Thursday, May 15, 2025
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संस्कृति विवि के स्थापना दिवस समारोह में कवियों ने छोड़े व्यंग्य बाण

  •  गीत-संगीत की धुनों पर खूब झूमे शिक्षक, विद्यार्थी
  •  ऑनलाइन कवि सम्मेलन में कवियों ने श्रोताओं को गुदगुदाया

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह के दूसरे सत्र में आयोजित आनलाइन कवि सम्मेलन में जहां एक ओर देश के जाने-माने कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को गुदगुदाया वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय के शिक्षकों, विद्यार्थियों ने अपने नृत्य और गीतों से समारोह को जीवंत बना दिया। वहीं दिल्ली से आए कलाकारों ने फिल्मी गीत सुनाकर समारोह की शाम रंगीन बना दी।
कवि सम्मेलन का संचालन स्वयं यशभारती पुरस्कार से सम्मानित, पद्मश्री अशोकचक्रधर ने अपने हाथों में लिया और सर्वप्रथम हास्य और व्यंग्य के युवा कवि चिराग जैन को आमंत्रित किया। उन्होंने अपनी बात एक व्यग्यात्मक कविता, ‘मेरे पिता ने बचपन में कभी गुड़िया से नहीं खेलने दिया..’ से शुरू की। मीडिया चैनलों की गला काट प्रतिस्पर्धा पर उन्होंने कहा, ’मुद्दा मिल गया हाई-फाई, सारे चैनल लग गए’, कोरोना काल पर बोले, किसने बोला काम करो, घर में बैठो आराम करो, जैसे गीतों से खूब हंसाया। अपने गीतों से उन्होंने वर्तमान दौर पर तीखे व्यंग्य बाण छोड़े। चिराग जैन के बाद हास्य और व्यंग्य के प्रसिद्ध कवि ने सोशल डिस्टेंसिंग के परिणामों को व्यक्त करती हुई एक रोमांटिक रचना, ’आज मैं उनसे मिला छह फीट के डिस्टेंस से, प्यार जो उसने दिखाया, मैंने देखा लैंस से’, हरियाणावी भाषा की सहजता और हरियाणा के लोगों की बेसाख्त टिप्पणियों को उन्होंने ऐसे अंदाज में प्रस्तुत की कीं लोग हंसते-हंसते अपने पेट पकड़ने को मजबूर हो गए। अंत में पद्मश्री अशोक चक्रधर ने ब्रज भाषा के महत्व को बताते हुए अनेक गंभीर और व्यंग्यात्मक रचनाएं प्रस्तुत कीं। उन्होंने अपनी एक रचना में कहा, ’तलब होती है बावली, क्योंकि उसमें होती है उतावली, ’ ब्रज भाषा में हास्य कविता, ’चौं रे चंपू ’ सुनाई। श्रोताओं ने कवियों की रचनाओं का जमकर आनंद उठाया।
कवि सम्मेलन के बाद मंच पर गीत और संगीत का धमाल शुरू हो गया। विश्वविद्यलय के छात्र-छात्राओं ने फिल्मी गीतों पर एक के बाद एक आकर्षक नृत्य प्रस्तु किए। मंच पर शिक्षकों ने भी गीत सुनाकर अपनी छिपी हुई प्रतिभा का परिचय दिया। माहौल ने ऐसा असर डाला कि स्वयं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सचिनगुप्ता भी स्टेज पर आ गए। उन्होंने एक के बाद एक कुल दो फिल्मी गाने सुनाकर सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। दिल्ली से आए प्रसिद्ध गायक राहुल पिल्लई ने हिट हिंदी फिल्मों की ऐसी श्रंखला प्रस्तुत की कि श्रोता झूमने के लिए मजबूर हो गए। उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए धमाकेदार पंजाबी गीतों पर शिक्षक, विद्यार्थी और संस्कृति विवि के कर्मचारी मास्क लगाकर जमकर नाचे। कार्यक्र देर शाम तक चला। कार्यक्रम का कुशल संचालन संस्कृति विवि की फैकल्टी प्रेक्षा शर्मा और रिंका जुनेजा ने किया।

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