Thursday, July 10, 2025
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जीएलए के छात्रों को थाइलैंड के प्रोफेसर ने बताई मशीन लर्निंग और जीआईएस की विशेषता

  • जीएलए के एमटेक एवं बीटेक सिविल के छात्रों ने जानी मशीन लर्निंग एप्लिकेशन इन जीआईएस

मथुरा। जिओइनफाॅरमेटिक्स रिमोट सेंसिंग एंड जीआईएस एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाॅजी बैंकाॅक, थाइलैंड के प्रोफेसर डाॅ. नितिन कुमार त्रिपाठी ने मशीन लर्निंग और ग्लोबल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) की महत्वता के बारे में बताते हुए कहा कि कैसे हम मशीन लर्निंग और जीआईएस के उपयोग से किसी भी एपेडमिक जैसे मलेरिया, डेंगू आदि के बारे में पहले से जानकारी एकत्रित कर सकते हैं, जिससे भविष्य में लोगों को आगाह किया जा सकता है।

डाॅ. त्रिपाठी जीएलए विश्वविद्यालय के बीटेक सिविल इंजीनियरिंग एवं एमटेक विभाग में आयोजित वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि छात्रों को संबोधित कर रहे थे। ‘‘मशीन लर्निंग इन स्पेटीयल एपीडेमीलाॅजी‘‘ विषय पर आयोजित वेबिनार में उन्होंने जलवायु परिवर्तन का भी जिक्र करते हुए बताया कि मशीन लर्निंग और जीआईएस की सहायता से न केवल हम जलवायु परिवर्तन के बारे में पता लगा सकते हैं, बल्कि इसकी नियमित रूप से जांच पड़ताल और रिकाॅर्ड भी रख सकते हैं।
भविष्य में होने वाले कम्प्यूटर के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग के बारे में छात्रों को अवगत कराया। उन्होंने मशीन लर्निंग माॅडल का उपयोग करते हुए मलेरिया महामारी के फैलाव के पीछे जलवायु कारकों जैसे वर्षा, तापमान और आद्रता के बीच संबंध का शोध किया। उन्होंने बताया कि इसी शोध के कारण थाइलैंड में मलेरिया के हाईरिस्क जाॅन को चिन्हित किया गया। जिस पर वहां की सरकार ने ध्यान केन्द्रित करते हुए मलेरिया महामारी के फैलाव पर नियंत्रण पाया। डाॅ. त्रिपाठी के माध्यम से उड़ीसा प्रदेा में ‘‘मलेरिया अर्ली वाॅर्निंग सिस्टम‘‘ को स्थापित किया गया है।
छात्रों के साथ रोजगार पर चर्चा करते हुए कहा कि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में ढेरों अवसर पर पैदा होंगे, लेकिन मांग के अनुरूप वर्तमान में छात्रों को तैयार रहना होगा। जीएलए विवविद्यालय की प्रगति पर उन्होंने कहा कि जिस प्रकार जीएलए नित नए आयाम स्थापित कर रहा है, इससे छात्रों को रोजगारपरक बनने और उद्यमिता की ओर अग्रसर होने का पूर्ण लाभ मिल रहा है।
सेान की शुरूआत से पूर्व एसोसिएट डीन अकादमिक कोलाॅबोरेान प्रो. दिलीप कुमार शर्मा एवं विभागाध्यक्ष प्रो. सुधीर कुमार गोयल ने डाॅ. त्रिपाठी का आभार व्यक्त करते हुए छात्रों को उनके अनुभव और उनके द्वारा रिसर्च के क्षेत्र दिए योगदान के बारे में जानकारी दी। हिमानी कौशिक ने कार्यक्रम की शुरूआत से पूर्व कार्यक्रम का संचालन किया एवं अंत में सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया।

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