Thursday, June 26, 2025
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राजीव इंटरनेशनल स्कूल की प्रियांशा ने मेरठ में फहराया परचमदक्षिण एशियाई कराटे चैम्पियनशिप में जीता सिल्वर मेडलअब जापान में होने वाली वर्ल्ड कराटे चैम्पियनशिप में दिखाएगी दम

मथुरा। राजीव इंटरनेशनल की प्रतिभाशाली छात्रा प्रियांशा उपाध्याय ने हाल ही में मेरठ में हुई 13वीं दक्षिण एशियाई हाकुआकाई कराटे चैम्पियनशिप में कमाल का प्रदर्शन करते हुए न केवल सिल्वर मेडल जीता बल्कि जापान के टोक्यो शहर में होने वाली वर्ल्ड हाकुआकाई कराटे चैम्पियनशिप में खेलने का टिकट भी कटा लिया है। प्रियांशा जापान में होने वाली वर्ल्ड हाकुआकाई कराटे चैम्पियनशिप के लिए कड़ा अभ्यास कर रही है।
स्कूल की प्रधान अध्यापिका प्रिया मदान ने बताया कि जापान कराटे दो हाकुआकाई ऑर्गेनाइजेशन की देखरेख में उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में 17 से 18 मई तक हुई 13वीं दक्षिण एशियाई हाकुआकाई कराटे चैम्पियनशिप में राजीव इंटरनेशनल की कक्षा चार की छात्रा प्रियांशा उपाध्याय ने सिल्वर मेडल जीतकर मथुरा ही नहीं उत्तर प्रदेश और देश का गौरव बढ़ाया है। होनहार प्रियांशा अब जापान के टोक्यो में होने वाली वर्ल्ड हाकुआकाई कराटे चैम्पियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व कर मेडल जीतने की कोशिश करेगी। वर्ल्ड हाकुआकाई कराटे चैम्पियनशिप टोक्यो में नौ से 10 अगस्त के बीच खेली जाएगी।
प्रधान अध्यापिका मदान ने कहा कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए सदैव प्रतिबद्ध है। यहां छात्र-छात्राओं को शिक्षा के साथ ही खेलों की तरफ भी प्रेरित किया जाता है यही वजह है कि आरआईएस के खिलाड़ी राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल जीतकर उत्तर प्रदेश और देश को गौरवान्वित कर रहे हैं।
होनहार छात्रा प्रियांशा उपाध्याय की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने कहा कि यह उपलब्धि सिर्फ मथुरा नहीं बल्कि समूचे देश के लिए गौरव की बात है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती, यह बिटिया टोक्यो में होने वाली वर्ल्ड हाकुआकाई कराटे चैम्पियनशिप में भी मेडल जीतेगी, ऐसा मुझे भरोसा है। उन्होंने प्रियांशा को बधाई देते हुए उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने कहा कि हमारा उद्देश्य विद्यालय की छिपी प्रतिभाओं की पहचान कर उन्हें उनकी पसंद के क्षेत्र में प्रोत्साहित करना है। श्री अग्रवाल ने प्रियांशा की प्रतिभा की सराहना करते हुए कहा कि सिर्फ नौ साल की उम्र में उसने देश के लिए मेडल जीतकर बड़ी उपलब्धि हासिल की है, यह समूचे ब्रज और उत्तर प्रदेश के लिए गौरव का पल है। प्रियांशा ने इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता तथा गुरुजनों को देते हुए कहा कि जापान में होने वाली प्रतियोगिता के लिए वह दिन-रात मेहनत कर रही है। वह टोक्यो में देश के लिए पदक जीतने की जीतोड़ कोशिश करेगी।
चित्र कैप्शनः 13वीं दक्षिण एशियाई हाकुआकाई कराटे चैम्पियनशिप की सिल्वर मेडलिस्ट प्रियांशा उपाध्याय।

ज्यादा अंक पाकर इतराने का बुखार चरम पर

मथुरा। बोर्ड के परीक्षा फल आने के बाद ज्यादा अंक पाकर इतराने इठलाने का बुखार चरम पर है। समाचार पत्रों में अधिक अंक पाने वाले परीक्षार्थी उंगलियां से वी का चिन्ह बनाकर या उनके माता-पिता उन्हें मिठाई खिलाते हुए खूब फोटो छपवा रहे हैं। इस दौड़ में स्कूल वाले तो और भी आगे हैं क्योंकि उन्हें अपने स्कूली व्यवसाय को चमका कर ज्यादा धंधा जो करना है। यह सिलसिला नया नहीं यह ढर्रा तो पहले से चला आ रहा है। यह सब कुछ देखकर मुझे बड़ी कोफ्त होती है। लोग सोचेंगे कि होनहार विद्यार्थियों की खुशी देखकर जलन क्यों? शायद इसलिए कि यह खुद अनपढ़ है, इसीलिए पढ़ने वालों से चिढ़ रहा है। हो सकता है उनकी बात सही हो किंतु मेरी सोच लीक से हटकर यानी कुछ अलग है।
 मेरा मानना है कि शिक्षा उसे कहते हैं, जो जीवन को सफल बनाए यानी हम लोग अच्छे नागरिक बने और सद्कर्म के द्वारा ज्यादा से ज्यादा परमार्थी कार्य करें। झूठ नहीं बोले सच्चाई पर डटे रहें तथा हर प्रकार के गलत कार्यों से दूरी बनाए रखते हुए ईमानदारी के साथ सदाचारी जीवन जियें। किताब वाली पढ़ाई में अधिक नंबर हासिल करके ज्यादा इतराना तो मुझे बड़ा बुरा लगता है। वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर जरा गौर करके देखें तो स्थिति स्पष्ट हो जाती है। जरा सोचो कि छोटे-छोटे बच्चों के ऊपर ढेरों किताब कॉपियों का गठ्ठा लाद दिया जाता है। पहले तो कच्ची उम्र में स्कूल भेजना और फिर ऊपर से ट्यूशन की बीमारी। मेरा दाखिला 6 वर्ष की उम्र में कक्षा 1 में हुआ। अब तो कक्षा एक से पहले भी कई क्लासें होती हैं और दो ढाई साल के बच्चों को ही स्कूल भेजना शुरू करा दिया जाता है। जब परीक्षा के दिन आते हैं तब तो विद्यार्थियों को तैयारी के नाम पर ऐसे जुटा दिया जाता है कि पूंछो मत। बस किताब कापियों का घोल बनाकर उसकी घुट्टी पिलाने की कसर बाकी रह जाती है। दिन और रात बस रटंत और पढ़न्त इसके अलावा और कुछ नहीं।
 मेरा मानना तो यह है भले ही कम अंक मिले हों तो भी कोई हर्ज नहीं पर पूरे वर्ष साधारण तरीके से पढ़ना श्रेयकर है। मैं तो यह कहता हूं की टॉपर या प्रथम श्रेणी में पास होने के से ही क्या हम महान बन जाएंगे? भले ही हम साधारण नंबरों से पास हों तो कौन सी आफत का पहाड़ टूट पड़ेगा? ज्यादा से ज्यादा नंबरों से पास होने की यह होड़ा होड़ी मुझे बिल्कुल पसंद नहीं। मुझे तो यह पसंद है कि भले ही हमारी किताब वाली पढ़ाई कम हो या कम नंबर मिलें किंतु हमें ऐसी शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए जिससे हमारा जीवन सुधरे, आचार विचार संस्कार अच्छे हों, परोपकारी जिंदगी जीकर अपना और अपने माता-पिता का नाम रोशन करें। सच्ची और अच्छी शिक्षा तो मेरी नजर में यह है। एक बात और जो मेरे मन की है वह यह कि थोड़ी बहुत काम चलाऊ शिक्षा उच्च शिक्षा से ज्यादा बेहतर है। जितनी ज्यादा ऊंचाई वाले विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय हैं इनमें विद्यार्थी बनते कम और बिगड़ते ज्यादा हैं। यह मैं नहीं कह रहा यह तो समय-समय पर अखबारों में छपने वाली खबरें कह रही हैं। माता-पिताओं को अपनीं संतानों को नजर के सामने रखना चाहिए ना कि दूर दराज के शहरों या विदेशों में भेज कर उन्हें बिगाड़ना चाहिए। ज्यादा ऊंची तनख्वाह या ज्यादा ऊंचा पद ही सब कुछ नहीं होता। सादा जीवन उच्च विचार की जिंदगी से ऊंचा कुछ नहीं। चली बात पर एक प्रसंग मुझे याद आ गया। एक बार मैं अपनी ससुराल महाराष्ट्र में गया हुआ था। वहां मेरे साले के एक जिगरी दोस्त जो गुजराती थे, मिले वे तथा उनकी पत्नी बड़े सरल स्वभाव के संस्कारी थे। उनके दो बच्चे भी उन्हीं के पदचिन्हों वाले थे। उन दोनों ने मुझसे कहा कि हम अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई से ज्यादा उनके संस्कारों पर ध्यान देते हैं। उनकी यह बात मुझे बहुत ज्यादा अच्छी लगी। भले ही इस बात को 40 साल से भी ज्यादा हो गए पर मेरे मन में आज भी रची बसी हुई है।
 अब अंत में कहना चाहता हूं कि मैं कोई पढ़ाई लिखाई विरोधी नहीं हूं। हम 10 भाई बहन हैं और मेरे अलावा सभी पढ़े लिखे हैं। हमारी सबसे बड़ी बहन गीता देवी जो गीता जयंती पर जन्मी थीं ने तो लगभग 6 दशक पूर्व बी. ए. तक की पढ़ाई पढ़ी थी। उस जमाने में तो पढ़ाई का तरीका ज्ञानवर्धक होता था आज के जमाने से बिल्कुल भिन्न। ऐसा लग रहा है कि मूर्ख आदमी विद्वानों के बीच में बैठकर बहस कर रहा है। ठीक उसी प्रकार जैसे वजन ढोने वाला मजदूर इंजीनियरों के बीच तर्क वितर्क करने में मगन हो। सौ की सीधी बात "पढ़-पढ़ कै पत्थर भये और लिख लिख कै कमजोर, चढ़ जा बेटा छत्त पै लैके पतंग और डोर" इति शिक्षा पुराण। 

काम को व्यवस्थित और आसान बनाता है डाटा स्ट्रक्चरः सचिन कुमारराजीव एकेडमी में डाटा स्ट्रक्चर पर वर्कशॉप आयोजित

मथुरा। सूचना क्रांति के युग में बिना डाटा कोई काम नहीं चल सकता। डाटा संरचना डाटा को व्यवस्थित करने, संसाधित करने, पुनर्प्राप्त करने तथा संग्रहित करने का एक विशेष प्रारूप है। डाटा संरचनाओं के कई बुनियादी और उन्नत प्रकार हैं, जोकि विशिष्ट उद्देश्य के अनुरूप डाटा को व्यवस्थित करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। डाटा स्ट्रक्चर उपयोगकर्ताओं के लिए आवश्यक डाटा तक पहुंचना और उसके साथ काम करना आसान बनाता है। यह बातें राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट द्वारा आयोजित वर्कशॉप में रिसोर्स परसन सचिन कुमार टेक्निकल ट्रेनर डुकैट कम्पनी (नोएडा) ने बीसीए के छात्र-छात्राओं को बताईं।
रिसोर्स परसन ने छात्र-छात्राओं को बताया कि कम्प्यूटर विज्ञान और कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में डाटा संरचना को विभिन्न एल्गोरिदम के साथ उपयोग करने के उद्देश्य से डाटा को संग्रहित करने के लिए चुना या डिजाइन किया जा सकता है जिसे आमतौर पर डाटा संरचना और एल्गोरिदम कहा जाता है। उन्होंने कहा कि बीसीए के छात्र-छात्राओं को सभी प्रकार के डाटा की जानकारी होना आवश्यक है। यह उनके व्यावसायिक कोर्स के लिए अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने एल्गोरिदम एण्ड डाटा स्ट्रक्चर कंसेप्ट, अप्लाई एल्गोरिदम एण्ड डाटा स्ट्रक्चर प्राब्लम, अनालाइज एल्गोरिदम एफिसिएंसी, फाइण्ड एफिसिएट एल्गोरिदम, सॉल्व एल्गोरिदम सहित अन्य एडवांस टॉपिकों पर छात्र-छात्राओं से अपने अनुभव साझा
वर्कशॉप में रिसोर्स परसन से छात्र-छात्राओं ने प्रोग्रामिंग तथा इसके फायदे व नुकसान के बारे में भी प्रश्न किए। उन्होंने सभी की प्राब्लम सॉल्व करते हुए टाइम स्पेश ट्रेड ऑफ एल्गोरिदम, एनालिसिस ऑफ एल्गोरिदम और टाइप्स ऑफ रिकर्सन के बारे में अपडेट जानकारी देते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दिए। इसके अतिरिक्त उन्होंने लिंक्ड लिस्ट, स्टैक, क्यू, ट्री, ग्राफ, सॉर्टिंग व प्रोग्राम यूजिंग पर भी विस्तार से जानकारी दी। वर्कशॉप में प्रतिभागियों को डाटा संरचनाओं के मूल सिद्धांतों से भी परिचित कराया गया, जो कुशल और अनुकूलित प्रोग्राम लिखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
राजीव एकेडमी के अनुभवी संकाय सदस्यों ने वर्कशॉप का संचालन किया तथा प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को व्यावहारिक उदाहरणों एवं अभ्यासों के माध्यम से व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया। डॉ. विकास जैन विभागाध्यक्ष प्रबंधन ने बताया कि वर्कशॉप में प्रतिभागियों को अपने ज्ञान को वास्तविक दुनिया की समस्याओं पर लागू करने का भी अवसर प्रदान किया गया। कुल मिलाकर यह वर्कशॉप उन छात्र-छात्राओं और पेशेवरों के लिए एक बेहतरीन अवसर थी, जो प्रोग्रामिंग में रुचि रखते हैं तथा अपने कोडिंग कौशल को बेहतर बनाना चाहते हैं।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने वर्कशॉप को बीसीए के छात्र-छात्राओं के लिए मील का पत्थर निरूपित किया। संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह भदौरिया ने रिसोर्स परसन सचिन कुमार का आभार मानते हुए कहा कि यह वर्कशॉप बीसीए के छात्र-छात्राओं के लिए बहुत ही उपयोगी है। इसका लाभ छात्र-छात्राओं को भविष्य में जरूर मिलेगा।
चित्र कैप्शनः वर्कशॉप के बाद टेक्निकल ट्रेनर सचिन कुमार के साथ राजीव एकेडमी के छात्र-छात्राएं।

के.डी. हॉस्पिटल में युवक के ब्रेन ट्यूमर का सफल ऑपरेशनन्यूरो सर्जन डॉ. दीपक चौधरी के प्रयासों से अब प्रीतम स्वस्थ

मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के जाने-माने न्यूरो सर्जन डॉ. दीपक चौधरी और उनकी टीम ने ब्रेन ट्यूमर की परेशानी से जूझ रहे छटीकरा, मथुरा निवासी प्रीतम (32) का मुश्किल ऑपरेशन कर उसे नया जीवन दिया है। अब प्रीतम ठीक है तथा उसकी बुखार, सिरदर्द और उल्टियां होने की परेशानी पूरी तरह से दूर हो गई है।
जानकारी के अनुसार छटीकरा, मथुरा निवासी प्रीतम पुत्र रोशन लाल काफी दिनों से बुखार, सिरदर्द तथा उल्टियां होने की परेशानी का सामना कर रहा था। उसकी आंखों की रोशनी भी लगातार कम हो रही थी। उसे कई चिकित्सालयों में दिखाया गया जहां चिकित्सकों ने जांच में ब्रेन ट्यूमर होने की पुष्टि की तथा दिल्ली ले जाने की सलाह दी। परिजनों द्वारा मरीज को दिल्ली न ले जाकर के.डी. हॉस्पिटल लाया गया। विशेषज्ञ न्यूरो सर्जन डॉ. दीपक चौधरी ने प्रीतम की पहले से ही चुकी विभिन्न जांचों को देखने के बाद सर्जरी की सलाह दी
परिजनों की स्वीकृति के बाद डॉ. चौधरी और उनकी टीम द्वारा दीपक के ब्रेन ट्यूमर का लगभग चार घण्टे में मुश्किल ऑपरेशन किया गया। इस ऑपरेशन में डॉ. चौधरी का सहयोग डॉ. धनंजय, डॉ. शेख हुसैन, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. शिवांगी, ओटी टेक्नीशियन राजवीर, देवेन्द्र, संदीप आदि ने किया। डॉ. चौधरी का कहना है कि मस्तिष्क की सर्जरी बहुत ही नाजुक और उन्नत शल्य क्रिया है। ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन की सफलता कई चीजों पर निर्भर करती है। यदि ट्यूमर गैर-कैंसरयुक्त है तो सफलता की दर काफी अधिक होती है, जबकि कैंसरयुक्त ट्यूमर का इलाज करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते बीमारी का पता चल जाए तो सफल उपचार की सम्भावना उतनी ही बेहतर होती है।
डॉ. चौधरी का कहना है कि स्वस्थ जीवनशैली, नियमित जांच और एक अच्छी सहायता प्रणाली सर्जरी के बाद मरीज के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करती है। उन्होंने बताया कि के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में अत्याधुनिक तकनीक से अन्य बड़े शहरों के मुकाबले बहुत कम खर्च पर इलाज किया जाता है। चूंकि यहां हर तरह की व्यवस्थाएं और सुविधाएं अद्यतन हैं लिहाजा किसी भी तरह का ऑपरेशन बिना दिक्कत के सम्भव है। प्रीतम के स्वास्थ्य में हो रहे सुधार से परिजन खुश हैं तथा उसे छुट्टी दे दी गई है। परिजनों ने ऑपरेशन करने वाले शल्य चिकित्सकों तथा हॉस्पिटल प्रबंधन का आभार माना है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन मनोज अग्रवाल, डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका तथा चिकित्सा निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार ने प्रीतम की सफल सर्जरी के लिए डॉ. दीपक चौधरी तथा उनकी टीम को बधाई देते हुए मरीज के स्वस्थ-सुखद जीवन की कामना की है।
चित्र कैप्शनः ब्रेन ट्यूमर की सफल सर्जरी के बाद प्रीतम तथा न्यूरो सर्जन डॉ. दीपक चौधरी एवं उनकी टीम।

संस्कृति विवि में प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाने के बताए सहज उपाय

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में “प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाने: समग्र दृष्टिकोण” विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया।
संस्कृति विश्वविद्यालय के योग और फिटनेस क्लब , योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विभाग तथा संस्कृति आयुर्वेदिक चिकित्सा कॉलेज एवं अस्पताल के सहयोग से आयोजित इस सेमिनार में अतिथि वक्ताओं ने योग, एक्यूप्रेशर और प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के सहज उपाय और इन तरीकों के महत्व को विस्तार से बताया।
इस कार्यक्रम में डॉ. बालमुकुंद (बीएनवाईएस, एमएससी योग, शांति मार्ग योग आश्रम, यूएसए के संस्थापक), डॉ. गोकुल (बीएनवाईएस, एसपीपीसी, पतंजलि वेलनेस), डॉ. मीना गुप्ता (एमडी पैथोलॉजी, सहायक प्रोफेसर), डॉ. एंडरसन (एमडी योग और एक्यूपंक्चर, सहायक प्रोफेसर) और डॉ. अनुधि (बीएनवाईएस, (ऑनर्स साइकोलॉजी, सहायक प्रोफेसर) ने विद्यार्थियों को विषय संबंधी जानकारियां देकर जागरूक किया।
सेमिनार में योग, एक्यूपंक्चर और प्राकृतिक उपचारों सहित प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के समग्र दृष्टिकोणों पर अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए विशेषज्ञों के लिए एक मंच प्रदान किया। डॉ. तनुश्री (एचओडी) और डॉ. स्नेहा (सहायक प्रोफेसर) के मार्गदर्शन में बीएनवाईएस छात्रों द्वारा कार्यक्रम का अच्छी तरह से समन्वय किया गया और डॉ. अनूप (सहायक प्रोफेसर) के साथ उपयोगी बातचीत हुई।
बीएनवाईएस प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों अंकिता,सारा,सफक,अंजलि,कनिष्का, सचिन, रुषिकेश, गुंजन द्वारा कुशलतापूर्वक हमारे पंच तत्व के बारे में बताया गया।
कार्यक्रम का संचालन नेहा, मोहम्मद सूफियान, अनुपम ने किया। स्टूडेंट वेलफेयर विभाग के डीन डॉ. डीएस तोमर की देख रेख में सम्पन्न हुए इस कार्यक्रम में योग और फिटनेस क्लब की टीम, जिसमें अध्यक्ष कुमोदिनी राणावत, उपाध्यक्ष देवांशु, सचिव सुमित चौधरी, संयुक्त सचिव आस्था श्रीवास्तव, कार्यक्रम समन्वयक शरद मिश्रा, मीडिया समन्वयक इशांत शेंडे और कोषाध्यक्ष छवि शामिल थीं, ने सेमिनार की सफलता सुनिश्चित की।

वी पीएस के खिलाड़ियों का अंतर्राज्यीय कराटे चैंपियनशिप में श्रेष्ठ प्रदर्शन-उत्तर प्रदेश यूनाइटेड करते चैंपियनशिप्त हुआ आयोजन-वीपीएस के छात्रों ने जीते स्वर्ण रजत और कांस्य से पदक

वृंदावन। मथुरा मार्ग स्थित वृंदावन पब्लिक स्कूल के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं ने कराटे चैंपियनशिप में अपनी जीत का परचम लहराया व राष्ट्रीय स्तर पर योग्यता हासिल कर अग्रिम जीत का मार्ग प्रशस्त किया।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश राज्य स्तरीय कराटे चैंपियनशिप द्वारा आयोजित पांचवी उत्तर प्रदेश यूनाइटेड कराटे चैंपियनशिप -2025 का आयोजन राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित जी एल ए विश्वविद्यालय के स्टेडियम में किया गया। राज्य भर के शीर्ष एथलीटों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए वी पी एस के छात्रों ने स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीते और राष्ट्रीय अर्हता प्राप्त कर विद्यालय को गौरव का अनुभव कराया।
गौरवान्वित उपलब्धि प्राप्त करने वाले छात्रों मे राघव चतुर्थ बी (स्वर्ण पदक), रितु शमा 9 बी (स्वर्ण पदक), यथार्थ गोस्वामी 10 (गोल्ड), रितिक राठौर 12 आर्टस (गोल्ड), जाह्नवी शर्मा 9 (सिल्वर), आरुषि शर्मा चतुर्थ बी (रजत), लक्ष्य छठवीं बी (सिल्वर), वेदांश शर्मा 7 वीं सिल्वर), जियांश गर्ग चतुर्थ बी (कांस्य) जीत कर अपनी खेल प्रतिभाओं की श्रेणी में स्वयं को साबित कर दिखाया। इस अवसर पर विद्यालय के निदेशक शिक्षाविद डॉ. ओम जी ने छात्रों को शुभकामनाएं दी l खेल प्रशिक्षिका शिवानी वर्मा के नेतृत्व में कराटे टीम ने अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन किया व जी एल ए के विशाल क्रीड़ांगन में तालियों की गड़गड़ाहट के साथ विद्यालय का नाम रोशन किया।

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संस्कृति विश्वविद्यालय के सात पेटेंट हुए व्यावसायिक
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के सात पेटेंट ने व्यावसायिक क्षेत्र में उपस्थिति दर्ज कराई है। औद्योगिक इकाइयां इनपर काम करके नए उत्पादन करेंगी।
बताते चलें कि किसी पेटेंट के रजिस्टर्ड हो जाने के बाद उसका किसी इंडस्ट्री द्वारा खरीद लिया जाना उसके महत्व और उपयोगिता को दर्शाता है। संस्कृति विश्वविद्यालय के हाल ही में दो पेटेंट इंडस्ट्री द्वारा खरीद लिए गए हैं। विवि के कुल सात पेटेंट विभिन्न इंडस्ट्री द्वारा खरीदे जा चुके हैं। संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एमबी चेट्टी ने इस उपलब्धी की जानकारी देते हुए बताया कि किसी पेटेंट को खरीदने वाली इंडस्ट्री पेटेंट का स्वामित्व रखने वाली संस्था को रॉयल्टी भी देती है। इस लिहाज से व्यावसायिक दृष्टि से संस्था के लिए एक स्थाई आमदनी का जरिया बनता है।
प्रोफेसर चेट्टी ने बताया कि संस्कृति विश्विद्यालय ने एक और कीर्तिमान हासिल कर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग से जुड़ी संस्था इंटेलेक्चुयल प्रोपर्टी इंडिया ने वर्ष 2023-24 की सूची जारी करते हुए पेटेंट दाखिल करने वाले विश्वविद्यालयों में संस्कृति विवि को 8वां स्थान दिया। वर्ष 2023-24 में संस्कृति विवि की ओर से पेटेंट कराने के लिए 750 एप्लीकेशन दाखिल की गई हैं, जो किसी भी विवि के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। विवि द्वारा ताजा स्थिति के अनुसार अब तक 3008 पेटेंट दाखिल किए जा चुके हैं, जो बायोटेक्नोलॉजी, केमिस्ट्री, फोरेंसिक साइंस, होम्योपैथी, फिजिक्स, रिहैबिलेशन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से जुड़े हैं।
संस्कृति विवि के कुलपति प्रो.एमबी चेट्टी ने कहा कि विश्वविद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों का देश की तरक्की में बहुत बड़ा योगदान होता है। विश्व में बौद्धिक संपदा संरक्षण का महत्व तेजी से बढ़ता जा रहा है। यह एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का आधार है। विश्वविद्दालयों द्वारा होने वाली शोध से अर्जित बौद्धिक संपदा का स्वामित्व हासिल करने के लिए पेटेंट कानून के तहत आवेदन किया जाता है। भौतिक धन की तरह बौद्धिक संपदा का स्वामित्व लिया जा सकता है। किसी विवि द्वारा शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसंधान क्षमताओं को मजबूत बनाना और बौद्धिक संपदा अधिकारों में कौशल निर्माण करना महत्वपूर्ण कार्य है। संस्कृति विश्वविद्यालय ने इस कार्य में गंभीरता बरतते हुए विशेष उपलब्धि हासिल की है। आज विवि अपने अनूठे शैक्षणिक कार्यों के लिए देश में अलग पहचान बना चुका है।
प्रोफेसर चेट्टी ने बताया कि इसके लिए विवि के शिक्षकों की पूरी टीम बधाई की पात्र है। उन्होंने बताया कि संस्कृति विवि वर्ष 2023-24 में पेटेंट दाखिल करने वालों में उत्तर प्रदेश चौथे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश से पांच हजार 779 पेटेंट एप्लीकेशन दाखिल की गई हैं। देश में पहला स्थान तमिलनाडु प्रदेश का है जहां से 9565 एप्लीकेशन दाखिल की गई हैं। प्रो. चेट्टी ने बताया कि संस्कृति विवि द्वारा दाखिल एप्लीकेशंस में अधिकतर मेडिकल साइंस, इंजीनियरिंग, एजूकेशन एवं मैनेजमेंट से संबंधी विषयों की हैं।

विवि टीम की मेहनत का फल है ये उपलब्धि: डा.सचिन गुप्ता
संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि जब विवि का शिक्षक वर्ग विवि और देश के उत्थान के लिए लगातार मिलकर काम करता है तब ही ऐसी उपलब्धियां हासिल होती हैं। वैसे यह हमारी संतुष्टि की सीमा नहीं है। सारी टीम विवि को देश ही नहीं विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत है। मुझे विश्वास है कि संस्कृति विवि एक दिन दुनिया के विख्यात 100 विवि के मध्य अपना नाम दर्ज कराएगा।

राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के छात्र-छात्राओं को टैबलेट मिले, चेहरे खिलेस्वामी विवेकानंद युवा सशक्तीकरण योजना से विद्यार्थी लाभान्वित

मथुरा। के.डी. डेंटल कॉलेज के आडिटोरियम में राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के छात्र-छात्राओं को जैसे ही उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तीकरण योजना के तहत टैबलेट मिले उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। छात्र-छात्राओं ने विश्वास दिलाया कि वह इन टैबलेटों का प्रयोग अपने ज्ञानवर्धन के लिए करेंगे। छात्र-छात्राओं को यह टैबलेट मथुरा-वृंदावन नगर-निगम की वार्ड संख्या 61 की पार्षद रचना रामकिशन पाठक के करकमलों से प्रदान किए गए।
छात्र-छात्राओं को टैबलेट प्रदान करने से पूर्व पार्षद रचना पाठक ने कहा कि सरकार की सोच प्रत्येक युवा को हाईटेक करने की है। इसके लिए वह धीरे-धीरे अपने कदम आगे बढ़ा रही है। विद्यार्थी टैबलेट, स्मार्टफोन का सही सदुपयोग करें तथा अपना भविष्य संवारें। स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तीकरण योजना का लाभ राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के एम.फार्मा (द्वितीय वर्ष), बी.फार्मा (चतुर्थ वर्ष) तथा डी.फार्मा (द्वितीय वर्ष) के छात्र-छात्राओं को मिला।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि युवा पीढ़ी को यदि आगे बढ़ना है तो उसे अपडेट रहना होगा। सरकार जो स्मार्टफोन दे रही है, उसका सदुपयोग कर सपनों को साकार किया जा सकता है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि सरकार चाहती है कि विद्यार्थी कठिन परिश्रम कर अपना लक्ष्य प्राप्त करें। फार्मेसी का क्षेत्र सम्भावनाओं से परिपूर्ण है, उम्मीद है कि सरकार के इस प्रोत्साहन का सदुपयोग आप अपना करियर संवारने में करेंगे।
प्रबंध निदेशक श्री मनोज अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि प्रदेश सरकार युवाओं को बेहतर भविष्य के लिए तथा आधुनिक संचार क्रांति से जोड़ने के लिए टैबलेट व स्मार्टफोन का वितरण कर रही है। यह प्रदेश सरकार की आधुनिक व प्रगतिवादी सोच का परिचायक है। श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार का विद्यार्थियों के अध्ययन को सुगम बनाने का यह सराहनीय कार्य है। उन्होंने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि टैबलेट का सदुपयोग कर ज्ञानार्जन करें।
राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के निदेशक प्रो. (डॉ.) हिमांशु चोपड़ा ने कहा कि आज के युग में प्रौद्योगिकी हमारे जीवन और काम करने के तरीके को तेजी से बदल रही है। यह महत्वपूर्ण है कि हमारे विद्यार्थी सफल होने के लिए आवश्यक कौशल और उपकरणों से लैस हों। टैबलेट में शैक्षिक सॉफ्टवेयर और इंटरनेट कनेक्टिविटी है, जो छात्र-छात्राओं को ई-पुस्तकें, शैक्षिक वीडियो और इंटरेक्टिव लर्निंग प्लेटफॉर्म जैसे डिजिटल संसाधनों तक पहुंचने में सक्षम बनाएगा। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा की उन्हें यह टैबलेट प्राप्त होने की बेहद खुशी है। यह टैबलेट उन्हें शैक्षिक संसाधनों तक पहुंचने और उनके सीखने के अनुभव को बढ़ाने में मदद करेंगे। टैबलेट वितरण कार्यक्रम में संयोजक आकाश गर्ग, परीक्षा नियंत्रक रामकुमार चौधरी तथा राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के शिक्षकों और कर्मचारियों का विशेष सहयोग रहा।

संस्कृति विवि में कार्यक्रमों के साथ मना अंतरराष्ट्रीय नर्सिंग दिवस

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में परंपरागत रूप से इंटरनेशन नर्सिंग डे के अवसर पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया विद्यार्थीयों ने अन्तराष्ट्रीय नर्सिंग दिवस के अवसर पर शपथ ली।
कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता ने कहा कि ऑपरेशन सिंन्दूर की सफलता के लिए माननीय प्रधानमंत्री को हम धन्यवाद देते हैं तथा भारतीय सेना के शौर्य व पराक्रम की प्रशन्सा की। उन्होने कहा कि जैसे आपने कोरोना काल में बिना डरे देश की सेवा की अगर युद्ध के दौरान देश को जरूरत पड़ेगी तो देश की सेना के साथ आपको कंधे से कंधे मिलाकर खड़े रहना है। विश्वविद्यालय की सीईओ डॉ मीनाक्षी शर्मा ने कहा कि हमारे विद्यार्थी भारत में ही नहीं अपितु भारत के बाहर भी संस्कृति विश्वविद्यालय का नाम रोशन करेंगें।
संस्कृति स्कूल ऑफ नर्सिंग के प्रिंसिपल डॉ के. के. पाराशर ने सभी का स्वागत करते हुए नर्सिंग के इतिहास व फ्लोरेंस नाइटेंगल की नर्सिंग प्रोफेशन में क्या भूमिका रही, के बारे में बताया। स्टूडेंट्स वेलफेयर विभाग के डीन डॉ. डी. एस. तोमर ने कहा कि नर्सिंग एक उभरता हुआ प्रोफेशन है आज इसकी मांग पूरे विश्व में है। इस अवसर पर लैंप लाइटिंग के बाद विद्यार्थियों को शपथ ग्रहण कराई गयी। प्राचार्य डॉ. के. के. पाराशर, सिनियर फैकल्टी केशचन्द्र सिंह व एसोसिएट प्रोफेसर धीराज पाराशर ने लैम्प जलाकर इस कार्यक्रम को आगे बढाया। ततपश्चात् पंक्तिवद्ध तरीके से विद्यार्थीयों ने अपने लैम्प जलाये। प्राचार्य डॉ पाराशर ने कहा कि आज का दिन किसी भी नर्सिंग विद्यार्थी के लिए बडा महत्वपूर्ण दिन होता है, जब वह औपचारिक रूप से नर्सिंग के क्षेत्र में प्रवेश करता है।
इसी क्रम में विद्यार्थीयों ने सांसकृतिक कार्यक्रम नृत्य-गायन आदि की प्रस्तुति दी तथा सभी का मनमोह लिया। कार्यक्रम में चद्र प्रकाश सिंह (असिसटेंट प्रोफेसर), श्रीमती अमनदीप दूबे (असिसटेंट प्रोफेसर), साक्षी शर्मा (सिनियर टयूटर) आदि अध्यापक मौजूद रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता तथा विशिष्ट अतिथि संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एम.बी. चेटी जी तथा सी.ई. ओ. डॉ मिनाश्री शर्मा के द्वारा दीप प्रवजल्लन से हुआ। मुख्य अतिथि तथा विशिष्ठ अतिथियों का पौधा भेंट कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

जीएल बजाज में लगी तकनीकी नवाचार की राष्ट्रीय पाठशालाक्यूबिटएक्स-2025 में देश की युवा पीढ़ी का दिखा कौशल

मथुरा। नए उत्पाद विचारों को विकसित करने वाली कॉर्पोरेट टीम हो या वास्तविक दुनिया की चुनौतियों से निपटने वाले छात्र हों या फिर अगली बड़ी चीज का प्रोटोटाइप बनाने वाले उद्यमी हों, हैकाथॉन एक उद्देश्य के लिए विविध दिमागों को एक साथ लाता है। इससे छात्र-छात्राओं और बाहरी प्रतिभागियों को उन विचारों के साथ प्रयोग करने का अवसर मिलता है, जिन्हें वे आमतौर पर अपने दैनिक कार्य में नहीं आजमाते। उक्त उद्गार जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा द्वारा आयोजित क्यूबिटएक्स-2025 के समापन अवसर पर प्रबंधक एवं इनोवेशन हब, उत्तर प्रदेश की संस्थापक सदस्य वंदना शर्मा ने व्यक्त किए।
छात्र-छात्राओं में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जी.एल. बजाज मथुरा में राष्ट्रीय हैकाथॉन का आयोजन किया गया, जिसमें ऑनलाइन चरण में देशभर के 50 से अधिक संस्थानों से एक हजार से अधिक पंजीयन हुए, जिनमें से 380 से अधिक टीमों ने भाग लिया। कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद शीर्ष 50 टीमों को उनके नवोन्मेषी विचारों के आधार पर आयोजित 24 घंटे की ऑफलाइन हैकाथॉन में आमंत्रित किया गया। प्रतिभागियों ने ओपन इनोवेशन, डुअलिटी एआई और डेवनोवेट जैसे प्रमुख नवाचार ट्रैकों पर वास्तविक जीवन की समस्याओं पर काम किया और अपने उन्नत तकनीकी समाधान गिटहब के प्रोफेशनल्स और विभिन्न स्टार्टअप्स के संस्थापकों के समक्ष प्रस्तुत किए।
अंत में निर्णायकों द्वारा राष्ट्रीय हैकाथॉन के विजेताओं की घोषणा की गई। समापन अवसर पर ग्राफिक एरा, देहरादून की टीम के सेनादृष्टि और ओआईएसटी भोपाल की टीम के टेक इन्फेंट्री को संयुक्त रूप से दो सौ डॉलर की नगद पुरस्कार राशि तथा आकर्षक गिफ्ट्स प्रदान किए गए। इसी तरह जीएल बजाज की टीम टेक टाइटंस और टीम हैकेक्टिव को जीडीजी टी-शर्ट के साथ विशेष पुरस्कार से नवाजा गया। पुरस्कार वितरण के अवसर पर प्रबंधक एवं इनोवेशन हब, उत्तर प्रदेश की संस्थापक सदस्य वंदना शर्मा ने अपने प्रेरणादायक सम्बोधन में नवाचार, उद्यमिता और तकनीक आधारित वास्तविक प्रभाव की आवश्यकता पर विशेष बल दिया।
जी.एल. बजाज की निदेशक प्रो. (डॉ.) नीता अवस्थी ने अपने सम्बोधन में कहा कि जब कर्मचारी अपने नियमित कार्यप्रवाह से बाहर निकलते हैं और गतिशील वातावरण में सहयोग करते हैं, तो इससे काम के प्रति उनका जुनून फिर से जागृत हो जाता है। उन्होंने कहा कि जीएल बजाज में आयोजित क्यूबिटएक्स-2025 ने तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। यह राष्ट्रीय हैकाथॉन न केवल प्रतिभागियों के कोडिंग कौशल को प्रस्तुत करने का मंच बना बल्कि रचनात्मकता और समस्या समाधान की भावना को भी प्रोत्साहित किया।
इस आयोजन की सफलता में सीएसई विभागाध्यक्ष इंजीनियर संजीव कुमार सिंह, डॉ. नवनीत पांडेय, डॉ. देवेश, इंजीनियर प्रमोद कुमार, डॉ. वी.के. सिंह, डॉ. शशी शेखर, डॉ. उदयवीर आदि का मार्गदर्शन और सहयोग रहा। विभागाध्यक्ष संजीव कुमार सिंह ने कहा कि क्यूबिटएक्स-2025 वास्तव में नवाचार प्रेमियों के लिए एक प्रेरणादायक और गतिशील मंच सिद्ध हुआ, जहां रचनात्मकता, टीम वर्क और तकनीकी उत्कृष्टता का अद्भुत संगम देखने को मिला। समापन अवसर पर पीयूष, शिवम, प्रशांत, प्रणव, रोशनी, काव्या, कुनाल, तान्या, याशी और मोनार्क के प्रयासों की भी मुक्तकंठ से सराहना की गई। इस आयोजन को सफल बनाने में अनस्टॉप का विशेष योगदान रहा जबकि डुअलिटी और डेवनोवेट ट्रैक स्पॉन्सर के रूप में जुड़े। इसके अतिरिक्त अन्य संस्थानों ने भी सहयोगी भूमिका का निर्वहन किया। कार्यक्रम का समापन इंजीनियर ऋचा मिश्रा के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।
चित्र कैप्शनः प्रबंधक एवं इनोवेशन हब, उत्तर प्रदेश की संस्थापक सदस्य वंदना शर्मा के साथ राष्ट्रीय हैकाथॉन में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली जीएल बजाज की टीम।