Saturday, October 11, 2025
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बेसिक इम्प्लांटोलॉजी की बारीकियों से रूबरू हुए के.डी. डेंटल कॉलेज के विद्यार्थी


संस्थान के पूर्व छात्र रहे डॉ. अभिषेक शर्मा ने ऑनलाइन वेबिनार में दिए टिप्स

मथुरा। कोरोना संक्रमण के दौर में छात्र-छात्राओं की पढ़ाई को सुचारु रखने के लिए ब्रज के लोकप्रिय शिक्षा-चिकित्सा संस्थान के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में दो दिवसीय ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार का शुभारम्भ संस्थान के प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी द्वारा किया गया। इस वेबिनार में के.डी. डेंटल कॉलेज के पूर्व छात्र रहे और वर्तमान में तीर्थंकर महावीर डेंटल कॉलेज एण्ड रिसर्च सेंटर, मुरादाबाद में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत डॉ. अभिषेक शर्मा ने छात्र-छात्राओं को बेसिक इम्प्लांटोलॉजी की बारीकियों और तकनीक से अवगत कराया।

पहले दिन डॉ. अभिषेक शर्मा ने बेसिक इम्प्लांटोलॉजी योजना और निष्पादन विषय पर अपने सारगर्भित उद्गार व्यक्त किए। डॉ. शर्मा, डेंटियम इम्प्लांट्स के क्षेत्र में भारत के एक प्रमुख ओपीनियन लीडर भी हैं। वेबिनार में छात्र-छात्राओं को बेसिक इम्प्लांटोलॉजी की बारीकियों और तकनीक पर जानकारी देने से पहले भावी चिकित्सकों से कहा कि वह आज अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं क्योंकि वे आज जो कुछ भी हैं, उसमें के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल का बहुत बड़ा योगदान है।

डॉ. शर्मा ने वेबिनार के पहले दिन छात्र-छात्राओं को इम्प्लांट सर्जिकल चरण और उपचार योजना की मूलभूत बातों पर गहन जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बेसिक इम्प्लांटोलॉजी का इस्तेमाल दंत चिकित्सा में दांतों को फिर से स्थापित करने के लिए किया जाता है, जो देखने में दांत या दांतों के समूह की तरह लगते हैं। उन्होंने कहा कि इक्कीसवीं सदी में की जाने वाली बेसिक इम्प्लांटोलॉजी देखने में दांतों की एक वास्तविक जड़ की तरह लगती है तथा इसे हड्डी के भीतर स्थापित किया जाता है।

डॉ. शर्मा ने बताया कि रूट-फॉर्म एंडोसियस इम्प्लांट्स के आगमन से पहले ज्यादातर प्रत्यारोपण ब्लेड एंडोसियस इम्प्लांट्स होते थे, जिनमें हड्डी के भीतर लगाए जाने वाले धातु के टुकड़े की आकृति देखने में चपटे ब्लेड की तरह लगती थी। दूसरे दिन उन्होंने इम्प्लांट प्रोस्थेटिक घटकों, प्रोस्थेटिक विकल्पों, इम्प्लांट इम्प्रेशन और केस प्रजेंटेशन पर अपने अनुभव साझा किए। डॉ. शर्मा ने बताया कि बेसिक इम्प्लांटोलॉजी का इस्तेमाल दांत के ऊपरी भाग, प्रत्यारोपण समर्थित पुल या बनावटी बत्तीसी सहित कई बनावटी दांतों की पंक्ति (डेंटल प्रॉस्थेसिस) को सहारा देने के लिए किया जाता है।

वेबिनार के समापन अवसर पर प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने डॉ. अभिषेक शर्मा का आभार माना। इस दो दिवसीय ऑनलाइन वेबिनार के सफल आयोजन में संस्थान के प्राध्यापकों तथा प्रशासनिक अधिकारी नीरज छापड़िया का अहम योगदान रहा। छात्र-छात्राओं ने डॉ. अभिषेक शर्मा द्वारा दी गई जानकारी को बहुत उपयोगी बताया।

कोरोना महामारी के बीच वीरेंद्र पाल सिंह ने कविता लिख बनाया विश्व रिकॉर्ड

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  • प्रकृति फाउंडेशन ने दिया इंडियन बुक अवार्ड
  • कविता के माध्यम से वीरेंद्र पाल सिंह ने मजदूरों के बयान किया था
  • इंडियन बुक ऑफ अवार्ड के साथ वीरेंद्र पाल सिंह


बरसाना। कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन पर अनमोल जीवन का लक्ष्य (मानवता) पर हिंदी में कविता लिखने पर तरोली जनूवी के वीरेंद्र सिंह ने इंडिया बुक रिकॉर्ड व विश्व रिकॉर्ड बनाया है। जिसके चलते वीरेंद्र पाल सिंह को प्रकृति फाउंडेशन द्वारा अवार्ड दिया गया।

जनपद मथुरा के तरोली जनूवी निवासी वीरेंद्र पाल सिंह ने लॉक डाउन व कोरोना पर अनमोल जीवन का लक्ष्य (मानवता) पर हिंदी में कविता लिखी। इस कविता में वीरेंद्र पाल सिंह ने 19500 शब्दों का चयन कर अबतक की सबसे बड़ी कविता लिखने का विश्व रिकॉर्ड बनाया। जिसके चलते प्रकृति फाउंडेशन द्वारा 14 अप्रैल को वीरेंद्र पाल सिंह कि कविता का चयन कर इंडियन बुक रिकॉर्ड व विश्व रिकॉर्ड में चयन कराया। जिसके चलते इंडियन बुक रिकॉर्ड द्वारा वीरेन्द्र पाल सिंह को अवार्ड प्रदान किया गया।

कविता शीर्षक में वीरेंद्र पाल सिंह ने लॉक डाउन पर अपने घर पलायन कर रहे मजदूरों के दर्द को बयान किया। वीरेंद्र पाल सिंह को अवार्ड मिलने पर स्थानीय लोगों ने हर्ष जताया। जिसमें डॉ हरसरन, विक्की अग्रवाल, मुकेश, टीकम सिंह आदि ने बधाई दी।

मथुरा के राजकीय बाल गृह के बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन ?, अधिकारियों ने साधी चुप्पी

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मथुरा। राजकीय बाल गृह के बच्चों की मौत का कारण सैप्टीसीमिया बताया जा रहा है। सैप्टीसीमिया गंदगी के कारण फैलता है। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सबकुछ ठीक और सफाई व्यवस्था दुरुस्त होने के बाद आखिर बच्चों में संक्रमण केसे फैल गया जो कि एक के बाद एक उनकी मौत का कारण बन गया। इसे लेकर प्रशासनिक अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। राजकीय बाल गृह शिशु में करीब एक माह पहले 22 बच्चे कोरोना संक्रमित पाए गए थे। उस दौरान प्रशासनिक अमले में अफरा-तफरी तो मची। लेकिन व्यवस्थाओं को लेकर किसी ने फोकस नहीं किया। हालांकि संक्रमित बच्चों की रिपोर्ट तो निगेटिव आ गई, लेकिन संक्रमण बच्चों में घर कर गया।

जिम्मेदारों का दावा है कि बाल गृह शिशु में साफ सफाई पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है, जबकि जिन तीन बच्चों की मौत हुई है। वह तीनों सैप्टीसीमिया के ग्रसित थे। जिला महिला अस्पताल के चिकित्सक केके माथुर का कहना है कि बच्चों की मौत सैप्टीसीमिया से हुई है। जिला प्रोवेशन अधिकारी अनुराग श्याम रस्तौगी का दावा है कि बाल गृह शिशु में साफ सफाई के पूरे इंतजाम हैं। बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जा रहा है। जिला अस्पताल के डा. रमन अपनी टीम के साथ हर सप्ताह बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण करते हैं। जब सभी व्यवस्था ठीक हैं तो बच्चों में संक्रमण कैसे फैला ? इसको लेकर कोई जवाब नहीं दे पा रहा है।

बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि सैप्टीशिमिया से कोई भी ग्रसित हो सकता है। छोटे बच्चे में यह संक्रमण बहुत जल्दी पनपता है। संक्रमण वहीं सक्रिय होता है, जहां पर गंदगी होती है। छोटे बच्चों को निप्पल से दूध पिलाया जाता है। गंदगी पर बैठने के बाद मच्छर और मक्खी निप्पल पर बैठकर संक्रमण को छोड़ती है। वहीं निप्पल से बच्चा को दूध पिलाया जाता है तो वह सीधे पेट में पहुंच जाता है। इससे संक्रमण ब्लड में हो जाता है। ऐसे में छोटे बच्चों को रिकवर कर पाना बेहद मुश्किल होता है।

11 केस मिलने के बाद जिला अस्पताल में शुरु की ब्लैक फंगस मरीजों के लिए 2 घंटे की OPD

मथुरा। जनपद में 11 ब्लैक फंगस के मरीज सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जिला अस्पताल में ब्लैक फंगस के मरीजों क लिए ओपीडी सेवा शुरु की है। दो घंटे की ओपीडी के दौरान दो डॉक्टर मरीजों को परामर्श देने के लिए मौजूद रहेंगे।

पिछले 15 दिनों में मथुरा जनपद में लगातार ब्लैक फंगस के मरीज सामने के आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने बहुत ही छोटे स्तर पर स्वास्थ्य सेवा शुरु की है। कोरोना महामारी के बीच मुसीबत बनकर आई जान ब्लैक फंगस के 11 मरीज जिले में सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जिला अस्पताल में प्रात: 10 से 12 बजे तक की ओपीडी सेवा शुरु की है। इस दो घंटे की सेवा क लिए दो डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है। यह डॉक्टरा ब्लैक फंगस के मरीजों की जांच कर उनको उचित परामर्श देंगे।

जिला अस्पताल के प्रभारी सीएमएस डॉ अमिताभ पांडे ने बताया है ब्लैक फंगस के रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है इसी को ध्यान में रखते हुए जिला अस्पताल में ओपीडी सेवा सोमवार से प्रारंभ कर दी गई है। डॉ अमिताभ पांडे ने आम जनता से अपील की है कि जिन लोगों को ऐसी परेशानी हो तो तुरंत उपचार के लिए जिला अस्पताल में संपर्क करें ।

काबिलेगौर बात यह है कि मथुरा जिले में सरकारी अस्पतालों में ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस के मरीजों के लिए किसी तरह के इलाज की सुविधा नहीं है। यही कारण है कि डॉक्टर भी मरीजों को उपचार के लिए जिल स बाहर ले जाने की सलाह दे रहे हैं। नतीजतन ब्लैक फंगस की चपेट में आए मरीज जयपुर, दिल्ली की ओर रुख कर रहे हैं।

यूपी और अन्य राज्यों के बीच नहीं चलेंगी रोडवेज बसें, बॉर्डर पर पुलिस का सख्त पहरा

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मथुरा। मथुरा समेत यूपी से अन्य राज्यों के बीच रोडवेज बसों के सेचालन पर रोक लगा दी गई है। यह रोक 31 मई तक रहेगी। वहीं अन्य राज्यों की बसों के यूपी की सीमा में प्रवेश पर भी रोक लगा दी है। इसके बावजूद यदि अन्य राज्यों की रोडवेज बसें यूपी में आती हैं तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। रोडवेज ने यह फैसला तेजी से कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए लिया गया है।


रोडवेज के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार पुण्डीर ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते यूपी से अन्य राज्यों के बीच रोडवेज बसों के संचालन पर 31 मई तक पूरी तरह रोक लगा दी गई है। अब यूपी की रोडवज बसें न ही किसी अन्य राज्यों के लिए जाएंगी और ना ही अन्य राज्यों की बसें यूपी में प्रवेश करेंगी। यूपी रोडवेज की बसें सिर्फ यूपी के अन्दर ही संचालित होंगी। यह रोक 24 मार्च तक पूर्व में रोक लगाई थी लेकिन अब यह बस सेवाएं 31 मई तक बंद रहेंगी।

क्षेत्रीय प्रबंधक ने बताया कि इस संबंध में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी अवगत कराया दिया गया है। एसएसपी दिए पत्र में उन्होंने कहा कि यूपी के बॉर्डर पर अतिरिक्त फोर्स लगाई जाए जिससे डग्गामार वाहनों के साथ-साथ कोई भी बड़ी बसें उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश नहीं करने दी जाएं।

इस संबंध में जानकारी देते हुए क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज पंडित ने बताया है कि देश में बढ़ती हुई कोराना जैसी महामारी के चलते यह सावधानी बरती जा रही है फिलहाल 31 मई तक उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के लिए बस सेवा बंद कर दी गई है और शासन का जैसे आगामी आदेश आएगा उसी प्रकार से बसें संचालित की जाएंगी।

कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद संक्रमण से मौतों के आंकड़ों में कमी आई

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नई दिल्ली। दुनियाभर में वैक्सीनेशन का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है। वैक्सीन देने के बाद इस संक्रमण से मौतों के आंकड़ों में भी गिरावट दर्ज की गई है। हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि मौतों से बचाव के लिए कोरोना वैक्सीन बेहद प्रभावी हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के रिसर्चर्स ने बताया कि वैक्सीन की दोनों डोज लेने से संक्रमण से मौत होने का खतरा कम रहता है। उन्होंने बताया, “कोविड वैक्सीन लेने के बाद संक्रमण से मौत का खतरा 85 फीसदी तक कम हो जाता है। यहां तक कि ये कोविड के अलग अलग वैरिएंट्स के लिए भी प्रभावी है।

फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने बताया कि कोरोना वैक्सीन यूके वैरिएंट बी.1.1.7 में 86 फीसदी, ब्राजील के पी.1 स्ट्रेन में 61 फीसदी, साउथ अफ्रीका के बी.1.351 स्ट्रेन में 56 फीसदी तक असरदार रही। रिसर्चर्स ने बताया कि फाइजर वैक्सीन कोरोना संक्रमण के खिलाफ 94 फीसदी, मोडर्ना वैक्सीन 80 फीसदी, जॉनसन एंड जॉनसन 65.5 फीसदी और एस्ट्राजेनका 60 फीसदी तक असरदार है।

पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने भी की स्टडी

पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के एक अध्ययन में पाया गया कि फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन दूसरी खुराक के दो सप्ताह बाद बी.1.617.2 वैरिएंट के खिलाफ 88 प्रतिशत प्रभावी था। इसकी तुलना बी.1.1.7 स्ट्रेन के खिलाफ 93 प्रतिशत प्रभावशीलता के साथ की जाती है, जो कि ब्रिटेन का प्रमुख कोविड वैरिएंट है। पीएचई ने कहा कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दो खुराक बी.1.617.2 वैरिएंट के खिलाफ 60 प्रतिशत प्रभावी थी, जबकि केंट वैरिएंट के खिलाफ 66 प्रतिशत तक प्रभावी थी।

अब बिना स्लॉट बुक किए ही वैक्सीन लगवा सकेंगे 18-44 साल के लोग

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नई दिल्ली। कोविन पोर्टल की शुरुआत वैक्सीन लेने वालों की सहूलियत के लिए हुई थी लेकिन जब से 18-44 आयु वर्ग के लोगों के लिए वैक्सीनेशन शुरू हुआ है तब से हर दिन हजारों लोग कोविन पोर्टल पर वैक्सीन के लिए स्लॉट बुक करने के लिए जाते हैं और खाली हाथ लौट आते हैं। लोगों की इस समस्या को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़ा फैसला लिया है। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि 18-44 आयु वर्ग के लोग अब बिना अप्वाइंटमेंट किसी भी सरकारी वैक्सीनेशन सेंटर पर रजिस्ट्रेशन और अप्वाइंटमेंट ले सकते हैं। इसकी शुरुआत आज यानी 24 मई यानि आज से हो गई है।


मंत्रालय ने कहा है कि अब 18-44 साल वालों को वैक्सीन लगवाने के लिए ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट लेने की जरूरत नहीं है। यदि आपने पहले से ही रजिस्ट्रेशन करवा लिया है तो अच्छी बात है, वरना आपको वैक्सीनेशन सेंटर पर ही रजिस्ट्रेशन करना होगा और उसके बाद आपको अप्वाइंटमेंट और वैक्सीन मिलेगी। मंत्रालय ने कहा है कि ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट के दौरान कई जगहों से वैक्सीन बर्बाद होने की भी रिपोर्ट मिली है जिसके बाद यह फैसला लिया गया है।

मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सूचित कर दिया है। अलग-अलग राज्यों के निर्णय के बाद ही वहां ऑनसाइट रजिस्ट्रेशन और अप्वाइंटमेंट मिल पाएगा। यानी आखिरी फैसला राज्य सरकार के हाथों में है।

मंत्रालय की ओर से साफतौर पर कहा गया है कि यह सुविधा फिलहाल केवल सरकारी वैक्सीनेशन केंद्र पर ही उपलब्ध है। बता दें कि अभी तक सिर्फ 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही बिना अप्वाइंटमेंट वैक्सीन दिया जा रहा था, जबकि 18-44 साल के लोगों को कोविन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के बाद ऑनलाइन स्लॉट बुक करना पड़ता था जिसमें लोगों को काफी दिक्कत आ रही थी।

वृंदावन में फिर बेकाबू हो सकता है कोरोना, राशन की दुकानों पर कोविड प्रोटोकॉल ध्वस्त

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वृंदावन। गौतमपाड़ा चौराहा स्थित सरकारी राशन की दुकान पर कोेरोना का प्रोटोकॉल ध्वस्त हो गया। सोमवार सुबह राशनकार्ड धारकों का जमावड़ा लगा गया। कार्ड धारकों के मुंह पर न मास्क लगा था न ही वह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते दिखे। राशन डीलर भी कोविड प्रोटोकॉल की अनदेखी करता दिखा।


प्रदेश की यूपी सरकार बेकाबू होते कोरोना पर नियंत्रण के लिए एक तरफ कोरोना कफ्र्यू लगा रही है। पाबंदियां की जा रही है। वहीं गौतम पाड़ा क्षेत्र में राशन डीलर और उसके यहां आने वाले कार्ड धारक कोरोना वायरस के संक्रमण को आमंत्रण दे रहे हैं। ऐसा मामला सुबह देखने को मिला। जिसे देख सभी हैरान रह गए। करीब 100 राशन कार्ड धारक राशन की दुकान पर हाथ में राशन और थैला लिए राशन के लिए मारामारी कर रहे थे। एक दूसरे से सट कर खड़े राशन कार्ड धारक सोशल डिस्टेंसिंग की अनदेखी कर ही रहे थे कि मुंह पर मास्क भी नहीं लगाए थे। जिससे कोरोन संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ था।

यही हाल नगर की अन्य राशन की दुकानों पर भी देखने को मिल रहा है। राशन के लिए सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों पर लगी लोगों की भीड़ के चलते फिर कोरोन बेकाबू हो सकता है। लोगों में तेजी के साथ संक्रमण फैल सकता है। लेकिन इस ओर प्रशासनिक अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग एवं पुलिस अनदेखी कर रहे हैं।

ब्लैक और वाइट फंगस के बाद यलो फंगस ने दी दस्तक, यूपी में यहां मिला पहला केस

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गाजियाबाद। कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस और वाइट फंगस के कहर के बाद येलो फंगस ने दस्तक दे दी है। यूपी के गाजियाबाद में येलो फंगस का पहला मामला सामने आया है। येलो फंगल, ब्लैक और वाइट फंगस से भी ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है। इस लक्षण को मुकोर सेप्टिकस (पीला फ़ंगस) का नाम दिया गया है।

गाजियाबाद में पहला केस

येलो फंगस से पीड़ित मरीज गाजियाबाद का रहने वाला है। मरीज की उम्र 34 साल है और वह पूर्व में कोरोना संक्रमित रहा है। इसके अलावा डाइबिटीज से भी पीड़ित है।

ये हैं फंगस के लक्षण

येलो फंगस एक घातक बीमारी है क्योंकि यह आंतरिक रूप से शुरू होता है। इसके लक्षणों में सुस्ती, कम भूख लगना, या बिल्कुल भी भूख न लगना और वजन कम होना देखा जा रहा है। जैसे-जैसे यह आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे ये घातक होता जाता है। घावों से मवाद का रिसाव करना और संभवत: खुले घाव की धीमी गति से ठीक होना और सभी घावों की ठीक होने की धीमी गति करना पाया गया है। कुपोषण और अंग विफलता और अंतत: परिगलन के कारण धंसी हुई आखें हैं। ईएनटी सर्जन डॉक्टर बृज पाल त्यागी के अस्पताल में मरीज का इलाज शुरू हो गया है।

येलो फंगस का इलाज

मुकोर सेप्टिकस (पीले फ़ंगस) के लक्षण हैं, सुस्ती, कम भूख लगना, या बिल्कुल भी भूख न लगना और वजन कम होना। डॉक्टर की सलाह है कि ये गंभीर है और आप इनमें से किसी भी लक्षण को नोटिस करते ही उपचार शुरू कर दें। इसका एक मात्र इलाजamphoteracin b इंजेक्शन है। जो एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीफ़ंगल है।

यश चक्रवात ले सकता है बड़े तूफान का रुप, 26 मई को गंगा सागर पहुंचने की आशंका

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कोलकाता। बंगाल की खाड़ी के पूर्व दिशा में बना दबाव बड़ा चक्रवाती तूफान का रुप ले सकता है और तटवर्ती राज्यों में तबाही मचा सकता है। 155-165 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी। 26 मई को ओड़िशा के पारादीप और पश्चिम बंगाल में दक्षिण 24 परगना जिला के सागर द्वीप (गंगा सागर) पर पहुंचने का अनुमान है। इस चक्रवाती तूफान के 26 मई को बंगाल के कम से कम 6 जिलों में भारी बारिश होने की आशंका है। मौसम विभाग ने रविवार को यह जानकारी दी।

कोलकाता में क्षेत्रीय मौसम केंद्र के उप निदेशक संजीव बंद्योपाध्याय ने बताया कि पश्चिम बंगाल में दीघा से 670 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण-पूर्व और पारादीप से 590 किलोमीटर पूर्व-दक्षिण-पूर्व में बने इस दबाव के आगे बढ़ने से दोनों राज्यों के तटवर्ती और भीतरी क्षेत्रों में भारी बारिश होगी। दबाव का यह क्षेत्र 24 मई की सुबह चक्रवाती तूफान में बदल जायेगा और उत्तर-पश्चिमोत्तर दिशा की ओर बढ़ेगा।

श्री बंद्योपाध्याय ने कहा कि इससे अगले 24 घंटे में यह बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल जायेगा और 26 मई की सुबह पश्चिम बंगाल-ओड़िशा तट के पास बंगाल की खाड़ी के उत्तरी हिस्से में पहुंचेगा. पश्चिम बंगाल में पूर्वी और पश्चिमी मेदिनीपुर, दक्षिण और उत्तरी 24 परगना के साथ हावड़ा और हुगली में 25 मई से हल्की से मध्यम स्तर की बारिश होगी।

उन्होंने कहा कि नदिया, पूर्वी और पश्चिमी बर्दवान, बांकुड़ा, पुरुलिया और बीरभूम में भारी बारिश होगी। श्री बंद्योपाध्याय ने कहा कि राज्य के उप हिमालयी और पश्चिमी जिलों में 27 मई को भारी बारिश का अनुमान है। मौसम विभाग ने कहा है कि 25 मई से ओड़िशा में हल्की से मध्यम स्तर की बारिश होगी। वहीं राज्य के उत्तरी तटवर्ती जिलों में भारी बारिश होने का अनुमान है।

24 मई को अंडमान में होगी बारिश

मौसम विभाग ने कहा है कि 24 मई को अंडमान निकोबार द्वीप समूह में हल्की से मध्यम स्तर की बारिश होगी। कुछ जगहों पर भारी बारिश भी हो सकती है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के प्रमुख एसएन प्रधान ने बंगाल और ओड़िशा के अधिकारियों से कहा है कि वे यश आपदा से निबटने के लिए सबसे खराब स्थिति की तैयारी करें।