Tuesday, October 21, 2025
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संस्कृति विवि के फैशन डिजाइनिंग के विद्यार्थियों को मिली नौकरी

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल फैशन डिजाइनिंग के विद्यार्थियों को देश की दो प्रतिष्ठित कंपनियों ने अपने यहां नौकरियां दी हैं। संस्कृति विवि प्रशासन ने विद्यार्थियों के इस चयन पर उन्हें बधाई देते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।
संस्कृति विवि के प्लेसमेंट सेल ने जानकारी देते हुए बताया कि संस्कृति स्कूल आफ डिजाइनिंग के विद्यार्थी छात्रा दिव्यांशी पांडे और छात्र आयुष गर्ग को देश की दो विख्यात कंपनियों अर्बन ग्रैब क्लोदिंग प्रा.लि. और वारिजा डिजाइन स्टूडियो ने अपने यहां नौकरी के लिए चयनित किया है। दोनों ही विद्यार्थियों को कंपनियों ने अपने संस्थान में कड़ी चयन प्रक्रिया के बाद चयनित किया है। अर्बन ग्रैब क्लोदिंग प्रा.लि. तेजी से बढ़ती रेडीमेड किड्स वियर कंपनी है। अपने ब्रांड नाम के तहत बच्चों के पहनने के लिए परिधानों की डिजाइनिंग, निर्माण, ब्रांडिंग और बिक्री में करती है। डिज़ाइन गुणवत्ता और नवीनता की विरासत पर आधारित हैं। वहीं वारिजा डिज़ाइन स्टूडियो फैशन उद्योग में एक जाना पहचाना नाम है। कंपनी को उनके काम से दिल्ली गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। कंपनी को यंग एनवायरनमेंटलिस्ट ट्रस्ट, मुंबई द्वारा फैशन के लिए वुमेन अचीवर्स अवार्ड, बिल्ड इंडिया अवार्ड और वुमेन से भी सम्मानित किया गया है। कंपनी की औद्योगिक यात्रा 2004 में दुल्हनों के लिए परिधान बनाने से शुरू हुई।
संस्कृति प्लेसमेंट सेल के जयवर्धन ने बताया कि संस्कृति स्कूल आफ फैशन डिजाइनिंग की छात्रा दिव्यांशी पांडे को अर्बन ग्रैब क्लोदिंग प्रा.लि. ने और वारिजा डिजाइन स्टूडियो ने संस्कृति स्कूल आफ फैशन डिजाइनिंग के छात्र आयुष गर्ग को चयनित किया है। विद्यार्थियो के इस चयन पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें बधाई देते हुए पूरे मनोयोग से काम करने की सलाह दी गई है।

पड़ाव स्थलों के न होने से ब्रज यात्राओं के बंद होने का ख़तरा – रमेश बाबा

रिपोर्ट राघव शर्मा

बरसाना राधा रानी ब्रज यात्रा के संचालक ब्रजके परम विरक्त संत पद्मश्री रमेश बाबा ने यात्रियों को संबोधित करते हुए कहा कि हम देख रहे हैं कि ब्रज यात्राएँ ब्रज के वैभव व ब्रज की सांस्कृतिक पहचान की प्रतीक हैं परंतु यात्राओं के रुकने का स्थान न मिल पाने की स्थिति में यात्रा संचालक यात्राओं को बन्द करने को विवश हैं । उन्होंने सरकारी तंत्र से अपेक्षा की है कि इस ओर ध्यान दे ।लगभग सभी जगह सरकारी भूमि उपलब्ध हैं बस ध्यान देने की आवश्यकता है ।
आज यात्रा नंदगाँव से गिडोह ,खिटावटा,का दौना होकर सिर थरा पहुँची ।बठेन में जगह न मिलने के कारण कोकिलावन दाऊजी पांडव गंगा के दर्शन छूट गये ।ग्राम गिड़ोह में यात्रा का भव्य स्वागत हुआ । संकीर्तन की धुन पर ब्रजवासिनें थिरकती हुई दिखाई दीं ।इसी तरह खिटावटे में भी घर घर यात्रियों को रोटी बाँटी गईं ।सिरथरा में भी अच्छा स्वागत हुआ ।
इसके पूर्व रात्रि बेला में नंद गाँव बरसाने के गोस्वामी जनों के मध्य व्यंग विनोद का आनंद नंदमंदिर में सभी ने लिया । अंत में बाबा के द्वारा गाया गया -: माँखन की चोरी बारंबार करे फिरभी तो राधा रानी प्यार करे : ।नंदगाँव बरसाने के प्रेम की अद्भुत छटा देखने को मिली । बाबा ब्रज शरण ,नृसिंह दासजी सुरेश पण्डितजी राधा कान्त शास्त्री ब्रजदास राज कुमार शास्त्री आदि यात्रा में साथ चल रहे थे ।

पैराट्यूबरक्लोसिस बीमारी से भारत में 30 प्रतिशत पशु संक्रमित

  • पैराट्यूबरक्लोसिस बीमारी के कारण किसानों को हो रहा आर्थिक नुकसान, सरकार करे सहयोग

मथुरा : जॉन्स रोग (पैराट्यूबरक्लोसिस) बीमारी एक लाइलाज बीमारी है। इसके निदान के लिए कई देश एकजुट होकर रिसर्च में जुटे हुए हैं। भारत में इस संक्रमण को लेकर कई रिसर्च भी हो चुके हैं, जिसमें से एक जॉन्स डिजीज वैक्सीन भी तैयार हो चुकी है। बस अब जरूरत है तो सिर्फ सरकार के सहयोग की।

यह बात जीएलए विश्वविद्यालय के बायोटेक विभाग द्वारा वृंदावन स्थित एक होटल में आयोजित सम्मेलन में मुख्य अतिथि इंडियन काउंसिल ऑफ मेड़िकल रिसर्च (आईसीएमआर) के पूर्व निदेशक प्रो. एनके गांगुली ने कहीं। प्रो. गांगुली ने कहा कि भारत में 30 प्रतिशत के करीब पशु जॉन्स रोग (पैराट्यूबरक्लोसिस) से संक्रमित हैं। इस कारण अगर को पशु ऐसे अपने बच्चे को जन्म देता है तो वह संक्रमण उसमें भी पाया जा रहा है। इसी संक्रमण के चलते पशुओं की प्रजजन क्षमता लगभग खत्म होने के कगार पर है।

उन्होंने बताया कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की सरकारों ने इस पर अधिक ध्यान दिया और सभी जानवरों का चेकअप कराकर वेक्सीनेशन कराया। वहां लगभग यह बीमारी खत्म हो गई, लेकिन भारत में सभी प्रदेशों की सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। यहां भी जानवरों का चेकअप हो और वेक्सीनेशन हो।

विशिष्ट अतिथि इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च के पूर्व डीडीजी एनीमल साइंस डा. एमएल मदन ने बताया कि अधिकतर देशों में पशुओं में यह बीमारी पाये जाने पर उनको खत्म कर दिया जाता है। भारत देश में पशुओं को मारने पर सख्त कानून है। इस कारण यहां वेक्सीन बनाना बहुत जरूरी है। क्योंकि जॉन्स बीमारी सिर्फ पशुओं में ही नहीं बल्कि, उनके माध्यम से यह लोगों में भी फैल रही है। इसी बीमारी से कहीं हद तक निजात पाने के लिए जीएलए विश्वविद्यालय बायोटेक विभाग प्रो. शूरवीर सिंह ने मखदूम फरह से एक रिसर्च कर जीएलए पहुंचकर एक वेक्सीन को तैयार किया। अगर यही वेक्सीन पूरे देश में पहुंच जाये और पशुओं और उनके बच्चों में वेक्सीनेशन बहुत जरूरी है। इसके लिए सरकार को भी सहयोग देने की जरूरत है।

दुवासु मथुरा के पूर्व कुलपति प्रो. केएमएल पाठक ने कहा कि घरेलू पशुओं की पैराट्यूबरकुलोसिस (पीटीबी) नामक अत्यधिक व्यापक संक्रामक बीमारी के खिलाफ ‘ओरल वैक्सीन‘ विकसित करने के लिए परियोजना तैयार हो चुकी है। इस रोग को जॉन्स रोग (जेडी) के रूप में भी जाना जाता है, यह गाय, भैंस, बकरी, भेड़, ऊंट, याक आदि की एक लाइलाज बीमारी है। यह पाचन और प्रतिरक्षा प्रणाली दोनों को नुकसान पहुंचाती है। इस संक्रमण से पशु को दीर्घकालिक दस्त और वजन कम हो जाता है और पशु एक या दो प्रसव के भीतर अनुत्पादक हो जाता है। ऐसे संक्रमित पशुओं के दूध को मनुष्यों द्वारा सेवन करने पर यह संक्रमण मनुश्यों में तथा पशुओं की आने वाली अगली पीढ़ी में संचारित होता रहता है।
यह भी कह सकते हैं कि यह एक दूध के माध्यम से पशुओं की अगली पीढ़ी तथा मनुष्यों में फैलने वाले संक्रमण को रोकने के लिए ही जीएलए के नेतृत्व में बायोटेक टीम पहले ही इंजेक्शन के रूप में एक अत्यधिक प्रभावी टीका जॉन्स रोग के विरूद्ध विकसित कर चुकी है।

ईरान के अदुल्ला डेराकसंदेह ने कहा कि भारत में वृंदावन की इस पावन धरा पर मुझे भले ही एक सम्मेलन में शामिल होने का अवसर मिला हो, लेकिन बहुत खुश हूं। उन्होंने कहा कि वह एंटीजन वेक्सीन के पक्षधर हैं। बेजुबानों को बचाने के लिए हम सभी एक होने की जरूरत है।

जीएलए के प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि यह एक बड़ा अवसर है कि पावन धरा पर एक सम्मेलन के बहाने देश-विदेश के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ एकजुट होकर बेजुबानों को बचाने के लिए अपने विचार रख रहे हैं। ऐसे कार्यक्रम विज्ञान की आधुनिकता को लोगों के सामने रखते हैं। कार्यक्रम में जीएलए बायोटेक के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत और परिचय कराया।

इस मौके पर आईसीएमआर के पूर्व निदेशक डा. वीएम कटोच, पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल वेंक्टेश, पूर्व निदेशक आईसीएआर-आईवीआरआई बरेली के डा. नेम सिंह, पूर्व निदेशक आईसीएआर, सीआईआरजी, आईवीआरआई के डा. एमसी शर्मा, आईसीएआर के पूर्व एएच कमीशनर डा. लालकृष्ण, दुवासु मथुरा के कुलपति प्रो. एके श्रीवास्तव, शेर ई कश्मीर यूनिवर्सिटी जम्मू के कुलपति प्रो. बीएन त्रिपाठी, पूर्व सीनियर सलाहकार डीबीटी के डा. मौ0 आलम आदि विशेषज्ञ और वैज्ञानिकों ने किसानों को लाभ पहुंचाने पर विचार विमर्श किया।
कार्यक्रम में बायोटेक विभाग के सभी पदाधिकारियों का सहयोग रहा।

जीएल बजाज के छात्र-छात्राओं ने सुझाए तकनीकी समस्या के नवीन समाधान

  • हैकथॉन, हैकफिनिटी 1.0-हैक एण्ड बिल्ड प्रतियोगिता में दिखी रचनात्मकता

मथुरा। छात्र-छात्राओं में नवाचार और टीम वर्क को बढ़ावा देने के लिए जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा के कम्प्यूटर साइंस एण्ड इंजीनियरिंग (सीएसई) विभाग द्वारा आयोजित हैकथॉन, हैकफिनिटी 1.0-हैक एण्ड बिल्ड प्रतियोगिता में युवाओं ने अपनी रचनात्मकता से वास्तविक दुनिया की तकनीकी समस्याओं के नवीन समाधान सुझाए। निर्णायकों ने प्रतियोगिता में शामिल सभी 29 टीमों के छात्र-छात्राओं की रचनात्मकता तथा तकनीकी कौशल की सराहना करते हुए विजेता तथा उप-विजेता टीमों को टॉफी और प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत सीएसई विभाग के प्रमुख डॉ. रमाकांत बघेल के प्रेरक भाषण से हुई। उन्होंने प्रतिभागियों के लिए सकारात्मक माहौल तैयार करते हुए कहा कि स्पर्धा कोई भी हो उससे सीख जरूर मिलती है। संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने अपने संदेश में कहा कि जीएल बजाज का उद्देश्य प्रत्येक छात्र तथा छात्रा को उसकी रुचि के अनुरूप मंच प्रदान करना है। ऋचा मिश्रा ने कम्प्यूटर साइंस एण्ड इंजीनियरिंग विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए सभी टीम सदस्यों से अपनी मेधा और तकनीकी कौशल का प्रदर्शन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज के युवा ही हर समस्या का समाधान हैं। उन्होंने सभी प्रतिस्पर्धियों से स्वविवेक से हर समस्या के समाधान का प्रयास करने का आह्वान किया।
दो चरणों में आयोजित चुनौतीपूर्ण हैकथॉन, हैकफिनिटी 1.0-हैक एण्ड बिल्ड प्रतियोगिता का संचालन रीतेश त्रिपाठी ने किया। स्पर्धा में छात्र-छात्राओं ने अपनी रचनात्मकता और तकनीकी कौशल से निर्णायकों को प्रभावित किया। अंत में निर्णायक विपुल अग्रवाल तथा संतोष कुमार चौहान ने विजेता तथा उप विजेता टीमों की घोषणा की। इस प्रतियोगिता में जयश्री टेक्नोसॉफ्ट और वीएसएस के सीईओ तथा संस्थापक विक्रम राज पुरोहित ने अपने प्रेरक उद्बोधन से प्रतिभागी छात्र-छात्राओं में नई ऊर्जा का संचार किया।
स्पर्धा में छात्र-छात्राओं ने वास्तविक दुनिया की समस्याओं के नवीन समाधान सुझाए, जिनकी निर्णायकों ने मुक्तकंठ से सराहना की। निर्णायकों ने टीम क्वाड कोर (कृष्णा मिश्रा, दिव्य गर्ग, आयुषी चौहान, द्वितीय वर्ष, सीएसई एआईएमएल) को प्रथम, कोड बिट्स (प्रिंस शर्मा, यश चौधरी, प्रिया ठाकुर, और अमन विश्वकर्मा-तृतीय वर्ष, सीएसई एआईएमएल) को द्वितीय तथा टीम निर्मता (मनीषा शर्मा, कौशल प्रताप सिंह-अंतिम वर्ष, सीएसई एआईएमएल) को तृतीय स्थान प्रदान किया। अंत में जयश्री टेक्नोसॉफ्ट के संस्थापक विक्रम राज पुरोहित ने विजेता टीमों को पुरस्कृत करते हुए उन्हें बेहतर समाधान प्रस्तुत करने के लिए बधाई दी।
सीएसई विभाग प्रमुख डॉ. रमाकांत बघेल ने कहा कि हैकफिनिटी 1.0 के प्रतिस्पर्धात्मक माहौल देने से छात्र-छात्राओं को एक टीम के रूप में काम करने, रचनात्मक सोचने तथा तकनीकी कौशल में सुधार करने का अवसर मिला। डॉ. बघेल ने कहा कि संस्थान में नवाचार और टीम वर्क की एक मजबूत संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सीएसई विभाग भविष्य में भी ऐसे आयोजनों को प्राथमिकता देता रहेगा।

एस जी एफ आई कराटे प्रतियोगिता में छात्राओं तानिया व अनन्या का हुआ चयन

वृंदावन। 35 वीं अखिल भारतीय कराटे प्रतियोगिता जो कि 14 से 17 अक्टूबर तक सरस्वती विद्या मंदिर, मुखर्जी नगर, देवास (मप्र) में आयोजित हुई। जिसमें हनुमान प्रसाद धानुका विद्यालय की 7 छात्राओं ने सहभागिता की।
प्रधानाचार्य डॉ अंजू सूद ने बताया कि प्रथम स्थान पर तानिया प्रजापति, अनन्या गोला, द्वितीय स्थान पर नन्दिनी, वैष्णवी, अराधिका व दीक्षा तथा तृतीय स्थान पर रितिका रहीं। इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में चयनित होने के लिए छात्राओं ने विद्यालय स्तर, जिला स्तर व राज्य स्तर पर अपनी शानदार प्रदर्शन क्षमता का परिचय दिया। छात्राओं ने कराटे के अपने उत्कृष्ट कौशल और कठोर अभ्यास से यह सिद्ध किया कि समर्पण और मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली दोनों छात्राएँ तानिया व अनन्या आने वाली एसजीएफआई प्रतियोगिता में 11 दिसम्बर से 17 दिसम्बर तक लुधियाना, पंजाब में सहभागिता करेंगी।
इस अवसर पर विद्यालय प्रबन्ध समिति से पद्मनाभ गोस्वामी, बाँके बिहारी शर्मा, विश्वनाथ अग्रवाल, रेखा माहेश्वरी, उमेश चंद शर्मा, मंयक मृणाल, महेश अग्रवाल आदि ने विजयी छात्राओं को हार्दिक शुभकामनाएँ दी एवं आगामी प्रतियोगिताओं के लिए विजयश्री का आशीर्वाद दिया।

रणजी ट्रॉफी में मथुरा के जगदीश अग्रवाल ने की धमाकेदार शुरुआत, मग़र शतक से चूके

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क्रिकेट अकैडमी फॉर एक्सीलेंस मथुरा के जगदीश अग्रवाल का चयन अरुणाचल प्रदेश की रणजी ट्रॉफी टीम में हुआ है, मथुरा के लिए बहुत ही गर्व की बात है कि सीएई मथुरा से रणजी ट्रॉफी खेलने वाले पहले खिलाड़ी बन गए hai, उनका पहला रणजी ट्रॉफी मैच 18 अक्तूबर से 21 अक्टूबर तक अहमदाबाद के गुजरात कॉलेज क्रिकेट स्टेडियम पर मिज़ोरम के ख़िलाफ़ चल रहा है, जिसमें मिज़ोरम ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए पहली पारी में 247 रन बनाए, जवाब में अरुणाचल प्रदेश की टीम ने 252 रन बना कर 5 रन की बढ़त बना ली, जिसमें जगदीश अग्रवाल ने पहली गेंद से ही आक्रमक रुख अपनाया और अपने पहले रणजी ट्रॉफी मैच की शुरुवात ही चौका लगाकर की, अपनी दूसरी गेंद पर भी उन्होंने चौका लगाया और तीसरी गेंद पर ही छक्का लगा कर अपने इरादे जाहिर कर दिए, उन्होंने मात्र 98 गेंदों पर 12 चौके और 2 गगनचुम्बी छक्के लगाते हुए महत्पूर्ण 87 रन जोड़े और टीम को बढ़त दिलवाने में महत्पूर्ण भूमिका अदा की, सीएई के डायरेक्टर जोरावर सिंह ने बताया कि जगदीश मथुरा का बहुत ही जबरदस्त बल्लेबाज है, उनके रणजी ट्रॉफी सिलेक्शन से और उनके प्रदर्शन से सभी बहुत खुश है, एनसीए स्पेशलिस्ट कैलाश सोलंकी ने कहा कि वो बहुत धाकड बल्लेबाज है और वैसे ही रणजी ट्रॉफी में शुरुआत भी की है, शतक से चूकने का दुख भी है, पर अभी दूसरी पारी आना बाकी है जिसमें वो पक्का शतक लगाएगा, जगदीश अग्रवाल के बड़े भाई जगत नारायण अग्रवाल ‘ प्रशांत’
पू.सदस्य – क्षेत्र पंचायत राया मथुरा ,प्रदेश वरिष्ठ महामंत्री राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन (उत्तर प्रदेश) और माताजी मिथलेश अग्रवाल ( सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से रिटायर्ड) ने बताया कि वो बहुत ही मेहनती है, बचपन से ही भारतीय टीम में खेलने का सपना देखा है, जिसकी पहली सीढ़ी आज रणजी ट्रॉफी के रूप में उसको मिली है, उसकी मेहनत का फल उसको मिल रहा है, मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती है जिसका ये उदाहरण है, पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ पडी है, उसको अब अपना हुनर दिखाने का प्लेटफॉर्म मिल गया है, जगदीश अग्रवाल ने भी फोन पर बताया कि उम्र सिर्फ एक नंबर है, अगर क्रिकेट का हुनर है तो आप परिश्रम करते रहिए एक ना एक दिन सफलता जरूर मिलेगी, साथ ही उन्होंने अपने स्वर्गीय पिताजी, गुरूजनों, मित्रों, अपने परिवार और समस्त ब्रजवासियो का धन्यवाद किया जिन्होंने मुझ पर हमेशा विश्वास बनाए रखा। रणजी ट्रॉफी बीसीसीआई के द्वारा करवाए जाने वाला सबसे बड़ा डोमेस्टिक टूर्नामेंट होता है।

बाबू लाल महाविधालय मे हुई रंगोली प्रतियोगिता

रिपोर्टर – राजेश लवानिया
कस्बे के श्री बाबू लाल महाविद्यालय के अंतर्गत दीपावली महोत्सव के दौरान रंगोली प्रतियोगिता एवं मेहंदी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के निदेशक एडवोकेट नंदकिशोर शर्मा, प्राचार्य डॉ लक्ष्मी नारायण शर्मा,उपप्राचार्य डॉ उम्मेद सिंह द्वारा संयुक्त रूप से माँ शारदे के समक्ष दीप प्रज्वलन करके किया गया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए निदेशक नंदकिशोर शर्मा एडवोकेट ने कहा कि छात्राएं आगे चलकर आत्मनिर्भर बन सकें,दो घरों को प्रकाशित कर सकें इस योग्य बनाना हमारा उद्देश्य है। मेहंदी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान वैष्णवी बी एस सी तृतीय वर्ष द्वितीय स्थान ज्योति रानी बी ए प्रथम वर्ष और तृतीय स्थान तमन्ना बी सी ए द्वितीय वर्ष ने प्राप्त किया। वहीं रंगोली प्रतियोगिता में प्रथम स्थान टीम खुशबू एवम प्रीति, द्वितीय स्थान टीम नारायणी एवम पोलमी और तृतीय स्थान टीम अनीता और पूनम तथा टीम रीना एवम चंचल ने संयुक्त रूप से प्राप्त किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से शिक्षा समन्वयक डॉ योगेंद्र प्रसाद गोयल,प्रशासनिक अधिकारी डॉ राज कपूर वर्मा,मुख्य अनुशासन अधिकारी डॉ धीरज कौशिक, डॉ ब्रह्मानंद शर्मा,डॉ जयप्रकाश सिंह, डॉ शुभेन्द्र विष्णु गौतम,डॉ प्रतिभा सिंह, डॉ विमलेश सिकरवार, डॉ रेखा शर्मा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

संस्कृति विवि में वक्ताओं ने बताया बेहतर के लिए इंजीनियरिंग का महत्व

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय और आईईईई यूपी(IEEE UP Section) अनुभाग के सहयोग से, “बेहतर के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना” विषय के तहत एक सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञ वक्ताओं ने विद्यार्थियों को बताया कि प्रौद्योगिकी कैसे नवाचार को बढ़ावा दे सकती है। वक्ताओं ने छात्रों और शिक्षकों के लिए इंजीनियरिंग के भविष्य और प्रौद्योगिकी की भूमिका पर चर्चा के साथ एक स्थायी और नवोन्मेषी भविष्य के निर्माण का रास्ता दिखाया ।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) एम.बी.चेट्टी ने ने अपने उद्घाटन भाषण में आज की दुनिया में रचनात्मकता और नवीनता के महत्व पर जोर दिया। इंजीनियरिंग स्कूल की डीन प्रो.(डॉ.)एस.वैराइचिल्लई ने बताया कि कैसे हम अपने विचार साझा कर नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं और रचनात्मक विचारों का समर्थन कर सकते हैं। प्रो.(डॉ.)पंकज कुमार गोस्वामी ने उभरते हुए व्यावहारिक अनुप्रयोग पर चर्चा करते हुए कहा कि रचनात्मक तकनीक नवाचार को प्रेरित करती है। उन्होंने बताया कि कैसे प्रौद्योकिकियां और उनकी क्षमताएं कैसे काम करती हैं। उन्होंने बाक्स थिंकिंग को व्यवहारिक उदाहरणों के माध्यम से समझाया और बताया कि जटिल तकनीकि समस्याओं को कैसे सुलझाया जा सकता है। आईईईई समन्वयक और संस्कृति स्कूल आफ इंजीनिरिंग एंड इन्फार्मेशन टेक्नोलाजी की प्रोफेसर प्रो गरिमा गोस्वामी ने स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रचनात्मकता नवाचार को बढ़ावा देती है।
कार्यक्रम का संचालन अंजलि सिंह ने किया। कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों को उपयोगी बनाने और संचालित करने में विशाल, शिवम अग्रवाल, कार्तिक तिवारी, दिशा सिंह, अंजलि सिंह, शिव राम कृष्ण
मेडेकुंडा, कुणाल मनोहरदास वैष्णव, नंदिता मिश्रा, अर्पित सक्सेना, कल्याणी गुप्ता ने विशेष योगदान दिया। डा. रीना रानी ने अंत में वास्तविक दुनिया की चुनौतियों से निपटने में प्रौद्योगिकी की भूमिका के बारे में बताते हुए कार्यक्रम में भाग लेने वाले अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

राजीव एकेडमी में पारस्परिक कौशल सुधार पर हुआ अतिथि व्याख्यान

  • सफलता के लिए पारस्परिक कौशल में महारत हासिल करना जरूरी

मथुरा। पारस्परिक संचार कौशल में महारत हासिल करना व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन दोनों में बहुत जरूरी है। पारस्परिक संचार कौशल वे क्षमताएं हैं जिनका उपयोग विभिन्न सामाजिक संदर्भों में दूसरों के साथ प्रभावी ढंग से बातचीत करने के लिए किया जाता है। इन कौशलों में मौखिक और अशाब्दिक संचार, सक्रिय सुनना, सहानुभूति तथा भावनात्मक बुद्धिमत्ता शामिल हैं। यह बातें राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट के एमबीए और एमसीए के छात्र-छात्राओं को अतिथि वक्ता अजय गौतम (को-फाउण्डर चीफ बिजनेस आफिसर-यूनिफो ईडीयू नोएडा) ने बताईं।
श्री गौतम ने अनहंसिंग इण्ट्रापर्सनल स्किल्स टू विकम फ्यूचर मैनेजर एण्ड टैक्नोक्रेट्स विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पारस्परिक कौशल आपको विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने, दूसरों के दृष्टिकोण को समझने तथा व्यक्तिगत और व्यावसायिक सेटिंग्स में सार्थक सम्बन्ध बनाने में सक्षम बनाते हैं। मौखिक संचार संदेश, विचार और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए बोली जाने वाली भाषा का उपयोग करता है। पारस्परिक कौशल में महारत हासिल करने से नेतृत्व प्रभावशीलता, टीम सहयोग और समग्र व्यावसायिक सफलता में काफी वृद्धि होती है।
रिसोर्स परसन अजय गौतम ने छात्र-छात्राओं को बताया कि किसी भी संस्थान या संगठन में बेहतर प्रबंधक बनने के लिए 21वीं सदी के पारस्परिक संचार कौशलों की जानकारी होना बहुत जरूरी है। ये कौशल दूसरों के साथ रचनात्मक रूप से काम करने, स्पष्ट रूप से संवाद तथा सहयोग करने आदि में सहायक होते हैं। उन्होंने कहा कि आप जिसे साफ्टस्किल कहते हैं, वही पारस्परिक संचार स्किल है। ये हाईस्किल के पूरक भी होते हैं जो कार्यस्थल पर प्रभावी संचार टीमवर्क और समग्र संस्थान के कार्यों में मददगार होते हैं।
रिसोर्स पररन ने कहा कि आप इन पारस्परिक कौशलों का प्रयोग नौकरी तलाशने में भी कर सकते हैं। ये कौशल आपकी नौकरी को सुरक्षित बनाए रखने में सहायक होते हैं। इनोवेशन की आप वक्ता से नई-नई जानकारी इन्हीं कौशलों के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। प्राप्त जानकारी को पूर्णतः प्रसंस्करण करना, बिक्री, विपणन, कानून एवं उपभोक्ता आदि सभी के विषय में आप इस स्किल का प्रयोग कर सकते हैं। इस प्रकार के कौशल में 50 प्रतिशत बात करना और 50 प्रतिशत सुनना शामिल होना चाहिए।
श्री गौतम ने बताया कि व्यक्तियों के समूहों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने, बातचीत करने और काम करने के लिए ये स्किल महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसी की मदद से एक देश दूसरे देशों के साथ भविष्य के युद्धों की तैयारी करने तथा लड़ने की व्यूह रचना को समझते हैं। आज की दुनिया में प्रौद्योगिकी द्वारा लाए गए संरचनात्मक बदलाव इस क्षेत्र में रोजगार प्रदान करने की दिशा में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय में अधिक से अधिक कम्पनियां काम पूरा करने के लिए सहयोगी एजाइल फ्रेमवर्क लागू कर रही हैं। नियोक्ता ऐसे कर्मचारियों की तलाश करते हैं जोकि तकनीकी कार्यों को उत्कृष्टता के साथ कर सकें और सहकर्मियों के साथ अच्छी तरह से संवाद कर सकें। अंत में निदेशक डॉ. अमर कुमार सक्सेना ने अतिथि वक्ता का स्वागत करते हुए उनका आभार माना।

जीएलए में ऑनलाइन शिक्षा पद्धति की विधाओं से रूबरू हुए शिक्षक और छात्र

  • जीएलए के सेंटर फॉर ऑनलाइन एंड डिस्टेंस एजुकेशन ने आयोजित कराई दो दिवसीय कार्यशाला

मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर ऑनलाइन एंड डिस्टेंस एजुकेशन द्वारा जीएलए ग्रेटर नोएडा ऑफ कैंपस में “मास्टरिंग द आर्ट ऑफ ऑनलाइन एजुकेशन“ विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का मुख्य ध्येय, उच्च शिक्षा में ऑनलाइन शिक्षा के संयोजन एवं संवर्धन संबंधित जानकारियां देना तथा विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर ऑनलाइन एंड डिस्टेंस एजुकेशन के शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षा की नवीनतम विधाओं में पारंगत करना था।

कार्यशाला की शुरुआत मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के पूर्व निदेशक तथा प्रख्यात शिक्षाविद प्रो. संतोष पांडा एवं प्रो. ज्योत्सना दीक्षित, एडिशनल डायरेक्टर, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा दिए व्याख्यान में दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा में जुडे़ छात्रों को पठन सामग्री, ऑनलाइन टूल्स तथा लर्निंग सिस्टम्स की गहन जानकारी दी गई।

तत्पश्चात कार्यशाला में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, चेन्नई के डा. सत्या सुंदर सेठी, किर्गिस्तान की अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ वर्सेविया गुरा, भारतीय प्रबंध संस्थान काशीपुर के डा. बहरुल इस्लाम तथा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ डा. अभिजीत विश्वास ने ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में नवीनतम तकनीक के प्रयोग के संदर्भ में अपने-अपने व्याख्यान दिए। इसी क्रम में जीएलए विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ऑनलाइन एजुकेशन के एसोसिएट डायरेक्टर डा. पीयूष मित्तल तथा संस्थान की विषय-विशेषज्ञ डा. खुशबू श्रीवास्तव ने भी ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में सेल्फ अनुशासन, मोटिवेशन एंड स्टूडेंट ओरिएंटेड लर्निंग विषय पर अपने व्याख्यान दिए।

विदित रहे कि कार्यशाला को इंडियन काउंसिल फॉर सोशल साइंस रिसर्च, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा स्पॉन्सरशिप भी प्रदान की गई। कार्यशाला में जीएलए विश्वविद्यालय सहित देश के अन्य कई संस्थानों के शिक्षकों ने भी सहभागिता की।

कार्यशाला के दौरान जीएलए विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ऑनलाइन एजुकेशन संस्थान के निदेशक प्रो. दिवाकर भारद्वाज ने बताया कि जीएलए विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन एजुकेशन की शुरूआत जबसे की तभी से ऑनलाइन एजुकेशन में छात्रों का काफी रूझान देखने को मिला है। ऑनलाइन एजुकेशन के छात्रों को ऐसी शिक्षा प्रदान की जा रही है, जैसे उन्हें लग रहा है कि वह विश्वविद्यालय के क्लास रूमों में बैठकर अध्ययन कर रहे हैं।

इस मौके एसोसिएट डायरेक्टर प्रो. पीयूष मित्तल, असिस्टेंट डायरेक्टर डा. रोहित सिंह तोमर तथा सेमिनार की संयोजक डा. खुशबू श्रीवास्तव विशेष रूप से उपस्थित रहीं।