों की छिपी हुई आवाज़ जैसे मुद्दों को उठाया गया। नाटक का समापन एक गीत के साथ हुआ, जिसने आत्महत्या रोकथाम के महत्व को सशक्त रूप से उजागर किया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. श्रेया शर्मा ने किया और अंत में डॉ. मोनिका अब्रोल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
मथुरा। तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम से पीड़ित किशोरी को के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर की विशेषज्ञ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शुभम द्विवेदी और उनकी टीम के प्रयासों से एक नई जिन्दगी मिली है। एक सितम्बर की रात 10.45 बजे वेंटीलेटर पर लाई गई गुड़िया (14) अब पूरी तरह से स्वस्थ है तथा वह बिना ऑक्सीजन सांस ले रही है। जानकारी के अनुसार दाऊजी, मथुरा निवासी गुड़िया पुत्री कन्हैया के कुछ दिन पहले हाथ-पैरों में दर्द के साथ बुखार आया। परिजनों ने उसे कई चिकित्सालयों में दिखाया, जहां उसका उपचार तो हुआ लेकिन गुड़िया के स्वास्थ्य में सुधार होने की बजाय उसकी प्लेटलेट्स में गिरावट होती गई। प्लेटलेट्स में आई गिरावट के बाद चिकित्सकों ने उसे वेंटीलेटर पर भी रखा लेकिन उसे आराम नहीं मिला। आखिरकार उसे एक सितम्बर की रात 10.45 बजे के.डी. हॉस्पिटल लाया गया। डॉ. शुभम द्विवेदी (एमडी, इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी) ने गुड़िया के एक्सरों को देखा जिसमें दोनों फेफड़े डैमेज थे तथा तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (एआरडीएस) के कारण वायुकोषों (एल्वियोली) में तरल पदार्थ जमा हो गया था। यह तरल पदार्थ रक्तप्रवाह में पर्याप्त ऑक्सीजन जाने से रोक रहा था। तरल पदार्थ का जमाव फेफड़ों में होने की वजह से दिल की धड़कन भी बहुत धीमी चल रही थी। फेफड़ों की कोशिकाओं में खून जमा होने से सांस लेने की क्षमता भी समाप्त हो गई थी। इस नाजुक स्थिति को देखते हुए सामान्य धड़कन लाने के लिए विद्युत तरंगों (कार्डियोवर्जन) का इस्तेमाल किया गया। डॉ. शुभम द्विवेदी ने गुड़िया के फेफड़ों की दूरबीन विधि से जांच की। उसके कुछ हिस्से की जांच से पता चला कि उसे डीएएच है। बीमारी का सही पता चलने के बाद गुड़िया को तीन दिन तक गहन चिकित्सा इकाई में रखा गया। तीन दिन में ही वेंटीलेटर हटा दिया गया। अब गुड़िया के फेफड़ों ने काम करना शुरू कर दिया है तथा वह स्वतः सांस ले रही है। पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शुभम द्विवेदी ने बताया कि तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (एआरडीएस) से पीड़ित मरीजों की रिकवरी देर से होती है। यदि सही समय पर बीमारी की पहचान हो जाए तो इलाज में सहूलियत होती है। डॉ. शुभम द्विवेदी का कहना है कि फेफड़ों के ठीक से काम न करने और मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने के कारण हुई क्षति से कुछ लोगों को एआरडीएस से उबरने के बाद भी परेशानी हो सकती है। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन थेरेपी एआरडीएस का मुख्य उपचार है। गुड़िया को नया जीवन देने वाली डॉ. शुभम द्विवेदी का सहयोग डॉ. जीतेन्द्र अग्रवाल, डॉ. हर्षिता द्विवेदी, डॉ. गुरुविन्दर बट्टी, डॉ. जोयल अग्रवाल तथा डॉ. रिदम गर्ग ने किया। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन मनोज अग्रवाल, डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, चिकित्सा निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार भारद्वाज तथा विभागाध्यक्ष श्वसन चिकित्सा डॉ. एस.के. बंसल ने गुड़िया को नया जीवन देने के लिए डॉ. शुभम द्विवेदी और उनकी टीम को बधाई दी। चित्र कैप्शनः गुड़िया का उपचार करने वाली विशेषज्ञ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शुभम द्विवेदी और उनकी टीम।