न्यूयाॅर्क। कोरोना वायरस संकट के बीच अमेरिका ने चीन की ऐसी नब्ज दबाई है कि अब टकराव बढ़ना तय है। संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) कांग्रेस ने उइगर मुस्लिम को हिरासत में लेने से चीनी अधिकारियों को रोकने के लिए लाए गए विधेयक को मंजूरी दे दी है। अब इस विधेयक को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मंजूरी के लिए व्हाइट हाउस भेजा गया है।
दरअसल, अमेरिकी कांग्रेस ने बुधवार को चीनी अधिकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर किए जा रहे उइगर मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचारों को लेकर प्रतिबंधों को अधिकृत करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी है। माना जा रहा है कि इससे अमेरिका और चीन के रिश्तों में तनाव बढ़ने की संभावना है।
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने उइगर मानवाधिकार अधिनियम के खिलाफ केवल एक वोट दिया, इसके अलावा सभी वोट इसके पक्ष में पड़े। इसके कुछ घंटों बाद ही विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने हांगकांग मुद्दे पर भी चीन को घेरने के लिए एक कदम उठाया।
मानवाधिकार समूहों का कहना है कि कम से कम 10 लाख उइगर और अन्य तुर्की मूल के मुस्लिमों को चीन के उत्तर-पश्चिम में स्थित जीनजियांग प्रांत के कैंपों में रखा जा रहा है। इन कैंपों में उनके साथ मारपीट और तरह-तरह के अत्याचार किए जाते है। साथ ही उनकी ब्रेनवाशिंग भी की जाती है।
चीन सरकार के साथ उइगरों के तनाव की वजह क्या है ?
शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिम श्ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंटश् चलाते रहे हैं जिसका मकसद चीन से अलग होना है। दरअसल, 1949 में पूर्वी तुर्किस्तान, जो अब शिनजियांग है, को एक अलग राष्ट्र के तौर पर कुछ समय के लिए पहचान मिली थी, लेकिन उसी साल यह चीन का हिस्सा बन गया।
जिसके बाद 1990 में सोवियत संघ के पतन के बाद इस क्षेत्र की आजादी के लिए यहां के लोगों ने काफी संघर्ष किया। उस समय इन लोगों के आंदोलन को मध्य एशिया में कई मुस्लिम देशों का समर्थन भी मिला लेकिन, चीनी सरकार के कड़े रुख के आगे किसी की एक न चली।
बीते कुछ समय के दौरान इस क्षेत्र में हान चीनियों की संख्या में जबर्दस्त बढ़ोत्तरी हुई है। उइगरों का कहना है कि चीन की वामपंथी सरकार हान चीनियों को शिंजियांग में इसीलिए भेज रही है कि उइगरों के आंदोलन ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट को दबाया जा सके। चीनी सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियां भी कुछ ऐसा ही दर्शाती हैं।