Tuesday, July 22, 2025
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अण्डे का छिलका बोन सेल्स का सबसे बेहतर विकल्प

  • के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हास्पिटल के चिकित्सकों ने किया अनुसंधान

मथुरा। न सिर्फ अंडा बल्कि इसका छिलका भी पोषक तत्वों से भरपूर होता है। अण्डे का छिलका डैमेज हो चुके जबड़े की हड्डियों को सही करने में इस्तेमाल किया जा सकता है। के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हास्पिटल के डॉ. सौमेन्दु कारक ने विभागाध्यक्ष डॉ. शिशिर मोहन गर्ग के मार्गदर्शन में बोन सेल्स के विकल्प के रूप मंू अण्डे के छिलके का प्रयोग कर चिकित्सा क्षेत्र में एक नया आयाम स्थापित किया है।

के.डी. डेंटल कॉलेज के चिकित्सकों ने बोन सेल्स के विकल्प के रूप में अण्डे के छिलके का उपयोग जबड़े की हड्डी के विभिन्न उपचारों में उपयोगी पाया है। दंत चिकित्सक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि सर्जरी या संक्रमण के कारण हड्डियों के नुकसान को अण्डे के छिलके का प्रयोग करके सही किया जा सकता है। इस नवीन प्रक्रिया का प्रयोग के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हास्पिटल के मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग में सफलतापूर्वक किया जा चुका है। डॉ. सौमेन्दु कारक का कहना है कि नई अनूठी विधि सुरक्षित, जैव-उपयोगी तथा यथोचित रूप से कम लागत वाला वैकल्पिक उपचार है। डॉ. कारक ने बताया कि व्यावसायिक रूप से उपलब्ध हड्डी ग्राफ्ट बहुत महंगे होते हैं जिसे हर पीड़ित नहीं खरीद सकता। अण्डे के छिलके का प्रयोग न केवल सस्ता है बल्कि इसके परिणाम भी उत्कृष्ट हैं। के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हास्पिटल के चिकित्सकों द्वारा किए गए अनुसंधान को एक शोध पत्रिका ने अपने अंक में प्रकाशित किया है।

कॉलेज की नैतिक समिति ने इस प्रक्रिया पर न केवल सहमति दी बल्कि संस्थान के प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी इसे दंत चिकित्सा एवं मैक्सिलोफेशियल सर्जरी के क्षेत्र में बहुत उपयोगी मान रहे हैं। डॉ. मनेश लाहौरी का कहना है कि यह उपचार पद्धति किफायती होने के साथ ही पर्यावरण के बिल्कुल अनुकूल है। के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हास्पिटल में इस प्रक्रिया पर अब भी अनुसंधान जारी है। डॉ. शिशिर मोहन गर्ग का कहना है कि अण्डे के छिलके को विभिन्न प्रक्रियाओं के बाद 400 से 600 माइक्रोमीटर के साइज का पाउडर बनाया जाता है। इसमें पर्याप्त कैल्शियम होने से इसका प्रयोग बोन सेल्स को विकसित करने में काफी मददगार है और भविष्य में बोन ग्राफ्टिंग सर्जरी में उपयोग किया जा सकता है।
आर.के. एज्यूकेशन हब के अध्य़क्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हास्पिटल, मथुरा के चिकित्सकों को समाजोपयोगी शोध के लिए बधाई देते हुए कहा कि इस तरह के अनुसंधानों से हम समाज को सस्ती चिकित्सा सुविधा प्रदान करने में जरूर सफल होंगे।

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