Saturday, October 11, 2025
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जीएलए की एचआर मीट में जुटे कॉर्पोरेट जगत के दिग्गज-जीएलए विश्वविद्यालय की एचआर मीट में विभिन्न कार्यक्षेत्रों में एआई के असर पर हुयी चर्चा

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जीएलए विश्वविद्यालय के प्रबंधन संकाय एवं कम्प्यूटर इंजीनियरिंग विभाग द्वारा ट्रेनिंग व प्लेसमेंट विभाग के सहयोग से अपने विद्यार्थियों को समसामयिक अवसरों और चुनौतियों से रूबरू करने के उद्देश्य से कॉर्पोरेट जगत की ख्यातिप्राप्त कंपनियों के मानव संसाधन अधिकारियों को एक मंच पर लाकर एचआर मीट-2025 का आयोजन किया गया। आयोजन के दौरान विभिन्न सत्रों में मानव संसाधन, तकनीक और शिक्षा के आपसी रिश्ते पर सार्थक संवाद हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत आमंत्रित अतिथियों एवं विश्वविद्यालय प्रबंधन के अधिकारियों, शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति में मां सरस्वती एवं जीएलए विश्वविद्यालय के प्रेरणास्त्रोत स्व. श्री गणेशी लाल अग्रवाल जी के चित्रपट पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर हुई। तत्पश्चात अपने स्वागत उद्बोधन से विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने आयोजन के उद्देश्य व अपेक्षाओं से सभी को अवगत कराया।

“एआई के युग में कौशल विकासः मानव और तकनीक की साझेदारी की रणनीतियां” विषय आधारित प्रथम सत्र के दौरान प्रबंधन संकाय निदेशक प्रो. अनुराग सिंह सत्र संचालक की भूमिका में रहे और बतौर विषय विशेषज्ञ मानव संसाधन विशेषज्ञ सुमित्रा कृष्णन, वेकन टेक्नोलॉजीज़ के महाप्रबंधक (मानव संसाधन) शरत चंद्र सुकुमार, एम्फेसिस की स्ट्रैटेजिक बिज़नेस एचआर पार्टनर रवीना नारायणन, और राफ्ट कंसल्टिंग के सह-संस्थापक मनीष अग्रवाल ने अपने विचार रखे। सभी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कौशल विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। बदलती तकनीकों के अनुसार स्वयं को अपग्रेड करते रहना ही किसी कर्मचारी को प्रासंगिक बनाए रखता है। आने वाले समय में डिजिटल दक्षता और भावनात्मक बुद्धिमत्ता साथ-साथ चलेंगी। संस्थाएं मानव-केंद्रित तभी बनी रहेंगी जब वे तकनीक के साथ-साथ इंसानी संवेदनाओं को भी प्राथमिकता देंगी।

भविष्य के लिए कार्यबल को तैयार करने तथा कार्यों की प्रकृति और आवश्यक कौशल में आ रहे बदलावों पर केंद्रित द्वितीय परिचर्चा सत्र का संचालन भी प्रो. अनुराग सिंह द्वारा किया गया जिसमें सॉफ्ट सॉव टेक्नोलॉजीज़ में पीपल एवं स्ट्रैटेजिक एलायंस की निदेशक सुधेन्द्रा देवी, एक्सपेरी के टैलेंट एक्विज़िशन हेड मनरूप सिंह, प्रयाग कंज़्यूमर केयर से मुख्य मानव संसाधन अधिकारी कृतिवासन एस एवं अनुभवी ग्लोबल टेक्नोलॉजी हायरिंग लीडर रमित त्यागी ने अपने अनुभवों और विचारों को विद्यार्थियों के साथ साझा किया। ओटीटी, सिनेमा, पावरपॉइंट डिजाइन जैसे रोजमर्रा के अनुभवों को एआई के प्रभावों से जोड़कर विद्यार्थियों को विषय से जोड़ा गया एवं सत्र को एक पक्षीय संवाद की जगह प्रश्नोत्तरी के रूप में बढ़ाया गया। विशेषज्ञों ने एकमत होकर कहा एआई नौकरियों की भूमिका को बदल रहा है, लेकिन रचनात्मकता, अनुकूलनशीलता, सहानुभूति और नैतिक निर्णय जैसे मानवीय कौशल आने वाले समय में और भी ज्यादा महत्व रखेंगे। इस बात पर भी जोर दिया गया कि यह इंसान बनाम मशीन की लड़ाई नहीं है, बल्कि इंसान और मशीन की साझेदारी है, जो इस संतुलन को समझेगा, वही भविष्य का नेतृत्व करेगा। विद्यार्थियों को सलाह दी गई कि जब तक वे तकनीक को अपनाकर खुद को दूसरों से अलग और बेहतर साबित नहीं करते, तब तक तकनीक से प्रतिस्पर्धा कठिन रहेगी।

सत्रों के पश्चात हुये नेटवर्किंग ब्रेक ने सभी को एक-दूसरे से खुलकर बातचीत करने का मौका दिया। संकाय सदस्यों, विद्यार्थियों और उद्योग जगत के विषय विशेषज्ञों के बीच हुई अनौपचारिक बातचीत भी कई नए दृष्टिकोणों को जन्म देने वाली रही और उन्हें करियर और उद्योग की वास्तविकताओं को नजदीक से समझने का अवसर मिला।

कार्यक्रम के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन देते हुये आइईटी के डीन प्रो. अशोक भंसाली ने कहा कि यह एचआर मीट महज एक दिन का सामान्य आयोजन नहीं बल्कि एक ऐसा पुल रहा जो कि अकादमिक और उद्योग जगत को जोड़ता है, वर्तमान सोच और भविष्य की संभावनाओं को एक मंच पर लाता है। प्रबंधन संकाय निदेशक प्रो. अनुराग सिंह ने कहा कि आमंत्रित विशेषज्ञों द्वारा विद्यार्थियों को दिए गए गुर निश्चित ही उन्हें कॉर्पोरेट जगत में अपनी संभावित भूमिकाओं और संबंधित अपेक्षाओं को समझने में मदद देंगे। हमें बदलते समय से डरने की नहीं, बल्कि उसे आत्मविश्वास के साथ अपनाने की जरूरत है।

एचआर मीट की शुरूआत से पूर्व कंपनियों के मानव संसाधन अधिकारियों का स्वागत जीएलए विश्वविद्यालय के सीईओ नीरज अग्रवाल ने किया। उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि ऐसे अवसर हर दिन और हर माह नहीं मिलते। दिग्गज कंपनियों के अधिकारियों से रूबरू होने के अवसर कभी-कभी मिलते हैं। इसलिए कॅरियर में बदलाव लाने का यह सही समय है।

प्रबंधन संकाय विभागाध्यक्ष प्रो. उत्कल खंडेलवाल, सह-विभागाध्यक्ष प्रो. कृष्णवीर सिंह ने संयुक्त रूप से कहा कि एआई से भले ही काम करने का तरीका बदल जाए, पर इंसान की भूमिका, उसकी सोच और संवेदनाएं हमेशा केंद्र में बनी रहेंगी। ऐसे में इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों को समसामयिक बनाए रखने में विशेष महत्व रखते हैं। कार्यक्रम के सफल आयोजन में ट्रेनिंग-प्लेसमेंट विभाग की मोनिका भट्ट क्षेत्री, ज्योति त्यागी समेत प्रबंधन संकाय के शिक्षक-शिक्षिकाओं व विद्यार्थियों का विशेष सहयोग रहा।

चित्र परियः संस्कृति विश्वविद्यालय में शिक्षक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शिक्षकों को संबोधित करते हुए विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता।चित्र परिचय2-शिक्षक दिवस कार्यक्रम में उपस्थित संस्कृति विवि का शिक्षक संकाय।

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संस्कृति विश्वविद्यालय में रंगारंग कार्यक्रमों के साथ मना शिक्षक दिवस
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में शिक्षक दिवस पर आयोजित रंगारंग कार्यक्रम में विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने शिक्षकों को बधाई देते हुए विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण में शिक्षकों के महत्व पर कहा कि आपके अंदर वह सामर्थ्य है जो एक सामान्य शिक्षार्थी को उदीयमान विद्यार्थी बना दें। शिक्षकों के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है और उन्हें इस जिम्मेदारी को समझते हुए विद्यार्थियों को अपना श्रेष्ठतम देना चाहिए।
डा. गुप्ता ने कहा कि आज के समय में शिक्षकों को स्वयं भी लगातार हो रहे परिवर्तनों से सामंजस्य बनाए रखना होता है। जो शिक्षक अपने विषयों में अपडेट होते रहते हैं वही विद्यार्थियों को सही शिक्षा दे पाते हैं। उन्होंने विवि के शिक्षकों की प्रशंसा करते हुए समर्पण और लगन के साथ छात्रों का उत्थान जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम के दौरान उन मार्गदर्शकों का सम्मान किया जिनके मार्गदर्शन से छात्रों का भविष्य बनता है। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा शिक्षकों को शैक्षणिक उत्कृष्टता के स्तंभ के रूप में महत्व दिया गया। समारोह की शुरुआत गणमान्य व्यक्तियों के पारंपरिक स्वागत के साथ टीका और उपहारों के साथ हुई, जिसके बाद कुलाधिपति डॉ. सचिन गुप्ता और सीईओ डॉ. मीनाक्षी शर्मा ने विश्वविद्यालय के वरिष्ठ सदस्यों के साथ दीप प्रज्वलित किया।
कार्यक्रम में सम्मानित संकाय सदस्यों द्वारा काव्य पाठ और व्यक्तिगत विचार प्रस्तुत किए गए। डॉ. के. के. पाराशर और श्री बैरिस्टर सिंह ने भावपूर्ण कविताएँ सुनाईं, जबकि डॉ. फहीम अख्तर ने कक्षा के अनुभव साझा किए, जिसमें शिक्षकों और छात्रों के बीच के संबंधों पर प्रकाश डाला गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम ने इस अवसर को और भी जीवंत बना दिया, जिसमें गौरव सर्वांग, हर्ष सिंह, दिशा शर्मा और कंचरस तोगी ने एक गतिशील नृत्य प्रस्तुति दी जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। नंदिनी व्यास और शीतल कुशवाहा की अन्य प्रस्तुतियों ने मंच पर विविधता और उत्साह का संचार किया।
कार्यक्रम में मनोरंजक खेल और गतिविधियाँ भी शामिल थीं, जिन्हें संकाय के लिए सोच-समझकर आयोजित किया गया था, जिससे आनंद और एकजुटता का माहौल बना। पुरुष और महिला दोनों संकाय सदस्यों की उत्साही भागीदारी ने समारोह को जीवंत और यादगार बना दिया। कार्यक्रम का संचालन शिवम भारद्वाज, संस्कृति स्कूल आफ होटल मैनेजमेंट के डीन डा.रतीश शर्मा ने किया। कार्यक्रम में आयोजन में सुश्री शुभ्रा पांडे (सहायक प्रोफेसर) और अन्य संकाय सदस्यों ने विशेष रूप से सहयोग किया। समारोह का समापन एक जोशीले नृत्य प्रदर्शन के साथ हुआ, जिसने एकता, सम्मान और आनंद की अनमोल यादें अपने पीछे छोड़ दीं।

स्वस्थ जीवन का आधार, पोषणयुक्त संतुलित आहार पारितोषिक वितरण के साथ राष्ट्रीय पोषण आहार सप्ताह का समापन के.डी. मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने दिखाई रचनात्मकता

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मथुरा। खुशहाल और सुखी जीवन के लिए अच्छा स्वास्थ्य जरूरी है। स्वस्थ शरीर के लिए संतुलित आहार लेना और जंक फूड से परहेज करना आवश्यक है। एक ऐसा आहार जो हमारे शरीर को प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है संतुलित आहार कहलाता है। उचित मात्रा में कैलोरी का सेवन करने से ही हमारे शरीर को पोषण प्राप्त होता है। यह बातें के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के सामुदायिक चिकित्सा विभाग द्वारा “बेहतर जीवन के लिए सही भोजन करें” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के समापन अवसर पर विशेषज्ञ चिकित्सकों ने छात्र-छात्राओं से साझा कीं।
एक सितम्बर से सामुदायिक चिकित्सा विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मेडिकल छात्र-छात्राओं के लिए सीखने, प्रतिस्पर्धा करने तथा अपनी रचनात्मकता को अभिव्यक्त करने का एक जीवंत मंच साबित हुआ। छात्र-छात्राओं ने स्वनिर्मित पोषण आहार, पोस्टर प्रजेंटेशन तथा अपनी हाजिर-जवाबी से जो संदेश दिया, उसकी जितनी सराहना की जाए कम है। राष्ट्रीय पोषण आहार सप्ताह का समापन छात्र-छात्राओं के पारितोषिक वितरण के साथ हुआ।
विभागाध्यक्ष सामुदायिक चिकित्सा डॉ. अमनजोत कौर चौहान ने बताया कि राष्ट्रीय पोषण आहार सप्ताह के इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य छात्र-छात्राओं तथा आमजन को स्वस्थ आहार, संतुलित पोषण और स्थायी खाद्य आदतों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना था। उन्होंने कहा कि मेडिकल छात्र-छात्राओं ने बिना आग पोषण आहार बनाने, पोस्टरों के माध्यम से लोगों को संतुलित आहार, सही खानपान की आदतें अपनाने, कुपोषण रोकने और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से बचने का जो संदेश दिया, वह उनकी शानदार रचनात्मकता का प्रतीक है।
डॉ. कौर ने बताया कि निर्णायकों चिकित्सा निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार, महिला एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. वी.पी. पांडेय, विभागाध्यक्ष मेडिसिन डॉ. मंजू पांडेय, विभागाध्यक्ष क्षय रोग डॉ. एस.के. बंसल, विभागाध्यक्ष शिशु रोग डॉ. के.पी. दत्ता, डॉ. आशुतोष, डॉ. राहुल गोयल, डॉ. गौरीशंकर गोयल आदि ने हर टीम की रचनात्मकता का सूक्ष्मता से अवलोकन करते हुए परिणामों की घोषणा की। स्वादिष्ट पोषण आहार प्रतियोगिता में हर टीम ने बेहद स्वादिस्ट व्यंजन तैयार किए जिसमें टीम बी को विजेता तथा टीम सी को उपविजेता का पुरस्कार मिला। इसी तरह पोस्टर प्रजेंटेशन प्रतियोगिता में लक्षी शर्मा, रवी शर्मा, सचिन शर्मा तथा विपिन गर्ग की टीम को विजेता होने का गौरव हासिल हुआ। क्विज प्रतियोगिता में कृष्णा शिंदे, कोमल त्यागी, लोकेश यादव, लक्षित गौतम तथा मधुसूदन गुप्ता की ई-टीम विजेता रही।
प्रतियोगिता के समापन अवसर पर सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों ने अपने सम्बोधन में संतुलित आहार को स्वस्थ शरीर और मस्तिष्क के लिए जरूरी बताया। सभी ने इस शानदार आयोजन के लिए सामुदायिक चिकित्सा विभाग की सराहना की। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र कुमार ने कहा कि यह आयोजन स्वस्थ जीवनशैली के लिए संतुलित पोषण के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने, खाद्य उत्पाद विकास में रचनात्मकता और नवाचार को प्रोत्साहित करने में काफी उपयोगी साबित हुआ।
डॉ. अमनजोत कौर चौहान ने राष्ट्रीय पोषण आहार सप्ताह के सुव्यवस्थित संचालन और सफलता में योगदान के लिए डॉ. बिश्वाविनोद सानफुई, डॉ. स्वेता सिंह, डॉ. शुभ्रा दुबे, डॉ. अमन गुप्ता, डॉ. निशांत गुप्ता, डॉ. अंकुर कुमार, राजकुमार, इंद्रेश्वर उपमन्यु आदि का आभार मानते हुए विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता-उपविजेता छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. निशांत गुप्ता ने किया।
चित्र कैप्शनः अतिथियों के साथ विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता-उपविजेता मेडिकल छात्र-छात्राएं।

जीएलए की अल्यूमना ने अंतरराष्ट्रीय शोध जगत में बढ़ाया विश्वविद्यालय का मान

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मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा ने एक बार फिर वैश्विक शोध मंच पर अपनी उत्कृष्टता का परचम लहराया है। विश्वविद्यालय की अल्यूमना रसनप्रीत कौर को प्रतिष्ठित रमन-चारपाक फ़ेलोशिप से सम्मानित किया गया है। यह फ़ेलोशिप भारत और फ्रांस के बीच उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान सहयोग को प्रोत्साहित करने वाला प्रतिष्ठित इंडो-फ़्रेंच एक्सचेंज प्रोग्राम है, जो उत्कृष्ट डॉक्टरेट शोधार्थियों को फ्रांस में अपने शोध कार्य को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।

विदित रहे कि रसनप्रीत कौर ने अपनी एमएससी की पढ़ाई जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के जैव प्रौद्योगिकी विभाग से पूरी की। यहां की अनुशासित शैक्षणिक संस्कृति, प्रेरणादायी शोध वातावरण और गुणवत्तापूर्ण मार्गदर्शन ने उनके कॅरियर को नई दिशा दी। विश्वविद्यालय में मिले सहयोग और प्रोत्साहन ने उनकी वैज्ञानिक जिज्ञासा को और गहराई दी तथा अनुसंधान के प्रति समर्पण को मजबूत किया।

एमएससी के दौरान उन्हें राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई) नई दिल्ली में मास्टर्स प्रोजेक्ट पर कार्य करने का अवसर मिला। यहां उन्होंने न्यूमोकोकल प्रोटीन पर शोध किया और उसकी वैक्सीन क्षमता का आकलन किया। इस अनुभव से उन्हें प्रयोगात्मक तकनीकों की गहन जानकारी के साथ-साथ अंतविषय शोध कौशल भी विकसित करने का मौका मिला।
इसके बाद उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुहावटी से पीएचडी की, जहां उनका शोध जीव विज्ञान और प्रोटीन अंत क्रियाओं पर केंद्रित रहा। उनका कार्य प्रोटीन संरचना, गतिकी और उनके आपसी संबंधों को समझने पर आधारित है, जिसका सीधा असर नई दवाओं और वैक्सीन विकास में हो सकता है।

अब रमन-चारपाक फ़ेलोशिप के अंतर्गत रसनप्रीत फ्रांस में लाइव-सेल एनवायरनमेंट में उच्च स्तरीय तकनीकों का उपयोग कर अपने शोध का विस्तार करेंगी। उनका कार्य भविष्य में दवा खोज, टीका विकास और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधार में नई संभावनाओं को जन्म देगा।
इस उपलब्धि पर जीएलए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अनुप कुमार गुप्ता ने गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि रसनप्रीत कौर की यह उपलब्धि जीएलए की शैक्षणिक गुणवत्ता और शोध-उन्मुख वातावरण का परिणाम है। हमें गर्व है कि हमारे छात्र वैश्विक मंच पर विश्वविद्यालय और देश का नाम रोशन कर रहे हैं। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने कहा रसनप्रीत ने अपनी मेहनत, लगन और नवाचार के बल पर यह मुकाम हासिल किया है। विभाग के लिए यह गौरव का विषय है कि हमारी छात्रा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। हमें विश्वास है कि उनका शोध कार्य चिकित्सा विज्ञान और जनस्वास्थ्य में क्रांतिकारी योगदान देगा। डा. आलोक भारद्वाज तथा डा. माया दत्त जोशी ने भी छात्रा को बधाई देते हुए उसके उज्जवल भविष्य की कामना की है।

रसनप्रीत कौर की यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत मेहनत और उत्कृष्टता का प्रमाण है, बल्कि यह जीएलए विश्वविद्यालय के उस वैश्विक दृष्टिकोण को भी रेखांकित करती है, जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों को न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाती है, बल्कि उन्हें विश्व पटल पर सार्थक योगदान देने के लिए सक्षम भी बनाया जाता है।

राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं ने शिक्षकों का किया अभिनन्दनआर.के. ग्रुप के शैक्षिक संस्थानों में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के कृतित्व को किया याद

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मथुरा। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के शैक्षिक संस्थानों में शुक्रवार को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती शिक्षक दिवस के रूप में मनाई गई। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों के बीच अपने गुरुजनों का स्वागत और अभिनन्दन किया। शिक्षक दिवस का शुभारम्भ संस्थान प्रमुखों द्वारा डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एवं विद्या की आराध्य देवी मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया।
आर.के. एजूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने सभी गुरुजनों को शिक्षक दिवस की बधाई देते हुए कहा कि शिक्षक होना अपने आप में गर्व और गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि एक मां जहां अपने बच्चों को संस्कारवान बनाती है वहीं शिक्षक बच्चों को शिष्टाचार सिखाते हुए उनका बौद्धिक विकास करते हैं। के.डी. मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने कहा कि शिक्षकों का कार्य केवल बच्चों को शिक्षित करना ही नहीं बल्कि उनमें अच्छे गुणों का विकास करना भी है। श्री अग्रवाल ने कहा कि गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति असम्भव है। गुरु, शिष्य की न सिर्फ कमियों को दूर करता है बल्कि वह उसके पूरे व्यक्तित्व को भी निखारता है।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल में मनमोहक कार्यक्रमों के बीच शिक्षक दिवस मनाया गया। इस अवसर पर कक्षा 12 के छात्र-छात्राओं ने अपने गुरुजनों को बैज व उपहार भेंटकर उनका अभिनंदन किया। विद्यालय प्रबंधन की तरफ से सभी शिक्षकों के प्रति सम्मान का भाव दर्शाते हुए उन्हें ब्रजवासी लेंडसिन में लंच देने के साथ उपहार प्रदान कर सम्मानित किया गया। विद्यालय की प्रिंसिपल प्रिया मदान ने छात्र-छात्राओं को शिक्षक दिवस की महत्ता बताते हुए कहा कि यह तिथि इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती है, जो एक प्रतिष्ठित विद्वान, दार्शनिक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे। शिक्षा में उनके गहन योगदान और ज्ञान दर्शन की गूंज आज भी जारी है, जिससे यह दिन न केवल शिक्षकों का बल्कि उनके द्वारा छोड़ी गई स्थायी विरासत का भी उत्सव बन गया है। प्रिया मदान ने कहा कि शिक्षक उस सड़क की तरह होते हैं जो स्वयं उसी स्थान पर रहते हैं परंतु विद्यार्थियों का जीवन संवार कर उन्हें आगे बढ़ा देते हैं। कार्यक्रम का संचालन हर्षिता एवं युक्ति ने किया।
के.डी. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने कहा कि शिक्षक उस दीपक के समान होते हैं जो स्वयं जलकर अपनी रोशनी से सबको प्रकाशित करते हैं। उन्होंने कहा कि यह दिन शिक्षकों को सम्मानित करने और समाज में उनके अमूल्य योगदान को पहचानने के लिए समर्पित है। साथ ही यह दिन शिक्षा के महत्व और हमारे जीवन को आकार देने में शिक्षकों के प्रभाव की भी याद दिलाता है। डॉ. अशोका ने बताया कि भारत में शिक्षक दिवस की शुरुआत डॉ. राधाकृष्णन की विनम्रता और शिक्षा के प्रति उनके समर्पण से जुड़ी हुई है।
के.डी. डेंटल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी ने कहा शिक्षक हमारे अस्तित्व का आधार हैं। हमें जिम्मेदार नागरिक बनाते हैं। डॉ. लाहौरी ने कहा कि बदलते परिवेश में शिक्षकों का कार्य और अधिक विस्तृत हो गया लिहाजा उन्हें छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए सतत प्रयत्न करते रहना चाहिए। जी.एल. बजाज की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने कहा कि जो छात्र-छात्राएं गुरु द्वारा दिए जाने वाले ज्ञान को व्यावहारिक रूप से अपने जीवन में उतार लेते हैं वही सफलता के शिखर पर पहुंचते हैं। प्रो. अवस्थी ने कहा कि गुरु का दर्जा भगवान से भी बड़ा माना जाता है क्योंकि अपने शिष्य को गुरु ही ईश्वर तक पहुंचने की राह दिखाता है।
चित्र कैप्शनः उत्साह और उमंग के बीच शिक्षक दिवस मनाते राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राएं।

राजीव इंटरनेशनल स्कूल पांचवीं बार बना ओवर ऑल चैम्पियनब्रज हेरिटेज फेस्ट 2025 में जीते सर्वाधिक 256 पुरस्कार

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विजेता ट्रॉफी के साथ जीते सर्वाधिक स्पेशल प्राइज
मथुरा। राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राएं शिक्षा ही नहीं सांस्कृतिक गतिविधियों में भी किसी से कम नहीं हैं। इसे सही साबित किया है हाल ही सम्पन्न ब्रज हेरिटेज फेस्ट 2025 की लगातार पांचवीं बार ओवर ऑल चैम्पियंस ट्रॉफी जीतकर। चंद्रोदय मंदिर में करतल ध्वनि के बीच हुए पारितोषिक वितरण समारोह में राजीव इंटरनेशनल स्कूल के होनहार छात्र-छात्राओं ने विभिन्न विधाओं में कुल 256 पुरस्कारों के साथ स्पेशल प्राइज और चमचमाती ओवर ऑल चैम्पियंस ट्रॉफी अपने नाम की।
23 जुलाई से दो अगस्त तक चंद्रोदय मंदिर वृंदावन द्वारा आयोजित इंटर स्कूल सांस्कृतिक समारोह में राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं ने क्विज, एक्स्टेम्पोर, हैण्डराइटिंग, श्लोक चेंटिंग, ड्राइंग, डांस, म्यूजिक, रंगोली, कृष्ण झांकी प्रजेंटेशन, ट्रेजर हंट आदि प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। इस सांस्कृतिक आयोजन में मथुरा जनपद के 40 से अधिक स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभागिता की। दो सितम्बर को हुए पारितोषिक वितरण समारोह में राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं ने अधिकांश प्रतियोगिताओं में उत्कृष्टता हासिल करते हुए अपना परचम फहराया और कुल 256 पुरस्कार अपने नाम किए।
राजीव इंटरनेशलन स्कूल की उत्कृष्टता का आलम यह रहा कि उसे सर्वाधिक मेडल और ईनाम हासिल करने के लिए आयोजकों द्वारा पांचवीं बार ओवर ऑल चैम्पियंस ट्रॉफी प्रदान की गई। सर्वाधिक स्पेशल प्राइज भी राजीव इंटरनेशलन स्कूल के छात्र-छात्राओं ने जीते। स्पेशल प्राइज जीतने वालों में रोनिका नागपाल (टैबलेट), काव्यांशी मित्तल (स्कूल बैग), मानस सारस्वत (स्टडी टेबल), मनस्विक (लंच बॉक्स), श्रीनिका (कलरिंग किट) एवं शिवांशी (स्मार्ट वॉच) शामिल हैं। इस अवसर पर सभी विजेता-उपविजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र भेंटकर उनकी हौसलाअफजाई करने के साथ राजीव इंटरनेशनल स्कूल के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रिंसिपल प्रिया मदान को स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया। आरआईएस की इस सफलता में विद्यालय के शिक्षकों विशाल सैनी और कोमल सैनी का विशेष योगदान रहा।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने सभी छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि लगातार पांचवीं बार ओवरऑल चैम्पियनशिप ट्रॉफी जीतना बहुत बड़ी उपलब्धि है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा के साथ ही सांस्कृतिक गतिविधियों में सर्वश्रेष्ठ स्थान हासिल करना इस बात का सूचक है कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल में प्रत्येक विद्यार्थी के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास पर ध्यान दिया जा रहा है।
विद्यालय के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने इस शानदार सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए विजेता छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। श्री अग्रवाल ने कहा कि छात्र-छात्राएं इसी प्रकार अपनी मेधा और कौशल से कामयाबी हासिल करते हुए अपने स्कूल, जनपद और प्रदेश का गौरव बढ़ाएं। विद्यालय की प्रिंसिपल प्रिया मदान ने जनपद के छात्र-छात्राओं को नए अवसर प्रदान करने के लिए ब्रज हेरिटेज का आभार माना साथ ही विद्यार्थियों को इस सफलता के लिए बधाई देते हुए कहा कि यह वाकई में बड़ी उपलब्धि है।
चित्र कैप्शनः ब्रज हेरिटेज फेस्ट 2025 की ओवर ऑल चैम्पियंस ट्रॉफी के साथ राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राएं और शिक्षक।

चित्र परिचयः संस्कृति विश्वविद्यालय के संतोष मैमोरियल सभागार में नवीन सत्र के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए मोटीवेशनल स्पीकर मेजर डा. मोहम्मद अली शाह। मंच पर आसीन संस्कृति विवि के कुलपति प्रो.एमबी चेट्टी, डा. रजनीश त्यागी, अक्षय पात्र की प्रवक्ता सुलोचना देवी।

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संस्कृति दीक्षारंभ 2025 में दिग्गजों ने छात्रों को दिखाई सही राह

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में चल रहे दीक्षारंभ 2025 में नवीन सत्र के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए सेना के पूर्व अधिकारी, बालीवुड अभिनेता और मोटीवेशनल स्पीकर मेजर डा. मोहम्मद अली शाह ने राधे-राधे के उच्चारण के साथ कहा कि वक्त की कीमत आपको समझनी होगी। क्षण भर में लिया गया निर्णय आपकी पूरी जिंदगी बनाने और बिगाड़ने की क्षमता रखता है। हमें वक्त का सम्मान करना सीखना होगा।
विश्वविद्यालय के संतोष मैमोरियल सभागार में मेजर शाह ने अपने फौजी जीवन के किस्से सुनाते हुए बताया कि मैं परेड करते वक्त कई बार फेल हुआ लेकिन एक दिन ऐसा भी आया जब मैंने अपनी कमांड का कैप्टन बनकर कर्त्तव्य पथ पर नेतृत्व किया और देश विदेश के मेहमानों के सामने मार्चपास्ट किया। आपको कभी हार नहीं माननी है। जोशीले अंदाज में कवि सोहनलाल द्विवेदी की कविता, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, सुनाकर विद्यार्थियों में जोश भर दिया। उन्होंने कहा कि महत्व इस बात का नहीं कि आप कहां से आए हैं, महत्व इस बात का है कि आप कहां तक जाते हैं। उनका कहना था कि विश्वविद्यालय में सभी जगह से विद्यार्थी आते हैं, लेकिन नाम उन्हीं का होता है जो अपनी प्रतिभा से ऊपर उठते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि वे पहले भी संस्कृति विवि आ चुके हैं, यहां आकर अलग सी अनुभूति होती है जो मन में सकारात्मकता पैदा करती है।
समाजिक कार्यकर्ता, यूथ फार नेशन संगठन के अध्यक्ष बिरंदम गुनाकर ने विद्यार्थियों को पर्यावरण के महत्व और इसकी सार्थकता पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि आज जमीन, वायुमंडल और जल सभी प्रदूषित हो गया है। सारा विश्व स्वीकार रहा है कि हमसे कुछ गल्तियां हुई हैं। 1972 में स्टाक होम में पर्यावरण को लेकर चिंता व्यक्त की गई और पांच जून 1973 से पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत की गई। 1760 में हुई औद्योगिक क्रांति के बाद दुनियाभर में पेड़ काटे गए। दो विश्व युद्ध हुए और पर्यावरण लगातार खराब हुआ। गुनाकर ने कहा कि हमारे देश में प्राचीन काल से पर्यावरण को महत्व दिया जाता रहा है, लेकिन अत्याधिक कीटनाशकों और कैमिकल से तैयार खादों के कारण हमारी जमीन तेजी से अपनी उर्वरा क्षमता खोती जा रही है।
अक्क्षय पात्र से आईं सुलोचना देवी ने विद्यार्थियों को शिक्षा के दबाव से मुक्ति के लिए बहुत व्यवहारिक तरीके बताए। उन्होंने कहा कि जहां आपका विश्वविद्यालय है वह स्थान साधारण स्थान नहीं है। ये भगवान कृष्ण की ब्रज भूमि है। यहां कि तरंगे आप महसूस करेंगे और आपको शांति मिल जाएगी। उन्होंने गीता के उद्धरण प्रस्तुत करते हुए कि आपके अंदर सहिष्णुता होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि आप अपने दबावों को बहुत ही समझदारी से कम कर सकते हैं। अपने अंदर कभी भी हीन भावना न आने दें। कोई आपसे बुरा बोलता है तो उसे ध्यान न दें। अपने अंदर की विशेषता को बनाए रखें। कार्यक्रम का संचालन संस्कृति प्लेसमेंट सेल की अधिकारी श्रीमती ज्योती यादव ने किया।
मेहनत तो करनी पड़ेगीः डा. सचिन गुप्ता
संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने अपने अध्यक्षीय भाषण में विद्यार्थियों से कहा कि आपके सच्चे मेंटर माता-पिता ही होते हैं। आप सबकुछ हासिल कर सकते हैं जो आप और आपके माता-पिता चाहते हैं, लेकिन इसके लिए आपको मेहनत करनी पड़ेगी। कभी मायूस हो तो नीचे की ओर देख लेना, तुमसे नीचे बहुत बड़ी संख्या में लोग हैं। अपने आप पर विश्वास रखिए आपको मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि कभी भी निराश और उदास नहीं होना है। खूब सपने देखो, खूब ऊंचाईयों पर पहुंचो। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल जे.कलाम का उदाहरण देते हुए कहा कि हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी है। आपको कौशलयुक्त होना है। यह विश्वविद्यालय आपका परिवार है।

चित्र परिचयः संस्कृति विश्वविद्यालय के दीक्षारंभ-2025 कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि पियूष भाटिया दीप प्रज्ज्वलित करते हुए। साथ में हैं खान सर, विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता, कुलपति प्रो. एमबी चेट्टी।

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संस्कृति विवि में बोलीं लाइफ कोच, फेल होना असफलता नहीं, मौका
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के दीक्षारंभ-2025 कार्यक्रम में ख्यातिप्राप्त बिजनेस एंड लाइफ कोच पियूष भाटिया ने संस्कृति विवि के विद्यार्थियों को विद्यार्थी जीवन में आने वाली तमाम कठिनाइयो पर जीत हासिल करने के तरीके बताए। उन्होंने कहा कि आप चाहें तो अपने जीवन की असफलता को सफलता में आसानी से बदल सकते हैं और अपना लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।
अनेक सम्मानों से सम्मानित बिजनेस एंड लाइफ कोच पियूष भाटिया ने अपने जीवन की हकीकतों को बयान करते हुए विद्यार्थियों से कहा कि फेल होना असफलता नहीं है, यह एक अवसर है। मेरे माता-पिता मुझे डाक्टर बनाना चाहते थे लेकिन में परीक्षा में फेल हो गई। मैंने उससे सबक लिया और अपने जीवन को सफलता की ओर मोड़ दिया। असफलता आपको कंफर्ट जोन सो बाहर निकालती जो आपके जीवन को बनाने के लिए बहुत जरूरी है। दुनिया का बड़े से बड़ा आदमी असफल हुआ है, चाहे वो हमारे देश के राष्ट्रपति रहे कलाम साहब हों या फिर एप्पल के मालिक स्टीव जाब्स ये सब असफल हुए हैं, लेकिन इन लोगों ने अपनी असफलता को अवसर बनाकर सफलता हासिल की।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जीवन में अक्सर स्ट्रेस का सामना करना पड़ता है। यह तभी होता है जब हम किसी मसले को डील नहीं कर पाते। किसी मसले के हल करने के लिए आपकी क्षमता बहुत महत्व रखती है। कोई मामला कठिन नहीं होता बल्कि हमको उसे हल करने के लिए अपनी क्षमता कैसे बढ़ाई जाए इस पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे लिए बहुत जरूरी है कि सबसे पहले हम अपने आप को जानें। हमको हर समय सोचना होगा कि मुझे फेल नहीं होना है। हम अपनी आंतरिक क्षमता को बढ़ाते रहेंगे तो एक दिन बड़ी से बड़ी समस्या का सामना कर लेंगे। उन्होंने कहा कि हमें अपने नजरिये को भी बदलना होगा, हमेशा सकारत्मक नजरिया रखने से हम बहुत सारे स्ट्रेस को कम करने में कामयाब हो जाते हैं। सबसे पहले आप अपना सम्मान करना सीखो, दुनिया आपका सम्मान करने लगेगी।
कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने नवीन सत्र में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए मन लगाकर पढ़ाई करने का संदेश दिया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीएम चेट्टी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्कृति विवि की खूबियों के बारे में विस्तार से बताया। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ मुख्य अतिथि खान सर, पियूष भाटिया ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। मंच पर संस्कृति विवि की सीईओ डा. श्रीमती मीनाक्षी शर्मा भी उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का कुशल संचालन संस्कृति प्लेसमेंट सेल की श्रीमती ज्योति यादव ने किया।

चित्र परिचयः विद्यार्थियों को संबोधित करते देश के लोकप्रिय और सफल शिक्षक फैजल खान। मंच पर मौजूद संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता, कुलपति प्रो. एमबी चेट्टी, लाइफ एंड बिजनेस कोच पियूष भाटिया और संस्कृति विवि की सीईओ डा. श्रीमती मीनाक्षी शर्मा।

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संस्कृति विवि में बोले खान सर, लुक नहीं बुक पर फोकस करो

संस्कृति दीक्षारंभ 2025
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के ‘दीक्षरंभ 2025’ कार्यक्रम में पहुंचे देश के ख्यातिप्राप्त और लोकप्रिय शिक्षक फैजल खान जो अपने स्टूडेंट के बीच खान सर के नाम से जाने जाते हैं, ने नवीन सत्र के और अध्ययनरत विद्यार्थियों को कहा कि लुक में कुछ नहीं रखा है, बुक में फोकस करो। दुनिया पुरुष प्रधान नहीं है, पैसा प्रधान है। आप परीक्षा में कितने परसेंट से पास हुए हैं, उसकी कोई वेल्यु नहीं। वेल्यु स्किल की है। स्किल नहीं तो डिग्री को कोई नहीं पूछेगा।
अपनी सम्मोहक भाषा शैली में उन्होंने हर विद्यार्थी से जुड़ते हुए कहा कि आप अपना समय मोबाइल, दोस्तों की संगत में मत खराब करो। आप उम्र के उस दौर में हो जिसमें आप सबकुछ हासिल कर सकते हो। यह समय अगर बरबाद कर दिया तो आपकी स्थिति एक सूखे बांस जैसी होगी जो मारने पर फट जाता है। यही समय है आप के लचीले बांस जैसे हो जिधर मोड़ोगे उधर मुड़ जाएगा, बाद में यह नहीं मुड़ेगा। थोड़ी ही देर में खान सर विद्यार्थियों से इस कदर जुड़ गए कि उनकी हर नसीहत पर कार्यक्रम में मौजूद हजारों विद्यार्थी तालियां बजाकर उनका साथ देने लगे। खान सर ने कहा कि टीचर आपको उसी तरह से निखारता है जैसे शिल्पकार छैनी, हथोड़े से चोट मारकर साधारण पत्थर को ईश्वर की मूर्ति में बदल देता है। अगर पढ़ने की कैपेसिटी नहीं बढ़ाई तो बाद में पछताना पड़ेगा। यह विद्यार्थी जीवन कभी लौटकर नहीं आएगा। आप देखेंगे कि आपके साथ पढ़ने वाला साथी जो मोबाइल और दोस्तों के चक्कर से दूर रहा सबको रौंदकर कैसे आगे निकल गया। आपका यह समय ही निर्धारित कर देगा कि आपको क्या बनना है।
अपनी सरल और समझ में आने वाली भाषा में खान सर ने कहा कि आप भाग्यशाली हो जो आपके माता-पिता ने बेहतरीन सुविधा संपन्न संस्कृति विश्वविद्यालय में आपको प्रवेश दिलाया। जरा उन गरीब बच्चों के बारे में सोचो जिनको अभाव में पढ़ने का मौका ही नहीं मिल पा रहा। आपको यहां से पढ़ाई पूरी कर संकल्प लेना चाहिए कि मैं अपने जीवन में एक बच्चे को जरूर पढ़ाऊंगा। उन्होंने कहा कि आज देश के 140 करोड़ लोग अपने 280 हाथों को खड़ा कर लें तो भारत को फिर से सौने की चिड़िया बनने से कोई नहीं रोक सकता। रावण को आज कोई नहीं याद रखता लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम को सब पूजते हैं। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि हमारे देश में एक विश्वविद्यालय टीचर के लिए भी बने, जिसमें वे अपडेट होते रहें। शिक्षकों को यह समझना होगा कि हम स्वादिष्ट भोजन अगर चम्मच से कराएंगे तो ही उसे बच्चे खाएंगे, करछुल से खिलाएंग तो कौन खाएगा।
उन्होंने बताया कि जब आप किसी योग्य हो जाएं तो समाज को जरूर लौटाएं। मैंने समाज के लिए ब्लड बैंक बनाया, एक कैंसर हास्पिटल बना रहा हूं जिसका प्रयास होगा कि हम कैंसर को फर्स्ट स्टेज पर ही रोक दें। समाज को एक होने की जरूरत है। हमें पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण नहीं करना है हमें अपनी संस्कृति के साथ ही आग बढ़ना और ऊपर उठना है। हमारी संस्कृति सबसे श्रेष्ठ है।
विद्यार्थियों के सवाल और खान सर के मजेदार जवाब
इस बीच विद्यार्थियों द्वारा खान सर से पूछे गए सवालों को संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने खान सर के सामने रखा। एक सवाल के उत्तर में खान सर ने बड़े बेलौस अंदाज में कहा हमारे यहां एजूकेशन और सिस्टम दोनों ही बिगड़े हुए हैं। सरकार को चाहिए और उसकी ड्यूटी है कि अगर कोई डिग्री हासिल करता है तो उसे नौकरी मिले। अगर वह अच्छा नहीं है तो उसने डिग्री कैसे हासिल की, यह सरकार की जिम्मेदारी है। एक अन्य सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा कि शिक्षा इतनी सरल ढंग से टीचर को देनी चाहिए कि उसक कक्षा की अंतिम पंक्ति में बैठा विद्यार्थी भी कह सके कि जो पढ़ाया है उसमें से कहीं से पूछ लो मैं जवाब दूंगा। अच्छा टीचर वो है जो विद्यार्थियों के बीच अच्छा टीचर कहलाता है। मैंने गरीबी में ठोकर खाकर चला हूं इसलिए जानता हूं कि बच्चों को क्या चाहिए। दुनियां बुलंदियों को देखती है आपके छालों को नहीं।

संस्कृति विश्वविद्यालय खान सर को देगा मानद् उपाधि
दीक्षारंभ कार्यक्रम के मध्य संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने घोषणा करते हुए कहा कि देश में विद्यार्थियों के चहेते और पढ़ाने की विशेष कला के धनी खान सर को अगले वर्ष संस्कृति विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मानद उपाधि से सम्मानित किया जाएगा। खान सर ने इस सम्मान के लिए संस्कृति विवि और कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता का धन्यवाद किया और विश्वविद्यालय की इस पेशकश को सहर्ष स्वीकर किया।

स्वस्थ शरीर को स्वाद नहीं अच्छा पोषण आहार जरूरीः डॉ. आर.के. अशोकाके.डी. मेडिकल कॉलेज में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का आयोजनछात्र-छात्राओं ने बिना आग के पोषण आहार बनाकर दिया स्वस्थ रहने का संदेश

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मथुरा। इंसान की जीवन शैली के साथ उसका खानपान भी बदल रहा है। लोग अच्छी सेहत की बजाय स्वाद को वरीयता देकर स्वयं को बीमार कर रहे हैं। यह समूचे राष्ट्र के लिए चिन्ता की बात है। पोषण आहार के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से इस समय के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के सामुदायिक चिकित्सा विभाग द्वारा राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जा रहा है। मंगलवार को मेडिकल छात्र-छात्राओं ने बिना आग के स्वादिष्ट पोषण आहार बनाकर लोगों को स्वस्थ रहने का संदेश दिया तथा निर्णायकों की वाहवाही लूटी।
बिना आग के स्वादिष्ट पोषण आहार प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं ने एक से बढ़कर एक डिसेज बनाईं जिनका निर्णायकों ने न केवल स्वाद चखा बल्कि उनकी मुक्तकंठ से सराहना भी की। डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने मेडिकल बच्चों द्वारा बिना आग के तैयार किए गए व्यंजनों की तारीफ करते हुए कहा कि आजकल ज्यादातर लोग जंक फूड और बाहर का खाना पसंद करते हैं, जोकि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। डॉ. अशोका ने पारम्परिक भोजन दाल, चावल, सब्जी और रोटी को स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे आहार में लगभग सभी जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं, इनमें यदि मौसमी फल और सलाद भी शामिल कर लिया जाए तो भोजन संतुलित बन जाता है। डॉ. अशोका ने कहा कि हमें स्वाद से ज्यादा स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने आहार में फल और सब्जियों, प्रोटीन, साबूत अनाज के साथ दूध और दही शामिल करने का सुझाव दिया तथा जंक फूड, अधिक तेल, नमक और चीनी से बचने की सलाह दी।
निर्णायकों डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अम्बरीश कुमार, महिला एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. वी.पी. पांडेय, विभागाध्यक्ष मेडिसिन डॉ. मंजू पांडेय, विभागाध्यक्ष क्षय रोग डॉ. एस.के. बंसल, विभागाध्यक्ष पैथोलॉजी डॉ. प्रणीता जसवंत सिंह, डॉ. गौरीशंकर गोयल आदि ने छात्र-छात्राओं द्वारा निर्मित व्यंजनों की मुक्तकंठ से सराहना करते हुए टीम-बी को विजेता, टीम-सी को उपविजेता तथा टीम-ए को तीसरा स्थान प्रदान करते हुए उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। सभी निर्णायकों ने संतुलित आहार को स्वस्थ शरीर और मस्तिष्क के लिए जरूरी बताया।
विभागाध्यक्ष सामुदायिक चिकित्सा डॉ. अमनजोत कौर चौहान ने बताया कि हम राष्ट्रीय पोषण आहार सप्ताह में विभिन्न माध्यमों से यह संदेश दे रहे हैं कि जीवन में पोषण आहार क्यों जरूरी है। उन्होंने कहा कि लोगों को संतुलित आहार, सही खानपान की आदतें अपनाने, कुपोषण रोकने और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से बचाव के प्रति जागरूक करना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस साल की थीम ‘ईट राइट फॉर ए बेटर लाइफ’ यानी बेहतर जीवन के लिए सही खानपान अपनाएं है। इसका मतलब पेट भरना नहीं बल्कि सही खानपान पर जोर देना है। उन्होंने कहा कि कम तेल, कम नमक और कम चीनी का उपयोग करना हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। इस अवसर पर डॉ. बिश्वाविनोद सानफुई, डॉ. स्वेता सिंह, डॉ. शुभ्रा दुबे, डॉ. अमन गुप्ता, डॉ. निशांत गुप्ता, डॉ. अंकुर कुमार, राजकुमार, इंद्रेश्वर उपमन्यु आदि ने छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. निशांत गुप्ता ने किया तथा आभार डॉ. अमनजोत कौर ने माना।
चित्र कैप्शनः अतिथियों के साथ बिना आग के स्वादिष्ट पोषण आहार प्रतियोगिता के विजेता-उपविजेता छात्र-छात्राएं।