लखनऊ। निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों का कार्य बहिष्कार जारी है और इसी वजह से प्रदेश भर में हाहाकार मचा हुआ है। इस बीच अब कैबिनेट सब कमेटी आंदोलित बिजली कर्मियों से बात करेगी, जिसकी अध्यक्षता उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना करेंगे। कैबिनेट सब कमेटी बिजली कर्मियों के गतिरोध को खत्म करने का प्रयास करेगी।
बता दें कि यूपी के ऊर्जा विभाग के रवैये से बिजली संगठन भड़के हुए हैं और अब यूपी पॉवर ऑफिसर एसोसिएशन ने भी कार्य बहिष्कार का ऐलान किया है। वहीं, बिजली कर्मियों के कार्य बहिष्कार की वजह से लखनऊ समेत कई जिलों में बिजली गुल होने से हड़कंप मच गया है।
सरकार और बिजली कर्मियों के बीच नहीं बनी बात
सरकार और बिजली कर्मियों के बीच अब तक बात नहीं बन सकी है। बिजली कर्मियों के साथ समझौते के कुछ बिंदुओं पर सरकार सहमत नहीं है, तो कर्मचारी निजीकरण को तत्काल रद्द करने की जिद पर अड़े हुए हैं। हालांकि सरकार 31 मार्च तक कर्मचारियों को सुधार का मौका देने को तैयार है, लेकिन बिजलीकर्मी राजस्व वसूली की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं। साथ ही सरकार ने कहा है कि विद्युत सेवाओं को बाधित करना गैर कानूनी और ये स्थित स्वीकार्य नहीं है। वहीं, सरकार ने कहा है कि बिजलीकर्मियों के हितों का विभागीय नियमों के तहत पूरा ख्याल रखा जाएगा। इसके अलावा सरकार ने जनता से भी थोड़ा धैर्य रखने की अपील है।
यूपी की राजधानी लखनऊ समेत कई जिलों में बिजली गुल
ऊर्जा विभाग में निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मियों का कार्य का बहिष्कार दूसरे दिन भी जारी है जबकि इस वजह से यूपी की राजधानी लखनऊ समेत कई जिलों में बिजली गुल होने से हड़कंप मच गया है। इस मामले पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चे के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने कहा कि ऊर्जा मंत्री सुरेश खन्ना के सामने हुए समझौते से यूपीपीसीएल के चेयरमैन मुकर गए हैं। यही नहीं, यूपीपीसीएल चेयरमैन ने ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते हस्ताक्षर नहीं किए हैं। जबकि उनकी सभी मांगों को उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री मान लिया है। इसके अलावा शैलेंद्र दुबे ने कहा कि बिजली कर्मियों की हड़ताल के लिए एसीएस ऊर्जा और यूपीपीसीएल चेयरमैन जिम्मेदार हैं और सरकार इन्हें तत्काल हटाए। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चे के अध्यक्ष ने कहा कि निजीकरण से सार्वजनिक संपत्ति की होगी लूट होगी।