- संस्कृति विवि ने आनलाइन मनाया 10वां स्थापना दिवस समारोह
- गत वर्ष 1000 हजार शोधपत्र और 150 पेटेंट दाखिल किए
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय का 10वां स्थापना दिवस समारोह पूर्ण भव्यता के साथ आनलाइन आयोजित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय जनता पार्टी के महासचिव, राज्यसभा सदस्य अरुण सिंह ने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा कि हमें अब रट्टा लगाने वाली शिक्षा से परे सीखने वाली शिक्षा पर आना होगा। नई शिक्षा नीति इसी उद्देश्य को लेकर बनाई गई है ताकि आने वाली 21वीं सदी में भारत के युवा विश्व का नेतृत्व कर सकें।
मुख्य अतिथि ने कहा कि वर्तमान दौर कोविड-19 का है जिसके चलते विश्वभर में सारी गतिविधियां ठप हो गईं थीं। अब धीरे-धीरे चुनौतियों का सामना करते हुए हम इस स्थिति उपरने के लिए प्रयासरत हैं। इस दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देश में नई शिक्षा नीति लागू कर यह स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले समय में भारत का युवा रिसर्च, कौशल और ज्ञान के क्षेत्र में पूरे विश्व में अपना, क्षेत्र का और देश का नाम रौशन कर सकेगा। नई शिक्षा नीति में सीखने पर ही जोर दिया गया है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में इस शिक्षा व्यवस्था में विद्यार्थियों का क्रेडिट बैंक तैयार होगा। इसी तरह से शिक्षकों के काम का भी क्रेडिट बैंक तैयार होगा। उन्होंने संस्कृति विवि के द्वारा समय से अपने यहां नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए शिक्षण कार्य और पाठ्यक्रमों किए गए आमूल-चूल परिवर्तनों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा नई शिक्षा नीति प्रतिभाओं को निखारेगी।
विवि के आनरेरी चेयरमैन आरके गुप्ता ने एक प्रसिद्ध गीत, ‘दुख के अंदर सुख की ज्योति दुख ही सुख का ज्ञान’, से अपनी बात शुरू करते हुए विद्यार्थियों से कहा कि हमारा जीवन कोरे कागज की तरह होता है जिसपर हमें अपनी इबादत लिखनी होती है। उन्होंने संस्कृति विश्वविद्यलय की सोच को लेकर कुलाधिपति सचिन गुप्ता, प्रति कुलपति राजेश गुप्ता की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के अपग्रडेशन के लिए किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि इतने कम समय में इसने देश के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में अपना नाम दर्ज करा लिया है। उन्होंने विवि के शिक्षकों और गैर शिक्षण कर्मचारियों के सम्मिलित प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि कोई भी संस्था अपनी सोच में तभी कामयाब हो सकती है जब सब मिलकर उस सोच को पूरा करने का प्रयास करते हैं। इस संस्था और इसके शिक्षकों, कर्मचारियों के काम के प्रति समर्पण को देखते हुए यह अहसास होने लगा है कि एक दिन इस विवि का स्थान विश्व के चुने हुए विवि में शामिल होगा।
कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने सभी को 10वें स्थापना दिवस समारोह की बधाई देते हुए कहा कि आज बहुत ही कम समय में संस्कृति विवि ने शिक्षा के क्षेत्र में जो स्थान बनाया है, नाम कमाया है वह यहां के शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों और मेरे परिवार के सदस्यों के सहयोग के बिना संभव नहीं था। हमारा पहले दिन से लक्ष्य है कि संस्कृति विश्वविद्यालय का स्थान विश्व के 100 विवि में से एक हो। मुझे खुशी है कि हम अपने लक्ष्य की ओर बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी के शुरू होते ही हमने और हमारी टीम ने एकजुट होकर बच्चों का वर्ष खराब न हो, इसके लिए कड़ी मेहनत की। इस मेहनत का हमें लाभ मिला। हमारे यहां आनलाइन कक्षाओं और परीक्षाओं के माध्यम से हमने सेशन समय पर पूरा किया है। गत वर्ष हमने 1000 हजार शोधपत्र और 150 पेटेंट दाखिल किए, इस वर्ष हमारा लक्ष्य दो हजार शोधपत्र और 200 पेटेंट दाखिल करने का है। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर चुनौतियों के साथ अवसर का भी है। चुनौतियों को स्वीकार कर हम इस कठिन काल को अवसर में बदल लें तो हमको सफल होने से कोई नहीं रोक पाएगा। उन्होंने कहा कि हम बहुत बड़ा नहीं कर रहे लेकिन बढ़िया कर रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति स्व.एपीजे अब्दुल कलाम को याद करते हुए उन्होने उनकी एक कविता के साथ अपनी बात समाप्त की।
समारोह में भाग ले रहे दिव्यांग फाउंडेशन के चेयरमैन मुकेश गुप्ता और संस्कृति विवि के प्रति कुलपति राजेश गुप्ता ने सभी को 10वें स्थापना दिवस समारोह की बधाई देते हुए विवि की उत्तरोत्तर प्रगति की शुभकामनाएं दीं। समारोह में स्वागत भाषण विवि के कुलपति राणा सिंह ने दिया। समारोह का शुभारंभ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। समारोह के दौरान विवि की छात्राओं ने आनलाइन अपने गीत और नृत्य प्रस्तुत किए। विवि की विशेष कार्याधिकारी मीनाक्षी शर्मा ने समारोह में भाग लेने वाले सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन प्रेक्षा शर्मा और रिंका जुनेजा ने किया।