मथुरा। इंस्टीट्यूट ऑफ मैटेरियल रिसर्च एंड इंजीनियरिंग, सिंगापुर के वैज्ञानिक डॉ. पवन कुमार ने रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में अनुसंधान को बेहतर बनाने पर जोर देते हुए कहा कि ऐसी ऊर्जा जो प्रकृति में असीम मात्रा और स्वतंत्र रुप से मौजुद हो वह नवकरणीय ऊर्जा कहलाती है। सूर्य, पवन, और बहता हुआ जल कुछ ऊर्जा के स्रोत है जोकि कभी समाप्त नही होंगे। क्योंकि प्रकृति द्वारा इन्हें फिर से उत्पन्न कर दिया जाता है। इस पर अनुसंधान करने की जरूरत है।
डॉ. पवन कुमार ने जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के बीटेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में ‘‘एडवांसेज इन एनर्जी एंड मैटेरियल्स एप्लीकेशन‘‘ विषय पर आयोजित ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के दौरान संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान दौर में रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में किया गया बेहतर अनुसंधान व्यावहारिक दृष्टिकोण और सैद्धांतिक विश्लेषण सभी प्रतिभागियों के लिए बहुत फायदेमंद होगा। सनवे यूनिवर्सिटी मलेशिया के प्रोफेसर आदर्श कुमार पांडेय ने फेज चेंजिंग मैटेरियल के आधार पर एनर्जी स्टोरेज सिस्टम में नैनोटेक्नोलाजी के अनुप्रयोगों के बारे में चर्चा की, जो इस क्षेत्र में काम करने के इच्छुक सभी प्रतिभागियों के लिए बहुत उपयोगी होगी। मेड्स क्लॉजेन इंस्टीट्यूट, नैनो-सिड दक्षिणी डेनमार्क विश्वविद्यालय से प्रोफेसर योगेंद्र कुमार मिश्रा ने चिकित्सा क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकियों और जिंक ऑक्साइड टेट्रा पॉड्स के बारे में चर्चा की। मलाया विश्वविद्यालय, मलेशिया के प्रोफेसर जयराज सेल्वराज ने दुनिया भर में अक्षय ऊर्जा परिदृश्य के बारे में चर्चा की और आसियान देशों की स्थिति की तुलना की। उन्होंने कहा कि ग्रिड में अक्षय ऊर्जा के एकीकरण में तकनीकी पहलुओं के साथ उनकी विस्तृत चर्चा हमारे ग्लोब के लिए बहुत उपयोगी होगी।
सेंटर फॉर एनर्जी स्टडीज आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर दिबाकर रक्षित ने मैटेरियल, डिजाइन, परफॉरमेंस और अनुप्रयोगों के गहन विश्लेषण के साथ फेज चेंजिंग मैटेरियल्स एवं हीट ट्रांसफर सिस्टम के बारे में चर्चा की।
सेंटर फॉर एनर्जी एंड एनवायरनमेंट, एमएनआईटी जयपुर के प्रोफेसर कपिल पारीक ने नवीकरणीय एनर्जी स्टोरेज के लिए उपयोग किए जाने वाले आधुनिक हाइड्रोजन एनर्जी स्टोरेज बैटरी के पर्यावरणीय पहलू के बारे में चर्चा की। सेंटर फॉर एनर्जी एंड एनवायरनमेंट, एमएनआईटी जयपुर के प्रोफेसर सुनंदा सिन्हा ने भारत और विश्व की भविष्य की ऊर्जा नीतियों के अनुरूप वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य और एनर्जी बास्केट के बदलते स्वरूप को प्रस्तुत किया।
षुभारंभ के अवसर पर जीएलए के कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता और प्रतिकुलपति प्रो. आनंद मोहन अग्रवाल ने प्रतिभागियों को नैनोमैटिरियल्स और ऊर्जा पर उच्चतम शोध करने के लिए प्रेरित किया।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. पीयूष सिंघल ने स्मार्ट डिवाइसेस के विकास पर चर्चा की, जो नई मैटेरियल्स के कारण संभव है। उन्होंने रैपिड प्रोटोटाइपिंग द्वारा स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग के बारे में भी चर्चा की। डॉ. कुलदीप कुमार सक्सेना ने इन प्रक्रियाओं से जुड़े मैटेरियल मॉडलिंग और सिमुलेशन और संबंधित एनर्जी फंक्शन्स पर चर्चा की। एसोसिएट डीन रिसर्च प्रो. कमल शर्मा ने भी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर्स और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुजीत कुमार वर्मा एवं डॉ. प्रदीप कुमार सिंह ने मुख्य भूमिका निभाई।