हाथरस। अगर हमारा कोई दोष है तो हमें अभी जेल में डाल दो, हम जेल जाने को तैयार हैं। यह कहते हुए हाथरस मामले की पीड़िता के पिता रो पड़े। बेटी के जाने का दुख तो ताउम्र रहेगा ही लेकिन मलाल यह भी है कि जब बेटी 15 दिन तक अस्पताल में जिंदगी मौत से जूझ रही थी तब भी गांव के एक भी प्रमुख व्यक्ति ने अस्पताल तक आना जरूरी नहीं समझा। जो बातें अब सामने आ रही हैं वे अनर्गल बातें घटना वाले दिन सामने क्यों नहीं आईं।
पीड़िता के पिता घटना के बाद पहली बार अपने मन की पीड़ा को सामने रखा है। उन्होंने घटना पर तो दुख व्यक्त किया ही है साथ ही गांव के प्रमुख लोगों द्वारा पीड़िता और उसके परिवार की अनदेखी और संकट के समय साथ खड़ा होने का दूर संवेदना भी व्यक्त न करने पर गहरा दुख जताया है। पीड़िता के पिता ने रोते हुए कहा कि अब जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने के लिए पूरा परिवार लग रहा है। एक दूसरे को दिलासा ही देते रहते हैं। पशुओं की देखभाल, खेती का काम शुरू करना होगा। दूध बेचकर परिवार का गुजारा चलता था उसे पटरी पर लाना है। कर्ज भी चुकाना है।
रोते हुए कहा कि वह एक भी शब्द झूठ नहीं बोल रहे हैं, चाहे कोई भी एजेंसी जांच कर ले। जिस दिन घटना हुई तब भी गांव के किसी भी प्रमुख व्यक्ति ने उनसे संपर्क तक नहीं किया। गांव के प्रधान के यहां से भी कोई नहीं आया। जिस प्रकार उनके प्रति गांव के लोगों का रवैया देखने को मिला उससे लगता है कि एफआईआर नहीं कराते तो पता नहीं उनके साथ क्या हो जाता। कभी उन्होंने गांव में किसी से झगड़ा नहीं किया। कभी ऐसा नहीं किया जिसका एक रुपया लिया हो और दिया न हो। ईमानदारी से वह गांव में रहे लेकिन जब बुरा वक्त आया तो गांव के प्रमुख लोगों ने कांधे पर सांत्वना का हाथ तक न रखा।