मथुरा। लखनऊ की आडिट टीम ने सीएमओ कार्यालय में वेतन घोटाला पकड़ा है। यहां तीन चिकित्सकों ने पटल सहायक और अधिकारियों से सांठगांठ करके सांतवे वेतन आयोग का लाभ ले लिया। अतिरिक्त वेतन की धनराशि चिकित्सकों के खातों में चली गई। लखनऊ की टीम ने मामला पकड़ा तो आनन फानन में अतिरिक्त धनराशि जमा करने की बात कही जा रही है। मजेदार बात ये है कि सीएमओ घोटालेबाजों को चिंहित कर उनके खिलाफ एक्शन लेने के बजाय पूरे मामले की लीपापोती में अपनी अहम भूमिका निभा रहे है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार बलदेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के किशनपुर के प्रदीप कुमार त्रिवेदी, चैमुहां स्वास्थ्य केंद्र के अतुल मिश्रा और सोंखखेड़ा पर तैनात हेमेंद्र सिकरवार ने अधिकारियों से सांठगांठ करके सांतवे वेतन आयोग का लाभ ले लिया जो नियमों के विरूद्ध था। मामला आॅडिट टीम की पकड़ में आ गया। जब टीम ने आपत्ति की तो विभाग में खलबली मच गई। आनन-फानन में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों से जबाव मांगा गया। इस पूरे खेल में सीएमओ कार्यालय की भूमिका पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। दिलचस्प बात ये है कि आॅडिट टीम के खुलासे के बाद रिकवरी की बस बात की जा रही है लेकिन दोषियों के खिलाफ न तो कोई जांच चल रही है और न ही उन्हें चिंहित किया गया है। इस गंभीर प्रकरण पर सीएमओ डा. शेर सिंह का बयान भी बेहद गैरजिम्मेदाराना है, उनका कहना है जिनके खाते में अधिक रूपए गए उन्होंने चुपके से रूपया जमा करा दिया है। दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की बात पर बस इतना कहा कि मामले की जांच एडी स्तर से हो रही है, ऐसे में कार्यवाही भी एडी स्तर से ही होगी।
सीएमओ कार्यालय में वेतन घोटाला, आला अफसरों की भूमिका पर सवाल
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